Friday, March 21, 2014

अंकिता के साथ जिंदगी बीतना चाहता हूं- सुशांत सिंह राजपूत

सुशांत सिंह राजपूत के जीवन में टर्निंग पॉइंट रहा. काय पो चे और शुद्ध देसी रोमांस की कामयाबी ने उन्हें एक हॉट फिल्म स्टार बना दिया. रघुवेन्द्र सिंह ने की उनसे एक खास भेंट
सुशांत सिंह राजपूत के आस-पास की दुनिया तेजी से बदली है. इस साल के आरंभ तक उनकी पहचान एक टीवी एक्टर की थी, लेकिन अब वह हिंदी सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय फिल्म निर्माण कंपनी यशराज के हीरो बन चुके हैं. शुद्ध देसी रोमांस के बाद वह अपनी अगली दोनों फिल्में ब्योमकेष बख्शी और पानी इसी बैनर के साथ कर रहे हैं. उन पर आरोप है कि आदित्य चोपड़ा का साथ पाने के बाद उन्होंने अपने पहले निर्देशक अभिषेक कपूर (काय पो चे) से दोस्ती खत्म कर ली. डेट की समस्या बताकर वह उनकी फिल्म फितूर से अलग हो गए. 
हमारी मुलाकात सुशांत सिंह राजपूत के साथ यशराज के दफ्तर में हुई. काय पो चे और शुद्ध देसी रोमांस की कामयाबी को वह जज्ब कर चुके हैं. वैसे तो इस हॉट स्टार के दिलो-दिमाग को केवल उनकी गर्लफ्रेंड अंकिता लोखंडे ही बखूबी समझती हैं. औरों के सामने वह बड़ी मुश्किल से अपना हाल-ए-दिल बयां करते हैं. लेकिन हम इस मुश्किल काम को करने की कोशिश कर रहे हैं. आप खुद जज कीजिए की इस बातचीत में आप सुशांत को कितना बेहतर जान पाए...

माना जाता है कि यशराज का हीरो बनने के बाद बाजार और दर्शकों का नजरिया आपके प्रति बदल जाता है. क्या वाकई ऐसा होता है?
जब मैं हीरो नहीं भी बनना चाहता था, जब मैं फिल्में देखा करता था, तब मैं यह सोचता था कि यार, यशराज का हीरो बन जाएं, तो क्या बात होगी. ये तो आप समझ ही सकते हैं कि आज मैं कितना अच्छा फील कर रहा हूं. दूसरा, जब मैंने एक्टर बनने के बारे में सोचा, तो मैंने यह तय नहीं किया कि एक दिन मैं टीवी करूंगा, फिर फिल्म करूंगा और एक दिन मैं इनके साथ काम करूंगा, एक दिन उनके साथ काम करूंगा. मेरे दिल में केवल यह बात थी कि एक्टिंग करने में मुझे मजा आता है. तो इसे मुझे बहुत अच्छे से करना और सीखना है. जब मैं थिएटर में कोई प्ले करता था, तो इतना ही एक्साइटेड होता था, मैं इतनी मेहनत और अच्छे से काम करता था. और जब लोग आकर मेरा प्ले देखते थे और तालियां बजाते थे, तो मुझे बहुत अच्छा लगता था. उतना ही अच्छा लगता है, जब आज मेरी दो फिल्में हिट हो चुकी हैं. तो ये तुलना मैं कर ही नहीं सकता कि इसका हीरो, उसका हीरो, टीवी एक्टर बनने के बाद मुझे कैसा लग रहा है. मुझे छह साल से ऐसा ही लग रहा है.

इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता है, क्योंकि कुछ अचीव करने के बाद इंसान अलग महसूस करता है.
बहुत से लोगों को यकीन नहीं होता, लेकिन ये आपको लगता है न कि एक दिन मैं ये अचीव करूंगा और जब मैं उसे अचीव कर लूंगा, तो मुझे अच्छा लगेगा. लेकिन अगर आपने ऐसा कोई लक्ष्य बनाया ही नहीं है कि मैं एक दिन ये करूंगा, फिर वो करूंगा. मुझे भी नहीं पता कि मुझे जो फिल्में आज मिल रही हैं, वो क्यों मिल रही हैं. जो फिल्में मैं कर चुका हूं और जो आगे कर रहा हूं. वो सारी ऐसी स्क्रिप्ट्स हैं, जिनका हिस्सा मैं बनना चाहता हूं, इसलिए मैं इतना एक्साइटेड हूं. मैं इसीलिए इतना एक्साइटेड हूं कि मैं अगली फिल्म में दिबाकर बनर्जी के साथ काम कर रहा हूं. वो इतने इंटेलीजेंट हैं, इतने अलग तरीके का सिनेमा बनाते हैं, तो उनके साथ मुझे काम करने का मौका मिला. मैं इसलिए एक्साइटेड नहीं हूं कि मैं एक और फिल्म कर रहा हूं और अब टीवी एवं थिएटर नहीं कर रहा हूं. एक्साइटमेंट के अलग-अलग कारण हैं और सेंस ऑफ अचीवमेंट के अलग कारण हैं. आज मैं पांच फिल्में साइन कर लूं और तब मुझे लगेगा कि मैं अच्छा एक्टर हूं. मुझे अपने बारे में नहीं पता. अगर आज मैं एक ही फिल्म कर रहा हूं या थिएटर में मैं एक ऐसा प्ले करूं, जिसे लगता है कि मैं नहीं कर सकता, तो मुझे अच्छा लगेगा.

दिबाकर बनर्जी की फिल्म ब्योमकेश बख्शी के लिए आपको किस तरह की तैयारी की जरूरत पड़ रही है?
मैं हर फिल्म की रिलीज के बाद दो से ढ़ाई महीने का गैप लेता हूं. ताकि अपने अगले किरदार के बारे में हर चीज पढ़ सकूं, समझ सकूं, उसका बैकग्राउंड पता करूं, ताकि जब मैं शूट करने जाऊं, तो मुझे यह कंफ्यूजन न हो कि यार, मैं यह कैरेक्टर नहीं हूं. ब्योमकेश बख्शी हमारे पहले फिक्शनल डिटेक्टिव हैं, जिनकी बत्तीस-तैंतीस स्टोरीज ऑलरेडी हैं, तो ब्योमकेश का नाम लेते ही आपके दिमाग में उसकी एक इमेज बन जाती है. सबने उसे अपने-अपने तरीके से प्रजेंट किया है, तो जब आप उस किरदार के बारे में सोचते हैं, जब स्क्रिप्ट पढ़ते हैं, तो आप महसूस करते हैं कि डायरेक्टर कुछ अलग ही बताने की कोशिश कर रहा है, तो आपने जितना भी होमवर्क किया, वह आप पहले दिन भूल गए. फिर आप तय करते हैं कि चलिए देखते हैं कि क्या होता है.

शुद्ध देसी रोमांस जब आपने साइन की, तो यह खुशी सबसे पहले किसके संग शेयर की थी?
मैंने अंकिता से शेयर किया था. वो बहुत खुश थीं. अंकिता ने सेलिब्रेट किया था. यशराज की फिल्म मिलना और तब मिलना, जब आपकी पहली फिल्म रिलीज न हुई हो और दूसरा, आपने ऑडिशन के जरिए पाई हो. आप पहले ही एक बैगेज के साथ आते हैं कि आप एक टीवी एक्टर हैं. आपको खुद नहीं पता होता है कि टीवी में एक्टिंग करके आपने क्या गलत कर दिया जिंदगी में. और आपसे बोला जाता है कि पिछले बीस साल में तो ऐसा कोई नहीं कर पाया है, तो तुम क्या करोगे? आप समझते हैं कि वो भी सही बोल रहे हैं.

