फिल्म माचिस से माई नेम इज खान के बीच आई हर फिल्म में जिमी शेरगिल की प्रशंसा हुई, लेकिन वे कभी इस बात का ढोल पीटते नहीं दिखे। शांत स्वभाव के जिमी की अपनी दुनिया और उनका छोटा सा परिवार है। वे फिल्मों की शूटिंग खत्म करने के बाद अपनी दुनिया में लौट जाते हैं। वे फिल्मी इवेंट और पार्टी में नहीं जाते। अनायास मीडिया के बीच भी वे नहीं रहते। बातचीत जिमी से..।
माई नेम इज खान की सफलता का खुद पर या अपने करियर पर क्या असर देखते हैं?
किसी ने सोचा नहीं था कि माई नेम इज खान में मेरा वेलप्लेस्ड रोल होगा। सरप्राइजिंग रेस्पांस मिला, लेकिन फिल्म की रिलीज के बाद मैंने कभी खुद को बदलने की कोशिश नहीं की। बहुत से लोग कहते हैं कि तुम्हें बाहर जाना चाहिए, पार्टी में दिखना चाहिए। लेकिन मेरा मानना है कि हर व्यक्ति अपने तरीके से बना होता है। यदि आप उसे मोड़ने की कोशिश करते हैं, तो आप प्रकृति के विरुद्ध जा रहे हैं। ऐंड ऑफ द डे, यदि आपकी किस्मत में लिखा होगा, तो आपको जरूर मिलेगा। मैं काम खत्म करके घर जाना चाहता हूं, फिल्म देखना, किताब, स्क्रिप्ट पढ़ना चाहता हूं। मैं हूं ही ऐसा।
क्या वजह है कि आप मीडिया के बीच ज्यादा नहीं होते?
मैं कंफर्टेबल नहीं फील करता हूं। लोग अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय देते हैं। मोहब्बतें के समय मैंने यह सब बहुत किया, लेकिन देखा कि उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
क्या फिल्मों के चरित्रों से समझा जा सकता है कि आप धीर-गंभीर हो गए हैं?
मैं सीरियस नजर आता हूं। मुझे किसी के सामने खुलने में थोड़ा वक्त लगता है। यदि मैं खुल गया, तो फिर दोस्त की तरह बिहेव करता हूं। शायद मैंने जो फिल्में की हैं, उनसे वैसी इमेज बन गई है। ए वेडनेसडे की रिलीज के समय एक बार रेडियो स्टेशन से फोन आया कि एक स्कूल के बच्चे का कहना है कि जिमी को जब हमने मुन्नाभाई एमबीबीएस में देखा, तो उस पर तरस आ रहा था, लेकिन जब ए वेडनेसडे में देखा, तो उससे डर लगा। इस पर उन्होंने मेरा रिएक्शन पूछा। मैंने कहा कि उन्हें डर आरिफ से लग रहा होगा और तरस जहीर पर आ रहा होगा। उसने जिमी पर न तरस खाया होगा, न उससे डरा होगा।
क्या आपको लगता है कि आपकी प्रतिभा का इंडस्ट्री सही तरीके से इस्तेमाल कर पाई है?
मैं इतना नहीं सोचता। मैं सोचता हूं कि आपको किसी ने बुलाया, आपको एक रोल दिया। आपने ईमानदारी से काम किया, लोगों ने उसकी तारीफ कर दी। बस। मैं बचपन से एक्टर नहीं था। मैं अपने डायरेक्टर आदित्य चोपड़ा, तिग्मांशु धूलिया, राजकुमार हिरानी, नीरज पांडे का शुक्रगुजार हूं। मैं अपनी परफॉर्मेस का क्रेडिट अपने डायरेक्टर को देता हूं। मेरे हिसाब से सबके लिए सही टाइम होता है।
इधर आप इंटेंस भूमिकाओं को तवज्जो दे रहे हैं। लोग आपको फिर रोमांटिक अंदाज में देखेंगे?
मेरे अभिनय की शुरुआत माचिस फिल्म से और इंटेस कैरेक्टर से हुई। मोहब्बतें से चॉकलेटी ब्वॉय की इमेज बन गई। मुन्नाभाई एमबीबीएस में फिर इंटेस कैरेक्टर मिला। फिर लगे रहो मुन्नाभाई, यहां, ए वेडनेसडे और हाल में माई नेम इज खान आईं। मैंने कोशिश की कि एक तरह के किरदार में न बंध जाऊं। मैं सब करना चाहता हूं। अब मैं कॉमेडी भी करना चाहता हूं।
आप कॉमेडी फिल्म करना चाहते हैं?
हां, यदि आप मुझसे पूछेंगे, तो मैं कहूंगा कि लाइट हार्टेड फिल्म करना चाहता हूं। इंटेंस फिल्म चूस लेती है कलाकार को। मुझे लगता है कि मैं लाइट हार्टेड फिल्मों के लिए बना हूं, लेकिन मुझे कोई मौका नहीं देता। मेरे पास वैसी फिल्में आती ही नहीं। मेरे पास एक कॉमेडी फिल्म टॉम डिक ऐंड हैरी आई और मैंने उसे आंख मूंदकर स्वीकार कर लिया, लेकिन मैं जो फिल्में कर रहा हूं, उनसे खुश हूं।
माई नेम इज खान की सफलता का खुद पर या अपने करियर पर क्या असर देखते हैं?
