Thursday, April 15, 2010

मुझे आ रहा है मजा: हर्द कौर

पॉपुलर रैप सिंगर हर्द कौर कलर्स के शो आईपीएल रॉकस्टार में पहली बार एंकरिंग करती नजर आ रही हैं। बिंदास और बातूनी हर्द के लिए शो का अनुभव रोमांचक है। वे बताती हैं, लोग अंदाजा नहीं लगा सकते कि उस वक्त मैं कितनी खुश थी, जब कलर्स ने इस शो की एंकरिंग करने के लिए मुझसे कहा था। मैं क्रिकेट की फैन हूं और संगीत मेरे खून में है। मैं शो को एंज्वॉय कर रही हूं। मुझे बहुत मजा आ रहा है।
हर्द आगे बताती हैं, मैं पहली बार एंकरिंग कर रही हूं। मेरे मन में थोड़ा सा डर था। जब मैं पहले दिन एंकरिंग के लिए उतरी, तो समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे करूं। फिर मैंने खुद से कहा कि हर्द तू जैसी है, वैसी ही यहां भी रह। अपने ही अंदाज में शो को संभाल। लोगों के बीच परफॉर्म करने का अनुभव तुझे है ही। लोग तो तेरी पर्सनैल्टी के फैन पहले से ही हैं। यकीन कीजिए, लोगों को मेरा एंकरिंग का यह अंदाज अच्छा लग रहा है। हर्द कौर को भले ही हजारों लोगों के बीच परफॉर्म करने का अनुभव है, फिर भी उन्हें आईपीएल रॉकस्टार के लिए खासी तैयारी करनी पड़ी। वे बताती हैं, मेरी हिंदी उतनी अच्छी नहीं है। मुझे हिंदी के अपने डिक्शन पर मेहनत करनी पड़ी। मैं बहुत संभल-संभलकर हिंदी के वर्ड बोलती हूं। डरती हूं कि 3 इडियट्स के चतुर सिंह की तरह कहीं बलात्कार न हो जाए। गौरतलब है कि हर्द इंग्लैंड में पली-बढ़ी हैं। यही कारण है कि उनकी हिंदी पर मजबूत पकड़ नहीं है, लेकिन वे शुद्ध हिंदी बोलने का अभ्यास कर रही हैं।
हर्द को इस शो का कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा लगा। वे कहती हैं, इंडिया में ऐसा पहली बार हो रहा है। डांस, म्यूजिक, एक्टिंग पर कई रियलिटी शो बन चुके हैं, लेकिन क्रिकेट और संगीत पर पहली बार शो बना है। मुझे ऐसा लग रहा है कि क्रिकेट और संगीत की शादी हो गई है। मैं कहूंगी कि अगले साल फिर यह शो आना चाहिए। मुझे यकीन है कि लोग आईपीएल खत्म होने के बाद शो को मिस करेंगे।
झलक दिखला जा रियलिटी शो में डांस का जलवा दिखाने वाली हर्द बहुत जल्द बड़े पर्दे पर नजर आएंगी। इस बार वे सिर्फ फिल्म के किसी गाने में नहीं, बल्कि अभिनय करती नजर आएंगी। हर्द ने निखिल आडवाणी की फिल्म पटियाला हाउस साइन की है। उन्होंने अपने हिस्से की शूटिंग खत्म कर ली है। हर्द फिल्म में अक्षय कुमार की कजिन बनी हैं। वे बताती हैं, फिल्म में लोगों को मेरा बिंदास अंदाज देखने को मिलेगा। फिलहाल, मैं अपने रोल के बारे में खुलकर नहीं बता सकती, लेकिन इतना जरूर कहूंगी कि पटियाला हाउस में मेरा काम लोगों को चौंकाएगा।
-रघुवेंद्र सिंह

Monday, April 12, 2010

मैं हूं ही ऐसा: जिमी शेरगिल | मुलाकात

फिल्म माचिस से माई नेम इज खान के बीच आई हर फिल्म में जिमी शेरगिल की प्रशंसा हुई, लेकिन वे कभी इस बात का ढोल पीटते नहीं दिखे। शांत स्वभाव के जिमी की अपनी दुनिया और उनका छोटा सा परिवार है। वे फिल्मों की शूटिंग खत्म करने के बाद अपनी दुनिया में लौट जाते हैं। वे फिल्मी इवेंट और पार्टी में नहीं जाते। अनायास मीडिया के बीच भी वे नहीं रहते। बातचीत जिमी से..।
माई नेम इज खान की सफलता का खुद पर या अपने करियर पर क्या असर देखते हैं?
