Sunday, September 28, 2008

बच्चे मेरी कमजोरी हैं: जैकी श्रॉफ

[रघुवेंद्र सिंह]

फिल्म यादें में पिता की अविस्मरणीय भूमिका निभा चुके जैकी श्रॉफ फिल्म हरी पुत्तर में एक शरारती बच्चे के पिता की दिलचस्प भूमिका में नजर आएंगे। वे यह किरदार निभाकर बेहद खुश हैं। वे अपने किरदार और फिल्म के बारे में बताते हैं, मैं फिल्म में आठ साल के बच्चे हरी के पिता का किरदार निभा रहा हूं, जिसे सभी अंकल डीके कहकर बुलाते हैं। हरी बहुत शरारती बच्चा है और उससे सब लोग परेशान रहते हैं। यह फिल्म पूरी तरह से कॉमेडी है। मुझे पूरा यकीन है कि इस फिल्म को देखते वक्त दर्शक एक पल के लिए भी शांति से नहीं बैठ पाएंगे। वे हंसते-हंसते लोट-पोट हो जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि लकी कोहली निर्देशित हरी पुत्तर में बाल कलाकार जेन खान मुख्य भूमिका में हैं। जैकी श्रॉफ ने जेन के साथ काम करते हुए बहुत एंज्वॉय किया। वे कहते हैं, मुझे बच्चों के साथ धमा-चौकड़ी मचाना अच्छा लगता है। मुझे उनके साथ मिलकर शैतानी करने में भी मजा आता है। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान मैं सेट पर अक्सर जेन, स्वीनी और दूसरे बाल कलाकारों के साथ खेलता था। सच कहूं, तो इस फिल्म की शूटिंग के वक्त मुझे मेरे बचपन के दिन याद आ गए। दरअसल, इस बात से कम लोग ही परिचित होंगे कि बच्चे मेरी कमजोरी हैं। मैं बच्चों की खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूं।
चर्चा है कि जैकी श्रॉफ के बेटे जय हेमंत श्रॉफ उर्फ टाइगर भी उन्हीं के नक्शेकदम यानी ऐक्टिंग में आने की योजना बना रहे हैं। इस बारे में जैकी कहते हैं, जय अभी बहुत छोटा है। उसने मुझे अभी तक बताया नहीं है कि किस क्षेत्र में करियर बनाना चाहता है, लेकिन मुझे बहुत खुशी होगी, यदि वह ऐक्टिंग में आएगा। मैं चाहूंगा कि वह ऐक्टिंग में आए। उल्लेखनीय है, कभी केंद्रीय भूमिकाओं में नजर आने वाले जैकी श्रॉफ अब फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाओं में दिखते हैं। कभी-कभी तो उनके किरदार में वजन भी नहीं होता है। इस बात को लेकर जैकी के प्रशंसकों को भले ही नाराजगी हो, लेकिन जैकी इस तरह का काम करके खुश और अपने करियर की मौजूदा स्थिति से संतुष्ट हैं। वे कहते हैं, जिसकी किस्मत में ईश्वर ने जितना लिखा होता है, उसे उतना ही मिलता है। मैंने अब तक जो भी काम किया है, उससे आम लोगों के बीच मेरी अपनी एक पहचान है। मैं कहीं भी जाता हूं, तो लोग मुझे पहचानते हैं। इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए? मैं आज भी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हूं, क्या यह कम बड़ी बात है? मैं अपने काम के बारे में ढोल नहीं पीटता, इसका मतलब यह नहीं कि मेरे पास काम नहीं है या फिर मैं अच्छा काम नहीं कर रहा हूं! मैं अपने काम से खुश हूं। जैकी आगे कहते हैं, मैं जल्द ही फिल्म साई बाबा में साई की केंद्रीय भूमिका में दिखूंगा। इसके अलावा, मेरी दो अन्य फिल्में चेहरे और एक सेंकॅन्ड रिलीज के लिए तैयार हैं। साथ ही मैं पुनीत सिरा की फिल्म किसान और संजय दत्त के साथ एक ऐक्शन फिल्म भी कर रहा हूं। फिल्म हम आपके हैं कौन फेम अभिनेत्री रेणुका शहाणे के निर्देशन में बनने वाली फिल्म रीता की याद दिलाने पर जैकी कहते हैं, अरे हां, मैं रेणुका की फिल्म भी कर रहा हूं। वह फिल्म शांति गोखले के नॉवेल पर आधारित है। मुझे उसकी कहानी बहुत पसंद है। रेणुका ने जब मुझे यह फिल्म ऑफर की, तो मैं उन्हें मना नहीं कर सका। इसके दो कारण हैं। एक तो मुझे नॉवेल बहुत पसंद है और दूसरा मेरी मां का नाम भी रीता है। ऐसे में मैं रेणुका को मना कैसे कर सकता था?

डांस: पंजाबियों के खून में होता है

[रघुवेंद्र सिंह]
भारतीय क्रिकेट टीम के धुरंधर गेंदबाज हरभजन सिंह आजकल पंजाब की हसीन कुड़ी मोना सिंह के साथ डांस की पिच पर भांगड़ा करते नजर आ रहे हैं। भज्जी का यह दिलचस्प अंदाज कलर्स चैनल के शो एक खिलाड़ी एक हसीना में देखा जा सकता है। हरभजन के प्रशंसक उनके इस नए रूप को देखकर हैरान हैं। हरभजन कहते हैं, मेरा इस शो से जुड़ने का उद्देश्य ही यही था। दरअसल, जिस वक्त मेरे पास इस शो का प्रस्ताव आया मैं खाली बैठा हुआ था। मैंने सोचा कि चलो समय का सदुपयोग करते हुए कुछ नया करते हैं। वैसे, आरंभ में मैंने शो का प्रस्ताव ठुकरा दिया था।
हरभजन आगे कहते हैं, मैं लकी हूं कि मुझे मोना जैसी पार्टनर और टीचर मिली है, वरना मैं पहले दिन ही शो छोड़कर भागने की तैयारी कर चुका था। क्रिकेट के मैदान पर उछलना-कूदना अलग बात है और किसी डांस प्रतियोगिता के मंच पर थिरकना अलग। मैं क्रिकेट खेलने के लिए ही बना हूं। इसपर हरभजन को बीच में रोकते हुए मोना कहती हैं, भज्जी बिल्कुल गलत कह रहे हैं। वह एक बेहतरीन डांसर हैं। पहले मैंने उन्हें क्रिकेट के मैदान पर डांस करते देखा था। अब वह मेरे साथ डांस की पिच पर खूब धमाल मचा रहे हैं। मैं बता दूं कि डांस पंजाबियों के खून में होता है।
उल्लेखनीय है, एक खिलाड़ी एक हसीना में क्रिकेट एवं एक्टिंग जगत की एक-एक शख्सियत को लेकर कुल छह जोड़ियां बनायी गई हैं। उन जोड़ियों में हरभजन-मोना, श्रीसंत-सुरवीन चावला, इरफान पठान-आशिमा भल्ला, दिनेश कार्तिक-निगार खान, निखिल चोपड़ा-बरखा बिष्ट और विनोद कांबली-शमा सिकदर के नाम शामिल है।
मोना कहती हैं, हम अन्य जोड़ियों के बारे में सोचते ही नहीं है। मैं और भज्जी केवल अपने स्टेप पर ध्यान देते हैं। मेरा मानना है कि रेस में दूसरों पर ध्यान देने से इंसान पीछे रह जाता है। इस बाबत हरभजन कहते हैं, श्रीसंत बहुत अच्छे डांसर हैं। मुझे उनसे थोड़ा डर लगता है, लेकिन मैं मंच पर पूरी तरह कांफिडेंट रहता हूं, क्योंकि मेरी पार्टनर मोना है।
उल्लेखनीय है, अभिनेत्री मोना सिंह डांस बेस्ड रियलिटी शो झलक दिखला जा की विजेता भी रह चुकी हैं। हरभजन सिंह कहते हैं, मैंने मोना का शो जस्सी..देखा था। उसमें वे बहुत अच्छी थीं। यहां इस शो में वह मेरी टीचर हैं। इस रूप में वह बहुत सख्त हैं। वह मुझे बहुत डांटती भी हैं। हरभजन की बात पर मोना हंसते हुए कहती हैं, मैं पहले सोचती थी कि भज्जी बहुत गंभीर और तुनकमिजाज शख्स होंगे, लेकिन शो के पहले दिन मैंने देखा कि ये बहुत सीधे और सरल हैं। फिर क्या था, मैं दूसरे दिन से उनपर रौब जमाने लगी। वह मेरी बातों को बड़े गौर से सुनते और उन पर अमल करते हैं।
मोना कहती हैं, हमारी जोड़ी फाइनल में जरूर पहुंच चुकी है, लेकिन अभी फाइनल एपीसोड की शूटिंग बाकी है। हमें यकीन है कि हम दोनों इस शो के विजेता बनेंगे। भविष्य में इस तरह के किसी अन्य शो का हिस्सा बनने के बारे में पूछने पर हरभजन कहते हैं, मेरे लिए क्रिकेट सर्वप्रथम है। संभव है कि मेरी आने वाली पीढ़ी यानी मेरे बच्चे इस क्षेत्र में कुछ करें। मोना यह कहते हुए बात समाप्त करती हैं, मैं बहुत जल्द जस्सी के रूप में एक बार फिर दर्शकों के सामने आने वाली हूं। मेरे लोकप्रिय शो जस्सी जैसी कोई नहीं का पार्ट टू बनाने की तैयारी चल रही है।

Saturday, September 27, 2008

बुरी आदत है बाल विवाह: अविका गौर

[रघुवेंद्र सिंह]
आजकल टी.वी. दर्शकों के बीच कलर्स चैनल का धारावाहिक 'बालिका वधू' काफी चर्चा में है। यह धारावाहिक भारतीय समाज में व्याप्त बाल विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथा को प्रभावी तरीके से उजागर कर रहा है। इस धारावाहिक की लोकप्रियता का आलम यह है कि इसकी केंद्रीय पात्र आनंदी की खुशी में दर्शक खुश होते है और उसके दुखी होने पर सबकी आंखों से आंसू छलक जाते है। आनंदी की भूमिका निभा रहीं ग्यारह वर्षीय बाल कलाकार अविका गोर ने इस सीरियल से जुड़े अनुभवों और अपने सपनों को शेयर किया जागरण से
आनंदी-अविका सेम है
मैं और आनंदी एक ही जैसे है। हां, आनंदी मुझसे तीन साल छोटी है। आनंदी की तरह मुझे भी पढ़ना और खेलना बहुत अच्छा लगता है। उसी की तरह मैं अपने मम्मी-पापा से बहुत प्यार करती हूं। उनके बिना मैं एक पल नहीं रह सकती हूं। मुझमें और आनंदी में एक बड़ी असमानता यही है कि उसकी छोटी उम्र में शादी हो गई है जबकि मैं बचपन को एंज्वॉय कर रही हूं। मैं खुश हूं कि मेरे जीवन में आनंदी की दादी सास जैसा कोई नहीं है।
बाल विवाह से थी अंजान
मैंने पहली कक्षा में बाल विवाह के बारे में पढ़ा था, लेकिन मुझे तब इस बारे में कुछ समझ नहीं आया था। बालिका वधू का हिस्सा बनने के बाद मैं बाल विवाह के बारे में अब अच्छी तरह जान चुकी हूं। मेरे हिसाब से बाल विवाह बुरा होता है। दुनिया के किसी भी मम्मी-पापा को अपनी बेटी के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। लड़की की पढ़ाई छूट जाती है, उसके मम्मी-पापा छूट जाते है और सबसे खास बात यह है कि उसका बचपन खो जाता है।
एक्टिंग को काम नहीं मानती
मैं अब तक करम अपना-अपना, मेरी आवाज को मिल गई रोशनी, फिर कोई है और राजकुमार आर्यन में काम कर चुकी हूं। सच कहूं तो मैं एक्टिंग में पापा की वजह से आयी हूं। उन्होंने ही मुझे एक्टिंग में आने के लिए प्रेरित किया। मैं एक्टिंग को काम नहीं, खेल समझती हूं। मैं दिन भर सेट पर खेलती रहती हूं और खेलते-खेलते जाकर शॉट दे आती हूं। मुझे कैरम और बैडमिंटन खेलना अच्छा लगता है।
स्कूल की स्टार हूं
मैं मुंबई के मुलुंड स्थित शैरॉन इंग्लिश हाई स्कूल में पढ़ती हूं। अब मैं वहां की स्टार बन चुकी हूं। स्कूल में सभी मुझे बिंदड़ी, नकचढ़ी चुहिया, फुलरी और आनंदी कहकर बुलाते है। मैं स्कूल जाती हूं तो सभी आकर मुझसे सीरियल के बारे में पूछते है। मेरे सहपाठी आकर कहते है कि हम तुम्हारा सीरियल रोज देखते है। मेरे स्कूल की प्रिंसिपल कहती है कि तुम बहुत अच्छा काम कर रही हो।
अच्छी शरारतें करती हूं
मैं आनंदी की तरह बहुत भोली हूं। स्कूल हो या घर मैं शरारत बिल्कुल नहीं करती। हां, अच्छी शरारतें जरूर करती हूं। मैं लोगों के साथ खूब बातें करती हूं, भले ही वो मेरी बात सुनने में इंट्रेस्टेड न हों। ये भी तो शरारत हुई न? मैं अपनी पढ़ाई पर भी खूब ध्यान देती हूं। मैं अपनी किताबें सेट पर लेकर जाती हूं और जैसे ही फुरसत मिलती है, पढ़ने बैठ जाती हूं।
बनना चाहती हूं मिस यूनीवर्स
मैं बड़ी होकर मिस यूनिवर्स बनना चाहती हूं ताकि सुष्मिता सेन की तरह बड़ी हीरोइन बन सकूं। इसके साथ ही रितिक रोशन के साथ डांस करना चाहती हूं। मैं उन्हीं की तरह बहुत अच्छी डांसर हूं। मैं चार साल की उम्र से वेस्टर्न, क्लासिकल डांस सीख रही हूं। मैं जल्द ही बड़े पर्दे पर शाहिद कपूर और आएशा टाकिया के साथ फिल्म पाठशाला में एक्टिंग करती नजर आऊंगी।

अमिताभ-शाहरूख फिर दिखेंगे साथ

-रघुवेंद्र सिंह
मुंबई। अमिताभ बच्चन और शाहरूख खान की लोकप्रिय जोड़ी निर्देशक विवेक शर्मा की नई फिल्म कल किसने देखा में एक बार फिर साथ नजर आएगी। विवेक शर्मा के मुताबिक, अमित जी और शाहरूख खान मेरी नई फिल्म कल किसने देखा में छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन दोनों का किरदार दर्शकों के लिए बड़ा सरप्राइज होगा। मैंने शाहरूख के दृश्यों की शूटिंग पूरी कर ली है। अमित जी के साथ जल्द ही शूट करने वाला हूं। सच तो यह है कि मैं इन दोनों कलाकारों के बिना अपनी किसी फिल्म की कल्पना कर ही नहीं सकता हूं। ये दोनों कलाकार मेरी प्रत्येक फिल्म का हिस्सा होंगे।
ज्ञात हो, शाहरूख और अमिताभ आखिरी बार विवेक शर्मा की ही फिल्म भूतनाथ में साथ दिखे थे। कल किसने देखा से निर्माता वासु भगनानी के बेटे जैकी और मनमोहन देसाई की पौत्री वैशाली देसाई एक्टिंग में डेब्यू कर रहे हैं। जूही चावला भी इस फिल्म में मेहमान भूमिका में नजर आएंगी।

Monday, September 22, 2008

राइमा बनना चाहती थी एयरहोस्टेस

[रघुवेंद्र सिंह]
बॉलीवुड की प्रसिद्ध सेन बहनों में राइमा की अलग पहचान है। वह ग्लैमरस भूमिकाओं की अपेक्षा गंभीर एवं अर्थपूर्ण किरदारों में ज्यादा दिखती हैं। चोखेर बाली, एकलव्य और हनीमून टै्रवेल्स प्रा.लि. राइमा सेन की उल्लेखनीय फिल्में हैं। सप्तरंग के पाठकों को राइमा बता रही हैं अपने बचपन के बारे में-
[आम लड़की की तरह हुई परवरिश]
भले ही मेरा जन्म सुचित्रा सेन और मुनमुन सेन जैसी जानी-मानी अभिनेत्रियों के घर में हुआ हो, लेकिन मेरी परवरिश बिल्कुल आम लड़की की तरह हुई। मुझे बचपन में इस बात का जरा सा एहसास नहीं था कि मेरी दादी और मम्मी आम नहीं, खास इंसान हैं। इसकी वजह मेरे पापा थे जिनका फिल्म इंडस्ट्री से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने हमें चमकती दुनिया से दूर रखा। मैं छुटपन में बहुत शैतानी करती थी। मैं रिया से ज्यादा शरारती थी, पर हमारे पैरेंट्स मारने की बजाए हमें समझाते अधिक थे।
[एयर होस्टेस बनना चाहती थी]
मैं कक्षा छह तक औसत छात्रा थी। हां, सातवीं के बाद मैं पढ़ाई को लेकर गंभीर हो गई। मैं स्कूल में भी बहुत शरारतें करती थी। स्कूल में मेरे ज्यादा दोस्त नहीं थे। मेरी सबसे अच्छी दोस्त रिया थी और अब भी वही है। मैं बचपन में एयर होस्टेस बनने का सपना देखा करती थी। आसमान को छूना चाहती थी, लेकिन मॉडलिंग में आने के बाद कब एक्टिंग में आ गई, पता ही नहीं चला। मैंने कभी एक्ट्रेस बनने के बारे में नहीं सोचा था।
[होली था पसंदीदा त्योहार]
मुझे रंगों से बहुत प्यार है। यही वजह है कि बचपन में मेरा पसंदीदा त्योहार होली हुआ करता था। मैं होली का इंतजार पूरे साल किया करती थी। घर पर तो हम होली खेलते ही थे, स्कूल में भी जमकर होली हुआ करती थी। कई बार तो रंग खेलने के लिए हम क्लास तक बंक कर देते थे। आज उन दिनों को बहुत मिस करती हूं। अब प्रोफेशनल जिंदगी जीने लगे हैं। कई बार लगता है कि कितनी बनावटी दुनिया में आ गए हैं। पर क्या करें, एक्टिंग की लाइन ही ऐसी है।
[बेफ्रिक होते हैं बचपन के दिन]
हमारी पूरी जिंदगी में बचपन ही एकमात्र ऐसा दौर होता है जब हमें किसी चीज की चिंता नहीं होती है। किसी बात का गम नहीं होता है। हम बेफ्रिक होकर जिंदगी जी रहे होते हैं। आज मैं बचपन को मिस करती हूं। मैं बच्चों से कहूंगी कि वे बचपन को खुलकर जीएं। दिल लगाकर, लगन और मेहनत से पढ़ाई करें। जिंदगी में अपना और अपने मम्मी-पापा का नाम रोशन करने का लक्ष्य बनाएं।

कंगना बनी गुरु

[रघुवेंद्र सिंह]
अभिनेत्री कंगना राणावत आजकल अपने नए हमसफर अध्ययन सुमन को एक्टिंग के साथ-साथ जिंदगी का पाठ पढ़ाने में बेहद व्यस्त हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्हें इस मामले में कामयाबी भी हासिल हो रही है। दरअसल, पापा शेखर सुमन अपने लाडले बेटे अध्ययन को उनकी पहली फिल्म हाल-ए-दिल की असफलता के बाद से काम पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दे रहे थे। मगर अध्ययन जवां उम्र के अपने पहले प्यार यानी कंगना में खोए हुए थे। अब जब वही बात कंगना राणावत ने अध्ययन को समझायी, तो उन्होंने बड़ी विनम्रता से उनकी बात मान ली और अपने कॅरियर पर सारा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। अध्ययन सुमन कहते हैं, मैंने और कंगना ने कॅरियर को प्राथमिकता देते हुए कुछ समय के लिए एक-दूसरे से दूर रहने का फैसला किया है। जल्द ही कंगना अपनी फिल्म काइट्स की शूटिंग के लिए अमेरिका जा रही हैं और मैं अपनी नई फिल्म जश्न की शूटिंग आरंभ करने जा रहा हूं। कंगना ने मुझे समझाया कि शुरुआत के दो-तीन साल मेरे कॅरियर के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस बात में कोई शक नहीं है कि कंगना ने मुझे प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों तरह से प्रभावित किया है। मेरी जिंदगी में उनके आने से बहुत बदलाव आया है।
अध्ययन आगे कहते हैं, मैं राज टू के सेट पर अक्सर कंगना से एक्टिंग के टिप्स लेता था। इसके अतिरिक्त जब वे शॉट देती थीं तो मैं उन्हें ध्यान से देखता था। वे रीयल एक्टिंग करती हैं। मैंने उन्हें देखकर बहुत कुछ सीखने की कोशिश की। जहां तक पर्सनल लाइफ की बात है, तो मैं पहले देर से सोकर उठता था, लेकिन अब कंगना की वजह से मेरी दिनचर्या पूरी तरह से बदल गई है। अब मैं सुबह जल्दी उठ जाता हूं।
खैर, देखते हैं कि कंगना के मशविरों पर अमल करते हुए अध्ययन सफलता की पायदान चढ़ने में कितने कामयाब होते हैं?

Friday, September 19, 2008

शबाना जी ने मां का प्यार दिया: फरहान अख्तर

-रघुवेंद्र सिंह
शबाना के जन्मदिन 18 सितंबर पर विशेष...
जानी-मानी शख्सियत शबाना आजमी के आकर्षकव्यक्तित्व के कई शानदार पहलू हैं। वे न केवल अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अभिनेत्री, चर्चित समाजसेविका और सफल पत्नी हैं, बल्कि फरहान और जोया जैसे होनहार बच्चों की मां भी हैं। सच तो यह है कि शबाना ने भले ही फरहान और जोया को जन्म न दिया हो, लेकिन वे उनके प्रति मां की जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वाह करती आ रही हैं। 18 सितंबर को शबाना जिंदगी केएक नए वसंत में प्रवेश करने जा रही हैं। उनके बेटे फरहान उनके प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दे रहे हैं।
हमेशा साथ खड़ी रहीं: शबाना जी ने मुझे और जोया को हमेशा मां का प्यार दिया है। वे हमारे अच्छे-बुरे दिनों में हमेशा साथ खड़ी रहीं। सच तो यह है कि हमें जब भी उनकी जरूरत महसूस हुई, हमने हमेशा उन्हें अपने पास पाया। वे बहुत सपोर्टिव नेचर की महिला हैं और वे हमेशा हमारा उत्साह बढ़ाती हैं। हमारी तरक्की में खुश होती हैं। मेरे साथ एक समस्या यह है कि मैं अपने व्यक्तिगत रिश्तों के बारे में दुनिया के सामने चर्चा करने से हिचकिचाता हूं। यही वजह है कि मैं शबाना जी को लेकर अपने मन की बात ज्यादा किसी से नहीं कहता। खैर, वह मेरी पर्सनल फीलिंग है। मैं जानता हूं कि उनकी कितनी इज्जत और उन्हें कितना प्यार करता हूं। वे हमारे परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं।
मुझ पर उनका प्रभाव है: शबाना जी अपनी शर्तो पर जिंदगी जीती हैं। उन्होंने हमेशा हमें सीख दी है कि तुम्हारा जो मन कहता है, वही करो। जीत तभी हासिल होगी। वे कहती हैं कि जिंदगी अपनी शर्तो पर जीओ, दुनिया के कहने पर मत जाओ। सच कहूं, तो जिंदगी की बेसिक बातें मैंने उन्हीं से सीखी हैं। वे हमारी जिंदगी में नहीं आतीं, तो मैं समाज के बारे में जितना सचेत हूं, शायद नहीं होता। मेरी जिंदगी पर उनका बहुत प्रभाव है। बेटा होने के नाते मेरी हमेशा यही कोशिश होती है कि मैं उन्हें ज्यादा से ज्यादा खुशियां दूं। मेरी वजह से उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आए, मेरे लिए यह बड़ी बात होगी।
दूसरों के लिए प्रेरणा: शबाना जी एक साथ बहुत सारी जिम्मेदारियां निभा रही हैं। वे पब्लिक फिगर होने के बावजूद कभी कुछ कहने से डरती नहीं हैं। वे हमेशा अपने मन की बात कहती हैं। उनके जैसी निर्भीक महिलाएं हमारे समाज में काफी जरूर हैं, लेकिन वे सामने आने से डरती हैं। शबाना जी उनके लिए प्रेरणा हैं। मैंने देखा है कि ज्यादातर सेलिब्रिटी विवादास्पद मुद्दों पर कुछ कहने से डरते हैं। दरअसल, उन्हें डर लगता है कि उनका करियर उन मसलों में पड़ने से प्रभावित होगा, लेकिन शबाना जी इस मामले में अपवाद हैं, क्योंकि वे समाज के हित के लिए सदैव सामने आती हैं। मुझे लगता है कि उन्हें देखकर स्त्रियों को हिम्मत मिलती होगी। उनका व्यक्तित्व दूसरों के लिए प्रेरणा है।
जन्मदिन का है इंतजार: हम शबाना जी के जन्मदिन का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। हर बार उनके जन्मदिन पर घर में शानदार दावत होती है। इस बार भी होगी। मैं उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं। हमने जितने भी जन्मदिन साथ मनाए हैं, वे यादगार हैं। मेरे लिए किसी एक जन्मदिन का जिक्र करना मुश्किल होगा। अभी तक मैं यह निर्णय भी नहीं कर पाया हूं कि उन्हें इस बार क्या तोहफा दूंगा!

