Friday, April 29, 2011

सलमान ने जीता दिल


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अपने साहस कि सराहना कर रहीं सोनम


सोनम कपूर को बेहद मेकअप पसद हैं। उन्हें नित नए लुक अख्तियार करना खूब भाता है। इसके बावजूद कैरेक्टर की डिमाड पर फिल्म में बगैर मेकअप नजर आने में उन्हें ऐतराज नहींहै। सोनम कहती हैं, 'सच है कि मैं स्टाइलिश हूं, लेकिन साथ ही मैं एक एक्ट्रेस हूं। मैं नए चैलेंज स्वीकार करने के लिए तैयार रहती हूं। 'दिल्ली 6' में जब मुझसे बिना मेकअप के काम करने के लिए कहा गया था, तो मैं थोड़ा झिझकी जरूर थी, लेकिन फिल्म के प्रदर्शन के बाद जब मुझे लुक के लिए सबका पॉजिटिव रिस्पास मिला, तो मुझे खुशी हुई।
सोनम आगे बताती हैं, 'मौसम' फिल्म के सिनेमैटोग्राफर बिनोद प्रधान ने मुझसे कहा कि तुम बिल्कुल मेकअप नहीं लगाओगी। दरअसल मैं थोड़ा मेकअप लगाकर सेट पर गई थी। पकज कपूर ने मुझे परमिशन दे दी थी, लेकिन बिनोद सर ने कहा कि मुझे बिल्कुल मेकअप नहीं चाहिए। मैंने फौरन अपना मुंह धोया और फिर फिल्म की शूटिंग की।'
सोनम बताती हैं, 'बिनोद सर ही 'दिल्ली 6' में सिनेमैटोग्राफर थे। मुझे उन पर भरोसा था कि यदि वह कह रहे हैं कि बिना मेकअप के शूट करो, तो जरूर उसमें मेरी भलाई होगी।'
गौरतलब है कि 'मौसम' में सोनम कपूर पहली बार शाहिद कपूर के साथ स्क्रीन पर नजर आएंगी। फिलहाल तो सोनम मेकअप लगाए बिना काम करने के अपने साहस की स्वय सराहना कर रही हैं। 'मौसम' की रिलीज के बाद पता चलेगा कि दर्शकों को वह बिना मेकअप में कितना सुहाती हैं।
-रघुवेन्द्र सिह

रोमांस करने का मौका नहीं मिला: निखिल द्विवेदी


निखिल द्विवेदी ने पिछले महीने शादी की, लेकिन शोर इन द सिटी फिल्म का प्रदर्शन नजदीक होने के कारण वे हनीमून मनाने विदेश नहीं जा सके। माई नेम इज एंथोनी गोंजाल्विस और रावण के बाद शोर निखिल की तीसरी फिल्म है। सनी देओल अभिनीत अर्जुन फिल्म के रीमेक की शूटिंग की तैयारी में व्यस्त निखिल ने हमसे बातचीत की।

शादी के बाद जीवन कितना बदला है?
अब घर वक्त पर आना पड़ता है। शादी के बाद जिंदगी में ठहराव आ गया है।
शोर इन द सिटी समाज के किस तबके की बात करती है?
शोर समाज के हर तबके की बात करती है। शहर के शोरगुल, रोजी-रोटी की जद्दोजहद और छत पाने के संघर्ष को बयां करती है। इन पहलुओं को दर्शाने के लिए फिल्म में कई जिंदगियां हैं। कुछ ऊंचे तबके की हैं और कुछ निचले तबके की। मैं निचले तबके से आता हूं दो दोस्तों के साथ। हमारा छोटा सा गिरोह है। मैं क्रिमिनल की भूमिका निभा रहा हूं। रमेश नाम है उसका। बहुत सालों बाद मेल बांडिंग पर एक फिल्म आ रही है। दिल चाहता है के बाद ऐसी कोई फिल्म याद नहीं आती।
क्या इसे निखिल की फिल्म कह सकते हैं?
जी नहीं, इसे राज और कृष्णा डीके की फिल्म कह सकते हैं। उन्होंने यह फिल्म बनाई है। कलाकारों को पात्र के हिसाब से उन्होंने चुना है। सही मायने में यह सामूहिक फिल्म है।
क्या इसमें आपका रोमांटिक पहलू भी देखेंगे?
मैं इस मामले बदकिस्मत रहा हूं। पहली फिल्म माई नेम इज एंथोनी गोंजाल्विस के बाद स्क्रीन पर रोमांस करने का मौका नहीं मिला। रावण में पुलिस अधिकारी की भूमिका में था। इसमें तुषार मेरे साथ हैं।
क्या आपके किरदार को दर्शक साथ लेकर जाएंगे?
कोई भी कलाकार दावा नहीं कर सकता कि उसके किरदार की कौन सी बात दर्शक को अनोखी लग जाएगी। उम्मीद तो है कि यह किरदार दर्शकों को पसंद आएगा।
शोर जैसी छोटे बजट की फिल्म में प्रयोग करने की स्वतंत्रता किस हद तक होती है?
सुविधा के अभाव में प्रयोग ज्यादा होते हैं। शोर में हमने उन जगहों पर भी शूटिंग की जहां हमें परमिशन नहीं थी। हमने कैमरे छुपाकर चोरी से शूटिंग की।
-रघुवेन्द्र सिंह

समय-समय की बात-तुषार कपूर


फिल्म शोर इन द सिटी तुषार कपूर के करियर को नया मोड़ दे सकती है। यह कॉमिक ऐक्टर की उनकी इमेज से निजात पाने की छटपटाहट दूर कर सकती है। आज प्रदर्शित हो रही इस फिल्म और उनके जीवन से जुडे़े कुछ सवाल तुषार कपूर से..

