Saturday, May 30, 2009

फिल्म निर्माताओं के आगे झुका बिग सिनेमा

मुंबई. सात प्रमुख मल्टीप्लेक्स में से बिग सिनेमा ने फिल्म निर्माताओं की सभी मांगों को सशर्त स्वीकार कर लिया है। अब जल्द ही बिग सिनेमा के सभी थिएटरों में फिल्में प्रदर्शित होंगी। शुक्रवार की शाम बिग पिक्चर्स के चेयरमैन अमित खन्ना ने यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स फोरम (यूपीडीफ) के साथ बैठक में समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते के तहत अब निर्माताओं एवं वितरकों को अधिकार होगा कि वे बिग सिनेमा के जिस थिएटर में चाहेंगे, अपनी फिल्में प्रदर्शित करेंगे और इच्छानुसार शो चलाएंगे। हिंदी एवं अंग्रेजी की फिल्मों के लाभांश में अब भेदभाव नहीं होगा। सभी फिल्मों के प्रदर्शन के पहले सप्ताह में 50 प्रतिशत, द्वितीय सप्ताह में 42.5, तृतीय सप्ताह में 37.5 और चौथे सप्ताह में 30 प्रतिशत लाभांश निर्माताओं एवं वितरकों को मिलेगा। जिस राज्य में मनोरंजन कर नहीं लागू होगा, वहां मल्टीप्लेक्स मालिक उसे नहीं लेंगे। निर्माताओं एवं वितरकों ने बिग सिनेमा के साथ समझौता होने के बाद सर्वप्रथम वाशु भगनानी की फिल्म कल किसने देखा प्रदर्शित करने का फैसला किया है।
-रघुवेन्द्र सिंह

Wednesday, May 27, 2009

रोमांटिक फिल्में करने की चाहत-सेलिना जेटली

सेलिना जेटली ने अपने कॅरियर में कॉमेडी फिल्में अधिक की है। आने वाले दिनों में उनकी एक और कॉमेडी फिल्म पेइंग गेस्ट दर्शकों के बीच होगी। प्रस्तुत है सेलिना से बातचीत-
पेइंग गेस्ट किस तरह की फिल्म है?
यह मल्टीस्टारर कॉमेडी है। फिल्म आज की युवा पीढ़ी पर कमेंट करती है। आज लड़के-लड़कियों पर कॉलेज से निकलने के बाद नौकरी का बोझ आ जाता है। वे बड़े शहरों में आकर संघर्ष करने में जुट जाते हैं। पेइंग गेस्ट के तौर पर जीवन जीते हैं।
इसमें आप किस तरह की भूमिका निभा रही है?
मैं थाईलैंड में रह रही पंजाबी फैमिली की लड़की हूं। फिल्म में मुझे ज्यादातर समय डार्लिग कहकर बुलाया जाता है। मेरी भूमिका बहुत मजेदार है। इसे निभाने के लिए मुझे थाई भाषा सीखनी पड़ी।
आप पेइंग गेस्ट के तौर पर रही हैं?
मैं कलकत्ता में दो साल पेइंग गेस्ट के तौर पर रह चुकी हूं। मेरे अनुभव बुरे हैं। करियर के शुरुआती दिनों में मैं मॉडल थी। कलकत्ता में मॉडल को अपने घर में कोई नहीं रखना चाहता था। जो तैयार होते, वे पहले दस हजार रुपए एक्स्ट्रा मांगते और शर्ते अलग से रखते थे। बड़ी मुश्किल से एक महिला ने मुझे अपने घर में रहने की इजाजत दी। उसने कहा कि तुम्हे या तो अपने बाल काटकर छोटे करने पड़ेंगे या फिर दो चोटी बनाकर रखना पड़ेगा। स्थिति यह थी कि मैं रात को अपने घर जाने से डरती थी। काम खत्म होने के बाद आधी रात को दोस्तों को फोन करती और उनके यहां ठहरने की गुजारिश करती थी। मैंने दो साल के भीतर कलकत्ता में आठ ठिकाने बदले।
परितोष पेंटर की यह पहली फिल्म है। उनके निर्देशन में काम करने का अनुभव कैसा रहा?
परितोष थिएटर पृष्ठभूमि के हैं। यह फिल्म उन्हीं के लोकप्रिय नाटक पेइंग गेस्ट पर बनी है। वे शूटिंग के दौरान हमें इतना तक बता देते थे कि पात्र के चलने का अंदाज कैसा होगा? उनके निर्देशन में काम करते हुए मैंने एंज्वॉय किया।
पेइंग गेस्ट के बाद किन फिल्मों में दर्शक आपको देख सकेंगे?
इसके बाद मुक्ता आटर््स की फिल्म हैलो डार्लिग आएगी। फिर रन भोला रन, शो मैन और चाय गरम फिल्में प्रदर्शित होंगी। हाल में मैंने एक थ्रिलर फिल्म एक्सीडेंट ऑन हिल रोड साइन की है। उसमें मैं निगेटिव भूमिका निभा रही हूं। मैं शुद्ध रोमांटिक फिल्म करना चाहती हूं। मेरी ख्वाहिश है कि दिलीप कुमार के साथ एक रोमांटिक फिल्म में काम करूं।
आजकल आप गे समाज के पक्ष में खुलकर आवाज उठा रही हैं। इसके पीछे क्या कारण है?
मैं कॉलेज के दिनों से गे समाज को सपोर्ट कर रही हूं। अब मैं सेलेब्रिटी बन गयी हूं इसलिए लोग मेरी बातों को ध्यान से सुन रहे हैं। यह मुद्दा मेरे दिल के बेहद करीब है। दरअसल, मैं करियर के शुरूआती दिनों में कलकत्ता में अकेले रहती थी। वहां मेरा अपना कोई नहीं था। उस समय एक गे मेकअप आर्टिस्ट ने मेरी बहुत सहायता की। वे मां की तरह मेरा खयाल रखते थे। मैंने निजी जीवन और दुनिया के बारे में उनसे बहुत कुछ सीखा है। उन्हीं की वजह से मैं मिस इंडिया बनी। उन्होंने ही मिस इंडिया का फार्म भरकर भेजा था। मैं आज इस मुकाम पर उनकी वजह से हूं। मेरे बहुत सारे गे दोस्त हैं। मैं चाहती हूं कि समाज उन्हें स्वीकार करे।
-रघुवेन्द्र सिंह

अपने लिये जगह बनानी है-वैशाली देसाई/ naya chehara

वैशाली देसाई की पहली फिल्म कल किसने देखा प्रदर्शन के लिये तैयार है। इसमें वे वासु भगनानी के बेटे जैकी भगनानी के साथ ग्लैमरस अंदाज में नजर आएंगी।
वैशाली देसाई मॉडलिंग इंडस्ट्री से है। वे 2005 में मिस इंडिया कांटेस्ट की प्रतियोगी रह चुकी हैं। विवेक शर्मा निर्देशित फिल्म कल किसने देखा और अपने कॅरियर से जुड़ी तमाम बातों से वैशाली अवगत करा रही हैं-
[अचानक एक्टिंग में आयी]
मैं साइकैट्रिस्ट बनना चाहती थी, लेकिन 2005 में मिस इंडिया कांटेस्ट में हिस्सा लेने के बाद अचानक मेरी दिशा बदल गयी। मॉडलिंग के प्रस्ताव आने लगे और मैंने उन्हें स्वीकार करना शुरू कर दिया। उसके बाद मैंने कुमार सानू के म्यूजिक वीडियो ऐसे ना देखो मुझे और यूरोफिया बैंड के वीडियो में काम किया। मैंने प्रदीप सरकार के साथ भी म्यूजिक वीडियो महफूज में काम किया है। इस तरह एक्टिंग की तरफ मेरा रूझान बढ़ता गया।
[ड्रीम डेब्यू है]
मैं तीन साल पहले मुंबई आयी। उसके बाद मैंने अनुपम खेर के एक्टिंग स्कूल से एक माह का एक्टिंग कोर्स किया। मॉडलिंग के दिनों में मेरे एक मित्र ने निर्देशक विवेक शर्मा से मुलाकात करवायी थी। वाशु भगनानी से उन्होंने मेरा परिचय कराया। कल किसने देखा का हिस्सा बनकर मैं बहुत खुश हूं। मुझे फिल्म में अपनी एक्टिंग और डांस प्रतिभा दिखाने का पूरा मौका मिला है। यह मेरे लिये ड्रीम डेब्यू है।
[मेरा किरदार]
कल किसने देखा सस्पेंस थ्रिलर है। मैं इसमें निशा की भूमिका निभा रही हूं। वह धनी परिवार की घमंडी लड़की है। मैं वैसी बिल्कुल नहीं हूं। इस फिल्म में मेरे ओपोजिट जैकी भगनानी हैं। हम दोनों की यह पहली फिल्म है। एक्टिंग में मैं अपना सम्मानित स्थान बनाना चाहती हूं। यह मेरा आत्मविश्वास है। मैं शाहरुख खान, रितिक रोशन और रणबीर कपूर के साथ खुद को स्क्रीन पर देखना चाहती हूं।
[काम का अनुभव]
जैकी के साथ काम का अनुभव बहुत ही खूबसूरत रहा। उम्मीद है कि जैकी के साथ मेरी केमेस्ट्री सिल्वर स्क्रीन पर खूब जचेगी। हम लोगों ने विदेशी लोकेशनों पर खूब इंज्वाय किया। कहानी भी ऐसी है जो हर युवा को आकर्षित करेगी। हमारे निर्देशक विवेक शर्मा भी बहुत ही सिंसियर है। उनके निर्देशन में काम करके ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता कि वे न्यू कमर को डायरेक्ट कर रहे है।
[अमिनय से है पुराना रिश्ता]
मैं बंगलौर में पली-बढ़ी हूं। फिल्म इंडस्ट्री से मेरा पुराना रिश्ता है। मनमोहन देसाई मेरे डैड के मामा थे। किसी भी प्रोजेक्ट के लिए हां कहने से पहले मैं उनके परिवार की सलाह जरूर लेती हूं।
-रघुवेन्द्र सिंह