राजश्री प्रोडक्शन की एक विवाह ऐसा भी | आने वाली फिल्म

-रघुवेंद्र सिंह
राजश्री प्रोडक्शन की नई फिल्म एक विवाह ऐसा भी उनकी पिछली फिल्म विवाह का सीक्वल नहीं है। हां, यह उनकी पिछली फिल्मों की तरह प्रेम, त्याग, समर्पण, नैतिक मूल्यों पर आधारित जरूर है। सूरज बड़जात्या ने इसके निर्देशन की जिम्मेदारी कौशिक घटक को दी है। राजश्री प्रोडक्शन के लोकप्रिय धारावाहिक वो रहने वाली महलों की का निर्देशन कर चुके कौशिक घटक की यह पहली फिल्म है।
सोनू सूद और ईशा कोप्पिकर अभिनीत एक विवाह ऐसा भी की कहानी प्रेम और चांदनी पर केंद्रित है। प्रेम बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखता है। वह सिंगर बनना चाहता है। गायकी की एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता के दौरान प्रेम की मुलाकात चांदनी से होती है। चांदनी मध्यमवर्गीय परिवार की सुशील लड़की है। वह अपने विधुर पिता और छोटे भाई-बहन के बीच की एकमात्र कड़ी है। गायकी की उस प्रतियोगिता के रिहर्सल के दौरान दोनों एक-दूसरे से प्रेम कर बैठते हैं।
इस बात की जानकारी जब प्रेम और चांदनी के घर वालों को मिलती है तो वे खुशी-खुशी उन दोनों को विवाह के बंधन में बांधने का फैसला करते हैं। लेकिन ठीक सगाई के दिन चांदनी के पिता की मृत्यु हो जाती है और दोनों परिवार की खुशियां एकाएक गम में तब्दील हो जाती हैं। प्रेम-चांदनी का विवाह स्थगित कर दिया जाता है। ऐसे दुख के समय में चांदनी के सभी रिश्तेदार उससे मुंह मोड़ लेते हैं। चांदनी पर अपने भाई अनुज और बहन संध्या को संभालने की जिम्मदारी आ जाती है। अब चांदनी को अपने विवाह और भाई-बहन की जिम्मेदारी में से किसी एक को चुनने की बारी आती है। चांदनी प्रेम से उसके परिवार की इच्छानुसार आगे बढ़ने की गुजारिश करती है और खुद अपने भाई-बहन की परवरिश करने का फैसला करती है। प्रेम चांदनी की बात मान लेता है और उससे इंतजार करने की बात कहकर चला जाता है।
क्या अंत में चांदनी और प्रेम का मिलन होता है? यह इस राजश्री की खूबसूरत फिल्म के संगीतमय सफर के दौरान ही आपको पता चलेगा।

Thursday, September 18, 2008

काम करने में बहुत मजा आया: शोना उर्वशी

-रघुवेंद्र सिंह
फिल्म चुपके से फेम निर्देशक शोना उर्वशी पांच साल के बाद कॉमेडी फिल्म सास, बहू और सेंसेक्स लेकर आ रही हैं। इस फिल्म से फारूख शेख लंबे समय बाद बड़े पर्दे पर आ रहे हैं। प्रस्तुत है शोना से बातचीत के अंश..।
आप चुपके से के बाद कहां गायब रहीं?
मैं गायब नहीं हुई थी। फिल्म सास, बहू और सेंसेक्स के निर्माण में व्यस्त थी। दरअसल, चुपके से की रिलीज के बाद मैं एक उम्दा फिल्म लेकर दर्शकों के बीच आना चाहती थी और जल्दबाजी में कोई रिस्क नहीं उठाना चाहती थी। इसीलिए मैंने इत्मीनान से यह फिल्म बनाई है। फिल्म के शीर्षक से लगता है कि यह सास, बहू और सेंसेक्स के रिश्ते की कहानी है?
ऐसा कुछ भी नहीं है। यह तेजी से बदलते भारत की कहानी है। यह आज की युवा पीढ़ी और कल के लोगों की सोच पर आधारित है।
आज से पांच साल पहले हम कहां थे और आज यहां तक कैसे पहुंचे हैं? इन बातों पर निगाह दौड़ाएं, तो लोग पाएंगे कि इस विकास के पीछे हमारे देश की तेजी से बदलती अर्थव्यवस्था है और इसी से जुड़ा है सेंसेक्स, जिसके बारे में बहुत कम लोग गहराई से जानते हैं। सास-बहू के सीरियल देखने वाली महिलाओं का इसमें क्या योगदान है और वे कैसे सेंसेक्स से जुड़ी हैं?
मैंने इसी को इस फिल्म के जरिए दिखाने की कोशिश की है।
लंबे समय से ऐक्टिंग से दूर रहने वाले फारूख शेख को फिल्म के लिए कैसे राजी किया?
मैं फिल्म लिखने के बाद बड़े पर्दे पर जिस तरह की कॉमेडी फिल्म की कल्पना कर रही थी, उसमें एकमात्र फारूख ही फिट बैठ रहे थे। फिर मुझे याद आया कि फारूख जी तो फिल्में कर ही नहीं रहे हैं, लेकिन फिर भी मैंने फैसला किया कि एक बार उनसे संपर्क करना चाहिए। हो सकता है, मेरी ख्वाहिश पूरी हो जाए! मैं उनसे मिली। उन्हें स्क्रिप्ट सुनाई। उन्होंने तुरंत आश्वासन दिया कि वे फिल्म करेंगे। इस तरह मुझे उनके साथ काम करने का एक अवसर मिला।
एक तरफ फारूख शेख और किरण खेर जैसे सीनियर कलाकार और दूसरी तरफ तनुश्री दत्ता, मासूमी मखीजा और अंकुर खन्ना जैसे युवा कलाकार। इनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
सच कहूं, तो बहुत मजा आया। लोग यकीन नहीं करेंगे कि सारे यंग कलाकार सेट पर गंभीरता से काम करने में मशगूल रहते थे, जबकि किरण खेर और फारूख शेख मस्ती से काम करते थे। फारूख जी तो सेट पर धमाल मचाए रहते थे। मेरे लिए इस फिल्म की शूटिंग का हर पल यादगार है।
तनुश्री दत्ता को आप फिल्म में नॉनग्लैमरस अंदाज में पेश कर रही हैं?
वे फिल्म में किरण खेर की बेटी का रोल कर रही हैं। उन्हें अब तक लोगों ने ग्लैमरस भूमिकाओं में ही देखा है, लेकिन इस फिल्म में दर्शक उन्हें पहली बार नए अंदाज में देखेंगे। उनका किरदार दर्शकों के लिए सरप्राइज पैकेज है। तनुश्री को जब इस किरदार का ऑफर दिया था, तब वे चौंक गई थीं। उम्मीद है कि तनुश्री ने अपनी इमेज से कुछ अलग करने का जो साहस दिखाया है, उसे दर्शक पसंद करेंगे।
आपकी आगे की क्या योजनाएं हैं?
मैंने हाल में एक स्क्रिप्ट लिखी है। सास, बहू और सेंसेक्स की रिलीज के बाद उस पर काम शुरू होगा। वह आउट ऐंड आउट मसाला फिल्म होगी। फिलहाल, मैं सास, बहू और सेंसेक्स की सफलता की कामना कर रही हूं।

मम्मी-पापा को कभी तंग नहीं करता: पूरव भंडारे

-रघुवेंद्र सिंह
आठ वर्षीय पूरव भंडारे निर्देशक संतोष सिवन की हालिया रिलीज फिल्म तहान में मुख्य भूमिका में थे। वे इसके पहले फिल्म शाकालाका बूम बूम में उपेन पटेल के बचपन का छोटा-सा रोल कर चुके हैं। शांत स्वभाव के पूरव मुंबई के हैं और अभी कक्षा तीन के छात्र हैं। आइए जानते हैं पूरव के बारे में उन्हीं की जुबानी..।
बच्चा हूं पर कच्चा नहीं: मेरी उम्र पर मत जाइए, क्योंकि मैं बच्चा जरूर हूं, पर कच्चा नहीं। मैं अपनी हर जिम्मेदारी को अच्छी तरह निभाने में समर्थ हूं। मैं पढ़ाई और ऐक्टिंग दोनों में निपुण हूं। मुंबई के कूपर खेर स्थित नॉर्थ प्वॉइंट स्कूल में कक्षा तीन में पढ़ता हूं। पसंदीदा विषय गणित और सोशल स्टडीज हैं। मुझे ड्राइंग, स्वीमिंग और ऐक्टिंग का शौक है। मैं मम्मी-पापा को ज्यादा तंग नहीं करता। मुझे उनसे अधिक मार नहीं पड़ती।
नेचुरल ऐक्टर हूं: मुझे ऐक्टिंग करना किसी ने नहीं सिखाया। मैं नेचुरल ऐक्टर हूं। हां, मम्मी-पापा ने ऐक्टिंग में आने के लिए प्रेरित जरूर किया। सच कहता हूं, यदि मेरी छुट्टियां नहीं होतीं, तो मुझे तहान फिल्म में काम करने का मौका ही नहीं मिलता। मेरे पैरेंट्स पढ़ाई को प्राथमिकता देते हैं। शाहरुख खान मेरे फेवॅरिट ऐक्टर हैं। मैं बड़ा होकर उन्हीं की तरह बनना चाहता हूं। उनके साथ पर्दे पर दिखना चाहता हूं।
बीरबल-तहान का दोस्ताना: मैं संतोष अंकल की फिल्म तहान में तहान की भूमिका में आया। फिल्म में तहान बहुत अच्छा लड़का है। उसके पास एक गधा है, जिसका नाम बीरबल है। तहान बीरबल से बेहद प्यार करता है। एक दिन बीरबल अचानक खो जाता है। फिर तहान उसे कैसे ढूंढता है? यही इसमें दिखाया गया है। शूटिंग के दौरान मैं बीरबल की दुलत्ती खाने से बच गया। मुझे पता नहीं था कि गधे पीछे की ओर लात चलाते हैं। मैं उसके पीछे खड़ा होकर सीन कर रहा था, लेकिन बच गया।
मैं बेस्ट हूं: मैंने दर्शील सफारी की तारे जमीं पर, अमन सिद्दीकी की भूतनाथ और एहसास चन्ना की माई फ्रेंड गणेशा और भूत फिल्में देखी हैं। मुझे इन सबकी ऐक्टिंग बहुत अच्छी लगी, लेकिन इन सब में मैं खुद को बेस्ट मानता हूं, ऐसा मेरा खुद पर विश्वास है। संतोष जी ने फिल्म में मेरा काम देखने के बाद कहा था कि मैं कमाल का अभिनय करता हूं!