कॉमर्शियल फिल्मों में आपका सेट-अप अच्छा है। फिर शोर इन द सिटी जैसी ऑफ बीट फिल्म करने का रिस्क क्यों लिया?
मैं कुछ अलग ट्राई कर रहा हूं। चाहे मसाला फिल्म हो या आर्ट। उससे फर्क नहीं पड़ता। मैं ऑफ बीट फिल्में जरूर करूंगा, जैसे शोर इन द सिटी। मैं वो फिल्में करूंगा जो मनोरंजक हों। लोग उसमें इंट्रेस्टेड होने चाहिए। शोर.. की अच्छी कहानी है, रोमांस है, कॉमेडी भी है।
ऐसी फिल्म की जरूरत क्यों महसूस हुई? क्या खुद को गंभीर ऐक्टर के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं?
मैंने यह सोचकर फिल्म साइन नहीं की थी। मुझे जो मिलता है उसी में से चूज करता हूं। पहले मुझे इसकी कहानी अच्छी लगी। बाद में यह विचार आया कि लोग इंडस्ट्री में सोचते हैं कि मैं कॉमेडी ही कर सकता हूं। पब्लिक को तो मेरी फिल्में खाकी और मुझे कुछ कहना है याद हैं। इंडस्ट्री में लोग आपको पिछली फिल्म से याद रखते हैं। मैंने यह प्रूव करने के लिए यह फिल्म की है कि मैं अलग कर सकता हूं।
शोर इन द सिटी समाज के किस तबके की बात करती है? आपका किरदार कैसे युवकों का प्रतिनिधित्व करता है?
तिलक शिक्षित युवक नहीं है। वह समाज के हाई क्लास का नहीं है। टपोरी कैरेक्टर है। मुंबई की कहानी है लेकिन मुंबई शहर के शोर-शराबे की नहीं बल्कि मन के अंदर का जो शोर-शराबा है उसकी कहानी है। तिलक छोटी-मोटी चोरियां करता है दोस्तों के साथ। अपने ग्रुप में वह सबसे सुलझा हुआ है। उसकी शादी हो गई है। वाइफ एजुकेटेड है। तिलक अपनी वाइफ के प्रभाव में आ गया है और आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसके दोस्त नहीं चाहते कि वह सुधरे।
ऐक्टर के तौर पर इसमें सीमाएं तोड़ने का अवसर मिला?
बिल्कुल। मैंने पहले जो फिल्में की हैं उनमें लवेबल, फनी और क्यूट कैरेक्टर किया है, लेकिन लोगों को पता नहीं है कि एक इंसान के तौर पर मेरे अंदर अग्रेशन है, जो स्क्रीन पर दिखा नहीं है। शोर.. के कैरेक्टर में वो अग्रेशन है। ग्रे कैरेक्टर है थोड़ा। जोश है उसमें। शोर.. के बाद लोगों को लगेगा कि तुषार को ऐक्शन किरदारों में देख सकते हैं। इस साल शायद मेरी इमेज बदल जाए। यह हार्ड हिटिंग फिल्म होगी। राजश्री की लव यू मिस्टर कलाकार साफ-सुथरी फिल्म है। फिर डर्टी पिक्चर आएगी, जिसमें मैं लेखक का रोल कर रहा हूं।
पहले आपकी जो फिल्में आती थीं उसे तुषार की फिल्म लोग कहते थे और अब कहा जाता है कि फिल्म में तुषार हैं। यह कैसे हुआ? क्या शोर.. आपकी है? घ्
शुरू में मेरी कुछ सोलो फिल्में नहीं चलीं। मुझे कुछ कहना है चली। जीना सिर्फ मेरे लिए नहीं चली। मुझे अच्छी सोलो फिल्में मिलनी बंद हो गई। फिर मल्टीस्टारर फिल्में मैंने कीं। पिछले साल गोलमाल रिट‌र्न्स के बाद शोर का ऑफर आया और राजश्री की फिल्म लव यू मिस्टर कलाकार का ऑफर आ गया। इन्हें लोग तुषार की फिल्म कह सकते हैं। सब समय-समय की बात है। अब इंडस्ट्री के लोगों को लग रहा है कि वे तुषार के साथ फिल्में बना सकते हैं।
शोर.. आपके करियर को किस दिशा में ले जाएगी?
इंटरनेशनल लेवल की फिल्म है। फिल्म फेस्टिवल में सराही गई है। लोगों को पसंद आ सकती है। यह धोबी घाट जॉनर की है। इससे ऐक्टर के तौर पर मुझे फायदा हो सकता है। मैं नए डायरेक्टर के साथ काम कर सकता हूं। राजश्री और कॉमेडी फिल्मों वाली मेरी इमेज टूट सकती है।
-रघुवेन्द्र सिंह

Sunday, April 24, 2011

रजत बरमेचा को जन्मदिन की बधाई!

रजत बरमेचा को अक्स की ओर से जन्मदिन की हार्दिक बधाई. रजत ने रविवार (२४ अप्रैल ) को २२वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया. उडान फिल्म में उम्दा अदाकारी का परिचय दे चुके रजत अनुराग कश्यप की नई फिल्म शैतान में मेहमान भूमिका में नज़र आयेंगे. 

Saturday, April 23, 2011

लव का द एंड में चौंकाएंगे अली जफर


मुंबई। पिछले साल की सफल एवं चर्चित फिल्म तेरे बिन लादेन में नायक की भूमिका निभाकर भारत में लोकप्रिय हुए अली जफर की अगली  फिल्म होगी लव का द  एंड। पाकिस्तान के प्रिंस ऑफ पॉप अली जफर यशराज  बैनर की फिल्म लव का द  एंड में सबको चौंकाने आ रहे हैं। गौरतलब है कि लव का द  एंड यशराज  के नए बैनर वाई  फिल्म्स की पहली फिल्म है। वाई  फिल्म्स की शुरूआत यूथ फिल्मों के निर्माण के लिए की गई है। अली जफर ने लव का द  एंड में छोटी सी मेहमान भूमिका निभाई है। अली जफर की फिल्म में उपस्थिति को छुपाकर रखा गया था। 
सूत्रों का कहना है कि यशराज  ने युवाओं में गायक-अभिनेता अली जफर की लोकप्रियता के मद्देनजर लव का द  एंड में उन्हें मेहमान भूमिका निभाने के लिए राजी किया। काबिले  जिक्र है कि तेरे बिन लादेन फिल्म की बॉक्स ऑफिस सफलता के तुरंत बाद यशराज  फिल्म्स ने अली जफर को अपनी फिल्म मेरे ब्रदर की दुल्हन के लिए साइन किया। मेरे ब्रदर की दुल्हन में इमरान खान और कट्रीना  कैफ के साथ अली केंद्रीय भूमिका में हैं। पिछले दिनों हिंदुस्तान में अली जफर के म्यूजिक अलबम झूम को यशराज  ने अपने बैनर में रिलीज किया। यशराज  फिल्म्स के प्रवक्ता ने लव का द  एंड फिल्म में अली जफर की उपस्थिति की पुष्टि की। यह फिल्म छह मई को प्रदर्शित हो रही है।
-रघुवेन्द्र सिंह

कला का यह अमर मंदिर


मुंबई का दिल कहलाने वाले परेल इलाके में स्थित है राजकमल कला मंदिर। वी. शांताराम ने 9 नवंबर, 1942 को राजकमल की नींव रखी। वी. शांताराम के बेटे किरण शांताराम बताते हैं, ''पापा ने होमी वाडिया से राजकमल के लिए पांच एकड़ जमीन खरीदी थी। उस समय यहां चारों ओर सिर्फ जंगल था। पापा ने पत्तार का शेड डालकर एक छोटा सा फ्लोर बनाया था। उसी में उन्होंने राजकमल कला मंदिर प्रा.लि. की पहली फिल्म शकुंतला की शूटिंग की। पापा ने राजकमल की शुरुआत अपनी फिल्मों के निर्माण के लिए किया था। सेहरा, गीत गाया पत्थरों ने, झनक झनक पायल बाजे, डॉ. कोटनिस की अमर कहानी फिल्मों की शूटिंग उन्होंने इसी में की। वे आउटडोर यहीं प्रांगण में सेट लगाकर करते थे।''

हर सुविधा से सुसज्जित
राजकमल कला मंदिर में फिल्म निर्माण से जुड़ी हर सुविधा उपलब्ध थी। राजकमल के बारे में कहा जाता था कि यहां निर्माता स्क्रिप्ट लेकर आते थे और फिल्म की रील लेकर निकलते थे। वी. शांताराम ने राजकमल में एडीटिंग, रिकॉर्डिग, डबिंग, मिक्सिंग स्टूडियो बनवाया था। स्टूडियो में ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों का प्रोसेसिंग लैब भी था। किरण शांताराम बताते हैं, ''पापा ने 1954 में राजकमल की प्रशासनिक इमारत का निर्माण करवाया। उसी समय उन्होंने इमारत के सामने एक बड़ा सा स्टूडियो बनवाया। स्टूडियो में 270 लोग काम करते थे। शो कार्ड डिजाइनिंग, पोस्टर पेंटिंग, प्रिंटिंग, डेवलपिंग आदि की सुविधाएं राजकमल में उपलब्ध थीं। इन्हीं सुविधाओं की वजह से राजकमल इंडस्ट्री का सर्वाधिक लोकप्रिय स्टूडियो बन गया।''
बाहरी निर्माताओं के लिए खुले दरवाजे
राजकमल की लोकप्रियता निर्माताओं-निर्देशकों के बीच इतनी बढ़ गई कि वे अन्ना साब से यहां शूटिंग करने की इजाजत मांगने लगे। गौरतलब है कि वी. शांताराम को इंडस्ट्री के लोग अन्ना साब कहकर संबोधित करते थे। अन्ना साब ने 1960 में राजकमल के दरवाजे बाहरी निर्माताओं के लिए खोल दिए। इसके पीछे उनकी मंशा थी कि स्टूडियो की सुविधाओं का लाभ पूरी इंडस्ट्री को मिले। किरण शांताराम बताते हैं, ''बी. आर. चोपड़ा, यश चोपड़ा, सत्यजीत रे, मनमोहन देसाई, ऋत्विक घटक, सुभाष घई, ऋषिकेष मुखर्जी, शक्ति सामंथ, श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, मृणाल सेन जैसे फिल्मकारों का राजकमल पसंदीदा स्टूडियो था।''
प्रांगण में खड़ी हुई इमारतें
राजकमल स्टूडियो के प्रांगण में प्रशासनिक इमारत के अगल-बगल दस बहुमंजिला इमारतें खड़ी नजर आती है। 50 साल से स्टूडियो की जिम्मेदारी संभाल रहे किरण शांताराम कहते हैं, ''1985 में फिल्म इंडस्ट्री में एक स्ट्राइक हुई थी। उस स्ट्राइक की वजह से फिल्मों की शूटिंग कम हो गई। उसी समय फिल्मों की शूटिंग रीयल लोकेशन पर करने का ट्रेंड शुरू हुआ। अचानक स्टूडियो का बिजनेस कम हो गया। पापा ने सोचा कि दो ही शूटिंग फ्लोर हैं, एक रिकॉर्डिग स्टूडियो है। बाकी जगह खाली पड़ी है। उन्होंने रिहायशी इमारतें बनवा दीं। पापा ने जो बनवाया है, मैं सिर्फ उसे संभाल रहा हूं।'' गौरतलब है कि 1987 में राजकमल कला मंदिर में फिल्मों का निर्माण बंद हो गया था। किरण शांताराम बताते हैं, ''मैंने पापा से पूछा था कि आप फिल्में बनाना बंद क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि अब अलग किस्म की फिल्में बनने लगी हैं। पापा उस समय की फिल्मों से निराश हो गए थे। पापा मनोरंजन के साथ फिल्म के जरिए समाज को एक विचार देने के पक्षधर थे।''

