सुपरस्टार अजय देवगन से रघुवेन्द्र सिंह ने की विशेष भेंट, और उनसे यशराज फिल्म्स के साथ उनके विवाद, हिम्मतवाला के रिमेक, खानत्रयी की बादशाहत और निजी जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं पर बातचीत की
'देवगनÓ फिल्म इंडस्ट्री में इकलौते हैं, तो क्या हुआ? वह अकेले ही किसी खान को टक्कर देने का हिम्मत रखते हैं. अजय देवगन जब भी बॉक्स-ऑफिस पर उतरते हैं, तो सिंह की तरह गरजते हैं और फिर पैसों की घमासान बरसात होती है. बोल बच्चन, सन ऑफ सरदार और अब हिम्मतवाला से ऐसा ही परिदृश्य दोबारा सबके सामने है. अजय अपने करियर के वर्तमान दौर से बेहद खुश हैं, लेकिन उनमें आक्रोश भी भरा हुआ है.
अजय ने सन ऑफ सरदार की रिलीज के समय यशराज फिल्म्स के खिलाफ एक कानूनी जंग का ऐलान किया था. उसी वक्त यश चोपड़ा का देहांत हो गया और लोगों ने कहा कि अजय को कदम पीछे खींच लेना चाहिए. मगर अजय ने लड़ाई जारी रखी. ''मेरी लड़ाई यश जी के खिलाफ नहीं थी, मेरी लड़ाई सही और गलत के लिए थी, एक सिस्टम के खिलाफ है. मैं भी यश जी का उतना ही सम्मान करता हूं, जितना कोई और करता है. मैं केस लड़ रहा हूं और लड़ता रहूंगा, क्योंकि इसमें इंडस्ट्री का हित है. अजय अपनी बात रखते हैं.
हम अजय के जुहू स्थित ऑफिस में हैं. काजोल अभी उनसे मिलकर निकली हैं. वे बेहद अच्छे मूड में लग रहे हैं. कल ही वे भोपाल से सत्याग्रह फिल्म की शूटिंग करके लौटे हैं. हम बातचीत का सिलसिला आरंभ करते हैं...
आप सत्याग्रह की शूटिंग से लौट रहे हैं. इस बार प्रकाश झा ने आपके सामने क्या चुनौती पेश की है?
मुझे लगता है कि यह मेरा बहुत मुश्किल रोल है. मैंने काफी टाइम से यह तय किया था कि केवल कमर्शियल फिल्में करूंगा, लेकिन बहुत कम ऐसी फिल्में होती हैं, जिनमें सेंसिबिलिटीज, अच्छी परफॉर्मेन्स और कमर्शियल सिनेमा का संतुलन होता है. सत्याग्रह ऐसी ही फिल्म है, इसलिए मैं एक्साइटेड हूं. इसकी शूटिंग में बहुत मजा आ रहा है.
तो इसके साथ ही, यह बात भी गलत साबित हो गई कि आपके और प्रकाश झा के बीच मनमुटाव है?
हमारे बीच कभी मतभेद नहीं थे. क्योंकि मैंने बीच में उनकी एक फिल्म नहीं की, तो लोगों ने ऐसा अनुमान लगा लिया. दरअसल, आरक्षण में मुझे वह रोल उतना अच्छा नहीं लगा, जो उन्होंने मुझे ऑफर किया था. मैंने उनसे कहा था कि आप यह फिल्म बना लीजिए. हम आगे फिर साथ काम करेंगे.
रोहित शेट्टी के साथ भी आपके मनमुटाव की खबर भी एक दिन अफवाह साबित होगी. है ना?
अब रोहित के साथ मेरी क्या प्रॉब्लम है? चेन्नई एक्सप्रेस तो वो हमेशा से बनाना चाह रहा था और उसने सबसे पहले इसके बारे में मुझे ही बताया था. पिछले चार महीने से वह सिंघम 2 पर काम कर रहा है. जिसकी शूटिंग हम लोग जल्द ही शुरू करेंगे.
हिम्मतवाला को लेकर ऑडियंस में काफी एक्साइटमेंट दिखी. आपको उम्मीद थी कि ऐसा रिस्पांस मिलेगा?
हां, एक्साइटमेंट तो स्वाभाविक है, क्योंकि यह एक कमर्शियल फिल्म है और हमने अस्सी के दशक के स्टाइल को इसमें रखा है, जिसे देखकर लोगों को मजा आएगा. वह दौर ऐसा था, जहां सिनेमा में एंटरटेनमेंट भरा होता था और आज की यूथ ने वह एंटरटेनमेंट देखा नहीं है. और हिम्मतवाला एक सुपर-डुपरहिट पिक्चर थी, तो उसे जिन्होंने भी देखा है, वे हमारी फिल्म को देखने जरूर जाएंगे कि आखिर इसमें है क्या. अगर गानों की बात करें, तो टाकी और सपनों में नयना के बारे में हमें पहले से पता था कि यह श्योर शॉट है.
अगर अस्सी के दशक में लौटें, तो आपकी क्या यादें हैं?
बचपन की यादें हैं. हिम्मतवाला के सेट पर मैं कई बार गया था, क्योंकि मेरे डैड (वीरू देवगन) ने उसका एक्शन डायरेक्ट किया था. मैं अक्सर डैड के साथ फिल्मों के सेट पर जाया करता था. जहां तक पहनावे की बात है, तो हम हिंदी फिल्मों का स्टाइल उतना नहीं अपनाते थे. हम अपना ही कुछ अलग स्टाइल बनाते थे.
सिनेमा के लिहाज से उस दौर की क्या बात बहुत खूबसूरत थी?
एंटरटेनमेंट से भरपूर फिल्में बनती थीं. मसाला फिल्में बनती थीं. दो-तीन साल पहले फिर वह सिनेमा लौट आया है. हालांकि वह दशक फैशन के लिहाज से ज्यादा माइंडब्लोइंग नहीं था. हां, सत्तर के दशक से बेहतर था. लेकिन उसका अपना एक चार्म था.
लेकिन आप हिम्मतवाला साइन करने से हिचकिचा क्यों रहे थे? और इसमें आपके लिए क्या चैलेंजेज थे?
मैं हिचकिचा नहीं रहा था. जब साजिद ने कहा कि हिम्मतवाला का रिमेक बनाते हैं, तो मुझे यह आइडिया बहुत ही एक्साइटिंग लगा. मैंने साजिद से कहा कि जब तक तू स्क्रिप्ट पूरी लिखकर नहीं लाएगा, मैं हां नहीं कर सकता.
हर फिल्म में अपने-अपने चैलेंज होते हैं. हिम्मतवाला में काफी कुछ चेंज किया गया है. ऐसा नहीं था कि आपको जीतू साहब (जीतेन्द्र) को फॉलो करना था. सबसे बड़ा चैलेंज मेरे लिए ये दो गाने थे- टाकी और नैनों में सपना, जो बिल्कुल मेरा स्टाइल नहीं है (हंसते हैं).
क्या आप कभी साजिद खान की तरह दावे के साथ कह पाएंगे कि आपकी फलां फिल्म इतने करोड़ का बिजनेस करेगी या ब्लॉकबस्टर साबित होगी?
साजिद का क्या है कि वह एक दर्शक के नजरिए से पिक्चर बनाता है. इसलिए वो बहुत कॉन्फिडेंट रहता है और दूसरा, यह कहकर साजिद खुद को कॉन्फिडेंस देता है. लोगों को अगर लगता है कि उसमें एरोगेंस है, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. वह खुद को कॉन्फिडेंस देने के लिए ऐसा कहता है कि मैं बहुत अच्छा काम कर रहा हूं. और मैं कभी उसकी तरह नहीं कह पाऊंगा कि मेरी फलां फिल्म ब्लॉकबस्टर होगी. सबका अपना-अपना स्टाइल होता है.
हर निर्देशक के साथ जब आप काम करते हैं, तो कुछ न कुछ सीखते हैं. साजिद खान से आपने क्या सीखा?
मैंने साजिद से सीखा कि दर्शकों को कितना देना है और कैसे हंसाना है, क्योंकि वह एक ऑडियंस की तरह बात करता है. यह उसका प्लस पॉइंट है कि वह दर्शकों की नजरों से पिक्चर बनाता है. वह डायरेक्टर की तरह बात ही नहीं करता है. जब सीन की शूटिंग चल रही होती है, तो वह आकर कहता है कि ऐसा करो, तो मैं पूछता हूं कि क्यों? वो कहता है कि दर्शकों का रिएक्शन बहुत बढिय़ां मिलेगा.
आप इसके लिए तैयार थे कि टाकी ओ टाकी गाना आने के बाद आपकी तुलना जीतेन्द्र से जरूर होगी?
जीतू जी के साथ मेरी तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि वो बहुत अच्छे डांसर थे. मैं तो कोशिश कर रहा हूं (हंसते हैं).
काजल अग्रवाल के बाद अब आपने तमन्ना के साथ काम किया. दक्षिण की अभिनेत्रियां अपने साथ क्या लेकर आती हैं, जिसके लिए आज वे डिमांड में हैं?
ऐसा कुछ नहीं है कि डायरेक्टर उनकी तरफ देख रहे हैं. कई बार कैरेक्टर ऐसे होते हैं कि आपको लगता है कि इसमें नई लडक़ी सूट करेगी. साउथ में जिन लड़कियों ने काम किया है, वो हमारे लिए नई हैं. उनका एक प्लस यह रहता है कि उनके पास अनुभव होता है, वे काम जानती हैं, प्रोफेशनल हैं. तो उससे बहुत फर्क पड़ता है और तमन्ना साउथ में बड़ी स्टार हैं, तो उससे और भी फर्क पड़ता है. साजिद को हमेशा से इस फिल्म में नई लडक़ी चाहिए थी.
आप किस अभिनेत्री के साथ काम करना चाहते हैं? अभी तक आप और प्रियंका चोपड़ा एक साथ नहीं आए.
मैं कभी नहीं सोचता कि मुझे किस लडक़ी के साथ काम करना है. जहां तक प्रियंका की बात है, तो अभी तक मैंने ऐसे सोचा नहीं. यह फैसला मैं डायरेक्टर पर छोड़ता हूं. वह तय करते हैं कि उस कैरेक्टर में कौन-सी एक्ट्रेस सूट करती है.
आज हर कोई केवल बिजनेस की बात कर रहा है. जब आपने फूल और कांटे (1991) की थी, तब किन बातों पर ज्यादा चर्चा होती थी?
देखिए बोलने की बात है, लेकिन जोर तो हमेशा बिजनेस पर ही रहा है (हंसते हैं). आप भी मैगजीन निकालते हैं, तो आपका जोर भी इसी पर रहता है कि इस महीने कितने कॉपी ज्यादा बिकीं. है कि नहीं? तो बेसिक आइडिया है कि आप फिल्में बनाते क्यों हैं? ताकि वे लोगों को पसंद आएं और वो तब पसंद आएंगी, जब आप अच्छी फिल्म बनाएंगे. अच्छी फिल्म बनाएंगे, तो पैसा जरूर आएगा. घूम-फिरकर बात एक ही है. चाहे आप पैसे के लिए फिल्म बनाएं या तारीफ के लिए या फिर संतुष्टि के लिए फिल्म बनाएं, लेकिन बेसिकली आप दर्शकों के लिए फिल्म बनाते हैं. मुद्दा वहीं खत्म हो जाता है.
आपने नहीं लगता कि कमर्शियली सफल फिल्में बनाने के चक्कर में फिल्मकार अपनी फिल्म की गुणवत्ता से कहीं न कहीं समझौता करते हैं?
नहीं, अगर फिल्म की क्वालिटी अच्छी नहीं होगी, तो वह चलेगी नहीं. दर्शकों की ताली बजवाने के लिए फिल्म की क्वालिटी अच्छी होनी जरूरी है. तो ऐसा नहीं है कि ताली बजवाने के लिए आप समझौता करते हैं, ताली बजवाने के लिए आप मेहनत करते हैं. अपनी क्वालिटी और एंटरटेनमेंट को इंप्रूव करते हैं. मामला एकदम उल्टा है.
आपने हाल में स्टार टीवी के साथ चार सौ करोड़ रुपए की डील साइन की. इससे अजय देवगन ब्रांड में कितनी बढ़ोतरी होगी?
ये तो अब आप लोग तय कीजिए. मैंने एक अच्छी डील साइन की है, जिसमेें हमारा भी फायदा है, चैनल का भी और निर्माताओं का भी फायदा है. ब्रांड में कितना जंप होता है या नहीं, यह डिसीजन तो आप लोगों का है.
सब हम ही तय करते हैं?
लिखते आप लोग हैं, इसलिए डिसाइड आप लोग करते हैं (हंसते हैं).
मीडिया हमेशा आपको और शाहरुख को आमने-सामने लाने की कोशिश करता है, लेकिन आपकी उनके बारे में क्या राय है? आपके आपसी संबंध कैसे हैं?
व्यक्तिगत तौर पर हमारे बीच न कोई प्रॉब्लम है, न तनाव है, न कोई इश्यू है और न कोई लेना-देना है. जब हम मिलते हैं, तो फॉर्मली मिलते हैं और हम बहुत अच्छी तरह मिलते हैं. हमारा बहुत ज्यादा इंटरैक्शन है नहीं, क्योंकि हम इतना ज्यादा मिलते नहीं हैं. कभी किसी फंक्शन में मिल लिया, तो मिल लिया. हम कलिगस हैं और इस इंटस्ट्री में हमें सबकी फिक्र रहती है.
आपको लगता है कि खानत्रयी (शाहरुख, आमिर और सलमान खान) को इंडस्ट्री ने सिर पर चढ़ाकर रखा है? वो ओवररेटेड हैं?
नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है. आमिर है, शाहरुख है, सलमान है, तो उस वजह से यह एक ब्रांड बन गया है. मुझे इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है कि उनको ऊपर रखा जाता है. सब अपना-अपना लिखने का तरीका होता है (हंसते हैं).
सन ऑफ सरदार की रिलीज के समय आपका और यशराज फिल्म्स के बीच जो केस हुआ था...
केस हुआ नहीं था, केस अभी चल रहा है.
आप दोनों में कोई भी पीछे हटने के लिए तैयार नही ंहै?
(लंबी सांस लेकर) पीछे हट नहीं सकते और जहां तक मेरा सवाल है, तो मैं पीछे हटना चाहूंगा भी नहीं, क्योंकि यह एक लड़ाई है. मुझे लगता है कि किसी ने कुछ गलत किया है, तो मैं उसके खिलाफ लड़ रहा हूं. अगर यह केस हमारे पक्ष में होता है, तो यह इंडस्ट्री के लिए भली चीज होगी. मैं केस लड़ रहा हूं और लड़ता रहूंगा. और जहां हमने केस दायर किया है- कॉम्पिटिशन कमीशन में, वहां अगर आप एक बार केस कर देते हैं, तो आप विदड्रॉ नहीं कर सकते.
