Tuesday, June 30, 2009

अधूरी आत्मकथा पूरी करेंगी मोनिका बेदी

नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री मोनिका बेदी ने अपने दुखद अतीत को किताब के पन्नों में समेटने का फैसला किया है। मोनिका का कहना है कि वह अपनी अधूरी आत्मकथा को जल्द ही अंतिम रूप देंगी। जागरण से खास मुलाकात में मोनिका ने कहा, मेरे अतीत का सच दुनिया पूरी तरह नहीं जानती। लोगों के बार-बार कहने के बाद मैंने पिछले वर्ष अपनी आत्मकथा लिखनी शुरू की थी। मैंने कुछ पन्ने लिखे भी थे। लेकिन टीवी रियलिटी शो और फिल्मों में मेरी व्यस्तता बढ़ने के कारण आत्मकथा अधूरी रह गई। मोनिका ने कहा, सच कहूं तो बीते पलों को याद कर उन्हें शब्दों में ढालना मेरे लिए बेहद मुश्किल कार्य है। मैं अतीत को याद करने से बचती हूं। उन पलों को दोबारा याद करना मेरे लिए कष्टदायक है। मैं जिन तकलीफों से गुजरी हूं, उन्हें दोबारा नहीं जीना चाहती, लेकिन आत्मकथा के लिए मुझे उन पलों से फिर गुजरना पड़ेगा। मैंने हिम्मत जुटा ली है। मैं अपनी अधूरी आत्मकथा जल्द पूरा करूंगी।
-रघुवेन्द्र सिंह

Saturday, June 27, 2009

शुरू हुए दिन मेरे: अभिमन्यु सिंह | मुलाकात

अभिमन्यु सिंह पिछले आठ वर्षो से अभिनय में सक्रिय हैं, लेकिन उन्हें पहचान फिल्म गुलाल से मिली है। इसमें उन्होंने रनसा की भूमिका से सिने प्रेमियों के दिल में अपनी जगह बनाई। थिएटर के बाद अक्स और लक्ष्य फिल्मों में काम किया था। पिछले दिनों हुई मुलाकात में अभिमन्यु ने अपनी पृष्ठभूमि, संघर्ष के दिनों, करियर और नई फिल्म एक्सीडेंट ऑन हिल रोड के बारे में बताया।
अपने बारे में बताएंगे?
मैं पटना में पला-बढ़ा हूं। मेरे दिल में बचपन से अभिनय करने की चाह थी, लेकिन पटना से मुंबई की दूरी तय करना मेरे लिए मुश्किल काम था। मम्मी मेरे दिल की इस ख्वाहिश को जानती थीं, लेकिन पापा चाहते थे कि मैं आईएएस बनूं। मम्मी की सिफारिश पर पापा ने दिल्ली में ग्रेजुएशन करने के लिए परमीशन दे दी। मैंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में एडमीशन लिया और साथ ही अपने सपने को पूरा करने में जुट गया।
मुंबई कैसे आना हुआ?
मेरी हाइट अच्छी थी और मैं गुड लुकिंग भी था, इसलिए मुझे मॉडलिंग के असाइनमेंट मिलने लगे। उसी सिलसिले में मुंबई आना-जाना शुरू हुआ। बीच में मुझे सुरेश वाडेकर के म्यूजिक वीडियो में काम करने का अवसर भी मिला। ग्रेजुएशन खत्म करने के बाद मैं वर्ष 2000 में मुंबई शिफ्ट हो गया। मैंने अभिनय का प्रशिक्षण नहीं लिया है।
आपने टीवी से करियर की शुरुआत क्यों की?
मुंबई जैसे महंगे शहर में टिकने के लिए मुझे पैसों की जरूरत थी। मम्मी घर से खर्च के लिए पैसे भेजती थीं, लेकिन उन पैसों में मेरा महीना नहीं कटता था। इसलिए मैंने टीवी में काम करना शुरू कर दिया। मेरा पहला टीवी सीरियल ये नजदीकियां था। वह सोनी पर आया था। मैंने बालाजी के कुसुम और कहीं किसी रोज जैसे लोकप्रिय सीरियल में काम किया। गुलाल के बाद मेरी दुनिया बदल गई।
गुलाल की रिलीज के पहले और अब के माहौल में क्या फर्क महसूस करते हैं?
अब मैं लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो गया हूं। मैं वही अभिमन्यु हूं और मैं अभिनय भी पहले जैसा ही कर रहा हूं, लेकिन लोगों की धारणा अब मेरे प्रति बदल गई है। मेरे अच्छे दिन शुरू हो गए हैं।
ऐक्सीडेंट ऑन हिल रोड के बारे में बताएंगे?
मैंने यह फिल्म गुलाल के बाद साइन की है। मुझे स्क्रिप्ट, रोल और टीम अच्छी लगी, इसलिए मैंने हां कह दिया। ऐक्सीडेंट.. आज की पीढ़ी की कहानी है। यह कॉमर्शिअल फिल्म है। मैं इसमें ड्रग पेडलर सिद की भूमिका निभा रहा हूं। सेलिना जेटली मेरी गर्लफ्रेंड हैं। सिद और उसकी गर्लफ्रेंड एक रात नशे में गाड़ी चला रहे होते हैं, तभी ऐक्सीडेंट हो जाता है। यह सस्पेंस थ्रिलर है।
अौर क्या कर रहे हैं?
मैं डॉ. चन्द्रप्रकाश द्विवेदी का टीवी सीरियल उपनिषद गंगा कर रहा हूं। उसमें मैंने पच्चीस अलग-अलग किरदार निभाए हैं। उसका प्रसारण जल्द ही शुरू होगा। कुछ अन्य फिल्मों के लिए बात चल रही है, लेकिन मैं अभी उनके बारे में कुछ नहीं बता सकता।
-रघुवेन्द्र सिंह

