Monday, May 9, 2011

अजीब आदमी था वो (कैफ़ी आज़मी-१० मई पुण्यतिथि विशेष)


मशहूर लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर ने अपनी खूबसूरत नज़्म अजीब आदमी था वो.. में कैफ़ी आज़मी की शख्सियत को बेहद इमानदारी से बयान किया है. यह नज़्म मुझे शौकत आज़मी की पुस्तक याद की रहगुज़र में मिली. जावेद अख्तर ने २ जुलाई, २००२ को यह नज़्म लिखी थी. आज कैफ़ी आज़मी की पुण्यतिथि पर आपके साथ साझा कर रहा हूँ. 


अजीब आदमी था वो
मोहब्बतों का गीत था बगावतों का राग था
कभी वो सिर्फ फूल था कभी वो सिर्फ आग था
अजीब आदमी था वो
वो मुफलिसों से कहता था
कि दिन बदल भी सकते हैं
वो जाबिरों से कहता था 
तुम्हारे सर पे सोने के जो ताज हैं
कभी पिघल भी सकते हैं
वो बंदिशों से कहता था 
मैं तुमको तोड सकता हूँ
सहूलतों से कहता था 
मैं तुमको छोड सकता हूँ 
हवाओं से वो कहता था
मैं तुमको मोड सकता हूँ 
वो ख्वाब से यह कहता था  
कि तुझको सच् करूंगा मैं 
वो आरजू से कहता था
मैं तेरा हमसफ़र हूँ 
तेरे साथ् ही चलूँगा मैं 
तू चाहे जितनी दूर भी बना ले मंज़िलें 
कभी नही थकूंगा मैं
वो जिन्दगी से कहता था
कि तुझको मैं सजाऊंगा 
तु मुझसे चांद मांग ले
मैं चांद ले के आऊंगा
वो आदमी से कहता था
कि आदमी से प्यार कर 
उजड रही है ये ज़मीं 
कुछ इसका अब सिंगार कर 
अजीब आदमी था वो

वो जिन्दगी के सारे गम, तमाम् दुख, हर इक सितम से कहता था
मैं तुमसे जीत जाऊंगा 
कि तुमको तो मिटा ही देगा एक् रोज आदमी 
भुला ही देगा ये जहाँ 
मिरी अलग है दास्तान 

वो आंखें जिनमें ख्वाब हैं 
वो दिल है जिनमें आरजू 
वो बाज़ू जिनमें है सकत 
वो होंट जिन पे लफ्ज़ हैं 
रहूँगा इनके दरमियाँ
कि जब मैं बीत जाऊंगा 
अजीब आदमी था वो

प्रस्तुति-रघुवेंद्र सिंह 

3 comments:

Somya Aparajita said...

vakai..ajeeb aadmi the Kaifi Azmi......apne parivaar ki kushiyon se badi thi unke liye doosron ki kushiyaan....'apne liye jiyen to kya jiyen'...ye panktiyan unpar bakhoobi charitarth hoti hain....kaifi azmi ko mera salaam!

setupooja said...

bahut badhiya...:)

Unknown said...

Bhut khoob andaz bhi behtreen