Saturday, March 19, 2011

मिलती थी गालियां: जैकी भगनानी


फिल्म फालतू के रूप में जैकी भगनानी को खुद को अच्छा ऐक्टर साबित करने का दूसरा मौका मिला है। रेमो डिसूजा के निर्देशन में उन्होंने अपना बेस्ट देने की कोशिश की है। पिछले दिनों जैकी भगनानी से मुलाकात हुई, तो इस फिल्म को लेकर बातें हुई। प्रस्तुत हैं अंश..

फिल्म का शीर्षक फालतू है। आपको ऐसा नहीं लगा कि लोग फालतू कहकर मजाक उड़ाएंगे?
मैंने पहली फिल्म से बहुत कुछ सीखा है। मैं स्पष्ट था कि अगर दिल कहता है कि टाइटिल फालतू होना चाहिए तो मैं रखूंगा। दिल से बनाऊंगा, तो फिल्म लोगों के दिल से कनेक्ट होगी। मेरी पहली फिल्म में सब कुछ परफेक्ट था। अच्छे कपड़े, अच्छी लोकेशन, शानदार बाइक, लेकिन क्या हुआ? किसी को वह पसंद नहीं आई। इस फिल्म में मैं अच्छे कपड़े में नहीं हूं, बिना मेकअप के हूं।
पहली फिल्म की असफलता के बाद आपने आत्मविश्लेषण किया?
अगर आप खुद को टटोलेंगे नहीं, तो ग्रो कैसे करेंगे। मैं पॉजिटिव हूं। मैंने पहली फिल्म में बहुत मेहनत की थी। साठ किलो वजन कम किया था। जब लोगों को फिल्म अच्छी नहीं लगी, तो मैंने सोचा कि क्यों नहीं पसंद आई? मेरी नीयत तो अच्छी थी। मैंने दोस्तों से पूछा कि क्यों नहीं अच्छी लगी मेरी फिल्म? उन्होंने कहा कि कहानी नहीं थी? और भी बातें थीं, मैंने उन बातों पर गौर किया।
जब दूसरी फिल्म बनाने की बात डैड से कही तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
कल किसने देखा की रिलीज से तीन महीने पहले मैंने और रेमो ने डिसाइड कर लिया था कि फालतू बनाएंगे। जब वह रिलीज हुई और नहीं चली, तो बहुत दुख हुआ। दूसरे ऐक्टर की फिल्म नहीं चलती है, तो फिर भी उनके काम की तारीफ होती है, लेकिन मुझे ऐक्टर के तौर पर भी के्रडिट नहीं मिला। लोगों को मेरा डांस पसंद आया। यह प्रतिक्रिया थी कि हां, एक्टिंग कर सकता है। जब तक फालतू का प्रोमो स्टार्ट नहीं हुआ था, तब तक मुझे ट्विटर पर गालियां मिलती थीं। लोग कहते थे कि तू अपने बाप के बगैर कुछ नहीं है। दुख होता है कि इतनी मेहनत के बाद भी लोगों को लगता है कि मैं मेहनत नहीं करता हूं। मैं सोच रहा था क्या और कैसे करें? मैंने रेमो से कहा कि बजट एक तिहाई कर लेते हैं। वे फौरन तैयार हो गए। डैड के साथ मेरा अच्छा रैपो है। उन्हें पता था कि पहली फिल्म में क्या प्रॉब्लम हुई थी। फालतू को रेमो और मैंने चैलेंज के तौर पर लिया। उन्हें डायरेक्टर के तौर पर ब्रेक मिला और मुझे दूसरा मौका।
फालतू है क्या?
मैं इसमें रितेश विरानी का किरदार निभा रहा हूं। उसके तीन दोस्त हैं। यह उन चारों की कहानी है। उनकी पढ़ाई में रुचि नहीं है। लोग फालतू कहते हैं। बाद में वही फालतू जब सफल होता है, तो लोग कहते हैं कि मेरा बेटा है, मेरा रिश्तेदार है। हमारी फिल्म यही है।
क्या आपका किरदार हीरो जैसा है?
अच्छी बात यह है कि फिल्म में कोई हीरो नहीं है। मेरे लिए जरूरी था कि मैं दिखावा बिल्कुल भी न करूं। बस एक्टिंग करूं। इसमें रोमांस भी है लेकिन रोमांटिक फिल्म नहीं है। 
-रघुवेंद्र सिंह 

No comments: