Monday, March 29, 2010

मां और मुल्क बांटे नहीं जाते: राज कंवर

हमको दीवाना कर गए के बाद अब फिल्म निर्देशक राज कंवर सदियां लेकर आ रहे हैं। यह एक पीरियड फिल्म है। इससे राज कंवर शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को लॉन्च कर रहे हैं। वे ऋषि कपूर, हेमा मालिनी और रेखा के साथ मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। सदियां के बारे में जानिए राज कंवर से..
ऐसे बनी कहानी: बचपन में दादी मुझे पार्टीशन के टाइम की कहानी सुनाती थीं। वह कहानी मेरे दिमाग में थी। बचपन में मैंने पार्टीशन के बारे में लोगों से भी कई कहानियां सुनी थीं। मैं उन कहानियों पर बुक लिख रहा था सदियां। मैंने जब कहानी लोगों को सुनाई, तो सबने कहा कि आप इस पर फिल्म क्यों नहीं बनाते? मुझे लोगों का सुझाव अच्छा लगा। सदियां सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है।
कहानी त्याग-बलिदान की: सदियां त्याग और बलिदान का अनूठा संगम है। यह दो पीढि़यों की कहानी है। पिक्चर पार्टीशन के वक्त से शुरू होती है। उस वक्त की बातें कहती है और एक लव स्टोरी पैदा होती है। लव स्टोरी के साथ एक इश्यू उठता है और फिर कैसे वह इश्यू सॉल्व होता है? यही फिल्म में है। कहानी हिंदुस्तान और पाकिस्तान को लेकर है। मां और मुल्क बांटे नहीं जाते, यही इसकी थीम है।
चुनौतियां भी थीं: मां और दादी ने पार्टीशन के समय की जो बातें बताई थीं, वे मेरे मन में जीती जागती तस्वीर की तरह थीं। उसे विजुअलाइज करना मेरे लिए मुश्किल नहीं था। मेरे लिए प्रॉपर्टी इकट्ठा करना मुश्किल था। हमने उस टाइम का सेट एनडी स्टूडियो में बनाया। हमने पहली बार पुराने अमृतसर में शूट किया। अटारी बॉर्डर पर शूट किया है। बॉर्डर के करीब गांव में शूट किया। हमने रोमांटिक सीन कश्मीर और श्रीनगर में शूट किया, जो मुश्किल काम था।
साथ रेखा और हेमा जी का: फिल्म सदियां में हेमा मालिनी और रेखा जी भी हैं। मैं बचपन से इनका फैन था, लेकिन जब मैंने फिल्मी पारी शुरू की, तब तक वे रिटायर हो गई। मेरा ड्रीम था ड्रीम गर्ल और दिवा रेखा के साथ काम करना। मैंने कास्टिंग शुरू की, तो सोचा कि क्यों न हेमा और रेखा जी को साथ लाएं। फिल्म में रेखा जी सरदारनी बनी हैं। हेमा जी पाकिस्तान की महिला का रोल कर रही हैं।
नया चेहरा लव: इस फिल्म के लिए मुझे एक ऐसे लड़के की तलाश थी, जो पार्टीशन के समय का हिंदुस्तानी लड़का दिखे। काफी खोज के बाद मुझे लव मिले। लव शत्रुघ्न सिन्हा और पूनम सिन्हा के बेटे हैं। मैं उन्हें लॉन्च कर रहा हूं। लव ने फिल्म में बहुत अच्छा काम किया है। एक्टिंग उनके खून में है। लव का भविष्य बहुत अच्छा है। जब-जब उन्हें अच्छे डायरेक्टर मिलेंगे, वे अपनी छाप छोड़ेंगे।
मधुर संगीत: मेरी पिछली फिल्मों की तरह इस फिल्म का संगीत भी सुरीला है। हिप-हॉप के जमाने में सुरीला संगीत लोगों को जरूर पसंद आएगा। सदियां का संगीत अदनान सामी ने तैयार किया है। उम्मीद है, फिल्म के म्यूजिक पर लोग नाचेंगे।
-raghuvendra singh