किसी ने सोचा नहीं था कि माई नेम इज खान में मेरा वेलप्लेस्ड रोल होगा। सरप्राइजिंग रेस्पांस मिला, लेकिन फिल्म की रिलीज के बाद मैंने कभी खुद को बदलने की कोशिश नहीं की। बहुत से लोग कहते हैं कि तुम्हें बाहर जाना चाहिए, पार्टी में दिखना चाहिए। लेकिन मेरा मानना है कि हर व्यक्ति अपने तरीके से बना होता है। यदि आप उसे मोड़ने की कोशिश करते हैं, तो आप प्रकृति के विरुद्ध जा रहे हैं। ऐंड ऑफ द डे, यदि आपकी किस्मत में लिखा होगा, तो आपको जरूर मिलेगा। मैं काम खत्म करके घर जाना चाहता हूं, फिल्म देखना, किताब, स्क्रिप्ट पढ़ना चाहता हूं। मैं हूं ही ऐसा।
क्या वजह है कि आप मीडिया के बीच ज्यादा नहीं होते?
मैं कंफर्टेबल नहीं फील करता हूं। लोग अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय देते हैं। मोहब्बतें के समय मैंने यह सब बहुत किया, लेकिन देखा कि उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
क्या फिल्मों के चरित्रों से समझा जा सकता है कि आप धीर-गंभीर हो गए हैं?
मैं सीरियस नजर आता हूं। मुझे किसी के सामने खुलने में थोड़ा वक्त लगता है। यदि मैं खुल गया, तो फिर दोस्त की तरह बिहेव करता हूं। शायद मैंने जो फिल्में की हैं, उनसे वैसी इमेज बन गई है। ए वेडनेसडे की रिलीज के समय एक बार रेडियो स्टेशन से फोन आया कि एक स्कूल के बच्चे का कहना है कि जिमी को जब हमने मुन्नाभाई एमबीबीएस में देखा, तो उस पर तरस आ रहा था, लेकिन जब ए वेडनेसडे में देखा, तो उससे डर लगा। इस पर उन्होंने मेरा रिएक्शन पूछा। मैंने कहा कि उन्हें डर आरिफ से लग रहा होगा और तरस जहीर पर आ रहा होगा। उसने जिमी पर न तरस खाया होगा, न उससे डरा होगा।
क्या आपको लगता है कि आपकी प्रतिभा का इंडस्ट्री सही तरीके से इस्तेमाल कर पाई है?
मैं इतना नहीं सोचता। मैं सोचता हूं कि आपको किसी ने बुलाया, आपको एक रोल दिया। आपने ईमानदारी से काम किया, लोगों ने उसकी तारीफ कर दी। बस। मैं बचपन से एक्टर नहीं था। मैं अपने डायरेक्टर आदित्य चोपड़ा, तिग्मांशु धूलिया, राजकुमार हिरानी, नीरज पांडे का शुक्रगुजार हूं। मैं अपनी परफॉर्मेस का क्रेडिट अपने डायरेक्टर को देता हूं। मेरे हिसाब से सबके लिए सही टाइम होता है।
इधर आप इंटेंस भूमिकाओं को तवज्जो दे रहे हैं। लोग आपको फिर रोमांटिक अंदाज में देखेंगे?
मेरे अभिनय की शुरुआत माचिस फिल्म से और इंटेस कैरेक्टर से हुई। मोहब्बतें से चॉकलेटी ब्वॉय की इमेज बन गई। मुन्नाभाई एमबीबीएस में फिर इंटेस कैरेक्टर मिला। फिर लगे रहो मुन्नाभाई, यहां, ए वेडनेसडे और हाल में माई नेम इज खान आईं। मैंने कोशिश की कि एक तरह के किरदार में न बंध जाऊं। मैं सब करना चाहता हूं। अब मैं कॉमेडी भी करना चाहता हूं।
आप कॉमेडी फिल्म करना चाहते हैं?
