Sunday, March 29, 2009

हिट-फ्लॉप मायने नहीं रखता: दीपल शॉ

हिट-फ्लॉप मायने नहीं रखता: दीपल शॉ दिपल शॉ धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं। भट्ट कैंप की फिल्म कलयुग के बाद पिछले साल वे चर्चित फिल्म ए वेडनेसडे में भी दिखी थीं। पत्रकार नैना राय की भूमिका में उनकी सराहना भी हुई। अब उनकी चर्चा अंतरराष्ट्रीय फिल्म कर्मा.., जो पिछले दिनों रिलीज हुई है, में उनकी भूमिका को लेकर हो रही है। मनीष गुप्ता निर्देशित इस फिल्म में वे लोकप्रिय अभिनेत्री सुष्मिता सेन, रणदीप हुडा और रति अग्निहोत्री के साथ दिखीं। प्रस्तुत हैं, दीपल शॉ से हुई बातचीत के प्रमुख अंश..
आपका कर्मा.. से कैसे जुड़ना हुआ?
मैं सारेगामा एचएमवी की आर्टिस्ट हूं और यह उन्हीं की फिल्म है। उन्होंने जब फिल्म की कहानी सुनाई, तो मुझे तभी ऐसा लगा कि मैं ऐसी ही फिल्म की तलाश कर रही थी। दरअसल, मैं अलग-अलग किस्म की भूमिकाओं में खुद को पेश करना चाहती हूं। मन-मुताबिक बातें देख मैंने इस फिल्म के लिए अपनी रजामंदी दे दी।
कर्मा शीर्षक को कैसे परिभाषित करेंगी?
होली देश का एक पवित्र पर्व है। इस दिन लोग दुखों को भूलकर प्यार के रंग में रंग जाते हैं। दरअसल, कर्म से ही इनसान का भविष्य निर्धारित होता है और हमारे शास्त्रों में इसके कई मायने भी बताए गए हैं। लोगों ने देखा होगा कि फिल्म की कहानी विभिन्न धर्म के लोगों की है। सब लोग अपनी समस्याओं में इस कदर उलझे हुए हैं कि उन्हें आगे का रास्ता ही नजर नहीं आता! इसमें होली के दिन सबकी समस्याओं का हल होता है।
फिल्म में आप जिस अंदाज में दिखी हैं, क्या रिअॅल में वैसी ही हैं?
इसमें मेरी प्रीति की भूमिका है, जो एक आधुनिक और चुलबुली लड़की है। वही सबकी समस्याओं के समाधान का जरिया भी बनती है। मैं जैसी फिल्म में हूं, रिअॅल में भी वैसी ही हूं।
फिल्म में सुष्मिता सेन की उपस्थिति में आपको जो फुटेज मिले हैं, वे ज्यादा हैं?
सुष्मिता सेन आज जिस मुकाम पर हैं, वह उनकी मेहनत का फल है। अगर उन्हें ज्यादा मिले हैं, तो सच यही है कि वे उसकी हकदार हैं। मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि फिल्म में कितना लंबा रोल मिला है। मैं तो बस फिल्म का हिस्सा बनकर ही खुश थी। मैंने काम ईमानदारी से किया है। लोग मेरे काम को नोटिस कर रहे हैं, यही बड़ी बात है।
आप बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं?
मैं एक-एक पायदान मजबूती के साथ चढ़ने में यकीन इसलिए करती हूं। मुझे सीधे हेलीकॉप्टर से एन्ट्री करना पसंद नहीं है। अगर मैं पहले से ही टॉप पायदान पर रहूंगी, तो अगले कदम में निश्चित रूप से नीचे गिरूंगी। मेरा विकास रुक हो जाएगा। मुझे इंडस्ट्री में आए अभी चार साल हुए हैं। देखें, तो सही में मेरा करियर शुरू भी नहीं हुआ है। फिर कला किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। मुझे पता है कि कहां जाना है, इसलिए मैं धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रही हूं।
आज भी टैलेंटेड लोग अच्छे फिल्मकारों के साथ काम करने के लिए वर्षो संघर्ष करते हैं, लेकिन वहीं स्टार किड्स आते ही बड़े फिल्मकारों के साथ काम करने लगते हैं। कैसा लगता है?
देखिए, किसी भी अवसर को प्राप्त करना बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात यह है कि आप अपने सफर को कितना लंबा खींच सकते हैं। मुझे कोई शिकायत नहीं है। मैं अपनी प्रगति से खुश हूं। मैं संकुचित सोच नहीं रखती। सवाल यह है कि क्या दस साल बाद भी वे स्टार किड्स उसी मुकाम पर होंगे? मुझे पता है, मैं वहां जरूर होऊंगी।
कर्मा.. को लोगों ने उतना पसंद नहीं किया, जितनी उम्मीदें थीं?
मैंने अपना काम ईमानदारी से किया था, लोग क्या कहते हैं, मुझे पता नहीं। मुझे फिल्म की हिट-फ्लॉप से कोई फर्क नहीं पड़ता। अब मैंने सोचना छोड़ दिया है। यहां कुछ भी रिजल्ट आ सकता है। यहां कभी-कभी बुरी फिल्में चल जाती हैं और अच्छी फिल्में पिट जाती हैं।
अपनी आने वाली फि ल्मों के बारे में बताएंगी?
अब फिल्म राइट या रॉन्ग आएगी। नीरज पाठक निर्देशित इस फिल्म में सनी देओल, इरफान खान, ईशा कोप्पिकर और कोंकणा सेन शर्मा भी हैं। मैंने एक फिल्म विकल्प भी की है। उसमें मैं छोटे शहर की लड़की की भूमिका में हूं, जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। इस फिल्म की जिम्मेदारी पूरी तरह से मेरे कंधों पर ही है। उम्मीद है कि लोगों को मेरा काम इन फिल्मों में पसंद आएगा।

-रघुवेंद्र सिंह

Friday, March 27, 2009

भरोसा है खुद पर:शीतल / मुलाकात

सुपर मॉडल शीतल मेनन ने गत वर्ष फिल्म भ्रम से अभिनय की दुनिया में कदम रखा। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जरूर नहीं चली, लेकिन उनका काम एक खास दर्शक वर्ग को अच्छा लगा। इस वर्ष उनकी दो फिल्में रिलीज होगी। पहली करण जौहर की शाहरुख खान-काजोल अभिनीत माई नेम इज खान और दूसरी आर. सरत निर्देशित द डिजायर है। प्रस्तुत है शीतल मेनन से बातचीत।
भ्रम के प्रदर्शन के बाद आप कहां गायब हो गई?
नए काम की तलाश कर रही थी। दरअसल, मेरी पहली फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं होने के कारण मुझे नए सिरे से संघर्ष करना पड़ा। उसी वक्त अच्छे-बुरे और अपने-पराए का भेद भी समझ में आ गया। पहली फिल्म की असफलता ने बहुत कुछ सीखा दिया। अब खुश इसलिए भी हूं, क्योंकि करण जौहर जैसे लोकप्रिय फिल्मकार के साथ काम करने का मौका मिला है।
माई नेम इज खान में आपकी भूमिका क्या है?
मैं इसमें शाहरुख खान की सेके्रटरी बनी हूं और मेरे अधिकतर दृश्य उन्हीं के साथ हैं। फिल्म की शूटिंग पूरी नहीं हुई है। करण, शाहरुख और काजोल के साथ काम करने का अनुभव दिलचस्प रहा। ये सभी लोग जिंदादिल हैं। शाहरुख की अस्वस्थता की वजह से शूटिंग रुक गई है।
द डिजायर में आप शिल्पा शेट्टी की प्रेमिका बनी हैं?
मेरा रोल इसमें क्या है, यह ऑडियंस के लिए सरप्राइज है। इतना बता सकती हूं कि मैं उसमें ओडिसी डांसर नलिनी की भूमिका निभा रही हूं। इस भूमिका के लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी। मैंने ओडिसी डांस सीखा नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि हम शॉट देने के एक घंटा पहले रिहर्सल करते थे और फिर शॉट देते थे। उसमें शिल्पा और चीन के सुपर स्टार शिया यू केंद्रीय भूमिका में हैं। यह फिल्म वर्ष के अंत में आएगी।
लीडिंग ऐक्ट्रेस के रूप में डेब्यू करने के बाद साइड हीरोइन का रोल क्यों कर रही हैं?
मैं अच्छा काम करने में यकीन करती हूं। सच तो यह है कि यदि भूमिका प्रभावी हो और काम दमदार, तो छोटी भूमिका के जरिए भी आपको नोटिस किया जाता है। जरूरी नहीं कि केंद्रीय भूमिका होगी, तभी लोग आपको पहचानेंगे! माई नेम इज खान और द डिजायर में मेरी भूमिका दमदार है। मैं इन भूमिकाओं को पाकर बेहद खुश हूं।
भीड़ में खोने का डर नहीं लगता?
बिल्कुल नहीं। मुझे खुद पर भरोसा है। हां, मैं अभी इतनी लोकप्रिय नहीं हुई हूं कि मेरे नाम पर फिल्में बनें, लेकिन यकीन है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब मेरा नाम भी बिकेगा। जिस तरह मॉडलिंग की दुनिया में मैंने राज किया है, ठीक वैसे ही ऐक्टिंग व‌र्ल्ड में भी शोहरत हासिल करना चाहती हूं।
आने वाले कल से क्या उम्मीदें हैं?
दो बढि़या फिल्में मिली हैं। अच्छी टीम मिली है। मैं अपना शत-प्रतिशत देने की कोशिश कर रही हूं। मुझे लगता है कि मेरा आने वाला कल सुनहरा होगा। मेरे इर्दगिर्द न तो बुरे लोग हैं और न ही मैं बुरी फिल्में कर रही हूं! मैं सुनहरे कल की उम्मीद कर सकती हूं।