किसी ने सोचा नहीं था कि माई नेम इज खान में मेरा वेलप्लेस्ड रोल होगा। सरप्राइजिंग रेस्पांस मिला, लेकिन फिल्म की रिलीज के बाद मैंने कभी खुद को बदलने की कोशिश नहीं की। बहुत से लोग कहते हैं कि तुम्हें बाहर जाना चाहिए, पार्टी में दिखना चाहिए। लेकिन मेरा मानना है कि हर व्यक्ति अपने तरीके से बना होता है। यदि आप उसे मोड़ने की कोशिश करते हैं, तो आप प्रकृति के विरुद्ध जा रहे हैं। ऐंड ऑफ द डे, यदि आपकी किस्मत में लिखा होगा, तो आपको जरूर मिलेगा। मैं काम खत्म करके घर जाना चाहता हूं, फिल्म देखना, किताब, स्क्रिप्ट पढ़ना चाहता हूं। मैं हूं ही ऐसा।
क्या वजह है कि आप मीडिया के बीच ज्यादा नहीं होते?
मैं कंफर्टेबल नहीं फील करता हूं। लोग अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय देते हैं। मोहब्बतें के समय मैंने यह सब बहुत किया, लेकिन देखा कि उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
क्या फिल्मों के चरित्रों से समझा जा सकता है कि आप धीर-गंभीर हो गए हैं?
मैं सीरियस नजर आता हूं। मुझे किसी के सामने खुलने में थोड़ा वक्त लगता है। यदि मैं खुल गया, तो फिर दोस्त की तरह बिहेव करता हूं। शायद मैंने जो फिल्में की हैं, उनसे वैसी इमेज बन गई है। ए वेडनेसडे की रिलीज के समय एक बार रेडियो स्टेशन से फोन आया कि एक स्कूल के बच्चे का कहना है कि जिमी को जब हमने मुन्नाभाई एमबीबीएस में देखा, तो उस पर तरस आ रहा था, लेकिन जब ए वेडनेसडे में देखा, तो उससे डर लगा। इस पर उन्होंने मेरा रिएक्शन पूछा। मैंने कहा कि उन्हें डर आरिफ से लग रहा होगा और तरस जहीर पर आ रहा होगा। उसने जिमी पर न तरस खाया होगा, न उससे डरा होगा।
क्या आपको लगता है कि आपकी प्रतिभा का इंडस्ट्री सही तरीके से इस्तेमाल कर पाई है?
मैं इतना नहीं सोचता। मैं सोचता हूं कि आपको किसी ने बुलाया, आपको एक रोल दिया। आपने ईमानदारी से काम किया, लोगों ने उसकी तारीफ कर दी। बस। मैं बचपन से एक्टर नहीं था। मैं अपने डायरेक्टर आदित्य चोपड़ा, तिग्मांशु धूलिया, राजकुमार हिरानी, नीरज पांडे का शुक्रगुजार हूं। मैं अपनी परफॉर्मेस का क्रेडिट अपने डायरेक्टर को देता हूं। मेरे हिसाब से सबके लिए सही टाइम होता है।
इधर आप इंटेंस भूमिकाओं को तवज्जो दे रहे हैं। लोग आपको फिर रोमांटिक अंदाज में देखेंगे?
मेरे अभिनय की शुरुआत माचिस फिल्म से और इंटेस कैरेक्टर से हुई। मोहब्बतें से चॉकलेटी ब्वॉय की इमेज बन गई। मुन्नाभाई एमबीबीएस में फिर इंटेस कैरेक्टर मिला। फिर लगे रहो मुन्नाभाई, यहां, ए वेडनेसडे और हाल में माई नेम इज खान आईं। मैंने कोशिश की कि एक तरह के किरदार में न बंध जाऊं। मैं सब करना चाहता हूं। अब मैं कॉमेडी भी करना चाहता हूं।
आप कॉमेडी फिल्म करना चाहते हैं?
हां, यदि आप मुझसे पूछेंगे, तो मैं कहूंगा कि लाइट हार्टेड फिल्म करना चाहता हूं। इंटेंस फिल्म चूस लेती है कलाकार को। मुझे लगता है कि मैं लाइट हार्टेड फिल्मों के लिए बना हूं, लेकिन मुझे कोई मौका नहीं देता। मेरे पास वैसी फिल्में आती ही नहीं। मेरे पास एक कॉमेडी फिल्म टॉम डिक ऐंड हैरी आई और मैंने उसे आंख मूंदकर स्वीकार कर लिया, लेकिन मैं जो फिल्में कर रहा हूं, उनसे खुश हूं।
-रघुवेंद्र सिंह
1 comment:
जिमी शेरगिल से मुलाकात करवाने के लिए साधुवाद।
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