Tuesday, December 30, 2008

विवादों से दूर रहती हूं: तनुश्री दत्ता/मुलाकात

-रघुवेंद्र सिंह
अब तनुश्री दत्ता अपनी ग्लैमरस छवि के विपरीत गंभीर स्वभाव के रोल में ज्यादा रुचि ले रही हैं। वे जानी-मानी अभिनेत्री स्मिता पाटिल के नक्शेकदम पर चलने का जोखिम उठाना चाहती हैं। तनुश्री कहती हैं, लोग मुझे ग्लैमरस ऐक्ट्रेस की संज्ञा देते हैं। मुझे उस पहचान से कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन अब मैं कुछ नया काम भी करना चाहती हूं। दरअसल, अब मैं स्मिता पाटिल जैसा काम करके लोगों में अपनी नई पहचान बनाना चाहती हूं। मुझे पता है कि उनके जैसा काम करना मेरे लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी, लेकिन मैं उसे स्वीकार करने के लिए तैयार हूं।
पूर्व मिस इंडिया तनुश्री दत्ता के बारे में कहा जाता है कि वे सिर्फ अपनी खूबसूरती की वजह से फिल्म इंडस्ट्री में टिकी हैं। उन्हें अभिनय नहीं आता। यही वजह है कि अब तक उन्हें कोई दमदार भूमिका वाली फिल्म नहीं मिली है। फिल्मकार उन्हें आइटम सॉन्ग या फिर हल्की-फुल्की भूमिकाओं के लिए ही याद करते हैं। तनुश्री दत्ता इन आरोपों को खारिज करती हैं, मेरी पहली फिल्म आशिक बनाया आपने सुपरहिट हुई थी। उसके बाद मुझे मेरे काम की वजह से ही फिल्मकारों ने साइन किया। मैंने अपनी हरेक फिल्म में मेहनत से काम किया। बदकिस्मती से वे फिल्में नहीं चलीं, तो उनकी असफलता का दोष मुझ पर क्यों थोपा जा रहा है?
तनुश्री अपना पक्ष रखते हुए आगे कहती हैं, मेरी नई फिल्म रामा-द सेवियर है। इसमें मैंने दमदार ऐक्शन सीन किए हैं। मैंने फिल्म में अपनी भूमिका को ईमानदारी से निभाने के लिए ताइक्वांडो और कराटे का प्रशिक्षण भी लिया है। मेरे शरीर के कई हिस्सों पर चोटें भी आई। यदि यह फिल्म नहीं चलती है, तो क्या उसके लिए मैं दोषी हो सकती हूं? मुझे ऐक्टिंग आती है, यह साबित करने की जरूरत नहीं है और यदि मैं खूबसूरत हूं, तो लोगों को शिकायत क्यों है? तनुश्री को उनके करीबी तनु कहकर बुलाते हैं। वे बहुत खुशमिजाज, एनर्जेटिक और मिलनसार स्वभाव की हैं, बावजूद इसके वे अक्सर किसी न किसी विवाद में फंस ही जाती हैं। कुछ समय पहले वे नाना पाटेकर के साथ हुई नोकझोंक की वजह से सुर्खियों में आई, लेकिन अब वे उन पलों को याद नहीं करना चाहती हैं। तनु कहती हैं, नाना के साथ लड़ाई करके मुझे लाभ अधिक हुआ है। मुझे पहले की अपेक्षा अधिक फिल्मों के प्रस्ताव मिले। हालांकि वे पल बहुत बुरे थे। मेरा अनुभव कहता है कि विवाद से लाभ और हानि दोनों संभव हैं। इसलिए यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप उसका कैसे इस्तेमाल करती हैं? वैसे, अब मैं विवादों से दूर रहने की कोशिश कर रही हूं।
तनुश्री दत्ता नई फिल्म रामा-द सेवियर में एक ऐसी लड़की की भूमिका निभा रही हैं, जो सब कुछ कर सकती है। वे बताती हैं, यह ऐक्शन-एडवेंचरस फिल्म है। मैं इसमें फैंटेसी कैरेक्टर निभा रही हूं। मैं फिल्म में हवा में उड़ती हुई दिखूंगी। मैंने इसमें खूब ऐक्शन और स्टंट सीन किए हैं। काफी समय से मैं ऐसा रोल करना चाहती थी। इस फिल्म को लेकर बहुत उत्साहित हूं। इसके प्रदर्शन का उत्सुकता से इंतजार भी कर रही हूं। मेरे लिए फिल्म का अनुभव अविस्मरणीय है। इसमें मेरे अपोजिट साहिल खान हैं। उम्मीद है, फिल्म को लोग खूब पसंद करेंगे।
तनुश्री अपनी पिछली फिल्मों की असफलता के बाद अब सजग हो गई हैं। उल्लेखनीय है कि उनकी आखिरी प्रदर्शित फिल्म सास बहू और सेंसेक्स थी, जो फ्लॉप हुई। लगातार असफलता मिलने के कारण अब वे फिल्मों का चयन बहुत सोच-समझकर कर रही हैं। तनुश्री कहती हैं, मुझे फिल्मों की स्क्रिप्ट अच्छी लगती है, तभी हां कहती हूं। यह अलग बात है कि कुछ फिल्में हमें अच्छी लगती हैं, लेकिन वे दर्शकों को नहीं पसंद आती हैं। मैं अपनी प्रत्येक फिल्म से ग्रो कर रही हूं और ऐसा मुझे प्रतीत भी हो रहा है। वैसे, मैं अभी नई हूं। मेरे पास लंबा सफर तय करने के लिए काफी समय है।