आपको लगता है कि जिस वक्त आपकी लड़ाई शुरू हुई, वह समय गलत था, क्योंकि उसी समय यश चोपड़ा का देहांत हो गया और इंडस्ट्री की सहानुभूति यशराज के साथ थी?
देखिए, ऐसी कोई सहानुभूति किसी की तरफ नहीं थी और हमारा भी इंटेशन किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था. मैं तो वही बात कर रहा था, तो फेयर थी और फेयर होनी चाहिए. और जितना सम्मान लोग यश जी का करते हैं, उतना ही सम्मान मैं भी यश जी का करता हूं. उन्होंने इंडस्ट्री को बहुत कुछ दिया है. मेरी लड़ाई यश जी के खिलाफ नहीं थी, मेरी लड़ाई सही और गलत के लिए थी. मेरी लड़ाई एक सिस्टम के खिलाफ थी. आप उसे बैड टाइमिंग कह लीजिए, लेकिन केस पहले फाइल हो चुका था. और जैसा कि मैंने आपसे कहा कि केस विदड्रॉ नहीं किया जा सकता था और अगर किया भी सकता, तो मैं विदड्रॉ नहीं करता, क्योंकि मेरी लड़ाई सिस्टम के खिलाफ है.
लेकिन उस समय प्रतिक्रिया स्वरूप यशराज फिल्म्स ने काजोल को जब तक है जान के प्रीमियर पर नहीं आमंत्रित किया, जबकि उनका यशराज के साथ इतना लंबा एसोसिएशन रहा है. उसे आप गलत रिएक्शन मानते हैं?
बिल्कुल नहीं, बल्कि वह बहुत अच्छा रिएक्शन था. क्योंकि मैं उन लोगों को पसंद करता हूं, जो स्ट्रेट होते हैं. अगर आप शक्ल से कुछ हैं और अंदर से कुछ हैं, तो मुझे वैसे लोग पसंद नहीं. मेरे लिए वो बेहतर लोग होते हैं, जो शक्ल और मन से एक ही होते हैं. यह क्लीयर तो रहता है कि आप लाइन के इस तरफ हैं या लाइन के उस तरफ.
अपनी बेटी निसा को आप अपना सच्चा आलोचक मानते हैं. उनको आपकी कौन-सी परफॉर्मेन्स बहुत पसंद आई है?
उसको मेरी सभी कॉमेडी पिक्चरें अच्छी लगती हैं. हिम्मतवाला का टाकी-टाकी उसे बहुत पसंद आया. उसने पहली बार मुझसे कहा कि आपने अच्छा डांस किया है. ये मेरी बेटी का रिएक्शन था (हंसते हैं).
अब आप साल में एक या दो फिल्में करते हैं. क्या इसका कारण यह है कि अब आप परिवार के साथ अधिकतम समय बिताना चाहते हैं?
साल में दो पिक्चर से ज्यादा करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि आजकल प्रमोशन में बहुत टाइम लग जाता है. पहले आप पिक्चर करके आगे बढ़ जाते थे, लेकिन अब आपको प्रमोशन करना पड़ता है, आपको साथ में बैठना भी है कि क्या हो रहा है और क्या नहीं हो रहा है. अब बॉल गेम बड़ा हो गया है. बाकी और भी बहुत काम है मेरे पास.
बिजनेस के मामले में क्या नया कदम उठाने जा रहे हैं?
गुजरात में एक सोलर पावर प्रोजेक्ट शुरू किया है. राजस्थान में एक नया प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं. बाकी प्रोडक्शन में एक-दो फिल्में प्लान कर रहे हैं.
और डायरेक्शन?
उसके लिए तो मुझे एक-डेढ़ साल की छुट्टी लेनी पड़ेगी, जो फिलहाल बहुत मुश्किल है.
हम अजय के जुहू स्थित ऑफिस में हैं. काजोल अभी उनसे मिलकर निकली हैं. वे बेहद अच्छे मूड में लग रहे हैं. कल ही वे भोपाल से सत्याग्रह फिल्म की शूटिंग करके लौटे हैं. हम बातचीत का सिलसिला आरंभ करते हैं...
आप सत्याग्रह की शूटिंग से लौट रहे हैं. इस बार प्रकाश झा ने आपके सामने क्या चुनौती पेश की है?
मुझे लगता है कि यह मेरा बहुत मुश्किल रोल है. मैंने काफी टाइम से यह तय किया था कि केवल कमर्शियल फिल्में करूंगा, लेकिन बहुत कम ऐसी फिल्में होती हैं, जिनमें सेंसिबिलिटीज, अच्छी परफॉर्मेन्स और कमर्शियल सिनेमा का संतुलन होता है. सत्याग्रह ऐसी ही फिल्म है, इसलिए मैं एक्साइटेड हूं. इसकी शूटिंग में बहुत मजा आ रहा है.
तो इसके साथ ही, यह बात भी गलत साबित हो गई कि आपके और प्रकाश झा के बीच मनमुटाव है?