शुद्ध देसी रोमांस में आपने किसिंग सीन किया है. अंकिता को इस पर आपत्ति नहीं थी?
हम सब प्रोफेशनल एक्टर हैं और यह आपके काम का हिस्सा है. जब आप एक्टिंग कर रहे होते हैं, तो एक्टिंग कर रहे होते हैं. आप झूठ नहीं बोल रहे होते हैं. आप उस समय उस किरदार को फील कर रहे होते हैं. वह कर रहे होते हैं, जो वह करता है. इस फिल्म में दिखाना था कि दो किरदारों के बीच इस लेवल की इंटीमेसी है. हम क्या करते हैं कि हमें पर्दे पर यह सब नहीं देखना है. अगर आप आंकड़े उठाकर देखेंगे, तो पिछले बीस साल में सबसे ज्यादा जनसंख्या हमारे देश की बढ़ी है. सबसे ज्यादा बच्चे हमारे हुए हैं. लेकिन हम बात नहीं करेंगे भाई और ना ही टीवी पर दिखाएंगे. अगर आप एक रियलिस्टिक फिल्म में काम करते हैं, तो यह दिखाना पड़ेगा.

अंकिता आपको लेकर पजेसिव रहती हैं. क्या आप भी उन्हें लेकर पजेसिव हैं?
देखिए हम लोग चाहे कुछ भी बोल लें, लेकिन साइकॉलोजिकली हम सब इनसिक्योर्ड हैं. हम लोगों को एक चीज चाहिए होती है- सिक्योरिटी. वह हमें कभी लगता है कि जॉब से आ सकती है, तो हम हर वह काम करते हैं, जो वह जॉब बचाने में मदद करे. कुछ लोगों को लगता है कि किसी रिश्ते से आ सकती है, तो हम उसको पकडक़र रखते हैं. लेकिन साइकॉलोजिकल सिक्योरिटी मिलती नहीं है. यह ह्यïूमन नेचर है. कभी मेरे काम के बीच में अंकिता का पजेसिव नेचर नहीं आता. दूसरी बात कि अगर वह मेरे लिए पजेसिव न हों, तो मेरे लिए चिंता की बात होगी कि अरे यार, ये कैसी लडक़ी है कि मेरे लिए पजेसिव नहीं है. पजेसिव तो होना ही चाहिए. अगर मुझे मेरा काम पसंद है, तो मैं इसे लेकर पजेसिव हूं. अगर यह हाथ से चला गया, तो मेरा क्या होगा. अंकिता के साथ मैं इसलिए हूं या इसलिए जिंदगी बीतना चाहता हूं, क्योंकि वो मुझे अच्छी तरह से जानती और समझती हैं. वह मुझे साइकॉलोजिकली सिक्योर लगती हैं. इसलिए मैं पजेसिव हूं.

आपके हिसाब से परिनीती चोपड़ा और वाणी कपूर में से कौन बेटर एक्टर है?
दोनों में तुलना नहीं होनी चाहिए. दो इंसान, जिनका बैकग्राउंड फिल्म का नहीं है, वह यशराज की फिल्म कर रही हैं, मनीष शर्मा डायरेक्ट कर रहे हैं, तो उनमें कोई तो बात होगी. परिनीती बहुत कॉन्फिडेंट और स्पॉनटेनियस हैं. जब आप उनके साथ एक्ट कर रहे होते हैं, तो आपको इतना पता होता है कि अगर आप बीच में इंप्रॉवाइज भी करेंगे, तो वह उसी पर रिएक्ट करेंगी. वह उस लेवल तक तैयार रहती हैं. परिनीती के साथ एक्शन-रिएक्शन पर खेलते हैं. वाणी की बात करें, तो उनकी बिल्कुल ही फॉर्मल ट्रेनिंग नहीं है. थिएटर नहीं किया, टीवी नहीं किया है. जब मैं पहली बार टीवी में काम करने गया था, तो मुझसे लाइन नहीं बोली जा रही थी. कैमरा सामने रखा था, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. मुझे लगा कि वाणी के साथ भी ऐसी प्रॉब्लम होगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. उन्हें सारी लाइनें याद थीं. वह घबराई नहीं. ये चीजें मुझमें नहीं हैं. मैंने बहुत मेहनत की, तब जाकर आज इस तरह की स्पॉनटेनिटी लाने की कोशिश कर पाता हूं.

