Friday, March 21, 2014

मैं शोशेबाजी पसंद नहीं करता- शिव पंडित

शिव पंडित ने ठान लिया है कि अब वह केवल लार्जर देन लाइफ फिल्में ही करेंगे. इसकी वजह वह रघुवेन्द्र सिंह को बता रहे हैं
थिएटर, विज्ञापन और टीवी के टेढ़े-मेढ़े गलियारों से होकर शिव पंडित फिल्मों तक पहुंचे हैं. पहला मौका उन्हें शैतान (2011) में मिला. इस फिल्म में प्रभावशाली अभिनय की बदौलत उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में बेस्ड डेब्यू पुरस्कार के लिए नामांकन मिला. इतनी चर्चा के बावजूद शिव ने हड़बड़ी नहीं दिखाई और उन्हें उनके धैर्य का फल भी मिला. अक्षय कुमार ने अपने प्रोडक्शन हाउस में उनके साथ तीन फिल्मों का अनुबंध साइन किया. इसमें से पहली फिल्म बॉस पिछले दिनों प्रदर्शित हुई. अक्षय कुमार के छोटे भाई के किरदार में वह सबका ध्यान खींचने में सफल रहे. अब शिव का खुश होना स्वाभाविक है, ''बॉस में काम करने का मेरा मकसद था कि मेरा काम केवल पच्चीस लोगों तक नहीं, बल्कि पंद्रह हजार लोगों तक पहुंचे. लोगों ने मुझसे पूछा था कि शैतान के बाद आपने 180 डिग्री का टर्न कैसे ले लिया? आपको शैतान जैसी एक-दो और फिल्में करनी चाहिए थीं. लेकिन मुझे लगता है कि कमर्शियल फिल्में एक कलाकार को देश के कोने-कोने के दर्शकों तक पहुंचाने का माद्दा रखती हैं." शिव ने तय कर लिया है कि भविष्य में वह इसी किस्म की फिल्में करेंगे.
नागपुर में पले-बढ़े शिव का अभिनय में आना मानो तय था. बचपन में उनकी मम्मी (टीना) ने उन्हें एक समर वर्कशॉप में डाला. वहां फ्रॉगी प्रिंस नाटक में वह कभी मेंढक़, तो कभी पेड़ बने. कई मंचन के बाद उन्हें आखिरकार प्रिंस की केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए दी गई. उनका मन इस काम में लगने लगा. फिर अपनी ट्रांसफरेबल सरकारी नौकरी की वजह से उनके डैड (गिरीश शर्मा) ने उनका एडमिशन दून स्कूल (देहरादून) में करवा दिया. वहां वह हर रविवार फिल्म देखने निकल लेते थे. हीरो नंबर वन, करण-अर्जुन और मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी जैसी फिल्में देखने में उनका खूब मन लगता था. ग्रेजुएशन के लिए वह हिंदू कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) पहुंचे, तो वहां भी थिएटर की गतिविधियों में सक्रिय रहे. और जब रेडियो मिर्ची से नौकरी का ऑफर मिला, तो वह 2003 में मुंबई आ पहुंचे. उसके बाद जिंदगी उन्हें एक के बाद एक सरप्राइज देती रही. ''एक दिन मुझे एड के लिए फोन आया. पहले मैं झिझका, लेकिन फिर दोस्त के कहने पर ऑडिशन के लिए गया. टाइड सर्फ के लिए पहली बार कैमरा फेस किया. मुझे मजा आया. लगा कि यही काम करना चाहिए. मैं ऑडिशन देने जाने लगा. मैंने दो शॉर्ट फिल्में द प्राइवेट लाइफ ऑफ अल्बर्ट पिंटो और द अदर वूमन कीं. फिर एक दिन एफआईआर शो के ऑडिशन के लिए फोन आया. मैं टीवी सीरियल नहीं करना चाहता था. लेकिन जब शो का कॉन्सेप्ट सुना, तो राजी हो गया. इसी प्रकार एक दिन शैतान के ऑडिशन का फोन आया था." शिव अपने शुरुआती सफर को याद करते हैं.
शिव आज उस गलैमर वल्र्ड का हिस्सा हैं, जहां माना जाता है कि अधिकतर लोग नकली होते हैं. शिव खुद इस बात से इत्तेफाक रखते हैं, ''इस इंडस्ट्री में बहुत सारे रिश्ते नकली हैं." मगर शिव ने इस दुनिया का रंग अपने ऊपर चढऩे नहीं दिया है. इस मुलाकात के लिए वह शॉर्ट्स, टी-शर्ट और चप्पल पहनकर आए हैं. वह कहते हैं, ''मैं जेनुइन हूं. मैं शोशेबाजी करना पसंद नहीं करता. एक्टिंग हमारा काम है. यह बात दिमाग में हमेशा रखनी चाहिए." शिव खुश हैं कि इस अतरंगी दुनिया में उन्होंने कुछ असली रिश्ते कमाए हैं. उसके बारे में वह बताते हैं, ''अक्षय सर से मेरा दोस्ती का रिश्ता असली है. आज मैं मन की हर बात उनसे कह देता हूं. उनसे सलाह लेता हूं. वह खुद रीयल हैं और नकली लोगों को पसंद नहीं करते. मैं उनसे खुद को रिलेट कर पाता हूं." तीन भाई-बहन में शिव सबसे बड़े हैं. उनकी बहन गायत्री भी फिल्मों से जुड़ी हैं. वह बॉस में असिस्टेंट निर्देशक थीं. मगर शिव कहते हैं, ''गायत्री मुझे देखकर फिल्मों में आई है. वह देसी बॉयज में भी असिस्टेंट डायरेक्टर थी. लेकिन बॉस के सेट पर शुरु में किसी को पता नहीं था कि वह मेरी बहन हैं. मैं जरा भी सेट पर देर से पहुंचता था, तो मेरी सबसे ज्यादा शिकायत वही करती थी." शिव और गायत्री मुंबई में अलग-अलग रहते हैं. उसकी वजह वह बताते हैं, ''उसे लगता है कि मैं उसे पका दूंगा. वह इंडिपेंडेंट है." शिव चलते-चलते इस संभावना से इंकार नहीं करते कि भविष्य में भाई-बहन की जोड़ी किसी फिल्म में साथ आ सकती है.

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