अब रोमांटिक फिल्में करूंगा: नील नितिन मुकेश

नील नितिन मुकेश को विश्वास था कि एक दिन उन्हें यशराज बैनर की फिल्म में काम करने का अवसर जरूर मिलेगा, लेकिन वह समय इतना शीघ्र आ जाएगा, उन्होंने यह नहीं सोचा था। नील के मुताबिक, यशराज से मेरा गहरा और पुराना रिश्ता है। मैंने इस कैंप में चार साल सहायक निर्देशक के रूप में काम किया है। आदित्य चोपड़ा मेरे गुरु हैं। मैं उन्हें भैया कहता हूं। मुझे पता था कि एक दिन यशराज के दफ्तर से मुझे फोन जरूर आएगा, लेकिन इतना जल्दी फोन आ जाएगा, यह मैंने नहीं सोचा था। नील बात जारी रखते हैं, कबीर खान ने मेरी फिल्म जॉनी गद्दार देखी थी। उन्हें लगा कि न्यूयॉर्क के उमर का किरदार मैं निभा सकता हूं। अचानक एक दिन आदि भैया ने मुझे फोन किया। जब मैं उनसे मिलने गया, तो उन्होंने मुझे न्यूयॉर्क फिल्म की स्क्रिप्ट दी। मुझे वह स्क्रिप्ट बेहद पसंद आई और जब मुझे पता चला कि कबीर खान उसे डायरेक्ट करेंगे, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुझे उनकी फिल्म काबुल एक्सप्रेस बहुत अच्छी लगी थी।
कबीर खान निर्देशित न्यूयॉर्क में नील भारतीय मुसलिम युवक उमर का किरदार निभा रहे हैं। उमर न्यूयॉर्क पढ़ने जाता है। किरदार के बारे में नील विस्तार से कहते हैं, इसमें मेरे किरदार के कई शेड हैं। शुरू में उमर गंभीर और पढ़ाकू है। न्यूयॉर्क में माया और सैम से मिलने के बाद वह बिंदास और शरारती हो जाता है। फिल्म के तीसरे हिस्से में वह समाज और कानून के कारण गुस्सैल युवक बनता है। न्यूयॉर्क सही मायने में 9/11 की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म है। इसमें मुझे दमदार रोल करने का अवसर मिला। फिल्म में काम करने के बाद एक्टर के रूप में मैं और मजबूत हो गया हूं। मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। मैं खुश हूं कि करियर के आरंभ में ही मुझे जॉनी, रे आचार्य, उमर और जेल के पराग दीक्षित जैसे मेच्योर और प्रभावी किरदार निभाने के अवसर मिले हैं। नील ने पहले कहा था कि वे अपने करियर की शुरुआती पांच फिल्में थ्रिलर विषय वाली ही करेंगे। उनकी वह बात अब पूरी हो गई है। वे इस बारे में कहते हैं, मेरे दादा मुकेश सिंगर थे और पिता नितिन मुकेश भी सिंगर हैं। मैंने जब कहा कि एक्टिंग में जाना चाहता हूं, तो किसी को मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ। दरअसल, किसी को भरोसा नहीं था कि मैं अच्छी एक्टिंग कर सकता हूं। मेरे हिसाब से थ्रिलर फिल्में मुश्किल होती हैं। मैंने तय किया कि उसी जॉनर की फिल्में करके खुद को साबित करूंगा। पहली फिल्म जॉनी गद्दार से ही मुझे सफलता मिल गई। उसके बाद मैंने आ देखें जरा, तेरा क्या होगा जॉनी, न्यूयॉर्क और जेल में काम किया। अब मैं रोमांटिक फिल्में करना चाहता हूं। सच कहूं, तो एक्टिंग करने में मुझे खुशी मिलती है। मुझे चौथी मंजिल से कूदना, अलग-अलग तरह के किरदारों को जीना अच्छा लगता है। इतना आनंद किसी प्रोफेशन में नहीं है।
नील अपनी पिछली रिलीज फिल्म आ देखें जरा की असफलता से निराश नहीं हैं। वे कहते हैं, मैंने उसमें ईमानदारी से काम किया था। उसमें काम करके मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे लग रहा है कि आ देखें जरा में लोग जॉनी गद्दार के जॉनी को ढूंढने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए उन्हें निराशा हाथ लगी। मैं हर फिल्म में एक जैसा काम नहीं कर सकता। यदि दर्शकों को वह फिल्म अच्छी नहीं लगी, उनका पैसा बर्बाद हुआ, तो मैं दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। मैं गुजारिश करूंगा कि वे मेरी न्यूयॉर्क और जेल देखें, उन्हें मेरा काम देखकर खुशी होगी।
मधुर भंडारकर की जेल के अलावा इस वक्त नील के पास केन घोष और अब्बास-मस्तान की फिल्में भी हैं। वे कहते हैं, केन घोष और अब्बास-मस्तान की फिल्मों के बारे में बात करने की मुझे अनुमति नहीं है। उनका नाम और अन्य कलाकारों का चयन किया जाना अभी बाकी है। उन फिल्मों में दर्शक मुझे नए रंग में देखेंगे।


