रजत बरमेचा की ‘उड़ान’ से हम सब परिचित हैं, रितु बरमेचा ने तेलुगू फिल्मों की गोल्डन जुबली हीरोइन का खिताब
पा लिया है और विक्की बरमेचा की ‘उम्मीदें’ बहुत जल्द हम सबके समक्ष होगी. जोश एवं उत्साह से लबरेज ‘बरमेचा परिवार’ ने Filmfare में रघुवेन्द्र सिंह से बातचीत की
भोर का वक्त है. रजत, रितु और विक्की उत्साह के साथ फोटोशूट के लिए तैयार होने में
व्यस्त हैं. फोटोग्राफर तारस तारापूरवाला ने सूर्योदय का वक्त इस शूट के लिए चुना है.
पहले जुहू बीच और फिर हम सब वर्सोवा बीच पहुंचते हैं, लेकिन भीड़ होने के
कारण हम वहां शूट नहीं कर सके. फौरन अक्सा बीच जाने का निर्णय लिया गया. फेरी के द्वारा
हम सब अक्सा बीच पहुंचे, लेकिन स्थिति यहां भी हमारे पक्ष में नहीं थी. फिर हम दाना पानी
बीच पहुंचते हैं. रजत, रितु और विक्की ने आनाकानी या गुस्सा किए बगैर इस भागमभाग भरे फोटोशूट के लिए सहर्ष
सहयोग किया. हम उनके आभारी हैं. फोटोशूट समाप्त होने के बाद तीनों भाई-बहन ने दिल्ली
से मुंबई के अपने रोचक सफर को हमसे साझा किया. उल्लेखनीय है कि फिल्मफेयर तीनों भाई-बहन
को पहली बार एक साथ पाठकों के बीच पेश कर रही है.
बचपन के दिन, बचपन की बातें
विक्की बरमेचा, रितु बरमेचा और रजत बरमेचा का जन्म लाडनू (राजस्थान) में हुआ, लेकिन उनका बचपन दिल्ली
के योजना विहार में गुजरा है. विक्की, रितु से डेढ़ साल बड़े हैं तथा रितु, रजत से डेढ़ साल बड़ी
हैं. तीनों ने बचपन में जमकर मस्तियां और शरारतें की हैं और सुनियोजित तरीके से स्कूल
भी बंक किया है. रजत उन दिनों को याद करते हैं, ‘‘घर से थोड़ी दूर पर मंदिर था. हम वहां से रिक्शा पकडऩे जाते
थे. जिस दिन स्कूल जाने का हमारा मन नहीं होता था, हम मंदिर के पास आधा घंटा गुजार कर घर लौट आते थे और मम्मी से
कहते थे कि मम्मी आज रिक्शा नहीं मिला.’’ रजत एवं उनके बगल में बैठे रितु और विक्की खिलखिलाकर हंस पड़ते
हैं. विराम लेकर रजत बताते हैं, ‘‘मैं सबसे छोटा था. मेरे क्लास की छुट्टी कभी-कभी जल्दी हो जाती
थी, तो ये लोग पेट दर्द
या सिर दर्द का बहाना बनाकर क्लास से निकल जाते थे.’’ रितु बताती हैं कि विक्की ने उन्हें बचपन में बहुत सताया है.
‘‘विक्की भैया बहुत बदमाश
थे. ये हम पर रूल करते थे. कहते थे कि मैं बड़ा हूं, जो कहता हूं, तुम लोग वही करो. सारे बिस्किट खा जाते थे और जब दो-तीन बचते
तो हमें दे देते थे.’’ रितु और रजत की बात खत्म होती कि विक्की बोल पड़े, ‘‘मैं प्रिंस था और रजत
कम नालायक नहीं था. हम क्रिकेट खेल रहे थे. मैंने इसे आउट कर दिया, लेकिन ये कहे कि मैं
आउट नहीं हूं. मेरा बैट है, मैं ही बैटिंग करूंगा. मैंने कहा कि कैसे आऊट नहीं हो? तो इसने मेरे पैर में
बैट मारा और भाग गया.’’