Saturday, December 27, 2008

मेरा रवैया, मेरा नजरिया.. 27 दिसंबर पर विशेष

सलमान के जन्मदिन, 27 दिसंबर पर विशेष..
लमान खान स्वयं को अति संवेदनशील और साफ दिल इनसान मानते हैं। दरअसल, वे हमेशा अपने दिल की सुनते हैं और दिल से ही जिंदगी जीते हैं। अपनी जिंदगी के फैसले वे दिमाग से नहीं, दिल से लेते हैं। अपने जन्मदिन 27 दिसंबर के मौके पर सलमान पाठकों को जीवन के प्रति अपने रवैये और अपने नजरिए से अवगत करा रहे हैं इस मुलाकात में।
नहीं चाहता, कोई करीब से जाने
मैं इनसान हूं। सबकी तरह मेरे लिए भी मेरा परिवार, रिश्तेदार, दोस्त और काम प्राथमिक हैं। मैं अच्छा बेटा, चहेता ऐक्टर और एक नेक इनसान हूं, ऐसा लोग कहते हैं। मेरे दोनों कुत्ते माइसन और माइजान मेरी जिंदगी में विशेष मायने रखते हैं। फुर्सत के वक्त मैं पेंटिंग करता हूं और यही मेरी छोटी-सी दुनिया है। हालांकि मेरे बारे में ज्यादातर लोगों की धारणा निगेटिव है। मुझे इस बात की कोई शिकायत नहीं है। मैं नहीं चाहता कि कोई मुझे करीब से जाने।
प्यार और प्रशंसा पाने के लिए नसीब चाहिए
मैंने अब यह सोचना छोड़ दिया है कि लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं? लोगों की शिकायतों को अब मैं गंभीरता से नहीं लेता। मेरा मानना है कि प्यार और प्रशंसा के लिए भी नसीब चाहिए होता है। यह सच है कि मैं देर से फिल्मों के सेट पर जाता हूं, लेकिन मैं अपनी यह आदत बदल नहीं सकता। लोग मेरे बारे में उल्टा-सीधा लिखते रहते हैं। मैं उस तरफ भी ध्यान नहीं देता। ऐसा करने से उनकी टीआरपी, अखबार और मैगजीन की बिक्री बढ़ती है।
रोमैन्टिक नहीं हूं
मैं स्क्रीन पर बहुत सहज तरीके से रोमांस करता हुआ दिखता हूं। मैं निजी जीवन में भी ऐसा ही हूं। मेरी मित्र कैटरीना कैफ कहती हैं कि मैं अनरोमैन्टिक हूं। इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। मैं फिल्म देखने जाता हूं, तो लोग फिल्म छोड़कर मुझे देखने लगते हैं। डिनर के लिए जाता हूं, लोग अपना खाना छोड़कर मेरी थाली में झांकने लगते हैं कि मैं क्या खा रहा हूं! यही वजह है कि मैं वैन या फिर घर में फिल्में देखता हूं और घर पर ही डिनर करता हूं। वैसे, मैं रोमैन्टिक भी हूं।
शादी अभी नहीं कर सकता
मेरी शादी की फिक्र मुझसे अधिक दुनिया को है। मैं यह जानता हूं, लेकिन अभी शादी नहीं कर सकता। शादी बहुत जिम्मेदारी का काम है और मैं अभी यह जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं हूं। इस मामले में कैटरीना का नाम कई बार मेरे साथ जोड़ा गया है। स्पष्ट कर दूं कि कैटरीना बस मेरी अच्छी मित्र है। मैं जिस दिन शादी करूंगा, सारी दुनिया को बता दूंगा।
किसी से कोई शिकायत नहीं : मैं खुदा की दी हुई खूबसूरत जिंदगी से बहुत खुश हूं। मुझे खुदा से कोई गिला-शिकवा नहीं है और न ही किसी इनसान से है। मैं दिल से जिंदगी जीता हूं। यही वजह है कि मैं रात को चैन की नींद सोता हूं। मुझे जिंदगी के किसी फैसले पर पछतावा नहीं है। मैं ऐसा ही हूं और हमेशा ऐसा ही रहूंगा।
-रघुवेंद्र सिंह

सलमान गोवा में मनाएंगे जन्मदिन | खबर

मुंबई। सलमान खान अपना 43वां जन्मदिन लोकप्रिय पर्यटन स्थल गोवा में सेलीब्रेट करेंगे। शुक्रवार की शाम वे अपने खास दोस्तों के साथ मुंबई से गोवा के लिए रवाना हो रहे हैं। ज्ञात हो, 27 दिसंबर यानी कल सलमान खान का जन्मदिन है। सलमान खान के एक करीबी दोस्त के मुताबिक, आज शाम सलमान भाई अपने खास दोस्तों के साथ गोवा रवाना हो रहे हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के तकरीबन डेढ़ सौ लोग वहां उनके जन्मदिन के अवसर पर एकत्रित हो रहे हैं। वहां शानदार पार्टी का आयोजन किया जा रहा है। हालांकि कैटरीना उनके जन्मदिन के खास अवसर पर उनके साथ नहीं होंगी। वे इस वक्त लंदन में अपने परिवार के साथ हैं। वे न्यू ईयर सेलीब्रेट करने के बाद मुंबई लौटेंगी। कैटरीना की हमशक्ल जरीन खान सलमान की जन्मदिन पार्टी में शिरकत कर रही हैं, जो फिल्म वीर में उनके अपोजिट काम कर रही हैं।
सलमान खान के प्रवक्ता आलोक माथुर ने खबर की पुष्टि की। उन्होंने कहा, सच है कि शुक्रवार की शाम सलमान अपना जन्मदिन सेलीब्रेट करने के लिए गोवा जा रहे हैं। वे नया साल भी वहीं सेलीब्रेट करेंगे। उनके दोस्त उनकी जन्मदिन पार्टी में शिरकत कर रहे हैं। हालांकि परिवार का कोई सदस्य गोवा नहीं जा रहा है।
-रघुवेंद्र सिंह