मुझमें हेमा जी को ढूंढ़ने की कोशिश न करें-अंजोरी अलघ

अंजोरी अलघ ने की चर्चा इन दिनों हेमा मालिनी अभिनीत फिल्म सीता और गीता पर बने इमेजिन चैनल के धारावाहिक सीता और गीता में हेमा जी जैसा दोहरा किरदार निभाने को लेकर है। वे कहती हैं, मैं हेमा जी और उनकी इस फिल्म की बचपन से प्रशंसक हूं। फिल्मों में सीता और गीता जैसी भूमिका निभाने का मौका कम अभिनेत्रियों को मिला है। यह चुनौतीपूर्ण भूमिका है। यदि सीरियल सीता और गीता फिल्म का रीमेक नहीं होता, तो मैं कभी हां नहीं कहती। मेरी प्राथमिकता फिल्में हैं।
अंजोरी बताती हैं, सीरियल साइन करने के बाद मैंने यह फिल्म चार बार और देखी। मैं हेमा जी के अभिनय से प्रभावित हुई। उनसे काफी कुछ सीखा, लेकिन मैंने प्रण किया है कि मैं उनकी नकल बिल्कुल नहीं करूंगी। सीता और गीता एक-दूसरे के विपरीत किरदार हैं। मैंने उन्हें निभाने के लिए बहुत मेहनत की। मैं दर्शकों से विशेष तौर पर गुजारिश करना चाहूंगी कि वे मुझमें हेमा जी को ढूंढ़ने की कोशिश न करें। सीरियल देखते समय सीता और गीता को देखें, न की हेमा मालिनी को।
सीरियल को लेकर हेमा जी से हुई मुलाकात के संदर्भ में अंजोरी कहती है, हेमा जी ने मेरी हौसला अफजाई की। उन्होंने कहा कि मैं खुश हूं कि आप मेरे दोनों किरदारों को निभा रही हैं। मेरा आशिर्वाद आपके साथ है। मुझे उम्मीद है कि आप मुझे निराश नहीं करेंगी। हेमा जी के उन शब्दों से मेरी हिम्मत बढ़ गयी। मैं लकी हूं कि मुझे हेमा जी का आशिर्वाद मिला। उनके साथ शूटिंग करने का मौका मिला। वे सपोर्टिव नेचर की महिला हैं।
सीता और गीता में राका का किरदार गौरव और सिजेन खान सूरज का किरदार निभा रहे हैं। कम समय में हम अच्छे दोस्त बन गए हैं। गौरव हमेशा मुझे हंसाते हैं। सिजेन सीनियर कलाकार हैं। मैं उनसे अभिनय के टिप्स लेती रहती हूं। वे स्वीट और प्रोफेशनल हैं। अब ईश्वर से यही प्रार्थना कर रही हूं कि फिल्म की तरह दर्शकों को सीरियल भी पसंद आए।
अंजोरी सीता और गीता के अलावा कोई अन्य टीवी कार्यक्रम नहीं करेंगी। वे कहती हैं, मैं अपना भविष्य फिल्मों में देखती हूं। इस सीरियल की समाप्ति के बाद मैं फिल्मों में वापस लौट जाऊंगी। मेरी फिल्म मुक्ति की शूटिंग पूरी हो चुकी है। जल्द ही वह प्रदर्शित होगी। मैं कुछ और फिल्में भी कर रही हूं, लेकिन अभी उनके बारे में बात नहीं करना चाहूंगी।
-रघुवेन्द्र सिंह

भावुक हो जाती हूं मैं-विद्या बालन

विद्या बालन इतनी संवेदनशील एवं भावुक अभिनेत्री हैं कि वह किसी की जुदाई बर्दाश्त नहीं कर पातीं। प्रत्येक फिल्म की शूटिंग के आखिरी दिन उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। अभिषेक चौबे निर्देशित विशाल भारद्वाज की फिल्म इश्कियां के सेट पर ऐसा दृश्य देखने को मिला। जब इस संदर्भ में विद्या बालन से पूछा गया, तो उन्होंने रूंआसी आवाज में कहा, फिल्म की शूटिंग करते हुए मुझे निर्देशक, सह-कलाकारों एवं यूनिट के सदस्यों से विशेष लगाव हो जाता है। जिस दिन शूटिंग का आखिरी दिन होता है, बरबस ही मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं। मैं भाव-विह्वल हो जाती हूं। पहली फिल्म परिणीता से मेरी यह आदत है। हर फिल्म की शूटिंग का आखिरी दिन मेरे लिए दुख भरा होता है। सच कहूं, तो मुझसे जुदाई बर्दाश्त नहीं होती। मैं बहुत भावुक हूं।
गौरतलब है कि इश्किया में विद्या बालन नसीरूद्दीन शाह एवं अरशद वारसी के साथ स्क्रीन शेयर करती दिखाई देंगी। इस फिल्म में ग्रामीण युवती की भूमिका निभा रही हैं। विद्या को इस फिल्म के रिलीज होने का बेसब्री से इंतजार है।
वैसे विद्या की व्यस्तता में कोई कमी नहीं है। अब वह अपनी नई फिल्मों पा एवं चिनाब गांधी की शूटिंग आरंभ करने जा रही हैं, बालकृष्णन की फिल्म पा में वह अमिताभ बच्चन एवं अभिषेक बच्चन के साथ नजर आएंगी। वहीं संजय लीला भंसाली की फिल्म चिनाब गांधी में जॉन अब्राहम के साथ काम करेंगी।
-रघुवेन्द्र सिंह

आने वाला कल सुखदायी होगा-नारायणी शास्त्री

नारायणी शास्त्री रीयल चैनल के सीरियल नमक हराम में आईपीएस अधिकारी की भूमिका निभा रही हैं। उनका नॉन ग्लैमरस अंदाज और दमदार अभिनय दर्शकों के बीच सराहा जा रहा है। नारायणी खुशी व्यक्त करती हैं, दर्शकों को मेरा काम अच्छा लग रहा है। मुझे और क्या चाहिए? मैंने अपने करियर में हमेशा एक-दूसरे से भिन्न भूमिकाएं करने का प्रयास किया हैं और खुशी की बात यह है कि दर्शकों ने हमेशा मेरे काम की सराहना की है।
नमक हराम की कहानी विवाहित जोड़े स्वाति और करन सहगल के इर्द-गिर्द घूमती है। सीरियल एवं अपनी भूमिका के बारे में नारायणी कहती हैं, सीरियल की कहानी नयी है। खास बात है कि यह सास-बहू का नाटक नहीं है। स्वाति के पति करन बिजनेसमैन हैं। दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं, लेकिन उनके बीच सिद्धांतों की लड़ाई चलती रहती है। सीरियल के निर्माता ने जब मुझसे संपर्क किया तो मैंने तुरंत हां कह दिया था। दरअसल, मुझे अंदाजा हो गया था कि टीवी के दर्शक ऐसा ही नया सीरियल देखना चाहते हैं। नारायणी अब तक कहानी सात फेरों की, क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कुसुम और पिया का घर आदि सीरियल में काम कर चुकी हैं। वे अपने अब तक के सफर से संतुष्ट हैं।
नारायणी व्यक्तिगत जीवन के बारे में बात करना पसंद नहीं करती हैं। वे काम और सह-कलाकारों के बारे में बातें करती हैं। नमक हराम में वे पहली बार सचिन त्यागी के साथ काम कर रही हैं। उनके साथ अनुभव के बारे में वे कहती हैं, सचिन के साथ मेरी अच्छी केमिस्ट्री है। दर्शक हमारी जोड़ी को पसंद कर रहे हैं। हम दोनों अपने-अपने काम में शत प्रतिशत देते हैं। सचिन अच्छे अभिनेता है।

-रघुवेन्द्र सिंह

Thursday, May 21, 2009

शोले जैसा हश्र न हो सीता और गीता का-हेमा मालिनी

फिल्म सीता और गीता हेमा मालिनी के करियर की खास फिल्म है। इसमें सीता की सहमी और तेज-तर्रार गीता की भूमिका में ड्रीम गर्ल को हर उम्र के लोगों ने पसंद किया था। हेमा को उम्दा अभिनेत्री के तौर पर पहचान दिलाने में इस फिल्म की अहम भूमिका रही। वे स्वयं यह बात स्वीकार करती हैं, फिल्म सीता और गीता मेरी यादगार फिल्मों में से एक है। उसने वर्सटाइल ऐक्ट्रेस के रूप में मेरी पहचान बनाई। मेरी लोकप्रियता बढ़ाने में उस फिल्म की अहम भूमिका है। लोग आज भी उस फिल्म को भूले नहीं हैं। यही कारण है कि जब मुझे इस बात की जानकारी मिली की इस फिल्म पर टीवी सीरियल बन रहा है, तो मैं डर-सी गई। उल्लेखनीय है कि सीता और गीता फिल्म पर इसी नाम से पच्चीस मई से एनडीटीवी इमेजिन पर एक सीरियल प्रसारित होने जा रहा है। उसमें अभिनेत्री अंजोरी अलघ हेमा वाली दोहरी भूमिका निभा रही हैं। हेमा आगे कहती हैं कि कुछ समय पहले फिल्म शोले का रिमेक रामगोपाल वर्मा ने रामगोपाल वर्मा की शोले बनाया था। वह फिल्म देखकर मैं बुरी तरह डर गई। वह डर अभी तक मेरे मन मैं बैठा हुआ है। शुक्र है कि सीता और गीता की कहानी सीरियल में आ रही है। मैं खुश हूं। पहली बार किसी फिल्म का रिमेक सीरियल के रूप में हो रहा है। शोले का भी रिमेक सीरियल के रूप में होना चाहिए था। हेमा मालिनी आगे कहती हैं किअंजोरी खूबसूरत और अच्छी अभिनेत्री हैं, लेकिन मुझे डर है कि लोग उनकी तुलना मुझसे जरूर करेंगे। मेरी नजर में यह गलत होगा। बहरहाल, अब अंजोरी की परफॉर्मेस पर निर्भर करेगा कि वे सीता और गीता को कितना यादगार बना पाती हैं। मैंने उन्हें सलाह दी है कि वे मुझे कॉपी करने का प्रयास न करें। उनमें और मुझमें बहुत फर्क है। यदि वे यह बात समझ गई, तो संभव है कि कुछ अच्छा कर जाएं। मैंने सुना है कि धरम जी और संजीव कुमार जी के रोल के लिए जिन कलाकारों गौरव और सिजेन खान को चुना गया है, वे अच्छे हैं। उम्मीद करती हूं कि फिल्म की तरह सीरियल भी हर उम्र के लोगों को पसंद आएगा और शोले जैसा हश्र सीता और गीता का नहीं होगा।
रघुवेन्द्र सिंह

Tuesday, May 19, 2009

अब ब्लाग लिखेंगी अमृता राव

कई नामचीन सितारों के बाद अब अबिनेत्री अमृता राव ने अपना ब्लाग शुरू करने का फैसला किया है. अमृता राव ने बताया, मुझे बचपन से लेखन का शौक है. उस शौक को पूरा करने के लिए मैं ब्लाग शुरू करने जा रही हूँ. मैं जल्द ही अपनी आफिशिअल वेबसाइट लांच करुँगी. वहीँ मेरा ब्लाग होगा. ब्लाग के जरिये मैं अपने प्रशंसकों से सीधा संबंध स्थापित करुँगी. मैं ब्लाग पर अपने दिल की बात कहूँगी और अपनी गतिविधियों के बारे मैं जानकारी दूंगी. मैं किसी से प्रभावित होकर ब्लाग लेखन नहीं शुरू कर रही हूँ. मुझे अपनी बात कहने का यह सरल माध्यम प्रतीत हो रहा है.