--रघुवेंद्र सिंह

Wednesday, March 25, 2009

अब नाराज नहीं हूं : सुखविंदर सिंह

पिछले दिनों ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित होने वाली फिल्म स्लमडॉग मिलिनेयर के गीत जय हो.. से तो गायक सुखविंदर सिंह को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली ही, गीत हौले हौले हो.. गाने के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला। वे खुश हैं। अब वे खुद को अधिक जिम्मेदार भी महसूस कर रहे हैं। सुखविंदर खुशी व्यक्त करते हैं, ए.आर. रहमान, गुलजार साहब और रसूल पुकुट्टी को ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित होना हम सभी के लिए गर्व की बात है। मैं खुश हूं कि गीत जय हो.. को अपार ख्याति मिली। रहमान के साथ मेरी जुगलबंदी विश्व स्तर पर सराही गई। अब हम पर और बेहतरीन करने की जिम्मेदारी आ गई है। लोगों की अपेक्षाएं और बढ़ गई हैं, लेकिन मैं इस बात को गंभीरता से नहीं लूंगा। जैसे मैं पहले अच्छे लोगों के साथ, अच्छे माहौल में काम करता था, उसी तरह काम करना जारी रखूंगा। मैं पहले की तरह ही कम काम में बहुत बिजी रहूंगा।
सुखविंदर आगे कहते हैं, हमने बिल्कुल नहीं सोचा था कि स्लमडॉग.. को इतनी उपलब्धि मिलेगी! जय हो.. गीत तो महज तीस मिनट में तैयार हो गया था! गुलजार साहब ने फटाफट गीत लिखा, रहमान ने संगीत तैयार किया और मैंने गा दिया। इस गीत को पहले सुभाष घई की फिल्म युवराज के लिए लिखा गया था, लेकिन गीत घई साहब को पसंद नहीं आया। इसे स्लमडॉग.. के सीन के मुताबिक पाया गया, तो उसमें रखा गया। हमने हमेशा की तरह उस गीत में भी अपना बेस्ट देने की कोशिश की। अब इस फिल्म के जरिए भारतीय गीत-संगीत को जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है, उसे हमें गंभीरता से लेना होगा। अब विश्वस्तरीय मंच पर कोई प्रस्तुति देने से पहले हमें खूब तैयारी करनी होगी, क्योंकि अब यह साबित हो चुका है कि हम जीनियस हैं। साथ ही हमें भारतीय संस्कृति-सभ्यता का भी खयाल रखना होगा, क्योंकि यही हमारी पहचान है। अब कोई भी भारतीय कलाकार विदेश में परफॉर्म करने जाएगा, तो निश्चित ही भीड़ बढ़ेगी। मुझ पर ही नहीं, सभी कलाकारों की जिम्मेदारी अब बढ़ गई है।
सुखविंदर खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें ए.आर. रहमान जैसे संगीतकार का साथ लंबे समय से प्राप्त है। उल्लेखनीय है कि रहमान और सुखविंदर 1998 में फिल्म दिल से में पहली बार साथ हुए और संगीत प्रेमियों को चल छैंया-छैंया.. जैसा हिट गीत सुनने को मिला। रहमान से अपने संबंधों के बारे में सुखविंदर कहते हैं, उनसे मेरा संबंध दस साल पुराना तो है। वे मेरी तरह शांति से काम करने में यकीन करते हैं और हड़बड़ी नहीं मचाते। हम दोनों पर ऊपर वाले की मेहरबानी है। हम गॉड गिफ्टेड आर्टिस्ट हैं। ऊपर वाले ने हमें लोगों का मनोरंजन करने का काम सौंपा है और हम वह काम ईमानदारी से कर रहे हैं। यह पूछने पर कि वे पिछले दिनों ऑस्कर पुरस्कार के दौरान रहमान से नाराज क्यों हो गए थे? जवाब में सुखविंदर कहते हैं, यह नई बात नहीं है। मैं रहमान से पिछले दस सालों से नाराज था इस बात के लिए कि बढि़या संगीतकार होने के बावजूद उन्हें देश-विदेश में सम्मान क्यों नहीं मिलता! रहमान इस बारे में कभी कुछ नहीं कहते थे! अब मेरी वह नाराजगी दूर हो गई है। सुखविंदर और रहमान की लोकप्रिय जोड़ी आने वाले दिनों में कमल हासन की मर्मयोगी और मणिरत्नम की फिल्म रावण में साथ काम करेगी। वे उन फिल्मों की रिलीज का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सुखविंदर खुशी से कहते हैं, फिल्म मर्मयोगी और रावण में रहमान ने मुझे लेकर कुछ नए प्रयोग किए हैं। ये गीत हमारे अब तक के गाये गीतों से बिल्कुल अलग हैं। मैं उस प्रयोग को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। इनके अतिरिक्त विशाल भारद्वाज की फिल्म कमीने में भी मैंने नए अंदाज में एक गीत गाया है। मुझे इस बात की खुशी है कि संगीतकार मुझे लेकर नित नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। इस तरह मुझे कुछ नया सीखने और करने का मौका मिल जाता है। दिल की बात कहूं, तो जय हो.. गीत की सफलता ने मुझमें नया जोश और नई ऊर्जा भर दी है। इसे और बुलंद किया है पिछले दिनों मिले फिल्म रब ने बना दी जोड़ी का गीत हौले हौले हो जाएगा प्यार.. के लिए मिला फिल्म फेयर अवार्ड ने।
-रघुवेंद्र सिंह

नए अवतार में मिनिषा

अभिनेत्री मिनिषा लांबा का जिक्र आते ही दिमाग में एक बिंदास गर्ल की भूमिका बनती है। उन्होंने फिल्मों में बहुत ही ग्लैमरस भूमिकाएं निभाई है। ग्लैमरस भूमिकाएं निभाकर ऊब चुकीं मिनिषा लांबा अब गांव की शोख एवं चुलबुली गोरी बनकर सबका दिल चुराने आ रही हैं। उनका यह दिलचस्प अंदाज प्रसिद्ध फिल्मकार श्याम बेनेगल की नई फिल्म अब्बा का कुंआ में देखने को मिलेगा।
हाल ही में मिनिषा हैदराबाद से फिल्म की शूटिंग खत्म करके मुंबई लौटी हैं। अब्बा का कुंआ का जिक्र होते ही मिनिषा का चेहरा खिल उठता है। वे उत्साह से कहती हैं, इस फिल्म में दर्शक मुझे नॉन ग्लैमरस अवतार में देखकर चौंक जाएंगे।
मिनिषा कहती है कि अब्बा का कुंआ फिल्म में मैंने गांव की सीधी-सादी, मगर चंचल लड़की, नहीं गांव की गोरी की भूमिका निभायी है। श्याम बेनगल ने जिस अंदाज में मुझे अपनी फिल्म में पेश किया है, उस रूप की मैं स्वयं कल्पना नहीं कर सकती थी। यह फिल्म निश्चित ही मेरे कॅरियर के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इसके प्रदर्शन का मुझे बेसब्री से इंतजार है।
गौरतलब है, श्याम बेनेगल ने अपनी पिछली फिल्म वेलकम टू सज्जनपुर में अमृता राव को गांव की गोरी बनाकर पेश किया था। वेलकम.. फिल्म की सफलता और अमृता की सराहना से सब लोग वाकिफ हैं। हमेशा शहर की मॉडर्न गर्ल बनने वाली मिनिषा को उम्मीद है कि गांव की गोरी बनने के बाद उनके प्रशंसकों की तादाद में इजाफा तो होगा ही। साथ ही वे इंडस्ट्री की उम्दा अभिनेत्रियों की फेहरिस्त में भी शामिल हो जाएंगी। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि मिनिषा का नया अवतार लोगों को कितना पसंद आता है।
-रघुवेंद्र सिंह

Saturday, March 21, 2009

बेस्वाद चाट आलू-चाट | फिल्म समीक्षा

मुख्य कलाकार : आफताब शिवदासानी, आमना शरीफ, लिंडा, कुलभूषण खरबंदा आदि
निर्देशक : रॉबी ग्रेवाल
तकनीकी टीम : निर्माता-अनुज सक्सेना एवं गैरी एस,संगीत-आरडीबी, विपिन मिश्रा, महफूज मारूफ, गीत-आरडीबी, विपिन मिश्रा, सईद गुलरेज, लेखक-दिव्यनिधि शर्मा

