Monday, December 14, 2009

लोग अच्छाइयां देखते हैं: सूरज बड़जात्या | मुलाकात

धारावाहिक में राजश्री प्रोडक्शन की सक्रियता बढ़ती जा रही है। वो रहने वाली महलों की, प्यार के दो नाम एक राधा एक श्याम और मैं तेरी परछाई हूं की सफलता के बाद अब राजश्री जी टीवी पर यहां मैं घर-घर खेली धारावाहिक लेकर आया है। जल्द ही एनडीटीवी इमेजिन पर उनके नए धारावाहिक दो हंसों का जोड़ा का प्रसारण भी आरंभ होगा। सूरज बड़जात्या ने हम से खास मुलाकात में जी टीवी पर प्रसारित हो रहे यहां मैं घर घर खेली और राजश्री की भावी योजनाओं के बारे में बात की..
यहां मैं घर-घर खेली के निर्माण की योजना कब बनी और आपने इसके प्रसारण के लिए जी टीवी को क्यों चुना?
जी टीवी से हमारा पुराना नाता है। हमारी पांचों फिल्मों के अधिकार जी टीवी के पास ही हैं। फरवरी में चैनल से हमारी बात पक्की हुई और नवंबर में इसका प्रसारण शुरू हुआ है। यहां मैं घर घर खेली राजश्री का अब तक का सबसे बड़ा शो है। यह उज्जैन के स्वर्ण भवन की कहानी है। यह पिता-पुत्री की कहानी है। लड़की जिस घर में पैदा होती है, जहां पली-बढ़ी होती है, उस घर की दीवार, तुलसी, आंगन में गिरती धूप से उसका अलग तरह का रिश्ता होता है। मैं खास तौर पर उल्लेख करना चाहूंगा कि यह घटना प्रधान नहीं, किरदार प्रधान धारावाहिक है। इसमें हर किरदार की अच्छाइयां और बुराइयां हैं। इसकी हीरोइन के पिता आलोक नाथ हैं। यह उनका बेस्ट रोल है। उन्होंने अपनी बेटी का नाम स्वर्ण आभा रखा है। इसकी स्टोरी, स्क्रीनप्ले, डायलॉग सब इरशाद कामिल लिख रहे हैं। उनकी लेखनी में रूह है। इसमें हमने संगीत पर भी खास ध्यान दिया है।
धारावाहिक में आपकी क्या भूमिका है?
इस धारावाहिक से मेरा खास लगाव है। इसकी बेसिक राइटिंग मैं देखता हूं। मेरे हिसाब से यही नींव होती है। मैं नींव पर नजर रखता हूं। मैं कास्टिंग देखता हूं। मैं एपीसोड देखता हूं। यह मेरी जिम्मेदारी होती है। राजश्री प्रोडक्शन की टीवी हेड मेरी बहन कविता हैं। वे सभी कार्यक्रम रोजाना देखती हैं।
आजकल टीवी पर रिअलिटी और ग्रामीण प्रधान कार्यक्रमों की अधिकता है। आप उनसे प्रभावित नहीं हुए?
रिअलिटी की तरफ टीवी जा रहा है, यह सही है। यह उन्नति है। हमने कभी किसी ट्रेंड को फॉलो नहीं किया। राजश्री के अंदर है कि हम जो कुछ बनाए, उसमें फैमिली की बांडिंग जरूर होनी चाहिए। हम अपने कार्यक्रमों में अच्छाइयां दिखाते हैं। सामाजिक जीवन में खराबियां बहुत होती हैं, लेकिन अच्छाइयां भी होती हैं। लोग कहते हैं कि बुराइयों से टीआरपी मिलती है। ऐसी बात नहीं है। मेरी समझ से लोग अच्छाइयां देखना चाहते हैं।
टीवी से अपने गहराते रिश्ते के बारे में क्या कहेंगे?
मल्टीप्लेक्स के टिकट की कीमत और वक्त की पाबंदी के कारण बहुत से दर्शक थिएटर में नहीं जाते। कह सकते हैं कि फिल्मों का एक अलग स्तर बन गया है। छोटे शहर के लोग कितना थिएटर जा पाते हैं? वह हार्डकोर राजश्री की आडियंस है। हमने सोचा कि इतनी कहानियां हैं कहने को, तो क्यों न टीवी पर आया जाए। हमारा पहला सीरियल वो रहने वाली महलों की हिट हुआ, तो हमारी हिम्मत बढ़ी। हम जानते हैं कि टीवी की आडियंस क्या चाहती है?
आप टीवी देखने के लिए कितना वक्त निकाल पाते हैं?
मैं काम की वजह से ज्यादा नहीं देख पाता, लेकिन मैं खुद को अपडेट रखता हूं कि किस सीरियल में क्या चल रहा है? मैं स्पोर्ट चैनल देखता हूं। मैं रीअल हीरोज को देखना पसंद करता हूं।
टीवी के लिए राजश्री की भावी योजनाएं क्या हैं?
नवंबर के अंत में एनडीटीवी इमेजिन पर हमारा नया धारावाहिक दो हंसों का जोड़ा शुरू होगा। अगले साल तीन धारावाहिक बनाने की हमारी योजना है।

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