-रघुवेन्द्र सिंह

Monday, May 18, 2009

राजनीति से फुर्सत पाते ही शूटिंग में लगे संजू बाबा

मुंबई : चुनावी व्यस्तताओं से निपटते ही समाजवादी पार्टी के महासचिव संजय दत्त पुराने पेशे में सक्रिय हो गए हैं। आजकल वह गोवा में रोहित शेट्टी के निर्देशन में फिल्म आल द बेस्ट-फन बिगिंस की शूटिंग कर रहे हैं। यह कामेडी फिल्म है। इसमें संजय दत्त के साथ अजय देवगन, फरदीन खान, बिपाशा बसु और मुग्धा गोड्से प्रमुख भूमिकाओं में हैं। संजय दत्त ने समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद शूटिंग स्थगित कर दी थी। पिछले कुछ महीनों से वह सपा के लिए चुनाव प्रचार में व्यस्त थे। आल द बेस्ट-फन बिगिंस का यह सेकेंड शेड्यूल है। गोवा में समुद्र के किनारे संजय दत्त अपने सह-कलाकारों के साथ कोरियोग्राफर बोस्को-सीजर के नृत्य निर्देशन में गाने की शूटिंग कर रहे हैं। अजय देवगन निमिर्त आल द बेस्ट-फन बिगिन्स इस वर्ष १६ अक्टूबर को दिवाली के मौके पर प्रदर्शित होगी।

-रघुवेन्द्र सिंह

प्रकाश मेहरा की साफगोई के कायल हैं बिग बी

मुंबई: प्रकाश मेहरा को फिल्म जगत ने सोमवार को भावभीनी विदाई दी। उनकी जंजीर फिल्म के जरिये रूपहले पर्दे पर एंग्री यंग मैन की छवि पाने वाले महानायक अमिताभ बच्चन ने तो उन्हें अपने ब्लाग के जरिये भी याद किया। सोमवार दोपहर तीन बजे ओशिवारा स्थित श्मशान स्थल पर मेहरा का अंतिम संस्कार किया गया। रविवार की सुबह उनका निधन हो गया था। बड़े बेटे सुमित के अमेरिका में होने के कारण रविवार को उनका अंतिम संस्कार नहीं हो सका था। दोपहर दो बजे प्रकाश मेहरा के जुहू स्थित निवास स्थान से उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई। इसमें यश चोपड़ा, संजय खान, सलीम खान, रमेश सिप्पी, कल्याण जी, बप्पी लाहिरी, मधुर भंडारकर, रंजीत और भरत शाह सहित फिल्म जगत की कई नामचीन हस्तियां मौजूद थीं। अमिताभ बच्चन भी बेटे अभिषेक के साथ श्मशान स्थल पहुंचे। अमिताभ ने अपने ब्लाग पर प्रकाश मेहरा को याद करते हुए लिखा है कि उन्होंने एक दोस्त और एक सहयोगी हमेशा के लिए खो दिया है। साथ ही, मेहरा के निधन से सिनेमा का एक पूरा युग तो खत्म हो ही गया है। प्रकाश मेहरा से पहली मुलाकात याद करते हुए बिग बी ने लिखा है कि वह उनसे 1971 में मुंबई के राजकमल स्टूडियो में पहली बार फिल्म जंजीर के सिलसिले में मिले थे। उसके बाद जितनी फिल्में हमने साथ कीं, उनमें से केवल जादूगर ही फ्लाप रही। जादूगर की रिलीज के बाद मेहरा ने बड़ी साफगोई से कहा कि लाला (बिग बी को मेहरा प्यार से लाला ही बुलाते थे) गड़बड़ हो गई है।
संगीतकार बप्पी लाहिरी ने प्रकाश मेहरा की मृत्यु पर शोक प्रकट करते हुए कहा, प्रकाश जी से मेरा आत्मा का संबंध था। वे मेरे बड़े भाई समान थे। यदि मैं लंदन में होता था और वे मुझे फोन करते थे तो मैं भागकर आ जाता था। उनके साथ फिल्म शराबी में काम करते हुए मैंने पाया कि वे संगीत के पारखी थे. उनकी फिल्मों जंजीर, मुकद्दर का सिकंदर, शराबी, नमक हलाल का संगीत आज भी लोग चाव से सुनते हैं। उनका संगीत हमेशा अमर रहेगा। उन्हें हम कभी भूल नहीं पाएंगे। संगीतकार आनंद जी ने कहा, प्रकाश मेहरा हमारे बीच नहीं रहे तो &प्त128;या हुआ? उनका काम और उनकी यादें हमारे बीच हमेशा रहेंगी। मैं दो दिन पहले उनसे मिलने अस्पताल में गया था। वे बोल नहीं पा रहे थे। उन्होंने इशारों में कहा कि वे जल्द ही ठीक होकर घर लौट जाएंगे। वे बहुत भावुक और समर्पित इंसान थे। पिछले कुछ वर्षो से वे शांत रहते थे। युवा फिल्मकार मधुर भंडारकर प्रकाश मेहरा की मृत्यु को फिल्म जगत की बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा, प्रकाश जी की फिल्मों में ड्रामा, कंटेंट और गीत-संगीत का उम्दा मिश्रण होता था। वे एक्शन, कॉमेडी और रोमांटिक हर विधा की फिल्म बनाने में निपुण थे। हिंदी सिनेमा में उनका योगदान सराहनीय है। चांदनी बार फिल्म के प्रदर्शन के बाद मेरी उनसे मुलाकात हुई थी। उन्होंने मेरे काम की सराहना की थी। मैं बचपन में उनकी फिल्म नमक हलाल के सेट पर अक्सर जाता था। मेरे जेहन में वे और उनकी फिल्में हमेशा रहेंगी।
-रघुवेन्द्र सिंह

अभिनय को निखारने का जज्बा

रोनित राय का अभिनय यह दर्शाता है कि उनमें बढ़ती उम्र के साथ अभिनय को निखारने का जज्बा है। रोनित प्रसन्नता के साथ अपने किरदार के संदर्भ में कहते हैं, धर्मराज मेरे करियर की चुनौतीपूर्ण, यादगार एवं प्रभावी भूमिका है। धर्मराज देसी पात्र है। उसकी भाषा, पहनावे और व्यवहार में देसी पन है। उसका अपना स्टेटस है। ऐसी भूमिका मैं पहली मर्तबा निभा रहा हूं।
कसौटी जिंदगी की सीरियल में मिस्टर बजाज की भूमिका के लिए मैंने उर्दू सीखी थी। वह धर्मराज के लिए काम नहीं आयी, बल्कि इसके लिए मैंने अब तक जो कुछ सीखा था, सब भुलाना पड़ा। धर्मराज हिंदी बोलता है जिसमें गुजराती टच है। वह टोन लाने के लिए मैंने गुजराती लोगों के बातचीत के तरीके पर गौर किया। धर्मराज ने मुझे निजी तौर पर प्रभावित किया है।
इमेजिन पर प्रसारित बंदिनी में ज्यादातर नए कलाकारों को मौका मिला है। रोनित इसमें एकमात्र सीनियर एक्टर हैं। सेट पर कैसा माहौल रहता है? इस पर रोनित प्रतिक्रिया देते हैं, मेरी सोच दबदबा बनाने वाली नहीं है। माना कि मैं वरिष्ठ कलाकार हूं, लेकिन मैं किसी पर हावी होने की कोशिश नहीं करता हूं। मैं नए कलाकारों से सीखता हूं और यदि उन्हें कुछ गलत काम करते हुए देखता हूं, तो उन्हें समझाता हूं। मैं नए कलाकारों को प्रोत्साहित करता हूं। जब मैं इस क्षेत्र में आया था तब मुझे कोई सही मार्ग दिखाने वाला नहीं था। आज मेरे पास अनुभव है। मैं उस अनुभव का लाभ नयी पीढ़ी के कलाकारों को देने की कोशिश करता हूं।
रोनित ने अभिनय करियर की शुरुआत फिल्म जान तेरे नाम से की थी। बाद में उन्होंने सीरियल में काम करना शुरू किया। पिछले दिनों उन्हें फरहान अख्तर अभिनीत लक बाई चांस में मेहमान भूमिका में देखा गया। इस संदर्भ में रोनित कहते हैं, निर्माता रितेश सिधवानी मेरे मित्र हैं। उनके कहने पर मैंने लक बाई चांस में छोटी सी भूमिका की। गत चार सालों में मुझे कई फिल्मों के प्रस्ताव मिले, लेकिन मुझे उनमें दम नहीं दिखा। मैं फिल्मों में चुनौती भरी भूमिकाएं निभाना चाहता हूं। आजकल बातें चल रही हैं। उम्मीद है, जल्द ही मैं फिर बड़े पर्दे पर दिखूंगा।
रोनित के छोटे भाई रोहित राय निर्देशन में कदम रख चुके हैं। क्या रोनित उस दिशा में कदम बढाएंगे, जवाब में वे कहते हैं, मेरे पास समय का अभाव है। मैं दिन में सोलह घंटे शूटिंग करता हूं। मेरा सिक्योरिटी एजेंसी का बिजनेस है, उसके लिए समय निकालता हूं और बाकी समय परिवार के साथ रहता हूं। रोहित की तरह मैं हर काम के लिए समय नहीं निकाल सकता। मैं किसी दौड़ का हिस्सा नहीं हूं। मैं कम मगर गुणवत्तापूर्ण काम करने में विश्वास करता हूं।
रोनित अपनी व्यक्तिगत एवं प्रोफेशनल जिंदगी से संतुष्ट हैं। छोटे पर्दे के बिग बी कहे जाने के बारे में पूछने पर वे हंसते हुए कहते हैं, अमिताभ बच्चन जिस स्थान पर हैं, वहां मुझे पहुंचने में पचास साल और लग जाएंगे। उनसे मेरी तुलना करना गलत है। दूसरी तरफ जब लोग एक लीविंग लीजेंड से मेरी तुलना करते हैं तो मुझे बहुत खुशी होती है साथ ही, उत्तरदायित्व बढ़ जाता है। बिग बी के नाम की फिक्र बढ़ जाती है। मेरी कोशिश यही है कि दर्शकों ने जो प्यार और सम्मान दिया है, खुद को उसके योग्य साबित करता रहूं।
-रघुवेन्द्र सिंह