रेटिंग : *1/2
आलू-चाट का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है, लेकिन राबी ग्रेवाल की फिल्म आलू चाट में ऐसी कोई बात नहीं है। उनकी आलू चाट में विभिन्न तरह के चटपटे तत्व मौजूद अवश्य हैं, लेकिन उनका मिश्रण एकदम बेस्वाद है। फिल्म आलू-चाट अमेरिका से लौटे पंजाबी युवक निखिल से आरंभ होती है। उसका परिवार दिल्ली के लाजपत नगर इलाके में रहता है। निखिल के घर लौटते ही उसका परिवार उसकी शादी कराने की ठान लेता है। लेकिन निखिल का दिल अमेरिका में रह रही शुद्ध भारतीय संस्कारों वाली मुस्लिम लड़की आमना के लिए धड़कता है। जबकि निखिल के पिता जात-पात जैसी बातों के पक्षधर हैं। आमना को घर में प्रवेश दिलाने के मकसद से निखिल अपने चाचा के साथ मिलकर योजना बनाता है। वह एक विदेशी लड़की को गर्लफ्रेंड बनाकर घर में लाता है। साथ ही अपनी गर्लफ्रेंड आमना को उसकी दोस्त बताकर घर में एंट्री कराता है। उसके बाद निखिल अपनी गर्लफ्रेंड आमना के साथ मिलकर परिवार वालों का नजरिया बदलने में जुट जाता है। आलू-चाट रोमांटिक कामेडी फिल्म है, जबकि इसमें आफताब शिवदासानी और आमना शरीफ के बीच कहीं भी रोमांस का पता नहीं चलता। आफताब पूरी फिल्म में सिर्फ मुस्कुराते ही नजर आते हैं। आमना शरीफ सीधी-सादी लड़की की भूमिका में आकर्षित करती हैं। अभिनेता संजय मिश्रा की उपस्थिति फिल्म में कामेडी का एहसास कराती है। फिल्म के संगीत में दम नहीं है। राबी ग्रेवाल पूर्व में समय और एमपी3 फिल्में बना चुके हैं। उनकी तीसरी फिल्म पिछली फिल्मों की तुलना में कमजोर है।

-रघुवेंद्र सिंह

Friday, March 20, 2009

अपार्टमेंट में नीतू व तनुश्री साथ-साथ | खबर

मुंबई। जगमोहन मुंद्रा निर्देशित फिल्म अपार्टमेंट में अभिनेत्री नीतू चंद्रा और तनुश्री दत्ता साथ नजर आएंगी। यह साइकोलॉजिकल थ्रिलर है। मैग्ना फिल्म्स के बैनर तले बन रही इस फिल्म की शूटिंग आजकल मुंबई में चल रही है। मैग्ना फिल्म्स के प्रमुख नारी हीरा ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया, मैग्ना फिल्म्स पूरी तरह से फिल्म निर्माण में उतर चुकी है। इसके बैनर तले इस वर्ष तीन फिल्मों का निर्माण हो रहा है। पहली जगमोहन मुंद्रा के निर्देशन में बन रही अपार्टमेंट है, दूसरी महेश नायर निर्देशित एक्सीडेंट ऑन हिल रोड और तीसरी शिंगोरा है। नीतू चंद्रा और तनुश्री दत्ता को हम पहली बार अपार्टमेंट में साथ पेश कर रहे हैं। सेलिना जेटली एक्सीडेंट में केंद्रीय भूमिका में हैं। इसमें वे निगेटिव भूमिका कर रही हैं। यह सभी फिल्में साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएंगी। इन फिल्मों का बजट सात से आठ करोड़ रूपए है। गौरतलब है, आर्थिक मंदी के दौर में निर्माता जहां घोषित फिल्मों को बनाने का विचार छोड़ रहे हैं, ऐसे समय में मैग्ना फिल्म्स कई फिल्मों के निर्माण की घोषणा कर रही है। इस संदर्भ में नारी हीरा कहते हैं, इस समय लोगों को मनोरंजन की सबसे ज्यादा जरूरत है। यह फिल्म निर्माण में उतरने का सबसे अच्छा वक्त है। वैसे, पिछले वर्ष हमने भ्रम फिल्म बनाई थी, लेकिन वह बॉक्स-ऑफिस पर चली नहीं। अपनी नई फिल्मों को लेकर हम उत्साहित हैं।
-रघुवेंद्र सिंह

Wednesday, March 18, 2009

निखिल ने बढ़ाया वजन | खबर

मुंबई। मणिरत्नम की बहुप्रतीक्षित फिल्म रावण में लक्ष्मण की आधुनिक भूमिका के लिए युवा अभिनेता निखिल द्विवेदी ने अपना पांच किग्रा वजन बढ़ाया है। इतना ही नहीं, उन्होंने भूमिका के लिए अपने बाल छोटे करवाने के साथ ही मूंछे भी बढ़ाई हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो रावण में निखिल बिल्कुल जुदा अंदाज में नजर आएंगे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, निखिल द्विवेदी फिल्म रावण में पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा रहे हैं। वे अपनी भूमिका को प्रभावी बनाने के लिए मणिरत्नम के हर दिशा निर्देश का विनम्रता से पालन कर रहे हैं। मणिरत्नम शूटिंग के दौरान अपने हर कलाकार को कई मर्तबा दृश्य समझाते हैं, लेकिन निखिल के मामले में वे ऐसा नहीं करते। वे निखिल की लगन एवं समर्पण भाव से काफी प्रभावित हुए हैं। गौरतलब है, मणिरत्नम की फिल्म रावण रामायण पर आधारित है। इसमें अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन रावण और सीता की भूमिका निभा रहे हैं। अभिनेता विक्रम राम एवं निखिल द्विवेदी लक्ष्मण तथा गोविंदा हनुमान की आधुनिक भूमिका में नजर आएंगे। फिल्म की शूटिंग अभी जारी है।
-रघुवेंद्र सिंह

दायरा बढ़ाने को आतुर शिल्पा शेंट्टी

शिल्पा शेट्टी ने फिल्मों की शूटिंग के साथ-साथ बीते दिनों इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में राजस्थान रॉयल्स टीम खरीदी। इसी माह उन्होंने मुंबई में स्पा भी शुरू किया। शिल्पा हर क्षेत्र में अपना दायरा बढ़ाने को आतुर हैं। प्रस्तुत है शिल्पा शेंट्टी से बातचीत-
बीते वर्ष आपकी एक भी फिल्म रिलीज नहीं हुई। क्या इस वर्ष उम्मीद कर सकते हैं?
बीते वर्ष मैं टीवी और अपने प्रोडक्शन हाउस को लेकर इतनी अधिक व्यस्त थी कि फिल्मों की तरफ ध्यान ही नहीं दे पायी। इस वर्ष दिवाली पर मेरी फिल्म द मैन रिलीज होगी। सन्नी देओल उसे निर्देशित कर रहे हैं। द मैन खूबसूरत फिल्म है। सन्नी उसका शीर्षक बदलने के बारे में सोच रहे हैं। आजकल मैं एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म द डिजायर की शूटिंग कर रही हूं। वह मेरी पहली अंतरराष्ट्रीय फिल्म है। उसमें मेरे ओपोजिट चीन के सुपरस्टार शिया यू हैं। उस फिल्म की शूटिंग जल्द खत्म हो जाएगी, लेकिन निर्माता उसे पहले कांस फिल्म फेस्टिवल में दिखाना चाहते हैं। अगले वर्ष वह भारत में प्रदर्शित हो सकेगी।
आपने एस-टू के बैनर तले फिल्म की घोषणा की थी, उसका क्या हुआ?
उस फिल्म को बनाने का विचार मैंने छोड़ दिया है। जल्दबाजी में बुरी फिल्म बनाने से अच्छा है कि समय लेकर बढि़या फिल्म बनाऊं। मैंने मेहनत से पैसे कमाएं हैं। हड़बड़ी में फिल्म बनाकर उन्हें गंवाना नहीं चाहती।
एक्ट्रेस के साथ ही अब आपकी पहचान बिजनेस वूमेन की हो गयी है। नयी पहचान से खुश हैं?
जी हां। अब मैं करियर के उस मुकाम पर पहुंच चुकी हूं जहां खुद को एक सीमित दायरे में नहीं रख सकती। सच कहूं तो मुझे हमेशा नयी-नयी चीजें करना अच्छा लगता है। मैं बिजनेस में काफी समय से आना चाहती थी। बस, सही वक्त की तलाश थी। हाल में जब राज कुंदरा का साथ मिला तो राजस्थान रॉयल्स टीम खरीद ली। लोग जब मुझे बिजनेस वूमेन कहकर संबोधित करते हैं तो खुशी होती है।
आईपीएल में आने का विचार कैसे आया?
ये राज कुंदरा का आइडिया था। वे बिजनेस मैन हैं। उन्हें लगा कि क्रिकेट अच्छा बिजनेस है। हम सब जानते हैं कि क्रिकेट ऐसा खेल है जो कभी आउट ऑफ फैशन नहीं होगा। फिर राजस्थान रॉयल्स रिस्की टीम नहीं है। सो हमने पैसा लगा दिया।
आप क्रिकेट में कितनी रूचि रखती हैं? क्या आईपीएल मैचों के दौरान मैदान में मौजूद रहेंगी?
हां बिल्कुल। इतना पैसा लगाया है, देखने तो जाऊंगी कि मेरे खिलाड़ी कैसा परफॉर्म करते हैं। उस दौरान मैं लंदन में सन्नी देओल की फिल्म द मैन की शूटिंग में व्यस्त रहूंगी। उसके बावजूद वक्त निकालकर क्रिकेट देखने जरूर आऊंगी। मुझे ट्वेंटी-ट्वेंटी क्रिकेट बहुत अच्छा लगता है।
कहीं आर्थिक मंदी का असर आपकी योजनाओं पर तो नहीं पड़ा?
बिल्कुल नहीं। मुझे नहीं लगता कि आर्थिक मंदी का असर हमारी फिल्म इंडस्ट्री पर पड़ा है। फिल्म और क्रिकेट ऐसे बिजनेस हैं, जिन पर आर्थिक मंदी का प्रभाव पड़ा ही नहीं है।
क्या बिग बॉस सीजन थ्री होस्ट कर रही हैं? छोटे पर्दे के प्रति क्या नजरिया है?
छोटे पर्दे ने मुझे बहुत कुछ दिया है। बिग ब्रदर से लेकर बिग बॉस तक के सफर में मेरे प्रशंसकों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। आज टीवी की पहुंच फिल्मों से ज्यादा हो चुकी है। जो कलाकार टीवी को छोटा मानते हैं, मैं उनसे सहमत नहीं हूं। मैं बिग बॉस सीजन थ्री होस्ट करना चाहती हूं।
क्या अपने चर्चित स्टेज शो मिस बॉलीवुड को दोबारा करेंगी?
नहीं। शायद ऐसा संभव न हो पाये। मुझे दुख है कि मैं इंडिया में वह शो नहीं कर सकी, लेकिन विदेशों में उस शो को लोगों ने काफी सराहा।
राज कुंदरा से अपने संबंधों को कैसे परिभाषित करेंगी? शादी कब तक करने का इरादा है?
राज और मैं एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं। हम दोनों एक-दूसरे की खूबियों और कमियों को बखूबी जानते हैं। हम एक साथ खुश हैं। शादी के बारे में अभी तक सोचा नहीं है। दोनों के जिम्मे इतना सारा काम है कि शादी करने की फुरसत ही नहीं है। वैसे हम दोनों शानदार तरीके से शादी करेंगे। सारा जमाना देखता रह जाएगा।
इन दिनों फिल्मी सितारों का राजनीति में प्रवेश हो रहा है, आपका क्या इरादा है?
मैंने इस बारे में कभी गंभीरता से नहीं सोचा है, फिलहाल मैं राजनीति में नहीं आ रही हूं।
-रघुवेंद्र सिंह