Thursday, March 25, 2010

विलेज ब्वाय बने समीर दत्तानी

श्याम जी के सहायक दयाल निहलानी ने जब मुझसे श्याम जी से मिलने को कहा, उसी वक्त मैंने फैसला कर लिया था कि जैसा भी रोल होगा, मुझे हां कहना है। मुझ लीड कैरेक्टर है आरिफ का रोल दिया गया। बातचीत समीर दत्तानी से
आरिफ के किरदार के लिए आपको क्या तैयारी करनी पड़ी?
आरिफ वेल एजुकेटेड विलेज ब्वॉय है। वह प्रोग्रेसिव मुस्लिम है। वह दिन में हाईकोर्ट में और रात में गैरेज में काम करता है। इस कैरेक्टर के लिए मैंने उर्दू बोलने का हैदराबादी लहजा सीखा।
वेल डन अब्बा कैसी फिल्म है?
इसमें फन, कॉमेडी, रोमांस के साथ स्ट्रांग मैसेज है। इसमें मिनिषा लांबा और मेरे बीच रोमांटिक एंगल है। इसमें हमारी रोजमर्रा जिंदगी से जुड़े छोटे-छोटे मैसेज हैं, जिनकी ओर श्याम जी ने ध्यान खींचा है और बताया है कि उन समस्याओं का हल हमें खुद निकालना होगा।
श्याम बेनेगल के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
यह फिल्म मेरे लिए लर्निग एक्सपिरियंस रही। श्याम जी मेरे ग्रैंड फादर की उम्र के हैं, लेकिन जब मैंने शूट स्टार्ट किया तो हमारे बीच का गैप मिट गया। वह फिल्म, लाइफ, स्पोर्ट, लव, रिलेशन, सेक्स सब पर बात करते थे।
अपने फिल्मी कॅरियर में बीच में आप डगमगा गए थे?
एक आउटसाइडर होने के नाते वक्त तो लगता है। अब मेरी स्थिति कुछ ठीक हुई है। करण जौहर की आई हेट लव स्टोरीज में मैं काम कर रहा हूं। मेरे पास परसेप्ट पिक्चर कंपनी की एक फिल्म 8 भी है।
-रघुवेन्द्र सिंह

Tuesday, March 23, 2010

कभी अनफिट नहीं रहा-रितेश देशमुख

सिक्स पैक एब्स धारक फिल्म अभिनेताओं में अब रितेश देशमुख का नाम भी शामिल हो चुका है। आइए जानते हैं रितेश की फिटनेस के राज
बचपन से ही फिट
मैं बचपन से फिट हूं। न तो कभी मेरा पेट निकला और न ही कभी मैं ओवरवेट हुआ। यही कारण है कि मुझे जिम में कभी भी घंटों तक मेहनत नहीं करनी पड़ी। मैं जिम नियमित तौर पर जाता रहा हूं ताकि मैं फिट रहूं और स्क्रीन पर अच्छा दिखूं। मैंने कभी सिक्स पैक एब्स बनाने के बारे में सोचा नहीं था। वह तो फराह और साजिद खान के कहने पर मैंने फिल्म हाउसफुल के लिए सिक्स पैक एब्स बनाया।
कठिन परिश्रम करना पड़ा
मैं हफ्ते में पांच दिन जिम जाता हूं। अपने ट्रेनर विनोद के साथ मैं जिम में एक घंटे तक वर्कआउट करता हूं। मैं अपनी डाइट का पूरा खयाल रखता हूं। वह इसलिए कि आप कितना भी वर्कआउट कर लें यदि आपकी डाइट सही नहीं होगी तो बॉडी पर फर्क नहीं पड़ेगा। सिक्स पैक एब्स बनाने के लिए मैंने कार्डियो, एब्स, चेस्ट ट्राइसेप्स, शोल्डर बाइसेप्स पर अल्टरनेटिव वर्कआउट किया। तब जाकर सिक्स पैक एब्स बना।
पसंदीदा चीजों से परहेज
यदि आप बॉडी बनाना चाहते हैं, तो आपको खाने की अपनी पसंदीदा चीजों से परहेज करना पड़ेगा। मैंने अपनी सभी पसंदीदा चीजों को खाना बंद कर दिया है। जैसे पिज्जा, बर्गर, चीज, चॉकलेट, बिरयानी, राइस, पराठा, घी। जब मैं सिक्स पैक बनाने के लिए मेहनत कर रहा था तब व्हाइट एग, व्हाइट ऑमलेट, चिकन, प्रोटीन युक्त आहार, सलाद और ब्राउन ब्रेड खाता था। शुगर बिल्कुल नहीं लेता था। कभी-कभी चावल खा लेता था। डाइट में आपको वही चीजें खानी पड़ती हैं जो आपको पसंद नहीं।
इन पर करें अमल
आप किसी भी शेप में हों, आप बेहतर बन सकते है। नियमित जिम जाइए। नियमित रूप से वर्कआउट कीजिए और खान-पान में अधिकता न बरतें। मेरी राय में छह दिन वर्कआउट कीजिए और एक दिन जो मन करता है, उसे जरूर खाइए।
रघुवेन्द्र सिंह