Saturday, May 16, 2009

मैं थी शरारत का पिटारा: माही गिल/बचपन

'देव डी' और 'गुलाल' फिल्म से दर्शकों का दिल जीतने वाली अभिनेत्री माही गिल नन्हीं उम्र में वैज्ञानिक बनने का सपना देखा करती थीं, लेकिन किस्मत अभिनय में ले आयी। सप्तरंग के पाठकों से माही शेयर कर रही हैं अपने चुलबुले बचपन की बातें-
[रहती थी चाचा-चाची के पास]
मैं अपने गांव की सबसे शरारती बच्ची थी। लोग मुझे शरारत का पिटारा कहते थे। गांव में मैं अपने चाचा-चाची के पास रहती थी। दरअसल, उनकी कोई संतान नहीं थी इसीलिए उन्होंने काफी समय तक मुझे अपने पास रखा। उन्हीं की देख-रेख में मैंने बचपन का अनमोल दौर जिया है।
[भैंस भी चराई है बचपन में]
मैं बचपन में दोस्तों के साथ भैंस चराने जाती थी। नदी में खूब नहाती थी। मैंने तैराकी वहीं सीखी। भैंसों को घर लाने के बाद उन्हें नाद पर बांधती और फिर चारा-पानी करती थी। मैंने गोबर के उपले भी पाथे हैं। बचपन में मैं साइकिल बहुत चलाती थी। खेतों की जुताई के वक्त ट्रैक्टर पर जरूर बैठती थी। बाद में मैं खुद ट्रैक्टर चलाना सीख गयी थी। चंडीगढ़ आने के बाद भी मैं गर्मी की छुंट्टी में गांव अवश्य जाती थी।
[डरती थी गणित से]
मैंने चंडीगढ़ के संत कबीर स्कूल से पढ़ाई की है। मैं पढ़ने में अच्छी थी। इतिहास और भूगोल विषय पढ़ने में मेरा खूब मन लगता था, लेकिन गणित का नाम सुनते ही पसीने छूटने लगते थे। गणित से मैं बहुत डरती थी। मैंने हर कक्षा प्रथम दर्जे में पास की है। हॉकी, फुटबॉल और बॉस्केट बॉल मेरे पसंदीदा खेल थे। बाद में मम्मी-पापा ने मुझे हॉस्टल में डाल दिया।
[हॉकी से करती थी पिटाई]
हॉस्टल में जाने के बाद मेरी शरारतें और बढ़ गयीं। वहां मैंने अपनी गैंग बना ली थी। जो कोई हमसे टकराता, उसकी हॉकी स्टिक से जमकर पिटाई करते थे। एक बार हमारी विरोधी गैंग ने हमसे पंगा ले लिया था। फिर क्या था? मैंने अपनी दोस्तों के साथ मिलकर हॉकी स्टिक से उनकी टांगें तोड़ दीं। बाद में स्कूल प्रशासन को दखलंदाजी करनी पड़ी और फिर हमारे बीच सुलह हुई।
[प्रभावित थी लेडी डायना से]
बचपन में मैं रात को छत पर सोती थी। देर रात तक सितारों को देखती रहती थी। उनसे प्यार इतना बढ़ा कि मैं वैज्ञानिक बनने के सपने देखने लगी। थोड़ी बड़ी हुई तो लेडी डायना, रेखा तथा जीनत अमान से प्रभावित हुई। उन्हीं की तरह बनने के सपने संजोने लगी।
[मिस करती हूं बचपन]
मैंने बचपन को बहुत अच्छी तरह जिया है इसलिए आज उस समय को मिस करती हूं। जब मैं सत्रह वर्ष की थी तब पहली बार लगा कि अब मैं बड़ी हो गयी। बचपन में खाने-पीने पर ध्यान अधिक रहता था, लेकिन बड़े होने पर सजने-संवरने का शौक हो गया। मैं बच्चों से कहना चाहूंगी कि वे बचपन को जी भर के जीएं, क्योंकि वे पल दोबारा नहीं आते।
-रघुवेंद्र सिंह

Thursday, May 14, 2009

सबको डराएंगी रिया

खूबसूरत अभिनेत्री रिया सेन ने अब डर के जरिए दर्शकों का मनोरंजन करने का फैसला किया है। उन्होंने हाल ही में हॉरर कॉमेडी फिल्म शादी ऑफ द डेड साइन की है। इस फिल्म के निर्माता मनमोहन शेंट्टी हैं।
रिया सेन फिल्म के बारे में उत्साह से कहती हैं, मैंने अब तक अधिकतर कॉमेडी फिल्मों में काम किया है, लेकिन अब मैं बदलाव चाहती हूं। यही वजह है कि मैंने शादी ऑफ द डेड साइन की है। मेरे कॅरियर की यह पहली हॉरर कॉमेडी फिल्म है। मैं इसे साइन करके बहुत खुश हूं।
इसके निर्देशक पवन हैं और यह उनकी पहली फिल्म है। मैं इसमें एक फिल्म अभिनेत्री की भूमिका निभा रही हूं। फिल्म में मेरे नायक पूरब कोहली हैं। इस फिल्म की शूटिग इस माह के अंत में शुरू हो जाएगी।
रिया बात जारी रखती हैं, वैसे शादी ऑफ द डेड पूरी तरह से हॉरर फिल्म नहीं है। इसमें कॉमेडी का पुट भी है। दरअसल, मुझे हँसना और हँसाना अच्छा लगता है। इसी कारण मैं कॉमेडी फिल्मों को प्राथमिकता देती हूं।
अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि तुम कॉमेडी फिल्में करके बोर नहीं होती? इस पर मेरा जवाब होता है कि जिस काम में आपका दिल लगता है, उससे भला कोई बोर कैसे हो सकता है। मुझे यकीन है कि लोगों को उनके उस सवाल का जवाब शादी ऑफ द डेड से मिल जाएगा। इसमें मेरा एक अलग अंदाज दर्शकों को देखने को मिलेगा।
मैं खुश हूं कि निर्माता-निर्देशक मुझे लेकर नए प्रयोग करना चाहते हैं और वे मुझे अलग किस्म की फिल्मों में नयी भूमिकाएं निभाने का मौका दे रहे हैं। रिया को देखकर दर्शक डरते है या फिल्म निर्माता, यह तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा। फिलहाल तो हम उनके सुनहरे भविष्य की कामना ही कर सकते है।
-रघुवेन्द्र सिंह

Tuesday, May 12, 2009

शादी अभी नहीं...ईशा कोप्पिकर

अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर ने ब्वॉयफ्रेंड टिम्मी नारंग से विवाह करने का फैसला कर तो लिया है, लेकिन अभी कुछ मुश्किलें हैं। बावजूद इसके वे अब अपनी लव लाइफ के बारे में खुलकर बात कर रही हैं। ईशा कहती हैं, मैंने पहले कहा था कि जिस दिन मुझे जीवनसाथी मिल जाएगा, मैं उसके बारे में दुनिया को जरूर बताऊंगी। मुझे यह बिल्कुल पसंद नहीं कि लोग मेरी पीठ पीछे तरह-तरह के किस्से बनाएं। यह सच है कि मैं टिम्मी से प्यार करती हूं। दरअसल, मुझे अपने हमसफर में जो खूबियां चाहिए थीं, वह सब टिम्मी में हैं। वे मेरी हर छोटी से छोटी खुशी का खयाल रखते हैं। मेरी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं। लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि पहले उन्हें आध्यात्म में यकीन नहीं था, लेकिन अब वे इन बातों में यकीन करने लगे हैं। उनमें यह बदलाव पिछले दिनों मेरे साथ चेन्नई की एक यूनिवर्सिटी में आयोजित आध्यात्मिक समागम में हिस्सा लेने के बाद आया है। वहां यूनिवर्सिटी की फाउंडर श्री अम्मा भगवान ने हमें आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि हमारी जोड़ी बहुत प्यारी है। हम साथ खुश रहेंगे। उनकी यह बात सुनकर हम दोनों के चेहरे खुशी से खिल उठे।
ईशा के ब्वॉयफ्रेंड टिम्मी रेस्टोरेंट के बिजनेस में सक्रिय हैं। इन दोनों की मुलाकात कॉमन फ्रेंड प्रीति जिंटा और लीना मोगरे ने करवाई। आजकल चर्चा है कि ईशा बहुत जल्द टिम्मी के संग सात फेरे लेंगी। वे अपने विवाह की तैयारियों में जुट चुकी हैं। इस बारे में वे कहती हैं, शादी.. अभी नहीं। इस साल मेरा विवाह करने का इरादा नहीं है। हम दोनों एक-दूसरे के साथ खुश हैं और अपनी लव लाइफ को एंज्वॉय कर रहे हैं। हम विवाह जरूर करेंगे, लेकिन अगले साल। पिछले दिनों पता नहीं कहां से यह बात मीडिया में आ गई कि मैं इसी वर्ष नवंबर में विवाह करने जा रही हूं, जो अफवाह है। हमें विवाह की जल्दबाजी नहीं है। मैंने तय किया है कि अभी अपना ध्यान करियर पर लगाऊंगी। इस वर्ष मेरी कई अच्छी फिल्में आ रही हैं। मैं उनके प्रदर्शन और दर्शकों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही हूं।
वर्ष 2009 को ईशा अपने करियर के लिए बेहद खास मानती हैं। इस वर्ष उनकी हेलो डार्लिग, हर पल, शबरी और राइट या रॉन्ग रिलीज होंगी। ईशा खुशी प्रकट करती हैं, इस वक्त मेरी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ बहुत अच्छी गुजर रही है। मेरी खुशी का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। इस वर्ष मेरी फिल्मों का लाइनअप बेहतरीन है। सुभाष घई निर्मित फिल्म हेलो डार्लिग कॉमेडी फिल्म है। इसे मनोज तिवारी ने निर्देशित किया है। मैंने इसमें हरियाणवी लड़की की भूमिका निभाई है। जानू बरुआ की हर पल दिल को छूने वाली फिल्म है। अब तक की मेरी सबसे दिलचस्प भूमिका लोगों को रामगोपाल वर्मा निर्मित फिल्म शबरी में देखने को मिलेगी। इसमें मैं चॉल में रहने वाली लड़की बनी हूं, जो गैंगस्टर भी है। इसमें मुझे लोग पहचान नहीं पाएंगे।
ईशा अब अपनी शर्तो पर काम करती हैं। वे फिल्मों के मामले में चूजी हो गई हैं। इस बात को वे स्वीकार करती हैं, क्या करें? चूजी बनना पड़ता है। एक समय था, जब मैं किसी भी फिल्म के लिए हां कह देती थी, लेकिन अब मैं चुनिंदा फिल्में कर रही हूं, जिनमें तमाम रंग हों। अनुभव का सदुपयोग कर रही हूं। अब मैं पहले की तरह यह नहीं देखती कि निर्देशक बड़ा है कि नहीं। उसमें एक्टर कौन है? यदि स्क्रिप्ट दमदार होगी और निर्माता बड़ा होगा, तो मैं फिल्म में जरूर काम करूंगी। मैं नए निर्देशक के साथ भी काम कर सकती हूं। मुझमें इतनी क्षमता है कि अपने दम पर फिल्म को ढो सकूं!
ईशा फिलहाल आराम कर रही हैं। वे न तो किसी फिल्म की शूटिंग कर रही हैं और न ही इधर उन्होंने कोई नई फिल्म साइन की है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि वे विवाह के बाद फिल्मों को अलविदा कह देंगी और टिम्मी के साथ वैवाहिक जीवन में व्यस्त हो जाएंगी? जवाब में ईशा चुप्पी साध लेती हैं और मंद-मंद मुस्कुराती हैं..।
-रघुवेन्द्र सिंह

