Thursday, November 8, 2012

बोल्ड एंड ब्यूटीफूल पाखी हेगड़े

भोजपुरी सिनेमा की हॉट अभिनेत्री पाखी हेगड़े से रघुवेन्द्र सिंह ने की मुलाकात
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में एक लडक़ी ऐसी है, जिससे पहली मुलाकात में ही आपको इस बात का एहसास होगा कि यह इस क्षेत्रीय सिनेमा में फिट नहीं बैठती है. वर्सोवा (अंधेरी वेस्ट) में इस खूबसूरत लडक़ी के ऑफिस में हम फिल्मफेयर के फोटोशूट का डिस्कशन करने के लिए मिलते हैं. यह उनकी कंपनी सेनूर एंटरटेनमेंट का दफ्तर है, जिसमें उन्होंने एक सेलीब्रिटी क्रिकेट टीम खरीदी है. इस टीम का हिस्सा भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के स्टार कलाकार हैं, जो सेलीब्रिटी क्रिकेट लीग (सीसीएल) में खेलते हैं. वह हमें खुशी से बताती हैं कि अब थर्ड रॉक एंटरटेनमेंट प्रा लि की वे हिस्सेदार हैं, जो फिल्म प्रमोशंस एवं इवेंट मैनेजमेंट में सक्रिय कंपनी है. हम बात कर रहे हैं पाखी हेगड़े की, जो भोजपुरी फिल्मों में बिकिनी और स्मूचिंग सीन देने वाली पहली अभिनेत्री हैं, जो दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ के साथ अपनी हॉट जोड़ी को लेकर हमेशा चर्चा में रहती हैं. 

बिना किसी हिचकिचाहट के पाखी हेगड़े बताती हैं, ‘‘मैं हमेशा हिंदी फिल्मों की हीरोइन बनना चाहती थी. मैंने पहले हिंदी फिल्मों में काम पाने की कोशिश की, लेकिन अगर आपका कोई गॉडफादर नहीं है या आप किसी फिल्मी खानदान से नहीं हैं, तो उस इंडस्ट्री में आपको अपने लिए स्थान बनाना बहुत मुश्किल है. निर्माता-निर्देशक आपको अलग नजरिए से देखते हैं. मुझे कई लोगों ने सुझाव दिया, ‘गुडिय़ा आपके लिए टीवी ठीक है.’ ’’ दरअसल, पाखी ने दूरदर्शन के एक सीरियल मैं बनूंगी मिस इंडिया से अभियन में कदम रखा था. उसमें उनका सुहानी सहाय का मुख्य किरदार बहुत पसंद किया गया. उनके मासूम चेहरे को देखकर लोग उन्हें गुडिय़ा कहा करते थे. ‘‘आज भी जब मैं गांव में भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग के लिए जाती हूं, तो लोग मुझे सुहानी के नाम से बुलाते हैं. मुझे आश्चर्य होता है कि लोग मेरे सीरियल को इतना अधिक पसंद करते थे.’’
मुंबई के एक मध्यमवर्गीय परिवार में पली-बढ़ी हैं पाखी. उनके पिता होटल के व्यवसाय में थे. वे चाहते थे कि पाखी होटल के बिजनेस में आएं, मगर पाखी ने ठान लिया था कि उन्हें बड़े पर्दे पर अपनी किस्मत चमकानी है. ‘‘बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने फिल्मों में आने का फैसला लिया. मगर मेरे परिवार ने फिल्मों में काम करने पर रोक लगा दी, तो मैंने कहा कि मैं टीवी में जाऊंगी. इस तरह मैंने अपनी राह बनाई.’’ मैं बनूंगी मिस इंडिया में पाखी के काम की चर्चा हुई, तो फिल्मकार टीनू वर्मा की नजर उन पर पड़ी. उन्होंने अपनी भोजपुरी फिल्म धरती कहे पुकार के उन्हें ऑफर की, मगर पाखी भोजपुरी फिल्म में काम करने के लिए तैयार नहीं थीं. ‘‘भोजपुरी फिल्मों के बारे में मैंने अच्छा नहीं सुन रखा था. मेरा नजरिया इस सिनेमा को लेकर कुछ अलग था.’’ लेकिन 2005 में पाखी ने ज्ञान सहाय की भोजपुरी फिल्म बैरी पिया में काम करने के लिए हां कह दिया. अपने इस फैसले के बारे में पाखी कहती हैं, ‘‘बैरी पिया का किरदार बहुत स्ट्रांग था. सरस्वतीचंद्र फिल्म में नूतन के किरदार से यह मिलता-जुलता था, इसलिए मैंने हां कहा.’’
