Wednesday, December 30, 2009

लम्हे जो याद रहेगे हमेशा

[मेरी पहली कार]
नेहा मारदा (बालिका वधू की गहना)
2009 को मैं कभी नहीं भूल सकती। इस साल मैंने अपने पैसे से कार खरीदी और ड्राइविंग करना शुरू किया। दरअसल, 2006 में जब मैं ड्राइविंग सीख रही थी, तो मुझसे एक्सीडेंट हो गया था। मैं इतनी डर गई कि मैंने ड्राइविंग ही छोड़ दी, लेकिन 2009 में मैंने हिम्मत बांधी और फिर ड्राइविंग शुरू की। साल का दूसरा सबसे यादगार लम्हा मेरा जन्मदिन (23 सितंबर) है। उस दिन मेरे सभी भाई, भाभी और भतीजे देहरादून और बंगलौर से मुंबई आए। उन्होंने मुझे पहले से इसकी जानकारी नहीं दी थी। शाम को उन्होंने मेरे लिए बड़ी सरप्राइज बर्थडे पार्टी दी। मेरे लिए वह पल अनमोल था। खुशी से मेरी आंखों में आंसू आ गए थे।
[मेरा ड्रीम हुआ पूरा]
रश्मि देसाई (उतरन की तपस्या)
इस साल मेरी जिंदगी में दो यादगार लम्हे आए। मैं लंबे समय से मुंबई में अपना ड्रीम हाउस खरीदना चाहती थी, लेकिन कभी बजट तो कभी लोकेशन की वजह से बात नहीं बन पाती थी। इस साल मेरा ड्रीम हाउस खरीदने का सपना पूरा हो गया। उतरन के पहले मैंने कई सीरियल में काम किया था, लेकिन क्वालिटी वर्क किसी में नहीं मिला था। मैं ऐसा काम करना चाहती थी जिसकी लोग चर्चा करें। उतरन से मेरी वह इच्छा पूरी हो गई।
[इंडिपेंडेट बनी]
नताशा शर्मा (ना आना इस देस लाडो की सिया)
2009 ने मेरी जिंदगी को नया रूख दिया, मैं इंडीपेंडेंट बनी। मैं जून में दिल्ली छोड़कर मुंबई आयी। तीन बहनों में मैं सबसे छोटी हूं। मुझे बहुत प्रोटेक्ट करके रखा गया था। फैमिली में किसी को लग नहीं रहा था कि मैं अकेले मुंबई में रह पाऊंगी, लेकिन मैंने ऐसा कर दिखाया। मैं मुंबई में अपने बलबूते पर रहती हूं और अपना खर्च खुद चलाती हूं। इस साल का दूसरा स्पेशल मोमेंट वह है जब मुझे ना आना इस देस लाडो सीरियल में सिया के लिए चुना गया। इस किरदार ने मुझे पॉपुलर बना दिया। 2009 मेरे लिए हमेशा स्पेशल रहेगा।
-रघुवेंद्र

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