Sunday, May 10, 2009

बसरा में साथ दिखेंगे अक्षय, फरदीन, माधवन व कुणाल

चर्चित फिल्म मनोरमा सिक्सफीट अंडर के निर्देशक नवदीप सिंह की नई फिल्म का नाम बसरा है। उनकी यह फिल्म आतंकवाद पर आधारित होगी। इसके निर्माता निखिल आडवाणी हैं। फिल्म में अक्षय खन्ना, फरदीन खान, आर माधवन और कुणाल कपूर प्रमुख भूमिकाओं में नजर आएंगे। मिली जानकारी के मुताबिक, नवदीप सिंह ने गहन रिसर्च के बाद बसरा की स्क्रि प्ट तैयार की है। इसका विषय आतंकवाद है। बसरा इराक का प्रमुख शहर है। उसी शहर पर फिल्म की कहानी केंद्रित है। पहली फिल्म मनोरमा सिक्सफिट अंडर की तरह नवदीप सिंह की यह फिल्म भी सच्चाई के करीब होगी। अक्षय खन्ना, फरदीन, आर माधवन और कुणाल कपूर की इसमें दिलचस्प भूमिकाएं हैं। फिल्म का संगीत कैलाश खेर तैयार करेंगे। इस समय नवदीप फि ल्म के प्रीप्रोडक्शन कार्य में व्यस्त हैं। लोकप्रिय गायक एवं संगीतकार कैलाश खेर बसरा को अपने लिए बड़ा अवसर मानते हैं। वे कहते हैं, बसरा रियलिस्टिक फिल्म है। इसकी कहानी इराक की है। इसके संगीत में श्रोताओं को अरबी फील मिलेगा। मैं कोशिश करूंगा कि संगीत प्रेमियों को बसरा में नया एवं कर्णप्रिय संगीत सुनने को मिले।
-रघुवेन्द्र सिंह

साधारण भूमिकाएं निभाकर ऊब गई थी: दीया मिर्जा

संजय गुप्ता की फिल्म एसिड फैक्ट्री दीया मिर्जा के करियर की सबसे बड़ी फिल्म है। बडे़ बजट की इस मल्टीस्टारर फिल्म में दीया समेत फरदीन, आफताब शिवदासानी, मनोज बाजपेयी, डिनो मोरिया, इरफान खान और डैनी डोंजप्पा अभिनय कर रहे है।
सुपर्ण वर्मा निर्देशित एसिड फैक्ट्री सात गैंगस्टर की कहानी है। दीया इसमें से एक गैंगस्टर की भूमिका निभा रही हैं। फिल्म एवं अपनी भूमिका के बारे में दीया कहती हैं, यह एक्शन थ्रिलर है। कहानी के बारे में मैं अभी बात नहीं कर सकती। इसमें मेरे किरदार का नाम मैक्स है। वह खूबसूरत, सेक्सी एवं खतरनाक लड़की है। ऐसी भूमिका में मुझे अब तक नहीं देखा गया है। मैंने इसमें कई एक्शन एवं स्टंट दृश्य किए हैं। उन्हें देखकर दर्शकों की सांसें थम जाएंगी। इसमें मेरा निगेटिव किरदार दर्शकों के बीच होगा। मैक्स की भूमिका के लिए मैंने बहुत तैयारी की।
दीया ने मैक्स की भूमिका के लिए चालीस दिन की हार्ड ट्रेनिंग ली। उन्होंने बाइसेप्स और मसल्स बनाने के लिए फिजीकल ट्रेनर की मदद ली। दीया बताती हैं, संजय ने भरोसा करके मुझे मैक्स की चैलेंजिंग भूमिका के लिए चुना। मैं उन्हें निराश नहीं करना चाहती थी। मैंने तीन महीने इस भूमिका के लिए तैयारी की, जिसमें चालीस दिन बड़े मुश्किल भरे रहे। मैं प्रतिदिन सुबह साढ़े पांच बजे बिस्तर से उठ जाती थी।
दीया बात जारी रखती हैं, एक्शन डायरेक्टर टीनू वर्मा ने मेरी बहुत मदद की। इस फिल्म में मेरा लुक एवं फिजिक देखकर दर्शक हैरान रह जाएंगे। अब तक मैंने सरल एवं साधारण किस्म की भूमिकाएं की हैं। वैसी भूमिकाएं निभाकर मैं ऊब गई थी। संजय की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे खुद को साबित करने का मौका दिया। इस फिल्म से मेरी इमेज बदल जाएगी।
एसिड फैक्ट्री मल्टीस्टारर फिल्म है। छह कलाकारों की भीड़ में दीया खो तो नहीं जाएंगी? जवाब में वे आत्मविश्वास से कहती हैं, मुझे इस बात का डर बिल्कुल नहीं है। मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी है। मुझे अपनी भूमिका की लंबाई चौड़ाई के बारे में जानकारी है। मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हूं। संजय ने हर कलाकार को फिल्म में विशेष स्थान दिया है। मुझे लगता है कि इतनी स्टाइलिश एक्शन फिल्म अब तक प्रदर्शित नहीं हुई है। फिल्म का हर पात्र दर्शकों को पसंद आएगा। उम्मीद है, हमने शूटिंग के दौरान जितना एंज्वॉय किया उतना एंज्वॉय दर्शक फिल्म देखते समय करेंगे।
चर्चा है कि एसिड फैक्ट्री वर्ष 2002 में आयी संजय गुप्ता निर्देशित सफल फिल्म कांटे का सीक्वल है। इस संदर्भ में दीया मिर्जा कहती हैं, यह सच नहीं है। ऐसा लोग इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस फिल्म का लुक कांटे से मिलता है। इसकी कहानी वहां से शुरू होती है जहां कांटे फिल्म खत्म हुई थी, पर इसको उस फिल्म का सीक्वल कहना गलत होगा।
एसिड फैक्ट्री के अलावा दीया की इस वर्ष कई अन्य फिल्में प्रदर्शित होंगी। उनमें संजय गुप्ता की अलीबाग, सुजीत सरकार की जानी मस्ताना, पुनीत सिरा की किसान और कुनाल विजयकर की फ्रूट एंड नट फिल्में हैं। इनके अलावा दीया ने कुछ और फिल्में साइन की हैं। उनके बारे में वे फिलहाल बात नहीं करना चाहतीं। उम्मीद करती हूं कि यह वर्ष मेरे लिए सुखद रहेगा।
-रघुवेन्द्र सिंह

