Friday, February 27, 2009

अब टेंशन बहुत है: इमरान हाशमी/ बचपन

इमरान हाशमी मुंबई में पले-बढ़े हैं। नन्हीं उम्र में वे बहुत शैतान थे। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि वे बड़े होकर अभिनेता बनेंगे। उनकी पहली फिल्म 'फुटपाथ' वर्ष 2003 में प्रदर्शित हुई। अब उनकी पहचान लोकप्रिय एवं सफल अभिनेता की है। इमरान सप्तरंग के पाठकों को बता रहे हैं अपने बचपन की नटखट बातें-
[शैतान बच्चा था]
मेरा बचपन बेहद खुशनुमा माहौल में बीता है। मैं अपने मम्मी-पापा का इकलौता बेटा हूं। नन्हीं उम्र से ही मेरी हर सुख-सुविधा का ख्याल रखा जाता रहा। मैं बचपन में जिस चीज की मांग करता था वह तुरंत मेरे सामने लाकर रख दी जाती थी। सबके लाड़-प्यार की वजह से मैं बिगड़ गया था। मैं घर का सबसे शैतान बच्चा था।
[मुस्कान थी ढाल]
मैं घर का ही नहीं, बिल्डिंग का भी सबसे शरारती बच्चा था। एक बार मैंने बिल्डिंग के पिछवाड़े में आग लगा दी थी। फायर ब्रिगेड बुलानी पड़ी थी। पता है? उतनी बड़ी घटना के बावजूद मुझे मार नहीं पड़ी। मैं मासूम मुस्कुराहट से सबका दिल जीत लेता था। लाख शरारतों के बाद भी कभी मुझ पर किसी ने हाथ नहीं उठाया।
[शामिल था टॉप टेन में]
मुझे पढ़ना अच्छा नहीं लगता था। सच कहूं तो मैंने दिल लगाकर कभी पढ़ाई नहीं की, लेकिन मेरे मा‌र्क्स कभी शर्मिन्दगी वाले नहीं आए। मैं अपनी हर कक्षा में टॉप टेन में आता था। मैं अपने मम्मी-पापा के पैसे की इज्जत करता था। उसी बात का ध्यान रखकर मैं थोड़ी-बहुत पढ़ाई कर लेता था। खेल में मुझे क्रिकेट और फुटबाल पसंद था। दोस्तों के साथ मैं यही दोनों खेल खेलता था।
[अभी नहीं हुआ बड़ा]
मुझे नहीं लगता कि मैं अभी बड़ा हुआ हूं। हां, बचपन की ईमानदारी और सच्चाई अब मुझमें नहीं रही। अब दिल भी साफ नहीं रहा। सच कहूं तो बचपन के दिन सबसे अच्छे थे। अब टेंशन बहुत है। बचपन के बिंदास दिनों को मैं मिस करता हूं।
[सम्मान और अनुशासन सीखें]
बचपन में सब सोचते हैं कि जल्दी से स्कूल की पढ़ाई खत्म हो जाए, फिर कॉलेज जाएं। हम सभी जल्दी से बड़ा होना चाहते हैं। मैं बच्चों से कहना चाहूंगा कि वे जिन दिनों को जल्दी से बिता देना चाहते हैं, वहीं जिंदगी के सबसे बेहतरीन दिन हैं। उन्हें एंज्वॉय करें। बड़ों की इज्जत करना और अनुशासित जीवन जीना सीखें।
[रघुवेंद्र सिंह]

Thursday, February 26, 2009

हर फिल्म है दिल के करीब: रेहान खान | मुलाकात

अभिनेता रेहान खान ने 2006 में रोमांटिक फिल्म जाना -लेट्स फॉल इन लव से ऐक्टिंग व‌र्ल्ड में रखा था। उसके बाद वे फिल्म आवारापन में मेहमान भूमिका में दिखे। अब रेहान की अंजुम रिजवी निर्मित फिल्म फास्ट फारवर्ड आएगी। वे इसमें मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। लेखक-निर्देशक शाहरुख मिर्जा के बेटे हैं रेहान, जिन्होंने कसमें वादे और धनवान जैसी लोकप्रिय फिल्में लिखी थीं। पिछले दिनों रेहान से बातचीत हुई। प्रस्तुत हैं, उसके अंश..
फास्ट फारवर्ड किस तरह की फिल्म है?
यह डांस की लोकप्रिय विधा हिप-हॉप पर आधारित है। कहानी दो डांस ग्रुप की है। एक अमीर लड़कों का सिद एन ग्रुप है और दूसरा गरीब लड़कों का ऋषि एन है। अलग फेम अक्षय कपूर इसमें सिद्धार्थ की भूमिका में हैं। मैं इसमें मुंबई के नाला सोपारा इलाके में रहने वाले युवक ऋषि की भूमिका निभा रहा हूं, जो गरीब है। ऋषि गुमनामी के अंधेरे से कैसे चमकती दुनिया का हिस्सा बनता है, यह एक दिलचस्प किस्सा है। फिल्म का खास आकर्षण हिप-हॉप डांस है। इसमें विनोद खन्ना और महेश मांजरेकर भी हैं। इसमें मेरे अॅपोजिट कोई हीरोइन नहीं है। बस कुछ पल के लिए मुझे अंजना सुखानी का साथ मिला है।
हिप-हॉप डांस की मुश्किल विधा है। क्या आपने इसका प्रशिक्षण लिया था?
हमारी ट्रेनिंग के लिए अमेरिका से डांस टीचर बुलाए गए थे। वाकई हिप-हॉप बहुत मुश्किल डांस है। ट्रेनिंग के दौरान मुझे बहुत परेशानी हुई। मैंने श्यामक डावर से डांस सीखा है। उनसे डांस सीखने का मेरा अनुभव सुखद रहा। हिप-हॉप हमारे लिए चुनौती थी।
इस फिल्म को अपने करियर के लिए कितना महत्वपूर्ण मानते हैं?
यह फिल्म मेरी पहली फिल्म की तरह बेहद खास है। वैसे, मैं हर फिल्म को दिल के करीब रखता हूं, लेकिन इन दिनों छोटी-छोटी फिल्में करके आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा हूं। मेरे पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं। मेरे पिता आज होते, तो मुझे आगे बढ़ते देख कर बहुत खुश होते। वे चाहते थे कि मैं बड़ा ऐक्टर बनूं। सच तो यह है कि यदि फिल्म सफल होती है, तो निश्चित ही मेरे करियर को लाभ मिलेगा।
आप संगीत सिवन की क्लिक और कबीर सदाना की फिल्म तुम मिलो तो सही भी कर रहे हैं?
हां। संगीत की फिल्म में मैं मेहमान भूमिका में हूं। उसमें श्रेयस तलपड़े मुख्य भूमिका में हैं। संगीत मेरे मित्र हैं, इसलिए मैंने उनकी फिल्म की। कबीर की तुम मिलो तो सही में मैं मुख्य भूमिका में हूं। यह एक रोमांटिक फिल्म है। उसमें नाना पाटेकर, डिंपल कपाडि़या, सुनील शेट्टी, विद्या मालवदे और अंजना सुखानी भी अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे।
फास्ट फारवर्ड में विनोद खन्ना और कबीर की फिल्म में नाना पाटेकर, डिंपल कपाडि़या और सुनील शेट्टी जैसे सीनियर कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
सब में एक बात समान थी कि ये जैसे दिखते हैं, हकीकत में वैसे हैं नहीं। नाना गुस्सैल दिखते हैं, लेकिन वे नरमदिल इनसान हैं। सीनियर कलाकारों में बड़प्पन साफ झलकता है। सभी ने मुझे प्रोत्साहित किया। मैं लकी हूं कि मुझे करियर के शुरुआती दिनों में ही इन कलाकारों के साथ काम करने का अवसर मिला।
इनके अलावा कोई और फिल्म भी कर रहे हैं?
कबीर सदाना से बात चल रही है। उनकी अगली फिल्म में मैं नजर आऊंगा। इस साल एक के बाद एक मेरी सभी फिल्में प्रदर्शित होंगी। यदि उनमें मेरे काम की सराहना हुई, तो निश्चित ही कुछ और फिल्में साइन करूंगा।
-रघुवेंद्र सिंह

Saturday, February 21, 2009

हमेशा आता था मेरिट लिस्ट में नाम: हरमन बावेजा/बचपन

फिल्मकार हैरी बावेजा के लाड़ले बेटे हरमन ने बचपन में ही तय कर लिया था कि उन्हें बड़ा होकर एक्टर बनना है। वे इस लक्ष्य के प्रति निरंतर प्रयासरत रहे और आज उनकी गिनती नयी पीढ़ी के उभरते अभिनेताओं में की जाती है। हरमन ने यह पहचान फिल्म 'लव स्टोरी 2050' और 'विक्ट्री' से हासिल की है। फिल्मी गलियारे में पले-बढ़े हरमन इस स्तंभ में बता रहे हैं अपने नटखट बचपन के बारे में-
[दुलारा रहा मम्मी-पापा का]
मैं बचपन में ज्यादा शरारती नहीं था। मेरी बहन रोवेना बहुत शरारतें करती थी। सच कहूं तो मेरे हिस्से की शरारत भी वही करती थी। यही वजह है कि मार भी उसको ही पड़ती थी। मैं मम्मी-पापा का अच्छा बच्चा था। वे मुझे खूब दुलार करते थे। मेरी हर इच्छा को पूरा करते थे। मम्मी-पापा ने कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाया। उन्होंने हमेशा मुझे प्यार ही किया और मैंने भी उनके लाड़-प्यार का कभी नाजायज फायदा नहीं उठाया। मैंने उन्हें कभी शिकायत का मौका नहीं दिया। मैं आज भी मम्मी-पापा का लाड़ला हूं।
[पढ़ाई में होनहार था]
मैं पढ़ने में बहुत तेज था। गणित मेरा मनपसंद विषय था। मेरा नाम मेरिट लिस्ट में हमेशा आता था। उसके लिए स्कूल-कॉलेज से लेकर घर तक मुझे वाहवाही मिलती थी। मम्मी-पापा और रोवेना सब मेरा उत्साह बढ़ाते थे। मैं खेलकूद में भी समान रूप से तेज था। यही वजह है कि मेरी बॉडी इतनी फिट है। मैंने अब तक जो काम किए हैं, उनमें हमेशा अव्वल रहा हूं। अब एक्टिंग में भी वही मुकाम बनाना चाहता हूं।
[कमाल के दिन थे बचपन के]
मैं बचपन के दिनों को बहुत मिस करता हूं। वे दिन कमाल के होते थे। न तो काम की टेंशन होती थी और न ही किसी तरह की जिम्मेदारी होती थी। लवस्टोरी 2050 के प्रदर्शन के बाद मुझे पहली बार लगा कि अब मैं बड़ा हो गया हूं। अचानक मुझे अपनी जिम्मेदारियों का अहसास होने लगा। दरअसल लवस्टोरी 2050 के प्रदर्शन के पहले मैं सिर्फ मम्मी-पापा का बेटा था, लेकिन उसके बाद दुनिया की नजर मुझ पर टिक गयी। मैंने एक-एक कदम फूंक कर रखना शुरू कर दिया।
[खूब खेलें और खूब पढ़ें]
बड़े होने के अपने फायदे हैं, लेकिन बचपन की बात निराली है। मैं बच्चों से यही कहूंगा कि वे जल्दी बड़े होने की न सोचें। खूब खेलें और दिल लगाकर पढ़ाई करें। हां, शैतानी करने से बचें। बचपन के हर पल को एंज्वॉय करें, क्योंकि वह मजा फिर जिंदगी के किसी पड़ाव में नहीं मिलता। मम्मी-पापा की छांव का भरपूर लुत्फ उठाएं। उनकी बातों को ध्यान से सुनें क्योंकि वही बातें बाद में जिंदगी के सफर में काम आती हैं। कुछ ऐसा काम करें कि आपके मम्मी-पापा का सिर गर्व से ऊंचा उठ जाए।
[रघुवेंद्र सिंह]

Thursday, February 19, 2009

तमिल व तेलुगू में बनेगी ए वेडनसडे | खबर

मुंबई। लोकप्रिय अभिनेता एवं फिल्म-निर्माता कमल हसन हिन्दी भाषा की सफल फिल्म ए वेडनेसडे का तमिल और तेलगू वर्जन बनाने जा रहे हैं। कमल हसन ने यह जानकारी मुंबई में चल रहे फिक्की फ्रेम्स 2009 में दी। वे यहां फोकस ऑन साउथ सेमिनार में हिस्सा लेने आए थे। उन्होंने ए वेडनेसडे के निर्माताओं से फिल्म के अधिकार खरीद लिए हैं। कमल हसन के अनुसार, ए वेडनेसडे के तमिल और तेलगू वर्जन में नसीरूद्दीन शाह वाली भूमिका मैं स्वयं करूंगा। मुझे इस फिल्म का विषय बहुत अच्छा लगा और साथ ही, इसने बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छा व्यवसाय किया। हम इसे नए निर्देशक के साथ बना रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कमल हसन ने कुछ वर्ष पूर्व गोविंद निहलानी की लोकप्रिय फिल्म द्रोहकाल का भी तमिल वर्जन बनाया था। अगले वर्ष कमल हसन अभिनय के पचास वर्ष पूरे कर रहे हैं। कमल कहते हैं, अगले वर्ष एक्टिंग में मेरे पचास वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, मैं इस मौके को सेलिब्रेट करूंगा। अपने प्रशंसकों और दर्शकों का शुक्रिया अदा करूंगा और एक नई ऊर्जा के साथ पुन: अभिनय की दुनिया में रम जाऊंगा।
-रघुवेन्द्र सिंह

अब छोटे बजट की फिल्में बनाएंगे करण | खबर

मुंबई। लार्जर देन लाइफ सिनेमा के लिए प्रसिद्ध युवा फिल्मकार करण जौहर अब छोटे बजट की फिल्मों का निर्माण करेंगे। बुधवार को फिक्की फ्रेम्स 2009 में द नेक्स्ट बिग थिंग इन फिल्म एंड टेलीविजन विषय पर आधारित सेमीनार में करण जौहर ने कहा, हर व्यवसाय की भांति हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर भी आर्थिक मंदी का असर पड़ा है। इससे उबरने का सबसे अच्छा तरीका छोटे बजट की फिल्मों का निर्माण करना है।
हाल में पांच-छह करोड़ रुपये की लागत से बनी ए वेडनेसडे, ओए लकी लकी ओए और फिल्म देव डी की बॉक्स ऑफिस सफलता ने निर्माताओं के लिए आशा की नई किरण दिखा दी है। मैं स्वयं अब छोटे बजट की फिल्मों का निर्माण करने जा रहा हूं। मैं नए निर्देशकों और नए कलाकारों के साथ फिल्में बनाने की योजना बना रहा हूं। मुझे लगता है कि 2009 में छोटे बजट की फिल्मों के बाजार का विस्तार होगा।
ज्ञात हो, करण जौहर आजकल शाहरुख खान और काजोल के साथ फिल्म माई नेम इज खान बना रहे हैं। शाहरुख खान की अस्वस्थता की वजह से उनकी फिल्म की शूटिंग रूकी हुई है। करण जौहर ने आगे कहा, अब फिल्म निर्माता एवं कॉरपोरेट कंपनियां बहुत सोच-समझकर पैसे खर्च कर रहे हैं। मेरे होम प्रोडक्शन की अयान मुखर्जी निर्देशित फिल्म वेक अप सिद बड़े बजट की फिल्म नहीं है। भले ही उसमें रणबीर कपूर और कोंकणा सेन शर्मा जैसे कलाकार हैं।
-रघुवेंद्र सिंह

Wednesday, February 18, 2009

धमाकेदार वापसी करूंगी: नौहीद | मुलाकात

अभिनेत्री नौहीद सायरसी अपने बीते कल से भले ही नाखुश हैं, लेकिन वे अपने आने वाले कल को लेकर काफी उत्साहित हैं। वे वर्ष 2009 को अपने लिए बेहद लकी मान रही हैं। दरअसल, फिल्म किसान के बाद उन्होंने हाल में सोहेल खान प्रोडक्शन की एक और फिल्म साइन की है। नौहीद के मुताबिक, इतना ही नहीं, मैंने करण जौहर के प्रोडक्शन की भी एक फिल्म साइन की है। हाल में नौहीद की फिल्म आसमां आई थी। पिछले दिनों तरंग ने किए उनसे तीन सवाल।
पिछली सभी फिल्मों की तरह आपकी नई फिल्म आसमां भी बॉक्स-ऑफिस पर असफल हो गई। इसकी आप क्या वजह मानती हैं?
मैं फिल्में सोच-समझकर साइन करती हूं। अच्छी फिल्मों के लिए ही हां करती हूं। पता नहीं, कैसे वे बॉक्स-ऑफिस पर फ्लॉप हो जाती हैं। शायद मेरा नसीब ही अच्छा नहीं है। अब तक का सफर बिल्कुल अच्छा नहीं रहा। मैं पीछे पलटकर देखती हूं, तो निराशा होती है, लेकिन हिम्मत नहीं हारूंगी। मैं धैर्य के साथ काम कर रही हूं। देखती हूं, सफलता कब तक मुझसे भागती है!
पहले की अपेक्षा अब आप मीडिया के बीच कम रहती हैं। ऐसा क्यों?
अब मैं अपने काम पर ध्यान देने लगी हूं। दरअसल, पहले मैं बहुत बढ़-चढ़कर बात करती थी और बाद में मुझे पछताना पड़ता था। मेरी बातें जब सच नहीं होती थीं, तो निराशा होती थी। बेवजह चर्चा में रहने से नुकसान होता है। प्रशंसकों के बीच छवि खराब होती है, सो अलग इसीलिए मैंने तय किया है कि अब सिर्फ काम के सिलसिले में ही मीडिया से बात करूंगी। लोग काम से पहचानें, तो ज्यादा अच्छा लगेगा।
अभिनय में अपने भविष्य को कितना उज्ज्वल देखती हैं?
मेरा आने वाला कल बहुत सुनहरा और सुखद होगा। मैंने सोहेल खान प्रोडक्शन की दो फिल्मों के साथ ही करण जौहर के होम प्रोडक्शन की भी एक फिल्म साइन की है। आजकल उसी फिल्म की शूटिंग कर रही हूं। इन से अलग मैं गौतम अधिकारी की लव का तड़का और ईशान त्रिवेदी की बैचलर पार्टी भी कर रही हूं। इन फिल्मों से मैं धमाकेदार तरीके से वापसी करूंगी। मेरी आने वाली फिल्में मुझे अलग पहचान देंगी। मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगी। लोग मेरा काम देखेंगे।
-रघुवेंद्र सिंह

Monday, February 16, 2009

मैं कल्याणी जैसी नहीं हूं: सुरेखा सिकरी

बालिका वधु की परंपरावादी और रूढि़वादी विचारों वाली कल्याणी दादी का गुस्सा जब फूटता है तो मासूम आनंदी, जगदीश एवं गहना के साथ ही, टीवी से चिपक कर बैठे हजारों दर्शक भी सहम जाते हैं। चंद मिनट बाद वही कल्याणी दादी जब मुस्कुराती है तो सबके चेहरे पर भी हल्की सी मुस्कान दौड़ जाती है। यह असर देसी लिबास में सजी-धजी छोटे पर्दे की कल्याणी दादी का है। सुरेखा को गोविंद निहलानी की तमस और श्याम बेनेगल की फिल्म मम्मो में सराहनीय अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
बालिका वधु साइन करते समय क्या आपको अनुमान था कि यह सीरियल इस कदर लोकप्रिय होगा?
मुझे नहीं लगा था कि बालिका वधु इतना बड़ा हिट साबित होगा। मेरे पास जब सीरियल का प्रस्ताव आया और मैंने कल्याणी की भूमिका के बारे में सुना तो मुझे यह अलग और दमदार लगी। मैंने अपने लंबे करियर में निगेटिव भूमिका नहीं की थी। सो, मैंने हां कह दिया।
कल्याणी दादी की भूमिका निभाना कैसा लग रहा है?
मैंने अपने जीवन में अब तक ऐसी महिला नहीं देखी। कल्याणी देहाती है। उसकी सोच, बातचीत, पहनावा-ओढ़ावा, बैठने-उठने का तरीका अलग है। मैं कल्याणी को कल्पना के आधार पर जी रही हूं। सच कहूं तो मुझे इस भूमिका के लिए कोई तैयारी नहीं करनी पड़ती। सब अपने आप हो जाता है। अब लोग मिलते हैं तो कहते हैं कि आपके जैसी यानी कल्याणी जैसी मेरी नानी, दादी और सास हैं। ये सुनकर मुझे खुशी होती है। साथ ही डर भी लगता है कि मेरी भूमिका का किसी पर निगेटिव असर न पड़ जाए। मैं चाहूंगी कि लोग कल्याणी से अच्छी बातें सीखें।
क्या कल्याणी की तरह आप भी परंपरावादी सोच रखती हैं?
मैं कल्याणी जैसी नहीं हूं। मैं रीयल लाइफ में सीधी-सादी एक मामूली महिला हूं। हां, मुझे कल्याणी की कुछ बातें पसंद हैं और मैं उनसे निजी जीवन में सरोकार रखती हूं। मैं मानती हूं कि बच्चों को टीवी अधिक नहीं देखना चाहिए, उन्हें अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए और खूब खाना-पीना चाहिए। लड़कियों को घर के काम अच्छी तरह सीखने चाहिए। आज की लड़कियां करियर को ज्यादा महत्व देती हैं। वे घर का काम-काज नहीं सीखती हैं। यदि वे ये सब काम सीखेंगी तो उन्हीं का लाभ होगा।
2005 में आयी फिल्म जो बोले सो निहाल के बाद आप बड़े पर्दे पर नहीं दिखीं। क्या वजह है?
मैंने हॉलीवुड की फिल्म फैमिली पोर्टेट साइन की थी। पता नहीं क्यों वह फिल्म रिलीज नहीं हुई। उसके बाद अच्छी भूमिकाओं के प्रस्ताव ही नहीं मिले। मैं टीवी में व्यस्त हो गयी। अब बालिका वधु की लोकप्रियता के बाद मुझे अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिल रहे हैं। लेकिन इस वक्त मैं कोई फिल्म नहीं कर सकती, क्योंकि मैं एक समय में एक ही काम करना पसंद करती हूं।
आपके निजी जीवन के बारे में जानना चाहेंगे। यहां तक का सफर कैसे तय किया?
मेरा बचपन उत्तर भारत के कुमायूं में बीता। कुछ दिनों तक मैं अलीगढ़ में रही। अट्ठारह वर्ष की उम्र में दिल्ली आ गयी। 1968 में मैंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ग्रेजुएशन पूरा किया। दस वर्षो तक वहीं थिएटर में व्यस्त रही। मेरे काम की सराहना हुई तो टीवी और फिल्मों में काम करने के प्रस्ताव मिलने लगे। 1987 में मैं मुंबई आ गयी। यहां आने के बाद थिएटर से रिश्ता टूट गया। खुशकिस्मत रही, शुरुआती दिनों में ही गोविंद निहलानी और श्याम बेनेगल जैसे फिल्मकारों के साथ काम करने का मौका मिला। मेरा अब तक का सफर अच्छा रहा है।
थिएटर को मिस करती हैं? नए कलाकारों के लिए ट्रेनिंग कितनी आवश्यक है?
थिएटर का अनुभव मुझे टीवी एवं फिल्म में बहुत काम आया। थिएटर में काम करने के बाद कलाकार मंझ जाता है। उसे कहानी, भूमिका और अभिनय की समझ आ जाती है। टीवी में फटाफट शॉट देना पड़ता है। यहां रिहर्सल के लिए वक्त नहीं मिलता। थिएटर पृष्ठभूमि की होने की वजह से मैं अपने डायलॉग और सीन याद रख पाती हूं। मेरे मुताबिक ट्रेनिंग लेनी चाहिए। वहां आपको टेक्नीक सिखायी जाती है। मैं तो आज भी सीख रही हूं, बालिका वधु के अपने नन्हें कलाकार आनंदी और जगदीश से।
-रघुवेंद्र सिंह

अभी बहुत कुछ सीखना है : करन कुंदरा

करन कुंदरा एनडीटीवी इमेजिन पर प्रसारित हो रहे एकता के नए सीरियल कितनी मोहब्बत है में अर्जुन की केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं।
करन उत्साहपूर्वक कहते हैं, मैंने पिछले साल मिस्टर इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। वहां मैंने मिस्टर स्टाइल स्टेटमेंट का खिताब जीता। वहीं एक्टिंग व‌र्ल्ड से जुड़े कुछ लोगों से मुलाकात हुई, लेकिन वे संपर्क किसी काम न आए। एक दिन मैंने फेसबुक पर एकता कपूर की आईडी देखी। मैंने उन्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और उन्होंने स्वीकार कर लिया। उसके बाद मैंने अपनी फोटो भेजी। मुझे ताज्जुब उस वक्त हुआ जब बालाजी टेलीफिल्म से एकता कपूर की तरफ से मुझे मुंबई आने का आमंत्रण मिला।
उन्होंने पहली मुलाकात में मुझे कितनी मोहब्बत है में केंद्रीय भूमिका के लिए साइन कर लिया। मेरा ऑडिशन भी नहीं लिया। मेरे लिए सब कुछ सपने की तरह लग रहा था। मैंने यह खुशखबरी जब अपनी फैमिली को बतायी तो किसी को यकीन ही नहीं हुआ।
चौबीस वर्षीय करन कितनी मोहब्बत है में यंग स्टाइलिश ब्वॉय अर्जुन की भूमिका निभा रहे हैं। यह सीरियल प्रेम कहानी पर बना है। करन इसे अपना ड्रीम डेब्यू मानते हैं। वे कहते हैं, एकता कपूर के सीरियल से लांच पाकर मैं बेहद खुश हूं। यह अर्जुन और आरोही की अनूठी प्रेम कहानी है। खास बात यह है कि यह आज की पीढ़ी का सीरियल है। मैं इसमें मॉडर्न ब्वॉय अर्जुन बना हूं। मैं ऐसी ही भूमिका निभाना चाहता था। दरअसल, मुझमें और अर्जुन में काफी समानताएं हैं। मैं रीयल लाइफ में बहुत हंसता हूं जबकि अर्जुन बिल्कुल नहीं हंसता। हममें सिर्फ यही असमानता है। अर्जुन और आरोही की जोड़ी सबको पसंद आ रही है। इस सीरियल से मुझे इतनी जल्दी पहचान मिल जाएगी, मैंने कल्पना नहीं की थी।
चर्चा है कि करन को फिल्मों के ऑफर्स आ रहे हैं। इस संबंध में करन कहते हैं, इस वक्त मैं अपना ध्यान कितनी मोहब्बत है पर फोकस कर रहा हूं। मैं एक्टिंग में नौसिखिया हूं। अभी मुझे बहुत कुछ सीखना है। फिल्में करना लक्ष्य है, लेकिन फिलहाल मैं उस बारे में नहीं सोच रहा।
-रघुवेंद्र सिंह

Saturday, February 14, 2009

सच्चे प्यार की तलाश में जैकी-वैशाली | खबर

मुंबई। वासु भगनानी की फिल्म कल किसने देखा की लीडिंग जोड़ी जैकी भगनानी और वैशाली देसाई ने आज वैलेंटाइन डे एक साथ सेलीब्रेट किया। हालांकि वे दोनों इस बात से इंकार कर रहे हैं कि एक-दूसरे से प्रेम करते हैं।
वैशाली कहती हैं, मैं और जैकी सिर्फ अच्छे दोस्त हैं। एक साथ वैलेंटाइन सेलीब्रेट करने का तात्पर्य यह नहीं है कि हम एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। हां, हम दोनों फिल्म कल किसने देखा में जरूर एक-दूसरे के साथ जीने-मरने की कसमें खाते दिखाई देंगे। फिल्म में हमारे बीच गहरा रोमांस दिखाया गया है। मुझे रीयल लाइफ में सच्चे प्यार की तलाश है। नवोदित अभिनेता जैकी भगनानी कहते हैं, मैंने कल किसने देखा की शूटिंग के दौरान प्यार और रोमांस को करीब से महसूस किया। प्यार बिना जीवन कुछ नहीं है। मैं चाहता हूं कि मुझे सच्चा प्यार जल्दी से मिल जाए। जहां तक वैशाली के साथ प्रेम की बात है तो वह फिल्म में देखने को मिलेगा। रीयल लाइफ में हम सिर्फ दोस्त हैं।
गौरतलब है, जैकी भगनानी और वैशाली देसाई की पहली फिल्म कल किसने देखा आगामी तीन अप्रैल को प्रदर्शित हो रही है। यह रोमांटिक थ्रिलर है। विवेक शर्मा निर्देशित इस फिल्म में जैकी और वैशाली के अभिनय और केमिस्ट्री की अभी से खूब चर्चा हो रही है। जैकी और वैशाली को साल का बेस्ट रोमांटिक पेयर भी कहा जा रहा है।
-रघुवेंद्र सिंह

Friday, February 13, 2009

जीरो थी मैं खेलकूद में: रीमा सेन

फिल्मजगत में सफलता की सीढि़यां चढ़ रही अभिनेत्री रीमा सेन का बचपन कोलकाता में गुजरा। दक्षिण भारतीय फिल्मों में अभिनय का सिक्का जमाने के बाद वे वर्ष 2001 में मुंबई आयीं थीं। उसी साल फरदीन खान के साथ उनकी पहली हिंदी फिल्म 'हम हो गए आपके' प्रदर्शित हुई। इस फिल्म के बाद 'मालामाल वीकली' में अभिनय करने वाली रीमा अब एक नई हास्य फिल्म 'चल चला चल' में नजर आ रही हैं। इस स्तंभ में वे पाठकों को बता रही हैं अपने बचपन के बारे में-
[खूब की शरारतें]
मैं अपने परिवार में पहली बेटी थी, यही वजह है कि मुझे सबका खूब प्यार मिला। सबके बेपनाह प्यार ने मुझे शरारती बना दिया, हालांकि मेरी शरारतें कभी किसी की परेशानी का सबब नहीं बनीं। मैंने मम्मी-पापा को कभी तंग नहीं किया, इसलिए मुझे बचपन में मार भी नहीं पड़ी। मम्मी-पापा के पास कभी मेरी शिकायत भी नहीं आयी। मेरा बचपन छोटी बहन और दोस्तों के साथ बीता है। उनके साथ खेलना-कूदना और मस्ती करना मुझे आज भी याद है।
[पढ़ने में अच्छी थी]
मैंने कोलकाता में एक कान्वेंट स्कूल से पढ़ाई की। वहां बहुत सख्ती थी। उस स्कूल ने मुझे वक्त का पाबंद बनाया। मैं समय से स्कूल जाती थी और फिर घर वापस लौट आती थी। मैं पढ़ने में अच्छी थी। इतिहास मेरा पसंदीदा विषय था। मैं खेलकूद में जीरो थी। स्कूल के स्पोर्ट कांपटिशन में कभी हिस्सा नहीं लेती थी, दरअसल, पढ़ाई में मेरा मन अधिक लगता था।
[ढेरों सपने देखे]
मैं बचपन में बहुत सपने देखती थी। कभी सोचती थी कि बड़ी होकर डॉक्टर बनूंगी और कभी इंजीनियर, लेकिन सच कह रही हूं, मैंने अभिनेत्री बनने के बारे में कभी नहीं सोचा था। मेरा एक्टिंग में आना शायद ईश्वर ने ही तय किया था। मैं पढ़ाई कर रही थी, तभी मॉडलिंग के ऑफर आने लगे और जब मॉडलिंग में आयी तो एक्टिंग के ऑफर मिलने लगे। मुझे यह फील्ड आकर्षक लगी। अब मेहनत कर रही हूं और इस फील्ड में सम्मानित स्थान बनाने का प्रयास कर रही हूं।
[दिल से जिया बचपन]
मैंने बचपन के एक-एक पल को दिल से जिया है और जीवन के मौजूदा दौर को भी एंज्वॉय कर रही हूं। मैं आने वाले कल को लेकर बहुत उत्साहित रहती हूं और यह भी सोचती हूं कि बीते कल में शायद मेरे लिए कोई मजेदार चीज छुपी हो। आज के बच्चों में नैतिक मूल्यों और संस्कारों का अभाव साफ नजर आता है। मैं चाहूंगी कि वे अपने बड़ों से इन बातों को सीखें। मन लगाकर पढ़ाई करें और खेलकूद में हिस्सा लें। अच्छा इंसान बनें। बड़ों की इज्जत करना सीखें!
[रघुवेंद्र सिंह]

Wednesday, February 11, 2009

मेरी भूमिका बड़ी नहीं है-शाहरुख खान

शाहरुख खान इन दिनों फिल्म बिल्लू बार्बर, होम प्रोडक्शन के पहले कॉमेडी धारावाहिक घर की बात है को लेकर सुर्खियों में है। चर्चा तो उनके छोटे पर्दे पर उपस्थिति, फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर में होस्ट की भूमिका ठुकराने और बीते दिनों उनके और अमिर खान के साथ-साथ किसी फिल्म में अभिनय को लेकर भी खूब रही।
बिल्लू-बार्बर में नया अंदाज
होम-प्रोडक्शन की नयी फिल्म बिल्लू-बार्बर में शाहरुख दमदार भूमिका में होंगे। वे बताते है, बिल्लू-बार्बर दो दोस्तों की कहानी है। उसमें एक सुपरस्टार है और दूसरा नाई। मैं इसमें सुपरस्टार की भूमिका निभा रहा हूं। इस फिल्म को देखकर लोगों को कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की कहानी याद आ जाएगी। इसमें इरफान खान और लारा दत्ता मुख्य भूमिका में हैं। मेरी भूमिका इसमें ज्यादा बड़ी नहीं है।
निर्माण क्षेत्र में नया नहीं हूं
अचानक धारावाहिक निर्माण में आने निर्णय पर शाहरुख कहते है, मैं धारावाहिक निर्माण के क्षेत्र में अचानक नहीं आया हूं। मेरी प्रोडक्शन टीम पिछले तीन सालों से इस बारे में विचार कर रही थी। दरअसल, मैं अपनी कंपनी में कई सालों से काम कर रहे प्रतिभाशाली लोगों को नया काम करने और आगे आने का मौका देना चाहता था। मैं छोटे पर्दे पर सिनेमाई मूल्य लाना चाहता हूं। यह काम मैं रिएलिटी शो और सिटकॉम जैसे कार्यक्रमों के जरिए करूंगा। इतना तय है कि मैं एक तरह के कार्यक्रमों का निर्माण नहीं करूंगा। एनडीटीवी इमेजिन पर आगामी मार्च माह में मेरा एक रिएलिटी शो नाइट एंड एंजिल्स शुरू होगा।
मेहमान भूमिका में आयेंगे दोस्त
मेरे इस शो में समय-समय पर फिल्म एवं टीवी के सभी लोकप्रिय कलाकार नजर आएंगे। जूही चावला और श्रेयस तलपड़े ने हाल में शो के लिए शूटिंग की। बाकी लोगों के नाम की जानकारी मैं अभी नहीं दे सकता। यदि मेरी टीम मुझसे इस शो में मेहमान भूमिका करने के लिए कहेगी तो मैं जरूर करूंगा।
टीवी पर हो सकती है वापसी
छोटे पर्दे पर अपनी दोबारा उपस्थिति पर शाहरुख कहते है, मुझे कॉमेडी शो और प्रश्नोत्तर आधारित गेम शो बहुत अच्छे लगते हैं। मैं अभी स्टार प्लस के साथ केबीसी एवं क्या आप पंाचवीं पास से तेज हैं के अनुबंध में बंधा हूं। इन कार्यक्रमों के नए सीजन में मैं नजर आ सकता हूं।
कोई मलाल नहीं है
स्लमडॉग मिलियनेयर में गेम शो होस्ट की भूमिका ठुकराने के सवाल पर शाहरुख कहते है, मुझे कोई मलाल नहीं है। मैंने स्लमडॉग मिलियनेयर देखी है। वह कमाल की फिल्म है। अनिल कपूर ने उसमें गेम शो होस्ट की भूमिका को बहुत अच्छी तरह निभाया है। उम्मीद है कि मैं भी एक दिन वैसी फिल्म करूंगा, लेकिन उसके निर्माता-निर्देशक भारतीय होंगे और वह फिल्म पूरी तरह से भारत में बनी होगी और वह फिल्म भी ऑस्कर में जाएगी।

