अभिनेता जाएद खान अब निर्माता बन चुके हैं। अपने खास मित्र दीया मिर्जा और साहिल के संग उन्होंने प्रोडक्शन हाउस शुरू किया है। फरवरी में उनकी पहली फिल्म फ्लोर पर जा रही है। पिछले दिनों जाएद ने अपनी योजनाओं के बारे में बातचीत की।
फिल्म प्रोडक्शन में आने की जरूरत कब और क्यों महसूस हुई?
मैं प्रोडक्शन हाउस शुरू करने के बारे में हमेशा सोचता था, क्योंकि मैं जिस फैमिली से हूं उनका काम-धंधा यही है। प्रोडक्शन, डायरेक्शन, राइटिंग, एक्टिंग, एडीटिंग। यह काम मेरे लिए नया नहीं है। मैं प्रोडक्शन हाउस शुरू कर रहा हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं सिर्फ अपने प्रोडक्शन हाउस के लिए काम करूंगा। मैं प्रियन सर के साथ काम कर रहा हूं। मैंने दो और फिल्में साइन की हैं। फिल्म प्रोडक्शन में आने का मकसद यह है कि हम लोग अपनी सोच फिल्म में डाल सकें, नई पीढ़ी को मौका दें, मोटीवेशन दें, उन्हें हौसला दें।
दीया मिर्जा और साहिल के साथ टीम बनाने का निर्णय क्यों?
दीया, साहिल और मैं अच्छे दोस्त हैं। हम में एक स्ट्रेंथ है। जैसे साहिल में ग्रेट मार्केटिंग स्किल है, वे बहुत अच्छे राइटर हैं। दीया हमेशा सोशल कॉज से जुड़ी रही हैं। उनमें गुडविल है। वे अच्छी रीडर हैं। यह सब एक अच्छा सिनेमा क्रिएट करने में मदद करता है। जहां तक मेरी बात है, तो फिल्म इंडस्ट्री में लंबे समय से होने के कारण फिल्म प्रोडक्शन जानता हूं। नए आइडिया को कैसे बिल्ड किया जाता है, वह जानता हूं। कैसे प्रोजेक्ट को इंटरनेशनल लेवल पर ले जाते हैं, वह जानता हूं। मैंने लंदन फिल्म स्कूल में पढ़ाई की है। मैं प्रमोशन का तरीका जानता हूं। साथ ही हम एक अच्छी टीम हैं।
सिनेमा के क्षेत्र में भी बदलाव होगा?
जो भी सोशल रेलिवेंट टॉपिक होगा और जिस तरीके से पिक्चर में यूनिवर्सल अपील होनी चाहिए, वह हम नहीं छोड़ सकते। हमें दिमाग में यह बात रखकर चलनी होगी कि हम जो भी स्टोरी कह रहे हैं, उसमें एंटरटेनिंग फैक्टर और इकॉनॉमिक फैक्टर होना बहुत जरूरी है।
आपकी टीम यंग है तो क्या टारगेट भी यूथ ही होगा?
नहीं, ऐसा नहीं है कि टारगेट यूथ ही होगा। सच है कि यूथ बहुत बड़ा मार्केट है, पर पिक्चर तो सभी देखते हैं। ऐसा तो नहीं है कि किसी मजेदार सिचुएशन पर बुजुर्ग नहीं हंसेंगे। यहां हिंदी फिल्मों के ऑडियंस की बहुत बड़ी संख्या है, तो हमारी कोशिश यही होगी कि कैरेक्टर मजेदार हों, जिन्हें देखकर बुजुर्ग भी हंसें।
एक ओर दबंग जैसी मसाला फिल्म आती है और दूसरी ओर धोबी घाट जैसी अलग जॉनर की। आप क्या बनाएंगे?
यह बहुत पुरानी सोच है। देखें, तो ए वेडनेसडे सबके लिए नहीं बनी थी। आर्ट पिक्चर लग रही थी, लेकिन सबने पसंद किया। दबंग में रोमांस, कॉमेडी, ऐक्शन और सलमान खान थे। दबंग जैसी कई फिल्में नहीं भी चली हैं। आज हर कोई कुछ नया चाहता है। हमारी कंपनी का लक्ष्य है यूनीवर्सल अपील की फिल्में बनाना, जिसमें सब कुछ हो।
पहली स्क्रिप्ट फाइनल हो चुकी है?