राजकमल तब और अब
राजकमल की प्रशासनिक इमारत के अंदर हॉल में एक दीवार पर वी. शांताराम के पुरस्कारों को मढ़वाकर रखा गया है। इमारत के पहले फ्लोर पर एक लाइब्रेरी है। किरण शांताराम बताते हैं, ''1975 में पापा ने लाइब्रेरी बनवाई थी। लाइब्रेरी में सिनेमा की दस हजार पुस्तकें हैं। वी. शांताराम मोशन पिक्चर्स साइंटिफिक रिसर्च एंड कल्चरल सेंटर को वह लाइब्रेरी पापा ने सौंप दी थी। पापा का सपना था कि उसका लाभ सिनेमा के स्टूडेंट्स को मिले।'' गौरतलब है कि इसी इमारत में दूसरे फ्लोर पर वी. शांताराम रहते थे। 1990 में उनकी मृत्यु के बाद उनके कमरे को लॉक कर दिया गया। वी. शांताराम द्वारा निर्मित एक शूटिंग फ्लोर अब नहीं है। राजकमल में सिर्फ एक शूटिंग फ्लोर है। यहां सीरियल और एड फिल्मों की शूटिंग अब ज्यादा होती है। किरण शांताराम कहते हैं, ''मैंने स्टूडियो को एयर कंडीशन बना दिया है। सीरियल और एड फिल्मों से बिजनेस ज्यादा आता है। यश चोपड़ा एकमात्र ऐसे निर्माता-निर्देशक हैं, जो आज भी अपनी प्रत्येक फिल्म का एक शेड्यूल यहां शूट करते हैं। अब फिल्मों की शूटिंग उपनगर के स्टूडियो, खासकर फिल्मसिटी में ज्यादा होती है। ज्यादातर लोगों को पता नहीं है कि फिल्मसिटी की शुरुआत मेरे पापा ने ही की थी। मैंने पापा से कहा भी था कि फिल्मसिटी राजकमल को बिजनेस के हिसाब से नुकसान दे सकता है। पापा का सपना था कि मुंबई में एक ऐसी जगह हो जहां सिर्फ दिन-रात फिल्मों की शूटिंग हो। पापा का वह सपना पूरा हो गया, लेकिन राजकमल के बारे में मेरी कही बात सच निकली।''
अब पोते संभालेंगे राजकमल
किरण शांताराम के बड़े बेटे राहुल ने अब राजकमल की जिम्मेदारी संभालनी शुरू कर दी है। किरण शांताराम बताते हैं, ''राहुल स्टूडियो का काम देखते हैं और मेरे छोटे बेटे चैतन्य प्लाजा थिएटर संभालते हैं। मैं अपनी जिम्मेदारी सफलता से निभा रहा हूं। मैं चाहूंगा कि अब वी. शांताराम की तीसरी पीढ़ी भी राजकमल को संभाल कर रखे!''
-रघुवेन्द्र सिंह

Tuesday, April 19, 2011

जलवा जैक्लिन का


जैक्लिन फर्नाडिस तेजी से आगे बढ़ रही हैं। मर्डर 2 और हाउसफुल 2 जैसी दो बड़ी फिल्में उन्हें मिल चुकी हैं। लोगों को आश्चर्य हो रहा है आखिर जैक्लिन में ऐसी क्या बात है कि करियर की शुरुआत में ही अलादीन और जाने कहां से आई है जैसी दो असफल फिल्में देने के बावजूद उनकी लोकप्रियता में इजाफा ही हुआ है। जैक्लिन का कहना है, मेरे व्यक्तित्व में कुछ अलग बात है, जो लोगों को बहुत पसंद आ रही है।

बहरहाल, इस बात में कोई शक नहीं है कि जैक्लिन के व्यक्तित्व में कुछ तो अलग बात जरूर है। अपनी फिल्म हाउसफुल 2 में जैक्लिन को जॉन अब्राहम के अपोजिट साइन करने वाले निर्देशक साजिद खान का कहना है, जैक्लिन आने वाले समय की कट्रीना कैफ हैं।
जैक्लिन की तुलना अलादीन फिल्म की रिलीज के समय से कट्रीना से की गई थी। कहीं ऐसा तो नहीं कि कट्रीना से मिलती-जुलती शक्ल की होने के कारण वे निर्माता-निर्देशकों की पसंद बनी हैं? कट्रीना से अपनी तुलना पर जैक्लिन कहती हैं, यह मेरे लिए कांप्लिमेंट है, पर कट्रीना से मेरी तुलना सही नहीं है। कट्रीना की अलग खासियत है। मुझमें अलग बात है। जैक्लिन की इस बात से उनकी चतुराई का अंदाजा लगाया जा सकता है।
जैक्लिन ने 2007 में मुंबई में कदम रखा था। उस वक्त उनका फिल्म इंडस्ट्री में कोई परिचित नहीं था, लेकिन चार वर्ष के भीतर उनके दोस्तों और शुभचिंतकों में रितेश देशमुख, अक्षय कुमार, अर्जुन रामपाल, साजिद खान, जॉन अब्राहम और अमिताभ बच्चन का नाम शामिल हो चुका है। इन स्टार्स से दोस्ती का ही फल है कि जैक्लिन हर फिल्म समारोह के मंच से लेकर पेज थ्री पार्टी में नजर आती हैं। जैक्लिन इसका श्रेय अपने अच्छे स्वभाव को देती हैं। साथ ही वे कहती हैं, पीआर एक्टिविटी का लाभ मुझे बहुत मिला है। स्ट्रांग पीआर होने के कारण ही आज भारत के छोटे शहरों में भी लोग मुझे जानते हैं।
हाउसफुल फिल्म के गीत अपनी तो जैसे-तैसे.. ने जैक्लिन की लोकप्रियता बढ़ाने में अच्छी मदद की। उनका हॉट अंदाज इस गीत में सबको भा गया। इस गीत में अपने लुक के लिए मिली सकारात्मक प्रतिक्रियाओं के आधार पर जैक्लिन ने अपने करियर को मोड़ देने की बात सोची। उन्होंने भ˜ कैंप की फिल्म मर्डर 2 साइन की। इस फिल्म की रिलीज हुई कुछ तस्वीरों में देखा जा सकता है कि जैक्लिन ने खुद को हॉट साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अभी से चर्चा है कि इसमें इमरान हाशमी के साथ उनके कई किस और हॉट बेड सीन होंगे। जैक्लिन की चमकती किस्मत से अब मल्लिका सहरावत को भी कोफ्त होने लगी है।
वैसे जैक्लिन नहीं मानतीं कि उन्हें किस्मत से फिल्में मिल रही हैं। उनका कहना है कि पहली फिल्म उन्हें किस्मत से मिली, लेकिन अब उनकी मेहनत को देखकर निर्माता-निर्देशक उन्हें साइन कर रहे हैं। एक फिल्म विशेषज्ञ जैक्लिन की बात से सहमति जताते हुए कहते हैं कि चार साल के भीतर उन्होंने दिन-रात एक करके अपनी हिंदी सुधार ली है। अब वे न केवल हिंदी में इंटरव्यू देती हैं, बल्कि फिल्मों के अपने डायलॉग सफाई के साथ बोलती भी हैं। वे बहुत मेहनती हैं। उनकी मेहनत नजर आ रही है। गौरतलब है कि मर्डर और हाउसफुल फिल्मों के सीक्वल मर्डर 2 और हाउसफुल 2 की सफलता लगभग तय मानी जा रही है। ऐसे में साफ है कि जैक्लिन साल के अंत तक शीर्ष अभिनेत्रियों के लिए मुसीबत बन जाएंगी। अगर दो फ्लॉप फिल्मों की हीरोइन होने के बावजूद जैक्लिन निर्माताओं की पसंद बनी हुई हैं, तो दो हिट फिल्मों के बाद उनकी स्थिति क्या होगी, जाना जा सकता है?
-रघुवेंद्र सिंह 

