अपनी काबिलियत के बलबूते सफलता हासिल करने का एहसास क्या होता है, रघुवेन्द्र सिंह से मुलाकात में बता रहे हैं विनय आनंद
'हे ब्रोÓ... विनय आनंद के ये प्रिय शब्द हैं. आप फोन पर उनसे बात करें या आमने-सामने, वह इन दो शब्दों का इस्तेमाल बार-बार करते हैं. अपने इसी चिर-परिचित अंदाज में विनय आनंद ने अपने घर में हमारा स्वागत किया. वह मुंबई की पॉश मार्केट लोखंडवाला में एक सुंदर फ्लैट में अपनी पत्नी ज्योति के साथ रहते हैं. विनय से मैं कई बार मिल चुका हूं, लेकिन ज्योति से यह मेरी पहली भेंट है. अपनी पत्नी से परिचय करवाते हुए विनय ने कहा, ''ज्योति एक्ट्रेस बनना चाहती थीं. इन्होंने सोनू सूद के साथ मिशन मुंबई (2009) फिल्म में काम किया था. चढ़ती जवानी म्यूजिक वीडियो में तीन लड़कियों में से एक यह थीं. लेकिन मुझसे शादी के बाद इन्होंने स्वेच्छा से फिल्मों में काम करना बंद कर दिया. फिर ये कोरियोग्राफर बन गईं. इन्होंने मेरे सौ से अधिक गाने कोरियोग्राफ किए हैं. अब ये निर्देशक बनना चाहती हैं. दिसंबर से यह प्रभुदेवा को उनकी नई फिल्म में असिस्ट करने जा रही हैं, जिसमें सलमान खान हीरो हैं.ÓÓ ज्योति से विनय की लव मैरिज हुई है. ''मैं पद्मालय के लिए एक फिल्म कर रहा था. उसकी मीटिंग में ज्योति से मैं पहली बार मिला और पहली ही मुलाकात में मुझे इनसे प्यार हो गया. और कुछ सालों के बाद हमने शादी कर ली.ÓÓ
विनय की मौजूदा व्यस्तता पर चर्चा होती है. वह सहर्ष बताते हैं, ''ब्रो, अभी मैं सिर्फ भोजपुरी पिक्चरें कर रहा हूं. कुछ सप्ताह पहले मेरी फिल्म दबंग दामाद रिलीज हुई. अब दामाद चाही फोकट, खूनी दंगल, गुलाब थिएटर और लक्ष्मण रेखा आएंगी. हर साल मेरी दस-बारह फिल्में रिलीज होती हैं. मैं भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री और दर्शकों का शुक्रगुजार हूं. मैं बिहार में जाता हूं, तो लोग आकर मेरे पैर छूते हैं, मेरी गाड़ी के पीछे दौड़ते हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि उनका भगवान धरती पर उतर आया है.ÓÓ भावुक होकर विनय कहते हैं, ''इस इंडस्ट्री ने मुझे बहुत काम, सम्मान और लोकप्रियता दिलाई है. अब मैं इसे कुछ लौटाना चाहता हूं. मैं ऐसी पिक्चरें करना चाहता हूं, जिन्हें नेशनल अवॉर्ड और ऑस्कर में भेजा जा सके.ÓÓ
और वह बताते हैं, ''लक्ष्मण रेखा मेरी ऐसी ही एक फिल्म है, जिसमें ग्रामीण भारत की यह समस्या ईमानदारी से दिखाई गई है कि कैसे लोग अपनी पत्नियों को ग्राम प्रधान बनाकर खुद उसका लाभ उठाते हैं. यह रियलिस्टिक फिल्म है.