हां, यदि आप मुझसे पूछेंगे, तो मैं कहूंगा कि लाइट हार्टेड फिल्म करना चाहता हूं। इंटेंस फिल्म चूस लेती है कलाकार को। मुझे लगता है कि मैं लाइट हार्टेड फिल्मों के लिए बना हूं, लेकिन मुझे कोई मौका नहीं देता। मेरे पास वैसी फिल्में आती ही नहीं। मेरे पास एक कॉमेडी फिल्म टॉम डिक ऐंड हैरी आई और मैंने उसे आंख मूंदकर स्वीकार कर लिया, लेकिन मैं जो फिल्में कर रहा हूं, उनसे खुश हूं।

-रघुवेंद्र सिंह

Friday, April 9, 2010

चाहिए ग्लैमर और रोमांस: रुसलान मुमताज

जाने कहां से आई है रुसलान मुमताज की तीसरी फिल्म है। निखिल आडवाणी निर्मित और मिलाप झावेरी निर्देशित इस फिल्म में उन्होंने यंग सुपर स्टार देश की भूमिका निभाई है। पहली दोनों फिल्मों एमपी 3 और तेरे संग में कॉलेज ब्वॉय की भूमिका निभा चुके रुसलान सुपर स्टार की भूमिका को लेकर बेहद उत्साहित हैं। वे कहते हैं, फिल्म जाने कहां से आई है मेरे करियर का टर्निग प्वाइंट साबित हो सकती है। इसमें निखिल आडवाणी ने मुझे एक सुपर स्टार की तरह प्रस्तुत किया है। पहली दोनों फिल्मों से लोगों ने मुझे नोटिस किया था, लेकिन इसमें मुझे देखने के बाद इंडस्ट्री के लोग कहेंगे कि एक और हीरो मिल गया। इस फिल्म के बाद मुझे हिंदी फिल्मों के हीरो वाले रोल मिलेंगे। ऐसी मुझे उम्मीद है।
फिल्म और अपनी भूमिका के बारे में रुसलान बताते हैं, फिल्म जाने कहां से आई है में एक युवक राजेश की कहानी है। राजेश को प्यार नहीं मिलता। वीनस से एक लड़की तारा अपने प्यार की खोज में धरती पर आती है। दोनों के बीच रुकावट बनता है मेरा किरदार। मेरे किरदार का नाम है देश। देश अपनी पहली फिल्म से सुपर स्टार बन गया है। यह किरदार रितिक रोशन से प्रेरित है। रुसलान मेंशन करते हैं, राजेश का किरदार रितेश देशमुख और जैक्लीन फर्नाडिस तारा का किरदार निभा रही हैं।
एमपीथ्री और तेरे संग फिल्मों में लीड रोल कर चुके रुसलान जाने कहां से आई है में पहली बार रितेश देशमुख के साथ सेकेंड लीड में हैं। वे कहते हैं, रितेश सक्सेसफुल एक्टर हैं। मैं उनका फैन हूं। एक वजह यही है कि मैंने यह फिल्म की। दूसरी वजह यह है कि देश का किरदार मुझे अच्छा लगा। फिर यह निखिल आडवाणी की फिल्म है। मैं ना कह ही नहीं सकता था। मैं अपने डिसीजन से खुश हूं। यह फिल्म मेरे लिए री-लॉन्च जैसी है।
जाने कहां से आई है फिल्म करने का अनुभव रुसलान बांटते हैं, बहुत मजेदार अनुभव रहा। रितेश डाउन टु अर्थ हैं। वे कभी स्टार की तरह बिहेव नहीं करते। जैक्लीन फर्नाडिस नेचर की भी बहुत खूबसूरत हैं। फिल्म के निर्देशक मिलाप झावेरी यंग हैं। हम सब सेट पर बहुत मस्ती करते थे। इस फिल्म ने मुझे रितेश, जैक्लीन, मिलाप, सोनल और विशाल जैसे अच्छे दोस्त दिए।
रुसलान की अगली फिल्म निखिल पंचमिया की मस्तंग मामा होगी। वे बताते हैं, यह कॉमेडी फिल्म है। उसमें मैं फिर सोलो हीरो के तौर पर नजर आऊंगा। रुसलान आगे कहते हैं, फिल्म जाने कहां से आई है में मुझे जैसे प्रस्तुत किया गया है, मैं वैसे ही रोल वाली फिल्में करना चाहता हूं। मैं कॉमर्शियल फिल्म करना चाहता हूं, जिसमें खूब ग्लैमर हो, डांस और रोमांस हो।
