Tuesday, June 8, 2010

सफलता-असफलता जीवन का हिस्सा: अर्जुन रामपाल

अर्जुन रामपाल इन दिनों बेहद व्यस्त हैं। वे रात भर रा.वन फिल्म की शूटिंग करते हैं और दिन में राजनीति की प्रमोशनल गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं। ओम शांति ओम फिल्म की रिलीज के पहले अर्जुन की जिंदगी में ऐसा दौर भी आया था, जब वे घर में खाली बैठे रहते थे और उनके फोन की घंटी नहीं बजती थी, लेकिन अब वक्त बदल गया है। बातचीत अर्जुन रामपाल से।
राजनीति में आपका जो कैरेक्टर है, आप वैसे कितने कैरेक्टर के टच में हैं?
जब राजनीति जैसी फिल्म आप कर रहे हैं, तो सबसे पहले आपको डायरेक्टर का विजन समझना होता है। प्रकाश झा ने महाभारत की कहानी को मॉडर्न स्टाइल में रखा है। मेरा किरदार महाभारत के भीम जैसा है। पृथ्वीराज प्रताप पढ़ा-लिखा है। वह खानदानी पॉलिटीशियन है। वह लाउडी भी है। वह सोच-समझकर रिएक्ट नहीं करता। वह एग्रेसिव है, लेकिन जब पिघलता है, तो प्यारी चीजें करता है। उस हिसाब से कैरेक्टर को निभाना आसान नहीं था। मैंने यंग पॉलिटीशियन को ऑब्जर्व किया। उनकी चाल-ढाल, अदाएं देखीं। मैंने देखा कि यंग पॉलिटीशियन पायजामा-कुर्ता के साथ रिबॉक का जूता पहनते हैं। वह मैंने अपने किरदार में डाला है। बाकी जैसा किरदार लिखा गया था, वैसा मैंने किया। मेरा किरदार मिट्टी से जुड़ा है। प्रकाश झा ग्रामीण भारत को करीब से जानते हैं। वे राजनीति को करीब से जानते हैं। उन्होंने अपनी नॉलेज हमारे साथ शेयर की। वे क्लियर थे कि उन्हें क्या चाहिए? राजनीति में काम करने का अनुभव मजेदार रहा।
रा.वन के बारे में कुछ बताएंगे?
इसकी शूटिंग अभी शुरू हुई है। उसमें मेरा स्पेशल लुक है। शाहरुख बहुत प्यारी फिल्म बना रहे हैं। इंडियन सुपरहीरो के हिसाब से यह बहुत प्यारी फिल्म हो सकती है।
हाउसफुल जैसी फिल्म करते समय एक ऐक्टर के तौर पर आप क्या इंटेलीजेंस भूल जाते हैं?
हाउसफुल को लोग एंज्वॉय कर रहे हैं। मुझे अच्छे मैसेज आ रहे हैं। ऐसी फिल्म से फैन फॉलोइंग बढ़ती है। हम क्यों बोरिंग इंटेलीजेंट फिल्म ही बनाएं? हर तरह की फिल्म बनती रहनी चाहिए।
आपकी छवि अजातशत्रु की है। फिल्म इंडस्ट्री में कोई आपकी बुराई नहीं करता। क्या यह संस्कार बचपन के हैं?
हां। जो आप सोचते हैं, वही आपकी जिंदगी बन जाती है। पहले आपको तय करना चाहिए कि आपको कैसी जिंदगी चाहिए? फिर वैसी सोच होगी। जब आप लो फेज में होते हैं, तो दूसरों पर इल्जाम लगाना आसान होता है। पर यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप और कमजोर हो जाते हैं। जब आप सफलता और असफलता का जिम्मा खुद लेते हैं, तो आप मजबूत बनते हैं। फिल्म नहीं चलती है, तो मैं उसका जिम्मा लेता हूं और फिल्म चलती है, तो उसका श्रेय सबके साथ शेयर करता हूं।
आप इस बात को मानते हैं कि ओम शांति ओम और रॉक ऑन की सफलता के बाद आपको दूसरा जीवन मिला है?