ÓÓ रियलिस्टिक शब्द आने पर मैं विनय से पूछता हूं कि भोजपुरी दर्शक तो रियलिस्टिक फिल्में देखना ही नहीं चाहते, ऐसा माना जाता है. यह सुनकर शांतचित्त विनय भडक़ जाते हैं. ''भोजपुरी सिनेमा को बर्बाद करने की यह साजिश है. लोग कहते हैं कि भोजपुरी फिल्मों में केवल अश्लीलता होती है. मैं पूछना चाहता हूं कि हिंदी फिल्मों में आजकल क्या हो रहा है? सनी लियोन की फिल्म जिस्म 2 क्या थी? वह तो पॉर्न फिल्मों की एक्ट्रेस हैं. भोजपुरी फिल्में तो किसी पॉर्न एक्टर का महिमामंडन नहीं कर रही हैं. इमरान हाशमी हर दूसरी रील में हीरोइन के मुंह में मुंह डाले नजर आते हैं. आप करें, तो ठीक है और हम ऐसा कुछ करें, तो तुच्छ नजर से देखा जाए. यह नजरिया गलत है.ÓÓ
विनय भोजपुरी सिनेमा के पहले स्टार हैं, जो इस बात को ईमानदारी से स्वीकार करते हैं कि यह सिनेमा अपने समाज का प्रस्तुतिकरण ईमानदारी से नहीं कर रहा है. ''भोजपुरी समाज बहुत हार्ड वर्किंग और संस्कारवान है. हम फिल्म में भले ही दिखा दें कि लडक़ी शॉर्ट पैंट पहनकर घूम रही है और लडक़ा उसे देखकर गाना गाता हो कि हो गईल प्यार शॉर्ट पैंट वाली से... लेकिन आज भी बिहार में कोई लडक़ी शॉर्ट पैंट पहनकर घर से बाहर नहीं निकलती है. यह उनके कल्चर में नहीं है.ÓÓ विनय का मानना है कि भोजपुरी सिनेमा के उत्थान के लिए प्रदेश की सरकार और शिक्षित समाज को इससे जुडऩे की आवश्यकता है. ''मैं बिहार सरकार से अपील करना चाहूंगा कि वे भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को सब्सिडी दें, अच्छी फिल्मों को टैक्स फ्री करें. छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ी सिनेमा को टैक्स फ्री कर दिया है. अगर वो कर सकते हैं, तो बिहार की सरकार क्यों नहीं कर सकती?
'हे ब्रोÓ... विनय आनंद के ये प्रिय शब्द हैं. आप फोन पर उनसे बात करें या आमने-सामने, वह इन दो शब्दों का इस्तेमाल बार-बार करते हैं. अपने इसी चिर-परिचित अंदाज में विनय आनंद ने अपने घर में हमारा स्वागत किया. वह मुंबई की पॉश मार्केट लोखंडवाला में एक सुंदर फ्लैट में अपनी पत्नी ज्योति के साथ रहते हैं. विनय से मैं कई बार मिल चुका हूं, लेकिन ज्योति से यह मेरी पहली भेंट है. अपनी पत्नी से परिचय करवाते हुए विनय ने कहा, ''ज्योति एक्ट्रेस बनना चाहती थीं. इन्होंने सोनू सूद के साथ मिशन मुंबई (2009) फिल्म में काम किया था. चढ़ती जवानी म्यूजिक वीडियो में तीन लड़कियों में से एक यह थीं. लेकिन मुझसे शादी के बाद इन्होंने स्वेच्छा से फिल्मों में काम करना बंद कर दिया. फिर ये कोरियोग्राफर बन गईं. इन्होंने मेरे सौ से अधिक गाने कोरियोग्राफ किए हैं. अब ये निर्देशक बनना चाहती हैं. दिसंबर से यह प्रभुदेवा को उनकी नई फिल्म में असिस्ट करने जा रही हैं, जिसमें सलमान खान हीरो हैं.ÓÓ ज्योति से विनय की लव मैरिज हुई है. ''मैं पद्मालय के लिए एक फिल्म कर रहा था. उसकी मीटिंग में ज्योति से मैं पहली बार मिला और पहली ही मुलाकात में मुझे इनसे प्यार हो गया. और कुछ सालों के बाद हमने शादी कर ली.ÓÓ