Monday, September 15, 2008

अब दर्शक होशियार हो गए है: फारूख शेख

[रघुवेंद्र सिंह]
अभिनेता फारूख शेख लंबे अंतराल के बाद बड़े पर्दे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहे हैं। वे शोना उर्वशी निर्देशित कॉमेडी फिल्म सास बहू और सेंसेक्स में अहम् भूमिका निभा रहे हैं। प्रस्तुत है फारूख से बातचीत-
[आपने अचानक बड़े पर्दे से मुंह क्यों मोड़ लिया था?]
कई वजहें हैं। मैं किसी काम के लिए हां तभी कहता हूं जब मुझे वह काम अच्छा लगता है और मुझे लगता है कि उस काम को करते हुए मैं एंज्वॉय करूंगा। उसके बाद जिसके साथ काम करना है, वह अच्छा हो। फिर मैं ज्यादा दिखने से भी परहेज करता हूं। दरअसल, मैं नहीं चाहता कि दर्शक यह कहें कि यार, माना कि हम आपको पसंद करते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हर जगह आप ही दिखो।
[यानी आपके मुताबिक एक कलाकार का ज्यादा दिखना उसके लिए नुकसानदेह हो सकता है?]
किसी भी चीज की अति बुरी होती है, यह बात सारी दुनिया मानती है। वही बात यहां फिट होती है। यदि आपको अपनी वैल्यू बनाए रखनी है तो अपनी उपस्थिति को लेकर सजग रहना होगा। आज क्यों बड़े कलाकार साल में इक्का-दुक्का फिल्में ही करते हैं? मेरी बड़े पर्दे से दूरी बनाने की एक अहम वजह यह भी थी कि मैं जिंदगी को एंज्वॉय करना चाहता था। सुबह से शाम तक स्टूडियो में पैसा कमाना ही तो जिंदगी का सुख नहीं होता।
[आपने सास बहू और सेंसेक्स में काम करने के लिए स्वीकृति क्यों दी?]
मैं फिल्म की निर्देशक शोना को पहले से जानता था। दरअसल, मेरी फिल्म चश्मे-बद्दूर के निर्माता यही लोग थे। सबसे बड़ी वजह यह है कि मुझे फिल्म की स्क्रिप्ट अच्छी लगी। यह नॉन वल्गर कॉमेडी फिल्म है।
[इस फिल्म में ऐसी क्या खास बात है?]
यह फिल्म एक साथ जिंदगी से जुड़े कई मुद्दों पर प्रकाश डालती है। आज सेंसेक्स के उतार-चढ़ाव में औरतें क्यों दिलचस्पी ले रही हैं? वे सेंसेक्स से जुड़ती हैं तो क्या परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं? मुंबई में अलग-अलग राज्यों की औरतें कैसे जिंदगी जी रही हैं? मध्यमवर्गीय परिवार की बेसिक समस्याएं क्या हैं? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब यह फिल्म बड़े ही दिलचस्प अंदाज में देती है। मैं फिल्म में स्टॉक ब्रोकर फिरोज सेठ का किरदार निभा रहा हूं। उसे औरतों से बहुत चिढ़ है। जब एक साथ ढेर सारी औरतों से उसका सामना होता है तो वह उनसे कैसे निपटता है? देखना दिलचस्प होगा।
[आप सत्यजीत रे और ह्रषिकेष मुखर्जी जैसे दिग्गज निर्देशकों के साथ काम कर चुके हैं। नई पीढ़ी की निर्देशक शोना उर्वशी के साथ काम करने का अनुभव बताएं?]
आज की पीढ़ी वेल प्रिपेयर्ड है। तकनीकी रूप से बहुत मजबूत है। लोग सेट पर आने से पहले अच्छे से होमवर्क करके आते हैं। मैंने शोना में यही बातें देखीं। हमारे समय में इन चीजों का अभाव था। हम तकनीकी रूप से कमजोर थे। तब मॉनीटर भी नहीं होते थे कि कलाकार और निर्देशक उसमें देखकर अनुमान लगा लें कि फ्रेम में कितना पोर्शन आना चाहिए।
[आज सिनेमा के क्षेत्र में सबसे बड़ा बदलाव क्या पाते हैं?]
कई उल्लेखनीय बदलाव आए हैं, जिसमें एक मल्टीप्लेक्स सराहनीय है। मल्टीप्लेक्स के आने के बाद से हर तरह की फिल्में बनने लगी हैं। निर्माता-निर्देशक को नुकसान नहीं उठाना पड़ता है। दर्शकों के पास च्वाइस है। अब दर्शक भी बहुत होशियार हो गए हैं।
[दर्शक आपको छोटे पर्दे पर कब देख सकेंगे? किसी रिएलिटी शो के लिए ऑफर आया है?]
चैनल वाले सुलह कर लें तो मेरा पॉपुलर शो जीना इसी का नाम है वापस आ सकता है और वे चाहेंगे तो मैं उस शो के जरिए फिर छोटे पर्दे के दर्शकों के बीच आ सकता हूं। मुझे रिएलिटी शो के ऑफर तो बहुत आते हैं, लेकिन अब रिएलिटी शो में हकीकत कितनी बची है? किसी से छुपा नहीं है।
[सास बहू और सेंसेक्स के अलावा दर्शक आपको किस फिल्म में देख सकेंगे?]
अभी तो इसी फिल्म में देखिए। मैंने कुछ नया काम नहीं लिया है। मैं बहुत चूजी हूं। अब अगले साल ही कोई प्रोजेक्ट साइन करूंगा।

डिनो की फिल्म में लारा!

[रघुवेंद्र सिंह]
हॉट मॉडल टर्न एक्टर डिनो मोरिया और ब्रह्मांड सुंदरी लारा दत्ता की गाढ़ी दोस्ती आजकल फिल्म इंडस्ट्री में चर्चा का सबब बनी हुई है। कहा जा रहा है कि तन्हा लारा की जिंदगी का सूनापन अब डिनो के आने से खत्म हो गया है। हालांकि डिनो और लारा से जब कभी इनके व्यक्तिगत रिश्ते को लेकर सवाल किया जाता है, तो ये दोनों खुद को एक-दूसरे का सिर्फ अच्छा दोस्त बताते हैं। बहरहाल, दोस्ती की आड़ में छिपा इनकेअनाम प्रेम का रिश्ता अब जल्द ही प्रोफेशनल तौर पर मजबूत होने की राह पर है।
सुनने में आया है कि हाल में डिनो मोरिया ने अपने होम-प्रोडक्शन की पहली फिल्म में नायिका के मुख्य किरदार का प्रस्ताव लारा दत्ता के समक्ष रखा है। लारा ने बिना कोई सवाल किए डिनो के प्रस्ताव को सहर्ष अपनी सहमति दे दी। डिनो की फिल्म को लेकर बेहद उत्साहित भी हैं।
उल्लेखनीय है, अभी कुछ दिन पहले डिनो ने कहा था कि वह अपने होम-प्रोडक्शन की पहली फिल्म में अभिनेत्री करीना कपूर को लीडिंग लेडी की भूमिका के लिए कास्ट करना चाहते हैं। उन्होंने करीना से इस बाबत संपर्क किया है, जबकि करीना कपूर के नजदीकी लोगों की मानें, तो डिनो ने अभी तक करीना कपूर से कोई बात नहीं की है यानी डिनो सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए करीना कपूर का नाम ले रहे हैं। खैर, समझदार डिनो ने खास दोस्त लारा के साथ लंबा वक्त गुजारने का अच्छा रास्ता अख्तियार किया है। ज्ञात हो, लारा और डिनो दोनों पहले प्यार में धोखा खा चुके हैं। शायद यही वजह है कि ये अपने गाढ़े रिश्ते को प्यार का नाम देने से डर रहे हैं। खैर, डिनो बहुत जल्द औपचारिक तौर पर अपने प्रोडक्शन की फिल्म के कलाकारों के नाम की घोषणा करेंगे। उस वक्त लारा का नाम सुनकर चौंकिएगा मत।

मम्मी कहलाने से ऐतराज है: किरण खेर

-रघुवेंद्र सिंह
संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास से हिंदी सिनेमा को निरुपा राय के बाद एक और मां मिली किरण खेर के रूप में। अब तक वे मैं हूं ना, हम-तुम, वीर जारा, रंग दे बसंती, कभी अलविदा ना कहना और हाल में आई फिल्म सिंह इज किंग में मां की भूमिका में दिखी हैं। अब किरण फिल्म सास, बहू और सेंसेक्स में भी मां की भूमिका से लोगों को हंसाने आ रही हैं। उल्लेखनीय है कि वे अभिनेता अनुपम खेर की पत्नी हैं और हाल ही में उनके बेटे सिकंदर खेर ने फिल्मों में कदम रखा है। प्रस्तुत है, किरण खेर से हुई बातचीत के प्रमुख अंश..।
कहा जाता है कि आपको मम्मी कहलाने से ऐतराज है?
मुझे मम्मी कहलाने से बिल्कुल ऐतराज नहीं है, लेकिन हां, मुझे इस बात से ऐतराज जरूर है कि सारे जर्नलिस्ट क्यों सवाल करते हैं कि आप किसकी मम्मी का रोल कर रही हैं? अरे, वह तो एक किरदार है और हम कलाकार हैं। हम अपने उस किरदार को निभाते हैं। कभी करीना कपूर से कोई नहीं पूछता कि आप किसकी बेटी का किरदार निभा रही हैं?
सास, बहू और सेंसेक्स में आप कैसी सास बनी हैं?
मैं इसमें सास का किरदार नहीं निभा रही हूं। यह फिल्म सास-बहू की कहानी नहीं है, बल्कि सास-बहू सीरियल देखने वाली महिलाओं पर केंद्रित है। दरअसल, इसकी कहानी आज के हिंदुस्तान की है। भारत कितनी तेजी से बदल रहा है, यह फिल्म उसी बिंदु पर प्रकाश डालती है। मैं फिल्म में बिनीता सेन का किरदार निभा रही हूं। तनुश्री दत्ता मेरी बेटी बनी हैं। मेरा, बेटी और स्टॉक ब्रोकर बने फारूख शेख के बीच कैसा रिश्ता है? यह लोगों को हंसाएगा। खासकर, इसमें मेरा किरदार बहुत मजेदार है।
फारूख शेख के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
मैं कॉलेज के दिनों में फारूख शेख की बहुत बड़ी प्रशंसक थी। सच तो यह है कि उनकी फिल्मों की दीवानी थी। अपने पसंदीदा ऐक्टर के साथ काम करना भला किसे अच्छा नहीं लगेगा? फारूख ब्रिलिएंट ऐक्टर हैं। मैं उनके सेंस ऑफ ह्यूमर की तारीफ करूंगी। मैंने उनके साथ काम करते हुए हर पल एंज्वॉय किया। उम्मीद है, उनकेसाथ बनी मेरी जोड़ी को दर्शक पसंद करेंगे।
फिल्म की निर्देशक शोना उर्वशी महिला हैं। पुरुष और महिला निर्देशक में से किसके साथ काम करते हुए ज्यादा सहज महसूस करती हैं?
मैं दोनों के साथ काम करते हुए सहज महसूस करती हूं। बस, निर्देशक अच्छा होना चाहिए। कई बार महिला निर्देशक खराब होती हैं, लेकिन शोना ऐसी नहीं हैं। दरअसल, उन्हें जब तक परफेक्ट शॉट नहीं मिलता था, छोड़ती नहीं थीं।
हिंदी फिल्मों में सीनियर कलाकारों की भूमिकाएं छोटी होती हैं। क्या इस बात से आप सहमत हैं?
यह कहना ज्यादा उचित होगा कि कॉमर्शिअॅल फिल्मों में हम जैसे कलाकारों के किरदार छोटे ही लिखे जाते हैं। यही कारण है कि मैंने अब तक जितनी भूमिकाएं निभाई हैं, उनमें से किसी से भी संतुष्ट नहीं हूं, सिवाय देवदास के। मैंने जिन किरदारों को निभाया है, वे मेरी वजह से यादगार हैं। वरना उन्हें भी लोग कब के भूल गए होते! शुक्र है, अब परिदृश्य थोड़ा बदल रहा है।
सिकंदर ने अपने नाम से खेर हटा दिया है। आपने कुछ कहा नहीं?
हमारी सहमति से सिकंदर ने ऐसा किया है। दरअसल, वे पूरा नाम लिखते हैं, तो बहुत बड़ा हो जाता है। यही कारण है कि उन्होंने सरनेम हटा दिया। हालांकि मीडिया अभी तक सिकंदर खेर ही लिखती है।
सिकंदर की दोनों फिल्में असफल हो गई। आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
इससे सिकंदर के करियर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उनकी फिल्म वुडस्टॉक विला ने अच्छा बिजनेस किया है। हां, समर 2007 अच्छी जरूर नहीं चली। इसके पीछे कारण यह है कि उस फिल्म की पब्लिसिटी उन लोगों ने अच्छी तरह नहीं की थी। वैसे, बीते महीनों में जितने नए लड़के आए हैं, उनमें सिकंदर बेस्ट हैं।
अनुपम, सिकंदर और आपको एक साथ पर्दे पर लोग कब देखेंगे?
फिलहाल, हमने ऐसी कोई फिल्म साइन नहीं की है। संभव है, अनुपम अपने होम-प्रोडक्शन में सिकंदर को लेकर कोई फिल्म बनाएं, लेकिन उसमें मैं भी होऊंगी, यह फिलहाल नहीं कह सकती।