फिल्म की पाठशाला
विक्की, रितु और रजत केवल फस्र्ट क्लास में उत्तीर्ण होने के लिए भर
पढ़ते थे. उनकी असली पाठशाला सिनेमा और दिल्ली टाइम्स अखबार होता था. रजत बताते हैं, ‘‘हमारी आदत थी. सुबह
को हम अखबार उठाते थे, लेकिन सिर्फ दिल्ली टाइम्स पढ़ते थे. पापा डांटते थे कि पिक्चरों वाला पेपर पढ़ते
हो, उससे भविष्य नहीं बनेगा.’’ विक्की, रितु और रजत लकी हैं
क्योंकि उनके घर में फिल्मों को लेकर खुला माहौल था. रजत के अनुसार, ‘‘हर मंगलवार को पापा-मम्मी
हमें एक मूवी दिखाने थिएटर में ले जाते थे. मुझे याद है, हम लोग अजनबी फिल्म
देख रहे थे. उसमें आटा गूंथने वाला एक सीन है. उस सीन के दौरान मैं असहज हो गया था, लेकिन पापा-मम्मी ने
निगेटिव तरीके से रिएक्ट नहीं किया. हमारे घर में ओपन माहौल था.’’ रितु वह दिन आज भी नहीं भूली हैं, जब उनके पापा ने स्कूल
में आकर उनके टीचर से कहा कि घर में कुछ जरूरी काम है. रितु हंसते हुए कहती हैं, ‘‘जब हम घर आए तो पापा
ने टीवी ऑन कर दिया और कहा कि अच्छी फिल्म आ रही है, मैं चाहता हूं कि तुम लोग इसे देखो.’’ विक्की को नाइनटीज
और ट्वेंटीज की फिल्मों की गहरी जानकारी है, वे दोस्तों के बीच विक्कीपीडिया के नाम से जाने जाते हैं. विक्की
के पसंदीदा अभिनेता अमिताभ बच्चन हैं, जबकि रजत अमिताभ बच्चन और सलमान खान के डाय हार्ड फैन हैं और
रितु को माधुरी दीक्षित अजीज हैं.
जब हम जुदा हुए
विक्की और रितु बचपन से इंट्रोवर्ट हैं. वे कम बोलते हैं, जिसकी वजह से लोगों
को उनके रुड और घमंडी होने का भ्रम हो जाता था, जबकि रजत बचपन से बातूनी हैं. बातूनी स्वभाव की वजह से उनके
दोस्त जल्दी बन जाते थे. तीनों ने दिल्ली के डीएवी स्कूल से पढ़ाई की, लेकिन उनकी जिंदगी
में एक वक्त ऐसा आया, जब उन्हें जुदा होना पड़ा. रजत कहते हैं, ‘‘ग्रेजुएशन करने के लिए विक्की भैया बैंगलोर चले गए. उस दौरान
रितु दीदी और मेरी बॉन्डिंग बढ़ी. हम सारी बातें शेयर करते थे. छुट्टियों के दरम्यान
जब भैया घर आते तो हम उन्हें आउट साइडर की तरह ट्रीट करते थे.’’ संयोग ऐसा कि जब रजत ने मुंबई आने का फैसला किया तो उन्हीं दिनों
कॉलेज की पढ़ाई करके विक्की दिल्ली लौटे. विक्की बताते हैं, ‘‘मैं एमबीए की प्रवेश
परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली लौटा. उन दिनों मुझे रितु को समझने-जानने का मौका
मिला.’’ रितु के अनुसार, ‘‘रजत मुझसे छोटा है, लेकिन वो मेरी बहुत
केयर करता है. विक्की भैया बेफिक्र स्वभाव के हैं.’’
सपनों की मुंबई नगरिया
अमिताभ बच्चन और सलमान खान को दिल्ली टाइम्स के फ्रंट पेज पर
देखकर होश संभालते रजत ने बचपन में ही उनके जैसा बनने के बारे में सोच लिया था, जबकि विक्की ने एमबीए
करने की योजना बनाई थी. रितु जब स्लैम बुक भरतीं तो उसमें चोरी-छुपे लिखती थीं कि मैं
बड़ी होकर एक्ट्रेस बनना चाहती हूं. रजत ने हिम्मत जुटाई और 2007 में मम्मी-पापा के
समक्ष मुंबई आने की बात रख दी. विक्की के मुंबई आने की दास्तान थोड़ी फिल्मी है. विक्की
हंसते हुए कहते हैं, ‘‘मैं दिल्ली में ब्रिटिश टेलीकॉम में फाइनेंस
डिपार्टमेंट में नौकरी करता था. बैंगलोर में एक दोस्त की शादी थी. मैं मुंबई शॉपिंग
के लिए आया. चार दिन रजत के पास ठहरा था. उसके रूममेट्स ने मुझे खूब चढ़ाया कि भैया, आप इतने स्मार्ट हो, आपको एक बार ट्राय
करना चाहिए. मैं बैंगलोर शादी में गया और फिर दिल्ली लौट गया, लेकिन मेरे मन में
उनकी बात बैठ गई थी. मैंने पापा से कहा कि मुझे भी मुंबई जाना है. फिल्मों में एक बार
ट्राय करना है और जुलाई 2008 में मैं मुंबई आ गया.’’ रजत और विक्की के मुंबई आने के बाद रितु के मन में भी बचपन के
एक्ट्रेस बनने के सपने को पूरा करने की चाह उमडऩे लगी, मगर उनकी हिम्मत नहीं
थी कि पैरेंट्स से मुंबई आने की बात कहें. रितु बताती हैं, ‘‘ग्रेजुएशन के बाद मैंने
फोटोग्राफी सीखी ताकि उस बहाने मुंबई आ सकूं. मैंने 2009 में मिस एनसीआर ब्यूटी पेजेंट
में हिस्सा लिया और मिस ब्यूटीफुल स्किन का खिताब जीता. तब मुझे लगा कि शायद अब मम्मी-पापा
मुझे मुंबई जाने दें, लेकिन उन्होंने कहा कि दिल्ली में जो करना चाहो, करो, लेकिन मुंबई नहीं जाना है.’’ रितु ने हार नहीं मानी. उन्होंने विक्की और रजत से रिक्वेस्ट
की कि वे मम्मी-पापा को कंवेंस करें. रितु बताती हैं, ‘‘हम लोग छुट्टियां मनाने
गए थे. विक्की भैया और रजत भी आए थे. मैंने किसी को बताया नहीं और मुंबई के हिसाब से
पैकिंग कर ली. वहां विक्की भैया और रजत ने मम्मी-पापा को कंवेंस किया और मैं 23 अक्टूबर, 2010 को मुंबई आ गई.’’
हम साथ-साथ हैं
विक्की जब मुंबई आए, तब तक रजत ने उड़ान फिल्म साइन कर ली थी. रितु के यहां आने तक
उड़ान प्रदर्शित हो चुकी थी. रजत की अपनी पहचान बन चुकी थी,उन्होंने बोरीवली के पेइंग गेस्ट से निकलकर
अंधेरी वेस्ट में एक फ्लैट किराए पर ले लिया था. ‘‘रजत के पास सारे को-ऑडिनेटर्स के नंबर थे. इसने जीरो से शुरू
किया था, लेकिन मुझे इसके होने
का बहुत फायदा हुआ. मैं रजत के साथ ऑडिशंस के लिए जाता था.’’ विक्की ने बताया. विक्की
और रजत के पहले से मुंबई में होने की वजह से रितु के लिए मुश्किलें जरा आसान हो गई
थीं, लेकिन उन्हें अपने
हिस्से का संघर्ष तो करना था. रजत बताते हैं, ‘‘शुरू के दो महीने रितु दीदी के साथ उनके ऑडिशन पर मैं या विक्की
भैया जाते थे. मुझे पता था कि इस शहर में कैसे-कैसे लोग हैं.’’ रितु स्वीकार करती
हैं, ‘‘दोनों भाइयों की वजह
से कभी मेरी मुलाकात गलत लोगों से नहीं हुई, लेकिन रजत स्टार सन तो थे नहीं कि उनके आने के बाद फिल्मों में
मेरा रास्ता आसान हो जाता.’’ विक्की और रितु के आरंभिक दिनों की बातें सुनने के बाद रजत को
अपने दिन याद आ जाते हैं. वे बताते हैं, ‘‘मैं जब मुंबई आया तो छह दिन एक रिश्तेदार के घर में ठहरा और
फिर बोरीवली में एक पेइंग गेस्ट में रहने लगा. मेरे लिए वो मुश्किल दिन थे. मैं इंडस्ट्री
में किसी बंदे को नहीं जानता था. ऑडिशन पर जाता तो डरा रहतास, एक कोने में चुपचाप
मैं बैठा रहता. अंत में अगर कोई ऑडिशन के लिए बुला लेता तो चला जाता, वरना चुपचाप लौट आता
था.’’