विनय की मौजूदा व्यस्तता पर चर्चा होती है. वह सहर्ष बताते हैं, ''ब्रो, अभी मैं सिर्फ भोजपुरी पिक्चरें कर रहा हूं. कुछ सप्ताह पहले मेरी फिल्म दबंग दामाद रिलीज हुई. अब दामाद चाही फोकट, खूनी दंगल, गुलाब थिएटर और लक्ष्मण रेखा आएंगी. हर साल मेरी दस-बारह फिल्में रिलीज होती हैं. मैं भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री और दर्शकों का शुक्रगुजार हूं. मैं बिहार में जाता हूं, तो लोग आकर मेरे पैर छूते हैं, मेरी गाड़ी के पीछे दौड़ते हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि उनका भगवान धरती पर उतर आया है.ÓÓ भावुक होकर विनय कहते हैं, ''इस इंडस्ट्री ने मुझे बहुत काम, सम्मान और लोकप्रियता दिलाई है. अब मैं इसे कुछ लौटाना चाहता हूं. मैं ऐसी पिक्चरें करना चाहता हूं, जिन्हें नेशनल अवॉर्ड और ऑस्कर में भेजा जा सके.ÓÓ
और वह बताते हैं, ''लक्ष्मण रेखा मेरी ऐसी ही एक फिल्म है, जिसमें ग्रामीण भारत की यह समस्या ईमानदारी से दिखाई गई है कि कैसे लोग अपनी पत्नियों को ग्राम प्रधान बनाकर खुद उसका लाभ उठाते हैं. यह रियलिस्टिक फिल्म है.ÓÓ रियलिस्टिक शब्द आने पर मैं विनय से पूछता हूं कि भोजपुरी दर्शक तो रियलिस्टिक फिल्में देखना ही नहीं चाहते, ऐसा माना जाता है. यह सुनकर शांतचित्त विनय भडक़ जाते हैं. ''भोजपुरी सिनेमा को बर्बाद करने की यह साजिश है. लोग कहते हैं कि भोजपुरी फिल्मों में केवल अश्लीलता होती है. मैं पूछना चाहता हूं कि हिंदी फिल्मों में आजकल क्या हो रहा है? सनी लियोन की फिल्म जिस्म 2 क्या थी? वह तो पॉर्न फिल्मों की एक्ट्रेस हैं. भोजपुरी फिल्में तो किसी पॉर्न एक्टर का महिमामंडन नहीं कर रही हैं. इमरान हाशमी हर दूसरी रील में हीरोइन के मुंह में मुंह डाले नजर आते हैं. आप करें, तो ठीक है और हम ऐसा कुछ करें, तो तुच्छ नजर से देखा जाए. यह नजरिया गलत है.ÓÓ
विनय भोजपुरी सिनेमा के पहले स्टार हैं, जो इस बात को ईमानदारी से स्वीकार करते हैं कि यह सिनेमा अपने समाज का प्रस्तुतिकरण ईमानदारी से नहीं कर रहा है. ''भोजपुरी समाज बहुत हार्ड वर्किंग और संस्कारवान है. हम फिल्म में भले ही दिखा दें कि लडक़ी शॉर्ट पैंट पहनकर घूम रही है और लडक़ा उसे देखकर गाना गाता हो कि हो गईल प्यार शॉर्ट पैंट वाली से... लेकिन आज भी बिहार में कोई लडक़ी शॉर्ट पैंट पहनकर घर से बाहर नहीं निकलती है. यह उनके कल्चर में नहीं है.ÓÓ विनय का मानना है कि भोजपुरी सिनेमा के उत्थान के लिए प्रदेश की सरकार और शिक्षित समाज को इससे जुडऩे की आवश्यकता है. ''मैं बिहार सरकार से अपील करना चाहूंगा कि वे भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को सब्सिडी दें, अच्छी फिल्मों को टैक्स फ्री करें. छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ी सिनेमा को टैक्स फ्री कर दिया है. अगर वो कर सकते हैं, तो बिहार की सरकार क्यों नहीं कर सकती?