-रघुवेंद्र सिंह

अभिनय की पाठशाला

ट्यूशन केवल आपका बच्चा ही नहीं पढ़ता, सिल्वर स्क्रीन पर चमकने वाले सितारे भी गुजरते हैं ऐसी ही प्रक्रिया से। बॉलीवुड में एक्िटग स्कूल्स के ट्रेडीशन और करेंट ट्रेंड पर निगाह डाली रघुवेन्द्र सिंह ने -
चार दशक पहले तक फिल्म बिरादरी के लोगों का मानना था कि अभिनय जन्मजात कला है। इसे प्रशिक्षण के द्वारा इंसान को नहीं सिखाया जा सकता, लेकिन आज स्थिति पलट गई है। अब किसी कलाकार को ब्रेक देने से पहले निर्माता-निर्देशकों का पहला सवाल होता है कि क्या उन्होंने अभिनय सीखा है? उसका प्रशिक्षण लिया है? यही वजह है कि फिल्म इंडस्ट्री से आए रणबीर कपूर और सोनम कपूर को भी अभिनय की बारीकियां सीखनी पड़ीं। उन्होंने भी एक्टिंग की क्लास अटेंड कीं।
[हंसी का पात्र बनते थे प्रशिक्षु]
तमाम विरोधों के बावजूद रोशन तनेजा 1963 में पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में एक्टिंग डिपार्टमेंट शुरू करने में सफल रहे। इससे पहले नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में थिएटर की एक्टिंग सिखाई जाती थी। रोशन तनेजा के पहले बैच के विद्यार्थियों में सुभाष घई और असरानी भी थे। ये लोग जब अभिनय का प्रशिक्षण लेकर फिल्म इंडस्ट्री में काम तलाशने निकले तो लोग उनका मजाक उड़ाते थे। असरानी बताते हैं, ''लोग हमें देखकर हंसते थे कि डिप्लोमा लेकर आए हैं एक्टिंग करने।'' रोशन तनेजा बताते हैं, ''तब मैं असरानी से कहता था कि पांच साल इंतजार करो। मेरा कहा सच निकला। पांच साल बाद लोगों का नजरिया एकाएक बदल गया। मेरे स्टूडेंट्स को फिल्मों में काम मिलने लगा।''
[गुरुओं की बढ़ने लगी डिमांड]
जया बच्चन, शबाना आजमी, ओम पुरी, नसीरूद्दीन शाह, अनिल धवन, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे कई कलाकारों की फिल्मों में सफलता के बाद रोशन तनेजा से प्रशिक्षण लेने वालों की संख्या बढ़ने लगी। एफटीआईआई से प्रशिक्षित कलाकारों पर फिल्म के निर्माता-निर्देशकों की नजर रहने लगी। रोशन तनेजा बताते हैं, ''1973 में एफटीआईआई मैंने छोड़ दिया। वहां राजनीति होने लगी थी। सरकार ने एक्टिंग डिपार्टमेंट भी बंद कर दिया। मैंने 1976 में मुंबई में रोशन तनेजा एक्टर्स स्टूडियो खोला। अनिल कपूर और गुलशन ग्रोवर मेरे पहले बैच के स्टूडेंट थे। माधुरी दीक्षित, संजय दत्त, जूही चावला, अजय देवगन, मनीषा कोइराला, सुनील शेंट्टी, रानी मुखर्जी, सनी देओल, आमिर खान, तब्बू, करिश्मा कपूर, गोविंदा, सैफ अली खान, अभिषेक बच्चन, सोनम कपूर और रणबीर कपूर मेरे स्टूडेंट रहे हैं।'' 1972 में एफटीआईआई में रोशन तनेजा के स्टूडेंट रहे किशोर नमित कपूर ने पच्चीस साल पहले मुंबई में किशोर नमित कपूर एक्टिंग इंस्टीट्यूट खोला। फिल्म इंडस्ट्री के लोगों में उनका इंस्टीट्यूट बेहद लोकप्रिय है। प्रियंका चोपड़ा, रितिक रोशन, अक्षय खन्ना, अरबाज खान, अर्जुन रामपाल, जॉन अब्राहम, करीना कपूर, नील नितिन मुकेश, विवेक ओबराय उनके स्टूडेंट रहे हैं।