Saturday, September 13, 2008

क्रिकेट के लिए बंक करता था क्लास: शाइनी आहूजा

[रघुवेंद्र सिंह]
अभिनेता शाइनी आहूजा आम लोगों के बीच गंभीर कलाकार के तौर पर जाने जाते है। वास्तविक जीवन में वे अत्यंत खुशमिजाज और मिलनसार है। पढ़ो शाइनी के बचपन की कहानी, उन्हीं की जुबानी-
[माहिर था दोस्त बनाने में]
मेरा बचपन बहुत रंगीन था। मेरे पापा आर्मी में थे, इसलिए मुझे छोटी उम्र में ही देश के अलग-अलग शहरों में घूमने का अवसर मिला। मुझे विभिन्न शहरों की बोली और वहां का कल्चर सीखने को मिला। तब मेरे लिए हर दो साल बाद बड़ा चैलेंज दोस्त बनाने का होता था, क्योंकि पापा की पोस्टिंग बदल जाती थी। मुझे बड़ा मजा आता था, क्योंकि मैं दोस्त बनाने में माहिर था। यह बचपन में मेरी खासियत थी। सच कहूं, शहर-शहर घूमने से मेरा व्यक्तित्व स्वत: विकसित होता गया।
[कभी मार नहीं पड़ी]
मैं बचपन में पढ़ने और खेलने दोनों में निपुण था। मेरे पसंदीदा खेल फुटबॉल और क्रिकेट थे। मैं अक्सर क्लास बंक करके क्रिकेट खेलने चला जाता था। एक वाकया बताता हूं। मैं दिल्ली आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई कर रहा था। एक दिन मैं क्लास बंक करके क्रिकेट खेल रहा था। मेरी टीम हार रही थी और मुझे बैटिंग के लिए भेजा गया। मैंने उस दिन आठ छक्के मारे। मेरे आखिरी सिक्सर से मेरी टीम मैच जीत गई। मजेदार बात यह है कि मेरा आखिरी सिक्सर जहां जाकर गिरा, मैंने देखा कि वहाँ मेरे पापा टिपिकल आर्मी ऑफिसर की तरह खड़े गुस्से में मुझे देख रहे थे। दरअसल वे मुझसे मिलने आए थे। पहले क्लास में गए। वहां टीचर ने बताया कि मैं एब्सेंट हूं। वे मुझे ढूंढते हुए ग्राउंड में आए। उस वक्त मैं उन्हे देख रहा था और मेरे दोस्त मुझे उठाकर जीत का जश्न मना रहे थे। उस दिन मुझे बहुत डांट पड़ी। मैं लकी हूं कि मुझे लविंग और चार्मिग पैरेट्स मिले। मुझे कभी उनके हाथों मार नहीं पड़ी।
[एक्टिंग में मिली मदद]
पापा के साथ विभिन्न शहरों में घूमने का फायदा आज मुझे अपने प्रोफेशन में मिलता है। आज मुझे शहर, गांव या किसी क्षेत्र विशेष का किरदार निभाने का मौका मिले तो मैं उसे गहराई से जीवंत करूंगा क्योंकि मैं उस किरदार की मानसिक स्थिति को समझ सकता हूं। मैंने बचपन में जो सपने देखे, सब हकीकत में पूरे हुए। कुछ सपनों को फिल्मों में पूरा कर लेता हूं।
[लाइफ का बेस्ट टाइम बचपन]
बचपन लाइफ का बेस्ट टाइम होता है। इसे जमकर एंज्वॉय करना चाहिए। अपने मम्मी-पापा की बातों पर अमल करना चाहिए। पढ़ाई के साथ ही खूब खेलना चाहिए। बाद में सब काम आता है। आज मैं बचपन को मिस करता हूं, लेकिन जिंदगी के इस दौर को भी एंज्वॉय कर रहा हूं, क्योंकि कल यह भी चला जाएगा।

Friday, September 12, 2008

रामायण में गूंजेगी जूही की आवाज

-रघुवेंद्र सिंह
मुंबई। लोकप्रिय अभिनेत्री जूही चावला की दिलकश आवाज जल्द ही एनीमेशन फिल्म रामायण-द इपिक में गूंजेगी। जूही इस फिल्म में सीता के किरदार को आवाज दे रही हैं। यह अवसर पाकर जूही बेहद उत्साहित हैं। वे कहती हैं, सभी लोग जानते हैं कि सीता आदर्शवादी महिला थी। उनके किरदार को आवाज देने का अनुभव मेरे लिए बहुत ही अच्छा रहा। इस दौरान मैंने सीता को काफी करीब से जाना और उनके कई गुणों को आत्मसात करने का प्रयास किया। उल्लेखनीय है, माया इंटरटेनमेंट निर्मित एनीमेशन फिल्म रामायण-द इपिक का निर्देशन चेतन देसाइर् कर रहे हैं। जूही के अतिरिक्त इस फिल्म में अभिनेता मनोज बाजपेई राम के किरदार को, आशुतोष राणा रावण के किरदार को एवं मुकेश ऋषि हनुमान के किरदार को आवाज दे रहे हैं। यह फिल्म साल 2009 के आरंभ में रिलीज होगी। पहली बार एनीमेशन फिल्म का हिस्सा बनी जूही चावला कहती हैं, मैं अपने बच्चों के साथ लगभग हर एनीमेशन फिल्म देखने जाती हूं, लेकिन मैं उनकी गुणवत्ता से नाखुश हुई। मुझे खुशी है कि मैं जिस एनीमेशन फिल्म का हिस्सा बनी हूं, वह इस मामले में मजबूत है। यह वजह है कि मैं इस फिल्म का हिस्सा बनी हूं।

रॉकेट की तरह आगे बढ़ रही हूं: राखी सावंत

-रघुवेंद्र सिंह
अब यह आम बात है बिंदास अभिनेत्री राखी सावंत का चर्चा में रहना। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बड़े सितारों से लड़ाई हो या समाज सेवा, राखी अपनी मौजूदगी हर जगह दर्ज जरूर कराती हैं। इन दिनों वे अपने टॉक शो राखी सावंत शोज और विक्रम भट्ट की फिल्म 1920 के आइटम सॉन्ग बिछुआ.. को लेकर सुर्खियों में हैं। उल्लेखनीय है कि गत दिनों सलमान खान के पॉपुलर गेम शो दस का दम के आखिरी एपिसोड में मेहमान खिलाड़ी बनकर पहुंचीं राखी से बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके अंश..
अब आप पहले की अपेक्षा कम बोलती हैं। अचानक यह बदलाव क्यों..?
नहीं, ऐसी बात नहीं है। मेरे स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया है। मैं अब भी बिंदास और सच बोलती हूं। सच बोलने वाले को कोई रोक पाया है क्या? दरअसल, मेरा मूड करता है, मैं तभी बोलती हूं। यदि आप यह सोच रहे हैं कि पहले मैं पब्लिसिटी के लिए अधिक बोलती थी, तो आप गलत हैं!
ऐसा माना जा रहा है कि यहां तक पहुंचने और चर्चा में रहने के लिए आपने सभी तरह के हथकंडे अपनाए हैं?
लोगों को जो सोचना है, सोचें। राखी इन बातों पर ध्यान नहीं देती। जिन लोगों को मेरी सफलता से जलन होती होगी, वही ऐसा कहते हैं, लेकिन सच यही है कि मैं आज भी वैसी ही हूं।
अपने करियर के मौजूदा दौर से आप संतुष्ट हैं?
मैं जहां से चली थी और आज जहां खड़ी हूं, उससे मैं बेहद खुश हूं। मुझे लगता है कि यह मेरे करियर का बेस्ट दौर है। अभी मैं रॉकेट की तरह आगे बढ़ रही हूं। लोगों के बीच अब मेरी इमेज अच्छी हो गई है। मेरे पास इन दिनों न केवल यशराज कैंप की फिल्म है, बल्कि ए-ग्रेड फिल्मों के आइटम सॉन्ग्स भी हैं। जूम जैसे चैनल पर अपना शो होस्ट कर रही हूं। मैं बहुत-बहुत खुश हूं।
आप जैसी चर्चा पाने के लिए ही शायद बिग बॉस 2 की एक प्रतियोगी संभावना सेठ आपकी राह पर चलने की कोशिश में हैं?
मैंने बिग बॉस 2 का कोई एपिसोड अभी तक नहीं देखा है। यदि संभावना ऐसा कर रही हैं, तो यह मेरे लिए कॉम्पि्लमेंट है। मुझे खुशी है कि लोग मेरे पदचिह्नों पर चलने की कोशिश कर रहे हैं। भगवान उन्हें भी मेरी तरह तरक्की दें।
क्या आपको लीडिंग ऐक्ट्रेस के रूप में किसी फिल्म का प्रस्ताव मिला है?
मुझे इस तरह का कोई प्रस्ताव यदि मिलेगा भी, तो मैं साफ मना कर दूंगी। मुझे लगता है कि मुझमें लीडिंग ऐक्ट्रेस बनने के गुण नहीं हैं। मैं जानती हूं कि ऐश्वर्या राय बच्चन नहीं हूं। मैं फिल्मों में छोटे-छोटे रोल और आइटम सॉन्ग कर सकती हूं और उसे करके खुश भी हूं। हमारी फिल्म इंडस्ट्री में हर शुक्रवार को सफलता का सूरज उगता है और शाम को ढल जाता है। मैं किसी फिल्म में लीडिंग ऐक्ट्रेस बनी और वह नहीं चली, तब तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी! मैं अपने पेट पर लात नहीं मारना चाहती।
अपनी अच्छाई और बुराइयों को बताते वक्त आपको झिझक महसूस नहीं होती?
यही तो राखी सावंत की खासियत है और इसीलिए राखी को जनता प्यार करती है। सच को स्वीकार करने में झिझक कैसी? यदि मैं कहूंगी कि ऐश्वर्या राय जैसी हूं, तो लोग मेरी पीठ पीछे हंसेंगे। दरअसल, सच अंत तक सच ही होता है, वह छुप ही नहीं सकता।
आप टॉक शो राखी सावंत शोज में भी बेबाक बातें करती हैं?
सच तो यह है कि उस शो की रूपरेखा मेरे चरित्र को ध्यान में रखकर ही बनाई गई है। यही वजह है कि उस शो में मैं बेबाकी से लोगों से सवाल करती हूं और मेरे मेहमान ईमानदारी से जवाब भी देते हैं। मुझे सबसे अच्छा तब लगता है, जब मेरे मेहमान जाते वक्त मेरी और मेरे शो की तारीफ करके जाते हैं।
अपने शो में आप हॉलीवुड के किस कलाकार को आमंत्रित करना चाहेंगी?
मैं शकीरा को बहुत पसंद करती हूं। उनके साथ अपने अंदाज में बात करना चाहूंगी।
कहा जाता है कि आप शॉपिंग करने जाती हैं, तो सामानों की कीमत में छूट की मांग करती हैं?
मैं सेलिब्रिटी हूं। यदि मुझे दुकानदार सामान में छूट देगा, तो मैं उनकी शॉप का नाम लोगों और मीडिया में लूंगी। इससे उन्हें पब्लिसिटी मिलेगी। हाल में मैं ज्यूलरी खरीदने गई थी। दुकानदार से कहा कि मुझे छूट दो, मैं आपकी शॉप का नाम मीडिया में लूंगी। उसने मना कर दिया। मैं जब वह ज्यूलरी पहनती हूं, तो लोग मुझसे पूछते हैं कि कहां से खरीदा है? मैं इस बारे में उन्हें नहीं बताती। मैं मुफ्त में किसी की पब्लिसिटी क्यों करूं?

