Monday, April 28, 2014

मेरी ख्वाहिश पूरी हो गई- कार्तिक आर्यन

कार्तिक आर्यन से रघुवेन्द्र सिंह यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि शोमैन सुभाष घई का हीरो बनने के बाद एक कलाकार के जीवन में क्या परिवर्तन आता है
प्यार का पंचनामा और आकाशवाणी के बाद कार्तिक आर्यन ने एक लंबी छलांग मारी. वह सीधे शोमैन सुभाष घई की नजर के तारे बन गए. आकाशवाणी का ट्रेलर देखने के बाद सुभाष घई ने तय कर लिया कि उनकी फिल्म कांची का बिंदा कोई और नहीं, केवल कार्तिक ही बनेंगे. कार्तिक जैसे एक नवोदित अभिनेता के लिए यह हर्ष का विषय है. सुभाष घई एक महान फिल्मकार हैं. उनके नायकों की एक शानदार परंपरा रही है. दिलीप कुमार, राजकुमार, अनिल कपूर, शाहरुख खान, ऋतिक रोशन, सलमान खान... मुझे खुशी इस बात की है कि इस गौरवशाली लिस्ट में अब मेरा नाम भी शामिल हो गया है. मैं उनकी फिल्में देखकर बड़ा हुआ हूं. हर कलाकार का सपना होता है कि वह यश चोपड़ा और सुभाष घई के साथ करे. मेरी सुभाष जी के साथ काम करने की ख्वाहिश पूरी हो गई. करियर के आरंभ में ही कांची जैसी एक महिला प्रधान फिल्म चुनना अपने आपमें साहस की बात है. इस फैसले के बारे में कार्तिक कहते हैं, जब सुभाष जी ने मुझसे कहा कि फिल्म का नाम कांची है, तो मेरे मन में सवाल उठा कि इसका टाइटल कांचा क्यों नहीं है (हंसते हैं). उन्होंने मुझे समझाया कि कांची के किरदार को आपका किरदार मजबूत बनाता है. अगर मैं आपके किरदार को स्ट्रॉन्ग नहीं बनाऊंगा, तो फिल्म कमजोर बन जाएगी. वह बात मेरे दिमाग में बैठ गई. मेरा मानना है कि किसी फिल्म में छोटा और स्ट्रॉन्ग रोल करना हमेशा किसी फिल्म में लंबा और बेअसरदार रोल करने से बेहतर होता है.
कार्तिक के लिए कांची एक रोमांचक अनुभव रहा. इस फिल्म ने उन्हें इंडस्ट्री के उन साहसिक फिल्मकारों के साथ काम करने के लिए तैयार कर दिया, जो बिना स्क्रिप्ट के सेट पर काम करने में विश्वास करते हैं. बकौल कार्तिक, सुभाष जी की फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं होती. वह स्पॉनटेनिटी पर यकीन करते हैं. कई बार वह सेट पर मेरे सामने डायलॉग लिखते थे और मुझसे कहते थे कि चलो, इसे बोल दो. इस प्रक्रिया में मुझे शुरू में दिक्कत हुई, लेकिन मैंने एक कलाकार होने के नाते इसे चुनौती की तरह लिया. सुना है कि बहुत सारे फिल्ममेकर बिना स्क्रिप्ट के काम करते हैं. सुभाष जी ने मुझे उस माहौल में काम करने के लिए अभी से तैयार कर दिया है.
इस उपलब्धि और हर्षोल्लास के बीच कार्तिक को अपने भविष्य की फिक्र है. दरअसल, हर फिल्म से एक कलाकार का करियर दांव पर लगा होता है और जब एक कलाकार गैर फिल्मी पृष्ठभूमि से आता है, तो उसे हर कदम फूंक-फूंककर रखना पड़ता है. कांची कार्तिक के करियर को क्या मोड़ देगी, इसके बारे में फिलहाल वह सोचना भी नहीं चाहते. कांची का नसीब जो भी हो... एक्टर के तौर पर मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा हूं. मैं खुश हूं. मैं इक्कीस साल का था, जब मैंने प्यार का पंचनामा शूट कर दी थी. मैं अभी बहुत यंग हूं. इस हिसाब से मेरे पास बहुत टाइम है. हम सबको यह लगता है कि किसी बड़े फिल्मकार की फिल्म का हीरो बनने के बाद एक अभिनेता का जीवन बदल जाता है, मगर हकीकत कुछ और होती है. कार्तिक इन दिनों एक ओर कांची का प्रचार कर रहे हैं, तो दूसरी ओर अगली फिल्म चुनने