[मंहगे हो गए अभिनय के अध्यापक]
रोशन तनेजा और किशोर नमित कपूर के साथ बैरी जॉन, अनुपम खेर और सुभाष घई अभिनय के लोकप्रिय अध्यापक माने जाते हैं। बैरी जॉन का द बैरी जॉन एक्टिंग स्टूडियो, सुभाष घई का ह्विस्लिंग वुड्स इंटरनेशनल और अनुपम खेर का एक्टर प्रिपेयर्स मुंबई आए संघर्षशील कलाकारों का फेवरिट एक्टिंग स्कूल है। किशोर नमित कपूर कहते हैं, ''निर्माता-निर्देशकों को इन दिनों प्रोफेशनल कलाकार चाहिए। अब किसी के पास रीटेक लेने का टाइम नहीं है। यही वजह है कि एक्टिंग गुरुओं और एक्टिंग संस्थानों की डिमांड बढ़ रही है।'' प्रोफेशनल कलाकारों की बढ़ी डिमांड से एक्टिंग स्कूल मुनाफे का बिजनेस बन गया है। अनुपम खेर ने अपने स्कूल की शाखाएं देश के कई शहरों सहित विदेश में भी खोल दी हैं। सुभाष घई भी पीछे नहीं हैं। दिलचस्प बात है कि इन लोकप्रिय अध्यापकों के शिष्य बनने का सौभाग्य सिर्फ अमीर विद्यार्थियों को मिलता है। इन सभी अध्यापकों के संस्थान में चार महीने के एक्टिंग कोर्स की फीस एक से डेढ़ लाख रूपए है। इस बाबत बैरी जॉन तर्क देते हैं, ''अंधेरी में मैंने अपना एक्टिंग स्टूडियो खोला है। यह मुंबई का बेहद मंहगा एरिया है। रेंट, इक्वीपमेंट सब चीजें महंगी हैं। मैं बिजनेसमैन नहीं हूं। आर्टिस्ट हूं। फिर भी सब जोड़कर फीस वाजिब है।'' सुभाष घई कहते हैं, ''फीस मंहगी तो है, लेकिन हम जो नई शाखाएं खोलने जा रहे हैं, वहां फीस कम होगी। स्टूडेंट अफोर्ड कर सकेंगे।''
[तैयार हो रहे हैं नई पीढ़ी के सितारे]
इस वक्त किशोर नमित कपूर के एक्टिंग स्कूल में सुनील शेंट्टी के भांजे कबीर, राजेश रोशन के बेटे ईशान रोशन, डेविड धवन के बेटे वरूण धवन, बोनी कपूर के बेटे अर्जुन कपूर ट्रेनिंग ले रहे हैं। रोशन तनेजा के स्कूल में दिलीप ताहिल के बेटे और सलमान खान के परिवार की नाजिया एक्टिंग सीख रही हैं। जो छात्र मोटी फीस नहीं वहन कर सकते, उनके लिए किशोर नमित कपूर एक ट्रस्ट तथा बैरी जॉन एक आश्रम खोलने की योजना बना रहे हैं। वहां छात्रों को निशुल्क एक्टिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी!
[टैलेंट बिना नहीं होती एक्टिंग]
रोशन तनेजा को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का पहला 'एक्टिंग गुरू' कहा जाता है। वे 1950 में स्कॉलरशिप पर अमेरिका एक्टिंग की ट्रेनिंग लेने गए। चार साल बाद वे मुंबई लौटे और उन्होंने एक्टिंग की ट्रेनिंग देने की वकालत की।
रोशन तनेजा से बातचीत के विशेष अंश-
[ऐसा माना जाता है कि अभिनय जन्मजात गुण है। फिर आपके जेहन में अभिनय सिखाने की बात कैसे आई?]
यदि डांस और सिंगिंग सिखाई जा सकती है तो एक्टिंग क्यों नहीं। एक्टिंग भी तो कला है। लता मंगेशकर और रवि शंकर जैसे महान लोगों ने संगीत की ट्रेनिंग ली है। मैं स्वयं एक्टिंग की ट्रेनिंग लेकर लौटा था। मैं भी मानता हूं कि एक्टिंग के लिए टैलेंट जरूरी है। वरना आप एक्टिंग नहीं कर सकते।
[जब आपने एक्टिंग की ट्रेनिंग देने की पहल की तो लोगों की क्या प्रतिक्रिया थी?]