एक स्क्रिप्ट फाइनल हो चुकी है। उसे हम इसी महीने अंत में शुरू कर रहे हैं। वह फ्लोर पर जाएगी, तब दूसरे पर काम शुरू होगा। उसे साहिल डायरेक्ट कर रहे हैं। बहुत ही प्यारी रोमांटिक कहानी है।
फिल्म प्रोडक्शन में आने की जरूरत कब और क्यों महसूस हुई?
मैं प्रोडक्शन हाउस शुरू करने के बारे में हमेशा सोचता था, क्योंकि मैं जिस फैमिली से हूं उनका काम-धंधा यही है। प्रोडक्शन, डायरेक्शन, राइटिंग, एक्टिंग, एडीटिंग। यह काम मेरे लिए नया नहीं है। मैं प्रोडक्शन हाउस शुरू कर रहा हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं सिर्फ अपने प्रोडक्शन हाउस के लिए काम करूंगा। मैं प्रियन सर के साथ काम कर रहा हूं। मैंने दो और फिल्में साइन की हैं। फिल्म प्रोडक्शन में आने का मकसद यह है कि हम लोग अपनी सोच फिल्म में डाल सकें, नई पीढ़ी को मौका दें, मोटीवेशन दें, उन्हें हौसला दें।
दीया मिर्जा और साहिल के साथ टीम बनाने का निर्णय क्यों?
दीया, साहिल और मैं अच्छे दोस्त हैं। हम में एक स्ट्रेंथ है। जैसे साहिल में ग्रेट मार्केटिंग स्किल है, वे बहुत अच्छे राइटर हैं। दीया हमेशा सोशल कॉज से जुड़ी रही हैं। उनमें गुडविल है। वे अच्छी रीडर हैं। यह सब एक अच्छा सिनेमा क्रिएट करने में मदद करता है। जहां तक मेरी बात है, तो फिल्म इंडस्ट्री में लंबे समय से होने के कारण फिल्म प्रोडक्शन जानता हूं। नए आइडिया को कैसे बिल्ड किया जाता है, वह जानता हूं। कैसे प्रोजेक्ट को इंटरनेशनल लेवल पर ले जाते हैं, वह जानता हूं। मैंने लंदन फिल्म स्कूल में पढ़ाई की है। मैं प्रमोशन का तरीका जानता हूं। साथ ही हम एक अच्छी टीम हैं।
सिनेमा के क्षेत्र में भी बदलाव होगा?
जो भी सोशल रेलिवेंट टॉपिक होगा और जिस तरीके से पिक्चर में यूनिवर्सल अपील होनी चाहिए, वह हम नहीं छोड़ सकते। हमें दिमाग में यह बात रखकर चलनी होगी कि हम जो भी स्टोरी कह रहे हैं, उसमें एंटरटेनिंग फैक्टर और इकॉनॉमिक फैक्टर होना बहुत जरूरी है।
आपकी टीम यंग है तो क्या टारगेट भी यूथ ही होगा?
नहीं, ऐसा नहीं है कि टारगेट यूथ ही होगा। सच है कि यूथ बहुत बड़ा मार्केट है, पर पिक्चर तो सभी देखते हैं। ऐसा तो नहीं है कि किसी मजेदार सिचुएशन पर बुजुर्ग नहीं हंसेंगे। यहां हिंदी फिल्मों के ऑडियंस की बहुत बड़ी संख्या है, तो हमारी कोशिश यही होगी कि कैरेक्टर मजेदार हों, जिन्हें देखकर बुजुर्ग भी हंसें।
एक ओर दबंग जैसी मसाला फिल्म आती है और दूसरी ओर धोबी घाट जैसी अलग जॉनर की। आप क्या बनाएंगे?
यह बहुत पुरानी सोच है। देखें, तो ए वेडनेसडे सबके लिए नहीं बनी थी। आर्ट पिक्चर लग रही थी, लेकिन सबने पसंद किया। दबंग में रोमांस, कॉमेडी, ऐक्शन और सलमान खान थे। दबंग जैसी कई फिल्में नहीं भी चली हैं। आज हर कोई कुछ नया चाहता है। हमारी कंपनी का लक्ष्य है यूनीवर्सल अपील की फिल्में बनाना, जिसमें सब कुछ हो।
पहली स्क्रिप्ट फाइनल हो चुकी है?
एक स्क्रिप्ट फाइनल हो चुकी है। उसे हम इसी महीने अंत में शुरू कर रहे हैं। वह फ्लोर पर जाएगी, तब दूसरे पर काम शुरू होगा। उसे साहिल डायरेक्ट कर रहे हैं। बहुत ही प्यारी रोमांटिक कहानी है।
रघुवेंद्र सिंह
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