Tuesday, March 17, 2009

कैटरीना की बदलेगी प्रेम कहानी!

कैटरीना कैफ की बहुप्रतीक्षित फिल्म अजब प्रेम की गजब कहानी का शीर्षक संकट में पड़ चुका है। दरअसल, फिल्म के नायक रणबीर कपूर को यह शीर्षक पसंद नहीं आ रहा है। उनका मानना है कि अजब प्रेम की गजब कहानी शीर्षक पुराने जमाने का प्रतीत होता है। यही वजह है कि वह निर्देशक राजकुमार संतोषी पर शीर्षक बदलने के लिए जोर डाल रहे हैं। कैटरीना इस बात से निश्चिंत हैं। वह न तो रणबीर की इस बात का समर्थन कर रही हैं कि शीर्षक आधुनिक रखा जाए और न ही पुराने शीर्षक पर असंतुष्टि प्रकट कर रही हैं। वह शीर्षक से अधिक रणबीर कपूर के साथ अपनी जोड़ी को बिग स्क्रीन पर देखने को आतुर हैं। कैटरीना उत्साह के साथ कहती हैं, मैं सिर्फ अपना काम करने में विश्वास करती हूं। मैं राजकुमार संतोषी की सराहना करूंगी। उन्होंने मुझे और रणबीर को लेकर बहुत प्यारी जोड़ी बनायी है। मुझे लगता है कि हमारी जोड़ी दर्शकों के दिलों पर राज करेगी। मैं फिल्म के प्रदर्शन का बेसब्री से इंतजार कर रही हूं। मुझे कोई रणबीर के साथ दोबारा काम करने का ऑफर देगा, तो मैं खुशी-खुशी हां कह दूंगी। रणबीर कमाल के इंसान हैं। उनके अभिनय के बारे में मैं क्या कहूं? सधे अभिनय से उन्होंने सबका दिल जीत लिया है।
-रघुवेंद्र सिंह

अब इमेज को लेकर टेंशन से मुक्त है: पूरब कोहली

पूरब कोहली ने सत्रह वर्ष की उम्र में हिप हिप हुर्रे सीरियल से करियर की शुरुआत की थी। उसके बाद वे चैनल वी के वीजे बने। गत वर्षो में फिल्मों में सक्रियता बढ़ने के बाद उन्होंने टीवी से दूरी बना ली थी। रिएलिटी शो नाइट एंड एंजल्स से पूरब ने टीवी पर वापसी की है। शो में पूरब एंकरिंग करते नजर आ रहे हैं। अपनी वापसी पर पूरब कहते हैं, मैं 24 लड़कियों के बीच वक्त गुजारने का मौका नहीं गंवाना चाहता था और फिर इसके निर्माता शाहरुख खान हैं और जज सौरव गांगुली। इतना खूबसूरत मेल टीवी पर पहली बार देखने को मिल रहा है।
पूरब बात जारी रखते हैं, सच कहूं तो मैं अपनी इमेज को लेकर गंभीर हो गया था।
नाइट एंड एंजल्स एनडीटीवी इमेजिन पर प्रसारित हो रहा है। इस शो के जरिए आईपीएल क्रिकेट टीम के लिए चीयरलीडर्स की खोज हो रही है। क्रिकेट और चीयरलीडर्स के संबंध में पूरब कहते हैं, मैं क्रिकेट का बहुत बड़ा प्रशंसक नहीं हूं। हां, भारतीय होने के कारण इस खेल से मेरा रिश्ता जरूर है। चीयरलीडर्स को इस खेल से जोड़ने का कांसेप्ट मुझे अच्छा लगा। लोग क्यों भूल रहे हैं कि आईपीएल शुद्ध क्रिकेट खेल नहीं है। विदेशों में चीयरलीडर्स का कांसेप्ट हिट है। यहां के लोग भी इसे खुले दिल स्वीकार करेंगे।
पिछले वर्ष आयी फिल्म रॉक ऑन से पूरब के करियर को नयी दिशा मिल गयी है। साथ ही निर्माताओं के बीच उनकी मांग भी बढ़ गयी है। जल्द ही उनकी रजत कपूर निर्देशित फिल्म रैक्टेंगल लव स्टोरी प्रदर्शित होगी। पूरब कहते हैं, रॉक ऑन मेरे करियर के लिए टर्निग प्वाइंट साबित हुई। अब मेरी पहचान का दायरा बढ़ गया है। मेरी आने वाली फिल्म रैक्टेंगल दिलचस्प प्रेम कहानी है।