काम की बरसात
रजत, रितु और विक्की भागयशाली हैं. मुंबई ने आते ही उन्हें गले लगा
लिया. तीन से छह महीने के बीच उन्हें कमर्शियल्स मिलने लगे. रजत बताते हैं कि मुझे
तीन-चार महीने के भीतर एड मिलने लगे थे. विक्की तो और लकी हैं. उन्हें आरंभ में ही
अपने छोटे भाई के साथ एक कमर्शियल करने का मौका मिला और शीघ्र ही उन्होंने रितु के
साथ भी एक एड में काम किया. बकौल रजत, ‘‘मैं उस प्रोडक्शन हाउस के साथ काम कर चुका था. उन्होंने कहा
कि हमें एड में बड़े भाई की जरूरत है. हमने गोदरेज इंटेरियो का एड साथ किया था.’’ विक्की अब तक लगभग
बीस और रितु तीस एड कर चुकी हैं. रजत की पहली फिल्म उड़ान के बारे में लोग जानते हैं, जबकि रितु की पहली
फिल्म तेलुगू थी अहा ना पेलांटा (वाओ! आएम गेटिंग मैरिड). रितु बताती हैं, ‘‘मैंने 2010 में यह
फिल्म साइन की. मैंने इसके लिए ऑडिशन दिया था. कुछ दिन बाद डायरेक्टर ने हैदराबाद मिलने
के लिए बुलाया. मैं विक्की भैया के साथ गई. जब मुझे बताया गया कि मैं फिल्म के लिए
चुन ली गई हूं तो खुशी के मारे मैं रोने लगी थी. उस फिल्म में मेरे हीरो अल्लारी नरेश
थे. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई की.’’ रजत और रितु के बाद अब बारी विक्की की थी. कहना गलत नहीं होगा
कि ‘उम्मीदें’ उनके लिए ही लिखी गई
थी. विक्की स्वयं बताते हैं, ‘‘निर्देशक मोहित श्रीवास्तव मेरे एक फ्रेंड के जानने वाले थे.
उन्होंने मुझे देखा था. उन्होंने बताया कि मुझे ही ध्यान में रखकर उन्होंने वह किरदार
लिखा है.’’
विक्की ‘उम्मीदें’ में ऐसे नवयुवक के किरदार में हैं, जो हैदराबाद से फिल्मों
में करियर बनाने मुंबई आता है. यह उसके स्ट्रगल की कहानी है. विक्की के अनुसार, ‘‘इस फिल्म में तीन कहानियां
एक साथ चलती हैं.’’