की कश्मकश में हैं. हर रोज वक्त निकालकर वह लोगों से मिलते हैं और तलाशते हैं कि अगला कदम क्या उठाया जाए. ताज्जुब की बात है कि चॉकलेटी चेहरा होने के बावजूद उन्हें अब तक यशराज फिल्म्स और धर्मा प्रोडक्शंस से फोन नहीं आया. हालांकि उनकी पहली ही फिल्म प्यार का पंचनामा बेहद चर्चित हुई थी. मुझे इसकी वजह पता नहीं. मैं यशराज और धर्मा के हीरो के तौर पर पहचाना जाना चाहता हूं, लेकिन शायद अब तक इन लोगों की मुझ पर नजर नहीं पड़ी है. मैं उस पल का इंतजार कर रहा हूं, जब इन प्रोडक्शन हाउस से मुझे बुलावा आएगा.
कार्तिक ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं. उनकी मम्मी (माला तिवारी) और पापा (मुनीश तिवारी) पेशे से डॉक्टर हैं. उनकी इच्छा थी कि कार्तिक भी डॉक्टर बनें, लेकिन कार्तिक के अपने कुछ सपने थे. इन सपनों को पूरा करने के लिए कार्तिक पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. मुंबई की महंगी और मुश्किल भरी जिंदगी का सामना वह अकेले डटकर कर रहे हैं. यहां जीवन जीना बहुत मुश्किल है. मैं अपना खर्च खुद चला रहा हूं. हम सब जानते हैं कि एक न्यूकमर को इंडस्ट्री में कितना मेहनताना मिलता है. जैसे-जैसे आप बड़े एक्टर बनते हैं, आपकी कमाई बढ़ती है, लेकिन आपका खर्च भी दोगुना होता जाता है. एक एक्टर का अच्छा दिखना बहुत जरूरी होता है. उसे अच्छी जगह रहना पड़ता है. यह सब मेंटेन करना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है.
इंडस्ट्री इन दिनों पूरी तरह प्रोफेशनल हो चली है. मैनेजर और पब्लिसिस्ट एक एक्टर के प्रोफेशन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं. यह एक एक्टर के करियर को बनाने और संवारने में आजकल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लेकिन इनका चुनाव करना अपने आपमें एक बड़ी चुनौती है. खासकर जब आपका मार्गदर्शन करने के लिए कोई न हो. कार्तिक इन चुनौतियों से अकेले जूझ रहे हैं. कभी-कभी उन्हें लगता है कि काश, इस इंडस्ट्री में उनकी जान-पहचान का कोई अनुभवी व्यक्ति होता, तो शायद उनकी राह आसान बन जाती. आप फिल्म इंडस्ट्री के बाहर से आते हैं, तो इस समस्या से आपको जूझना पड़ता है. मुझे कभी-कभी समझ में नहीं आता है कि मैं जो फैसला ले रहा हूं, वह सही साबित होगा या नहीं. मुझे गाइड करने के लिए इस इंडस्ट्री में कोई नहीं है.
कार्तिक भाग्यशाली रहे कि फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखते ही निर्माता कुमार मंगत की कंपनी ने उनके साथ तीन फिल्म का अनुबंध साइन कर लिया. इस साल के अंत तक वह कुमार मंगत की तीसरी फिल्म की शूटिंग शुरू करेंगे. इसकी औपचारिक घोषणा जल्द होगी. कार्तिक ने फैसला किया है कि अब वह विज्ञापन फिल्में भी करेंगे. हाल में, उन्होंने एक कमर्शियल की शूटिंग भी की है. कार्तिक कहते हैं, मैंने सोच लिया है कि नई-नई संभावनाएं तलाश करूंगा. खुद को किसी दायरे में सीमित नहीं रखूंगा. मगर एक्टिंग हमेशा मेरी प्राथमिकता रहेगी. मेरी कोशिश रहती है कि मैं एक्टिंग हमेशा करता रहूं. जब मैं फिल्म नहीं करता हूं, तो एक ट्यूटर ढूंढ़ लेता हूं, जो मुझे कुछ नया सिखाए. मैं जिम छोड़ सकता हूं, डांस करना छोड़ सकता हूं, लेकिन एक्टिंग कभी नहीं. इस वक्त आपके सामने भी मैं एक्टिंग ही कर रहा हूं (हंसते हैं). 


इनके साथ काम करने का इच्छुक हूं...
अनुराग कश्यप
इम्तियाज अली
विकास बहल