हमारे बीच कभी मतभेद नहीं थे. क्योंकि मैंने बीच में उनकी एक फिल्म नहीं की, तो लोगों ने ऐसा अनुमान लगा लिया. दरअसल, आरक्षण में मुझे वह रोल उतना अच्छा नहीं लगा, जो उन्होंने मुझे ऑफर किया था. मैंने उनसे कहा था कि आप यह फिल्म बना लीजिए. हम आगे फिर साथ काम करेंगे.
रोहित शेट्टी के साथ भी आपके मनमुटाव की खबर भी एक दिन अफवाह साबित होगी. है ना?
अब रोहित के साथ मेरी क्या प्रॉब्लम है? चेन्नई एक्सप्रेस तो वो हमेशा से बनाना चाह रहा था और उसने सबसे पहले इसके बारे में मुझे ही बताया था. पिछले चार महीने से वह सिंघम 2 पर काम कर रहा है. जिसकी शूटिंग हम लोग जल्द ही शुरू करेंगे.
हिम्मतवाला को लेकर ऑडियंस में काफी एक्साइटमेंट दिखी. आपको उम्मीद थी कि ऐसा रिस्पांस मिलेगा?
हां, एक्साइटमेंट तो स्वाभाविक है, क्योंकि यह एक कमर्शियल फिल्म है और हमने अस्सी के दशक के स्टाइल को इसमें रखा है, जिसे देखकर लोगों को मजा आएगा. वह दौर ऐसा था, जहां सिनेमा में एंटरटेनमेंट भरा होता था और आज की यूथ ने वह एंटरटेनमेंट देखा नहीं है. और हिम्मतवाला एक सुपर-डुपरहिट पिक्चर थी, तो उसे जिन्होंने भी देखा है, वे हमारी फिल्म को देखने जरूर जाएंगे कि आखिर इसमें है क्या. अगर गानों की बात करें, तो टाकी और सपनों में नयना के बारे में हमें पहले से पता था कि यह श्योर शॉट है.
अगर अस्सी के दशक में लौटें, तो आपकी क्या यादें हैं?
बचपन की यादें हैं. हिम्मतवाला के सेट पर मैं कई बार गया था, क्योंकि मेरे डैड (वीरू देवगन) ने उसका एक्शन डायरेक्ट किया था. मैं अक्सर डैड के साथ फिल्मों के सेट पर जाया करता था. जहां तक पहनावे की बात है, तो हम हिंदी फिल्मों का स्टाइल उतना नहीं अपनाते थे. हम अपना ही कुछ अलग स्टाइल बनाते थे.
सिनेमा के लिहाज से उस दौर की क्या बात बहुत खूबसूरत थी?
एंटरटेनमेंट से भरपूर फिल्में बनती थीं. मसाला फिल्में बनती थीं. दो-तीन साल पहले फिर वह सिनेमा लौट आया है. हालांकि वह दशक फैशन के लिहाज से ज्यादा माइंडब्लोइंग नहीं था. हां, सत्तर के दशक से बेहतर था. लेकिन उसका अपना एक चार्म था.
लेकिन आप हिम्मतवाला साइन करने से हिचकिचा क्यों रहे थे? और इसमें आपके लिए क्या चैलेंजेज थे?
मैं हिचकिचा नहीं रहा था. जब साजिद ने कहा कि हिम्मतवाला का रिमेक बनाते हैं, तो मुझे यह आइडिया बहुत ही एक्साइटिंग लगा. मैंने साजिद से कहा कि जब तक तू स्क्रिप्ट पूरी लिखकर नहीं लाएगा, मैं हां नहीं कर सकता.
हर फिल्म में अपने-अपने चैलेंज होते हैं. हिम्मतवाला में काफी कुछ चेंज किया गया है. ऐसा नहीं था कि आपको जीतू साहब (जीतेन्द्र) को फॉलो करना था. सबसे बड़ा चैलेंज मेरे लिए ये दो गाने थे- टाकी और नैनों में सपना, जो बिल्कुल मेरा स्टाइल नहीं है (हंसते हैं).
क्या आप कभी साजिद खान की तरह दावे के साथ कह पाएंगे कि आपकी फलां फिल्म इतने करोड़ का बिजनेस करेगी या ब्लॉकबस्टर साबित होगी?
साजिद का क्या है कि वह एक दर्शक के नजरिए से पिक्चर बनाता है. इसलिए वो बहुत कॉन्फिडेंट रहता है और दूसरा, यह कहकर साजिद खुद को कॉन्फिडेंस देता है. लोगों को अगर लगता है कि उसमें एरोगेंस है, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. वह खुद को कॉन्फिडेंस देने के लिए ऐसा कहता है कि मैं बहुत अच्छा काम कर रहा हूं. और मैं कभी उसकी तरह नहीं कह पाऊंगा कि मेरी फलां फिल्म ब्लॉकबस्टर होगी. सबका अपना-अपना स्टाइल होता है.
हर निर्देशक के साथ जब आप काम करते हैं, तो कुछ न कुछ सीखते हैं. साजिद खान से आपने क्या सीखा?