Monday, March 22, 2010

स्पो‌र्ट्स लवर

संगीत के पुजारी सुखविंदर सिंह एथलीट बनना चाहते थे, लेकिन उनका भाग्य संगीत की दुनिया में उन्हें खींच लाया। कलर्स के नए म्यूजिकल रियलिटी शो आईपीएल रॉकस्टार में जज बने सुखविंदर ने यह बात बताई।
उन्होंने बताया कि इस शो के लिए हां कहने की यही वजह है कि मैं स्पो‌र्ट्स लवर हूं। मैं एथलीट हूं। मैं सौ मीटर की दौड़ का विनर रह चुका हूं। ओलंपिक में जाना चाहता था, लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि मैं म्यूजिक में आ गया। इस शो के निर्माताओं ने जब मुझे अप्रोच किया, तो उनके दिमाग में यह बात थी। उन्होंने मुझे हॉकी के मैदान से लेकर क्रिकेट के मैदान में देखा था। हॉकी और क्रिकेट के मैच देखने मैं आज भी जाता हूं। सेलिब्रिटी के रूप में नहीं, एक खेल प्रेमी के रूप में।
आईपीएल रॉकस्टार पहला रियलिटी शो है, जिसकी शूटिंग क्रिकेट के मैदान में हो रही है। सुखविंदर कहते हैं, यही नहीं, शो की खासियत यह भी है कि इसमें एसएमएस के जरिए विनर का चुनाव नहीं होगा। प्रतियोगी मैदान में लाइव परफॉर्म करते हैं। यदि मैदान में बैठे दर्शकों को उनकी परफॉर्मेस पसंद आती है, तो वे ताली बजाते हैं। इस शो में किराए पर जूनियर कलाकारों को नहीं बुलाया जाता है। शो का अनुभव दर्शकों के लिए ही नहीं, प्रतियोगियों और हमारे लिए भी नया और दिलचस्प है।
सुखविंदर इससे पहले रियलिटी शो वॉयस ऑफ इंडिया के जज रह चुके हैं, लेकिन उनका कहना है कि आईपीएल रॉकस्टार को जज करना उनके लिए ज्यादा मुश्किल और चैलेंजिंग है। उसकी वजह वे बताते हैं, शो के अधिकतर एपीसोड लाइव ब्रॉडकास्ट होंगे। हमें बहुत सोच-समझकर अपना फैसला सुनाना होगा, क्योंकि हम जो कमेंट देंगे, उसे ऑडियंस लाइव देखेगी। हम अपने फैसले को एडिट या चेंज नहीं कर सकेंगे। मैदान में बैठी ऑडियंस से हमें अपना फैसला लेने में मदद मिलेगी। जिस प्रतियोगी की परफॉर्मेस पर ऑडियंस ज्यादा ताली बजाएगी, जाहिर है, वह परफॉर्मेस अच्छी होगी।
खेल प्रेमी सुखविंदर क्रिकेट में आए ग्लैमर को सकारात्मक नजरिए से देखते हैं। वे कहते हैं, ग्लैमर क्रिकेट से जुड़ा जरूर है, लेकिन जब खिलाड़ी मैदान पर खेल रहा होता है, तब वहां ग्लैमर नहीं होता। रियलिटी होती है। सजावट मैदान के बाहर हुई है। यह समझने की बात है। ग्लैमर क्रिकेट से जुड़ा है। वह क्रिकेट के मैदान में नहीं आया है और कभी आ भी नहीं पाएगा। हम खिलाडि़यों को कभी ग्लैमरस तरीके से खेलने के लिए प्रेरित नहीं कर सकते। ग्लैमर के शामिल होने से क्रिकेट को और दर्शक मिल गए हैं। यह अच्छी बात है।
सुखविंदर आईपीएल में किसी टीम को सपोर्ट नहीं कर रहे हैं। वे कहते हैं, जब भारत दूसरे देश से मैच खेल रहा होता है, तो सपोर्ट करने की बात आती। आईपीएल में तो अपने ही देश के खिलाड़ी आपस में खेल रहे हैं। मैं सबके खेल को एंज्वॉय कर रहा हूं। पर्सनली मैं सचिन तेंदुलकर का फैन हूं, लेकिन उसकी दूसरी वजह है। अपनी अन्य व्यस्तताओं के बारे में सुखविंदर बताते हैं, शो आईपीएल रॉकस्टार के साथ मैं अपनी फिल्म में बिजी हूं। मेरी फिल्म कुछ करिए जल्द रिलीज होगी।
-raghuvendra Singh