हर किस्म की भूमिका करना चाहूंगी:नताशा शर्मा

नताशा शर्मा कलर्स के सीरियल ना आना इस देस लाडो में सिया की केंद्रीय भूमिका निभा कर दर्शकों को आकर्षित कर रही हैं। एक्टिंग नताशा के बचपन का शौक है यह बात उनके सभी दोस्त जानते थे। नताशा बताती है, पिछले साल जुलाई में जब मैं मुंबई एक पारिवारिक आयोजन में शिरकत करने के लिए आयी तो सारे दोस्त मुझे एक्टिंग में किस्मत आजमाने के लिए कहने लगे। मैंने पोर्टफोलियो बनवाया और अपनी फोटो मॉडल को-आर्डिनेटर्स को दे दिए। मुझे जल्द ही स्टार वन के शो श्श्श्हह.. फिर कोई है की एक कहानी में काम करने का मौका मिल गया। उसके बाद मैं अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा करने के लिए दिल्ली वापस लौट गयी।
नताशा कहती है, मुझे नहीं पता था कि मुंबई फिर बुला लेगी। डीजे प्रोडक्शन हाउस की तरफ से मुझे रामलाल सीरियल के लिए फोन आया। मैं मुंबई आयी और उसके लिए आडिशन दिया। आजकल यही सीरियल मेरे घर आयी एक नन्हीं परी नाम से प्रसारित हो रहा है।
धारावाहिक ना आना इस देस लाडो नताशा को उनकी दोस्त डिंपी की वजह से मिला। नताशा बताती हैं, डिंपी पहले डीजे क्रिएशन में क्रिएटिव हेड थीं। अब वे शांकुतलम प्रोडक्शन हाउस में हैं। ना आना इस देस लाडो इसी प्रोडक्शन हाउस का सीरियल है। उन्होंने मुझे आडिशन के लिए बुलाया। किस्मत अच्छी थी मैं सिया की भूमिका के लिए चुन ली गयी।
अपनी भूमिका एवं कथानक के बारे में नताशा आगे कहती हैं, सिया साधारण लड़की है और घर में सबकी दुलारी है। उसे गलत चीजें बर्दाश्त नहीं होतीं। उसके पापा डॉक्टर हैं। उसके पापा का ट्रांसफर हरियाणा के ऐसे गांव में होता है जहां लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता है। सिया को यह बर्दाश्त नहीं होता है और वह उसके खिलाफ आवाज उठाती है।
नताशा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। वे आत्मविश्वास के साथ कहती हैं, मैं रीयल लाइफ में सिया की तरह साधारण तरीके से रहती हूं और उसी की तरह विचारों से क्रांतिकारी हूं। मैं अर्थपूर्ण सीरियल से जुड़कर खुश हूं। मैं खुश हूं कि ना आना इस देस लाडो के जरिए मैं समाज को कन्या भ्रूण हत्या न करने का महत्वपूर्ण संदेश दे रही हूं।
नताशा खुश हैं कि उन्हें उनके परिवार का सपोर्ट मिल रहा है। नताशा को एक्टिंग के अलावा डांसिंग और कविता लिखने का शौक है। भावी योजनाओं के संदर्भ में वे कहती हैं, मैं ज्यादा दूर की नहीं सोचती हूं। मैं वर्तमान में जीती हूं और हर काम में अपना सौ प्रतिशत देने की कोशिश करती हूं। मैं हर तरह का शो करने के लिए तैयार हूं। मेरे हिसाब से भूमिकाएं छोटी-बड़ी नहीं होतीं। मैं हर किस्म की भूमिका करना चाहूंगी।
-रघुवेन्द्र सिंह

Saturday, May 9, 2009

हम तो ऐसे हैं भैया | आलेख

कलाकारों की ऑन-स्क्रीन इमेज से दर्शक बहुत प्रभावित होते हैं, खासकर उनकी वेशभूषा से। अपने चहेते कलाकार की तरह वे भी अपनी जिंदगी को कलरफुल बनाने में जुटे रहते हैं। फिल्म और रिअॅल लाइफ के अंतर को दर्शक भूल जाते हैं। वे कलाकार की उसी छवि के पीछे भागने लगते हैं। सोचते हैं कि बड़े पर्दे पर उन्होंने इन क लाकारों को जिस रूप में देखा है, वे रिअॅल लाइफ में भी वैसे ही होंगे। दर्शक की उसी सोच को ध्यान में रखकर तरंग ने की कुछ चर्चित कलाकारों के निजी जीवन के पहनावे की पड़ताल।
औरों से अलग नहीं हैं : बड़ा पर्दा, फि ल्मी इवेंट्स और पार्टियों में अमूमन अभिनेत्रियां नामी फैशन डिजाइनर द्वारा तैयार ग्लैमरस परिधानों में ही नजर आती हैं। मीडिया के जरिए आम लोगों तक उनकी वही तस्वीरें पहुंचती हैं। केवल यही नहीं, खास मौके के लिए तैयार की गई डिजाइनर ड्रेस को हम सच मान लेते हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि फिल्मी कलाकार निजी जीवन में आराम देने वाले कपड़ों को ही तरजीह देते हैं। करीना कपूर रिअॅल लाइफ में अधिकतर टी-शर्ट, शॉर्ट-पैंट और चप्पल में रहती हैं। बिपाशा बसु घर में सामान्य ट्रैक सूट या शॉर्ट-पैंट और टी-शर्ट में रहना पसंद करती हैं। कैटरीना का पहनावा भी करीना से मिलता है। वे घर में टी-शर्ट, डेनिम की पैंट और चप्पल पहनती हैं। इन अभिनेत्रियों के पहनावे में शहर की छाप है। इनसे मेट्रो सिटी की लड़कियां रिलेट कर सकती हैं। ऐश्वर्या राय घर में सलवार और सूट में रहती हैं। विद्या बालन भी घर में सलवार-सूट पहनती हैं और वे अपने बाल खुले रखती हैं। अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर कहती हैं, लोग कलाकारों के बारे में अलग सोच क्यों रखते हैं? हम भी इंसान हैं। मैं सामान्य लड़की हूं। घर में उन कपड़ों को पहनना पसंद करती हूं, जिनमें मुझे आराम महसूस होता है। मैं घर में सलवार-सूट या ट्रैक सूट में ही रहती हूं।
आराम है प्राथमिकता: ज्यादातर युवा अभिनेता घर में जींस, टी-शर्ट और चप्पल में रहना पसंद करते हैं। शाहरुख, सलमान, रितिक, सैफ और शाहिद घर में जींस, टी-शर्ट और चप्पल पहनते हैं। ये कलाकार जब डबिंग के लिए स्टूडियो जाते हैं, तब इन्हीं कपड़ों को महत्व देते हैं। सलमान, रितिक और शाहिद को कैप लगाना अच्छा लगता है। ये कलाकार स्टूडियो, फिल्म के सेट या दोस्तों के साथ बाहर निकलते हैं, तो कैप जरूर पहनते हैं। चश्मा भी लगाते हैं। शाहरुख के करीबी बताते हैं कि वे घर में कभी-कभी तौलिया में रहते हैं। जॉन घर में शॉर्ट-पैंट, बनियान और चप्पल पहनते हैं। अमिताभ बच्चन का निजी जिंदगी में पहनावा बिल्कुल अलग है। वे घर में तो कुर्ता-पायजामा पहनते ही हैं, जब वे सेट पर जाते हैं, उस वक्त भी कुर्ता पायजामा में ही होते हैं। इसके साथ वे मोजड़ी भी पहनते हैं। बिग-बी प्रतिदिन सुबह जिम जाते हैं। उस वक्त वे ट्रैक सूट और मंकी कैप पहनते हैं। बिग-बी की खास बात यह है कि वे शूटिंग समाप्त होने के बाद वैन में स्नान करते हैं और अपना कपड़ा पहनकर घर जाते हैं। कुछ कलाकार तो फिल्मों के कपड़े ही पहनकर घर चले जाते हैं।
सादगी के क्यों हैं दीवाने : फिल्मी कलाकारों के निजी जिंदगी में पहनावे एकदम सामान्य होते हैं। यह जानकर लोगों को आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन सच यही है। अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, रानी मुखर्जी और जूही चावला जैसे लोकप्रिय कलाकारों के साथ काम कर चुके युवा फिल्मकार विवेक शर्मा इस संदर्भ में कहते हैं, ऑन स्क्रीन महंगे और भारी-भरकम कपड़े पहनकर कलाकार बोर हो जाते हैं। यही वजह है कि ज्यादातर कलाकार अपने घर के भीतर और करीबी दोस्तों के बीच सामान्य कपड़ों में सादगी से रहना पसंद करते हैं। एक वजह यह भी है कि बड़े कलाकार जो कपड़े फिल्मों में पहनते हैं, वे कैमरे के सामने ही अच्छे लगते हैं। निजी जीवन में उनका उपयोग संभव नहीं होता। कुछ तो अपने कपड़ों की खरीदारी विदेशों में करते हैं।
स्वीकार करें सच को : लोगों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि अभिनय कलाकारों के लिए एक तरह से जॉब है। फिल्म में वे लेखक के पात्र को जीते हैं। उस पात्र की मांग के अनुसार वे ड्रेसेज पहनते हैं। वे घर में आरामदायक कपड़ों में बेफिक्र अंदाज में रहते हैं। हां, वे हमारी तरह घर की चौखट लांघने से पहले बाकायदा तैयार जरूर होते हैं। एक सच यह भी है कि चहेते सितारे बड़े पर्दे पर और फिल्मी इवेंट्स में जो कपड़े पहनकर आते हैं, ज्यादातर समय वे निर्माताओं या फिर आयोजकों के ही होते हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि अभिनेता और अभिनेत्रियां अपने काम की वजह से खास हैं। वे भी आम लोगों की तरह आरामदायक जिंदगी जीना पसंद करते हैं।

-रघुवेंद्र सिंह

Wednesday, May 6, 2009

सिंगल थिएटर में फिल्म रिलीज की योजना | खबर

मुंबई। फिल्म निर्माताओं और मल्टीप्लेक्स मालिकों की आज यशराज स्टूडियो में हुई बैठक में सकारात्मक निष्कर्ष नहीं निकल सका। मल्टीप्लेक्स मालिक अभी तक निर्माताओं को पहले सप्ताह में फिल्म के लाभांश का पचास प्रतिशत, दूसरे सप्ताह में चालीस और तीसरे सप्ताह में तीस प्रतिशत देने की पुरानी जिद पर अड़े हुए हैं।
निर्माताओं ने उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है और चेतावनी दी है कि यदि दो सप्ताह के भीतर मल्टीप्लेक्स मालिक उनकी मांग को स्वीकार नहीं करेंगे तो वे सिंगल थिएटर में फिल्में प्रदर्शित करेंगे।
मिली जानकारी के मुताबिक, आज बैठक में मल्टीप्लेक्स मालिकों ने जनवरी में तैयार किया प्रस्ताव दोबारा पेश किया, जिसमें फिल्म के लाभांश से निर्माताओं को पचास प्रतिशत देने की बात है। निर्माताओं ने उनके उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इस बात से नाराज होकर मल्टीप्लेक्स मालिक बैठक के बीच से उठकर चले गए। इस बैठक में यश चोपड़ा, महेश भट्ट, मुकेश भट्ट, रोनी स्कूवाला, संजीव भार्गव और सुनील लुल्ला निर्माताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, जबकि मल्टीप्लेक्स में सिनेमैक्स, फन रिपब्लिक, फेम एडलैब और पीवीआर थिएटर के प्रतिनिधि शामिल थे।
निर्माता मुकेश भट्ट के मुताबिक, अभी तक मल्टीप्लेक्स मालिक अपनी पुरानी जिद पर अड़े हैं। उन्होंने जनवरी माह का प्रस्ताव दोबारा पेश किया। यदि वह प्रस्ताव हितकर होता तो हमने उसे पहले ही मान लिया होता। पिछले कुछ सप्ताह से हमने फिल्मों का प्रदर्शन क्यों रोका होता? आज हमारी बैठक बेनतीजा साबित हुई। अब हम सिंगल थिएटर में फिल्में प्रदर्शित करने की योजना बना रहे हैं। अगले दो सप्ताह में हम इस बारे में पूरी जानकारी दे देंगे।
-रघुवेन्द्र सिंह