-रघुवेन्द्र सिंह

Monday, June 22, 2009

जाएद खान: गलतियां.. अब नहीं

जाएद खान के लिए वर्ष की शुरुआत खुशगवार नहीं रही। पहले उनके चाचा फिरोज खान दुनिया को अलविदा कह गए और उसके बाद कुछ महीनों से उनकी दीदी सुजैन और जीजा रितिक रोशन की शादीशुदा जिंदगी में दरार की झूठी खबरें परिवार को आहत कर रही हैं। बहरहाल, अब धीरे-धीरे जाएद का परिवार इन दुखदायी पलों से उबर रहा है। जाएद के मुताबिक, हर परिवार को ऐसे दुखदायी पलों से गुजरना पड़ता है। क्या कर सकते हैं? मैं व्यक्तिगत तौर पर चाचा को बेहद मिस करता हूं। मुझे उनके वनलाइनर्स की कमी खलती है। उनका एक वनलाइनर, आई ऐम मैन अमंग्स्ट मेन, इवेन बेटर अमंग्स्ट वूमेन, मेरा फेवरेट है। इसे वे अपने स्टाइलिश अंदाज में हमेशा कहा करते थे।
जाएद विराम लेकर सुजैन और रितिक के बारे में भी कहते हैं, वे दोनों बहुत खुश हैं। उनके बारे में अब तक जो कुछ सुनने में आया है, सरासर गलत है। मेरे साथ भी कई बार ऐसा हुआ है। मीडिया को गलत सूचना मिल जाती है। वैसे भी, हम ऐसी दुनिया में काम करते हैं, जहां हीरोइन के साथ दिन-रात शूटिंग करनी होती है। उसके साथ अच्छी केमिस्ट्री बनानी होती है। इस दौरान जब दो शख्स फ्रेंडली होते हैं, तो लोग गलत समझ लेते हैं। हम शिकायत नहीं कर रहे हैं। यदि लोगों को ऐसी चीजें पढ़ने और लिखने में मजा आता है, तो हम क्या कर सकते हैं! ऐसे समय में चुप्पी साध लेना ही अच्छा है।
जाएद की वैवाहिक जिंदगी अच्छी चल रही है। वे पत्नी मल्लिका और बेटे जिदान के साथ हंसी-खुशी जी रहे हैं। जिदान की बात आते ही जाएद का चेहरा चमकने लगता है। वे कहते हैं, वह मेरी जिंदगी है। उसके आने के बाद मेरी खुशियां और बढ़ गई हैं। सच कहूं, तो उससे दूर रहना मुझे अच्छा नहीं लगता, लेकिन कभी-कभी शूटिंग के सिलसिले में उससे दूर जाना पड़ता है। मैं उसकी परवरिश एक आम लड़के की तरह करना चाहता हूं, कर भी रहा हूं। यही कारण है कि मैं अब तक उसे मीडिया के सामने नहीं लाया। वह अभी डेढ़ साल का है। मैं नहीं चाहता कि इतनी कम उम्र से वह ग्लैमर व‌र्ल्ड की चकाचौंध देखे और बिगड़ जाए।
पिछले साल की तरह इस साल भी जाएद की एकफिल्म ब्लू प्रदर्शित होगी। एंथनी डी-सूजा निर्देशित यह मल्टीस्टारर फिल्म है। जाएद के साथ इसमें संजय दत्त, अक्षय कुमार, कैटरीना कैफ और लारा दत्ता मुख्य भूमिकाओं में हैं। इसका बजट एक सौ दस करोड़ है। ब्लू के बारे में जाएद कहते हैं, फिल्म की शूटिंग खत्म हो चुकी है, लेकिन निर्माता और मल्टीप्लेक्स मालिकों के बीच हुए मतभेद के कारण इसकी रिलीज डेट तय नहीं हो सकी है। अब स्ट्राइक खत्म हुई है। जल्द ही इसकी रिलीज डेट की घोषणा हो जाएगी। मैं फिल्म की कहानी और अपनी भूमिका के बारे में इस वक्त बात नहीं कर सकता। सिर्फ इतना कह सकता हूं कि फिल्म की शूटिंग का अनुभव रोमांचक रहा। इसमें अपने फेवरेट ऐक्शन हीरो संजय दत्त के साथ काम करके मुझे बहुत मजा आया। लंबे समय से उनके साथ मेरी स्क्रीन शेयर करने की तमन्ना थी।
इस समय ब्लू के अतिरिक्त जाएद के पास एक और फिल्म है, लेकिन वे उसके बारे में जानकारी नहीं देना चाहते। वे कहते हैं, हाल में मैंने एक फिल्म साइन की है, लेकिन अभी मुझे उसके बारे में बात करने की इजाजत नहीं है। मैंने इधर फिल्में साइन करनी कम कर दी हैं। जब तक मुझे सही स्क्रिप्ट और सही निर्माता-निर्देशक नहीं मिलेंगे, मैं कोई फिल्म साइन नहीं करूंगा। मैंने करियर के शुरुआती दिनों में काफी गलतियां की हैं। अब ऐसा कुछ नहीं करना चाहता।
-रघुवेन्द्र सिंह