पाखी के शुरूआती प्रयास निष्फल रहे. ‘‘शुरू में लोगों ने मुझे यह कहकर रिजेक्ट कर दिया कि बहुत सिंपल लुक है.’’ पाखी याद करती हैं. मगर जब उन्होंने निरहुआ रिक्शावाला फिल्म में दिनेश लाल यादव निरहुआ के साथ किसिंग सीन करते हुए स्क्रीन पर एंट्री मारी, तो सीटियों से हॉल गडग़ड़ा उठा. पाखी को सफलता का पहला स्वाद निरहुआ रिक्शावाला से चखने को मिला फिल्म. ‘‘निरहुआ रिक्शावाला के लेखक आदेश के अर्जुन थे, जिन्होंने अक्षय कुमार और प्रियंका चोपड़ा की फिल्म एतराज (2004) लिखी थी. इसमें लोगों ने मेरे काम को बहुत पसंद किया. मुझे मेरी परफॉर्मेंस की वजह से इस इंडस्ट्री में जगह मिली.’’ इस फिल्म की कामयाबी के बाद पाखी भोजपुरी फिल्म के निर्माता-निर्देशकों के लिए लकी बन गईं और इंडस्ट्री के स्टार्स मनोज तिवारी, रवि किशन, ‘निरहुआ’ की पहली पसंद बन गईं.
पाखी केवल स्टार्स के साथ फिल्में करने के लिए जानी जाती हैं. मगर इस बात का खंडन करते हुए वह कहती हैं, ‘‘मेरे लिए रोल और प्रोडक्शन हाउस मायने रखता है. मैं स्टार्स देखकर फिल्में साइन नहीं करती.’’ पाखी ने लोगों की इस बात को झुठलाने के लिए कुछ महिला प्रधान फिल्में जैसे संतान, औलाद, दाग और दीवाना कीं, मगर ये बॉक्स-ऑफिस पर चली नहीं. ‘‘मैंने समझदारी से फिल्में चुनीं. मैं नागिन तू नगीना, निरहुआ चलल ससुराल, कइसे कहीं तोहरा से प्यार हो गईल, बिदेसिया में लोगों को मेरा काम बहुत पसंद आया.’’ पाखी जोर देकर कहती हैं और वे याद दिलाती हैं कि उनकी नई फिल्म गंगा देवी एक महिला प्रधान फिल्म है, जिसमें महिला आरक्षण के मुद्दे को उठाया गया है. ‘‘मुझे इस बात की भी खुशी है कि इसमें मुझे अमिताभ बच्चन और जया बच्चन जैसे दिगगज कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला.’’
पाखी ने कुछ साल पहले डी रामानायडू की फिल्म शिवा में बिकिनी पहनकर बवाल मचा दिया था. अभी यह हंगामा शांत भी नहीं हुआ था कि दिनेश लाल यादव के साथ कइसे कहीं तोहरा से प्यार हो गईल में स्मूचिंग सीन करके वे चर्चा का विषय बन गईं. ‘‘सेंसुऐलिटी और वल्गैरिटी के बीच बारीक फर्क होता है. मैंने हमेशा इस बात का ध्यान रखा है. मैंने नायडू सर की फिल्म में बिकिनी पहनने के लिए हां कहा, जो साउथ के सम्मानित फिल्ममेकर हैं. मैं जानती थी कि वे मुझे सही तरीके से पेश करेंगे.’’ विराम लेकर पाखी कहती हैं, ‘‘मैंने हमेशा अपने दिल की सुनी है. मैं हमेशा खुद को निर्देशक के हाथ में सौंप देती हूं और ऐसे सीन करने में हर्ज क्या है? आप वैसे भी दर्शकों को ड्रीम बेचते हैं.’’ 