दूसरा जीवन मिलना मेरी समझ से अलग बात है। मेरा मानना है कि सफलता-असफलता जीवन का हिस्सा है। इससे सबको दो-चार होना पड़ता है। यह अनुभव भी है। मुझे अपने काम से लगाव है। मैं काम करता हूं, ताकि लोगों को खुश कर सकूं। लोगों को खुशी मिलती है, तो मुझे भी खुशी मिलती है।
इस बात में कितनी सच्चाई है कि रॉक ऑन से आपका पब्लिक कनेक्शन हुआ। वह किरदार क्लिक कर गया। क्या फिल्म साइन करते समय इस बात का अंदाजा था?
अगर हमें पहले से पता होता, तो वैसी फिल्में ही करते। जब मैं फिल्म साइन करता हूं, तो पहला सवाल खुद से करता हूं कि क्या यह फिल्म देखने मैं थिएटर में जाऊंगा? क्या किरदार मुझे अच्छा लग रह रहा है? जैसे राजनीति का किरदार है। मैं नयापन लाने की कोशिश करता हूं। मुझे हीरोइज्म वाली फिल्में बोरिंग लगती हैं। आज के दर्शक जानते हैं कि अर्जुन, रणबीर कपूर, शाहरुख खान सबकी अपनी पर्सनैल्टी है, लेकिन ये करते क्या हैं? दर्शक काम देखते हैं। वह जमाना गया। अब कलाकार टाइपकास्ट नहीं होते। अब ऐक्टर हर तरह का किरदार कर रहे हैं। मैं तो कहता हूं किफिल्म से बड़ा कोई नहीं होता।
आपने प्रोडक्शन कंपनी खोली थी। उसे एडवेंचर के तौर पर लेते हैं या वह डिसऐडवेंचर हो गया?
सफलता और असफलता मियां-बीवी की तरह हैं। मैं यह नहीं बताऊंगा कि कौन मियां है और कौन बीवी? असफलता का मतलब हमेशा दुख ही नहीं होता। मेकिंग में बहुत खुशियां मिलती हैं। मैं और फिल्में बनाऊंगा। दिल्ली के बाद जल्द ही मैं मुंबई में अपना रेस्टोरेंट खोलने जा रहा हूं। मेरी सोच है कि बिजनेस कर रहा हूं या फिल्म बना रहा हूं और यदि उससे पांच सौ लोगों का चूल्हा जल रहा है, तो मैं उसे करूंगा। डेवलपमेंट को कभी नहीं रोकना चाहिए।
-रघुवेंद्र सिंह

दे रही हूं बहुत कुछ: दीपल शॉ | मुलाकात

दीपल शॉ को लोग ग्लैमरस और सेक्सी गर्ल कहते हैं, लेकिन वे इनसे अलग भी हैं। ए वेडनेसडे, कर्मा और होली, राइट या रांग आदि फिल्में करने वाली अभिनेत्री दीपल अब महिला प्रधान फिल्म विकल्प में एक महत्वाकांक्षी लड़की के किरदार में दिखेंगी। बातचीत दीपल से..।
आप कहां थीं? मीडिया से आपने दूरी क्यों बना रखी है?
मीडिया ने मुझे बहुत परेशान किया। मीडिया ने एक ढांचा बना दिया है कि दीपल वीडियो एलबम टाइप गर्ल है, जबकि मैं अपनी हर फिल्म में एकचुनौतीपूर्ण भूमिका निभा रही हूं। मैंने तय किया है कि मैं मीडिया से दूर रहूंगी और अपना काम करूंगी। फिर काम अपने आप बोलेगा। मैं मीडिया से नाराज नहीं हूं। दरअसल, मीडिया मुझे समझ नहीं पा रहा है। मैं उस दिन का इंतजार करूंगी, जब मीडिया मुझे समझेगा।
आपको मीडिया द्वारा बनाया गया ढांचा पसंद नहीं है?