Thursday, June 18, 2009

सचमुच लकी हूं मैं: तुलसी कुमार

टी सीरीज परिवार की तुलसी कुमार अपना पहला सोलो म्यूजिक एलबम लव हो जाए लेकर आ रही हैं। पिछले चार सालों से वे पा‌र्श्वगायन कर रही थीं। एलबम के बारे में तुलसी उत्साह से बताती हैं, यह रोमांटिक गीतों वाला एलबम है। इसमें तेरह गाने हैं। नौ ओरिजिनल और चार रिमिक्स। ये गाने सूफी, रॉक, हिप-हॉप और पंजाबी हैं। एलबम का संगीत सांवरिया फेम संगीतकार मोंटी शर्मा ने तैयार किया है और गीत लिखे हैं समीर ने। पिछले एक वर्ष से मैं इसकी तैयारी में जुटी हुई थी। इसे हर उम्र के लोग सुनेंगे। इसके पहले मेरे सात धार्मिक एलबम रिलीज हो चुके हैं, लेकिन यह मेरा पहला सोलो एलबम है। अक्सर, हमको दीवाना कर गए, टॉम डिक ऐंड हैरी, भूलभुलैया, कर्ज और हाल में आई बिल्लू और तस्वीर 8 बाई 10 फिल्मों में तुलसी के गाये गीत लोकप्रिय हुए। सामान्य तौर पर नए सिंगर खुद को प्रस्तुत करने के लिए म्यूजिक एलबम का सहारा लेते हैं। तुलसी तो तमाम फिल्मों में गीत गा चुकी हैं। आखिर एलबम बनाने की जरूरत अब क्यों पड़ी? जवाब में वे कहती हैं, एलबम के जरिए मैं साबित करना चाहती हूं कि हर तरह के गीत गा सकती हूं। मैंने फिल्मों में अब तक जो गाने गाये हैं, वे सभी हाई पीच के थे। सच तो यह है कि मैंने फिल्मों में अधिकतर गाने हिमेश रेशमिया के साथ गाये हैं। वे हाई पीच के गाने ही गाते हैं। हिमेश के कारण मैं टाइपकास्ट हो गई। एलबम के गीत सुनने के बाद लोग समझ जाएंगे कि मैं हर तरह के गाने गा सकती हूं।
लव हो जाए के तीन गीतों का म्यूजिक वीडियो बनाया गया है। उनका निर्देशन तुलसी की भाभी दिव्या खोसला ने किया है। उनके साथ काम करने के अनुभव के बारे में वे कहती हैं, हमने दो गानों की शूटिंग स्विट्जरलैंड और एक गाना गोवा में शूट किया है। भाभी के साथ काम करते हुए लगा नहीं कि मैं शूटिंग कर रही हूं। हमारे साथ मम्मी भी थीं। सेट पर घर जैसा माहौल था। मैं कैमरे के सामने जाने से झिझकती हूं। भाभी ने मेरी झिझक दूर करके अच्छी एक्टिंग करवाई और मुझसे अच्छा डांस भी करवा लिया।
तुलसी छह साल की उम्र से गायन का प्रशिक्षण ले रही हैं। दरअसल, उनके पापा गुलशन कुमार चाहते थे कि वे गायिका बनें। तुलसी कहती हैं, मैं पापा के सपने को जी रही हूं। वे चाहते थे कि मैं बहुत बड़ी गायिका बनूं। मैंने चार साल पहले गायकी शुरू की थी। इतने कम समय में लोग मुझे पहचानने लगे हैं। मैं गायकी की दुनिया में अपना अलग स्थान बनाना चाहती हूं। मैंने एलबम पापा को समर्पित किया है।
तुलसी यह स्वीकार करने से हिचकिचातीं नहीं किगुलशन कुमार की बेटी होने के कारण उन्हें जल्दी पहचान मिल गई। वे कहती हैं, मैं सचमुच लकी हूं कि ऐसे परिवार में मेरा जन्म हुआ। पापा ने मुझे गायकी में आने के लिए प्रेरित किया, अब भैया उत्साह बढ़ाते हैं, लेकिन लोगों को नहीं भूलना चाहिए कि यदि मैं अच्छी गायिका नहीं होती, तो संगीतकार मुझे बार-बार अवसर नहीं देते। भैया मुझसे हमेशा कहते हैं कि जनता का प्यार मिलेगा, तभी आगे बढ़ सकती हो।
इस साल केन घोष की फिल्म याहू, पूजा भट्ट की कजरारे, अदनान सामी के म्यूजिक एलबम और अन्य कुछ अनाम फिल्मों में तुलसी की आवाज सुनाई देगी। वे कहती हैं, इस वक्त मेरा पूरा ध्यान एलबम पर है। दिन-रात ईश्वर और पापा से यही प्रार्थना करती हूं कि यह हिट हो जाए।
-रघुवेन्द्र सिंह

Tuesday, June 16, 2009

शाइनी 18 तक पुलिस हिरासत में

शाइनी आहूजा को नौकरानी के साथ बलात्कार करने के आरोप में अंधेरी कोर्ट ने तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेजने का फैसला सुनाया है। 18 जून को उन्हें दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा। सोमवार दोपहर पौने दो बजे पुलिस ने अंधेरी कोर्ट में मजिस्ट्रेट पी.के. चौधरी के समक्ष शाइनी को पेश किया। सरकारी वकील एस.एस. कस्तूरे ने कोर्ट में दलील दी कि शाइनी रसूखदार व्यक्ति हैं। इस वजह से उनके खिलाफ कोई कुछ नहीं बोल रहा है। साक्ष्य के संदर्भ में पूछताछ के लिए उन्हें पुलिस हिरासत में लिया जाना आवश्यक है। यदि उन्हें छोड़ दिया गया तो संभव है कि वह गवाह को प्रभावित करने की कोशिश करें। शाइनी के वकील श्रीकांत शिवदे ने कोर्ट के समक्ष कहा कि पुलिस को जितनी पूछताछ करनी थी, वह कर चुकी है। आधे घंटे की सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट ने शाइनी को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेजने का फैसला सुनाया। सरकारी वकील के मुताबिक, शाइनी 18 जून तक पुलिस हिरासत में रहेंगे। इस दौरान कोर्ट के आदेश के मुताबिक केवल उनके वकील उनसे मिल सकते हैं। कोर्ट में पूरी सुनवाई के दौरान शाइनी बिल्कुल खामोश रहे। इस दौरान उन्होंने दो-तीन बार झपकी भी ले ली। वह कोर्ट में नंगे पांव दिखे। मजिस्ट्रेट का फैसला आने पर उन्होंने कोर्ट से यह दरख्वास्त जरूर की कि पुलिस कस्टडी के दौरान उन्हें उनके परिजनों से मिलने की इजाजत दी जाए। कोर्ट ने यह मांग नहीं मानी। रविवार शाम शाइनी की अट्ठारह वर्षीय नौकरानी ने ओशिवारा पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ बलात्कार की एफआईआर दर्ज करवाई थी। शाइनी ने डेढ़ महीने पहले ही अपनी डेढ़ वर्षीय बेटी अर्शिया की देखभाल के लिए उस नौकरानी को रखा था। अब उसके बलात्कार के आरोप में फंस जाने के चलते शाइनी का फिल्मी करियर भी प्रभावित हो सकता है। उनकी आने वाली फिल्मों में जानू बरूआ की हर पल एवं प्रीतीश नंदी कम्युनिकेशन की द एक्सीडेंट शामिल हैं। उन्होंने हालीवुड की फिल्म सिल्वर कान भी साइन की है।
-रघुवेन्द्र सिंह