मैंने साजिद से सीखा कि दर्शकों को कितना देना है और कैसे हंसाना है, क्योंकि वह एक ऑडियंस की तरह बात करता है. यह उसका प्लस पॉइंट है कि वह दर्शकों की नजरों से पिक्चर बनाता है. वह डायरेक्टर की तरह बात ही नहीं करता है. जब सीन की शूटिंग चल रही होती है, तो वह आकर कहता है कि ऐसा करो, तो मैं पूछता हूं कि क्यों? वो कहता है कि दर्शकों का रिएक्शन बहुत बढिय़ां मिलेगा.
आप इसके लिए तैयार थे कि टाकी ओ टाकी गाना आने के बाद आपकी तुलना जीतेन्द्र से जरूर होगी?
जीतू जी के साथ मेरी तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि वो बहुत अच्छे डांसर थे. मैं तो कोशिश कर रहा हूं (हंसते हैं).
काजल अग्रवाल के बाद अब आपने तमन्ना के साथ काम किया. दक्षिण की अभिनेत्रियां अपने साथ क्या लेकर आती हैं, जिसके लिए आज वे डिमांड में हैं?
ऐसा कुछ नहीं है कि डायरेक्टर उनकी तरफ देख रहे हैं. कई बार कैरेक्टर ऐसे होते हैं कि आपको लगता है कि इसमें नई लडक़ी सूट करेगी. साउथ में जिन लड़कियों ने काम किया है, वो हमारे लिए नई हैं. उनका एक प्लस यह रहता है कि उनके पास अनुभव होता है, वे काम जानती हैं, प्रोफेशनल हैं. तो उससे बहुत फर्क पड़ता है और तमन्ना साउथ में बड़ी स्टार हैं, तो उससे और भी फर्क पड़ता है. साजिद को हमेशा से इस फिल्म में नई लडक़ी चाहिए थी.
आप किस अभिनेत्री के साथ काम करना चाहते हैं? अभी तक आप और प्रियंका चोपड़ा एक साथ नहीं आए.
मैं कभी नहीं सोचता कि मुझे किस लडक़ी के साथ काम करना है. जहां तक प्रियंका की बात है, तो अभी तक मैंने ऐसे सोचा नहीं. यह फैसला मैं डायरेक्टर पर छोड़ता हूं. वह तय करते हैं कि उस कैरेक्टर में कौन-सी एक्ट्रेस सूट करती है.
आज हर कोई केवल बिजनेस की बात कर रहा है. जब आपने फूल और कांटे (1991) की थी, तब किन बातों पर ज्यादा चर्चा होती थी?
देखिए बोलने की बात है, लेकिन जोर तो हमेशा बिजनेस पर ही रहा है (हंसते हैं). आप भी मैगजीन निकालते हैं, तो आपका जोर भी इसी पर रहता है कि इस महीने कितने कॉपी ज्यादा बिकीं. है कि नहीं? तो बेसिक आइडिया है कि आप फिल्में बनाते क्यों हैं? ताकि वे लोगों को पसंद आएं और वो तब पसंद आएंगी, जब आप अच्छी फिल्म बनाएंगे. अच्छी फिल्म बनाएंगे, तो पैसा जरूर आएगा. घूम-फिरकर बात एक ही है. चाहे आप पैसे के लिए फिल्म बनाएं या तारीफ के लिए या फिर संतुष्टि के लिए फिल्म बनाएं, लेकिन बेसिकली आप दर्शकों के लिए फिल्म बनाते हैं. मुद्दा वहीं खत्म हो जाता है.
आपने नहीं लगता कि कमर्शियली सफल फिल्में बनाने के चक्कर में फिल्मकार अपनी फिल्म की गुणवत्ता से कहीं न कहीं समझौता करते हैं?
नहीं, अगर फिल्म की क्वालिटी अच्छी नहीं होगी, तो वह चलेगी नहीं. दर्शकों की ताली बजवाने के लिए फिल्म की क्वालिटी अच्छी होनी जरूरी है. तो ऐसा नहीं है कि ताली बजवाने के लिए आप समझौता करते हैं, ताली बजवाने के लिए आप मेहनत करते हैं. अपनी क्वालिटी और एंटरटेनमेंट को इंप्रूव करते हैं. मामला एकदम उल्टा है.
आपने हाल में स्टार टीवी के साथ चार सौ करोड़ रुपए की डील साइन की. इससे अजय देवगन ब्रांड में कितनी बढ़ोतरी होगी?
ये तो अब आप लोग तय कीजिए. मैंने एक अच्छी डील साइन की है, जिसमेें हमारा भी फायदा है, चैनल का भी और निर्माताओं का भी फायदा है. ब्रांड में कितना जंप होता है या नहीं, यह डिसीजन तो आप लोगों का है.
सब हम ही तय करते हैं?
लिखते आप लोग हैं, इसलिए डिसाइड आप लोग करते हैं (हंसते हैं).
मीडिया हमेशा आपको और शाहरुख को आमने-सामने लाने की कोशिश करता है, लेकिन आपकी उनके बारे में क्या राय है? आपके आपसी संबंध कैसे हैं?
व्यक्तिगत तौर पर हमारे बीच न कोई प्रॉब्लम है, न तनाव है, न कोई इश्यू है और न कोई लेना-देना है. जब हम मिलते हैं, तो फॉर्मली मिलते हैं और हम बहुत अच्छी तरह मिलते हैं. हमारा बहुत ज्यादा इंटरैक्शन है नहीं, क्योंकि हम इतना ज्यादा मिलते नहीं हैं. कभी किसी फंक्शन में मिल लिया, तो मिल लिया. हम कलिगस हैं और इस इंटस्ट्री में हमें सबकी फिक्र रहती है.
आपको लगता है कि खानत्रयी (शाहरुख, आमिर और सलमान खान) को इंडस्ट्री ने सिर पर चढ़ाकर रखा है? वो ओवररेटेड हैं?
नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है. आमिर है, शाहरुख है, सलमान है, तो उस वजह से यह एक ब्रांड बन गया है. मुझे इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है कि उनको ऊपर रखा जाता है. सब अपना-अपना लिखने का तरीका होता है (हंसते हैं).
सन ऑफ सरदार की रिलीज के समय आपका और यशराज फिल्म्स के बीच जो केस हुआ था...
केस हुआ नहीं था, केस अभी चल रहा है.
आप दोनों में कोई भी पीछे हटने के लिए तैयार नही ंहै?
(लंबी सांस लेकर) पीछे हट नहीं सकते और जहां तक मेरा सवाल है, तो मैं पीछे हटना चाहूंगा भी नहीं, क्योंकि यह एक लड़ाई है. मुझे लगता है कि किसी ने कुछ गलत किया है, तो मैं उसके खिलाफ लड़ रहा हूं. अगर यह केस हमारे पक्ष में होता है, तो यह इंडस्ट्री के लिए भली चीज होगी. मैं केस लड़ रहा हूं और लड़ता रहूंगा. और जहां हमने केस दायर किया है- कॉम्पिटिशन कमीशन में, वहां अगर आप एक बार केस कर देते हैं, तो आप विदड्रॉ नहीं कर सकते.
आपको लगता है कि जिस वक्त आपकी लड़ाई शुरू हुई, वह समय गलत था, क्योंकि उसी समय यश चोपड़ा का देहांत हो गया और इंडस्ट्री की सहानुभूति यशराज के साथ थी?
देखिए, ऐसी कोई सहानुभूति किसी की तरफ नहीं थी और हमारा भी इंटेशन किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था. मैं तो वही बात कर रहा था, तो फेयर थी और फेयर होनी चाहिए. और जितना सम्मान लोग यश जी का करते हैं, उतना ही सम्मान मैं भी यश जी का करता हूं. उन्होंने इंडस्ट्री को बहुत कुछ दिया है. मेरी लड़ाई यश जी के खिलाफ नहीं थी, मेरी लड़ाई सही और गलत के लिए थी. मेरी लड़ाई एक सिस्टम के खिलाफ थी. आप उसे बैड टाइमिंग कह लीजिए, लेकिन केस पहले फाइल हो चुका था. और जैसा कि मैंने आपसे कहा कि केस विदड्रॉ नहीं किया जा सकता था और अगर किया भी सकता, तो मैं विदड्रॉ नहीं करता, क्योंकि मेरी लड़ाई सिस्टम के खिलाफ है.
लेकिन उस समय प्रतिक्रिया स्वरूप यशराज फिल्म्स ने काजोल को जब तक है जान के प्रीमियर पर नहीं आमंत्रित किया, जबकि उनका यशराज के साथ इतना लंबा एसोसिएशन रहा है. उसे आप गलत रिएक्शन मानते हैं?
बिल्कुल नहीं, बल्कि वह बहुत अच्छा रिएक्शन था. क्योंकि मैं उन लोगों को पसंद करता हूं, जो स्ट्रेट होते हैं. अगर आप शक्ल से कुछ हैं और अंदर से कुछ हैं, तो मुझे वैसे लोग पसंद नहीं. मेरे लिए वो बेहतर लोग होते हैं, जो शक्ल और मन से एक ही होते हैं. यह क्लीयर तो रहता है कि आप लाइन के इस तरफ हैं या लाइन के उस तरफ.
अपनी बेटी निसा को आप अपना सच्चा आलोचक मानते हैं. उनको आपकी कौन-सी परफॉर्मेन्स बहुत पसंद आई है?
उसको मेरी सभी कॉमेडी पिक्चरें अच्छी लगती हैं. हिम्मतवाला का टाकी-टाकी उसे बहुत पसंद आया. उसने पहली बार मुझसे कहा कि आपने अच्छा डांस किया है. ये मेरी बेटी का रिएक्शन था (हंसते हैं).
अब आप साल में एक या दो फिल्में करते हैं. क्या इसका कारण यह है कि अब आप परिवार के साथ अधिकतम समय बिताना चाहते हैं?
साल में दो पिक्चर से ज्यादा करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि आजकल प्रमोशन में बहुत टाइम लग जाता है. पहले आप पिक्चर करके आगे बढ़ जाते थे, लेकिन अब आपको प्रमोशन करना पड़ता है, आपको साथ में बैठना भी है कि क्या हो रहा है और क्या नहीं हो रहा है. अब बॉल गेम बड़ा हो गया है. बाकी और भी बहुत काम है मेरे पास.