-रघुवेंद्र सिंह

...कि दिल अभी भरा नहीं: जयाप्रदा | मुलाकात

अपने समय की लोकप्रिय व खूबसूरत अभिनेत्री जयाप्रदा सांसद बनने के बाद हिंदी फिल्मों से दूर हो गई थीं और वे आखिरी बार 2006 में आई थीं फिल्म तथास्तु में, लेकिन अब फिर से वे हिंदी फिल्मों में दिखेंगी। प्रस्तुत हैं जयाप्रदा से हुई बातचीत के प्रमुख अंश..।
आपने कुछ समय पहले फिल्मों से दूरी क्यों बना ली थी?
मैंने सोच-समझकर ऐसा नहीं किया था। दरअसल, राजनैतिक जिम्मेदारी उन दिनों इतनी अधिक बढ़ गई थी कि फिल्मों के लिए ज्यादा समय देना मेरे लिए संभव ही नहीं था। हालांकि बीच में दक्षिण की फिल्मों में अच्छी भूमिकाएं निभाने के मौके मिले, तो मैंने काम भी किया। अब हिंदी फिल्मों के निर्माता मुझे चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं दे रहे हैं। जल्द ही मेरी फिल्म दशावतार रिलीज होगी। इसके अलावा, मैं भारत चीन के सहयोग से बन रही एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म द डिजायर और बुद्धदेव दासगुप्ता की एक हिंदी फिल्म कर रही हूं।
यानी राजनीति ने आपको फिल्मों से दूर कर दिया था?
हां, कुछ समय के लिए तो दूर कर ही दिया था। सच कहूं, तो मुझे स्थायित्व चाहिए था। फिल्मों से मुझे पहचान जरूर मिली, लेकिन स्थायित्व नहीं। फिर कुछ लोगों का मानना है कि ऐक्टर राजनीति में सफल नहीं होते। सच तो यह है कि मैं लोगों का वह भ्रम भी तोड़ना चाहती थी। अब लोग चाहते हैं कि मैं फिल्मों में वापस आऊं। सच कहूं, तो मेरा दिल ऐक्टिंग से भरा नहीं है। मैं और अच्छी फिल्में करना चाहती हूं।
क्या राजनीति में खुश हैं?
मैंने राज्यसभा में छह साल और लोकसभा में पांच साल बिताए हैं, यानी मुझे लोगों का पूरा प्यार और समर्थन मिला है। मैं खुश हूं। दरअसल, राजनीति में आने के बाद जीवन के प्रति मेरी सोच और नजरिए में सकारात्मक बदलाव आया है, बल्कि राजनीति में आने के बाद मुझे लोगों के दर्द से जुड़ने का मौका मिला।
आप लगभग ढाई सौ फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। क्या आपके लिए कुछ नया बचा है करने के लिए?
मैंने भूमिकाओं के मामले में कभी समझौता नहीं किया। यही वजह है कि मेरी इमेज परफॉर्मर की बन गई। मैं खुश इसलिए हूं, क्योंकि परफॉर्मर की उम्र लंबी होती है। मैं टिपिकल रोल बिल्कुल नहीं करूंगी। मैं इंडस्ट्री में न केवल बनी रहना चाहती हूं, बल्कि परफॉर्मेस ओरिएंटेड फिल्में भी करना चाहती हूं। मुझे लगता है कि द डिजायर की भूमिका इस काम में मेरी मदद करेगी।
द डिजायर में आपकी क्या भूमिका है?
यह डांस बेस्ड फिल्म है। मैं इसमें शिल्पा शेट्टी की मां और गुरु की भूमिका निभा रही हूं। ओडिसी डांसर बनी हूं। चूंकि मैंने भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी सीखी है, ओडिसी नहीं सीखी, यही वजह है कि मुझे इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। फिल्म की दिलचस्प बात यह है कि इसमें मैं और शिल्पा मंच पर ओडिसी डांस करती दिखूंगी। वह दृश्य देखकर लोगों को मेरा और श्रीदेवी का समय याद आ जाएगा। खास बात यह है कि द डिजायर हिंदी और चाइनीज में रिलीज होगी। इसमें चीन के सुपरस्टार शिया यू भी अहम भूमिका में हैं।
शिल्पा शेट्टी के साथ काम करते हुए कभी चुनौती मिली?
मेरी समझ से शिल्पा नई हैं, लेकिन हमारे पास भी अनुभव है, इसलिए हम नई पीढ़ी से टक्कर लेने में समर्थ हैं। फिल्म में लोगों को मेरे और शिल्पा के बीच अच्छा कॉम्पिटिशन देखने को मिलेगा। वैसे भी मुझे चुनौती स्वीकारना अच्छा लगता है।
अब तक के सफर पर क्या कहेंगी?
मैंने राजनीति और फिल्मों में अच्छी भूमिकाएं निभाई हैं। देश की लगभग हर भाषा की फिल्में कर चुकी हूं। खुश हूं, लेकिन संतुष्ट नहीं हूं। मेरे करियर में कॉमा लगते रहे हैं और लगेंगे, लेकिन फुलस्टॉप जल्दी नहीं लगेगा। मैं ऐक्टिंग को समंदर मानती हूं। मैंने इसमें उतरना तो सीखा है, लेकिन बाहर निकलना नहीं सीखा। मैं अंतिम सांस तक ऐक्टिंग करती रहूंगी।
-रघुवेंद्र सिंह

Saturday, March 7, 2009

बचपन से हीरो बनने की ख्वाहिश थी/7 मार्च जन्मदिन पर विशेष/ अनुपम खेर

अनुपम खेर ने छोटी उम्र में ही मन बना लिया था कि ऐक्टर बनना है। उनकी जन्मभूमि है शिमला। जब फिल्म स्टार शूटिंग के लिए वहां आते थे, तो वे कॉलेज की बजाए सेट पर पहुंच जाते थे। ऐक्टरों को करीब से देखने, ढूंढते और फिर दोस्तों के बीच जाकर गर्व से किस्से सुनाते। फिल्म इंडस्ट्री का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके अनुपम आज उन बातों को याद करते हैं, तो उनकी हंसी रुकती नहीं। 7 मार्च को जीवन के नए बसंत में प्रवेश कर रहे अनुपम अपने जन्मदिन के अवसर पर, याद कर रहे हैं उन दिनों को..
बचपन के दिन : मैंने बचपन में ऐक्टर बनने का सपना तो देख लिया था, लेकिन यह पता नहीं था कि ऐक्टर कैसे बनूंगा! मेरे उन कच्चे सपनों पर हिंदी फिल्मों का बहुत असर था। मैं अक्सर यही सोचता था कि जो बड़े पर्दे पर ऐक्टर जैसे दिखते हैं, वे रिअॅल लाइफ में भी वैसे ही होते होंगे, लेकिन मेरा वह भ्रम अठारह वर्ष की उम्र में टूट गया। सुनील दत्त, जीतेन्द्र, ओम शिवपुरी और असरानी शिमला में फिल्म उमर कैद की शूटिंग करने आए थे। मैं पहली बार शूटिंग देखने गया था। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐक्टर हमारी तरह ही हाथ से खाना खाते हैं, पत्ते खेलते हैं और सड़क पर पैदल चलते हैं! दिलचस्प बात यह है कि मैं कॉलेज में जाकर दोस्तों से कहता कि जीतेन्द्र ने मेरे हाथ से खाना खाया और सुनील दत्त मुझसे चाय पीकर आने के लिए कह रहे थे। मैं ऐसे ही मनगढ़ंत किस्से सुनाता। उसी दौरान मेरे सपनों को मजबूती मिली।
आसान नहीं रहा सफर : मैं 3 जून 1981 को मुंबई के वीटी स्टेशन पर उतरा। उस वक्त जेब में मात्र 37 रुपये थे। पता नहीं था कि जाना कहां है! कोई अपना न था। मैंने कई रातें सड़कों पर गुजारीं, खाली पेट सोया और लोगों से झूठ बोला। मैंने संघर्ष करीब से देखा है। जब हर जगह धक्के खाकर मैं थक गया, तो अपने दादाजी को चिट्ठी लिखी। लिखा कि यहां लोगों को बात करने की तमीज नहीं है! लोग धक्के मारकर ऑफिस से बाहर कर देते हैं। मेरी दो स्तर पर बेइज्जती होती है। एक इनसानी और दूसरी पढ़े-लिखे स्तर पर। दरअसल, मैं एनएसडी का गोल्ड मेडलिस्ट था, इसलिए मुझे ज्यादा बेइज्जती महसूस होती थी। दादाजी का जवाब आया, तुम्हारे मां-बाप ने तुम्हें पढ़ाने के लिए घर के बर्तन बेचे, घड़ी बेची, क्या इसीलिए कि तुम वापस आ जाओ! तुम दो साल मुंबई में संघर्ष कर चुके हो। अब परिपक्व हो गए हो। याद रखो, भीगा हुआ इनसान बारिश से नहीं डरता! दादा जी की चिट्ठी ने मेरी आंखें खोल दी और मैं जोश के साथ सपने की तरफ बढ़ चला।
सकारात्मक सोच काम आई : मैं हमेशा सकारात्मक सोच रखता हूं और असफलता से अच्छी बातें सीखने की कोशिश करता हूं। मैं यह सोचकर दुखी नहीं होता कि अमिताभ बच्चन या रॉबर्ट डिनीरियो क्यों नहीं बना? मैं यह सोचकर खुश होता हूं कि कुछ लोग अनुपम खेर भी बनना चाहते हैं। मैं सोचकर दुखी नहीं होता कि मेरे पास कई करोड़ रुपये नहीं हैं! मैं सोचकर खुश होता हूं कि 37 रुपये के हिसाब से मैं हमेशा करोड़पति रहूंगा। मुंबई में एक प्रतिशत लोग सफल होते हैं। मैं तो खुश हूं कि लोग आज भी मुझे प्यार देते हैं। मेरी फिल्मों को शिद्दत से देखते हैं। मैं अपनी कमियों पर पर्दा नहीं डालता, बल्कि उनके बारे में बात करता रहता हूं। दुनिया में लोग आपकी कमियों से लोगों को डराते हैं और यदि मैं कमियों के बारे में बात करूंगा, तो कैसे डराऊंगा! आज मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, मोबाइल है और एक स्कूल भी है। मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं।
जीवन का निचोड़ : मैंने जब से ऐक्टिंग स्कूल खोला है, खुद को अधिक जिम्मेदार महसूस करने लगा हूं। बीच में एक दौर ऐसा भी आया था, जब मैं पैसे के लिए काम करने लगा था, लेकिन अब ऐसा काम नहीं करना चाहता, जिसे देखकर मेरे स्कूल के बच्चे कहें कि ये हमारे प्रिंसिपल हैं! मैं प्रशिक्षक और निर्देशक के रूप में ऐसा काम करना चाहता हूं कि दुनिया सम्मान की नजर से देखे। मैं स्कूल के बच्चों को न केवल अपने जीवन से सीखने की सलाह देता हूं, बल्कि संयमित जीवन जीने के लिए भी कहता हूं। कहता हूं कि झूठ जरूर बोलो, लेकिन खुद से कभी झूठ मत बोलो। मैंने अपने सफर से यही सीखा है कि परिश्रम और ईमानदारी का कोई विकल्प नहीं है। मुश्किलों से टकराने की ताकत है, तो हर मंजिल आपके कदम चूमेगी।
-रघुवेंद्र सिंह