मैं अच्छा मजदूर हूं: आशुतोष राणा

आशुतोष राणा छोटे पर्दे से खास लगाव रखते हैं। यही वजह है कि वे फिल्मों में व्यस्त होने के बावजूद छोटे पर्दे के लिए किसी न किसी तरह वक्त निकाल ही लेते हैं। अभी वे रिअॅल चैनल के शो सरकार की दुनिया में सरकार की भूमिका में दिख रहे हैं। उनके लिए शो का अनुभव रोचक है। उनके शब्दों में, यह सही मायने में रिअॅलिटी शो है। इससे जुड़े प्रतियोगी रिअॅल यानी सच्चे हैं। इसका सेट द्वीप पर तैयार किया गया है। ऐसा शो मैं पहली बार देख रहा हूं। मैं खुश हूं इससे जुड़कर।
सरकार की दुनिया के बारे में आशुतोष कहते हैं, मैं हर काम अपने आनंद के लिए करता हूं। सच तो यह है कि मैंने जब शो का कॉन्सेप्ट सुना, तभी मुझे अहसास हो गया था कि इसमें काम करने में बहुत आनंद आएगा। यकीन मानिए, मुझे इसकी शूटिंग करने में असीम सुख मिल रहा है। आरंभ में सरकार की दुनिया में कुल अट्ठारह प्रतियोगी थे। प्रत्येक सप्ताह एक प्रतियोगी शो से बाहर हो रहा है। अंत में शो के विजेता को एक करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार मिलेगा। यह शो जुलाई तक चलेगा। इसका एक खास आकर्षण आशुतोष राणा की बॉडी लैंग्वेज भी है। उनकी बॉडी लैंग्वेज और उनके ड्रेस की सराहना हो रही है। इस संदर्भ में वे कहते हैं, सरकार शब्द अपने आप में एक अलग व्यक्तित्व है। वह निर्भीक, निडर और निष्पक्ष होने का अहसास कराता है। उसकी बॉडी लैंग्वेज में इन गुणों की झलक मिलनी ही चाहिए। मैंने सरकार की भूमिका निभाने से पहले खास तैयारी की। कोशिश की कि मैं सरकार की भूमिका में लोगों के सामने आऊं, तो उन्हें सरकार की शक्ति का आभास हो। पिछले दिनों रिलीज फिल्म कॉफी हाउस में आशुतोष राणा केंद्रीय भूमिका में दिखे। जल्द ही वे सुशील भटनागर की फिल्म मोनिका में दिखेंगे। वे खुशी प्रकट करते हैं, इस वक्त हिंदी सिनेमा बदलाव के दौर से गुजर रहा है। अब सिर्फ स्टार कलाकारों के लिए फिल्में नहीं बन रही हैं! आज रिअॅलिस्टिक फिल्में खूब बन रही हैं। अब हमारे किस्म का सिनेमा बन रहा है। मैं मोनिका के अलावा, हुक या कु्रक फिल्म भी कर रहा हूं।
आशुतोष की पत्नी रेणुका निर्देशन में कदम रख चुकी हैं। क्या वे भी निर्देशन में आने की सोच रहे हैं? वे कहते हैं, मैं मजदूर अच्छा हूं। मुझे जो काम दिया जाएगा, वह मैं अच्छी तरह कर सकता हूं, लेकिन मैं इंजीनियर अच्छा नहीं हूं। मुझमें निर्देशन की क्षमता नहीं है। रेणुका मुझे निर्देशित करना चाहती हैं। आजकल मुझे ध्यान में रख कर वे फिल्म की स्क्रिप्ट लिख रही हैं।
-रघुवेन्द्र सिंह

एक्टर हूं, स्टार नहीं: अध्ययन सुमन | मुलाकात

अध्ययन सुमन का आत्मविश्वास फिल्म राज-2 की सफलता के बाद बढ़ गया है। उन्हें बेहद खुशी है कि लोगों ने उन्हें स्वीकार कर लिया। वे इसके लिए सभी का शुक्रिया अदा करते हुए भावनाओं में बह जाते हैं, मेरे लिए राज-2 का हिट होना अति आवश्यक था। मेरी पहली फिल्म हाल-ए-दिल बॉक्स ऑफिस पर नहीं चलने के कारण लोग मेरे बारे में तरह-तरह की बातें करने लगे थे, लेकिन अब माहौल एकदम बदल गया है। इसलिए मेरा आत्मविश्वास बढ़ रहा है। साथ ही खुशी हो रही है कि मेरी पहली फिल्म की असफलता के बाद जो लोग मेरे साथ काम नहीं करना चाहते थे, अब वे मेरे साथ फिल्म बनाने की बात कर रहे हैं। यह देखकर ताज्जुब होता है, लेकिन क्या कर सकते हैं? हमारी इंडस्ट्री का यही रिवाज है। यहां जिसकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा बिजनेस करती है, लोग उसी के पीछे भागने लगते हैं।
इक्कीस वर्षीय अध्ययन सुमन की आने वाली फिल्म का नाम है जश्न। उनकी पहली सोलो फिल्म है यह। इसमें उनके साथ अंजना सुखानी और शहाना गोस्वामी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। फिल्म का जिक्र होने पर अध्ययन उत्साह से कहते हैं, सच कहूं, तो राज-2 में मुझे अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा अवसर नहीं मिला था। मैं खुश हूं कि वह मौका भट्ट कैंप ने मुझे जश्न फिल्म में दिया है। यह मेरी पहली परफॉर्मेस ओरिएंटेड फिल्म है। इसकी कहानी इक्कीस साल के युवक आकाश की है। आकाश बहुत बड़ा म्यूजीशियन बनना चाहता है। वह पब में गाता है। उसकी बहन किसी की रखैल है। उसे वही जिंदगी पसंद है। आकाश हमेशा सपनों में जीता है। उसे लगता है कि उसकी मंजिल आसानी से मिल जाएगी, लेकिन जब वह अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता है, तब उसका सामना असलियत से होता है। यह नो बडी से समबडी बनने की कहानी है।
अध्ययन अपनी बात जारी रखते हैं, अब तक इस फिल्म को पूजा भट्ट सहित छह लोगों ने देखा है। सब थिएटर से रोते हुए निकले और सभी ने मेरे काम की तारीफ की। पिछले दिनों मेरे जन्मदिन के मौके पर पापा ने मुझे बीएमडब्ल्यू कार गिफ्ट की। उन्होंने मुझे वह गाड़ी जश्न में मेरा काम देखने के बाद दी। सच कहूं, तो मैं स्वयं उस फिल्म में अपना काम देखकर दंग हूं। महेश भट्ट ने मुझसे कमाल का काम लिया है।
जश्न भट्ट कैंप के साथ अध्ययन की दूसरी फिल्म है। यह फिल्म उन्हें कैसे मिली? वे बताते हैं, पिछले साल जुलाई में भट्ट साहब ने राज-2 का फ‌र्स्ट हाफ देखा। उसी रात उनका फोन आया कि मैं मिलना चाहता हूं। मैंने अभी-अभी तुम्हारी फिल्म राज-2 देखी है। मैं डर गया कि पता नहीं मुझसे क्या गलती हो गई! डरते हुए मैं उनके ऑफिस में पहुंचा। उन्होंने प्यार से मुझे बैठने के लिए कहा। फिर लंबी सांस लेते हुए कहा कि मैं तुम्हारे काम से खुश हूं। तुम में जो बात है, उसे मैं देश के लोगों को दिखाना चाहता हूं। मैं तुम्हें हीरो लेकर जश्न बनाना चाहता हूं। मैंने उनसे कहा कि आप मुझसे जो करने के लिए कहेंगे, मैं करूंगा, लेकिन जानना चाहता हूं कि उसे डायरेक्ट कौन करेगा? उन्होंने कहा कि रक्षा डायरेक्ट करेंगी, लेकिन तुम निश्चिंत रहो। तुम्हारे सीन मैं डायरेक्ट करूंगा।
अध्ययन महेश भट्ट को अपना गुरु मानते हैं। उनका लक्ष्य खुद को स्टार एक्टर के रूप में स्थापित करना है। उसके लिए वे हर तरह की फिल्में करेंगे। वे कहते हैं, आज के जमाने में एक्टर से अधिक स्टार की डिमांड है। स्टार के साथ ही बड़े निर्माता-निर्देशक काम करना चाहते हैं। मेरा लक्ष्य खुद को स्टार एक्टर बनाना है। मैं मेहनत कर रहा हूं। मैं खुद को खास तरह की फिल्म के लिए फिट नहीं कहूंगा। हर तरह की फिल्मों में काम करना मेरा लक्ष्य है।
अध्ययन ने जश्न के प्रदर्शन के पहले चार फिल्में साइन कर ली हैं। उनके बारे में पूछने पर वे कहते हैं, उन फिल्मों की जानकारी मैं अगले महीने दूंगा, जब सारी बातें स्पष्ट हो जाएंगी।
-रघुवेन्द्र सिंह