Monday, April 18, 2011

आगे क्या होगा रामा रे..


पहली फिल्म से सफलता का स्वाद चखने वाले अभिनेता-अभिनेत्रियों के समक्ष दूसरी फिल्म साइन करना बहुत बड़ी चुनौती होती है। वन फिल्म वंडर बनने का भय उन्हें लगा रहता है। पिछले साल की सनसनी रणवीर सिंह, सोनाक्षी सिन्हा, अली जफर, रजत बरमेचा की दूसरी फिल्म कौन सी होगी और उसमें वे किस अंदाज में होंगे? एक नजर..।

चकमा देंगे रणवीर : फिल्म बैंड बाजा बारात से रातोंरात स्टार बने रणवीर सिंह की दूसरी फिल्म होगी लेडीज वर्सेज रिकी बहल। इसमें वे कॉन आर्टिस्ट रिकी बहल का रोल कर रहे हैं। इसमें रणवीर और अनुष्का शर्मा की जोड़ी को यशराज बैनर दोबारा पेश कर रहा है। इसके निर्देशन बैंड बाजा बारात वाले मनीष शर्मा हैं। अपनी दूसरी फिल्म के बारे में रणवीर उत्साह से बताते हैं, रिकी बहल लड़कियों को चकमा देकर उनके पैसे लेकर भाग जाता है। मैं खुश हूं कि बैंड बाजा बारात की टीम इसमें भी है। गौरतलब है कि लेडीज वर्सेज रिकी बहल दिसंबर में रिलीज होगी। रणवीर को यकीन है कि इस फिल्म से वे बैंड बाजा बारात की सफलता दोहराएंगे।

अली की दुल्हन : पाकिस्तान के पॉप स्टार अली जफर की पहली फिल्म तेरे बिन लादेन की सफलता के तुरंत बाद यशराज बैनर ने उन्हें साइन कर लिया। उनकी दूसरी फिल्म मेरे ब्रदर की दुल्हन है। यह त्रिकोणीय प्रेम कहानी है। इस फिल्म में अली के साथ इमरान खान और कट्रीना कैफ हैं। अली इसमें इमरान के बड़े भाई की भूमिका में हैं। उनकी होने वाली पत्नी यानी कट्रीना से इमरान को प्यार हो जाता है। यशराज जैसे प्रतिष्ठित बैनर की दूसरी फिल्म पाकर अली को यकीन है कि उन्हें बॉक्स ऑफिस पर फिर सफलता मिलेगी। उनके अनुसार, फिल्म मेरे ब्रदर की दुल्हन रोमांटिक कॉमेडी है। मैं लकी हूं कि यशराज ने मुझे अपने प्रोडक्शन में मौका दिया। उम्मीद करता हूं कि लोगों को इसमें भी मेरा काम पसंद आएगा। गौरतलब है कि तेरे बिन लादेन फिल्म में लादेन की भूमिका निभाकर चर्चा में आए प्रद्युम्न सिंह ने भी दूसरी फिल्म साइन कर ली है। उनकी दूसरी फिल्म के सेरा सेरा के बैनर तले आ रही है जरा हटके जरा बचके।

सोनाक्षी को अक्षय का साथ : पिछले साल की नई अभिनेत्रियों में सोनाक्षी सिन्हा सबसे हॉट साबित हुई हैं। दबंग फिल्म में उनकी खूबसूरती और अभिनय की सबने तारीफ की। परिणाम यह हुआ कि उनके पास बड़े बैनर की फिल्मों के ऑफर की बाढ़ आ गई। सोनाक्षी ने जोकर, हाउसफुल 2, रेस 2, किक और कमल हासन के साथ एक फिल्म साइन की है। सोनाक्षी की मानें तो उनकी दूसरी फिल्म जोकर होगी। खास बात यह है कि जोकर थ्रीडी फिल्म है। शिरीष कुंदर निर्देशित इस फिल्म में सोनाक्षी अक्षय कुमार के साथ हैं। सोनाक्षी फिल्म के बारे में बताने से बचते हुए कहती हैं, यह न तो सर्कस के जोकर की कहानी है और न ही किसी सुपरमैन की। लोग सब्र करें। समय आने पर मैं फिल्म के बारे में भी बताऊंगी। गौरतलब है कि सोनाक्षी की तरह ही पिछले साल वीर फिल्म में सलमान खान के साथ जरीन खान ने डेब्यू किया था। जरीन दोबारा सलमान की नई फिल्म रेडी के एक आइटम सांग में नजर आएंगी।

उड़ान के रजत : रजत बरमेचा को पिछले साल की एक बड़ी खोज माना जा रहा है। उड़ान फिल्म में रोहन की भूमिका के लिए उनकी जमकर सराहना हुई। कान फिल्म समारोह में भी लोगों ने उनके काम की तारीफ की। रजत की दूसरी फिल्म का इंतजार दर्शकों को ही नहीं, बल्कि फिल्म बिरादरी के लोगों को भी उत्सुकता से है। वे कहते हैं, मुझे अभी तक कोई ऐसी स्क्रिप्ट नहीं मिली जिसके लिए मैं हां कहूं। उड़ान यदि आपकी पहली फिल्म हो, तो दूसरी फिल्म साइन करना बहुत बड़ी चुनौती होती है। हां, मैंने शैतान फिल्म में एक मेहमान भूमिका निभाई है। गौरतलब है कि बिजॉय नाम्बियार निर्देशित इस फिल्म में राजीव खंडेलवाल और कल्कि कोचलिन मुख्य भूमिका में हैं और यह मई में रिलीज होगी।

दक्षिण के कलाकार : तमिल फिल्मों के स्टार सूर्या ने रामगोपाल वर्मा की फिल्म रक्त चरित्र को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आने के लिए चुना, तो दक्षिण भारत की फिल्मों के सुपरस्टार विक्रम ने मणिरत्नम की फिल्म रावण को, लेकिन दोनों को हिंदी फिल्म के दर्शकों ने स्वीकार नहीं किया। रक्त चरित्र और रावण असफल हो गई। विद्या बालन की चचेरी बहन प्रियमणि रावण में छोटी भूमिका में तो रक्त चरित्र में लंबे किरदार में दिखीं। विवेक ओबराय ने उनकी तुलना स्मिता पाटिल तक से की। इसके बावजूद प्रियमणि को दक्षिण लौटना पड़ा। ऐसा ही हश्र रहा तृषा और पद्मप्रिया का। दक्षिण भारतीय फिल्मों की शीर्ष अभिनेत्री तृषा की खत्र मीठा और पद्मप्रिया की स्ट्राइकर फ्लॉप हो गई। हिंदी फिल्मों में करियर संवारने का उनका सपना चकनाचूर हो गया।
-रघुवेंद्र सिंह 

लोग याद नहीं करेंगे तो भी चलेगा-बिपाशा बसु


जॉन अब्राहम के साथ बिपाशा बसु के अलगाव पर संशय बरकरार है। बिपाशा की नई फिल्म दम मारो दम के नायक राणा दगुबाटी के साथ नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं। निजी जीवन की उथल-पुथल के साथ बिपाशा हिंदी सिनेमा में दस वर्ष पूरा कर रही हैं। दम मारो दम के बहाने तरंग ने उनसे दस वर्ष के सफर, राणा दगुबाटी और जॉन अब्राहम के बारे में की बातचीत..।

दस वर्ष के सफर को पलटकर देखती हैं, तो कैसा लगता है?
टाइम इतनी जल्दी बीत जाता है, पता नहीं चलता। समझ में नहीं आ रहा कि दस साल कैसे बीत गए। मैं कोशिश करती हूं कि हर साल एक इंसान और ऐक्टर के तौर पर खुद को रिइंवेंट कर सकूं। मैं अपने काम को लेकर खुश हूं। रोमांचित हूं। मेरा हर साल अच्छा बीता है।
वे कौन सी फिल्में हैं, जिन्हें आप उल्लेखनीय मानती हैं? जिनके लिए लोग आपको याद रखेंगे?
लोग याद नहीं करेंगे, तो भी चलेगा। मैं अपने काम से खुश हूं। मैंने जिन फिल्मों में काम किया है, उन पर गर्व है। जिन फिल्मों की लोग तारीफ करेंगे वे राज, जिस्म, धूम 2, कॉरपोरेट, बचना ऐ हसीनों, लम्हा होंगी।
दम मारो दम में आपने जोई का किरदार निभाया है। वह समाज के किस वर्ग की लड़कियों का प्रतिनिधित्व करती है?
जोई गोवा में पली-बढ़ी है। मां इंडियन हैं, फादर इंग्लिश थे। वह बहुत भाषाएं जानती है। वह एयर होस्टेस बनना चाहती है। उसका सपना बड़ा नहीं है। वह सिंपल है। वह लाइफ को खुलकर जीना चाहती है, लेकिन अचानक उसकी जिंदगी बदल जाती है। दम मारो दम की टैग लाइन है, क्या है कहानी तेरे बाप की। इसमें हर कैरेक्टर की एक इमोशनल जर्नी है। जोई हिंदी फिल्मों की टिपीकल हीरोइन नहीं है। इस फिल्म का हर किरदार नया है।
गोवा फिल्म की कहानी की पृष्ठभूमि है। क्या हम इसमें गोवा को एक नए रूप में देखेंगे?
हमारे कैमरामैन ने गोवा को नए अंदाज में शूट किया है। यह फिल्म ड्रग कारोबार पर है। हम यह कहानी कहीं भी बना सकते थे, लेकिन गोवा में बनाने के कारण कैरेक्टर को स्टाइलिश लुक मिल गया। गोवा की अपनी खूबसूरती तो है ही। राज और जिस्म से आपकी पहचान सेक्सी गर्ल की बनी। उसके बाद आपने लम्हा और आक्रोश आदि में नॉन ग्लैमरस किरदार किए।
इस फिल्म की जोई में क्या दोनों का मिश्रण देखने को मिलेगा?
फिल्म में हमारा पहनावा किरदार के हिसाब से होता है। यदि मैं डांसर का किरदार करूंगी, तो वैसा ड्रेस पहनूंगी। लम्हा में कश्मीरी लड़की का किरदार निभाया था। उसका लुक अलग था। आक्रोश में सिंपल कॉटन साड़ी पहनी थी। मैंने हमेशा मिक्स कैरेक्टर किए। आपकी इमेज जैसी बन जाती है फिर आपके पास वैसे किरदार आते हैं। जब एक बार आपकी अपनी पहचान बन जाती है तो आप प्रयोग कर सकते हैं। मेरे करियर की शुरुआत में ऐसा ही हुआ, लेकिन अब मैं प्रयोग करती हूं।
दम मारो दम में रोहन सिप्पी के निर्देशन का अनुभव कैसा रहा?
रोहन सुलझे हुए डायरेक्टर हैं। वे क्लीयर थे कि उन्हें कलाकारों से क्या चाहिए। वे अपने कलाकारों को फ्रीडम देते हैं। हम उनकी खिंचाई भी कर सकते थे, लेकिन वे इतने स्वीट हैं कि हमने कुछ नहीं किया।
राणा दगुबाटी इसमें आपके नायक हैं। उनके साथ कैसी केमिस्ट्री रही?
वे अच्छे कलाकार हैं। उनकी स्क्रीन प्रेजेंस अच्छी है। उन्हें हिंदी नहीं आती, लेकिन तब मैं हैरान रह गई जब सेट पर देखा कि उन्हें अपने डायलॉग के अलावा मेरे और अभिषेक बच्चन के डायलॉग भी याद थे। वे मेहनती हैं।
जॉन के साथ आपके ब्रेकअप की बात चर्चा में है। सच क्या है?
मैं जॉन के बारे में बहुत कुछ बोल चुकी हूं। वह मेरी जान है। इस बारे में और कोई सफाई मुझे नहीं देनी है। वैसे भी यह सब चलता रहेगा..
-रघुवेंद्र सिंह 

ईगो फिल्म से बड़ा नही: ओनिर


माई ब्रदर निखिल, बस एक पल और सॉरी भाई के बाद आई एम ओनिर की चौथी फिल्म है। इसे वे अपनी सबसे स्पेशल फिल्म मानते हैं। फिल्म को लेकर बातचीत ओनिर से।

शीर्षक से लगता है कि यह फिल्म अस्तित्व की कहानी है?
यह अस्तित्व के खोज की कहानी है। टैगोर की गीतांजलि की एक कविता फिल्म की प्रेरणा है। फिल्म के सभी किरदारों का एक ही सपना है कि वे बिना किसी भय के अपनी जिंदगी सम्मान से जी सकें। किरदारों की पर्सनल, पॉलिटिकल और जेंडर हिस्ट्री है। इसमें चार कहानियां ओमार, मेघा, आफिया और अभिमन्यु हैं। कहानी के सभी किरदार एक-दूसरे से जुड़े हैं।
दर्शकों की पसंद के कॉमर्शियल सिनेमा में आपकी रुचि नहीं है?
यह गलतफहमी है। आम आदमी की पसंद को ध्यान में रखकर कुछ लोग सौ करोड़ की फिल्म बनाते हैं और उन्हें अस्सी करोड़ का लॉस होता है। तीन करोड़ की फिल्म तेरह करोड़ का बिजनेस करती है। प्रॉब्लम टिकट प्राइस है। पहले एक दिन में लोग तीन शो देख सकते थे, लेकिन आज टिकट इतना मंहगा है कि लोग एक फिल्म देखने जाने से पहले सोचते हैं।
आई एम के प्रचार के लिए आप फेसबुक और ट्विटर पर जोर दे रहे हैं। क्यों और क्या भविष्य में ये माध्यम लोकप्रिय होंगे?
मेरे पास मीडिया नेट के लिए पैसे नहीं हैं। जब टीवी आया था, तो लोग कहने लगे थे कि टीवी ने थिएटर को बंद कर दिया, लेकिन थिएटर आज भी मौजूद हैं। कोई माध्यम पूरी तरह खत्म नहीं होता। फेसबुक और ट्विटर जैसे माध्यम भविष्य में मजबूत होंगे। बहुत जल्द इंडिया में मोबाइल टीवी का चलन भी बढ़ेगा।
आई एम के निर्माण के संघर्षमय दौर को क्या आपने एंज्वॉय किया?
मैं एक लाख रुपए के लिए कॉफी पीने दिल्ली चला जाता था। एक इंसान के तौर पर इस फिल्म ने मुझे विनम्र बना दिया। मुझे लोगों से जुड़ने का मौका मिला। लोग कहते थे कि आप इतने बड़े डायरेक्टर होकर फिल्म के लिए पैसा मांग रहे हैं? मैं कहता था कि मेरी फिल्म से बड़ा मेरा इगो नहीं है। अगली फिल्म की कहानी मुझे इसी प्रोसेस में मिली है।
-रघुवेंद्र सिंह 

लाइफ ने टर्न लिया: राणा दगुबाटी


छह फुट तीन इंच लंबे राणा दगुबाटी आजकल बिपाशा बसु से प्रेम संबंध को लेकर चर्चा में हैं। वे दक्षिण भारत के एक बड़े फिल्म घराने से हैं। पिछले साल फरवरी में प्रदर्शित हुई अपनी पहली फिल्म लीडर से वे तेलुगू सिनेमा के स्टार बन गए। रोहन सिप्पी की दम मारो दम उनकी पहली हिंदी फिल्म है। पिछले दिनों राणा ने हम से बातचीत की। प्रस्तुत हैं अंश..

पहली फिल्म से आप दक्षिण भारत में स्टार बन गए। हिंदी फिल्म साइन करते वक्त किसी तरह का दबाव महसूस कर रहे थे?
दम मारो दम मैंने लीडर की रिलीज के पहले साइन की थी। दिसंबर 2009 में लीडर का पहला प्रोमो आया था। रोहन सिप्पी ने प्रोमो देखा और मुझे फोन किया। उन्होंने कहा कि मैंने एक स्क्रिप्ट लिखी है। आप सुनिए और अगर पसंद आती है, तो हम साथ काम करेंगे। उन्होंने दम मारो दम का फ‌र्स्ट ड्राफ्ट मेरे पास भेजा। मुझे स्क्रिप्ट पसंद आई। उसके बाद मेरी लाइफ ने खूबसूरत टर्न लिया।
आप फिल्म घराने में पैदा हुए, तो क्या बचपन से तय था कि ऐक्टर ही बनेंगे?
मैं विजुअल इफेक्ट सुपरवाइजर था। मैंने स्प्रिट मीडिया कंपनी शुरू की थी। बाद में कंपनी प्राइम फोकस में मर्ज हो गई। फिर मैंने दो तेलुगू फिल्में प्रोड्यूस कीं, जिनमें से एक फिल्म को नेशनल अवॉर्ड मिला। उसके बाद मैं सुरेश प्रोडक्शन में लाइन प्रोड्यूसर था। बाद में मैंने खुद को डिस्कवर किया। यह मेरी तीसरी जॉब है।
ऐक्टर बनने के लिए कोई तैयारी भी की?
बैरी जॉन के एक्टिंग स्कूल में मैंने एक साल ट्रेनिंग ली। उसके बाद स्टंट सीखने के लिए अमेरिका गया। मेरी हिंदी अच्छी नहीं है। दम मारो दम की शूटिंग से पहले एक महीने हमने रोहन के साथ वर्कशॉप की। मैंने शूटिंग से डेढ़ महीने पहले फिल्म की स्क्रिप्ट मांग ली थी। मुझे हिंदी पर काम करना पड़ा।
हिंदी फिल्मों से आपका परिचय कब हुआ? क्या पहली फिल्म याद है?
बचपन से मैं हिंदी फिल्में देख रहा हूं। हैदराबाद में हिंदी फिल्में देखी जाती हैं। मैंने बच्चन साहब की फिल्में देखी हैं। तमिल और तेलुगू फिल्में मैंने हिंदी फिल्मों की तुलना में अधिक देखी हैं।
फिल्म फैमिली से होने का सबसे बड़ा लाभ क्या मिला?
मुझे लगा कि मैं बचपन से एक्टिंग स्कूल में पढ़ रहा हूं। फिल्मी फैमिली से हूं, तो इंडस्ट्री को करीब से देखा। मैंने फिल्म मेकिंग के टेक्निकल पहलू के बारे में कम उम्र में जान लिया था। मैं इसके अलावा और कुछ नहीं जानता।
दम मारो दम में आप डीजे जोकी का किरदार निभा रहे हैं। जोकी किस तरह का लड़का है?
वह बहुत शांत किस्म का है। वह चीजों को घटते हुए देखता है, लेकिन कुछ बोलता नहीं है। जिसके कारण उसे पसंद करने वाले लोग धीरे-धीरे उससे अलग हो जाते हैं। फिल्म में तीन कहानियां हैं। एक पुलिस अफसर, एक स्टूडेंट और एक आरजे जोकी की।
इसमें बिपाशा बसु आपके अपोजिट हैं। उनके साथ प्रेम संबंध की चर्चा क्या फिल्म के प्रचार का हिस्सा है?
बिपाशा स्वीट हैं। मैं न्यूकमर हूं। उन्होंने मुझे हमेशा सपोर्ट किया। मैं उनकी इज्जत करता हूं। उनके साथ लिंक अप की खबरें गलत हैं। हो सकता है कि हमारे लिंक अप की खबर प्रचार का हिस्सा हो, लेकिन मुझे नहीं लगता कि सिर्फ इसके कारण कोई फिल्म देखने आएगा।
भविष्य में हिंदी और तेलुगू फिल्मों में से आप किसे प्राथमिकता देंगे?
मैं अलग-अलग भाषा की फिल्में करना चाहता हूं। मैं खुश हूं कि इतनी कम उम्र में मुझे अलग-अलग सिनेमा का हिस्सा बनने का मौका मिल रहा है। दम मारो दम की स्टोरी टेलिंग डिफरेंट है। हमारे यहां ऐसी फिल्में नहीं बनतीं और हिंदी में भी यह एक नया प्रयोग है।
-रघुवेंद्र सिंह 

Saturday, April 2, 2011

शबाना आजमी ने किया मुझे ट्रेंड-सारा जेन डायस

ग्लैमर का आकर्षण बचपन से था
चार साल की उम्र से ही मैं ग्लैमर व‌र्ल्ड की ओर आकर्षित हो गई थी। मम्मी के साथ मैं टीवी पर मिस व‌र्ल्ड और मिस इंडिया काटेस्ट का प्रसारण देखती थी। तब मैंने सोचा कि बड़ी होकर मिस इंडिया बनूंगी। स्कूल जाना शुरू किया, तो सास्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने लगी। कॉलेज में भी स्टेज पर सक्रिय थी। मुझे परफॉर्मर बनना था। पापा काम के सिलसिले में मस्कट गए और बाद में उन्होंने मम्मी, बहन और मुझे भी मुंबई से मस्कट बुला लिया। पद्रह साल मैं मस्कट में रही। मॉडलिग करना मैंने वहीं शुरू कर दिया था। यद्यपि मैंने मस्कट में वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक सीखा है, पर एक्टिंग और डास की प्रोफेशनल ट्रेनिग नहीं ली है।
सघर्ष के दौरान तैयारी करती रही
मेरा सघर्ष लबा रहा। मस्कट से मुंबई आई, तो अंजान शहर लगा। फिल्म इंडस्ट्री में मेरा कोई परिचित नहीं था। मैं लगभग रोज ऑडिशन देती थी। उस सघर्ष ने मुझे पहली फिल्म के लिए तैयार किया। मैं लकी थी कि मुझे सही समय पर सही लोग मिलते रहे। मेरी एक दोस्त हैं नदिनी, जोकि कास्टिंग एजेंट हैं। उन्होंने मुझे 'गेम' फिल्म के बारे में बताया और कहा अगर तुम इंट्रेस्टेड हो तो आकर ऑडिशन दे दो। मैंने ऑडिशन दिया। अभिनय देव को मेरा ऑडिशन अच्छा लगा। मैं बहुत खुश हूं कि 'गेम' जैसी बड़े बैनर की फिल्म मुझे मिली। 'गेम' से पहले मैंने एक तमिल फिल्म की थी।
लकी हूं
माइंड गेम है यह फिल्म। अभिनय देव ने जब मुझे माया के किरदार के बारे में बताया, तो मैं उससे कनेक्ट नहीं कर पाई। माया अपने हालात से भागना चाहती है। माया और मुझमें दिन-रात का फर्क है। फिर एक्सेल एंटरटेनमेंट ने शबाना आजमी से सपर्क किया। उन्हें बताया गया कि सारा को आपकी मदद की जरूरत है। मैं लकी हूं कि शबाना जी और अभिनय ने मुझे ट्रेनिग दी। शबाना जी ने मुझे अपनी फिल्म 'मडी' देखने के लिए कहा। उनकी और अभिनय की मदद से मैं माया के किरदार को निभाने में कामयाब हो पाई।
हार्ड वर्क में है यकीन
छह महीने पहले किसी ने मुझसे कहा कि तुम हिंदी अच्छी नहीं बोल पाती हो। मैंने इसे चुनौती माना और मेहनत की। कुछ लोग मेरा नाम सुनकर सोचते हैं कि मुझे हिंदी बोलनी नहीं आती होगी, पर मुझसे बात करने के बाद उनकी सोच बदल जाती है। मैंने एक्टिंग करना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी लक्ष्य के बारे में नहीं सोचा। अभी मैं खुद को ढूंढ रही हूं। इतना जानती हूं कि मुझे अच्छे किरदार करने हैं।
-रघुवेन्द्र सिह