Saturday, March 20, 2010

रोमांच से भरपूर लाहौर | फिल्म समीक्षा

मुख्य कलाकार : आनंद, श्रद्धा दास, फारुक शेख, श्रद्धा निगम, सौरभ शुक्ला, निर्मल पांडे, सुशांत सिंह
निर्देशक : संजय पूरण सिंह चौहान
तकनीकी टीम : निर्माता - विवेक खाटकर, जे एस राणा, लेखक- संजय पूरण सिंह चौहान, गीत- जुनैद वासी, संगीत- एम एम क्रीम
लाहौर किक बॉक्सिंग खेल पर आधारित फिल्म है। किक बॉक्सिंग भारत में उतना लोकप्रिय खेल नहीं है इसीलिए नए निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान ने इसमें क्रिकेट को भी शामिल किया है। बड़ा भाई धीरू किक बॉक्सिंग का चैंपियन खिलाड़ी है और छोटा भाई वीरू क्रिकेट का चैंपियन। पाकिस्तान के किक बॉक्सर नूर मोहम्मद के साथ एक टूर्नामेंट में मुकाबले के दौरान धीरू की मौत हो जाती है। नूर मोहम्मद धोखे से उसे रिंग में मार देता है। छोटा भाई वीरू अपने भाई की मौत का बदला लेने के मकसद से इंडियन किक बॉक्सिंग टीम में शामिल होता है, जो लाहौर एक सद्भावना टूर्नामेंट खेलने जाती है।
संजय पूरन सिंह चौहान की फिल्म लाहौर दो भाइयों के प्रेम, खेल में राजनेताओं के हस्तक्षेप को सहजता से दिखाती है। खास तौर से यह फिल्म भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को खेल के जरिए सुधारने की बात कहती है। लाहौर में स्पोर्ट फिल्म की खूबियां हैं। किक बॉक्सिंग के दृश्य रोमांच से भरपूर हैं। फिल्म का एक्शन उल्लेखनीय है।
लाहौर के लीड एक्टर अनाहद इमोशनल दृश्यों में कमजोर हैं। उनमें एक्शन हीरो की सभी खूबियां हैं। फारूख शेख ने मनमौजी और स्वतंत्र स्वभाव के कोच की भूमिका को बखूबी निभाया है। पाकिस्तानी टीम के कोच की भूमिका में सब्यसाची चक्रवर्ती और किक बॉक्सर मुकेश ऋषि जंचे हैं।
**1/2 ढाई स्टार।
-रघुवेन्द्र सिंह