Tuesday, May 5, 2009

बुद्धम् शरणम् गच्छामि को बिग बी की हां | खबर

मुंबई। युवा फिल्मकार विवेक शर्मा की नई फिल्म बुद्धम् शरणम् गच्छामि के लिए अमिताभ बच्चन ने स्वीकृति दे दी है। विवेक शर्मा ने पहली फिल्म भूतनाथ अमिताभ बच्चन के साथ बनायी थी।
विवेक खुशी व्यक्त करते हुए कहते हैं, अमिताभ बच्चन ने बुद्धम् शरणम् गच्छामि की स्क्रिप्ट पढ़ी। उन्हें स्क्रिप्ट इतनी पसंद आयी कि उन्होंने तुरंत फिल्म के लिए हां कह दिया। मैंने फिल्म की कहानी उन्हीं को ध्यान में रखकर लिखी थी। उनके सिवाय कोई अन्य कलाकार यह फिल्म नहीं कर सकता था। अमिताभ बच्चन के फिल्म में दो-तीन शेड्स हैं। ऐसी भूमिका में उन्हें पहले कभी नहीं देखा गया है।
विवेक आगे कहते हैं, बुद्धम् शरणम् गच्छामि हिंसा पर आधारित फिल्म है। यह फिल्म भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नयी पहचान दिलाएगी। इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद लोग हथियार उठाने से पहले सोचेंगे। मैं दर्शकों से वादा करता हूं कि अमिताभ बच्चन और विवेक शर्मा जब एकजुट होंगे तो अर्थपूर्ण और गुणवत्ता वाली फिल्म देखने को मिलेगी।
गौरतलब है, विवेक शर्मा फिल्म बुद्धम् शरणम् गच्छामि से निर्माता बनने जा रहे हैं। यह उनके बैनर फिल्मजोन की पहली फिल्म है। विवेक बताते हैं, बुद्धम् शरणम् गच्छामि मल्टी स्टारर फिल्म है। इसमें कई और बड़े कलाकार होंगे। फिल्म का प्री प्रोडक्शन कार्य सितंबर माह से आरंभ होगा। वर्ष 2010 में गांधी जयंती के अवसर पर इस फिल्म को प्रदर्शित करने की योजना है।
-रघुवेन्द्र सिंह

Monday, May 4, 2009

मैंने सोचना बंद कर दिया है : करन वाही/ मुलाकात

रीमिक्स सीरियल से जवां दिलों की धड़कन बने करन वाही को आजकल कलर्स के सीरियल मेरे घर आई एक नन्हीं परी में देखा जा सकता है। वे पिछले एक वर्ष से छोटे पर्दे से गायब थे। इस संदर्भ में करन कहते हैं, मैंने दो वर्ष पहले यूटीवी की एक फिल्म साइन की थी। मैं उसकी शूटिंग की तैयारी में व्यस्त था। उस वजह से मैं टीवी शो नहीं कर रहा था। लोग सोचने लगे कि अब मैं टीवी शो नहीं करूंगा। अचानक मेरी फिल्म की शूटिंग कुछ कारणों से शिफ्ट हो गयी। मुझे खाली बैठना अच्छा नहीं लगता है। मैं सोच रहा था कि क्या करूं? तभी मेरे पास मेरे घर आई एक नन्हीं परी का आफर आया। मुझे सीरियल और भूमिका अच्छी लगी। मैंने फैसला किया कि मैं इसमें काम करूंगा।
मेरे घर आई एक नन्हीं परी में करन की एन्ट्री के बाद रोचक बदलाव आया है। अपनी भूमिका एवं सीरियल के मजबूत पक्षों पर करन प्रकाश डालते हैं, मैं इसमें राजवीर की भूमिका निभा रहा हूं। राजवीर बिंदास एवं दिलफेंक किस्म का युवक है। वह अपनी नानी के करीब है। राजवीर सीरियल की केंद्रीय पात्र चांदनी से प्रेम करने लगता है। मेरे घर आई एक नन्हीं परी को लेकर करन का कहना है कि यह एक डिफरेंट सीरियल है। अधिकतर लोग लड़कियों के पैदा होने पर दुखी हो जाते हैं। यह सीरियल अहसास कराता है कि लड़कियों से घर की खुशियां बरकरार रहती हैं। मैं इसका हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहा हूं।
करन वाही खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें पहले सीरियल से लोकप्रियता मिल गयी। वे उम्मीद प्रकट करते हैं कि नए सीरियल से उनकी लोकप्रियता और बढ़ेगी। करन की जुबानी, मैंने सोचा नहीं था कि रीमिक्स मुझे सबका चहेता बना देगा। मैं भाग्यशाली हूं, लेकिन दूसरी तरफ उस सीरियल से मुझे नुकसान भी हुआ। रनवीर की भूमिका के बाद मेरे सामने उससे अलग और बेहतर भूमिका निभाने की चुनौती आ गयी। उस वजह से मैं कोई सीरियल नहीं कर सका। बीच में मैंने मिस्टर एंड मिसेज रिएलिटी शो में काम किया, लेकिन अब मैंने सोचना बंद कर दिया है। नन्हीं परी.. में मेरी राजवीर की भूमिका रीमिक्स के रनवीर से एकदम अलग है। मुझे उम्मीद है कि राजवीर सबको पसंद आएगा।
करन वाही गृहनगर दिल्ली से मुंबई क्रिकेटर बनने का सपना संजोये आए थे, लेकिन किस्मत एक्टिंग में ले आयी। करन अफसोस जाहिर करते हैं, क्रिकेटर बनना मेरा बचपन का सपना था। कभी-कभी बुरा लगता है कि मैं अपना सपना पूरा न कर सका, लेकिन साथ ही जब अपने दोस्त शिखर को क्रिकेट खेलते हुए देखता हूं तो खुशी होती है। वे आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए खेल रहे हैं। मैं आज भी वक्त निकालकर क्रिकेट जरूर खेलता हूं। मेरे एक्टर मित्रों ने मिलकर क्रिकेट की टीम बनायी है। मैं उनके साथ खेलता हूं। क्रिकेट से मेरा नाता कभी नहीं टूटेगा।
-रघुवेन्द्र सिंह

बेवजह छपने का शौक नहीं: इमरान खान

मुंबई। फिल्म लक के प्रदर्शन के पहले मैं मीडिया से बात नहीं करूंगा। यह कहना है युवा अभिनेता इमरान खान का। थोड़ी देर रुकने के बाद उन्होंने कहा कि दरअसल, मुझे बेवजह अखबारों में छपने का शौक नहीं है। मैं नहीं चाहता कि लंदन में छुट्टी मनाने जाऊं या बाजार में जूते खरीदने जाऊं, तो उसकी खबर बने। इन खबरों का क्या अर्थ है? इससे फालतू में दर्शकों के बीच गलत इमेज बन जाती है। उन्हें लगता है कि मेरे पास अब कोई काम नहीं है, इसलिए इस तरह की फालतू खबरें छपवा रहा हूं। मैं नहीं चाहता कि दर्शकों के बीच इस तरह का गलत संदेश जाए।
गौरतलब बात यह है कि इमरान की दो फिल्में जाने तू या जाने ना और किडनैप रिलीज हो चुकी हैं। इन फिल्मों ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री के लोकप्रिय लीडिंग युवा कलाकारों में स्थान दिला दिया है। इस वक्त वे हर फिल्मकार की पहली पसंद बने हुए हैं। उन्होंने दो नई फिल्मों अष्टविनायक की लक और आमिर खान निर्मित देहली बेली की शूटिंग पूरी कर ली है। उनके बारे में इमरान बताते हैं, फरवरी में मैंने सोहम शाह की फिल्म लक की शूटिंग खत्म की है। देहली बेली की शूटिंग उसके पहले खत्म हो गई थी। मैं इन फिल्मों के प्रदर्शन का इंतजार कर रहा हूं।
मल्टीप्लेक्स और फिल्म निर्माताओं की लड़ाई की वजह से अभी तक मेरी इन फिल्मों के प्रदर्शन की तारीख तय नहीं हो पाई है। विवाद सुलझने के बाद ही इन फिल्मों के प्रदर्शन की तारीख की घोषणा होगी। उस वक्त मैं मीडिया से दिल खोलकर बातें करूंगा।
इमरान की बातें सुनकर लगता है कि उनके मामा आमिर खान का उन पर गहरा प्रभाव है। उन्होंने आमिर के नक्शेकदम पर चलने का मन बना लिया है। वे हमेशा अपनी गर्लफ्रेंड अवंतिका के बारे में खुलकर बातें करते थे, लेकिन अब उन्होंने उनके बारे में कुछ भी न कहने की ठान ली है। अवंतिका के बारे में पूछने पर इमरान स्पष्ट कहते हैं, मैंने फिल्म जाने तू या जाने ना और बाद में किडनैप की रिलीज के समय अवंतिका के बारे में बहुत सारी बातें कही थीं। मुझे नहीं लगता कि अब उनके बारे में मुझे कुछ नया कहने की आवश्यकता है।

-रघुवेंद्र singh

गुस्सैल कैटरीना!

लोकप्रिय अभिनेत्री कैटरीना कैफ के चेहरे की मासूमियत देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि वे व्यक्तिगत जीवन में सख्त मिजाज की महिला होंगी! अपने घर में वे लोगों से सख्ती से पेश आती होंगी और उनके निर्णयों को परिवार के सदस्य प्रेम से स्वीकार करते होंगे। कम लोग जानते हैं कि यह कैटरीना का फैसला है कि उनकी छोटी बहन इसाबेल अभी फिल्मों में कदम न रखे। उनके करीबी बताते हैं कि इसाबेल पिछले वर्ष ही फिल्मों में आना चाहती थीं, क्योंकि उन्हें अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिल रहे थे। इसाबेल ने जिद की, तो कैटरीना गुस्सा हो गई और उन्हें फिल्मों में न आने की सख्त हिदायत दे दी। कैटरीना ने अपने बीते कल से काफी कुछ सीखा है। वे अनुभवों के आधार पर इसाबेल को सही तरीके से हिंदी फिल्मों में लाना चाहती हैं।
पिछले दिनों उनसे एक मुलाकात में जब इसाबेल से सख्ती बरतने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब में कहा कि इसाबेल अभी विदेश में पढ़ाई कर रही हैं। पढ़ाई पूरी होने के बाद वे फिल्मों के बारे में सोचेंगी। मैंने उन्हें सही सलाह दी है। मैं चाहती हूं कि मेरे अनुभव का लाभ मेरी बहन को जरूर मिले। कैटरीना के सहयोगी बताते हैं कि उन्हें गुस्सा तब आता है, जब उन्हें कोई बात बुरी लगती है। वे तभी सख्ती से पेश आती हैं। कैटरीना को झूठे और बेईमान लोग पसंद नहीं हैं। वे बेवजह गुस्सा नहीं होतीं और न ही बेवजह किसी से सख्ती से पेश आती हैं। वे दिल की अच्छी हैं और यह उनके चेहरे पर साफ नजर आता है।

-रघुवेंद्र सिंह