कल किसने देखा में अभिषेक करेंगे गेस्ट अपियरेंस | खबर

मुंबई। अमिताभ बच्चन और शाहरूख खान के बाद अब अभिषेक बच्चन भी वाशु भगनानी की फिल्म कल किसने देखा में एक मेहमान भूमिका में नजर आएंगे। वे इस फिल्म में स्वयं की भूमिका में होंगे। ज्ञात हो, विवेक शर्मा के निर्देशन में बन रही इस फिल्म से निर्माता वाशु भगनानी के बेटे जैकी भगनानी एक्टिंग में डेब्यू कर रहे हैं। विवेक शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया, मैं बहुत खुश हूं कि अमिताभ बच्चन और शाहरूख खान के बाद अब अभिषेक बच्चन ने भी मेरी फिल्म में मेहमान भूमिका के लिए हामी भर दी है। जनवरी माह में हम अभिषेक बच्चन के साथ न्यूजीलैंड में शूटिंग करने जा रहे हैं। वे जैकी भगनानी पर फिल्माए जा रहे गाने में स्टार अभिषेक बच्चन की भूमिका में दिखेंगे। उनके अतिरिक्त कुछ अन्य लोकप्रिय कलाकार भी हमारी फिल्म में नजर आएंगे। उनके नाम का खुलासा हम अभी नहीं कर सकते। वे दर्शकों के लिए सरप्राइज होंगे।
-रघुवेंद्र सिंह

Monday, December 22, 2008

फिर गुलजार हुए ताज व ट्राइडेंट

अजय ब्रह्मात्मज/रघुवेंद्र सिंह
मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी पर हमले के 25 दिन बाद अरब सागर के किनारे स्थित दो पांच सितारा होटल ताज और ट्राइडेंट रविवार को फिर गुलजार हो उठे। ट्राइडेंट ने सभी के लिए अपने द्वार खोले तो ताज ने निमंत्रित और चुनिंदा मेहमानों का स्वागत किया। हालांकि दोनों ही होटलों के माहौल में उदासी पसरी थी। लेकिन, जोश और उत्साह का अंदरूनी संचार भी महसूस किया जा सकता था। ताज का गुंबद सचमुच देश का गुमान साबित हुआ और ट्राइडेंट के टावर ने जतला दिया कि हम आतंकी हमलों से सहमे नहीं हैं। क्रिसमस से ठीक चार दिन पहले दोनों होटलों ने देश-विदेश के मेहमानों के लिए अपने द्वार खोल दिए। ताज के पास जमा भीड़ और ट्राइडेंट में चल रही आवाजाही से लग ही नहीं रहा था कि पिछले महीने इन जगहों पर साठ घंटे तक गोलियां बरसती रही थीं। रविवार के दिन यूं भी गेटवे आफ इंडिया पर सप्ताह के बाकी दिनों से ज्यादा भीड़ रहती है। ताज के फिर से खुलने की सूचना ने लोगों की उत्सुकता बढ़ा दी थी।
ताज में एक स्मृति सभा का भी आयोजन किया गया। इस सभा में ताज होटल में आतंकी हमले का शिकार हुए 31 लोगों को याद किया गया। इस मौके पर जयदेव बघेल निर्मित जीवनवृक्ष स्मृतिचिह्न समर्पित किया गया। सभी 31 व्यक्तियों के नाम इसकी नींव में लिखे जाएंगे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण ने यहां कहा, मेरे लिए यह एक तरफ दुख का विषय है कि यहां आतंकी हमले में इतनी जानें गईं। वहीं, आज इस बात का गर्व और खुशी भी है कि ताज और ट्राइडेंट के प्रबंधन ने इतनी जल्दी होटल खोल कर मुंबइया जोश दिखाया। ताज के मालिक और टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने होटल के प्रवेश द्वार के बाहर मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा, होटल खुलने से आतंकियों को यह संदेश जाता है कि हम फिर उठ खड़े हुए हैं। हम घायल हो सकते हैं लेकिन गिर नहीं सकते। हमारे लिए यह यादगार दिन है। यह मुंबई शहर की एकजुटता और हमेशा सक्रिय रहने के जज्बे को दिखाता है। उन्होंने बताया कि ताज हेरिटेज को भी जल्द खोल दिया जाएगा। इस मौके पर अभिनेता राहुल बोस और लेखिका शोभा डे ने भी मीडिया को संबोधित किया। ताज के सूत्रों ने बताया कि होटल के सारे रेस्तरां एक दिन पहले ही बुक हो गए थे और ताज टावर के 286 में से 150 कमरे रिजर्व हो चुके हैं।

दोपहर में ओबेराय ग्रुप के ट्राइडेंट होटल में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। ट्राइडेंट की लाबी में आयोजित इस सभा में मुख्यमंत्री चव्हाण और उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल ने भी हिस्सा लिया। ट्राइडेंट के स्टाफ ने सभी मेहमानों का गुलाबी गुलाब से स्वागत किया। गुलाब के साथ एक कार्ड भी था, जिस पर सत्य साई बाबा के उद्धरण थे। इन पर लिखा था, जीवन एक चुनौती है, उसका मुकाबला करो। जीवन एक सपना है, उसे हासिल करो। जीवन एक खेल है, उसे खेलो। और, जीवन एक प्रेम है, उसका आनंद उठाओ। मरीन ड्राइव के एक छोर पर स्थित ट्राइडेंट की लाबी फिर चमक उठी है। हालांकि अंदर अभी भी होटल की साज-सज्जा का काम चल रहा है। ट्राइडेंट से सटे द ओबेराय को मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार होने में अभी कुछ और वक्त लगेगा। ट्राइडेंट के रिसेप्शन पर कार्यरत निर्मल ने कहा, आज आने वाले मेहमानों की संख्या बहुत कम है लेकिन हमारे लिए उत्साहजनक है। जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है। लोगों का जज्बा हमें प्रेरित कर रहा है।

Friday, December 19, 2008

काश! वो दिन फिर आ जाएं/आफताब शिवदासानी/बचपन

अभिनेता आफताब शिवदासानी का बचपन 'लाइट, कैमरा एंड एक्शन' सुनते हुए गुजरा है। मात्र चौदह माह की नन्ही उम्र से वे एक्टिंग में सक्रिय हो गए थे। उनकी नादान हरकतों की वजह से सेट पर अक्सर मुसीबत खड़ी हो जाया करती थी, लेकिन वे अपनी मासूम मुस्कुराहट से सबका दिल जीत लेते थे। बचपन की खंट्टी-मीठी यादों को पाठकों से बांट रहे हैं आफताब-
[सबका दुलारा था]
मैं छुटपन में सबका दुलारा था। सब लोग मुझे गोद में उठाकर प्यार करना चाहते थे। मैं शरारती भी बहुत था, लेकिन मुझे कभी मार नहीं पड़ी। दरअसल, मैं इतना मासूम लगता था कि हर कोई मुझ पर फिदा हो जाता था। मेरी मासूम मुस्कुराहट सबके गुस्से को ठंडा कर देती थी। मैं आज जितना स्मार्ट दिखता हूं, उससे कहीं अधिक मैं बचपन में आकर्षक था। यही वजह है कि मुझे नन्हीं उम्र में कैमरे के सामने आने का सुनहरा मौका मिला।
[तेज था पढ़ने में]
मैं पढ़ने में शुरू से तेज था। मैंने हर कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है। इतिहास मेरा पसंदीदा विषय था। मेरी गिनती सेंट जेवियर्स हाईस्कूल के होनहार छात्रों में की जाती थी। मम्मी-पापा और टीचर मुझसे हमेशा खुश रहते थे। मैं अपने स्कूल का सबसे शरारती छात्र भी था। एक वाकया मैं आज तक नहीं भूला हूं। स्कूल में एक बूढ़े टीचर थे। मैं उनकी क्लास हमेशा बंक करता था, लेकिन उन्होंने कभी पैरेंट्स से मेरी शिकायत नहीं की। दरअसल, मैं उनकी कक्षा का सबसे तेज छात्र भी था।
[पसंदीदा खेल था क्रिकेट]
मैं पढ़ने के साथ-साथ खेलने में भी तेज था। मम्मी-पापा ने मुझे खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। क्रिकेट मेरा पसंदीदा खेल था। जैसे ही फुरसत मिलती, मैं दोस्तों को एकत्रित करके क्रिकेट खेलने लगता था। मैं बैडमिंटन, स्नूकर और स्क्वैश भी खूब खेलता था। मुझे स्कूल में ऑलराउंडर कहकर बुलाया जाता था। क्रिकेट के प्रति मेरी दीवानगी आज भी कम नहीं हुई है।
[रुझान न था एक्टिंग में]
मैं बचपन में एक्टिंग के प्रति जरा भी गंभीर नहीं था। सच कहूं तो एक्टिंग में मेरा दिल ही नहीं लगता था। मैंने एक्टिंग को कॅरियर के तौर पर अपनाने के बारे में भी सोचा नहीं था, लेकिन बचपन से कैमरा फेस करते-करते मुझे कैमरा से लगाव हो गया। बाद में मैंने महसूस किया कि एक्टिंग ही एकमात्र ऐसा काम है, जिसे मैं आसानी से कर सकता हूं। फिर मैंने तय किया कि मुझे एक्टिंग में ही अपना भविष्य संवारना है।
[मिस करता हूं बचपन]
मैं अपने बचपन को बहुत मिस करता हूं। उससे अधिक बचपन की मासूमियत और शरारतों को मिस करता हूं। आज मेरे लिए सब कुछ बदल चुका है। मैं सेलीब्रिटी हूं। मेरी जिंदगी खुली किताब है। मेरी कोई प्राइवेसी नहीं है। बचपन में इन बातों की फ्रिक नहीं होती थी। जो दिल कहता था, सब कर लेते थे। आज मेरे पास सब कुछ है, सिवाय बीते बचपन के!
[रघुवेंद्र सिंह]

Thursday, December 18, 2008

फटे कपड़े पहन, लाठी थामेंगे अभिषेक | खबर

मुंबई। प्रसिद्ध फिल्मकार मणिरत्नम की नई फिल्म रावण में अभिषेक बच्चन दाढ़ी-मूंछ बढ़ाए, फटा-पुराना काला चद्दर ओढ़े, हाथ में लाठी लिए जंगल में जानवरों के बीच दिखेंगे। अभिषेक को इस तरह की भूमिका में दुनिया पहली बार देखेगी।
यूनिट के एक सदस्य के मुताबिक, मणिरत्नम की फिल्म रावण का पौराणिक महाकाव्य रामायण से कोई नाता नहीं है। यह अलग किस्म की फिल्म है। अभिषेक बच्चन एवं रवि किशन फिल्म में बहुत दिलचस्प भूमिका में हैं। मणिरत्नम की मांग पर अभिषेक ने अपनी भूमिका के लिए काफी वजन घटाया है। उनके किरदार का नाम मितरिन है। उन्होंने अपनी दाढ़ी एवं मूंछ भी बढ़ायी है। उनका लुक अनोखा है। शूटिंग के दौरान उन्हें अधिक मेकअप नहीं लगाया जाता, क्योंकि उन्हें सांवला दिखाया गया है। अभिषेक की फिल्म में खास बॉडी लैंग्वेज है। उनके चलने-फिरने, उठने-बैठने एवं बातचीत करने का तरीका बहुत अनूठा है।
उल्लेखनीय है, गुरू की सफलता के बाद मणि रत्नम अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन को रावण में एक बार फिर साथ पेश कर रहे हैं। उनके अलावा फिल्म में गोविंदा, रवि किशन एवं साउथ के कलाकार विक्रम मुख्य भूमिका में हैं। अभिनेता रवि किशन कहते हैं, मैं और अभिषेक फिल्म में छोटी जाति के युवक की चुनौतीपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमें अपनी भूमिकाओं के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ रही है। अभी हम केरल के जंगल में शूटिंग कर रहे हैं। मणि सर कुछ दृश्यों की शूटिंग ऊटी और भोपाल में भी करेंगे। मार्च माह तक फिल्म की शूटिंग पूरी हो जाएगी। बता दें, रावण की शूटिंग हिंदी के अलावा तमिल में भी साथ-साथ की जा रही है।
-रघुवेंद्र सिंह

नहीं बनेगी रॉक ऑन टू | खबर

मुंबई। वर्ष 2008 की अत्यंत लोकप्रिय फिल्म रॉक ऑन का सिक्वल बनने की संभावना से निर्माता रितेश सिधवानी ने इंकार किया है।
यहां बुधवार की शाम रॉक ऑन की डीवीडी लांच के मौके पर रितेश ने रॉक ऑन टू के निर्माण की खबर को अफवाह करार देते हुए कहा, पता नहीं किसने रॉक ऑन टू के निर्माण की अफवाह फैला दी है। रॉक ऑन का सीक्वल बनाने की हमारी कोई योजना नहीं है। हमें खुशी है कि दर्शकों ने रॉक ऑन को पसंद किया और इसे साल 2008 की अत्यंत सफल फिल्म बनाया। अब हमारी योजना दर्शकों को रॉक ऑन से अलग फिल्म देने की है। हमारी अगली फिल्म जोया अख्तर निर्देशित लक बाई चांस है। उम्मीद है, दर्शक उस फिल्म को भी रॉक ऑन जैसा ही प्यार देंगे। उल्लेखनीय है, अभिषेक कपूर निर्देशित रॉक ऑन से फरहान अख्तर ने अभिनय एवं गायकी में सफलतापूर्वक कदम रखा। चार दोस्तों की कहानी पर बनी इस फिल्म में फरहान के साथ प्राची देसाई, अर्जुन रामपाल, पूरब कोहली एवं ल्यूक केनी प्रमुख भूमिका में थे।
-रघुवेंद्र सिंह

Wednesday, December 17, 2008

सांप और जोंक से परेशान ऐश्वर्या राय | खबर

मुंबई। अमिताभ बच्चन की नाजुक बहू ऐश्वर्या राय बच्चन आजकल केरल के जंगलों में पति अभिषेक के साथ जीवन के अतिभयावह अनुभवों से गुजर रही हैं। मणिरत्नम की नई फिल्म रावण की शूटिंग करते समय उन्हें वहां सांपों और जोंकों का सामना करना पड़ रहा है।
एक यूनिट सदस्य के अनुसार, मणिरत्नम प्रत्येक दिन भोर में साढ़े तीन बजे सबको उठा देते हैं। होटल से तकरीबन दो घंटे का सफर तय करने के बाद सभी कलाकार अंधेरा छंटने तक जंगल के अंदर पहुंच जाते हैं। फिर सबको शूटिंग स्थल पर पहुंचने के लिए तकरीबन डेढ़ कि.मी. पैदल चलना पड़ता है। वहां जंगली जानवरों के अलावा सांप और जोंक का डर बना रहता है। ऐश्वर्या सबसे अधिक डरी रहती हैं। अभी हाल में उन्हें एक दिन ढ़ेर सारी जोंकों ने पकड़ लिया था। वे जोर-जोर से चिल्लाने लगीं। उनकी आंखों में आंसू आ गए थे। अभिषेक एवं मणिरत्नम ने उन्हें हिम्मत बंधाई। ऐश्वर्या कहती हैं कि ये उनके जीवन के सबसे भयावह क्षण हैं। वे रावण की शूटिंग का अनुभव कभी नहीं भूलेंगी।
रावण में अभिषेक बच्चन के छोटे भाई की भूमिका निभा रहे अभिनेता रवि किशन कहते हैं कि वहां जंगल में शूटिंग के दौरान सांप और जोंक का लोगों को परेशान करना आम बात हो गई है। ये सच है कि ऐश्वर्या को जोंक ने पकड़ लिया था। उनके पैर खून से लाल हो गए थे, लेकिन वे बहादुर महिला हैं। मणि सर ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। रावण की शूटिंग का अनुभव फिल्म से जुड़े हर शख्स के लिए अविस्मरणीय है।
-रघुवेंद्र सिंह

Tuesday, December 16, 2008

केतन मेहता ने लांच की रंग रसिया आर्ट प्रतियोगिता | खबर

मुंबई। फिल्मकार केतन मेहता ने सोमवार की शाम यहां अपनी नई फिल्म रंग रसिया की थीम पर केंद्रित रंग रसिया-फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन आर्ट प्रतियोगिता की घोषणा की।
इस प्रतियोगिता मेंदेश भर के स्थापित एवं नए कलाकार हिस्सा ले सकते हैं। केतन मेहता ने बताया, मेरी फिल्म रंग रसिया 19वीं शताब्दी के प्रतिष्ठित भारतीय पेंटर राजा रवि वर्मा के जीवन पर आधारित है। उनकी सोच, कला और दूरगामी दृष्टिकोण को 21वीं शताब्दी के नए कलाकारों तक पहुंचाने के उद्देश्य से फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन आर्ट प्रतियोगिता लांच की गई है। फिल्म की वेबसाइट रंगरसिया डाट काम में एन्ट्री करके देश का कोई भी व्यक्ति हिस्सा ले सकता है। इस प्रतियोगिता के विजेता को आगामी 15 मार्च को एक भव्य कार्यक्रम में 25 लाख रूपए की राशि प्रदान की जाएगी।
उल्लेखनीय है, केतन मेहता, भवानी भवाई, मिर्च मसाला, माया मेमसाब, सरदार और मंगल पांडे जैसी चर्चित फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। उनकी नई फिल्म रंग रसिया में रणदीप हुडा और नंदना सेन प्रमुख भूमिका में हैं। यह फिल्म अब तक लंदन फिल्म समारोह एवं न्यूयार्क फिल्म समारोह जैसे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में खूब सराहना बटोर चुकी है। केतन मेहता के मुताबिक आगामी जनवरी माह में यह फिल्म भारत में प्रदर्शित होगी।
-रघुवेंद्र सिंह

Monday, December 15, 2008

स्कूल लौटने का मन करता है: फरहान अख्तर/बचपन

फरहान अख्तर सुप्रसिद्ध लेखक जावेद अख्तर और अभिनेत्री हनी ईरानी के बेटे हैं। फरहान का बचपन मुंबई में गुजरा है। वे फिल्म इंडस्ट्री के गलियारों में हंसते-खेलते बड़े हुए। आज उनकी पहचान दूरदर्शी निर्माता, सुलझे निर्देशक और दमदार अभिनेता की है। वे अपने बचपन की सुनहरी यादों को पाठकों के साथ शेयर कर रहे हैं-
[मासूमियत का मिलता था फायदा]
मैं मुंबई के बांद्रा इलाके में पला-बढ़ा हूं। मेरा पूरा बचपन वहीं गुजरा है। मैं छुटपन में जमकर शरारतें करता था, लेकिन जैसे ही पकड़ा जाता, शांत बच्चा बन जाता था। इतना मासूम चेहरा बना लेता था कि सामने वाला डांटने से पहले सोच में पड़ जाता था। दूसरे शब्दों में कहूं तो मासूम चेहरे की वजह से मैं अधिकतर डांट खाने से बच जाया करता था। मेरी बिल्डिंग के बाहर एक ग्राउंड था। सोसायटी के सभी बच्चे वहीं खेलने आते थे। उस मैदान में मैं खूब क्रिकेट खेलता था।
[अधिक करीब रहा मां के]
मैं बचपन में मन की हर बात अपनी मां से शेयर करता था। मैं पढ़ने में औसत स्टूडेंट था। इंग्लिश लिटरेचर, ज्योग्राफी और हिस्ट्री मेरे पसंदीदा सब्जेक्ट थे। मैं स्कूल जाने से बहुत हिचकता था। हमेशा स्कूल से दूर रहने का बहाना ढूंढा करता था। इसके लिए मां मुझे बहुत डांटती थी। वे हमेशा मुझे स्कूल जाने के लिए प्रेरित करती थीं।
[अमिताभ बच्चन से प्रभावित था]
मुझे बचपन में अभिनेताओं और अभिनेत्रियों से मिलने का बहुत शौक था। पिताजी फिल्म इंडस्ट्री में थे, इसलिए मुझे बड़ी आसानी से कलाकारों से मिलने का मौका मिल जाता था। मैं बचपन में अमिताभ बच्चन से सर्वाधिक प्रभावित था। उनसे मिलने के लिए मैं सदैव लालायित रहता था। ऋषि कपूर भी उस वक्त मेरे पसंदीदा अभिनेता थे। मैं जब कभी किसी लोकप्रिय कलाकार से मिलता तो उससे मिलने की दास्तान अपने दोस्तों को विस्तार से बताता था। वे सभी खुश भी होते थे और मन ही मन मुझसे जलते भी थे।
[बहुत मिस करता हूं बचपन के दिन]
मैं अपने बचपन के बिंदास दिनों को बेहद मिस करता हूं। उन दिनों किसी बात की फिक्र नहीं होती थी, केवल मस्ती करने की फिक्र रहती थी। उस वक्त मुझे स्कूल जाना सबसे दूभर काम लगता था। उन दिनों मैं यही सोचा करता था कि हमें स्कूल क्यों भेजा जाता है, लेकिन आज अहमियत समझ में आती है। अब वापस स्कूल लौटने का मन करता है। मुझे लगता है कि बचपन हर इंसान की जिंदगी का बेस्ट पार्ट होता है।
[जिज्ञासा को रखें हमेशा बरकरार]
मैं बच्चों से कहना चाहूंगा कि वे अपने बचपन को खूब एंज्वॉय करें। दिल लगाकर पढ़ाई करें और खेलकूद में भी खुद को सक्रिय रखें। बचपन की एक खासियत होती है, जिज्ञासा। बचपन में हर वक्त नई चीजें जानने की इच्छा रहती है, लेकिन इंसान जैसे-जैसे बड़ा होता है, वह तमाम डिग्रियां एकत्रित कर लेता है और खुद को बुद्धिमान समझने की भूल कर बैठता है। जिज्ञासा को हमेशा जिंदा रखना चाहिए, तभी इंसान जिंदगी में नई चीजें सीख सकता है और तरक्की कर सकता है।
-रघुवेंद्र सिंह

नई सोच के निर्देशकों का चला जादू | आलेख

कहते हैं कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में नए लोगों को जल्दी अवसर नहीं मिलते, लेकिन इस साल इंडस्ट्री में आने वाले नए निर्देशकों के आंकड़े देखें, तो यह बात सच प्रतीत नहीं होती। हां, साल 2008 में इंडस्ट्री ने कुल पच्चीस नए निर्देशकों का उत्साहपूर्वक स्वागत किया। इनमें से कितने लोगों ने अपनी मौजूदगी से इंडस्ट्री को समृद्ध बनाया और वे आज सक्रिय हैं और कितने अपनी पहली फिल्म के बाद अदृश्य हो गए। आइए डालते हैं एक नजर..।
नई सोच के फिल्मकार
सिनेमा के क्षेत्र में नई सोच के लोगों का बांहें फैलाकर स्वागत होता है। राजकुमार गुप्ता, अब्बास टायरवाला और तरुण मनसुखानी ऐसे ही निर्देशक साबित हुए। राजकुमार ने आमिर, अब्बास ने जाने तू या जाने ना और तरुण ने दोस्ताना से हिंदी सिनेमा को नई दिशा और नया विषय दिया। राजकुमार और अब्बास की फिल्में कम बजट के बावजूद अपने दमदार विषय के कारण दर्शकों को लुभाने में कामयाब हुई। दूसरे शब्दों में कहें, तो इन युवा निर्देशकों ने मजबूत कहानी और अजीज चरित्रों के दम पर अपना लोहा मनवाया। तरुण की दोस्ताना दोस्तों के त्याग और समर्पण की कहानी थी, लेकिन उन्होंने उसे आधुनिक रंग में पेश किया। दोस्ताना समलैंगिक विषय वाली फिल्म थी। यह विषय भारतीय दर्शकों के लिए बिल्कुल नया था। इन फिल्मकारों ने साबित किया कि कहानी ही असली हीरो होता है, बाकी सब बाद में आते हैं।
अभिनेता बने निर्देशक
इस साल दो अभिनेता अजय देवगन और जुगल हंसराज फिल्म निर्देशन में आए। उम्मीद की जा रही थी कि ये भी आमिर खान की तरह निर्देशन में धमाकेदार तरीके से प्रवेश करेंगे। चर्चा के मामले में अजय और जुगल को जरूर कामयाबी मिली, लेकिन वे अच्छी फिल्म देने में असफल रहे। अजय ने पत्नी काजोल और स्वयं को केंद्र में रखकर यू मी और हम बनाई और जुगल ने एनिमेशन फिल्म रोडसाइड रोमियो से निर्देशन में कदम रखा। अजय अपनी फिल्म में खुद के मोहपाश में बंधे दिखे। उनमें कहानी के मुताबिक चलने के सूझ की कमी दिखी, वहीं जुगल की फिल्म स्क्रिप्ट के मामले में कमजोर साबित हुई। हां, उनकी फिल्म हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की बेहतरीन एनिमेशन फिल्म जरूर बनी। इन अभिनेताओं ने स्क्रिप्ट पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। यही वजह है कि ये अच्छी फिल्म देने से चूक गए।
इनमें भी है दम
औसत बजट और सामान्य स्क्रिप्ट के बल पर भी इस साल कुछ निर्देशकों ने दर्शकों को अच्छी फिल्में दीं। इनमें भूतनाथ के निर्देशक विवेक शर्मा, जन्नत के निर्देशक कुणाल शिवदासानी, समर 2007 के निर्देशक सोहेल ततारी और एक विवाह ऐसा भी के निर्देशक कौशिक घटक का नाम शामिल है। विवेक की फिल्म भूतनाथ और कौशिक की एक विवाह ऐसा भी भारतीय संस्कारों और परंपराओं पर आधारित रही, वहीं सोहेल की फिल्म समर 2007 ने गण के बोझ से दबे किसानों के दर्द को बयां किया। कुणाल की जन्नत ने क्रिकेट में होने वाली सट्टेबाजी को रुचिकर तरीके से पेश किया। हाल में प्रदर्शित हुई फिल्म दसविदानिया के निर्देशक शशांत शाह के काम की भी सराहना हुई। इन निर्देशकों से आने वाले दिनों में अच्छे सिनेमा की उम्मीद है।
जिन्होंने दर्शकों को समझा नादान