मेरी नई जर्नी है यह: सतीश कौशिक | मुलाकात

सतीश कौशिक ने ऊंची उड़ान भरी है। फिल्म निर्देशन में नहीं, बल्कि एक्टिंग में। इंग्लिश फिल्म ब्रिक लेन और रोड, मूवी में सशक्त अभिनय के कारण सतीश की विदेश में भी बेहतरीन गंभीर ऐक्टर की पहचान बन गई है। वे अपनी नई पहचान को पुख्ता करने में जुटे हैं। भारतीय फिल्म प्रेमियों के बीच भी सतीश उसी पहचान के साथ आना चाहते हैं। तीन सवाल सतीश कौशिक से..।
अब महसूस करते होंगे कि आपको कॉमिक ऐक्टर की पहचान से छुटकारा मिल गया?
मैंने कैलेंडर और पप्पू पेजर से मिली पहचान को एंज्वॉय किया था, लेकिन मुझे यह बात खराब लगी थी कि लोगों ने कॉमिक ऐक्टर मान लिया था। लोगों को लगता था कि मैं सिर्फ कॉमिक रोल ही कर सकता हूं। इसलिए मैं प्रूव करना चाहता था कि कॉमिक से अलग रोल भी कर सकता हूं। मैंने प्रूव कर दिया है, लेकिन अभी उसे और पुख्ता करना है। अब मैं सीरियस और स्ट्रॉन्ग रोल ही कर रहा हूं। मैंने महेश मांजरेकर की फिल्म सिटी ऑफ गॉड में स्ट्रांग रोल किया है। मैं प्रवाल रमन की एक फिल्म रूम नंबर 404 कर रहा हूं। अब मेरी नई जर्नी शुरू हो चुकी है, मैं इसे एंज्वॉय कर रहा हूं।
नए ऐक्टर सतीश कौशिक का जन्म कैसे हुआ?
फिरोज अब्बास खान के नाटक सेल्समैन रामलाल ने नए सतीश को जन्म दिया। उस नाटक से मुझे इंटरनेशनल फिल्म ब्रिक लेन मिली। उस फिल्म के लिए मुझे इंटरनेशनल मीडिया के बीच जबरदस्त रिव्यू मिले। वैसा रिव्यू किसी इंडियन ऐक्टर को विदेश में नहीं मिला, लेकिन खुद को प्रमोट न करने के कारण इंडिया में किसी को पता नहीं चला। मेरी दूसरी इंटरनेशनल फिल्म रोड, मूवी को भी विदेश में खूब सराहा गया। टोरंटो, दोहा और बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में फिल्म देखने के बाद लोगों ने थिएटर में खड़े होकर मेरा अभिवादन किया। अभी तक मैंने कॉमर्शियल फिल्मों में काम किया था, लेकिन ब्रिक लेन और रोड, मूवी में लोगों को नया सतीश देखने को मिल रहा है।
आपको नहीं लगता है कि एक्टिंग की व्यस्तता आपको निर्देशन से दूर ले जा रही है?
ऐसी बात नहीं है। मेरी नई फिल्म मिलेंगे मिलेंगे जल्द रिलीज हो रही है। उसमें शाहिद कपूर और करीना कपूर हैं, लेकिन अब मैं गैप लेकर दिल से फिल्म बनाना चाहता हूं। मुझे दुनिया भर के लोगों से तारीफ मिल रही है। मैं नई दुनिया को देख रहा हूं। मैं टोरंटो दो बार होकर आया, दोहा और बर्लिन भी गया। वहां जाकर सिनेमा के बारे में मेरी नई सोच बनी। मैं अगली फिल्म ऐसा बनाना चाहता हूं, जिसे देखकर लोगों को लगे कि वे नए सतीश कौशिक की फिल्म देख रहे हैं। स्क्रिप्ट रेडी है। सितंबर में उसे शुरू करूंगा।
-raghuvendra singh