अपनी सफलता और लोकप्रियता का काफी श्रेय पाखी दिनेश लाल यादव को देती हैं, जिनके साथ उनकी जोड़ी हमेशा सफल रही है. दिनेश के म्यूजिक एलबम्स ने भी पाखी की लोकप्रियता बढ़ाने में बहुत मदद की. स्वयं पाखी बताती हैं, ‘‘दिनेश जी के होली, भक्ति और धोबी गीत के एलबम्स ने मुझे गांव-गांव में लोकप्रिय किया. मैं दिनेश जी के लगभग सभी एलबम्स का हिस्सा रही हूं. मैं उनको अपनी लोकप्रियता का बहुत श्रेय दूंगी.’’ दिनेश और पाखी की ऑन स्क्रीन केमिस्टी इतनी लाजवाब है कि लोग उन्हें रीयल लाइफ में भी एक साथ देखने लगे हैं. कुछ साल पहले पाखी ने दिनेश की निर्माण कंपनी के साथ मिलकर एक भोजपुरी फिल्म प्रेम के रोग भईल बनाई थी.  उसके बाद तो उनके रिश्ते को लोग एक अलग नजर से देखने लगे. दिनेश के साथ अपने रिश्ते को लेकर पाखी कहती हैं, ‘‘दिनेश जी के साथ मैंने पहली बार निरहुआ रिक्शावाला में काम किया था. तब वे एक्टिंग में कमजोर थे. उन्होंने मेरी योगयता देखी. हम दोनों ने इस तरह कनेक्ट किया. मैंने भोजपुरी बोलना उनसे सीखा है. मैंने देखा कि वे हमेशा सीखने के लिए तत्पर रहते हैं. हमारे बीच पारिवारिक संबंध हैं. समस्या यह है कि लोग रीयल लाइफ में भी हमें हीरो-हीरोइन की तरह देखते हैं.’’ 
पाखी हेगड़े अब धीरे-धीरे अपनी पहचान का दायरा बढ़ा रही हैं. भोजपुरी फिल्मों के साथ-साथ वे दूसरे भाषाओं की फिल्मों में भी अपनी पहचान बनाने के लिए प्रयासरत हैं. उन्होंने साउथ में अल्लारी नरेश की फिल्म बोम्माना ब्रदर्स चंदाना सिस्टर्स और एक दूसरी तेलुगू फिल्म ब्रह्मलोकम टू यमलोकम में एक-एक गीत किए थे. पाखी बताती हैं, ‘‘मैंने हाल में एक टुल्लू फिल्म बंगार दा कुरण की. यह उस भाषा में बनी है, जिस कम्यूनिटी की मैं हूं. बंट्स कम्युनिटी में इसका अच्छा नाम है. मैं एक मराठी फिल्म करने जा रही हूं, जिसका निर्देशन राजू पारसेकर कर रहे हैं. यह एक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास सरागत पर आधारित है. यह महिला प्रधान फिल्म है.’’ उत्साह के साथ पाखी अपनी पहली अंग्रेजी फिल्म वूमन फ्रॉम द ईस्ट के बारे में बताती हैं, ‘‘टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में इसे लोगों ने बहुत पसंद किया. अब यह सैफ (साउथ एशियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल) में जा रही है. मैं भी वहां इसकी स्क्रीनिंग में जा रही हूं. यह इंटरनेशनल वूमन टै्रफिकिंग पर बनी है.’’ 
पाखी के बारे में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में यह चर्चा आम है कि उनकी शादी हो चुकी है. उनकी एक बेटी भी है. यह सुनकर पाखी हंस पड़ती हैं, ‘‘ऐसी बहुत सारी बातें हमारे बारे में होती रहती हैं. हम सेलीब्रेटी हैं. मैं एक दिन अपनी आत्मकथा लिखूंगी. उसमें यह सब बातें लिखूंगी. अभी मैं अपनी पोजीशन को एंजॉय कर रही हूं.’’  
साभार: फिल्मफेयर

No comments: