पार्श्वगायक उदित नारायण के बेटे हैं आदित्य नारायण। पापा की देखरेख में आदित्य ने बचपन में ही गायन के क्षेत्र में कदम रख दिया था। चर्चित गीत छोटा बच्चा जान के हमको.. भला किसे याद नहीं होगा! बाद के दिनों में वे अभिनय में भी सक्रिय हुए। इन दिनों आदित्य विक्रम भट्ट की फिल्म शापित को लेकर चर्चा में हैं। अभिनय के साथ ही वे बतौर ऐंकर भी खूब चर्चा में रहे हैं। वे पापा को अपना दोस्त मानते हैं, उनसे हर तरह की बातें शेयर करते हैं। वे अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में भी उनसे बातें करते हैं। पापा के साथ उनके रिश्ते कैसे हैं, आदित्य बता रहे हैं हमें..
मैं बचपन में पापा से इसलिए बहुत डरता था, क्योंकि वे मुझे बहुत मारते थे। यही वजह है कि मैं उनसे अपने मन की बातें कम ही कह पाता था, लेकिन अब मैं हर बात उन्हीं से कहता हूं। इस वक्त वे मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। मेरे चेहरे पर जरा भी उदासी दिखती है, तो वे परेशान हो जाते हैं। दोस्त की तरह वजह पूछते हैं। मैं काम के बारे में तो उनसे राय लेता ही हूं, साथ ही गर्लफ्रेंड के साथ लड़ाई होती है, वह भी उनसे कहता हूं। हम साथ बैठकर समस्या का हल निकालते हैं। मुझे लगता है कि पापा भगवान द्वारा बनाए गए एकमात्र इनसान हैं। उन जैसा सीधा, सरल, मृदुभाषी, डाउन टु अर्थ दुनिया में कोई नहीं है। कामयाबी की बुलंदियां छूने के बावजूद वे विनम्र हैं। उनमें घमंड बिल्कुल नहीं है। मैं उन्हें देखता हूं, तो बस देखता ही रह जाता हूं। उनका फायदा उठाकर लोग चले जाते हैं, तब भी वे मुस्कुराते रहते हैं। मैं उनसे यही बातें सीखने की कोशिश कर रहा हूं, ताकि जिंदगी के सफर में मैं खुशी का स्पर्श आजीवन महसूस कर सकूं।
मैंने पापा के साथ उदित ऐंड आदित्य वर्ल्ड टुअॅर किया था। मैंने उनके सान्निध्य में कई बार गायन किया है। लोग कभी-कभी मेरी गायकी की तुलना उनसे करते हैं, तो खुशी होती है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं पापा जैसा मुकाम हासिल कर पाऊंगा! पापा के साथ प्रतिस्पर्धा के बारे में मैं सपने में भी नहीं सोच सकता। हां, मैंने उनके लिए दो गाने जरूर कम्पोज किए हैं। अपनी फिल्म में उनसे गवाऊंगा। वे मेरी प्रोग्रेस से खुश हैं। मैंने अपना फ्लैट खरीद लिया है और उसी में रहता हूं। यही वजह है कि अब पापा से मिलना कम होता है। हम अपने-अपने काम में व्यस्त रहते हैं।
मैं बचपन में पापा से इसलिए बहुत डरता था, क्योंकि वे मुझे बहुत मारते थे। यही वजह है कि मैं उनसे अपने मन की बातें कम ही कह पाता था, लेकिन अब मैं हर बात उन्हीं से कहता हूं। इस वक्त वे मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। मेरे चेहरे पर जरा भी उदासी दिखती है, तो वे परेशान हो जाते हैं। दोस्त की तरह वजह पूछते हैं। मैं काम के बारे में तो उनसे राय लेता ही हूं, साथ ही गर्लफ्रेंड के साथ लड़ाई होती है, वह भी उनसे कहता हूं। हम साथ बैठकर समस्या का हल निकालते हैं। मुझे लगता है कि पापा भगवान द्वारा बनाए गए एकमात्र इनसान हैं। उन जैसा सीधा, सरल, मृदुभाषी, डाउन टु अर्थ दुनिया में कोई नहीं है। कामयाबी की बुलंदियां छूने के बावजूद वे विनम्र हैं। उनमें घमंड बिल्कुल नहीं है। मैं उन्हें देखता हूं, तो बस देखता ही रह जाता हूं। उनका फायदा उठाकर लोग चले जाते हैं, तब भी वे मुस्कुराते रहते हैं। मैं उनसे यही बातें सीखने की कोशिश कर रहा हूं, ताकि जिंदगी के सफर में मैं खुशी का स्पर्श आजीवन महसूस कर सकूं।
मैंने पापा के साथ उदित ऐंड आदित्य वर्ल्ड टुअॅर किया था। मैंने उनके सान्निध्य में कई बार गायन किया है। लोग कभी-कभी मेरी गायकी की तुलना उनसे करते हैं, तो खुशी होती है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं पापा जैसा मुकाम हासिल कर पाऊंगा! पापा के साथ प्रतिस्पर्धा के बारे में मैं सपने में भी नहीं सोच सकता। हां, मैंने उनके लिए दो गाने जरूर कम्पोज किए हैं। अपनी फिल्म में उनसे गवाऊंगा। वे मेरी प्रोग्रेस से खुश हैं। मैंने अपना फ्लैट खरीद लिया है और उसी में रहता हूं। यही वजह है कि अब पापा से मिलना कम होता है। हम अपने-अपने काम में व्यस्त रहते हैं।
-रघुवेन्द्र सिंह
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