विनय आनंद ने अपने करियर की शुरुआत हिंदी फिल्म लो मैं आ गया (2009) से की थी. उसके बाद वे दिल ने फिर याद किया (2001) और आमदनी अठन्नी खर्चा रुपय्या (2001) जैसी बड़ी फिल्मों में नायक के रुप में नजर आए, फिर अचानक उनका भोजपुरी फिल्मों का रुख करना एक बड़ा सवाल है. विनय कहते हैं, ''आमदनी अठन्नी... के बाद मेरे पास फिल्मों के प्रस्ताव आ रहे थे, लेकिन मैं उनसे खुश नहीं था. लंबे समय तक ना-ना कहने की वजह से मेरा बुरा समय आ गया. मैं आर्थिक और मानसिक रुप से टूट गया. उसी समय मेरे पास रंजन सिंह (जय हनुमान और रावण धारावाहिक के निर्देशक) तोहसे प्यार बा फिल्म लेकर आए. मैंने अपनी पत्नी से पूछा कि क्या करूं? ज्योति ने कहा कि तुम रीजनल फिल्म को हल्के मत लो. मेरी बहन (सिमरन, साउथ की फिल्मों की स्टार अभिनेत्री) रीजनल फिल्मों की बदौलत आज स्टार है. एक बार रीजनल फिल्म में काम करना शुरू करोगे, तो तुम्हारे पास टाइम नहीं होगा. ज्योति की बात सही निकली. मैंने एक फिल्म की और मेरे पास फिल्मों की लाइन लग गई.ÓÓ भोजपुरी फिल्मों की ओर भागने के एक दूसरे मजेदार कारण के बारे में विनय ठहाका मारकर बताते हैं, ''मेरे मामा गोविंदा जी उस समय राजनीति में उतर रहे थे. मैंने सोचा कि यह फिल्म कर लेता हूं, नहीं तो मुझे पीए बनकर उनके पीछे दौडऩा पड़ेगा.ÓÓ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में विनय आनंद की पहचान स्टार गोविंदा के भांजे की थी. अब वह खुश हैं कि भोजपुरी फिल्मों में उन्होंने अपने बलबूते एक स्टार की पहचान बना ली है. विनय अब तक त्रिनेत्र, चाचा-भतीजा, जाड़े में बलमा प्यारा लगे, अंखिया लडि़ए गइल, माटी के सौगंध है, खटाईलाल मिठाईलाल सहित 70 से अधिक भोजपुरी फिल्मों में बतौर नायक काम कर चुके हैं. ''मामा मेरी इस उपलब्धि से बहुत खुश हैं.ÓÓ
भोजपुरी फिल्मों में लोकगायकों के अभिनेता बनने की परंपरा प्रचलित है. मगर अभिनेता से गायक बनने का उदाहरण पहली बार सामने है. विनय ने आजकल अपनी फिल्मों में गीत गाते हैं. ''मैं जब भी बिहार में फिल्म के प्रमोशन के लिए जाता था, तो लोग गाना गाने के लिए कहते थे. मैंने अपनी फिल्मों काली और खूनी दंगल में गाने गाए हैं. यह मत भूलिए कि मेरी नानी निर्मला देवी ठुमरी की लोकप्रिय गायिका थीं. मैंने उनसे सिगिंग सीखी है.ÓÓ विनय बताते हैं कि पहली बार विशाल भारद्वाज ने उनसे फिल्म मुलाकात (2002) में एक गाना गवाया था. ''विशाल जी मुझे गायकी में ले आए हैं. मुलाकात में उन्होंने व्हिस्की रिस्की गाना मुझसे गवाया था.ÓÓ
विनय आनंद की परवरिश उनके मामा गोविंदा के घर में हुई. विनय कहते हैं कि दुनिया की नजर में देखा जाए तो उनका बचपन अच्छा नहीं था. ''मेरी मां (गोविंदा की बहन पुष्पा आनंद) मंदबुद्धि थीं. मेरे फादर (रवि आनंद, गीतकार) उन्हें छोडक़र चले गए थे. मुझे मां और बाप का प्यार नहीं मिला. इस कमी को मेरी नानी (गोविंदा की मां निर्मला देवी) ने पूरा किया.ÓÓ 17 साल की उम्र में विनय ने अपनी नानी को खो दिया. ''उनके जाने के बाद मैं अकेला हो गया. मामा सुपरस्टार थे. वह अपनी शूटिंगस में व्यस्त रहते थे. नानी के गुजरने के बाद मैं अपने पिता से मिलने गया, जिनकी स्थिति बहुत खराब थी. फिर मैंने मेहनत करनी शुरू की.ÓÓ विनय ने रोशन तनेजा के एक्टिंग स्कूल से अभिनय का प्रशिक्षण लिया तथा सरोज खान से डांस के गुर सीखे. ''सबसे पहले लॉरेंस डिसूजा ने मुझे पगला कहीं का फिल्म के लिए साइन किया था. मुझे पांच हजार एक रूपए का वह पहला चेक आज भी याद है. उस चेक ने मेरे लिए संजीवनी बूटी का काम किया था.ÓÓ किसी कारणवश लॉरेंस डिसूजा की वह फिल्म नहीं बन सकी, उसके बाद लो मैं आ गया फिल्म से विनय ने बड़े पर्दे पर दस्तक दी.