लोग कहते थे कि देखो भाई, सबको एक्टिंग सिखाने चले हैं। अमेरिका से ट्रेनिंग लेकर आए हैं। मेरी जर्नी फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, पुणे से शुरू हुई। 1963 में हमने वहां दो साल का एक्टिंग कोर्स शुरू किया। पांच साल के भीतर मेरे पहले स्टूडेंट नवीन निश्चल को सावन भादो फिल्म में हीरो के तौर पर ब्रेक मिला। बाद में जया बच्चन, शबाना आजमी, ओम पुरी, डैनी, नसीरूद्दीन शाह, शत्रुघ्न सिन्हा के चमकने के बाद तो लोगों को एक्टिंग की ट्रेनिंग जरूरी लगने लगी। अब कहते हैं कि पहले जाओ एक्टिंग की ट्रेनिंग लेकर आओ।
[दिलीप कुमार, अशोक कुमार और अमिताभ बच्चन ने एक्टिंग की ट्रेनिंग नहीं ली। वे एक्टिंग के लीजेंड कहलाते हैं। क्या कहेंगे?]
अशोक कुमार, दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म देखिए। कितना बुरा काम उन्होंने किया है। अशोक कुमार की बेटी प्रीति गांगुली मेरे यहां ट्रेनिंग के लिए आई थीं। एक बार दिलीप साब से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि हमको दस साल लग गए एक्टिंग सीखते-सीखते। हम पढ़े-लिखे थे। अपनी गलतियों से सीखते गए। अशोक कुमार ने कहा था कि उन्होंने ऑन जॉब एक्टिंग सीखी। अमिताभ बच्चन आज भी मुझसे कहते हैं कि यदि मैंने एक्टिंग की ट्रेनिंग ली होती तो आज कहीं और होता।
[शाहरुख की सफलता का क्रेडिट नहीं ले सकता : बैरी जॉन ]
मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं। मैंने आज तक हजारों लोगों को ट्रेनिंग दी है, लेकिन सब शाहरुख खान जैसी सफलता क्यों नहीं हासिल कर पाए? शाहरुख ने जो कुछ अचीव किया है, यदि वह मेरे कारण है तो फिर मेरे और स्टूडेंट वह सब क्यों नहीं अचीव कर पाए? शाहरुख ने जो अचीव किया है उसका क्रेडिट उन्हें जाता है, क्योंकि मैंने उन्हें मुंबई जाने के लिए नहीं कहा था। मैंने शाहरुख खान को सिर्फ फाउंडेशन दी। उस वक्त मेरा एक्टिंग स्कूल नहीं था। मैं टैग (थिएटर एक्शन ग्रुप) से जुड़ा था। मैं वहां स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग देता था। मैं और शाहरुख साथ ट्रेनिंग करते थे। हम वर्कशॉप करते थे। कैरेक्टर क्रिएट करते थे। उन्हें परफॉर्म करते थे। शाहरुख अच्छे ऑबजर्वर हैं। उनकी जर्नी फेयरी टेल की तरह है। उन्होंने अपनी जर्नी खुद तय की है। कॅरियर को समझदारी से हैंडल किया है। शाहरुख की सफलता का क्रेडिट मैं नहीं ले सकता।
[बेस्ट स्टूडेंट है रितिक : किशोर नमित कपूर (रितिक रोशन के ट्रेनर)]
राकेश रोशन एक्टिंग की ट्रेनिंग में बिलीव नहीं करते थे। रितिक अपनी मर्जी से मेरे पास आया था। उस वक्त वह हड्डियों का ढांचा था। जब उसने बात करनी शुरू की तभी मैंने पकड़ लिया कि वह हकलाता है। उसको बैकएक था। डॉक्टर ने उसे मना किया था एक्टिंग और डांस करने से। रितिक मेरा बेस्ट स्टूडेंट है। वैसा स्टूडेंट आज तक मुझे नहीं मिला। रितिक अनअज्यूंिमंग था। रितिक जैसा डेडीकेशन मैंने आज तक किसी स्टूडेंट में नहीं देखा। उसने कभी एक भी क्लास मिस नहीं की। उसने अपनी कमियों को सुधारा। रितिक ने सिंगिंग सीखी। सिंगिंग के जरिए उसने अपनी सांस पर कंट्रोल करना सीखा। रितिक ने बाद में मुझे बताया कि वह क्लास में डरता था और रोज ईश्वर से प्रार्थना करता था कि हकला न दे। थ्योरी कंप्लीट हुई तो हमने रितिक के साथ एक सीन शूट किया। रितिक वह कैसेट घर ले गया। उसकी मां पिंकी ने कैसेट देखा और वह रो पड़ीं। उन्होंने वह कैसेट राकेश रोशन को दिखाया। उस रात दो बजे राकेश जी का फोन आया कि बेटा तो पैदा हुआ था, लेकिन आज स्टार पैदा हो गया।

मुकेश मिल-भूतों का बसेरा है!

