मुंबई [रघुवेन्द्र सिंह]। बालीवुड के ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार और उनकी पत्नी सायरा बानो पांच साल से महाराष्ट्र सरकार से एक लड़ाई लड़ रहे हैं। लड़ाई कब्रिस्तान के लिए जमीन की है। सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
यहां बांद्रा वेस्ट से सांताक्रुज वेस्ट के बीच जुहू गार्डन के पास मात्र एक कब्रिस्तान है। इस इलाके के सात लाख से भी ज्यादा लोग साठ वर्ष से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। नतीजा है कि यहां एक के ऊपर एक कई लाशें दफन हो चुकी हैं। मधुबाला, नौशाद, साहिर लुधियानवी, नसीम बानो, जां निसार अख्तर, तलत महमूद, परवीन बाबी और मजरूह सुल्तानपुरी जैसे दिग्गजों तक की कब्र महफूज नहीं रही है। यहां दफन बालीवुड के दिग्गजों में बस मुहम्मद रफी हैं, जिनकी कब्र अब तक सुरक्षित है।
कब्र की देखरेख करने वाले मुस्लिम मजलिस ट्रस्ट के प्रमुख असगर अली सुलेमान का कहना है कि पंद्रह वर्ष पहले यहां महीने में पांच मैय्यत आती थी, लेकिन अब यह तादाद पच्चीस तक पहुंच गई है। ऐसे में सरकार कब्रिस्तान के लिए नई जगह नहीं देती है तो मजबूरी में हमें मुहम्मद रफी की कब्र भी खोदनी होगी और वहां किसी और की लाश दफनानी होगी।
असगर बताते हैं, 1968 में महाराष्ट्र सरकार ने जुहू कोलीवाड़ा में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लिए श्मशान एवं कब्रिस्तान के लिए जगह सुरक्षित की थी। हिंदू और ईसाई समुदाय को तो उनकी जमीन मिल गई, लेकिन हमें आज तक कब्रिस्तान के लिए जमीन नहीं मिली। वह बताते हैं कि सितंबर 2005 में दिलीप कुमार और सायरा बानो ने महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिख कर कब्रिस्तान की जमीन देने की मांग की, लेकिन सरकार ने उनकी भी नहीं सुनी।
यहां बांद्रा वेस्ट से सांताक्रुज वेस्ट के बीच जुहू गार्डन के पास मात्र एक कब्रिस्तान है। इस इलाके के सात लाख से भी ज्यादा लोग साठ वर्ष से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। नतीजा है कि यहां एक के ऊपर एक कई लाशें दफन हो चुकी हैं। मधुबाला, नौशाद, साहिर लुधियानवी, नसीम बानो, जां निसार अख्तर, तलत महमूद, परवीन बाबी और मजरूह सुल्तानपुरी जैसे दिग्गजों तक की कब्र महफूज नहीं रही है। यहां दफन बालीवुड के दिग्गजों में बस मुहम्मद रफी हैं, जिनकी कब्र अब तक सुरक्षित है।
कब्र की देखरेख करने वाले मुस्लिम मजलिस ट्रस्ट के प्रमुख असगर अली सुलेमान का कहना है कि पंद्रह वर्ष पहले यहां महीने में पांच मैय्यत आती थी, लेकिन अब यह तादाद पच्चीस तक पहुंच गई है। ऐसे में सरकार कब्रिस्तान के लिए नई जगह नहीं देती है तो मजबूरी में हमें मुहम्मद रफी की कब्र भी खोदनी होगी और वहां किसी और की लाश दफनानी होगी।
असगर बताते हैं, 1968 में महाराष्ट्र सरकार ने जुहू कोलीवाड़ा में हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लिए श्मशान एवं कब्रिस्तान के लिए जगह सुरक्षित की थी। हिंदू और ईसाई समुदाय को तो उनकी जमीन मिल गई, लेकिन हमें आज तक कब्रिस्तान के लिए जमीन नहीं मिली। वह बताते हैं कि सितंबर 2005 में दिलीप कुमार और सायरा बानो ने महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिख कर कब्रिस्तान की जमीन देने की मांग की, लेकिन सरकार ने उनकी भी नहीं सुनी।
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