Friday, March 6, 2009

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर शिल्पा शेट्टी व् पूनम ढिल्लन की राय

घरेलू महिलाओं को सलाम करती हूं-शिल्पा शेट्टी
महिलाएं तेजी से विकास पथ पर अग्रसर है। घर के अंदर भी और घर के बाहर भी। जो महिलाएं घर में व्यस्त हैं, उन्हें अधिक सफल कहा जाना चाहिए। सुबह उठकर नाश्ता बनाना, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना, पति और सास-ससुर की हर सुविधा का ध्यान रखना आदि बातें और कार्य मामूली नहीं हैं। घर में काम करने वाली महिलाओं को मैं सलाम करती हूं। हमें गर्व होना चाहिए कि हमारी राष्ट्रपति एक महिला हैं। महिला दिवस का दिन हमें हमारी शक्ति का अहसास कराता है।
बात बस इज्जत देने की है-पूनम ढिल्लन
महिला दिवस मनाने की जरूरत नहीं है। बात बस इज्जत देने की है कि हम महिलाओं की इज्जत करें। कामकाजी महिलाएं ही नहीं, घरेलू महिलाएं भी सफल हैं, बशर्ते उनके पास मन की शांति हो, वे सेहतमंद हों और उनका परिवार सुखी हो। मेरे लिए निजी स्वतंत्रता का यही मतलब है कि मैं अपने बनाए नियमों के अनुसार अपनी जिंदगी इज्जत से जी सकूं। मैं यह मानती हूँ कि भारत ही एक ऐसा देश है, जहां पर महिलाओं को सबसे ज्यादा इज्जत मिलती है। जहां तक अपवादों की बात है, तो वे हर समाज में होते है। महिलाओं को इज्जत से रखें और उन्हें समान अवसर दें, तभी महिला दिवस सार्थक हो सकेगा।
-रघुवेंद्र सिंह

मेरी आदर्श महिलाएं/ महिला दिवस विशेष

हर पुरुष की सफलता के पीछे किसी महिला का हाथ होता है और जिंदगी संवारने में भी। ग्लैमर जगत से जुड़े कुछ प्रसिद्ध व्यक्ति बता रहे है अपने जीवन की आदर्श महिलाओं के बारे में-
आशुतोष गोवारिकर (निर्माता-निर्देशक)
प्रसिद्ध फिल्मकार आशुतोष गोवारिकर का कहना है कि मैं तीन महिलाओं को अपना आदर्श मानता हूं। खुशी की बात यह है कि ये तीनों महिलाएं मेरे निजी जीवन से जुड़ी हैं। आज मैं जो कुछ हूं, उन्हीं की बदौलत हूं। मैं अपनी सफलता का सारा श्रेय उन्हीं को दूंगा। ये महिलाएं है मेरी मां किशोरी जी, बहन अस्लेष और पत्नी सुनीता। ये तीनों मेरी शक्ति हैं। यदि मेरी मां ने मुझे पाल-पोसकर और पढ़ा-लिखाकर बड़ा न किया होता, तो आज मेरा नामोनिशां न होता। अपनी बहन से मैंने सुख-दुख बांटे हैं। सुनीता के बारे में क्या कहूं? वह तो हर कदम पर मेरे साथ रहती है और मेरा उत्साहव‌र्द्धन करती है। सच कहूं तो उसके बिना मैं कुछ भी नहीं हूं। महिला दिवस के अवसर पर मैं अपनी तीनों आदर्श महिलाओं को दिल से धन्यवाद दूंगा और चाहूंगा कि हर दम इनका साथ यूं ही बना रहे।
जैकी श्रॉफ (अभिनेता)
लोकप्रिय फिल्म अभिनेता जैकी श्रॉफ अपनी मां रीता को अपना आदर्श मानते हैं। जैकी श्रॉफ का कहना है कि दुनिया को दिखाने के लिए तो मैं कई महिलाओं को अपना आदर्श बता सकता हूं, लेकिन मैं वैसा नहीं करूंगा। मैं सिर्फ अपनी मां को अपना आदर्श मानता हूं। मां से मेरा अस्तित्व है। मैं उन्हीं में अपने ईश्वर के दर्शन करता हूं। उनकी पूजा करता हूं। उनका बखान करने बैठूं, तो शब्द कम पड़ जाएंगे। महिला दिवस के मौके पर मैं ईश्वर का शुक्रिया अदा करूंगा कि उन्होंने मुझे प्यारी सी मां दी। मेरा मानना है कि जो शख्स मां की इज्जत करना जानता है, वह हर महिला की इज्जत करता है। महिलाओं को सम्मान देना हमारा क‌र्त्तव्य है। उनके बिना हम कुछ भी नहीं हैं।
हरमन बावेजा (अभिनेता)
[मां]
मां ही मेरी दुनिया हैं। उन्हीं से मेरी शुरुआत होती है और उन्हीं के कदमों में जाकर मैं सिमट जाता हूं। उन्होंने ही मुझे विपरीत परिस्थितियों से लड़ना सिखाया है। उन्हीं की सीख है, जो आज मैं कठिन परिस्थिति का सामना सहजता से कर लेता हूं।
[बहन]
मेरी बहन रोविना दुनिया में सबसे जुदा हैं। वे घरेलू कामकाज के साथ ही पापा के कामकाज में भी हाथ बंटाती हैं। मैं उन्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त मानता हूं। उनका हार्डवर्किग नेचर मुझे बेहद पसंद है। मैं उन्हीं की तरह हार्डवर्क करने की कोशिश करता हूं।
[शाहिदा परवीन]
वे कोई सेलेब्रिटी नहीं हैं। वे जम्मू कश्मीर में पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। उनकी बहादुरी और साहस के किस्से लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। हाल में मेरी मुलाकात उनसे हुई। मैं उनकी पर्सनैलिटी से बेहद प्रभावित हुआ। महिला होने के बावजूद वे हिम्मत के साथ वहां विपरीत परिस्थितियों के बीच ड्यूटी कर रही हैं।
-रघुवेंद्र सिंह