-रघुवेंद्र सिंह

मेरा मकसद है अच्छा काम करना/जय भानुशाली

जय भानुशाली जी टीवी के नए रिएलिटी शो डांस इंडिया डांस में एंकर की भूमिका में नजर आ रहे हैं। जय को इस बात की खुशी है कि उन्हें एक बार फिर कुछ नया करने का मौका मिला है। जय कहते है, एकता का सीरियल कयामत छोड़ने के बाद मैंने झलक दिखला जा में हिस्सा लिया और अपने डांस से लोगों का मनोरंजन किया। उसके बाद मेरे पास धारावाहिकों एवं रिएलिटी शो के प्रस्ताव आते रहे, लेकिन मैंने हां नहीं कहा। हमेशा की तरह कुछ नया तलाश रहा था। जी टीवी की ओर से मुझे एंकरिंग का प्रस्ताव मिला। मैंने इस तरह का काम कभी नहीं किया था। मैंने तुरंत हामी भर दी।
डांस इंडिया डांस में देश की आम जनता अपनी डांस प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही है। मिथुन चक्रवर्ती इसमें महागुरु की भूमिका निभा रहे हैं। जय कहते हैं, इस शो के जरिए मुझे देश के कोने-कोने में छुपी प्रतिभाओं से रूबरू होने का मौका मिला। मैं देखकर चकित रह गया कि बिना प्रशिक्षण के लोग कितना दमदार डांस कर लेते हैं। हम तो उनके सामने कुछ भी नहीं हैं। साथ ही, मुझे इस बात की खुशी है कि इस शो की बदौलत मुझे मिथुन चक्रवर्ती से मुखातिब होने का मौका मिल रहा है। उनसे कुछ सीखने को मिल रहा है। मैं शो से जुड़कर बहुत खुश हूं।
चर्चा है कि जय फिल्मों का रुख कर रहे हैं। यही वजह है कि अब वे कोई सीरियल साइन नहीं कर रहे हैं। जय इस संबंध में कहते हैं, टीवी की बदौलत आज मैं इस मुकाम पर हूं। फिल्मों के लिए मैं टीवी से दूरी नहीं बना सकता। अब यदि मुझे फिल्मों में काम करने का मौका मिलेगा तो मैं जरूर करूंगा। मेरा मकसद अच्छा काम करना और लोगों का दिल जीतना है।

-रघुवेंद्र सिंह

Friday, February 6, 2009

मम्मी से मिली आत्मनिर्भर बनने की सीख: श्वेता तिवारी/बचपन

लोकप्रिय टी.वी. अभिनेत्री श्वेता तिवारी का जन्म उत्तार प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुआ, लेकिन उनकी परवरिश सपनों की नगरी मुंबई में हुई। आपको जानकर हैरानी होगी कि श्वेता ने बारह वर्ष की उम्र में पांच सौ रुपए मासिक वेतन पर एक टै्रवल एजेंसी में काम करना शुरू कर दिया था। इस स्तंभ में वे अपने बचपन की खंट्टी-मीठी यादों को शेयर कर रही हैं पाठकों से-
[नन्हीं उम्र में बन गई जिम्मेदार]
मेरा बचपन आम बच्चों की तरह नहीं गुजरा। मैंने जब होश संभाला तो एक टै्रवल एजेंसी में काम करना शुरू कर दिया। वह काम मैं अपनी मर्जी से कर रही थी। परिवार की तरफ से किसी तरह का दबाव नहीं था। दरअसल, मम्मी मुझे तभी पॉकेटमनी देती थीं, जब मैं क्लास में अच्छे अंक लाती थी। किसी चीज के लिए मुझे मम्मी के सामने बार-बार हाथ फैलाना अच्छा नहीं लगता था। उनसे ही मुझे आत्मनिर्भर बनने की सीख मिली।
[थोड़ी शरारत, थोड़ी मस्ती]
मेरा बचपन मुंबई में गुजरा है। मैंने नन्हीं उम्र में ही मुंबई की भीड़ भरी सड़कों और बसों में सफर करना शुरू कर दिया था यानी जिंदगी की सच्चाइयों से परिचित हो गयी थी। मैं छुटपन में थोड़ी शरारती थी। मैं दोस्तों के साथ मिलकर ही मौज-मस्ती और शरारतें करती थी। सच कहूं तो मैं मम्मी के डर से हमेशा अच्छी बच्ची बनकर रहती थी।
[नौकरी के साथ जारी रखी पढ़ाई]
मैंने नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी। मैंने कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया है। बीजगणित मेरा पसंदीदा विषय था। कॉलेज के दिनों में मुझे प्रेमचंद की कहानियां पढ़ना बहुत अच्छा लगता था। उन दिनों हम बेसब्री से गरबा का इंतजार करते रहते थे। मैं नवरात्रि में लगातार नौ दिन गरबा खेलती थी। उसी दौरान हमारी परीक्षाएं भी होती थीं। उसके बावजूद हम देर रात गरबा खेलते और सुबह सात बजे परीक्षा देने जाते थे। मस्ती भरे उन दिनों को आज मैं बहुत मिस करती हूं।
[बेटी में देखती हूं अपना बचपन]
मैं बचपन को बिल्कुल मिस नहीं करती, क्योंकि मेरी बेटी पलक के रूप में आज भी मेरा बचपन मेरे सामने हंसता-खेलता रहता है। मैं पलक के साथ बच्ची बनकर रहती हूं। मैं अपनी बेटी को सुनहरा बचपन देने की कोशिश कर रही हूं। मेरा बचपन जिन खुशियों से अछूता रह गया था, अब मैं पलक के साथ मिलकर उन सारी खुशियों को समेट रही हूं। जिंदगी के इस खुशनुमा दौर को मैं जी-भर के जी रही हूं।
[खेलकूद भी है जरूरी]
मैं हर माता-पिता से कहना चाहूंगी कि वे अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद के लिए भी प्रोत्साहित करें। अपने बच्चे के सर्वागीण विकास पर ध्यान दें। बच्चों को मारें नहीं बल्कि उन्हें प्यार से समझाएं और बच्चे भी माता-पिता की बात को ध्यान से सुनें। उनकी सीखों पर अमल करें। उनकी डांट के पीछे छिपे प्यार को समझें।
[रघुवेंद्र सिंह]

Thursday, February 5, 2009

साथ दिखेंगे रणबीर-इमरान

मुंबई। रणबीर कपूर और इमरान खान यशराज कैंप की एक फिल्म में साथ नजर आएंगे। उस फिल्म का निर्देशन चक दे इंडिया फेम शिमीत अमीन करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, रणबीर और इमरान काफी समय से एक साथ काम करना चाहते थे। इस बारे में उन्होंने कई बड़े निर्देशकों से बात भी की थी। बचना ऐ हसीनों की सफलता के बाद हाल में जब यशराज कैंप ने रणबीर को नई फिल्म के लिए साइन किया तो उन्होंने इमरान के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की। उनकी बात मानी गई और इमरान के लिए उस फिल्म में खास रोल बढ़ाया गया।
रणबीर और इमरान की साथ वाली फिल्म का निर्देशन शिमीत अमीन करेंगे। अभी तक फिल्म का नाम तय नहीं हुआ है। वह फिल्म मई माह में शूटिंग फ्लोर पर जाएगी। रणबीर कपूर के प्रवक्ता ने कहा कि रणबीर मई में यशराज की नई फिल्म की शूटिंग आरंभ करेंगे। उस फिल्म का निर्देशन शिमीत अमीन कर रहे हैं।
-रघुवेंद्र सिंह