विनय को हिंदी फिल्मों में अपेक्षित सफलता नहीं मिली. वे मामा के भरोसे बैठे रहे कि वह उनके लिए कुछ बड़ा करेंगे और मामा ने उनके सपनों और आकांक्षाओं को गंभीरता से नहीं लिया. वक्त हाथ से निकल गया. मगर विनय के दिल में आज भी हिंदी फिल्म का सुपरस्टार बनने का सपना सांस ले रहा है. ''मैं अनुराग कश्यप, अनुराग बासु, मधुर भंडारकर, विशाल भारद्वाज जैसे गंभीर फिल्मकारों के साथ काम करना चाहता हूं. मैं नहीं चाहता हूं कि लोग मुझे गोविंदा के भांजे के तौर पर देखें और मुझसे उनके जैसा काम करवाने की कोशिश करें, जो मेरे साथ पहले हुआ था. मैं हिंदी फिल्मों में सम्मान हासिल करना चाहता हूं, गोविंदा के भांजे से इतर अपनी खुद की पहचान बनाना चाहता हूं.ÓÓ फिलहाल, विनय जल्दबाजी में नहीं हैं. वह अपने जंगल यानी भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के शेर बनकर खुश हैं. ''माना कि मैं भोजपुरी का टॉप हीरो नहीं हूं और मैं नंबर वन बनना भी नहीं चाहता, क्योंकि आप वहां लंबे समय तक नहीं टिक सकते. मैं भोजपुरी का धर्मेन्द्र और जितेन्द्र बनकर खुश हूं, जिसकी फिल्में लगातार आती रहती हैं.
मामा-भांजाभोजपुरी फिल्मों में लोकगायकों के अभिनेता बनने की परंपरा प्रचलित है. मगर अभिनेता से गायक बनने का उदाहरण पहली बार सामने है. विनय ने आजकल अपनी फिल्मों में गीत गाते हैं. ''मैं जब भी बिहार में फिल्म के प्रमोशन के लिए जाता था, तो लोग गाना गाने के लिए कहते थे. मैंने अपनी फिल्मों काली और खूनी दंगल में गाने गाए हैं. यह मत भूलिए कि मेरी नानी निर्मला देवी ठुमरी की लोकप्रिय गायिका थीं. मैंने उनसे सिगिंग सीखी है.ÓÓ विनय बताते हैं कि पहली बार विशाल भारद्वाज ने उनसे फिल्म मुलाकात (2002) में एक गाना गवाया था. ''विशाल जी मुझे गायकी में ले आए हैं. मुलाकात में उन्होंने व्हिस्की रिस्की गाना मुझसे गवाया था.ÓÓ
विनय आनंद की परवरिश उनके मामा गोविंदा के घर में हुई. विनय कहते हैं कि दुनिया की नजर में देखा जाए तो उनका बचपन अच्छा नहीं था. ''मेरी मां (गोविंदा की बहन पुष्पा आनंद) मंदबुद्धि थीं. मेरे फादर (रवि आनंद, गीतकार) उन्हें छोडक़र चले गए थे. मुझे मां और बाप का प्यार नहीं मिला. इस कमी को मेरी नानी (गोविंदा की मां निर्मला देवी) ने पूरा किया.ÓÓ 17 साल की उम्र में विनय ने अपनी नानी को खो दिया. ''उनके जाने के बाद मैं अकेला हो गया. मामा सुपरस्टार थे. वह अपनी शूटिंगस में व्यस्त रहते थे. नानी के गुजरने के बाद मैं अपने पिता से मिलने गया, जिनकी स्थिति बहुत खराब थी. फिर मैंने मेहनत करनी शुरू की.ÓÓ विनय ने रोशन तनेजा के एक्टिंग स्कूल से अभिनय का प्रशिक्षण लिया तथा सरोज खान से डांस के गुर सीखे. ''सबसे पहले लॉरेंस डिसूजा ने मुझे पगला कहीं का फिल्म के लिए साइन किया था. मुझे पांच हजार एक रूपए का वह पहला चेक आज भी याद है. उस चेक ने मेरे लिए संजीवनी बूटी का काम किया था.ÓÓ किसी कारणवश लॉरेंस डिसूजा की वह फिल्म नहीं बन सकी, उसके बाद लो मैं आ गया फिल्म से विनय ने बड़े पर्दे पर दस्तक दी.