Thursday, March 18, 2010

मैंने बॉडी भी दिखाई है: आदित्य नारायण

सुभाष घई ने फिल्म परदेस में आदित्य नारायण से दर्शकों का परिचय कराया था। अब वे बड़े हो गए हैं। उन्हें बड़ा होते हुए लोगों ने छोटे पर्दे पर देखा। विक्रम भट्ट की फिल्म शापित से युवा आदित्य अभिनय की नई पारी शुरू करने जा रहे हैं। शापित में आदित्य अभिनेत्री श्वेता अग्रवाल से रोमांस तो करते दिखेंगे ही, वे भूत-प्रेत से भी लड़ते नजर आएंगे। बातचीत आदित्य से..
अमूमन ऐक्टर रोमांटिक फिल्म से डेब्यू करते हैं, लेकिन आपने हॉरर फिल्म से ऐसा करने का फैसला क्यों किया?
मैं ऐसी फिल्म करना चाहता था, जिसकी स्टोरी और स्क्रीनप्ले मुझे एक्साइट करे। शापित की स्टोरी और स्क्रीनप्ले विक्रम जी ने खुद लिखी है। यह आजकल के नॉर्मल कपल की कहानी है, जो सीसीडी और बरिस्ता जाते हैं। विक्रम जी ने इक्कीसवीं सदी के कपल को फैंटसी व‌र्ल्ड में डाल दिया है। यह मुझे मजेदार लगा। यह एंटरटेनिंग हॉरर फिल्म है।
फिल्म की कहानी और अपनी भूमिका के बारे में बताएंगे?
यह अमन और काया की कहानी है। अमन 21 साल का है। वह सीधा-सादा है। काया उसकी पहला प्यार है। अमन कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद काया का हाथ मांगता है। तब उसे पता चलता है कि काया का परिवार शापित है, इसलिए वे उसके साथ शादी नहीं कर सकते। अमन और काया उस आत्मा को ढूंढने निकलते हैं, जो शाप की वजह है। उनके साथ शुभ भी होता है। काया का रोल श्वेता अग्रवाल और शुभ का रोल राहुल देव कर रहे हैं। मैं अमन का रोल कर रहा हूं।
इस फिल्म में आपको परफॉर्म करने का कितना मौका मिला है?
मैंने इसमें सब कुछ किया है। विक्रम जी ने मुझे बताया था। उनसे एक बहुत बड़े ऐक्टर ने कहा था कि मैं आपकी फिल्में देखता हूं, तो पाता हूं कि उसमें कहानी हीरो होता है। आपका हीरो कभी हीरो नहीं होता। जब विक्रम इसकी कहानी लिख रहे थे, तो उन्होंने डिसाइड किया कि इसमें उनका हीरो ही हीरो होगा। मैं लकी हूं कि शापित मुझे मिली। ढाई घंटे की फिल्म में छब्बीस मिनट मैं स्क्रीन पर अकेला हूं। डांस और कॉमेडी को छोड़कर मैंने फिल्म में सब कुछ किया है। मैंने फिल्म में चार गाने गाये हैं। टाइटिल ट्रैक मैंने खुद लिखा, कंपोज किया और गाया भी है। मैंने फिल्म में बॉडी भी दिखाई है। मेरी शो रील है शापित। विक्रम जी भी यही कहते हैं।
एक्टिंग में कुछ लोग शौकिया, तो कुछ पैशन की वजह से आते हैं। आप एक्टिंग में क्यों आए?
मैं ऐक्टर, सिंगर, म्यूजीशियन और ऐंकर हूं, लेकिन मैंने कभी खुद को कैटेगराइज नहीं किया। मुझे संतुष्टि तब मिलती है, जब मेरे सामने कुछ लोग हों और मैं उन्हें एंटरटेन करूं। एक्टिंग इस देश में लोगों को एंटरटेन करने का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है।
विक्रम भट्ट के निर्देशन में काम करने का अनुभव कैसा रहा?
मुझे लगा नहीं था कि विक्रम के साथ मजा आएगा। वे सीरियस दिखते हैं, लेकिन जब मैंने उनके साथ काम शुरू किया, तो पाया कि वे फनी हैं। वे बहुत अच्छे ऐक्टर भी हैं। शूटिंग के दौरान जब मैं फंस जाता था, तो वे सीन करके दिखाते थे। मैं विक्रम जी से बहुत सवाल पूछता था। मैं उनके साथ बैठकर अमित जी और आमिर खान के बारे में पूछता था। उन्होंने बताया कि आमिर गुलाम के क्लाइमेक्स सीन के लिए तेरह दिन तक नहीं नहाये थे। मैं भी शापित के क्लाइमेक्स सीन के लिए सत्रह दिन नहीं नहाया।
पहली फिल्म का प्रेशर महसूस कर रहे हैं?
अब महसूस कर रहा हूं। मैं बहुत अटैच हो गया हूं फिल्म से। मैंने पहली फिल्म को दिल पर ले लिया है। शापित अच्छी बनी है और अच्छी फिल्म को ऑडियंस जरूर मिलती है। मैं कॉन्फिडेंट हूं।
क्या आप भविष्य में टीवी के लिए भी काम करेंगे?
हां, मैं ऐंकरिंग करूंगा। मैं बड़े और बेहतर शो के साथ आऊंगा।
आपकी पसंदीदा हॉरर फिल्में कौन सी हैं?
राज, भूत, डरना मना है, 1920 और राज-2।
-raghuvendra Singh