डांस मेरा पहला प्यार: रेमो डिसूजा



फिल्म निर्देशन में आने का फैसला आपने कब किया?
कोरियोग्राफी के बाद मेरा अगला कदम फिल्म निर्देशन ही था। मैंने अपने जीवन पर एक फिल्म लिखी थी। चार साल पहले मैंने उस पर बांग्ला फिल्म बनाई। वह फिल्म बंगाल के लोकप्रिय डांस फॉर्म छउ पर आधारित थी। उसके लिए मुझे बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला।
क्या निर्देशक बनने के लिए फिल्म मेकिंग की प्रोफेशनल ट्रेनिंग जरूरी है?
जो लोग फिल्म निर्माण से काफी साल से जुड़े हैं, उन्हें फिल्म मेकिंग की प्रोफेशनल ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ती। उनकी ट्रेनिंग सेट पर चलती रहती है। मैं पंद्रह साल से फिल्म निर्माण से जुड़ा हुआ हूं। मुझे टेक्निकल जानकारी है। नए लोगों को मेकिंग की ट्रेनिंग चाहिए।
फालतू के निर्माण की योजना कैसे बनी?
न्यूजीलैंड में कल किसने देखा फिल्म की शूटिंग चल रही थी। सेट पर मैंने जैकी से बताया कि एक कॉमर्शियल फिल्म बनाना चाहता हूं। उसका विषय भी बताया। संयोग से जैकी भी वैसे विषय पर ही फिल्म बनाने की सोच रहे थे।
यह फिल्म आपके पसंद की है या दर्शकों के पसंद की..?
मैं उन फिल्म डायरेक्टर से रिलेट नहीं कर पाता जो खुद के लिए फिल्म बनाते हैं। मेरा मानना है कि आपको दर्शकों की पसंद को ध्यान में रखते हुए अपनी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल करके फिल्म बनानी चाहिए। फालतू में दर्शकों की पसंद का ध्यान रखा गया है। इसमें मेरी क्रिएटिविटी है।
यह फिल्म एंटरटेन करने के साथ कोई मैसेज भी देती है?
यह चार युवा की कहानी है। उनका परसेंटेज बहुत कम है, इसलिए उन्हें किसी कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलता। लोग उन्हें फालतू कहते हैं। वे बच्चे कैसे अपना मुकाम हासिल करते हैं और कैसे साबित करते हैं, यही फिल्म की कहानी है। दर्शकों को फिल्म फ्रेश लगेगी।
फिल्म निर्देशन का अनुभव कैसा रहा?
कमाल का अनुभव रहा। कॉमर्शियल फिल्म बनाकर मैंने सीखा कि इस प्रकार की फिल्म बनाते समय आपको कितने लोगों का ध्यान रखना पड़ता है। निर्देशन मामूली बात नहीं है।
भविष्य में कोरियोग्राफी और फिल्म निर्देशन में किस पर ज्यादा ध्यान देंगे?
मैं दोनों के बीच बैलेंस बनाकर चलना चाहता हूं। कोरियोग्राफी मेरा पहला प्यार है। फिल्म बनाना पैशन है।
अगली फिल्म किस प्रकार की होगी?
मैंने दो फिल्मों की स्क्रिप्ट फाइनल की है। एक ऐक्शन फिल्म होगी और दूसरी म्यूजिकल। 
-रघुवेंद्र सिंह 

अप्रैल फूल बनाया...