आदित्य चोपड़ा के साथ पहली मीटिंग याद है?
बिल्कुल याद है. उसे कौन भूल सकता है. जब मैं उनसे मिलने गया, तो शुरू में कुछ समय तक मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. मैं उन्हें सिर्फ देख रहा था. ऐसे पल में, आप खुद को यह समझा रहे होते हैं कि यह सब सच में हो रहा है. फिर धीरे-धीरे आवाज सुनाई पडऩे लगती है. उन्होंने शुद्ध देसी रोमांस के बारे में कहा. उन्होंने मेरा काम देखा है पहले और उनको लगता है कि मैं एक अच्छा एक्टर हूं. लेकिन उन्होंने कहा कि अंतिम फैसला राइटर जयदीप वर्मा और डायरेक्टर मनीष शर्मा लेंगे. आपको ऑडिशन देना पड़ेगा. मेरे लिए इतना ही बहुत था.

आपको आदित्य चोपड़ा कैसे इंसान लगे? उनके व्यक्तित्व को आप कैसे परिभाषित करेंगे?
वह बहुत अच्छे फिल्ममेकर हैं. उन्हें पता है कि वह क्या कर रहे हैं. उनके दिमाग में क्लैरिटी है कि उन्हें क्या काम चाहिए. वह समझते हैं कि कौन कितना काबिल है और क्या कर सकता है. और अगर कोई अपने आपको काबिल समझता है और उसकी पोटेंशियल ज्यादा है, तो उसको रियलाइज करवाना कि तुम्हारी पोटेंशियल इसलिए ज्यादा है और ये करो, तो और भी ज्यादा हो जाएगा. इतना सपोर्टिव हैं. आप दूर की देख सकते हैं. आप वो चीजें सोच सकते हैं, जिसकी आम तौर पर लोग कल्पना भी नहीं कर पाते उस समय में.

क्या यह कह सकते हैं कि टीवी में आपकी मार्गदर्शक एकता कपूर थीं और अब फिल्म में आदित्य चोपड़ा हैं?
देखिए, हर बात घूम-फिर कर यहां आ जाती है कि आप कैमरे के सामने क्या करते हैं. अगर मैंने कैमरे के सामने अच्छी एक्टिंग करना बंद कर दी, तो फिर कोई भी आपको काम नहीं देगा. चाहे वह आपका मेंटर हो या कोई भी हो. मैं बहुत लकी हूं कि मैं इनके साथ काम कर रहा हूं. लेकिन वहीं, कल इस चीज को मैं हल्के से लेने लगूंगा कि चलो, ये लोग मुझे बैक कर रहे हैं, तो मैं बैठकर रिलैक्स करने लगूं, तो ऐसे काम नहीं चल सकता.

क्या आज आदित्य चोपड़ा के साथ आपके ऐसे संबंध हैं कि आप फोन उठाकर उनसे राय ले सकते हैं?
जी हां, बिल्कुल. उन्होंने खुद कहा है कि यशराज की फिल्म हो या बाहर की फिल्म, सारा डिसीजन तुम्हारा होगा. अगर तुम मुझसे पूछना चाहते हो कि सर, क्या करना चाहिए, तो वह तुम मुझसे कभी भी पूछ सकते हो. लेकिन मैं तुम्हें कभी नहीं कहूंगा कि ऐसा करो या ऐसा मत करो. मैं उनसे राय लेता हूं.

फराह खान की फिल्म हैप्पी न्यू ईयर में अंकिता काम करने वाली थीं, लेकिन अब वो उसका हिस्सा नहीं हैं. क्या वजह रही?
बातें चल रही थीं. बहुत सी चीजें थीं, जो वर्कआउट नहीं हो सकीं. काय पो चे से लेकर अब तक मेरे साथ पच्चीस फिल्मों की बातें चलीं, लेकिन चीजें वर्कआउट हुई नहीं. तो बातें होती रहती हैं.

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