विनय को हिंदी फिल्मों में अपेक्षित सफलता नहीं मिली. वे मामा के भरोसे बैठे रहे कि वह उनके लिए कुछ बड़ा करेंगे और मामा ने उनके सपनों और आकांक्षाओं को गंभीरता से नहीं लिया. वक्त हाथ से निकल गया. मगर विनय के दिल में आज भी हिंदी फिल्म का सुपरस्टार बनने का सपना सांस ले रहा है. ''मैं अनुराग कश्यप, अनुराग बासु, मधुर भंडारकर, विशाल भारद्वाज जैसे गंभीर फिल्मकारों के साथ काम करना चाहता हूं. मैं नहीं चाहता हूं कि लोग मुझे गोविंदा के भांजे के तौर पर देखें और मुझसे उनके जैसा काम करवाने की कोशिश करें, जो मेरे साथ पहले हुआ था. मैं हिंदी फिल्मों में सम्मान हासिल करना चाहता हूं, गोविंदा के भांजे से इतर अपनी खुद की पहचान बनाना चाहता हूं.ÓÓ फिलहाल, विनय जल्दबाजी में नहीं हैं. वह अपने जंगल यानी भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के शेर बनकर खुश हैं. ''माना कि मैं भोजपुरी का टॉप हीरो नहीं हूं और मैं नंबर वन बनना भी नहीं चाहता, क्योंकि आप वहां लंबे समय तक नहीं टिक सकते. मैं भोजपुरी का धर्मेन्द्र और जितेन्द्र बनकर खुश हूं, जिसकी फिल्में लगातार आती रहती हैं.
''गोविंदा जी घर से बाहर कितने भी जॉली हों, लेकिन घर में वह आंखों से बातें करते थे. उन्हें देखकर हमें पेशाब नहीं निकलती थी. जब मैं सुनता था कि उनका पैकअप हो गया है, तो मैं डर के मारे सोने चला जाता था और वह आकर पूछते थे कि अरे गुड्डू, तू साढ़े सात बजे सो गया.
मैं लकी हूं कि मैं गोविंदा जैसे सुपरस्टार के घर में पला-बढ़ा. उन्हें बड़े-बड़े फिल्मकारों के साथ बातें करते देखा. मैं अक्सर उनकी फिल्मों के सेट पर जाता था. फर्ज और महाराजा फिल्मों के सेट पर रिक्शे में उनके कपड़े लेकर जाना मुझे आज भी याद है. गोविंदा जी को देखकर मैंने सुपरस्टार बनने का सपना देखा था.
गोविंदा जी से मैंने जब भी कुछ मांगा, उन्होंने मुझे वह चीज दी. मेरा दया-पात्र वाला हिसाब-किताब था. उनका भांजा होने के नाते हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में लोगों ने मुझे कंसीडर किया.
लोगों को लगता है कि गोविंदा जी को काम नहीं मिल रहा है, लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि वो किंग हैं, सुपरस्टार हैं. उन्हें पैसा कमाने के लिए इस इंडस्ट्री में काम करने की जरूरत नहीं है.
मैं लकी हूं कि मैं गोविंदा जैसे सुपरस्टार के घर में पला-बढ़ा. उन्हें बड़े-बड़े फिल्मकारों के साथ बातें करते देखा. मैं अक्सर उनकी फिल्मों के सेट पर जाता था. फर्ज और महाराजा फिल्मों के सेट पर रिक्शे में उनके कपड़े लेकर जाना मुझे आज भी याद है. गोविंदा जी को देखकर मैंने सुपरस्टार बनने का सपना देखा था.
गोविंदा जी से मैंने जब भी कुछ मांगा, उन्होंने मुझे वह चीज दी. मेरा दया-पात्र वाला हिसाब-किताब था. उनका भांजा होने के नाते हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में लोगों ने मुझे कंसीडर किया.
लोगों को लगता है कि गोविंदा जी को काम नहीं मिल रहा है, लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि वो किंग हैं, सुपरस्टार हैं. उन्हें पैसा कमाने के लिए इस इंडस्ट्री में काम करने की जरूरत नहीं है.
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