फिल्मी सितारे एक अप्रैल यानी मूर्ख दिवस का इंतजार नहीं करते। वे अपने सह-कलाकारों को पूरे साल बेवकूफ बनाने का अवसर तलाशते रहते हैं। अक्षय कुमार, अजय देवगन और अभिषेक बच्चन ऐसे मजेदार किस्सों के लिए चर्चित हैं। इन्होंने ऐसा करके कई हीरोइनों के होश उड़ा दिए थे। उनके मजाक की वजह से कई बार हीरोइनों को शर्मसार भी होना पड़ा है और वे मूर्ख भी बनीं..। 
होश उड़े सोनम के
खतरों के खिलाड़ी अक्षय कुमार अभिनेत्रियों के साथ प्रैंक करने में अव्वल माने जाते हैं। उनके साथ फिल्म की शूटिंग के दौरान अभिनेत्रियां बहुत सतर्क रहती हैं, बावजूद इसके अक्षय हमेशा बाजी मार लेते हैं। अक्षय की शरारतों से वाकिफ होने के बावजूद सोनम कपूर थैंक्यू फिल्म के सेट पर आखिरकार शिकार बन ही गई। अक्षय उनके होश उड़ाने में सफल हो गए। अक्षय को पता चला कि सोनम को अपने मोबाइल से बहुत प्यार है। वे एक पल भी मोबाइल के बिना नहीं रह सकतीं। खिलाड़ी अक्षय ने सोनम के मोबाइल को ही गायब कर दिया। सोनम को जब अहसास हुआ कि उनका मोबाइल उनके पास नहीं है, तो उन्होंने सेट पर हंगामा मच गया। उन्होंने सेट पर सबकी ऐसी की तैसी करनी शुरू कर दी, लेकिन तभी उन्हें अक्षय के हुनर के बारे में पता चला। उन्होंने उनकी ओर शक की निगाहों से देखा तो अक्षय ने साफ मना कर दिया, लेकिन तभी सोनम की नजर अक्षय के पैंट की पीछे की जेब पर पड़ी। उन्हें अपना मोबाइल नजर आ गया। फिर सोनम ने अक्षय की जेब से अपना मोबाइल निकाल लिया और उन्हें राहत मिली, लेकिन कुछ समय के लिए सोनम के तो जैसे होश ही उड़ गए थे।
शरमा गई कट्रीना
अमूमन धीर-गंभीर दिखने वाले अजय देवगन की शरारत के अनेक किस्से उनके साथ काम कर चुके कलाकारों के पास हैं। एक किस्सा राजनीति फिल्म में उनकी सह-कलाकार रहीं कट्रीना कैफ के पास भी है, जिसे वे कभी नहीं भूलेंगी। भोपाल में फिल्म की शूटिंग के दौरान अजय ने रणबीर कपूर, अर्जुन रामपाल और मनोज बाजपेयी के साथ मिलकर कट्रीना के साथ एक गंभीर मजाक करने की योजना बनाई। रात के बारह बजने से कुछ समय पहले अपनी टीम के साथ उन्होंने धीर-गंभीर अंदाज में कट्रीना के कमरे में प्रवेश किया। उन्होंने कट्रीना से कहा, आज नाना पाटेकर का जन्मदिन है और हम लोग उन्हें सरप्राइज देना चाहते हैं। कट्रीना फौरन अजय की बात मान गई और उन्होंने कहा, मैं सबसे पहले नाना को विश करके सरप्राइज दूंगी। अजय फौरन मान गए और उन्होंने एक गिफ्ट का पैकेट कट्रीना के हाथ में दे दिया। रात बारह बजे जब अचानक कट्रीना नाना के कमरे में पहुंचीं तो वे दंग रह गए। नाना कुछ सोच पाते कि उससे पहले ही कट्रीना ने उन्हें पैकेट थमाते हुए जन्मदिन की बधाई दे दी। नाना ने जब बताया कि उनका जन्मदिन नहीं है, तो कट्रीना को अहसास हुआ। तभी पीछे से अजय ने अपनी गैंग के साथ ठहाका मारते हुए कमरे में प्रवेश किया। पर अभी कट्रीना के साथ कुछ ऐसा होना बाकी था, जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। नाना ने पैकेट खोला तो उसमें से अंडरवियर, जूते और मोजे निकले। कट्रीना शर्म के मारे पानी-पानी हो गई। उन्होंने वहां से भागने में ही भलाई समझी।
संभलकर दीपिका
दीपिका पादुकोण खुशमिजाज नेचर की हैं। उन्हें हंसना-हंसाना अच्छा लगता है। आशुतोष गोवारीकर की फिल्म खेलें हम जी जान से की नाइट शूटिंग के दौरान वे गोवा के सावंतवाड़ी में एक छोटे से जंगल में अपने दोस्तों के साथ ऐसे ही मूड में थीं। तभी अभिषेक बच्चन वहां पहुंचे। उन्होंने फौरन दीपिका को हिदायत दी, रात का समय है। जरा संभल कर..। दीपिका ने हंसते हुए कारण पूछा तो अभिषेक ने कहा, डरने की कोई बात नहीं है। हां, सावंतवाड़ी का यह बाहरी इलाका सांप के लिए फेमस है। यहां रात के समय सांप निकलते हैं। सांप का नाम सुनते ही दीपिका की हंसी गायब हो गई। उन्होंने कुर्सी मंगवाई और लाइट के पास सचेत होकर बैठ गई। दीपिका का तनाव भरा चेहरा देखकर हंसी रोकते हुए अभिषेक ने दीपिका से फिर कहा, गलती से भी अपना पैर जमीन पर न रखना। सांप के डर से ही मैं तीन कुर्सियों के ऊपर बैठा हूं। तीन कुर्सियों की बात से दीपिका को समझ में आया और वे भी तीन कुर्सी लगाकर बैठ गई। जब आशुतोष गोवारीकर ने पूछा कि क्या बात है, तो सभी जोर से हंस पड़े। उसके बाद दीपिका जान गई कि अभिषेक ने उन्हें मूर्ख बनाया है। फिर उन्हें याद भी आया कि तीन कुर्सियों पर बैठना अभिषेक की आदत है। 
-रघुवेंद्र सिंह 

हूं ऐसा ही: प्रतीक बब्बर

फिल्म धोबी घाट में अभिनेता आमिर खान की मौजूदगी के बावजूद सबका ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल हुए प्रतीक बब्बर। फिल्म में उन्होंने साबित किया कि उनका लुक और पर्सनैल्टी भले ही हिंदी फिल्मों के अभिनेता जैसी नहीं है, लेकिन वे अपने अभिनय से सबका दिल जीतने का दम रखते हैं। शायद यही वजह है कि रोहन सिप्पी ने अपनी नई फिल्म दम मारो दम में अभिषेक बच्चन जैसे स्थापित अभिनेता के रहते हुए कहानी का केंद्र प्रतीक को बनाना उचित समझा। चौंकिए मत, दम मारो दम की कहानी के नायक हैं युवा प्रतीक। उम्मीद से ज्यादा रफ्तार से आगे बढ़ रहे प्रतीक अपनी इन उपलब्धियों से बहुत खुश हैं। बस उन्हें एक बात का दुख है। प्रतीक कहते हैं, काश! मेरी मम्मी जीवित होतीं। मेरी सफलता को देखकर वे बहुत खुश होतीं। मैं उन्हें बहुत मिस कर रहा हूं। 

मां के प्यार पाने से वंचित रहे प्रतीक अपने अब तक के सफर में ज्यादातर अकेले रहे हैं। उनकी परवरिश नाना-नानी के घर हुई। पिता के प्यार के मामले में भी उनकी किस्मत दूसरे बेटों जैसी नहीं रही। उन्हें पिता राज बब्बर का अपेक्षित प्यार नहीं मिला। प्रतीक आज शबाना आजमी में अपनी मां को देखते हैं, तो आमिर खान में बड़ा भाई। स्नेहिल रिश्तों की छांव से वंचित रहे प्रतीक बिना किसी संकोच के कहते हैं, शबाना आंटी में मुझे मेरी मां नजर आती हैं। वे मुझे बेटे जैसा प्यार देती हैं। आमिर बड़े भाई की तरह मुझे गाइड करते हैं। डांटते हैं और प्यार भी करते हैं।
प्रतीक अंतर्मुखी हैं। वे अपने दिल की बात खुलकर किसी से नहीं कह पाते। वे चुप रहना पसंद करते हैं। सवालों का जवाब वे कम शब्दों में देते हैं और अपनी दुनिया में खोए से रहते हैं। मीडिया से उनके व्यक्तित्व का यह पहलू छुपा नहीं है। प्रतीक कहते हैं, मैं बचपन से ऐसा ही हूं। बहुत कम बोलता हूं। मुझे जानने वाले लोग इस बात से परिचित हैं। दिलचस्प बात यह है कि प्रतीक की यही बात उनकी विशेषता बन गई है। हिंदी फिल्मकारों को उनके रूप में अपनी कहानी के रोचक किरदार को जीवंत करने वाला एक अनूठा कलाकार मिल गया है। जाने तू या जाने ना का अमित हो या धोबी घाट का मुन्ना, दोनों ही रोचक किरदार थे। गोवा की पृष्ठभूमि पर रची-बसी और मादक द्रव्यों के व्यापार पर आधारित रोहन सिप्पी की फिल्म दम मारो दम में भी प्रतीक ने एक अलग किस्म का किरदार निभाया है। इसमें उनके द्वारा अभिनीत लॉरी का किरदार है तो स्टूडेंट, लेकिन वह अब तक हिंदी फिल्मों में दिखे स्टूडेंट जैसा नहीं है। प्रतीक के अनुसार, फिल्म दम मारो दम में मेरा किरदार अलग किस्म का है। मुझे उम्मीद है, लोग मेरे किरदार को पसंद करेंगे। गौरतलब है कि इस फिल्म में प्रतीक ने अभिषेक बच्चन के अलावा बिपाशा बसु के साथ काम किया है। प्रतीक ने हाल में प्रकाश झा की फिल्म आरक्षण की शूटिंग पूरी की है। उनके लिए खुशी की बात यह है कि इसमें उन्हें अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका मिला। अमिताभ बच्चन उनकी मम्मी स्मिता पाटिल के को-स्टार रह चुके हैं और जाने तू या जाने ना देखने के बाद उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि प्रतीक ने उन्हें स्मिता की याद दिला दी। प्रतीक बिग बी के साथ काम करके बेहद खुश हैं। वे कहते हैं, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं गर्व महसूस कर रहा हूं। प्रतीक की गिनती आज हॉट युवा कलाकारों में हो रही है। दम मारो दम और आरक्षण के बाद उनकी अगली फिल्म संजय लीला भंसाली के होम प्रोडक्शन की माई फ्रेंड पिंटो होगी। वे कहते हैं, मैं धीरे-धीरे और सधे कदम बढ़ा रहा हूं। 
-रघुवेंद्र सिंह