ढांचा पसंद होने की बात नहीं है। मुझे पता है किबतौर कलाकार मैं दर्शकों को बहुत कुछ दे रही हूं और दर्शक उसे स्वीकार भी कर रहे हैं। लेकिन मीडिया इस बात को स्वीकार न करके मुझे बार-बार पुराने ढांचे में डाल रहा है। मुझे ग्लैमर गर्ल कहलाना पसंद है। मेरी उम्र है ग्लैमर गर्ल कहलाने की, लेकिन यह कहना कि दीपल सिर्फ एक ग्लैमर गर्ल है, गलत है।
विकल्प कैसी फिल्म है?
थ्रिलर है। इसका सार यह है कि जो आप चुनते हैं, वही बनते हैं। यह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर रिषिका की कहानी है। वह कोल्हापुर में पली-बढ़ी है। अनाथ है। बहुत छुई-मुई सी लड़की है। वह दिखने में ग्लैमरस नहीं है। दब-दब कर जीती है, लेकिन उसके मन में चाह है कि टेक्नोलॉजी केसहारे वह अपने देश का नाम रोशन करे। रिषिका अपनी पहचान बना पाती है या नहीं? अपने देश का नाम रोशन कर पाती है या नहीं? सफल होती है या नहीं? यही फिल्म में दिखाया गया है।
विकल्प से जुड़ने की वजह क्या रही?
फिल्म के निर्देशक सचिन ने कहानी सुनाने के बाद मेरा ऑडिशन नहीं लिया। उन्होंने कहा कि मुझे मेरी रिषिका मिल गई। मेरे जुड़ने की खास वजह यह है कि जिंदगी में पहली बार अच्छी परफॉर्मेस वाला रोल किसी ने मुझे दिया। मैं खुश हो गई। मैं अगर यह फिल्म नहीं करती, तो बेवकूफ कहलाती। इसकी पूरी कहानी मेरे इर्द-गिर्द घूमती है, इसीलिए कोई बड़ा ऐक्टर इसमें काम करने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसमें सभी कलाकार एनएसडी के हैं। इसमें मुझे पहली बार एक मराठी गर्ल का किरदार निभाने का मौका मिला है। आपके लिए फिल्म को चलाना बहुत भारी होगा।
आप प्रेशर महसूस कर रही हैं?
दीपल एक फिल्म को अपने कंधे पर लेकर चल रही है, तो जाहिर है कि डिस्ट्रीब्यूटर के लिए यह कॉमर्शियल सेटअप नहीं होगा, लेकिन दीपल कोशिश कर रही है। विकल्प की कहानी बहुत प्रेरक है। हमने एक अच्छी फिल्म बनाई है।
अपने करियर की अब तक की ग्रोथ को कैसे देखती हैं?
मेरे हिसाब से बहुत अच्छी है। मैं सकारात्मक सोचती हूं। मुझे मेरी सोच और लक्ष्य पता है। मेरा लक्ष्य अनोखा है। हिंदी फिल्मों में हीरोइने हमेशा सेकंडरी होती हैं। मैं उस ब्रांड को बदलना चाहती हूं। मैं समझदारी से आगे बढ़ रही हूं। अपने बारे में सिर्फ मैं जानती हूं और जब मैं विकल्प जैसी फिल्में करूंगी, तो बड़े निर्माता-निर्देशक भी मेरे बारे में जानेंगे। मैं दुनिया के हर सिनेमा पर अपनी छाप छोड़ना चाहती हूं।
टीवी को करियर के लिए विकल्प के तौर पर देखती हैं?
मैं टीवी में तभी जाऊंगी, जब मेरी वजह से टीवी में कोई वैल्यू ऐडिशन होगा। यदि टीवी मुझमें वैल्यू ऐड करेगा, तो मैं नहीं जाऊंगी। मेरे पास शो बिग बॉस का ऑफर आया था, लेकिन मैंने मनाकर दिया। मेरा जो लक्ष्य नहीं है, उसके बारे में मैं क्यों बात करूं?
-रघुवेंद्र सिंह