तारीफ करें क्या हम
रजत, रितु और विक्की एक-दूसरे की खूब प्रशंसा करते हैं, मगर वे एक-दूसरे की
आलोचना भी जमकर करते हैं. उड़ान फिल्म में रजत के अभिनय की सराहना दुनिया ने की, लेकिन विक्की और रितु
का अपना नजरिया है. बकौल रितु, ‘‘मैं उड़ान के सेट पर गई थी. मैंने रजत का शॉट देखने के बाद कहा
कि यार, मुझे नहीं लगता कि
तू सही कर रहा है, लेकिन बाद में जब रजत को अवॉर्ड मिले तो मुझे लगा कि अच्छा, एक्टिंग ऐसी होती है.’’ विक्की हंसते हुए कहते
हैं कि दरअसल, हम रजत को घर में वैसे ही देखते हैं. बड़े भाई की बात में रजत जोड़ते हैं, ‘‘विक्की भैया ने उड़ान
का रफ कट देखने के बाद कहा था कि मैं तुम्हे ढ़ाई या तीन स्टार दूंगा.’’ रितु के अभिनय के बारे
में रजत कहते हैं, ‘‘रितु दीदी बचपन से इंट्रोवर्ट थीं. वे कुछ भी करने से पहले सोचती थीं कि लोग क्या
कहेंगे, लेकिन पहली फिल्म में
उन्होंने अच्छा काम किया है.’’ दूसरे भाइयों की तरह रजत भी अपनी बहन को लेकर पसेसिव हैं. वे
कहते हैं,
‘‘हम इन्हें बोल्ड, इंटीमेट और किसिंग
सीन एवं रिविलिंग कपड़ों में नहीं देखना चाहते. हम जानते हैं कि वे अपनी सीमाओं को
जानती हैं.’’ विक्की बरमेचा की पहली फिल्म ‘उम्मीदें’ का प्रदर्शन बाकी है, लेकिन रजत और रितु यकीन दिलाते हैं कि उनके भाई अपने अभिनय से
लोगों का दिल जीत ही लेंगे.
मनोरंजन करेंगे, दिल जीतेंगे
रजत और रितु सेंसिबल कमर्शियल फिल्मों के पक्षधर हैं, जबकि विक्की को रियलिस्टिक
फिल्में पसंद हैं. रितु व रजत के पसंदीदा निर्देशकों में विक्रमादित्य मोटवानी, विशाल भारद्वाज, संजय लीला भंसाली और
हबीब फैजल व करण जौहर का नाम है, जबकि विक्की की लिस्ट बहुत बड़ी है. उन्होंने अपने पंद्रह पसंदीदा
निर्देशकों की तस्वीरों का एक कोलाज बनाया है, जो उनके कमरे की दीवार में लगा हुआ है. उसमें विक्रमादित्य मोटवानी
और अनुराग कश्यप सहित इम्तियाज अली और दिबाकर बनर्जी जैसे नए चर्चित फिल्मकारों की
तस्वीरें हैं. रजत कहते हैं कि विक्की भैया
नसीरूद्दीन साहब और इरफान खान की लीग के हैं. तीनों भाई-बहन बेझिझक स्वीकार करते हैं
कि अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवानी ने सिनेमा के प्रति उनके नजरिये को विस्तार
दिया है, वल्र्ड सिनेमा से उनका
रिश्ता मजबूत करवाया है. रजत ने बताया कि उड़ान के बाद उन्होंने बड़े बैनर की दो फिल्में
साइन की हैं. उन्होंने आत्मविश्वास के साथ कहा कि बरमेचा परिवार लंबे वक्त तक लोगों
का मनोरंजन करेगा. ‘‘रितु दीदी को तेलुगू फिल्मों के दर्शक जानते हैं, जल्द ही हिंदी फिल्म
के दर्शकों से भी उनका परिचय होगा. विक्की भैया की ‘उम्मीदें’ का हम बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.’’
आई हेट यू
विक्की
रजत- वह स्वार्थी है. कई बार सिर्फ अपने बारे में सोचता है.
रितु- वह रजत जैसी है. शायद तभी दोनों में जमती है.
रजत
विक्की- भैया मूडी हैं. वे सिर्फ अपने मन की करते हैं.
रितु- दीदी बहुत मासूम हैं. वे बड़ी आसानी से किसी की बातों
में आ जाती हैं.
रितु
विक्की- भैया गैर जिम्मेदार हैं. जैसे हमें मूवी जाना है. हम
कहते हैं कि आप टिकट ले लेना. वे पांच मिनट पहले कहेंगे कि मैं फंस गया हूं, तुम टिकट ले लो और
खुद मूवी देख लो.
रजत- वे एरोगेंट हैं, जिद्दी हैं. उनका इगो जल्दी हर्ट हो जाता है.
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