Monday, June 15, 2009

लक्ष्य बहुत है दूर, लेकिन मुश्किल नहीं: मेघन जाधव

गत चार वर्षो से अभिनय में सक्रिय मेघन जाधव जय श्रीकृष्ण के अनुभव, निजी जीवन एवं आने वाली फिल्मों जोर लगा के हैय्या और रामा द सेवियर के बारे में बता रहे हैं-
[पापा और भाई हैं प्रेरणा]
मेरे पापा सुभाष जाधव अस्सी एवं नब्बे के दशक में सीरियल एवं फिल्मों में अभिनय करते थे। मेरे बड़े भाई मंदार भी इसी क्षेत्र में हैं। पिछले दिनों उन्होंने जी टीवी के सीरियल अलादीन में अलादीन की केंद्रीय भूमिका निभायी थी। पापा और भाई से प्रेरित होकर मैं अभिनय में आया। मैं मुंबई में पला-बढ़ा हूं। इस वक्त केसी कालेज से बारहवीं की पढ़ाई कर रहा हूं। अब मैंने तय कर लिया है कि अभिनय को ही अपना प्रोफेशन बनाऊंगा।
[जीते हैं पुरस्कार]
मैंने बारह वर्ष की उम्र में फिल्म सलाम-द सैल्यूट से डेब्यू किया। उस फिल्म के लिए मुझे महाराष्ट्र का प्रतिष्ठित मता सम्मान एवं कला दर्पण पुरस्कार मिला। साथ ही, स्टार स्क्रीन अवॉर्ड में मुझे बेस्ट चाइल्ड एक्टर के पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। उसके बाद मैंने चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी की फिल्म बंटू बॉक्सर और सलाम बच्चे में काम किया। सलाम बच्चे माजिद मजीदी की चर्चित फिल्म चिल्ड्रेन ऑफ हेवेन का हिंदी रीमेक थी। सभी फिल्मों में मैंने केंद्रीय भूमिकाएं निभायीं। कुछ समय पहले मैंने रावण सीरियल में विभीषण के बचपन की भूमिका और मेरे बड़े भाई मंदार ने उसी सीरियल में युवा विभीषण की भूमिका निभायी।
[राधा की तलाश है]
मैं कृष्ण की भूमिका को एंज्वॉय कर रहा हूं। वैसे तो कृष्ण भगवान से खुद की तुलना करना गलत बात होगी, लेकिन उनमें और मुझमें कुछ समानताएं हैं। उनकी तरह मेरे जीवन में भी बहुत सारी गोपियां हैं। कॉलेज में बहुत सारी लड़कियां मेरी दोस्त हैं, लेकिन अभी तक मुझे राधा नहीं मिली है। मैं राधा की तलाश कर रहा हूं। दिलचस्प बात यह है कि सीरियल के लिए भी अभी तक राधा के लिए किसी लड़की का चयन नहीं हो सका है।
[समाज सेवा करता हूं]
फिल्म जोर लगा के हैय्या में काम करने के बाद मैं समाज सेवी कार्यो में दिलचस्पी लेने लगा हूं। मैं पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम करने वाली मुंबई की कुछ समाज सेवी संस्थाओं से जुड़ गया हूं। जल्द ही मेरी फिल्म रामा द सेवियर प्रदर्शित होगी। उसमें मैंने रोहन की भूमिका निभायी है। मेरे साथ उस फिल्म में तनुश्री दत्ता, साहिल खान और द ग्रेट खली प्रमुख भूमिका में हैं।
[कृष्ण बनकर खुश हूं]
बड़े भाई मंदार मोती सागर के प्रोडक्शन हाउस में काम कर चुके हैं। अलादीन उसी प्रोडक्शन हाउस का सीरियल था। बड़े भाई के जरिए वे मुझे जानते थे। वे कृष्ण की भूमिका के लिए नए चेहरे की तलाश कर रहे थे। भाई ने मेरा नाम उन्हें सुझाया। उन्होंने मुझे ऑडिशन के लिए बुलाया। पांच बार ऑडिशन देने के बाद मेरा चयन हुआ। मुझे जब बताया गया कि मैं कृष्ण के लिए चुन लिया गया हूं तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैंने कृष्ण की भूमिका के लिए काफी तैयारी की। मैं सात महीने से अपने केश बढ़ा रहा था। मैंने कृष्ण से संबंधित कई किताबों का अध्ययन भी किया।
[राज करना चाहता हूं]
मैं अभिनय की दुनिया में राज करना चाहता हूं। मैं अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, आमिर खान और रितिक रोशन का मिश्रण बनना चाहता हूं। मैं अपने करियर की गति से खुश हूं, लेकिन अभी मेरा लक्ष्य बहुत दूर है। मुझे निर्देशन में भी रूचि है। मैंने दो शार्ट फिल्में बनायी हैं। जल्द ही, उसे यू ट्यूब पर लोड करूंगा।