थिएटर की दुनिया में कुछ करना चाहते हैं अमिताभ

[रघुवेंद्र सिंह]
मुंबई। रितुपर्णो घोष की फिल्म द लास्ट लियर में थिएटर कलाकार की भूमिका निभा रहे मेगास्टार अमिताभ बच्चन का कहना है कि वे अब थिएटर की दुनिया में कुछ करना चाहते हैं।
हालांकि वे इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि उम्र के इस पड़ाव पर उनके लिए थिएटर में काम करना आसान नहीं होगा। फिर भी उनका मन थिएटर में काम करने का है क्योंकि उन्हें चुनौती स्वीकारना पसंद है।
अमिताभ ने द लास्ट लियर की प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि थिएटर के लोग सिनेमा को धीमा मानते हैं। वे मानते हैं कि सिनेमा से संबंध नहीं रखना चाहिए। मुझे आशा है कि थिएटर के लोगों को द लास्ट लियर पसंद आएगी क्योंकि इसकी कहानी एक थिएटर कलाकार के इर्द-गिर्द घूमती है।
उल्लेखनीय है कि अमिताभ अपनी इस पहली भारतीय-अंग्रेजी फिल्म में अवकाश प्राप्त एक्टर की सशक्त भूमिका निभा रहे हैं। यह फिल्म शुक्रवार को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही है।

द्रोण बनकर खुश है: अभिषेक

[रघुवेंद्र सिंह]
अभिषेक बच्चन इन दिनों अपनी आगामी फिल्म द्रोण को लेकर बेहद उत्साहित है। गोल्डी बहल की इस फिल्म में वे अभिषेक एक ऐसे राजा की भूमिका में नजर आएंगे, जो सदैव आम लोगों की रक्षा करता है। कहा जा रहा है कि इस फिल्म के प्रदर्शित होने के बाद अभिषेक लोकप्रिय सुपरहीरो बनकर उभरेंगे। ठीक रितिक की तरह।
वैसे अभिषेक इस संदर्भ में कहते है, यह एक मैजिकल फिल्म है। इसे सुपरहीरो वाली फिल्मों की कतार में खड़ा करना सही नहीं होगा। यह एक वास्तविक कहानी पर बनी है, लेकिन यह सच है कि इसमें नायक आदित्य के पास सुपर नेचुरल शक्तियां है। इनकी वजह से वह बाद में द्रोण कहलाता है।
अभिषेक आगे कहते हैं, कि हम सभी ने मिलकर इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत की है। हमें अब फिल्म की रिलीज के बाद दर्शकों की प्रतिक्रिया का इंतजार है। गोल्डी ने तो इसे बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया था। मैं अपनी प्रिय ऑडियंस से अपेक्षा रखता हूं कि हमेशा की तरह इस बार भी वे हमें अपना प्यार देंगे और हमारी फिल्म को पसंद करेंगे।
उल्लेखनीय है रोज मूवीज के बैनर तली बनी फिल्म द्रोण में अभिषेक बच्चन, प्रियंका चोपड़ा और के के मेनन प्रमुख भूमिका में है। खास बात यह है कि इस फिल्म में अभिषेक और जया की रीयल लाइफ मां-बेटे की जोड़ी को दर्शक स्क्रीन पर देखने का लुत्फ उठा सकेंगे। यह फिल्म दो अक्टूबर को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी। अभिषेक के मित्र एवं निर्देशक गोल्डी अभी से फिल्म की सफलता को लेकर आश्वस्त है। तभी तो उन्होंने फिल्म की रिलीज से पहले ही इसका सीक्वल बनाने की इच्छा जाहिर की है। फिल्म के सीक्वेल में भी अभिषेक मुख्य भूमिका में होंगे।

Thursday, September 11, 2008

तुषार की चाहत

-रघुवेंद्र सिंह
हालिया रिलीज फिल्म सी कंपनी में टीवी ऐंकर की भूमिका निभाने के बाद अभिनेता तुषार कपूर बेहद खुश इसलिए भी हैं, क्योंकि उनकी इस भूमिका की हर तरफ तारीफ हो रही है, मुझे पहले से उम्मीद थी कि दर्शकों को मेरा यह अंदाज अवश्य पसंद आएगा। मैं सचमुच बेहद खुश हूं। मुझे लग रहा है कि अब मैं दर्शकों की पसंद-नापसंद को समझने लगा हूं। सच कह रहा हूं, मुझे ऐंकर का किरदार निभाकर बहुत मजा आया और अब मुझे यदि किसी टीवी शो को होस्ट करने का मौका मिले, तो मैं खुशी-खुशी हां कह दूंगा। मुझे छोटे पर्दे के लिए काम करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
तुषार अब छोटे पर्दे पर आने के लिए इच्छुक हैं। लगता है कि उन्हें सी कंपनी में ऐंकर का किरदार निभाने के बाद छोटे पर्दे से कुछ ज्यादा ही लगाव हो गया है! अपने मन की बात तुषार कहते हैं, मौजूदा समय में टीवी मनोरंजन का अहम साधन बन चुका है और इसीलिए उसके जरिए कलाकार सीधे दर्शकों के घरों में पहुंच जाते हैं। उनके परिवार के सदस्य जैसे बन जाते हैं। मैं तो हिंदी भी अच्छी बोल लेता हूं। ऐसे में मुझे लगता है कि मैं दर्शकों से बहुत जल्द जुड़ जाऊंगा। मैं खुद पहले बहुत टीवी देखता था। अब काम की व्यस्तता के चलते वक्त कम मिलता है, लेकिन मुझे मौका मिले, तो मैं टीवी के लिए कोई शो जरूर होस्ट करना चाहूंगा।
तुषार अपनी बात के समर्थन में बड़े पर्दे के कुछ लोगों का उदाहरण भी देते हैं, आज फिल्म इंडस्ट्री की बड़ी हस्तियां छोटे पर्दे पर कुछ करने के लिए इच्छुक हैं। गौर करें, तो फिल्म इंडस्ट्री का कोई न कोई बड़ा स्टार छोटे पर्दे पर आता ही रहता है। मैं बड़े पर्दे और छोटे पर्दे के बीच भेद नहीं मानता। साथ ही मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि हमेशा पर्दे के सामने सक्रिय रहूंगा, यानी ऐक्टिंग करता रहूंगा।
उल्लेखनीय है, तुषार की बहन एकता कपूर ने उन्हें तकरीबन दो साल पहले उस वक्त एक टीवी शो में काम करने के लिए ऑफर दिया था, जब उनकी बॉक्स-ऑफिस पर एक के बाद एक कई फिल्में असफल हो गई थीं। उस वक्त तुषार ने अपने फिल्मी करियर को ध्यान में रखते हुए एकता के ऑफर को ठुकरा दिया था, लेकिन अब लगता है कि तुषार खुद को टीवी के लिए फिट मानने लगे हैं। देखने वाली बात यह है कि लाडले भाई के करियर को संवारने में जुटी रहने वाली एकता उनकी इस ख्वाहिश पर कब गौर फरमाती हैं!

Wednesday, September 10, 2008

अब सतर्क हो गई हूं: लारा दत्ता

रघुवेंद्र सिंह
अपने अब तक के अभिनय करियर में अभिनेत्री लारा दत्ता पहली बार शाहरुख खान की फिल्म बिल्लू बार्बर में नॉन ग्लैमरस रोल करती दिखाई देंगी। वे इस फिल्म में गांव की महिला की भूमिका निभा रही हैं। दरअसल, लारा यह मौका पाकर बेहद उत्साहित हैं और इसीलिए वे कहती हैं, मैं फिल्म में इरफान खान की पत्नी की भूमिका निभा रही हूं और पहली बार इस तरह का किरदार निभा रही हूं। फिल्म में दर्शक मुझे साड़ी पहनकर चूल्हा फूंकते, खाना बनाते, कुएं से पानी निकालते और बकरी चराते देखेंगे। इस तरह का काम मैंने अपनी रिअॅल-लाइफ में आज तक नहीं किया है। सच कहूं, तो जब मुझे इस किरदार का ऑफर आया, तो मैं चौंक गई थी, लेकिन मैंने इस चुनौती को अंतत: स्वीकार किया। अब तक जो नहीं किया था, उसे करने की ठानी। निर्देशक प्रियदर्शन ने मुझे इस किरदार को निभाने में बहुत मदद की।
उल्लेखनीय है, बिल्लू बार्बर में शाहरुख खान, इरफान खान और लारा दत्ता प्रमुख भूमिका में हैं। शाहरुख के होम प्रोडक्शन की यह फिल्म 2007 में आई मलयालम की हिट फिल्म कथा परयुमपोल की रिमेक है। यह फिल्म दो दोस्तों की कहानी पर आधारित है। कहानी का जिक्र होने पर लारा कहती हैं, हां, यह सच है कि फिल्म की कहानी मलयालम फिल्म से ली गई है, लेकिन सच यह भी है कि ओरिजिनल फिल्म से यह बिल्कुल अलग है। हां, प्रियदर्शन ने इसे अपने अंदाज में जरूर बनाया है। वैसे फिल्म देखने के बाद लोगों को इस बात का अंदाजा हो जाएगा। इन बातों से अलग, यह शाहरुख के प्रोडक्शन की फिल्म है। इसी बात से लोग समझ सकते हैं कि इसका स्तर क्या होगा और गुणवत्ता में फिल्म कैसी होगी! शाहरुख फिल्म में सुपरस्टार की भूमिका निभा रहे हैं। वे गांव में अपनी एक फिल्म की शूटिंग करने आते हैं। इरफान उनके मित्र हैं। फिल्म के बारे में इससे ज्यादा मैं नहीं बता सकती, लेकिन इतना तय है कि फिल्म शुरू से अंत तक न केवल दर्शकों को बांधे रखेगी, बल्कि उनका भरपूर मनोरंजन भी करेगी।
निर्देशक प्रियदर्शन के साथ लारा इस फिल्म से पहले कॉमेडी फिल्म भागमभाग में काम कर चुकी हैं। दोबारा उनके निर्देशन में काम करने के अनुभव के बारे में वे कहती हैं, मैं प्रियदर्शन के साथ काम करते हुए बहुत सहज महसूस करती हूं। उनकी सबसे अच्छी बात यह है कि वे अपने कलाकारों की हर तरह से मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। मैंने फिल्म में जो साड़ी पहनी है, उसे वे खुद खरीदकर लाए थे। मैंने उनके निर्देशन में काम करते हुए खूब एंज्वॉय किया। मुझे उम्मीद है कि भागमभाग की तरह बिल्लू बार्बर भी बॉक्स-ऑफिस पर अच्छा बिजनेस करेगी और हमारी जोड़ी एक बार फिर हिट साबित होगी। उल्लेखनीय है कि लारा दत्ता ने 2003 में सुनील दर्शन की हिट फिल्म अंदाज से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। अब तक वे अट्ठारह फिल्मों में काम कर चुकी हैं। अपने अब तक के सफर पर लारा संतोष व्यक्त करते हुए कहती हैं, मैं खुश हूं और इस बात में यकीन करती हूं कि जब जो होना होता है, वह तभी होता है। हां, पहले मैं फिल्मों के चयन को लेकर उतनी गंभीर नहीं रहती थी, लेकिन अब इस मामले में मैं सतर्क हो गई हूं, क्योंकि अब फिल्मों का चयन मैं बुद्धिमानी के साथ करती हूं। अपने पांच साल के अनुभव के बाद मैंने फैसला किया है कि अब ग्लैमर डॉल की छवि वाली भूमिकाएं नहीं करूंगी। अब मैं अपने काम पर अधिक फोकस कर रही हूं। मेरी किसी हीरोइन से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, यदि है भी, तो सिर्फ खुद से है। लारा दत्ता अपनी पर्सनल लाइफ के सवाल पर कहती हैं, अभी मैं सिंगल हूं। केली दोरजी के बाद मेरी जिंदगी में कोई नहीं आया है। फिलहाल मेरा सारा ध्यान अपने करियर पर है। मुझे काम से जब फुर्सत मिलेगी, तब इस बारे में विचार करूंगी। लारा इस बात से बेहद खुश हैं कि उनके पास इस वक्त कई बड़ी फिल्में हैं। उन फिल्मों के बारे में वे जानकारी देती हैं, मैं रवि चोपड़ा की गोविंदा के साथ वाली बंदा ये बिंदास है, सुधीर मिश्रा की देवदास, डेविड धवन की डू नॉट डिस्टर्ब और एंथनी डी-सूजा की अक्षय कुमार के साथ फिल्म ब्लू में काम कर रही हूं, लेकिन इन सबसे पहले फिल्म बिल्लू बार्बर आएगी। मुझे खुशी है कि इन फिल्मों में मेरी अलग-अलग और महत्वपूर्ण भूमिकाएं हैं।