लोगों का भ्रम तोड़ना चाहती है सेलिना

जल्द दो अंग्रेजी फिल्मों के साथ ही कुछ हिंदी फिल्मों में भी दिखेंगी सेलिना जेटली। अब तक फिल्मी दुनिया की सिर्फ ग्लैमरस हीरोइन के रूप में पहचानी जाने वाली सेलिना की चाहत है हर तरह की भूमिका करने की। वे कुछ फिल्मों में ऐसा कर भी रही हैं। उनकी आने वाली फिल्में कौन-कौन-सी हैं, बता रही हैं खुद इस खास मुलाकात में रघुवेंद्र सिंह को..। अब अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में दिखेंगी ग्लैमरस हीरोइन सेलिना जेटली भी। उनकी दो अंग्रेजी फिल्में लव हैज नो लैंग्वेज और द क्वेस्ट ऑफ शहजाद प्रदर्शन के लिए तैयार हैं। उन्हें आशा है कि इन फिल्मों के जरिए उन्हें विश्वस्तरीय पहचान भी मिलेगी। सेलिना उत्साहित होकर कहती हैं, मैं खुश हूं कि हिंदी फिल्मों की बदौलत अब मुझे अंग्रेजी फिल्मों का हिस्सा बनने का अवसर भी मिल रहा है। इस साल मेरी दो अंग्रेजी फिल्में रिलीज होंगी। इन फिल्मों में मैंने भारतीय लड़की की भूमिका निभाई है। वे अपनी बात आगे जारी रखती हैं, भारत में इन फिल्मों के प्रदर्शन का मैं इंतजार कर रही हूं। बीते साल नवंबर में न्यूजीलैंड में लव हैज नो लैंग्वेज का प्रीमियर हुआ था। वहां की मीडिया ने मेरे प्रति जो प्यार दिखाया, उसे देख कर मैं चकित रह गई। उस फिल्म के लिए मुझे बहुत अच्छा रेस्पॉन्स मिला। लोगों ने मेरे काम की सराहना भी की।
बीते छह वर्षो से हिंदी फिल्मों में सक्रिय सेलिना के लिए अंग्रेजी फिल्में हमेशा दूसरी पसंद होंगी। वे कहती हैं, मैं अंगे्रजी फिल्में जरूर कर रही हूं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मैं हिंदी फिल्मों से दूर हो जाऊंगी! हिंदी फिल्में हमेशा मेरी प्राथमिकता होंगी। मैं यह भूल ही नहीं सकती कि लोगों में मेरी पहचान हिंदी फिल्मों से ही है! सच कहूं, तो हमारी फिल्मों का मजा किसी और भाषा की फिल्म में नहीं है। हमारी फिल्म में ऐक्टर को ऐक्टिंग, डांस, गीत, ऐक्शन सब कुछ करने का अवसर मिलता है। मैंने अंग्रेजी फिल्मों की शूटिंग के दौरान गीत और डांस को बहुत मिस किया। वैसे, इस साल मेरी कई हिंदी फिल्में भी प्रदर्शित होंगी। उनमें नीरज वोरा की रन भोला रन, मुक्ता आ‌र्ट्स की फिल्म पेइंग गेस्ट और हेलो डार्लिग, आदित्य दत्त की चाय गरम और तिग्मांशु धूलिया की फिल्म शोमैन है।
सेलिना की इस साल प्रदर्शित होने वाली सभी फिल्में मल्टीस्टारर और कॉमेडी विषय वाली हैं। इस बारे में वे कहती हैं, मेरी सभी फिल्में कॉमेडी जॉनर की भले ही हैं, लेकिन इनमें दर्शक मुझे रोमांस, ऐक्शन, स्टंट सब करते हुए देखेंगे। मैं कॉमेडी फिल्में इसलिए भी कर रही हूं, क्योंकि दर्शक मुझे कॉमेडी फिल्मों में देखना पसंद करते हैं। सच तो यह है कि सीरियस फिल्में देखने कोई थिएटर में जाता ही नहीं है और रही बात मल्टीस्टारर फिल्मों की, तो यदि आज शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन जैसे लोकप्रिय कलाकार ऐसी फिल्में कर रहे हैं, तो मैं भला क्यों नहीं कर सकती? अब सोलो फिल्मों का जमाना नहीं रहा। आज का दर्शक एक ही फिल्म में अपने सभी पसंदीदा कलाकारों को देखना पसंद करता है। दरअसल, उनकी मांग पर ही ऐसी फिल्मों का चलन बढ़ा है। मुझे स्क्रिप्ट और रोल पसंद आना चाहिए। मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह फिल्म सोलो है या मल्टीस्टारर!
सेलिना अच्छी तरह वाकिफ हैं कि हिंदी फिल्मों में अभिनेत्रियों की उम्र छोटी होती है और इसीलिए वे कम समय में हर तरह की भूमिका कर लेना चाहती हैं। वे कहती हैं, मैंने अब तक अधिकतर ग्लैमरस भूमिकाएं ही की हैं। इसीलिए मेरी पहचान ग्लैमरस ऐक्ट्रेस की ही बन कर रह गई है। मैं लोगों का वह भ्रम अब तोड़ना चाहती हूं। लोगों को बताना चाहती हूं कि मैं सिर्फ सुंदर गुडि़या ही नहीं हूं। मैं जानती हूं कि मैं कमाल की ऐक्ट्रेस नहीं हूं, लेकिन मैं बुरी भी नहीं हूं। लोगों को यह जान कर हैरानी होगी कि मैंने रन भोला रन में दसवीं मंजिल से छलांग लगाई है, जिसे करना बहुत ही मुश्किल था। मैं कम से कम समय में विविध भूमिकाएं करना चाहती हूं। सारी दुनिया जानती है कि हिंदी फिल्मों की ऐक्ट्रेस की उम्र छोटी होती है। शुरू से ही यह देखा गया है कि जैसे ही हीरोइनों की उम्र ढलती है, निर्माता-निर्देशक उनसे दूरी बनाने लगते हैं। हालांकि रेखा जी जैसी कुछ ही ऐक्ट्रेस इस मामले में अपवाद हैं। इस बारे में मैं बस यही कहना चाहती हूं कि आने वाली पीढ़ी मुझे वर्सटाइल ऐक्ट्रेस के रूप में जाने।
-रघुवेंद्र सिंह

आईफा से नहीं जुड़ेगा आतंकवाद का मुद्दा | खबर

मुंबई। इंटरनेशनल इंडियन फिल्म अकादमी (आईफा) के ब्रांड अंबेसडर अमिताभ बच्चन ने शुक्रवार सुबह पहला वोट डालकर दसवें आईफा पुरस्कार की वोटिंग लाइन का शुभारंभ किया।
आईफा के दस साल पूरे होने पर उन्होंने खुशी व्यक्त की। अमिताभ बच्चन के मुताबिक, यह आईफा का दसवां साल है। हम बेहद खुश एवं उत्साहित हैं। आईफा न केवल भारतीय सिनेमा को विश्व स्तर पर खूबसूरती से पेश कर रहा है, बल्कि यह विदेशी एवं भारतीय सिनेमा के बीच पुल का काम कर रहा है। आईफा भारतीय टैलेंट को विश्व में पहचान भी दिला रहा है। साथ ही, ग्लोबल वार्मिग जैसी वैश्विक समस्या के प्रति दुनिया का ध्यानाकर्षण करने के साथ लाइटिंग लैम्प फॉर विलेजेज जैसे सामाजिक कार्यो में सहभागिता दर्शा रहा है। गौरतलब है, इस साल आईफा पुरस्कार समारोह आगामी जून माह में 11 से 13 तारीख को आयोजित होगा। अभी तक समारोह स्थल का चयन नहीं हो सका है। अमिताभ बच्चन के मुताबिक, दसवें आईफा पुरस्कार समारोह को खास बनाने की दिशा में हमारी टीम काम कर रही है। उस बारे में अभी जानकारी नहीं दे सकते। वे सरप्राइज होंगे। इस माह के अंत तक हम आईफा के लिए स्थान का चयन कर लेंगे। आईफा के लिए ऐसी जगह का चयन करेंगे, जहां इस तरह का कार्यक्रम कभी नहीं हुआ होगा। इस संबंध में हम फिल्म इंडस्ट्री की रूचि का ख्याल रखेंगे। आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे को आईफा से जोड़ने के संदर्भ में अमिताभ बच्चन ने कहा कि आतंकवाद संवेदनशील मुद्दा है। इसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए। इस वक्त यह देश एवं विश्व के लिए बहुत खतरनाक साबित हो रहा है।

अमिताभ बच्चन पिछले दस सालों से आईफा के ब्रांड अंबेसडर हैं। आईफा के साथ अपने दस साल के जुड़ाव पर उन्होंने कहा, आज मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि आईफा ने मुझे अपना ब्रांड अंबेसडर चुना। जिस प्रोफेशन को 50-60 साल पहले अच्छी नजर से नहीं देखा जाता था, आज उसे विश्व स्तर पर पहचान मिल चुकी है। आज हमारे टैलेंट को लोग नोटिस कर रहे हैं और सम्मानित कर रहे हैं। इंडस्ट्री की यह उन्नति देखकर मुझे खुशी होती है और गर्व होता है कि मैं फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हूं। ज्ञात हो, दसवें आईफा पुरस्कार की वोटिंग लाइन के उद्घाटन के मौके पर अमिताभ बच्चन एकदम नए लुक में नजर आए। उन्होंने अपनी लोकप्रिय फ्रेंच कट दाढ़ी हटा दी है। अमिताभ ने बताया कि उन्होंने अपनी दाढ़ी फिल्म पा के लिए हटायी है। पा में उनका खास लुक दर्शकों को देखने को मिलेगा। पिछले एक सप्ताह से वे पा की शूटिंग दिन-रात कर रहे हैं। देर रात तक शूटिंग करने की वजह से ही वे आज इवेंट में दो घंटे देर पहुंचे थे।
-रघुवेंद्र सिंह

