17 दिसंबर जन्मदिन पर विशेष...
रितेश देशमुख अपने हंसमुख स्वभाव से सभी को लुभाते हैं। वे पब्लिक प्लेस में बड़े धीर-गंभीर दिखते हैं। दूसरों की बातें गंभीरता से सुनते हैं और अपनी बात सहजता से रखते हैं, लेकिन अनौपचारिक होते ही उनका बातचीत का अंदाज अचानक बदल जाता है। वे दोस्त बन जाते हैं और हंसने लगते हैं। 17 दिसंबर को जिंदगी के नए साल का स्वागत करने के लिए तैयार रितेश का ऐसा ही अंदाज तरंग से अपने बर्थडे के बारे में बात करते समय नजर आया।
कोई तैयारी नहीं: मेरा हर बर्थडे मेरे लिए स्पेशल होता है। मैं अपने बर्थडे को लेकर उत्साहित रहता हूं। पूरे साल बर्थडे का इंतजार करता हूं, लेकिन अब बचपन की तरह शानदार तरीके से उसे मनाने के लिए समय नहीं मिलता। अब व्यस्तता बढ़ गई है। इस बर्थडे के लिए मैंने कोई स्पेशल तैयारी नहीं की है। मैंने पार्टी देने की प्लानिंग भी नहीं की है। मैं बर्थडे के दिन अपनी फिल्म जाने कहां से आई है की डबिंग कर रहा हूं। मैं कोशिश करूंगा कि डबिंग के बाद फैमिली और दोस्तों के साथ रहूं और छोटा सा गेट-टुगेदर करूं।
वह बर्थडे : मैं पांच साल का था। उस वक्त मुझे पुलिस बनने की धुन थी। बर्थडे गिफ्ट में किसी ने मुझे पुलिस की यूनिफॉर्म दे दी, तो मैं बहुत खुश हुआ। उस दिन सुबह से शाम तक मैं पुलिस की यूनिफॉर्म पहनकर घूमा। पुलिस वाले की तरह सब पर रौब भी दिखाया था। बचपन के बर्थडे की बात अलग होती थी। सारे दोस्त घर पर आते थे। हम लोग तरह-तरह के गेम खेलते थे। हम सब मिलकर खूब धमाल मचाते थे।
आशीर्वाद ही काफी : अब मैं किसी से गिफ्ट नहीं मांगता। गिफ्ट लेने और मांगने की उम्र चली गई। अब गिफ्ट देने की उम्र हो गई है। मैं अपने पेरेंट्स, भाई और दोस्तों से कोई डिमांड नहीं करता। सबसे यही कहता हूं कि आप लोगों का आशीर्वाद मिल जाए, वही काफी है। सबके आशीर्वाद से मेरे पास अब सब कुछ है। मैं अपनी जिंदगी से खुश हूं। मैं यही चाहूंगा कि जिंदगी का नया साल मेरे लिए अच्छा हो। मैं स्वस्थ रहूं, मुझे दर्शकों का प्यार मिले और मेरी फिल्में अच्छा बिजनेस करें।
रितेश के बारे में..