बिजनेस के मामले में क्या नया कदम उठाने जा रहे हैं?
गुजरात में एक सोलर पावर प्रोजेक्ट शुरू किया है. राजस्थान में एक नया प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं. बाकी प्रोडक्शन में एक-दो फिल्में प्लान कर रहे हैं.
और डायरेक्शन?
उसके लिए तो मुझे एक-डेढ़ साल की छुट्टी लेनी पड़ेगी, जो फिलहाल बहुत मुश्किल है.
इस साल की दूसरी व्यस्तताएं क्या होंगी?
अभी प्रभुदेवा की फिल्म शुरू करूंगा और उसके बाद सिंघम 2.
काजोल और आपकी शादी को चौदह साल हो गए. एक चीज काजोल में जो आज तक नहीं बदली?
वो जितनी ईमानदार और फ्रैंक पहले थी, उतनी ही आज भी है. अगर उसको कोई चीज गलत लगती है, तो वह तुरंत मुंह पर बोल देती है. वह कभी परवाह नहीं करती है कि सामने वाले को अच्छा लगेगा या बुरा.
आप दोनों की सफल शादीशुदा लाइफ का आधार क्या है?
इसके लिए दोनों को मेहनत करनी पड़ती है. एक-दूसरे को समझ कर चलना पड़ता है. दोनों को एक-दूसरे के लिए समझौते भी करने पड़ते हैं. एक-दूसरे की पसंद-नापसंद का ध्यान रखना पड़ता है. आपको बीच का एक रास्ता ढूंढना पड़ता है. वो सिर्फ तब किया जा सकता है, जब दोनों सोच लें कि हमको करना है.
क्या आपको काजोल से अपनी पहली मुलाकात याद है?
(सोचकर) हां, थोड़ी-बहुत याद है. बहुत नॉर्मल और कैजुअल मुलाकात थी. हमारी सिर्फ हैलो-हाय हुई थी. शायद हम किसी फिल्म के सेट पर पहली बार मिले थे.
निसा और युग के जन्म के बाद क्या आप दोनों एक-दूसरे के और ज्यादा करीब आए?
करीब तो आप हो ही जाते हैं, जब आपके बच्चे हो जाते हैं. आपसी समझ भी बढ़ जाती है और बॉन्डिंग ज्यादा बढ़ जाती है. और साथ में, तकलीफ भी बढ़ जाती है क्योंकि आप एक-दूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिता नहीं पाते. लेकिन उसकी आपको तकलीफ नहीं होती, क्योंकि वह वक्त आप अपने बच्चों के साथ बिता रहे होते हैं. धीरे-धीरे आदमी की सोच की ग्रोथ होती है.
आपके हिसाब से क्या चीजें काजोल को एक स्टॉन्ग वूमन बनाती हैं?
उनका विश्वास, वह अपने आप में विश्वास रखती हैं और उनका टैलेंट.
उन्होंने आपकी पर्सनैलिटी में क्या नया जोड़ा है?
मुझे जिम्मेदार बनाया है, क्योंकि आज से पंद्रह साल पहले मैं एक अलग किस्म का इंसान था- एकदम वॉयलेंट, कहीं भी कुछ भी कर देता था, किसी भी तरह का रिएक्शन देता था. मुझे लगता है कि वह अब बदल गया है.
नाराज काजोल को मनाना कितना आसान होता है आपके लिए?
बिल्कुल नहीं. हमारे बीच यह है कि दोनों में से अगर कोई नाराज होता है और हमें लगता है कि सामने वाले की नहीं, मेरी गलती है, तो हम आगे बढक़र एक-दूसरे से बोल देते हैं. हम समस्या को बढ़ाते नहीं हैं, उसे तुरंत खत्म कर देते हैं.
काजोल ने आज तक आपको सबसे बड़ा सरप्राइज क्या दिया है?
ऐसा कोई बड़ा सरप्राइज नहीं दिया है यार (हंसते हैं)!
क्या आप चाहेंगे कि काजोल ही अगले सात जनम तक आपको पत्नी के रूप में मिलें?
अगर ऐसा होता है, तो हां, मैं जरूर चाहूंगा कि काजोल सात जनम तक मेरी पत्नी बनें.
आप किचन में काजोल के लिए क्या कुक करना पसंद करते हैं?
मैं विशेष तौर पर काजोल के लिए नहीं, अपने सभी घर वालों के लिए खाना बनाता हूं. खास तौर पर अपनी बेटी के लिए. वह कभी-कभी डिमांड करती है कि पापा मुझे आपके हाथ का ये खाना है, तो मैं उसके लिए बनाता हूं.
क्या आप लोग छुट्टियां साथ प्लान करते हैं?
हमेशा. छुट्टियों में हम, हमारे बच्चे, हमारे मां-बाप, हमारी बहनें, बहनों के बच्चे, सब लोग साथ में जाते हैं.
कब तक आप दोनों साथ आ रहे हैं?
इसका जवाब मेरे पास नहीं है. जब तक कोई सही स्क्रिप्ट हमारे पास नहीं आती, तब तक हम कुछ नहीं कह सकते.
साभार : FILMFARE