Saturday, June 20, 2020

जानें सदी के दूसरे सबसे बड़े सूर्यग्रहण के गर्भ में छिपे रहस्य!

कल यानी रविवार, 21 जून, को सदी का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. इस ग्रहण के दौरान हम सभी को कुछ आवश्यक बातों का विशेष ध्यान रखना होगा. इस सिलसिले में हमने प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित सचिन्द्रनाथ से विशेष बातचीत की. जानिए क्या कुछ लेकर आ रहा है यह सूर्यग्रहण 



रविवार को सूर्य ग्रहण सुबह करीब 10.20 बजे शुरू होगा और दोपहर 2.59 बजे खत्म होगा। इसका सूतक 12 घंटे पहले यानी 20 जून को रात 10.20 पर शुरू हो जाएगा। जो कि ग्रहण के साथ ही खत्म होगा। प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित सचिंद्रनाथ के अनुसार, "इस बार के सूर्य ग्रहण में छह ग्रहों की उल्टी चाल ज्योतिष शास्त्र की नजर में और बेहाल करने वाली है। ज्योतिष के नज़रिये से 21 जून, रविवार को होने वाले सूर्य ग्रहण पर ग्रहों की विशेष स्थिति बन रही है। इस सूर्यग्रहण के समय 6 ग्रह वक्रीय रहेंगे। यह स्थिति देश और दुनिया के लिए ठीक नहीं है। इस दिन बुध, गुरु, शुक्र और शनि वक्रीय रहेंगे। राहु और केतु सदैव वक्रीय ही रहते हैं, लेकिन बुध, गुरु, शुक्र और शनि का इनके साथ ही उल्टी दिशा में चलना अशुभ संकेतकारी है." 

सूर्यग्रहण के अनुसार यह जानना अतिआवश्यक है कि क्या करने से बचें. आप ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलें। सूर्य ग्रहण के दौरान इन बातों की विशेष मनाही है। जैसे- सोना, यात्रा करना, पत्ते का छेदना, तिनका तोडऩा, लकड़ी काटना, फूल तोडऩा, बाल और नाखून काटना, कपड़े धोना और सिलना, दांत साफ करना, भोजन करना, शारीरिक संबंध बनाना, घुड़सवारी, हाथी की सवारी करना और गाय-भैंस का दूध निकालना। पंडित सचिंद्रनाथ के अनुसार अशुभ फल से बचने के लिए ईश्वर की मौन उपासना बहुत जरूरी है। कुछ सावधानियां बरत कर हम अशुभ प्रभावों को कम कर सकते हैं। ग्रहण से पहले स्नान करें। तीर्थों पर न जा सकें तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं। ग्रहण के दौरान महादेव भोलेनाथ के मंत्रों का जाप करें। 


एक माह के भीतर यह दूसरा ग्रहण है। 5 जून को चंद्रग्रहण के बाद अब 21 जून को सूर्यग्रहण है। एक माह के भीतर दो ग्रहण दुर्लभ संयोग वाले और प्राय: अहितकारी ही होते हैं। पंडित सचिंद्रनाथ बताते हैं कि यह ग्रहण राहुग्रस्त है। मृगशिरा नक्षत्र व मिथुन राशि में राहु सूर्य-चंद्रमा को पीड़ित कर रहा है। मंगल जल तत्व की राशि मीन में है और मिथुन राशि के ग्रहों पर दृष्टि डाल रहा है। सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु के एक साथ होने से प्रतिकूल संत योग भी इस ग्रहण पर बन रहा है और इसका असर सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश करने के एक दिन पूर्व से ही प्रभावी है। ऐसे में संत योग की श्रेणी वाले लोगों यथा साधु, सन्यासी और एकाकी जीवन वाले व्यक्ति भी, इसके प्रतिकूल प्रभाव की चपेट में आ सकते हैं। इस ग्रहण के संत योग में अनहोनी के साथ ही यश की हानि भी परिलक्षित हो रही है। साथ ही ग्रहण पर मंगल की दृष्टि पड़ने से ज्योतिष गणना के अनुसार इसके प्रभाव से आंधी, तूफान, भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका है। देशों के बीच युद्ध की भी स्थिति बन सकती है। सूर्यग्रहण के प्रभाव स्वरूप देश व दुनिया में पड़ोसी राष्ट्रों के बीच आपसी तनाव, अप्रत्यक्ष युद्ध, महामारी, किसी बड़े व्यक्तित्व के साथ अनहोनी, राजनीतिक परिवर्तन, हिंसक घटनाओं में इजाफा, आर्थिक मंदी आदि पनपने के संकेत हैं। नदी के किनारे बसे शहरों पर इसका खासा प्रभाव पड़ेगा। ग्रहण के प्रभाव से समाज के हर वर्ग के लोगों में आलस्य बढ़ेगा। लोग बैठे-बैठे काम करने पर अधिक जोर देंगे। इस प्रवृत्ति से बचना होगा अन्यथा नकारात्मता बढ़ने लगेगी।

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