दिलीप कुमार अपने म्युचुअल एडमिरेशन क्लब के बारे में रघुवेन्द्र सिंह को बता रहे हैं, जो वह अमिताभ बच्चन के साथ शेयर करते हैं
मुझे शक्ति फिल्म का जुहू में लिया गया वह शॉट अच्छी तरह याद है - बैकग्राउंड में हेलीकॉप्टर का शोर है, मैं हेलीकॉप्टर से जुहू बीच की रेत पर उतरा हूं, जहां अमित मेरा इंतज़ार कर रहे हैं. वो धीरे-धीरे मेरी और आते हैं. ये मुर्हूत शॉट था और कैमरे के सामने पहली बार हम एक साथ आ रहे थे. ना उनकी कोई लाइन थी बोलने के लिए और ना मेरी. बिना डायलॉग्स के, सिर्फ गहरे जज़्बात का खेल था उस शॉट में. वहां काफी दर्शक मौजूद थे, और पूरी यूनिट फिल्म शुरू करने के लिए बड़े जोश में थी. मुझे साफ़ दिख रहा था कि मेरे सामने एक ऐसा अदाकार खड़ा है जो अपने काम के लिए पूरा समर्पित है और जिसकी अदाकारी में एक ठहराव है जो उनके सधे हुए क़दमों से और उनके चेहरे के भावों की अभिव्यक्ति से साफ़ नजऱ आ रहा था.
बाद में जब हम अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे, तब उन्होंने मुझे बताया कि वो बेहद नर्वस थे, क्योंकि उनका यह मेरे साथ पहला सीन था. ये कहना उनका खुलूस और सादगी थी, क्योंकि वो मुझे काफी कॉन्फिडेंट अदाकार लगे जिनकी स्क्रीन प्रजेंस से ही एक खास किस्म की शिद्दत और मजबूती झलक रही थी. जब किसी सीन में आपके साथ का अदाकार भी आप की ही तरह सीन को एक खास लेवल तक लाना या फिर स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले के मुताबिक सही लेवल पर करना चाहता है, तो वह बड़ा स्फूर्तिदायक अनुभव होता है. शक्ति की पूरी शूटिंग के दौरान अमित के साथ काम करना बहुत सुखद रहा. मुझे लगता है कि वो एक सम्पूर्ण अदाकार हैं.
शक्ति की शूटिंग के दौरान की अमित के बारे में मुझे यह बात भी याद है कि वो अपने किरदार के पूरे डिटेल्स पर और स्क्रिप्ट के लिए जिस जबरदस्त अदाकारी की जरूरत थी, उस पर भी पूरा ध्यान देते थे. यही वजह थी कि डायरेक्टर रमेश सिप्पी हमारे सीन बड़े आराम और सफाई से फिल्माने में कामयाब रहे.
इतने सालों में अनजाने में ही हम दोनों एक-दूसरे को बेहद पसंद करने लगे हैं, हमने अपना खास म्युचुअल एडमिरेशन क्लब बना लिया है! हम एक-दूसरे के टच में रहते हैं. और इंडस्ट्री की पार्टी वगैरह में उनसे मिलना और बात करना हमेशा बड़ा अच्छा लगता है. वो हमेशा बड़े अदब से पेश आते हैं, सलीके से बात करते हैं, इंडस्ट्री के सीनियर्स को इज्ज़त देते हैं, अपनी उपलब्धियों के बारे में बड़े विनम्र रहते हैं, काम के प्रति पूरी दृढृता के साथ समर्पित और अनुशासित हैं. जो लोग एक्टर बनना चाहते हैं या जो उभरते कलाकार हैं, उनके लिए अमित एक उदाहरण हैं. मुझे जया भी उतनी ही अच्छी लगती हैं. वो भी बड़ी इज्जत और प्यार से मिलती हैं और अपने काम में भी बहुत ऊंचे दर्जे की हैं. उनके लिए भी मेरे दिल में बहुत प्यार है.
शक्ति की शूटिंग के दौरान की अमित के बारे में मुझे यह बात भी याद है कि वो अपने किरदार के पूरे डिटेल्स पर और स्क्रिप्ट के लिए जिस जबरदस्त अदाकारी की जरूरत थी, उस पर भी पूरा ध्यान देते थे. यही वजह थी कि डायरेक्टर रमेश सिप्पी हमारे सीन बड़े आराम और सफाई से फिल्माने में कामयाब रहे.
इतने सालों में अनजाने में ही हम दोनों एक-दूसरे को बेहद पसंद करने लगे हैं, हमने अपना खास म्युचुअल एडमिरेशन क्लब बना लिया है! हम एक-दूसरे के टच में रहते हैं. और इंडस्ट्री की पार्टी वगैरह में उनसे मिलना और बात करना हमेशा बड़ा अच्छा लगता है. वो हमेशा बड़े अदब से पेश आते हैं, सलीके से बात करते हैं, इंडस्ट्री के सीनियर्स को इज्ज़त देते हैं, अपनी उपलब्धियों के बारे में बड़े विनम्र रहते हैं, काम के प्रति पूरी दृढृता के साथ समर्पित और अनुशासित हैं. जो लोग एक्टर बनना चाहते हैं या जो उभरते कलाकार हैं, उनके लिए अमित एक उदाहरण हैं. मुझे जया भी उतनी ही अच्छी लगती हैं. वो भी बड़ी इज्जत और प्यार से मिलती हैं और अपने काम में भी बहुत ऊंचे दर्जे की हैं. उनके लिए भी मेरे दिल में बहुत प्यार है.
(अक्टूबर 2012, अमिताभ बच्चन के जन्मदिन के अवसर पर फिल्मफेयर में प्रकाशित)