-रघुवेन्द्र सिंह

सही है रफ्तार: सयाली भगत

इमरान हाशमी के अपोजिट फिल्म द ट्रेन से एक्टिंग व‌र्ल्ड में आने वाली सयाली भगत आजकल बेहद व्यस्त हैं। अपनी व्यस्तता का श्रेय वे दर्शकों को देती हैं और कहती हैं, मुझे इस बात की खुशी है कि इंडस्ट्री और दर्शकों ने मुझे स्वीकार लिया। मैंने सोचा नहीं था कि डेढ़ साल के अंदर मैं पांच फिल्मों की शूटिंग कर लूंगी। मुझे भट्ट कैंप, राजकुमार संतोषी और सुभाष घई जैसे बड़े लोगों के साथ काम करने का मौका मिल गया। मेरे करियर की रफ्तार सही है। मैं सही दिशा में जा रही हूं। बिना किसी गॉडफादर के फिल्म इंडस्ट्री में अच्छे लोगों के साथ काम करना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है।
सयाली भगत की दो फिल्में पेइंग गेस्ट और किरकिट जल्द ही रिलीज होंगी। इन फिल्मों में वे एक-दूसरे से अलग और दिलचस्प भूमिका में दिखाई देंगी। वे बताती हैं, फिल्म पेइंग गेस्ट में मैंने एक चैनल हेड की भूमिका निभाई है। कैरेक्टर का नाम सीमा है। मैंने फिल्म में पहली बार कॉमेडी की है। मुझे कॉमेडी करना मुश्किल लगा। किरकिट में अपनी भूमिका के बारे में मैं अभी कुछ नहीं बता सकती। इनके अलावा मैं एक फिल्म शाउट भी कर रही हूं। उसमें मेरी चुनौतीपूर्ण भूमिका है।
सयाली द ट्रेन के बाद गुडलक और हल्लाबोल फिल्मों में नजर आई थीं। इनसे उनकी दर्शकों में पहचान का दायरा बढ़ा, लेकिन सयाली अच्छी तरह जानती हैं कि अभी उन्हें अपनी कुछ कमियों पर मेहनत करने की जरूरत है। कमियों के बारे में वे बेझिझक कहती हैं, हिंदी पर मेरी पकड़ अच्छी नहीं है। मेरी आवाज भी अच्छी नहीं है। मैं शब्दों को तोलकर नहीं बोल पाती, लेकिन मैं अपनी कमियों पर मेहनत कर रही हूं। दरअसल, मिस इंडिया की ट्रेनिंग के दौरान हमें ऊंची आवाज में बोलने की ट्रेनिंग दी जाती है, जबकि फिल्मों में कैरेक्टर के हिसाब से खुद को ढालना पड़ता है। बॉडी लैंग्वेज और बोलचाल का तरीका बदलना पड़ता है। मैं प्ले भी करना चाहती हूं। ऐसा इसलिए, क्योंकि प्ले करने के बाद कलाकार के अभिनय में निखार आता है।
सयाली माधुरी दीक्षित की तरह तमाम रंगों वाली भूमिका निभाने की इच्छुक हैं। वे उन्हीं की तरह पहचान और प्रतिष्ठा पाना चाहती हैं। पूर्व मिस इंडिया सयाली कहती हैं, माधुरी मेरी फेवरेट ऐक्ट्रेस हैं। वे मेरी रोल मॉडल भी हैं। उनसे प्रेरित होकर ही मैं फिल्मों में आई हूं। मैं उन्हीं की तरह बनना चाहती हूं। उनकी तरह तेजाब, बेटा, मृत्युदंड और गजगामिनी जैसी अलग-अलग जॉनर की फिल्में करना चाहती हूं। ऐसी भूमिकाएं निभाना चाहती हूं, ताकि लोग लंबे समय तक मुझे याद रखें।
सयाली के बारे में कम ही लोग जानते हैं कि वे बाबा आम्टे के बेटे प्रकाश आम्टे के साथ मिलकर नासिक में अशिक्षा के खिलाफ काम करती हैं। सयाली कहती हैं, मैं कई वर्षो से अशिक्षा और वाइल्ड लाइफ के लिए काम कर रही हूं। हम डाक्यूमेंट्री फिल्में बनाकर भारतीय मूल के विदेश में रहने वाले लोगों को दिखाते हैं और फंड इकट्ठा करते हैं। उन पैसों से हम गरीबों के लिए दवा और उनके बच्चों की शिक्षा का इंतजाम करते हैं। यह काम करने में मुझे बहुत खुशी मिलती है।
-रघुवेन्द्र सिंह

