बेटा दौड़ा आया
ख़ुशी से चिल्लाया।
मैंने देखा सहसा उसको
जाने क्या खुशखबरी लाया।
गले लिपटकर उसने बोला
सरकार ने लॉकडाउन खोला।
चेहरा देख निरुत्साह मेरा
उसने एकटक मुझे निहारा।
बाहर रौनक जब लौट आयी
माँ मेरी फिर क्यों न मुस्काई।
आँखों में मेरी आँखें डालकर
सवालों की उसने बौछार लगाई।
अब मैं मासूम को कैसे समझाऊँ
सदियों का किस्सा कैसे बताऊँ।
समय बदलता शासन बदलता
उम्र बदलती मौसम बदलता।
दुनिया में सब कुछ है बदलता
बस एक गृहणी का जीवन न बदलता।
-रघुवेन्द्र सिंह
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