Tuesday, March 3, 2009

हिन्दी फिल्में हमेशा प्रिय रही है-आर माधवन

आर माधवन का बालीवुड प्रेम किसी न किसी बहाने उन्हे मुंबई ले ही आता है। इन दिनों अपनी तीन फिल्मों को लेकर व्यस्त है। हिंदी फिल्मों में उनकी व्यस्तता, फिल्म 13 बी एवं भावी योजनाओं के संदर्भ में बातचीत-
हिंदी फिल्मों में अपनी दिलचस्पी पर क्या कहते है?
मेरे लिए हिंदी फिल्में हमेशा प्रिय रही हैं। चूंकि दक्षिण की फिल्मों में मेरी रोजी-रोटी अच्छी चल रही है इसलिए मैं वहां काम कर रहा हूं। इधर अमिताभ बच्चन के साथ तीन पत्ती, आमिर खान के साथ थ्री इडियट्स, 13 बी और सिकंदर जैसी बढि़या फिल्में मिल गयीं, सो मैंने हां कह दिया। सच कहूं तो मैं मुंबई में स्ट्रगल नहीं करना चाहता था। अब हिंदी फिल्मों के निर्माता मुझ पर पैसा लगा रहे हैं। मेरे नाम पर फिल्में बनाने के लिए तैयार हैं, तो मैंने सोचा भाव नहीं खाना चाहिए।
13 बी किस तरह की फिल्म है? इससे जुड़ना कैसे हुआ?
फिल्म के निर्देशक विक्रम आठ वर्ष पहले मुझसे चेन्नई में मिले थे। उन्होंने कहा कि वे मेरे साथ फिल्म बनाना चाहते हैं। विक्रम मुझे अलग किस्म के इंसान लगे। मैंने हां कह दिया। कई कहानियों के बाद हमने 13 बी में साथ काम करने का निर्णय लिया। यह सुपरनैचुरल थ्रिलर है। विक्रम ने बताया कि इसके राइट एक तेलेगू निर्देशक के पास हैं। मैंने उस निर्देशक से राइट खरीद लिए। मैं गुरू के म्यूजिक रिलीज के दौरान मुंबई आया था। वहां मनमोहन शेंट्टी मिले। उन्होंने कहा कि मुंबई आ जाओ, यहां आपके योग्य काफी काम है। मैंने कहा कि मेरे पास एक कहानी है आप सुनेंगे तो मैं आ सकता हूं। मैंने विक्रम को उन्हें कहानी सुनाने के लिए भेजा। कहानी सुनने के तुरंत बाद मनमोहन शेंट्टी ने फोन करके मुझे मुंबई बुलाया। उन्होंने कहा कि वे उसे हिंदी और तमिल में बनाएंगे। शंकर एहसान लॉय ने म्यूजिक दिया।
फिल्म की कहानी एवं अपनी भूमिका के बारे में बताएं?
13 बी की कहानी आज के आम आदमी की है, जो दिन भर काम करके रात नौ बजे घर पहुंचता है। घर पर उसके बीवी-बच्चे अकेले रहते हैं। आज लोग अपने अकेलेपन एवं तनाव को दूर करने के लिए टीवी का सहारा लेते हैं। दिलचस्प बात यह है कि आप टीवी के रिमोट के जरिए घर के मालिक को जान सकते हैं क्योंकि रिमोट उसी के हाथ में होता है। यानी टीवी तय करता है कि कौन घर का बॉस है। अब मान लीजिए टीवी को इस शक्ति का एहसास हो जाए और वह आपके खानदान के साथ खेलने लग जाए तो क्या होगा? मेरा दावा है कि फिल्म देखने के बाद लोग टीवी ऑन करने से पहले दस बार सोचेंगे। इसमें कोई भूत-प्रेत नहीं है, फिर भी फिल्म देखते समय लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे। मैं इसमें मनोहर की भूमिका निभा रहा हूं।
विक्रम के साथ शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?
विक्रम मेरे दोस्त हैं और दोस्त निर्देशक बन जाए तो समस्या होती है। दोस्त और निर्देशक के बीच का फर्क रखना मुश्किल हो जाता है, लेकिन मैं विक्रम को सेट पर निर्देशक की नजर से देखता था। सेट पर वे मेरे बॉस होते थे। मैं उनकी हर बात चुपचाप सुनता था। मुझे उनके निर्देशन में काम करने में कोई समस्या नहीं आयी।
डील या नो डील शो के बाद आप टीवी पर नहीं दिखे। क्या आगे टीवी के लिए काम करेंगे?
अब मैं टीवी नहीं कर पाऊंगा। फिल्मों में व्यस्तता बढ़ गयी है। यदि आप शाहरुख खान या अक्षय कुमार जैसे सुपरस्टार हो तब टीवी करें तो अच्छा होगा। आपको अच्छे पैसे और अच्छी पब्लिसिटी मिलेगी। लोग आपका शो भी देखेंगे।
एक्टर के तौर पर खुद को कितना परिपक्व मानते हैं?
मैं अभी सीख रहा हूं। अमिताभ बच्चन और आमिर खान के साथ काम करके पता चलता है कि हम कितने पानी में हैं। ईमानदारी से कहूं तो अभी मैं फिफ्टी परसेंट ही अभिनय सीख पाया हूं।
जमशेदपुर जाना होता है ?
अब नहीं जाना होता। कोई पुरस्कार समारोह होता है और बुलावा आता है तो जाता हूं। मैंने 1989 में जमशेदपुर छोड़ा था। दरअसल, अब वहां मेरा कोई संगी-संबंधी नहीं है। सब लोग मद्रास में हैं। मैं जमशेदपुर को मिस करता हूं। वहां का रहन-सहन का तरीका, दोस्तों के साथ बवाल करना और वहां की सुरक्षा मिस करता हूं। काश, मेरा बेटा भी उन चीजों का अनुभव ले पाता।
आगामी फिल्मों के बारे में बताएं?
जल्द ही सिकंदर आएगी। रंग दे बसंती के बाद उसमें मैं फिर आर्मी ऑफिसर की भूमिका में दिखाई दूंगा। साल के अंत में थ्री इडियट्स प्रदर्शित होगी। मैंने टी-सीरीज, सहारा और शेमारू के साथ एक-एक फिल्में साइन की हैं। उनकी शूटिंग जल्द ही आरंभ होगी।
-रघुवेंद्र सिंह

Monday, March 2, 2009

दिल जीतना चुनौती होगी: शरमन जोशी

शरमन जोशी जल्द ही नए चैनल रीयल पर गेम शो पोकर फेस-दिल सच्चा चेहरा झूठा का संचालन करते नजर आएंगे। शरमन का यह पहला टीवी शो है। वे शो के जरिए प्रत्येक सप्ताह एक भारतीय दर्शक को करोड़पति बनाएंगे। यह क्विज गेम शो है। इसमें जरूरी नहीं है कि प्रतियोगी को हर प्रश्न का जवाब पता हो। यदि प्रतियोगी झूठ बोलना जानता है तो भी वह सात दिनों के अंदर एक करोड़ रुपए जीत सकता है। यही शो की खासियत है। इसमें समाज के हर वर्ग के लोग भाग ले सकते हैं। मैं इस शो में प्रतियोगियों का उत्साह बढ़ाने के साथ ही दर्शकों का भरपूर मनोरंजन भी करूंगा। मैंने चौदह एपीसोड की शूटिंग कर ली है। मुझे मजा आ रहा है। खुशी की बात यह है कि मुझे शो की बदौलत कुछ नया सीखने का मौका मिल रहा है। उम्मीद है कि बड़े पर्दे से छोटे पर्दे का रूख करने वाले सफल कलाकारों में मेरा नाम लिया जाएगा। मैं भविष्य में और भी शो कर सकता हूं, लेकिन उसमें पोकर फेस की तरह नयापन होना चाहिए।
बीते साल शरमन की दो फिल्में हैलो और सॉरी भाई प्रदर्शित हुईं। वे बॉक्स-ऑफिस पर चली नहीं। उनको इस साल प्रदर्शित होने वाली अपनी फिल्मों तो बात पक्की, अल्लाह के बंदे और थ्री इडियट्स से काफी उम्मीदे हैं। वे कहते हैं, अप्रैल में मेरी फिल्म तो बात पक्की प्रदर्शित होगी। केदार शिंदे निर्देशित वह रोमांटिक कॉमेडी है। उसमें मैं तब्बू के साथ हूं। उसके बाद फारूक कबीर की अल्लाह के बंदे आएगी और साल के अंत में राजकुमार हिरानी निर्देशित थ्री इडियट्स प्रदर्शित होगी। रंग दे बसंती के बाद मैं उस फिल्म में एक बार फिर आमिर खान के साथ हूं। आशा कर रहा हूं कि 2009 मेरे करियर के लिए शुभ होगा।
-रघुवेंद्र सिंह

शिल्पा को मिली जयाप्रदा से चुनौती

युवा दिलों की धड़कन शिल्पा शेंट्टी अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय फिल्म द डिजायर को लेकर इन दिनों उत्साहित हैं और साथ ही नर्वस भी। दरअसल, इस फिल्म में वे एक दक्ष ओडिसी नृत्यांगना की भूमिका निभा रही हैं और उनके साथ रीयल लाइफ में इस नृत्य में पारंगत अभिनेत्री एवं सांसद जयाप्रदा सहयोगी कलाकार हैं।
जया फिल्म में शिल्पा की मां एवं गुरू की भूमिका में हैं। बीते दिनों नासिक में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जयाप्रदा ने सार्वजनिक तौर पर कहा, एक जमाने में मेरे और श्रीदेवी के बीच नृत्य को लेकर जिस तरह की प्रतिस्पर्धा और तुलना होती थी, ठीक वैसा ही मंजर द डिजायर में देखने को मिलेगा।
मैंने इस फिल्म में शिल्पा को कड़ी चुनौती दी है। हम दोनों ने एक मंच पर जमकर ओडिसी नृत्य किया है। इसमें हम दोनों की नृत्य प्रतिभा और सुंदरता देखने योग्य होगी। मुझे यकीन है कि फिल्म के प्रदर्शन के बाद लोग मेरी तुलना शिल्पा के साथ करने लगेंगे।
वहां मौजूद शिल्पा शेंट्टी ने जयाप्रदा के इस कथन पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। शिल्पा ने बचाव की मुद्रा में हंसते हुए कहा, द डिजायर में जयाप्रदा के साथ मेरी केमिस्ट्री कमाल की है। एक मंच पर हम दोनों को देखने का अनुभव दर्शकों के लिए बिल्कुल नया होगा। मेरा सौभाग्य है कि मुझे जयाप्रदा जैसी महान अभिनेत्री और नृत्यांगना के साथ काम करने का मौका मिला। मैं उनकी प्रशंसक हूं। उनके साथ मेरी तुलना करना गलत होगा। मैं नहीं चाहूंगी कि लोग मेरी तुलना जया जी के साथ करें।
ज्ञात हो, शरद हेगड़े और ट्रेसी शियूं निर्मित द डिजायर -ए जर्नी ऑफ ए वूमेन भारत-चीन के सहयोग से बनने वाली पहली हिंदी फिल्म है। इसमें शिल्पा के साथ चीन के सुपरस्टार शिया यू केंद्रीय भूमिका में हैं। यह फिल्म इसी साल भारत एवं चीन में प्रदर्शित होगी।
-रघुवेंद्र सिंह