पीपीसी की पहली हॉरर फिल्म के निर्देशक प्रियदर्शन

मुंबई। मंगलवार की शाम परसेप्ट पिक्चर कंपनी के प्रबंध निर्देशक शैलेंद्र सिंह ने दस हॉरर फिल्मों के निर्माण की घोषणा की, जिसमें उनकी पहली हॉरर फिल्म गर्रर का निर्देशन प्रियदर्शन करेंगे। शैलेंद्र सिंह के मुताबिक, परसेप्ट पिक्चर कंपनी आगामी तीन वर्षो में दस हॉरर फिल्मों का निर्माण करेगी। ये सभी फिल्में पीपीसी हॉररटेनमेंट के बैनर तले बनेंगी।
हम नए बैनर पीपीसी हॉररटेनमेंट की शुरूआत अंतरराष्ट्रीय स्तर की हॉरर फिल्मों के निर्माण के लिए कर रहे हैं। इस बैनर के तले हम प्रत्येक वर्ष चार हॉरर फिल्में बनाएंगे। शैलेंद्र सिंह ने पीपीसी हॉररटेनमेंट की फिल्मों के बारे में जानकारी देते हुए आगे कहा, हमारा उद्देश्य दर्शकों को डर के साथ मनोरंजन प्रदान करना है। अगले तीन वर्षों में बनने वाली दस फिल्मों में से पांच फिल्मों का नाम तय हो चुका है। उनके नाम 13, 888, वहम, मुंबई और गर्रर हैं। इन सभी फिल्मों का बजट आठ से बारह करोड़ रुपये होगा। हमें खुशी है कि हमारे बैनर की पहली फिल्म गर्रर का निर्देशन प्रियदर्शन करेंगे।
निर्देशक प्रियदर्शन ने गर्रर के संबंध में कहा किगर्रर पीरियड फिल्म है। यह शेर और शिकारी की कहानी है। इसमें शेर लीड रोल में है। इसका बजट पंद्रह करोड़ रुपये है। मैंने बीते पच्चीस वर्षों में 75 फिल्में निर्देशित की हैं और लगभग हर विधा की फिल्म बनायी है। अपने अनुभव के आधार पर वादा कर रहा हूं कि मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर की हॉरर फिल्म बनाऊंगा। यह फिल्म मैं अपने बचपन के पसंदीदा हीरो जिम कार्बेट को समर्पित कर रहा हूं। प्रियदर्शन ने आगे कहा कि स्पष्ट कर दूं कि हम गर्रर में रीयल शेर के साथ शूटिंग नहीं करेंगे, बल्कि इएफएक्स और एनीमेशन का इसमें ज्यादा इस्तेमाल होगा।
आगामी जुलाई माह में यह फिल्म फ्लोर पर जाएगी और 55 दिनों में इसकी शूटिंग पूरी हो जाएगी। इसकी ज्यादातर शूटिंग विदेश में होगी।
-रघुवेंद्र सिंह

हार नहीं मानी है: एकता कपूर | मुलाकात

छोटे पर्दे की रानी मानी जाने वाली एकता कपूर ने हाल ही में जुहू स्थित अपने कृष्णा निवास पर दो नए धारावाहिक बंदिनी और कितनी मोहब्बत है को लॉन्च किया। इन धारावाहिकों का प्रसारण एनडीटीवी इमेजिन पर हो रहा है। बंदिनी में जहां रोनित रॉय और आसिया काजी केंद्रीय भूमिका में हैं, वहीं कितनी मोहब्बत है में नए चेहरे करण कुंद्रा के साथ कृतिका कामरा और हितेन तेजवानी, नीना गुप्ता, सुधा शिवपुरी आदि नजर आ रहे हैं। प्रस्तुत है, एकता कपूर से इन धारावाहिकों को लेकर बातचीत..।
बंदिनी और कितनी मोहब्बत है की क्या खासियत है?
ये दोनों बालाजी टेलीफिल्म्स के अब तक के सभी धारावाहिकों से अलग हैं। बंदिनी जहां छोटे-छोटे गांव में होने वाली बेमेल शादियों की समस्या पर आधारित है, वहीं कितनी मोहब्बत है एक सीधी-सादी प्रेम कहानी है। इन धारावाहिकों में न तो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर और न ही साजिशों का जंजाल दिखाया गया है। इस धारावाहिक के माध्यम से मैंने यह बताने की कोशिश की है कि प्यार किसी भी व्यक्ति को अविश्वसनीय रूप से बदल सकता है। मैंने कोशिश की है कि दर्शकों को कुछ नया दे सकूं। मुझे उम्मीद ही नहीं, बल्कि विश्वास है कि ये दोनों शो मेरे पहले के धारावाहिकों की तरह ही टीवी जगत में फिर से इतिहास जरूर रचेंगे। मेरी समझ से इस तरह के धारावाहिक छोटे पर्दे पर अभी तक नहीं आए हैं।
एनडीटीवी इमेजिन के साथ कैसे जुड़ना हुआ?
इसके सीईओ समीर नायर को मैं पहले से जानती हूं। उन्हीं की वजह से मैं इस चैनल से जुड़ी। उन्होंने जब मुझसे नए धारावाहिक के निर्माण के लिए संपर्क किया, तो मुझे खुशी हुई और मैंने तय किया कि उनके लिए ऐसे धारावाहिक का निर्माण करूंगी, जो अब तक छोटे पर्दे पर नहीं आए हों। मैं एनडीटीवी के साथ जुड़कर बहुत खुश हूं। उम्मीद है कि मेरे धारावाहिक उनके चैनल के लिए फायदेमंद साबित होंगे।
बीते साल आपके सभी लोकप्रिय शो बंद हो गए। अब कहा जाने लगा है कि टीवी पर आपका राज खत्म हो चुका है?
यदि लोग ऐसा कह रहे हैं, तो मैं क्या कर सकती हूं। मुझे भी यह स्वीकारने में कोई हर्ज नहीं है कि मेरा राज अब खत्म हो चुका है, लेकिन हां, मैंने अभी हार नहीं मानी है। मैं अच्छी कहानियों को देख रही हूं। मैं पहले की तरह ही नए धारावाहिकों का निर्माण कर रही हूं और दर्शकों का दिल जीतने की कोशिश में लगी हूं।