Sunday, September 7, 2008

कैटरीना से दोस्ती के मूड में नहीं हैं बिपाशा

[रघुवेंद्र सिंह]
¨बदास मिजाज की अभिनेत्री बिपाशा बसु ने आठ साल पुराने गिले शिकवों को भुलाकर करीना कपूर से तो दोस्ती कर ली, लेकिन लंदन गर्ल कैटरीना से वे अभी दोस्ती करने के मूड में बिल्कुल नहीं हैं। कैटरीना से दोस्ती का जिक्र होने पर बिपाशा सजग होकर कहती हैं, मैं किसी के आगे दोस्ती का हाथ तभी बढ़ाती हूं, जब मुझे लगता है कि सामने वाला भी मुझ से दोस्ती करने का इच्छुक है। फिलहाल, कैटरीना कैफ की तरफ से मुझे इस तरह की किसी पहल के संकेत नहीं मिले है।
उल्लेखनीय है, कैटरीना और बिपाशा इस साल की सुपरहिट फिल्म रेस में एक साथ काम कर चुकी हैं। इस फिल्म की शूटिंग के लिए महीनों सेट पर साथ रहने के बावजूद दोनों अभिनेत्रियों ने एक-दूसरे से हैलो तक नहीं कहा, यानी सलाम-दुआ की औपचारिकता तक नहीं निभाई। बिपाशा इस बात को स्वीकार करते हुए कहती हैं, यह सच है कि रेस की शूटिंग के दौरान मेरे और कैटरीना के बीच बात नहीं हुई, लेकिन इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। दरअसल, हम दोनों सेट पर प्रोफेशनल कलाकारों की तरह पेश आते थे और अपने-अपने काम में मशगूल रहते थे।
क्या कैटरीना और बिपाशा कभी दोस्त बनेंगी? जवाब में बिपाशा कहती हैं, जरूर बन सकती हैं, लेकिन मैं कैटरीना के सामने दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाने जाऊंगी। हां, जिस दिन मुझे लगा कि कैटरीना मेरी दोस्त बनना चाहती हैं, मैं आगे बढ़कर उनका हाथ थाम लूंगी। मैं इसी स्वभाव की लड़की हूं। सच कहूं, तो मैं दोस्तों की दोस्त हूं। जो मेरे सच्चे दोस्त हैं उन्हें मैं खुद से कभी दूर नहीं जाने जाती हूं। कैटरीना की तारीफ करते हुए बिपाशा आगे कहती हैं, कैटरीना अच्छे स्वभाव की लड़की हैं। वे जिस गति से सफलता की सीढि़यां चढ़ रही हैं, वह काबिले तारीफ है।

अपने किए पर पछतावा नहीं: प्रीति जिंटा

[रघुवेंद्र सिंह]
चुलबुली छवि के विपरीत जिंदादिल अभिनेत्री प्रीति जिंटा की गंभीर चरित्र वाली पहली अंग्रेजी फिल्म है रितुपर्णो घोष निर्देशित द लास्ट लीयर। इसमें वे दर्शकों को पहली बार नॉन ग्लैमरस अंदाज में अमिताभ बच्चन एवं अर्जुन रामपाल के साथ स्क्रीन शेयर करती दिखाई देंगी। प्रस्तुत है प्रीति जिंटा से बातचीत-
[आपने अचानक गंभीर भूमिकाओं की तरफ रुख करने का निर्णय क्यों लिया?]
मैं एक ही तरह का काम करके थक गई थी या यूं कह सकते हैं कि मैं मसाला फिल्मों से उब गई थी। मैं कुछ ऐसा काम करना चाहती थी जिससे कलाकार के तौर पर मुझे चुनौती महसूस हो। द लास्ट लीयर और हर पल जैसी फिल्मों में मुझे वह चुनौती दिखी। बस, उसके बाद मैंने इस तरह की फिल्में करनी आरंभ कर दी। यह जल्दबाजी में उठाया गया कदम नहीं , बल्कि मेरी सोची-समझी रणनीति है।
[कमर्शियल सक्सेज मिलने के बाद ही अभिनेत्रियां क्यों गंभीर फिल्में करती हैं?]
देखिए, पहले बच्चा घुटनों के बल चलना, उसके बाद खड़ा होना, फिर चलना और उसके बाद दौड़ना सीखता है। यदि वह पहले ही दौड़ने की कोशिश करेगा तो जाहिर सी बात है, वह गिर जाएगा। ठीक उसी तरह कॅरियर के शुरू में कोई एक्ट्रेस गंभीर फिल्में करके अपना भविष्य क्यों खराब करना चाहेगी? धीरे-धीरे एक्टिंग में घिसने के बाद ही किसी के लिए भी गंभीर फिल्में करना हितकर होता है। वैसे, मैं बता दूं कि मैंने अपने कॅरियर के आरंभ में ही दिल से और क्या कहना जैसी सीरियस फिल्में की हैं।
[अपनी छवि के प्रतिकूल इस तरह की फिल्में करना आपको रिस्की नहीं लग रहा?]
इस बात के लिए खुशी महसूस करती हूं कि मैं कभी किसी छवि में नहीं बंधी। मुझ पर कभी ग्लैमर डॉल या फिर आइटम गर्ल का ठप्पा नहीं लगा। इसकी वजह यह है कि मैंने यदि किसी फिल्म में अभिनय किया है तो उसमें चार स्ट्रांग सांग भी किए हैं। मैं एक बात स्पष्ट करना चाहूंगी कि मैं लास्ट लीयर और हर पल जैसी फिल्में अवॉर्ड पाने के लिए नहीं कर रही, बल्कि एक एक्ट्रेस के तौर पर यह मेरा विस्तार है।
[द लास्ट लीयर से जुड़े अपने अनुभव के बारे में बताएं?]
मैं द लास्ट लीयर का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रही हूं। मैं फिल्म में शबनम नाम की महिला का किरदार निभा रही हूं। इस फिल्म में दर्शक मुझे पहली बार नॉन ग्लैमरस अंदाज में साड़ी पहने, बड़ी सी बिंदी लगाए सीरियस एक्टिंग करते हुए देखेंगे। सबसे बड़ी बात है कि मुझे इस फिल्म में रितुपर्णो दा के साथ काम करने का सुनहरा मौका मिला। यह फिल्म कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में सराहना बटोर चुकी है। मैं खुश हूं कि मुझे इस फिल्म में अमित अंकल और अर्जुन रामपाल के साथ कुछ नया करने का अवसर मिला।
[आपकी पिछली फिल्म झूम बराबर झूम से दर्शक निराश हुए खासकर गाली वाले पार्ट से। ऐसे किरदार और सीन करने की आप मंजूरी कैसे दे देती हैं?]
हमने झूम बराबर झूम में कुछ हट कर करने का प्रयास किया था। अफसोस, वह दर्शकों को पसंद नहीं आया। वैसे, जिंदगी में चांस लेना पड़ता है। सच कहूं तो अगर वह फिल्म हिट हो गई होती तो आप ऐसा सवाल नहीं करते। पर मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। मुझे अपनी हिट और फ्लॉप सभी फिल्मों पर समान रूप से गर्व है। यह जिंदगी है, हार-जीत लगी रहती है।
[आजकल आप नंबर वन की रेस से बाहर नजर आ रही हैं?]
मैं कभी इस तरह की रेस का हिस्सा नहीं रही और न ही होना चाहती हूं। सच कहूं तो जब कभी मैंने इस तरह की रेस का हिस्सा बनना चाहा, मेरा बहुत नुकसान हुआ। मेरा मानना है कि दौड़ में जो अगल-बगल देखता है, वह अक्सर हार जाता है। सीधा देखने वाला ही विजेता बनता है, सो मैं सिर्फ अपने काम पर ध्यान देती हूं। मुझे बचपन में सीख दी गई थी कि जो तुम्हे मिल रहा है, उस पर प्राउड करो, औरों की तरफ ध्यान मत दो।
[प्रीति के अभिनय का नया पहलू]
प्रीति का अभिनय दिनों दिन निखर रहा है अपनी आने वाली फिल्मों के संदर्भ में वे बताती है कि द लास्ट लियर के बाद मेरी समीर कार्णिक निर्देशित हीरोज, जानू बरुआ की हर पल, फिर दीपा मेहता की हेवन ऑन अर्थ और 2009 के आरंभ में सलमान खान अभिनीत मैं और मिसेज खन्ना प्रदर्शित होगी। मुझे उम्मीद है कि इन फिल्मों के प्रदर्शन के बाद दर्शक मेरे अभिनय के नए पहलू से परिचित होंगे और मेरे कॅरियर को नया मुकाम मिलेगा। इन फिल्मों में मेरा नया अंदाज दर्शकों के बीच होगा। वैसे भी मैं अभी व‌र्ल्ड टूर और अपनी फिल्मों में व्यस्त हूं। इसके बाद आईपीएल में व्यस्त हो जाऊंगी।

Saturday, September 6, 2008

हाइजैक: दर्शकों के अपहरण की कमजोर कोशिश | फिल्म समीक्षा

-रघुवेंद्र सिंह
मुख्य कलाकार : शाईनी आहूजा, एशा देओल, के.के. रैना व कविता झा आदि।
निर्देशक : कुणाल शिवदसानी
तकनीकी टीम : बैनर- इरोज एंटरटेनमेंट, छायांकन- जहांगीर चौधरी, कला निर्देशक - बिजन दासगुप्ता, संगीतकार- जस्टिन-उदय
तकरीबन तीन सौ विज्ञापन फिल्में बना चुके निर्देशक कुणाल शिवदासानी की फिल्म हाईजैक विमान अपहरण की कहानी पर आधारित है। कहानी के केंद्र में चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर ग्राउंड मेंटीनेंस आफीसर के पद पर कार्यरत विक्रम मदान और उसकी आठ साल की बेटी प्रिया है।
विक्रम का अपना अतीत है जिसे याद कर वह हमेशा दुखी रहता है। उसकी खुशियां सिर्फ उसकी बेटी से हैं, जो दिल्ली के एक हास्टल में रहकर पढ़ाई कर रही है। इत्तफाक से प्रिया जिस फ्लाइट से अमृतसर जा रही है, उसे आतंकवादी हाईजैक कर लेते हैं। ईंधन भराने के लिए आतंकवादी विमान को चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर उतारते हैं। आतंकवादी सरकार से मांग करते हैं कि यदि उनके सरगना रशीद को छोड़ दिया जाए तो वे सभी यात्रियों को छोड़ देंगे। विक्रम अपनी बेटी को बचाने के लिए विमान के अंदर जाता है और एयर होस्टेस सायरा की मदद से आतंकवादियों को मार डालता है।
निर्देशक कुणाल की शुरू से ही कहानी और फिल्मांकन पर पकड़ ढीली दिखती है। हां, वे कुछ इमोशनल दृश्यों को निभाने में जरूर सफल हुए हैं। शाइनी आहूजा ने अपने किरदार को जीने की भरपूर कोशिश की है। लेकिन, वे एक आम आदमी से नायक के रूप में उभरने में असफल रहे हैं। एशा देओल के अभिनय पर हंसी आती है। बाल कलाकार इशिता की मासूमियत आकर्षित करती है। आतंकवादी रशीद की भूमिका में के.के. रैना जंचे हैं। फिल्म का संगीत औसत है।

