Saturday, March 26, 2011

जोर का झटका वाली ऋचा


फरीदाबाद (हरियाणा) से 1994 में मुंबई का रुख करने वाली ऋचा शर्मा को अलग आवाज के कारण लंबा संघर्ष जरूर करना पड़ा, पर बाद में उनकी यही आवाज विशेषता बन गई। आज वे लोकप्रिय पा‌र्श्व गायिका हैं। लोग उनकी कद्र कर रहे हैं। ऋचा हंसते हुए कहती हैं, वैसे तो फिल्म इंडस्ट्री के लोग कहते हैं कि उन्हें कुछ हटके चाहिए, पर जब मेरी यूनीक आवाज आई, तो किसी ने मौका नहीं दिया। ऋचा को पहला ब्रेक 1996 में निर्माता-निर्देशक सावन कुमार ने सलमा पे दिल आ गया फिल्म में दिया। उसकी वजह थी कि एक कंसर्ट में उन्होंने ऋचा से वादा किया था कि वे उन्हें ब्रेक देंगे। उस फिल्म से ऋचा को इंडस्ट्री में अपना परिचय देने में आसानी हो गई, पर उनकी किस्मत बदली फिल्म ताल से, जिसमें उन्होंने एआर रहमान के निर्देशन में नी मैं समझ गई.. गीत गाया।

इंडस्ट्री में पंद्रह वर्ष की जर्नी तय कर चुकीं ऋचा कहती हैं, आज टैलेंट हंट शो में बच्चों को अपना गाना जुबैदा की ठुमरी, ताल का गीत, कांटे का माही वे.., गोल का बिल्लो रानी.., बागबान का टाइटिल सॉन्ग, माई नेम इज खान का सजदा.., ऐक्शन रिप्ले का जोर का झटका.. गाते देखकर गर्व महसूस होता है। ये मेरी उपलब्धियां हैं। इसे मेहनत से हासिल किया है। आज इन गीतों के बगैर मेरे शो पूरे नहीं होते। ऋचा साफ शब्दों में कहती हैं कि उन्होंने अपने सफर में किसी को साइड करने की राजनीति नहीं की और न ही किसी के साथ चापलूसी की, मैं न तो राजनीति करती हूं और न मुझसे जी हुजूरी होती है। मैं किसी के साथ कॉफी पीने भी नहीं जाती। मुझसे यह सब होता नहीं है। हां, अगर मुझे किसी का गाना अच्छा लगता है, तो मैं फोन करके उसे बधाई जरूर देती हूं, लेकिन आज तक मैंने काम मांगने के लिए किसी को फोन नहीं किया। ऋचा शर्मा के पहले गुरु उनके पिता पंडित दयाशंकर उपाध्याय रहे। वे बताती हैं, उन्होंने गायन तो सिखाया ही, जीवन जीने का हुनर भी सिखाया। वे कहते थे कि इंसान की सोच अमीर होनी चाहिए। जीवन राजा की तरह जीना चाहिए। गौर करने वाली बात यह है कि ऋचा के लिए तब मुश्किल हो गया था, जब लोग लोग समझते थे कि वे केवल नाक से ही गा सकती हैं। वे कहती हैं, मैं परेशान हो गई थी। हेरा फेरी के गीत तुनक तुनक तुन.. से वह ब्रेक हुआ, लेकिन लोग पहचान नहीं पाते थे कि मैंने ही गाया है। खैर, मैं जाने के लिए नहीं आई थी। मैं और आगे जाने के लिए आई थी। बिल्लो रानी.. से वह पूरी तरह ब्रेक हो गया। लोगों को यकीन हुआ कि मैं दूसरे किस्म के गाने भी गा सकती हूं, लेकिन ऐक्शन रिप्ले का जोर का झटका.. के बाद फिर वैसे ही गीत मिलने लगे हैं। थैंक्यू में एक गाना मैंने फिर नेजल वॉयस में गाया है।
करियर में सभी स्थापित संगीतकारों के लिए गीत गा चुकीं ऋचा जतिन-ललित की जोड़ी को बहुत मिस करती हैं। उनका मानना है, निजी समस्याओं को खत्म करके दोनों को फिर साथ काम करना चाहिए। ऋचा इंडस्ट्री के इस ट्रेंड से नाखुश हैं कि अब फिल्म के म्यूजिक रिलीज के वक्त गायक-गायिकाओं को याद नहीं किया जाता। वे कहती हैं, पहले बहुत बुरा लगता था, लेकिन अब आदत हो गई है। हमें लोग बताते भी नहीं कि एलबम रिलीज हो रहा है। हमें टीवी के जरिए पता चलता है। फिल्म इंडस्ट्री बाहर से परिवार जैसी दिखती है, लेकिन अंदर इसमें सिंगर, ऐक्टर और टीवी ऐक्टर के तीन परिवार बन चुके हैं।
ऋचा मानती हैं कि टीवी रियलिटी शो के आने से गायकों का चेहरा पब्लिक पहचानने लगी है। वे कहती हैं, रियलिटी शो की लोग लाख बुराई करें, पर गायकों को इससे लाभ हुआ है। लोग हमारा चेहरा पहचानने लगे हैं। सौ फिल्मों का आंकड़ा पार कर चुकीं ऋचा अब सेटल होना चाहती हैं। वे कहती हैं, मुझे ऐसे जीवनसाथी का इंतजार है, जो मेरे काम का सम्मान करे। मेरे लिए संगीत सब कुछ है। जिस दिन ऐसा इंसान मुझे मिल गया, सबको शादी का न्योता भेज दूंगी।
-रघुवेंद्र सिंह  

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