Wednesday, February 4, 2009

धीरे-धीरे ग्रो कर रही हूं: ईशा शरवनी

अभिनेत्री ईशा शरवनी चूंकि कुशल डांसर हैं, इसलिए सुभाष घई ने उनकी नृत्य-प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें फिल्म किसना में लक्ष्मी की मुख्य भूमिका के लिए चुना था। उसके बाद ईशा दरवाजा बंद रखो, रॉकी, गुड ब्वॉय बैड ब्वॉय और बीते साल यू मी और हम फिल्म में नजर आई। अब वे जोया अख्तर की लक बाई चांस में एक सुपर ऐक्ट्रेस की बेटी की भूमिका निभा रही हैं। इसमें फरहान अख्तर और कोंकणा सेन शर्मा मुख्य भूमिका में हैं।
लक बाई चांस में ईशा की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है? वे बताती हैं, मैं इसमें निक्की खुराना की भूमिका निभा रही हूं। वह सत्तर के दशक की सुपर स्टार ऐक्ट्रेस नीना की बेटी है। यह भूमिका डिंपल कपाडि़या निभा रही हैं। निक्की की लॉन्चिंग के लिए एक फिल्म का निर्माण शुरू किया जाता है। बाद में एक-एक करके लोग कैसे उस फिल्म से जुड़ते जाते हैं, यही फिल्म में दिखाया गया है। इसकी कहानी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर आधारित है। इसमें दिखाया गया है कि यहां मेहनत के अलावा, किस्मत भी खास मायने रखती है। मैं इसमें बहुत ग्लैमरस नजर आऊंगी। क्या ईशा किस्मत में यकीन करती हैं और मेहनत को वे कितना महत्व देती हैं? वे कहती हैं, सुभाष घई की फिल्म किसना के लिए मुझे साइन किया जाना किस्मत का खेल था, लेकिन उसके बाद मेहनत की वजह से ही मुझे फिल्में मिलीं। मेरा मानना है कि यदि आप कड़ी मेहनत करते हैं, तो दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। मेहनत हमारे हाथ में है, इसलिए वह हमें करना चाहिए। बाकी किस्मत में जो मिलना लिखा होगा, वही आपको मिलेगा।
इस फिल्म में ईशा ने रितिक रोशन और फरहान अख्तर दोनों के साथ स्क्रीन शेयर किया है। कैसा अनुभव रहा? वे इस सवाल पर खुश हो जाती हैं, मैं लकी हूं कि इस फिल्म में रितिक और फरहान जैसे अभिनेताओं के साथ काम करने का मौका मिला। मैंने रितिक के साथ पहले एक चॉकलेट का ऐड किया था। उसमें हमने कमाल का डांस किया था। जोया ने लक बाई चांस में भी हमें वैसा ही कमाल करने का मौका दिया है। फरहान हमेशा कुछ नया करने में यकीन करते हैं। वे बेहतरीन निर्देशक के साथ ही उम्दा अभिनेता भी हैं। खास बात यह है कि वे बेहतरीन इनसान हैं। लक बाई चांस जोया की पहली फिल्म है। ईशा के मुताबिक वे कैसी निर्देशक हैं? वे बताती हैं, मैं किसी निर्देशक के साथ उनकी तुलना इसलिए नहीं करूंगी, क्योंकि वे काफी अलग हैं। उनके साथ काम करने का मेरा अनुभव शानदार रहा। मुझे लगा ही नहीं कि मैं नए निर्देशक के साथ काम कर रही हूं। जब दर्शक फिल्म देखेंगे, तो उन्हें भी ऐसा ही लगेगा। मैं जोया के साथ आगे भी काम करना चाहूंगी।
फिल्म इंडस्ट्री में तीन साल का सफर तय करने केबावजूद ईशा की अब तक स्थाई पहचान नहीं बन पाई। इसकी क्या वजह मानती हैं वे? ईशा बताती हैं, सच तो यह है कि मैं अपने ऐक्टिंग करियर पर उतना अधिक ध्यान नहीं देती। मैं पहले डांसर हूं। नृत्य मेरी प्राथमिकता है। मैं कभी फिल्म पाने के लिए संघर्ष नहीं करती। ज्यादातर समय अपने डांस शो की तैयारी में गुजारती हूं। जब मैं फिल्में नहीं कर रही होती हूं, तब विदेश में स्टेज शो में व्यस्त होती हूं। खुश हूं कि ऐक्टिंग में भी धीरे-धीरे ग्रो कर रही हूं। ईशा ऐक्टिंग को गंभीरता से कब लेंगी? भविष्य में लोग उन्हें किन-किन फिल्मों में देखेंगे? वे बताती हैं, मुझे भारतीय संस्कृति-सभ्यता और यहां के नृत्य से बहुत प्यार है। मैं भारतीय नृत्य में पारंगत हूं और अपने स्तर पर कोशिश कर रही हूं कि युवा पीढ़ी को भी इसका महत्व बताऊं। डांस हमेशा मेरी प्राथमिकता रहेगी। मैं चाहती हूं कि मेरे मरने के बाद मुझे अच्छी चीजों के लिए याद किया जाए। फिलहाल मैंने कोई भी फिल्म साइन नहीं की है।

-रघुवेंद्र सिंह

Monday, February 2, 2009

शाहिद कपूर की नई फ़िल्म कमीने की पहली तस्वीर

शाहिद कपूर की नई फ़िल्म कमीने की पहली तस्वीर हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं। विशाल भारद्वाज निर्देशित इस फ़िल्म में शाहिद के साथ प्रियंका चोपडा मुख्य भूमिका में हैं। यह फ़िल्म आगामी ५ जून को प्रर्दशित हो रही है। इस फ़िल्म के साथ ही सतीश कौशिक की नई फ़िल्म तेरे संग भी प्रर्दशित होगी। उसमें एम् पी थ्री फेम रुसलान मुमताज़ और बीते ज़माने की अभिनेत्री साधना की बेटी शीना लीड में हैं।

धन्यवाद

-रघुवेंद्र सिंह

अपेक्षाओं पर खरा उतरना है : नील नितिन मुकेश

नील नितिन मुकेश की एक के बाद एक चार बड़ी फिल्में, यशराज बैनर की न्यूयॉर्क, सुधीर मिश्रा की तेरा क्या होगा जॉनी, जहांगीर सुर्ती की आ देखें जरा और मधुर भंडारकर की जेल प्रदर्शित होंगी। पहली ही फिल्म से लोकप्रियता हासिल करने वाले नील को आशा है कि इन फिल्मों के प्रदर्शन के बाद उनके करियर को नयी ऊंचाइयां मिलेंगी। नील उत्साहपूर्वक कहते हैं, मैं भली-भांति वाकिफ हूं कि जॉनी गद्दार के बाद मुझसे लोगों की अपेक्षाएं बहुत बढ़ चुकी हैं। सबकी अपेक्षाओं पर खरा उतारना मेरे लिए चुनौती है। मुझे आशा है कि इस साल प्रदर्शित होने वाली मेरी फिल्में न्यूयॉर्क, तेरा क्या होगा जॉनी, आ देखें जरा और जेल सबको पसंद आएंगी और मैं लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरूंगा।
नील अपनी बात जारी रखते हैं, इस साल की मेरी पहली रिलीज जहांगीर सुर्ती निर्देशित आ देखें जरा होगी। वह रोमांटिक थ्रिलर है। उसमें मेरे ओपोजिट बिपाशा बसु हैं। दिलचस्प बात यह है कि उस फिल्म का टाइटल सांग आप देखें जो मैंने और बिपाशा बसु ने गाया है। उस गीत को लोग पहले किशोर कुमार की आवाज में सुन चुके हैं, लेकिन खास बात यह है कि उसे हमने अपने अंदाज में गाया है। मेरी और बिपाशा हॉट जोड़ी के अलावा वह गीत फिल्म का खास आकर्षण होगा। फिर यशराज बैनर की कबीर खान निर्देशित न्यूयॉर्क आएगी। संभव है कि इसी बीच तेरा क्या होगा जॉनी भी प्रदर्शित हो। साल के अंत तक मधुर भंडारकर की जेल का प्रदर्शन होना तय है।
नील नितिन मुकेश को अपने करियर की शुरुआत में ही राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता निर्देशक कबीर खान और अब मधुर भंडारकर के साथ काम करने का अवसर मिल रहा है। नील कहते हैं, इस मामले में वाकई मुझे लकी कहा जा सकता है। कबीर खान के साथ न्यूयॉर्क में काम करने का अनुभव अद्भुत रहा। उस फिल्म में कबीर खान ने मुझे, जॉन अब्राहम और कैटरीना कैफ को जिस कहानी में पिरोकर पेश किया है, वह देखकर दर्शक चौंक जाएंगे। हाल में मैंने मधुर भंडारकर की फिल्म जेल की शूटिंग शुरू की। मैं मधुर के साथ मुंबई की कई जेलों में गया। वहां लोगों से मिला, उनसे बातचीत की और उनकी हर छोटी-छोटी चीज पर गौर किया। मैं उस फिल्म में पराग दीक्षित नाम के युवक की भूमिका निभा रहा हूं, जो जेल चला जाता है। उस फिल्म में मेरा लुक अलग है। मधुर उस फिल्म के जरिए जेल में होने वाली राजनीति पर प्रकाश डालेंगे।
सुधीर मिश्रा निर्देशित फिल्म तेरा क्या होगा जॉनी प्रदर्शित के प्रदर्शन के बारे में नील कहते हैं, वह फिल्म पिछले साल कुछ अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में दिखायी गयी और उसे लोगों ने काफी सराहा भी। इस साल के मध्य में वह फिल्म प्रदर्शित हो जाएगी। मैं स्पष्ट कर दूं कि उसमें जॉनी की मुख्य भूमिका में मैं नहीं हूं। मैंने उसमें परवेज की छोटी सी भूमिका की है। उसे मैं मेहमान भूमिका कहना पसंद करूंगा। उसमें मेरे साथ सोहा अली खान भी हैं। सच तो यह है कि मैं बीते साल केवल फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त रहा। नील आत्मविश्वास के साथ कहते हैं, अच्छे निर्देशकों का साथ मिलने की वजह से मेरा करियर अच्छी तरह आगे बढ़ रहा है।