मेरी पहली फिल्म अलादीन के हीरो रितेश ही थे। उस समय मैं मुंबई में नई थी। मुंबई में किसी को नहीं जानती थी। फिल्म इंडस्ट्री मेरे लिए बिल्कुल अंजानी थी, लेकिन रितेश से मिलने के बाद मेरे लिए सब कुछ बदल गया। उन्होंने न सिर्फ मेरा खयाल रखा, बल्कि इंडस्ट्री के बारे में बताया और लोगों से मिलवाया भी। रितेश बहुत केयरिंग हैं। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा है। मैं उन्हें अपना बेस्ट फ्रेंड मानती हूं। मेरी दूसरी फिल्म जाने कहां से आई है भी उन्हीं के साथ है।
-जैक्लीन फर्नाडीस
रितेश के साथ मैंने फिल्म दे ताली में काम किया। उस फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने देखा कि उनमें ग्रेट सेंस ऑफ ह्यूमर है। वे छोटी-छोटी बातों में हंसी ढूंढ लेते हैं। मैंने हमेशा उन्हें हंसते हुए देखा है और यह भी गौर किया है कि वे अपने आसपास के लोगों को भी खुश रखने की कोशिश करते हैं। उनकी यह खासियत मुझे बहुत अच्छी लगी। मैं उन्हें अपना अच्छा दोस्त मानती हूं। मैं चाहूंगी कि रितेश कभी नहीं बदलें। हमेशा ऐसे ही हंसते मुस्कुराते रहें।
-आयशा टाकिया
कोई तैयारी नहीं: मेरा हर बर्थडे मेरे लिए स्पेशल होता है। मैं अपने बर्थडे को लेकर उत्साहित रहता हूं। पूरे साल बर्थडे का इंतजार करता हूं, लेकिन अब बचपन की तरह शानदार तरीके से उसे मनाने के लिए समय नहीं मिलता। अब व्यस्तता बढ़ गई है। इस बर्थडे के लिए मैंने कोई स्पेशल तैयारी नहीं की है। मैंने पार्टी देने की प्लानिंग भी नहीं की है। मैं बर्थडे के दिन अपनी फिल्म जाने कहां से आई है की डबिंग कर रहा हूं। मैं कोशिश करूंगा कि डबिंग के बाद फैमिली और दोस्तों के साथ रहूं और छोटा सा गेट-टुगेदर करूं।
वह बर्थडे : मैं पांच साल का था। उस वक्त मुझे पुलिस बनने की धुन थी। बर्थडे गिफ्ट में किसी ने मुझे पुलिस की यूनिफॉर्म दे दी, तो मैं बहुत खुश हुआ। उस दिन सुबह से शाम तक मैं पुलिस की यूनिफॉर्म पहनकर घूमा। पुलिस वाले की तरह सब पर रौब भी दिखाया था। बचपन के बर्थडे की बात अलग होती थी। सारे दोस्त घर पर आते थे। हम लोग तरह-तरह के गेम खेलते थे। हम सब मिलकर खूब धमाल मचाते थे।
आशीर्वाद ही काफी : अब मैं किसी से गिफ्ट नहीं मांगता। गिफ्ट लेने और मांगने की उम्र चली गई। अब गिफ्ट देने की उम्र हो गई है। मैं अपने पेरेंट्स, भाई और दोस्तों से कोई डिमांड नहीं करता। सबसे यही कहता हूं कि आप लोगों का आशीर्वाद मिल जाए, वही काफी है। सबके आशीर्वाद से मेरे पास अब सब कुछ है। मैं अपनी जिंदगी से खुश हूं। मैं यही चाहूंगा कि जिंदगी का नया साल मेरे लिए अच्छा हो। मैं स्वस्थ रहूं, मुझे दर्शकों का प्यार मिले और मेरी फिल्में अच्छा बिजनेस करें।
रितेश के बारे में..
मेरी पहली फिल्म अलादीन के हीरो रितेश ही थे। उस समय मैं मुंबई में नई थी। मुंबई में किसी को नहीं जानती थी। फिल्म इंडस्ट्री मेरे लिए बिल्कुल अंजानी थी, लेकिन रितेश से मिलने के बाद मेरे लिए सब कुछ बदल गया। उन्होंने न सिर्फ मेरा खयाल रखा, बल्कि इंडस्ट्री के बारे में बताया और लोगों से मिलवाया भी। रितेश बहुत केयरिंग हैं। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा है। मैं उन्हें अपना बेस्ट फ्रेंड मानती हूं। मेरी दूसरी फिल्म जाने कहां से आई है भी उन्हीं के साथ है।
-जैक्लीन फर्नाडीस
रितेश के साथ मैंने फिल्म दे ताली में काम किया। उस फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने देखा कि उनमें ग्रेट सेंस ऑफ ह्यूमर है। वे छोटी-छोटी बातों में हंसी ढूंढ लेते हैं। मैंने हमेशा उन्हें हंसते हुए देखा है और यह भी गौर किया है कि वे अपने आसपास के लोगों को भी खुश रखने की कोशिश करते हैं। उनकी यह खासियत मुझे बहुत अच्छी लगी। मैं उन्हें अपना अच्छा दोस्त मानती हूं। मैं चाहूंगी कि रितेश कभी नहीं बदलें। हमेशा ऐसे ही हंसते मुस्कुराते रहें।
-आयशा टाकिया
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