स्लिम हुई आयशा

आयशा टाकिया ने ब्वॉयफ्रेंड फरहान आजमी से शादी के एक महीने उपरांत ही लाइट, कैमरा और एक्शन की जिंदगी में वापस लौटने का फैसला किया, लेकिन उनका बढ़ा वजन उनके लिए चुनौती बन गया। आयशा को उनके एक मित्र ने सलाह दी की यदि वह अत्यंत कम समय में वजन घटाना चाहती हैं, तो अपने खाने पर कंट्रोल करें। बता दें, आयशा खाने की बेहद शौकीन हैं। उन्हें तरह-तरह के शाकाहारी व्यंजन पसंद हैं। रेस्टोरेंट के बिजनेस में सक्रिय फरहान आजमी से उनकी घनिष्ठता बढ़ाने में खाने के प्रति आयशा की रुचि अहम वजह रही। दरअसल, उनकी तरह शौहर फरहान भी खाने के शौकीन हैं। खबर यह है कि आयशा टाकिया एक माह के भीतर अपना पुराना फिगर पाने में कामयाब हो गयीं।
आजकल वह मुंबई में रेवती निर्देशित फिल्म आपके लिए हैं हम की दिन-रात शूटिंग कर रही हैं। सेट पर मौजूद एक शख्स के मुताबिक, आयशा टाकिया पहले की अपेक्षा अब अधिक खूबसूरत और फिट हो गयी हैं। निर्देशक रेवती उनसे काफी प्रभावित हुई हैं। हाल में शूटिंग के दौरान जब आयशा से उनकी खूबसूरती और फिटनेस का राज पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि आजकल वह डाइटिंग कर रही हैं। वह सिर्फ फलों का सेवन कर रही हैं। आयशा की मम्मी ने इस संदर्भ में कहा कि मेरी बेटी पहले से ही खूबसूरत और फिट है। इसमें कोई नयी बात नहीं है।
-रघुवेन्द्र सिंह

खुश ही नहीं, बल्कि संतुष्ट भी हूं: हितेन

हितेन इन दिनों इमेजिन पर प्रसारित धारावाहिक कितनी मोहब्बत है में गायक करन सिंह की भूमिका निभा रहे हैं। प्रस्तुत है हितेन से उनके करियर और भूमिकाओं के चयन को लेकर बातचीत-
सीरियल की किस खासियत ने आपको हां कहने के लिए विवश किया?
मुझे इसका कांसेप्ट और भूमिका अच्छी लगी। मैं इसमें करन सिंह की भूमिका निभा रहा हूं। वह पापुलर सिंगर है। ऐसी भूमिका मैं पहली बार कर रहा हूं।
क्या आप छोटी भूमिकाएं करने के लिए तैयार हैं?
छोटे-मोटे रोल करने होते, तो मैंने टीवी से दूरी नहीं बनायी होती। अभी ऐसा काम करने की नौबत नहीं आयी है। मैं छोटे रोल करने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हूं।
सिंगर करन सिंह से कितना जुड़ाव महसूस करते हैं?
इस भूमिका को निभाते हुए मुझे कुछ ही दिन हुए हैं। मैं इसको एंज्वॉय कर रहा हूं, लेकिन कोई जुड़ाव महसूस नहीं कर रहा हूं। हां, सीरियल के लिए मुझे लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।
क्या आपको गायन का शौक है?
सच कहूं तो मेरी आवाज उतनी अच्छी नहीं है। मैं कभी-कभार गुनगुना लेता हूं, बस।
छोटे पर्दे के बदलते परिदृश्य के बारे में आपकी क्या राय है?
यह बदलाव तो होना ही था। अब न्यूकमर्स को प्राथमिकता दी जा रही है। यंग कलाकारों की मांग बढ़ गयी है। यह अच्छी बात है। वैसे मेरा मानना है कि यदि निर्माता को लगेगा कि फलां रोल पुराने कलाकार को सूट करेगा तो वे उन्हें ही साइन करेंगे।
आपको बड़े पर्दे पर दर्शक कब देख सकेंगे?
मैं टीवी में खुश हूं, लेकिन अच्छा प्रस्ताव मिला तो फिल्मों में जरूर काम करूंगा। मैं फिल्मों में ऐसा काम नहीं करना चाहता, जिससे बाद में मुझे पछताना पड़े। मेरे पास फिल्मों के प्रस्ताव आते रहते हैं, लेकिन अभी तक कुछ दमदार और मजेदार नहीं मिला। मुझे फिल्मों में छोटा रोल करने में आपत्तिनहीं है, लेकिन वह ऐसा रोल होना चाहिए कि दर्शक कभी भूल न पाएं। सत्या फिल्म के भीखू मात्रे जैसा। मैं नहीं कहता कि मुझे फिल्म में हीरो ही बनना है।
निजी जीवन और करियर से खुश हैं?
जी हां। मैं खुश ही नहीं, बल्कि संतुष्ट हूं। मुझे लोगों का बहुत प्यार मिला है। अपेक्षा करता हूं कि लोगों का प्यार और शुभकामनाएं भविष्य में भी मेरे साथ रहेंगी।
-रघुवेन्द्र