प्रियंका नहीं काम से प्यार है: हरमन | मुलाकात

हरमन बावेजा फिल्म लव स्टोरी 2050 की रिलीज के बाद फिल्म इंडस्ट्री के लोकप्रिय निर्देशकों के चहेते हो गए। आशुतोष गोवारीकर ने उन्हें लेकर फिल्म व्हाट्स योर राशि, संजय लीला भंसाली ने चिनाब गांधी और अनीस बज्मी ने इट्स माई लाइफ बनाने की घोषणा कर दी। आजकल हरमन अपनी नई फिल्म विक्ट्री को लेकर चर्चा में हैं। अजितपाल मंगत निर्देशित इस फिल्म में वे क्रिकेट खिलाड़ी की भूमिका निभा रहे हैं। फिल्म में उनकी हीरोइन अमृता राव हैं। प्रस्तुत है, हरमन से बातचीत।
विक्ट्री से कैसे जुड़ना हुआ और इसकी खासियत क्या है?
लव स्टोरी 2050 की रिलीज के बाद अजित जी मेरे पास विक्ट्री का प्रस्ताव लेकर आए। मुझे फिल्म की कहानी दमदार लगी। यह प्रेरणात्मक फिल्म है। इसमें दिखाया गया है कि इनसान मेहनत करे, तो उसके लिए कुछ भी हासिल करना मुश्किल नहीं है। विक्ट्री क्रिकेट पर बनी फिल्म है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यही है। भारत में पहली बार क्रिकेट पर बेहतरीन फिल्म बनी है।
इस फिल्म की कहानी और अपनी भूमिका के बारे में बताएंगे?
इसकी कहानी जैसलमेर के विजय शेखावत की है। उसके पापा चाहते हैं कि बेटा भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बने। विजय कैसे उस लक्ष्य को पाता है और बाद में उसे किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता, यही फिल्म में है। मैं विजय की भूमिका निभा रहा हूं। उससे देश का हर युवा जुड़ाव महसूस करेगा। अमृता राव फिल्म में दोस्त की भूमिका में हैं।
चर्चा है कि इस भूमिका के लिए आपने क्रिकेट का प्रशिक्षण लिया है?
हां, मैंने प्रवीण आमरे से चार माह क्रिकेट का प्रशिक्षण लिया। दरअसल, इसमें ब्रेट ली, ब्रैड हैडिन, शोएब मलिक, वकार यूनुस, हरभजन सिंह, दिनेश कार्तिक सहित लगभग चालीस इंटरनेशनल क्रिकेट खिलाड़ी हैं। मुझे उनके साथ स्क्रीन शेयर करना था। मैं उनसे किसी भी मामले में कम नहीं दिखना चाहता था, इसीलिए ट्रेनिंग ली। इसके अलावा, मैं जैसलमेर में अपने एक मित्र के यहां जाकर कुछ सप्ताह रहा। वहां की बोली और उठने-बैठने के तौर-तरीके सीखे। मैंने भूमिका को रिअॅल बनाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की है।
क्या आप आमिर खान की तरह परफेक्शनिस्ट बनना चाहते हैं?
मेरी समझ से अपने काम को ईमानदारी से अंजाम देना मेरा फर्ज है। यदि कलाकार अपनी भूमिका को सही तरीके से नहीं निभाएगा, तो कौन उसे पसंद करेगा? मैं मेहनत से अपना काम करने में विश्वास करता हूं।
अमृता राव इसमें आपके साथ हैं। क्या उन्हीं की वजह से आपकी और प्रियंका की दोस्ती में दरार आ रही है?
विक्ट्री में अमृता मेरी बेस्ट फ्रेंड बनी हैं। अब तक जिन्होंने भी फिल्म देखी है, उनका कहना है कि हमारी जोड़ी बहुत प्यारी है। अमृता स्वीट लड़की हैं। उनके साथ काम करके मुझे अच्छा लगा। वे हमेशा अपने को-आर्टिस्ट की सुविधा का खयाल रखती हैं। उनकी वजह से प्रियंका और मेरी दोस्ती में कोई दरार नहीं पड़ रही है। हम सभी दोस्त हैं और एक-दूसरे को बखूबी जानते हैं।
क्या सच है कि आप प्रियंका से प्रेम करते हैं?
मैं और प्रियंका सिर्फ अच्छे दोस्त हैं। अभी मेरी लव लेडी मुझे मिली नहीं है। वह जिस दिन मिलेगी, मैं खुद सारी दुनिया को बता दूंगा।
इसके बाद आपकी कौन-कौन-सी फिल्में आएंगी?
विक्ट्री के बाद अनीस बज्मी की इट्स माई लाइफ आएगी। उसकी शूटिंग पूरी हो चुकी है। आजकल आशुतोष जी के साथ व्हाट्स योर राशि की शूटिंग कर रहा हूं। इसमें प्रियंका और मैं एक बार फिर साथ हैं।
-रघुवेंद्र सिंह

Sunday, February 1, 2009

कृष्ण के रूप में मोहित करती नन्हीं धृति

तीन वर्ष की नन्हीं धृति भाटिया को सारा जग धारावाहिक जय श्री कृष्णा के प्यारे से नटखट कृष्ण के रूप में जानने लगा है। कलर्स चैनल पर प्रसारित जय श्री कृष्णा का प्रमुख आकर्षण धृति का मनमोहक अभिनय और दिलचस्प संवाद अदायगी है। धृति के पिता गगन भाटिया और मम्मी पूनम भाटिया इसे चमत्कार मानते हैं। आइए, धृति को करीब से जानते हैं।
[सात माह की उम्र में बनीं मॉडल]
जानकर हैरानी होगी कि धृति ने मात्र सात माह की उम्र में मॉडलिंग की दुनिया में कदम रख दिया था। दिल्ली निवासी पापा गगन बताते हैं, हर मां-बाप की तरह हमारी ख्वाहिश भी अपनी बेटी को स्क्रीन पर देखने की थी। सो, हमने छह माह की उम्र में उसका पोर्टफोलियो बनवाया और दिल्ली के हर मॉडल को-ऑर्डिनेटर को फोटो दे दिए। एक महीने बाद ही धृति को एक गारमेंट कंपनी के प्रिंट एड के लिए सेलेक्ट कर लिया गया और उसने सात माह की उम्र में पहली बार कैमरा फेस किया। दरअसल, हमें उसी वक्त एहसास हो चुका था कि धृति आम बच्ची नहीं है। उसमें कुछ खास है। यही बात हमारी बिल्डिंग के लोग भी कहते थे।
[खेल है अभिनय]
धृति डेढ़ साल पहले मुंबई आयीं। यहां आने के कुछ ही दिन बाद उन्हें हॉर्लेक्स एवं इमामी पाउडर के विज्ञापन में काम करने का मौका मिल गया। धृति ने सात माह पहले जय श्री कृष्णा के लिए ऑडिशन दिया था। यह उनका पहला धारावाहिक है। धृति के मम्मी-पापा हर समय उनके साथ कोल्हापुर में जय श्री कृष्णा के सेट पर मौजूद रहते हैं। पापा कहते हैं, धृति के लिए कृष्ण की भूमिका निभाना अब खेल बन चुका है। वह पहले गौर से निर्देशक के निर्देशों को सुनती है और उसके बाद कैमरे के सामने जाकर वैसा ही करती है। उसकी समझदारी देखकर सब लोग हैरान रह जाते हैं। हां, शूटिंग के दौरान वह डायलॉग नहीं बोल पाती। बाद में वह अपने डायलॉग खुद ही डब करती है। अब तो वह जान चुकी है कि उसे सेट पर मटका तोड़ना है, गोपियों को छेड़ना है, बांसुरी बजानी है और कंस मामा को तंग करना है।
[रूठने पर रुक जाती है शूटिंग]
तीन साल की नन्हीं सी धृति सेट पर सबका खिलौना हैं। धारावाहिक के सभी कलाकार उनके साथ खूब खेलते है। पापा गगन कहते हैं, धृति मन लगाकर प्रोफेशनल कलाकार की तरह शूटिंग करती है। सुबह नौ बजे सोकर उठती हैं। उनकी मम्मी उन्हें फटाफट तैयार करती हैं और दस बजे तक हम सभी सेट पर पहुंच जाते हैं। धृति को कृष्ण बनाने में डेढ़ घंटे लगते हैं। वह सुबह में तीन घंटे शूटिंग करती हैं और दोपहर को लंच के बाद सेट पर ही सो जाती हैं। फिर शाम को दो घंटे शूटिंग करती हैं। सब लोग धृति की हर सुविधा का ख्याल रखते हैं। यदि वह कभी रूठ जाती है तो सारी शूटिंग रुक जाती है इसलिए सब लोग उसे खुश रखने में लगे रहते हैं।
[जल्द जाएंगी स्कूल]
धृति दाल, चावल और दही बड़े चाव से खाती हैं। वे फुरसत के समय सेट पर बैट-बॉल खेलती हैं। धृति के पापा कहते हैं, अभी धृति के पास सीरियल और फिल्मों के बहुत ऑफर आ रहे हैं, लेकिन हम उस पर बोझ नहीं डालना चाहते। हम पैसे के लिए उससे एक्टिंग नहीं करवा रहे हैं। उसे स्क्रीन पर देखने की हमारी ख्वाहिश अब पूरी हो गयी है। आगामी मई माह में हम उसका एडमिशन नर्सरी में करवाने जा रहे हैं। हमने तय किया है कि स्कूल ज्वाइन करने के बाद धृति एक्टिंग नहीं करेंगी। धृति बड़ी होकर क्या करेंगी? यह उन्हीं पर निर्भर करेगा।
-रघुवेंद्र सिंह