शाहरुख बने पोस्टमैन

-रघुवेंद्र सिंह
मुंबई। आप सोच रहे होंगे कि भला शाहरुख को पोस्ट आफिस में नौकरी की क्या जरूरत आन पड़ी। हैरान होने की जरूरत नहीं है। हम बात कर रहे हैं, शाहरुख की आने वाली फिल्म रब ने बना दी जोड़ी की, जिसमें वह दोहरी भूमिका में नजर आएंगे।
आदित्य चोपड़ा के निर्देशन में बन रही इस फिल्म में शाहरुख एक तरफ हाट कालेज ब्वाय का किरदार निभाएंगे, तो दूसरी तरफ पोस्ट मैन के किरदार में टोपी-मूंछ लगाकर दर्शकों को गुदगुदाएंगे। बॉलीवुड में नए चेहरे को मौका देने के चलन को निभाते हुए आदित्य ने अपनी इस रोमांटिक कामेडी में शाहरुख के साथ नवोदित नायिका अनुष्का शर्मा को लिया है। रब ने बना दी जोड़ी को ऋषिकेष मुखर्जी की अमोल पालेकर अभिनीत सुपरहिट फिल्म गोलमाल से प्रेरित बताया जा रहा है। फिलहाल फिल्म की शूटिंग अमृतसर में चल रही है।

Friday, September 5, 2008

मैंने अपने अंदर इगो कभी नहीं आने दी: अनुपम खेर

-रघुवेंद्र सिंह
अभिनेता अनुपम खेर आतंकवाद पर आधारित फिल्म वेडनेसडे का हिस्सा बनकर बेहद खुश हैं। नीरज पांडे निर्देशित इस फिल्म में वे पुलिस कमिश्नर प्रकाश राठौड़ की भूमिका में हैं। अनुपम खेर के लिए यह फिल्म इसलिए भी खास है, क्योंकि इसमें वे नसीरुद्दीन शाह के साथ लगभग दस साल बाद स्क्रीन शेयर करते दिखाई देंगे। प्रस्तुत हैं, अनुपम खेर से हुई बातचीत के अंश..
मुंबई बम ब्लास्ट पर अब तक कई फिल्में बन चुकी हैं। वेडनेसडे उनसे कितनी अलग है?
यह फिल्म आतंकवाद पर आधारित है और आतंकवाद आज पूरी दुनिया की मुख्य समस्या है। फिल्म की कहानी महज चार घंटे की है। पुलिस कमिश्नर प्रकाश राठौड़ के पास एक अनजान शख्स का फोन आता है कि पूरी मुंबई में पांच बम लगाए गए हैं और वह कुछ शर्ते भी रखता है। पुलिस और अपराधी पर बनी यह आधुनिक फिल्म है। नीरज पांडे ने बड़ी मेहनत की है और बहुत कुछ कहने का प्रयास भी किया है इसके जरिए।
सुना है आप जैसे कलाकार को भी इस किरदार के लिए काफी तैयारी करनी पड़ी?
दरअसल, फिल्म का चरित्र प्रकाश राठौड़ आम पुलिस कमिश्नरों जैसा नहीं है, जो अक्सर फिल्मों में यह कहते मिल जाते हैं कि हमने बिल्डिंग को चारों तरफ से घेर रखा है। यह बहुत स्ट्रॉन्ग किरदार है, जिसे लोग फिल्म देखने के बाद ही समझ पाएंगे। इसके लिए मैं पुलिस कमिश्नर जावेद अहमद से मिला और उनके साथ वक्त भी गुजारा। उनके काम करने के तरीके को सीखा। व्यक्तिगत तौर पर मुझे इन चीजों का काफी लाभ मिला। ऐक्टिंग ऐसी कला है, जिसकी पूरी तैयारी कभी नहीं हो सकती। इसमें मरते दम तक आपको सीखने के लिए बहुत कुछ होता है।
निर्देशक नीरज पांडे की यह पहली फिल्म है। उनकी क्षमता के बारे में आपकी क्या राय है?
इस वक्त नए निर्देशकों की जो पौध आ रही है, उनमें बहुत योग्यता है। नीरज पांडे कमाल के निर्देशक हैं। मुझे उनसे काफी कुछ सीखने को मिला। मुझे अपने स्कूल के बच्चों को पढ़ाते समय यह काम आएगा। खास बात यह है कि नीरज अर्थपूर्ण सिनेमा की समझ रखते हैं। उम्मीद है, वे अच्छी फिल्में बनाएंगे।
एक तरफ आप वेडनेसडे जैसी अर्थपूर्ण फिल्म करते हैं और दूसरी तरफ धूम-धड़ाका जैसी फिल्में। ऐसा क्यों?
मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मैंने धूम-धड़ाका जैसी बेकार फिल्में की हैं। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि हर दिन पुलाव नहीं खाया जा सकता! शशि मेरे मित्र हैं और मैं उन्हें कैसे कह सकता था कि तुम्हारी फिल्म घटिया है! कई बार रिश्तों की वजह से भी काम करना पड़ता है।
..लेकिन उन्हें फिल्म बनाने से पहले बता तो सकते थे कि जो कमियां हैं, उन्हें सुधार लें?
फिल्म बनने के बाद ही पता चलता है कि वह कैसी है! यदि पहले पता चल जाता, तो फ्लॉप फिल्में बनती ही नहीं!
करियर के इस पड़ाव पर आपके लिए सफलता-असफलता क्या मायने रखती है?
मेरे लिए कभी सफलता-असफलता का कोई महत्व नहीं रहा। मैं अपने करियर की शुरुआत से ही हर तरह के किरदार निभाता आ रहा हूं। आज भी मैं बदला नहीं हूं। मेरी सक्रियता की एक वजह यह भी है कि मैंने खुद को दायरे में सीमित नहीं किया और न ही अपने अंदर इगो आने दिया।
सिकंदर की दोनों फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर नहीं चलीं। क्या इससे उनके करियर पर कोई प्रभाव पड़ेगा?
फिल्मों की कामयाबी और नाकामयाबी से कलाकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है, ऐसा मुझे नहीं लगता। वैसे, सिकंदर अपना काम अच्छी तरह जानते हैं और जो आदमी काम जानता है, उसे आगे बढ़ने में परेशानी नहीं होती।
सिकंदर को लेकर फिल्म बनाने की योजना है?
फिलहाल नहीं, लेकिन जिस दिन अच्छी स्क्रिप्ट मिली, मैं अवश्य उन्हें लेकर फिल्म बनाऊंगा।
आपके होम-प्रोडक्शन की सक्रियता आजकल कम हो गई है?
ऐसी बात नहीं है। जल्द ही मेरे और सतीश के प्रोडक्शन की फिल्म हवाई दादा आने वाली है। इसके अतिरिक्त, हम दो-तीन फिल्मों की स्क्रिप्ट पर भी काम कर रहे हैं। जल्द ही उनके बारे में जानकारी देंगे।

Monday, September 1, 2008

चॉकलेटी ब्वॉय की इमेज तोड़ना चाहता हूं: रजनीश दुग्गल

-रघुवेंद्र सिंह
रैम्प से बड़े पर्दे पर आने वाले मॉडलों की फेहरिस्त में नया नाम जुड़ा है रजनीश दुग्गल का। दिल्ली के रजनीश पिछले छह वर्षो से मॉडलिंग जगत में सक्रिय हैं। 2003 में वे ग्रॉसिम मिस्टर इंडिया रह चुके हैं। मॉडलिंग की दुनिया में चर्चा में रहे चॉकलेटी ब्वॉय रजनीश अब विक्रम भट्ट की हॉरर फिल्म 1920 से अभिनय की दुनिया में आए हैं।
युवा ऐक्टर रजनीश से जब बातचीत होती है, तो शुरुआत होती है इस सवाल के साथ कि क्या वे बचपन से ही ऐक्टिंग को करियर बनाने के लिए इच्छुक थे?
रजनीश कहते हैं, नहीं, सच तो यह है कि इस क्षेत्र में आना महज संयोग है। मैंने बैचलर इन बिजनेस ऐडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है। दरअसल, कॉलेज के दिनों में मेरी मुलाकात कोरियोग्राफर रश्मि विरमानी से हुई और उन्होंने ही मुझे रैम्प शो के लिए ऑफर दिया। इस तरह मेरा मॉडलिंग में आना हुआ। कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के तुरंत बाद मैंने 2003 में ग्रॉसिम मिस्टर इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। विजेता बना और फिर ऐक्टिंग में करियर बनाने मुंबई आ गया।
पहली फिल्म पाने के लिए रजनीश को कितना संघर्ष करना पड़ा?
वे कहते हैं, मुझे ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा। इसकी वजह यह है कि मैं मिस्टर इंडिया बन चुका था, लोग मुझे पहचानते थे। मैं 2003 के अंत में मुंबई आया और 2004 जनवरी में मुझे नीरज श्रीधर के वीडियो छोड़ दो आंचल.. में काम करने का मौका मिल गया। दरअसल, मॉडलिंग की वजह से पहचान होने के कारण मुझे पहले से ही फिल्मों के प्रस्ताव आ रहे थे, लेकिन मैं एक अच्छी स्क्रिप्ट का इंतजार कर रहा था। मेरा वह इंतजार विक्रम भट्ट की फिल्म 1920 से खत्म हुआ।
पहली फिल्म के रूप में 1920 को चुनने की वजह क्या है?
रजनीश कहते हैं, मॉडलिंग इंडस्ट्री में मेरी छवि चॉकलेटी ब्वॉय की है और दरअसल, मैं अपनी उस छवि को फिल्मों में बरकरार नहीं रखना चाहता था। अपनी पहचान बेहतरीन ऐक्टर के रूप में बनाना चाहता था। यही वजह है कि मैंने 1920 जैसी फिल्म साइन की। मुझे इसमें अपनी अभिनय-क्षमता दिखाने का पूरा अवसर मिला है।
रजनीश से अगला सवाल होता है कि क्या विक्रम की यह फिल्म पिछली हॉरर फिल्म राज से ज्यादा डरावनी है?
वे बताते हैं, इस फिल्म की तुलना राज से करना बिल्कुल उचित नहीं होगा। दोनों की कहानी अलग है। विक्रम की यह फिल्म सन 1920 की पृष्ठभूमि पर बनी है। इसकी कहानी अर्जुन और उसकी पत्नी लिसा के इर्दगिर्द घूमती है। दोनों जब एक घर में प्रवेश करते हैं, तो उनके साथ किस तरह की घटनाएं घटती हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।
सुना है, अर्जुन के किरदार को निभाने के लिए रजनीश को काफी तैयारी करनी पड़ी?
वे स्वीकारते हैं, हां, यह सच है। दरअसल, फिल्म 1920 में घटी एक घटना पर आधारित है। उस समय के लोगों की बॉडी लैंग्वेज और बातचीत करने के अंदाज की जानकारी के लिए मैंने कई पुरानी फिल्में देखीं। यह मेरी पहली फिल्म है। मैं अपनी तरफ से किसी को कुछ कहने का मौका नहीं देना चाहता था, इसीलिए मैंने मेहनत की। रजनीश मानते हैं कि विक्रम भट्ट के निर्देशन में काम करने का अनुभव अच्छा रहा, मैं उनके साथ बार-बार काम करना चाहूंगा। वे नए कलाकारों केसाथ आराम से काम कर लेते हैं। उन्होंने हमें सेट पर हर तरह से सपोर्ट किया।
पहली फिल्म के प्रदर्शन से पूर्व रजनीश ने दूसरी फिल्म साइन कर ली है?
इस बारे में वे कहते हैं, मैंने गिरीश धमीजा के निर्देशन में बन रही फिल्म फिर साइन की है। उसमें मेरे साथ 1920 की अभिनेत्री अदा शर्मा और रोशनी चोपड़ा भी हैं। शूटिंग अक्टूबर में आरंभ होगी। उसके निर्माता विक्रम ही हैं। मैं खुश हूं कि उन्हें मुझ पर इतना विश्वास है।