हॉरर और थ्रिलर फिल्मों की शूटिंग का प्रसिद्ध स्थल है मुकेश मिल। यहाँ खौफनाक फिल्में ही नहीं बनतीं, इससे जुड़े किस्से भी पैदा कर देते हैं रीढ़ में सिहरन-
बीते साल की हिट फिल्म राज-द मिस्ट्री कंटीन्यूज का वह भयावह इंटरवल सीन सभी को याद होगा, जब कंगना रानाउत के भीतर पहली बार भूत प्रवेश करता है और वे अजीब सी आवाज में चीखते-चीखते दीवार पर टंग जाती हैं। उस दृश्य में इमरान हाशमी और अध्ययन सुमन भी थे। यह दृश्य फिल्माया गया था मुंबई में हॉरर फिल्मों की परफेक्ट लोकेशन मुकेश मिल में।
158 साल पुरानी मुकेश मिल के बारे में कहा जाता है कि यहां आत्माओं का वास है। कुछ फिल्मकार एवं कलाकार भूतों के डर से मिल में कभी शूटिंग करने नहीं गए, वहीं मधुर भंडारकर जैसे फिल्मकार मुकेश मिल को अपने लिए लकी मानते हैं और अपनी हर फिल्म के कुछ दृश्यों की शूटिंग यहां जरूर करते हैं। कुछ दिनों पहले विपुल शाह ने अपनी नई फिल्म एक्शन रिप्ले का होली गीत ऐश्वर्य राय बच्चन और नेहा धूपिया पर यहीं फिल्माया।
[आग में झुलसा अतीत]
मुकेश मिल का निर्माण 1852 में हुआ था। दस एकड़ की जमीन पर बनी इस मिल में कपड़े बनते थे। 1970 में मुकेश मिल शॉट सर्किट की वजह से पहली बार आग में झुलसी थी, लेकिन दो साल बाद मिल फिर से सुचारू रूप से चलने लगी। लगभग एक दशक बाद जब दोबारा यह मिल आग की चपेट में आयी तो संवर और संभल न सकी। इस बार आग की लपटें इतनी तेज और भयावह थीं कि मुकेश मिल का लगभग हर कोना कालिख में सन गया। कपड़े बनाने की मशीनें जल गईं, मिल की ऊंची दीवारें ध्वस्त हो गईं और साढ़े तीन हजार लोग अचानक बेरोजगार हो गए। मुकेश मिल खंडहर में तब्दील हो गयी। 1984 से मुकेश मिल को फिल्मों की शूटिंग के लिए किराए पर दिया जाने लगा। मिल खंडहर बन चुकी थी, इसलिए हॉरर और थ्रिलर फिल्मों की शूटिंग यहां तेजी से होने लगी और कुछ ही समय में मुकेश मिल इस किस्म की फिल्मों के लिए परफेक्ट लोकेशन बन गई।
[दफ्तर बन गए मेकअप रूम]
मुकेश मिल दक्षिण मुंबई के कोलाबा में एन ए सावंत मार्ग पर स्थित है। चर्चगेट रेलवे स्टेशन से टैक्सी द्वारा पन्द्रह मिनट में यहां पहुंचा जा सकता है। यह मुंबई के शोरगुल से दूर समुद्र के किनारे स्थित है। मिल की चहारदीवारी में इंटर करते ही अजीब सा सन्नाटा महसूस होता है। मिल के प्रांगण में हर तरफ खंडहर नजर आता है। खंडहरों में कई पेड़ उग आए हैं। मिल के पिछले हिस्से से विशाल समुद्र का आकर्षक नजारा देखा जा सकता है। फिलहाल, मिल के सिर्फ छोटे दफ्तर सलामत हैं। इनमें कुछ दफ्तरों को अब प्रॉपर्टी, मेकअप और डांसर रूम बना दिया गया है। गत छब्बीस वर्षो में मुकेश मिल में अनगिनत फिल्मों, म्यूजिक वीडियो, सीरियल और विज्ञापनों की शूटिंग हो चुकी है। हाल के वर्षो में भूतनाथ, राज-द मिस्ट्री, कुर्बान, जश्न, राज-द मिस्ट्री कंटीन्यूज, एसिड फैक्ट्री, एक खिलाड़ी एक हसीना, दस कहानियां, आवारापन, हे बेबी, ट्रैफिक सिग्नल फिल्मों की शूटिंग यहां हुई।