आज के दर्शक अच्छे सिनेमा को तुरंत भांप लेते हैं। ऐसे में जिन निर्देशकों ने दर्शकों को मूर्ख समझने की भूल की, उन्हें दर्शक भी भूल गए। यह साल कुछ ऐसे निर्देशकों के आगमन का भी साक्षी बना, जिनकी पहली फिल्म दर्शक कभी देखना पसंद नहीं करेंगे। इनमें रामा रामा क्या है ड्रामा के चंद्रकांत सिंह, तुलसी के अजय कुमार, 26 जुलाई ऐट बरिस्ता के मोहन शर्मा आदि के नाम शामिल हैं। इन फिल्मों और इनके निर्देशकों के बारे में कम ही लोगों को याद होगा। अच्छा होता कि इन लोगों ने स्क्रिप्ट पर मेहनत, सही कलाकारों का चयन और सही निर्देशन किया होता। ये निर्देशक इन दिनों क्या कर रहे हैं, इस बारे में किसी को खबर नहीं है।
अभी बाकी है परीक्षा
पिछले दिनों दो नए निर्देशक अपनी पहली फिल्म लेकर दर्शकों के बीच उपस्थित हुए। इनमें सौरभ श्रीवास्तव की फिल्म ओ माई गॉड और अनिल सीनियर की दिल कबड्डी है, जबकि महिला निर्देशक मधुरिता आनंद की मेरे ख्वाबों में जो आए 19 दिसंबर को आएगी। साल के अंतिम सप्ताह में ए.आर. मुर्गदोस निर्देशित और आमिर खान अभिनीत फिल्म गजनी हिंदी फिल्मों के दर्शकों से रूबरू होगी। इस फिल्म का इंतजार लोग बेसब्री से कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि साल के अंतिम माह में प्रदर्शित होने वाली ये फिल्में इनके निर्देशकों के लिए खुशी की सौगात लेकर आएंगी।
्रफिल्मों के नाम-निर्देशक
1. तुलसी- अजय कुमार
2. रामा रामा क्या है ड्रामा- चंद्रकांत सिंह
3. कभी सोचा भी न था- कलोल सेन
4. 26 जुलाई ऐट बरिस्ता- मोहन शर्मा
5. यू मी और हम- अजय देवगन
6. क्रेजी 4- जयदीप सेन
7. भूतनाथ- विवेक शर्मा
8. जन्नत- कुणाल देशमुख
9. समर 2007- सोहेल ततारी
10. आमिर- राजकुमार गुप्ता
11. जाने तू या जाने ना- अब्बास टायरवाला
12. ए वेडनेसडे- नीरज पांडे
13. सी कंपनी- सचिन यार्दी
14. हाइजैक- कुणाल शिवदासानी
15. रूबरू- अरुण बाली
16. हल्ला- जयदीप वर्मा
17. हरी पुत्तर लकी- राजेश बजाज
18. रोडसाइड रोमियो- जुगल हंसराज
19. एक विवाह ऐसा भी- कौशिक घटक
20. दोस्ताना- तरुण मनसुखानी
21. दसविदानिया- शशांत शाह
22. ओह माई गॉड- सौरभ श्रीवास्तव
23. दिल कबड्डी- अनिल सीनियर
24. मेरे ख्वाबों में जो आए- मधुरिता आनंद
25. गजनी- ए. आर. मुर्गदोस
-रघुवेंद्र सिंह

मुन्नाभाई सीरीज पर जल्द प्रकाशित होगी पुस्तक

-रघुवेंद्र सिंह
मुंबई। राजकुमार हिरानी की लोकप्रिय फिल्में मुन्ना भाई एमबीबीएस और लगे रहो मुन्ना भाई अब जल्द ही पुस्तक के रूप में बाजारों में उपलब्ध होंगी। राजकुमार हिरानी ने बताया कि मुन्ना भाई सीरीज के बारे में लोगों की उत्सुकता को देखते हुए मैंने इन फिल्मों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का फैसला किया है।
लोग जानना चाहते हैं कि मुन्ना भाई का विचार मेरे मन में कैसे उपजा और फिर कैसे यह सीरीज आगे बढ़ रही है। मैं प्रकाशकों से बात कर रहा हूं। आगामी एक-दो माह में ये फिल्में पुस्तक के रूप में बाजार में होंगी। राजकुमार हिरानी ने आगे बताया कि इन फिल्मों की स्क्रिप्ट किताब में हू-ब-हू प्रकाशित की जाएगी। जो नए फिल्म लेखकों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
उल्लेखनीय है, राजकुमार हिरानी आजकल आमिर खान को लेकर फिल्म थ्री इडियट्स बना रहे हैं। इसके बाद वे मुन्ना भाई सीरीज की अगली फिल्म मुन्ना भाई चले अमेरिका शुरू करेंगे। उसमें भी संजय दत्त मुन्ना भाई की मुख्य भूमिका में दिखेंगे।