[भूतों का मसला]
मुकेश मिल में रात में शूटिंग करने वालों के पास कोई न कोई किस्सा बताने के लिए है। युवा निर्देशक रेंसिल डिसिल्वा बताते हैं, ''मिल में चिमनी के पास पीपल का एक पेड़ है। कहा जाता है कि वहां भूत-प्रेत रहते हैं। एक खिलाड़ी एक हसीना फिल्म की शूटिंग के समय फरदीन खान ने कहा कि यूनिट का कोई भी शख्स यदि अकेले चिमनी के पास चला जाएगा तो वे उसे दस हजार रूपए नकद देंगे, लेकिन कोई वहां जाने की हिम्मत न कर सका। टीवी एक्ट्रेस कामया पंजाबी बताती हैं, ''ठीक एक साल पहले की बात है। मैं जी टीवी के सीरियल बनूं मैं तेरी दुल्हन के अपने कमबैक सीन की शूटिंग कर रही थी। रात के आठ बजे थे। किसी ने आकर बताया कि मिल में दूसरी तरफ एक लड़की है। वह अजीब आवाज में बोल रही है कि यहां से चले जाओ। मेरी जगह है। मेरे डायरेक्टर और यूनिट के लोग उसे देखने गए। मैं भी जाने वाली थी, लेकिन मैं एक भयानक सीन अपने मन में नहीं बैठाना चाहती थी। वहां मेरी कई चीजें भी गायब हो गईं।'' उनके विपरीत तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता मधुर भंडारकर मुकेश मिल को लकी जगह मानते हैं। पेज थ्री, कॉरपोरेट, ट्रैफिक सिग्नल फिल्म के कुछ दृश्यों की शूटिंग उन्होंने मिल में की है। महेश भट्ट भी इसको बढि़या जगह मानते हैं।
[अब न होगी शूटिंग]
खंट्टी-मीठी यादों की सौगात देने वाली मुकेश मिल जल्द ही भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक नाम बनकर रह जाएगी। प्रॉपर्टी के मालिक विकास अग्रवाल मुकेश मिल के स्थान पर रेसिडेंसियल कम कमर्शियल कांप्लेक्स बनाने जा रहे हैं। मुकेश मिल को तोड़कर एक फाइव स्टार होटल बनाने की भी उनकी योजना है। यह सुनकर प्रख्यात फिल्मकार मुकेश भंट्ट बेहद आहत हैं। वे कहते हैं, ''मुकेश मिल के टूटने की बात सुनकर मेरा दिल बैठ गया। मैंने वहां अनगिनत फिल्में शूट की हैं। ऐसा लग रहा है कि मेरा वर्षो पुराना कोई दोस्त छूट रहा है। मैं ही नहीं पूरी फिल्म बिरादरी मुकेश मिल की कमी महसूस करेगी। मुकेश मिल्स फिल्म इंडस्ट्री का सबसे कीमती गहना है।''
[बकवास है यह बात]
प्रख्यात फिल्मकार महेश भंट्ट इस संदर्भ में अपना अनुभव कुछ यूं बांटते हैं, ''नब्बे में लोग मुकेश मिल को मनहूस जगह मानते थे। कहते थे कि वहां शूट हुई फिल्में फ्लॉप हो जाती हैं। मैंने पहली बार मुकेश मिल में अपनी फिल्म सड़क का मुहूर्त किया था। लोगों ने कहा कि आप वह सीन कहीं और री शूट कर लीजिए। मैंने कहा कि आप जाहिलों जैसी बातें क्यों कर रहे हैं? मैंने री शूट नहीं किया और बाद में सड़क सुपरहिट हुई। फिल्म इंडस्ट्री के लोग अजीब हैं। यहां फिल्म नहीं चलती तो अपने कथानक को लोग दोष नहीं देते, मुकेश मिल को दोष देते हैं!''
-रघुवेन्द्र सिंह