हास्य कलाकार बनकर नहीं रहना चाहता: रितेश देशमुख

रितेश देशमुख पिछले वर्ष बड़े पर्दे पर कम दिखे। वे कलाकार के तौर पर अपना विस्तार करने का रास्ता तलाश रहे थे। हास्य प्रधान फिल्मों में अभिनय के कारण उनकी पहचान का दायरा सिमट कर रह गया था। अब रितेश बदलाव की उम्मीद जता रहे है।
बदलाव की बात पर रितेश कहते हैं, मैंने बीच में कैश जैसी एक्शन और डरना जरूरी है जैसी हॉरर फिल्म में काम किया। इत्ताफाकन वे बॉक्स ऑफिस पर चली नहीं इसलिए उन्हें कोई याद नहीं करता है। वे चल गयी होतीं, तो आज मैं किसी और स्थिति में होता। देखिए, होता क्या है कि जो फिल्में हिट होती हैं, लोग उन्हें ही याद रखते हैं। निर्माता निर्देशक आपके पास उसी प्रकार की फिल्मों के प्रस्ताव लेकर आते हैं।
इस वर्ष मेरी फिल्मों का लाइनअप बहुत अच्छा है। सुजॉय घोष की अलादीन, रामगोपाल वर्मा की रण, मिलाप झावेरी की जाने कहां से आयी है और डेविड धवन की डू नॉट डिस्टर्ब फिल्में प्रदर्शित होंगी। अब लोग मुझे कुछ नया काम करने का मौका दे रहे हैं, तो मैं कर रहा हूं।
नयी फिल्मों के बारे में रितेश विस्तार से बताते हैं, सुजॉय की अलादीन फैंटेसी फिल्म है। उसमें मैं अलादीन की केंद्रीय भूमिका निभा रहा हूं। अमिताभ बच्चन फिल्म में जिन्न बने हैं। रामगोपाल वर्मा की रण में मैं युवा टीवी पत्रकार पूरब शास्त्री की भूमिका निभा रहा हूं। वह सिद्धांतवादी युवक है। उसमें मैं फिर अमिताभ बच्चन के साथ नजर आऊंगा। जाने कहां से आयी है शुद्ध रोमांटिक फिल्म है। यह मिलाप झावेरी की पहली फिल्म है। उसमें मेरे साथ रूसलान मुमताज हैं। डू नॉट डिस्टर्ब आउट एन आउट कॉमेडी फिल्म है। उसमें मेरे अलावा गोविंदा, सुष्मिता सेन और लारा दत्ता प्रमुख भूमिकाओं में हैं। मैं विविध विधाओं की फिल्मों में काम करने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन मैं जानता हूं हर कोई अक्षय कुमार नहीं हो सकता है। अक्षय ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने हर प्रकार की फिल्म में खुद को साबित किया है।
रितेश देशमुख अपने मित्र साजिद खान के निर्देशन में दोबारा काम करने जा रहे हैं। वे उनकी दूसरी फिल्म हाउसफुल में अक्षय कुमार के साथ हैं। रितेश कहते हैं, साजिद मेरे खास मित्र हैं। वे अच्छी तरह जानते हैं कि मैं किस कला में माहिर हूं। उन्होंने हाउसफुल में मुझे कमाल की भूमिका निभाने का मौका दिया है। अपने मित्रों की भांति क्या रितेश फिल्म निर्माण में आने के बारे में विचार कर रहे हैं, जवाब में वे कहते हैं, अरे नहीं। फिल्म निर्माण और निर्देशन बहुत बड़ी जिम्मेदारी का काम है। वह टैलेंटेड लोगों को शोभा देता है। मैं अभी अभिनय कर रहा हूं। उसको अच्छी तरह कर लूं। उसके बाद किसी अन्य क्षेत्र में जाने के बारे में विचार करूंगा।
-रघुवेन्द्र सिंह

Saturday, June 13, 2009

निराश करती है कल किसने देखा/फिल्म समीक्षा

मुख्य कलाकार : जैकी भगनानी, वैशाली देसाई, गषि कपूर, अर्चना पूरन सिंह, अक्षय कपूर।
निर्देशक : विवेक शर्मा
तकनीकी टीम : निर्माता-वाशु भगनानी, बैनर-पूजा फिल्म्स, संगीत-साजिद-वाजिद, गीत-समीर, कोरियोग्राफर-रेमो।
विवेक शर्मा निर्देशित कल किसने देखा निर्माताओं, वितरकों एवं मल्टीप्लेक्स मालिकों के बीच सुलह के बाद प्रदर्शित होने वाली पहली बड़ी फिल्म है। निर्माता वाशु भगनानी ने अपने बेटे जैकी भगनानी की इस फिल्म का प्रचार इतने बड़े स्तर पर किया कि अपेक्षा बढ़ना स्वाभाविक है।
भूतनाथ जैसी भावनात्मक एवं संवेदनशील फिल्म के बाद निर्देशक विवेक शर्मा से भी उम्मीदें बढ़ गयी थीं, लेकिन कल किसने देखा निराश करती है। इसमें रोमांस, एक्शन, ड्रामा साधारण एवं पूर्व अनुमानित है।
कल किसने देखा का नायक निहाल सिंह (जैकी भगनानी) चंडीगढ़ से मुंबई पढ़ाई के लिए आता है। यहां रईस घराने की अहंकारी मीशा (वैशाली देसाई) और कालेज के प्रोफेसर सिद्धार्थ वर्मा (गषि कपूर) उसकी जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाते हैं। निहाल मीशा से प्रेम करने लगता है और प्रोफेसर वर्मा को अपना गुरू बना लेता है। निहाल के पास ईश्वर प्रदत्त आने वाले कल को देखने की अनूठी शक्ति है। प्रोफेसर वर्मा को जब निहाल की इस खूबी की जानकारी मिलती है तो वे उसका इस्तेमाल अपने नापाक काम में करते हैं। भोला और आदर्शवादी निहाल प्रोफेसर वर्मा के बारे में जान जाता है, लेकिन उसका दिल सच स्वीकार करने को तैयार नहीं होता। प्रोफेसर वर्मा निजी भड़ास निकालने के मकसद से मुंबई शहर में बम का जाल बिछा देते हैं।
लेखक-निर्देशक विवेक शर्मा ने रोमांटिक कहानी में आतंकवाद को पिरोया है। कालेज बेस्ड इस फिल्म के दृश्य एवं संवाद में नयेपन का अभाव है। यही वजह है कि कुछ वक्त के बाद फिल्म बांधे रखने में असफल हो जाती है। नए कलाकार जैकी भगनानी अभिनय से अधिक नृत्य से प्रभावित करते हैं। मीशा की भूमिका को वैशाली देसाई ने अच्छी तरह जीया है। ऋषि कपूर प्रोफेसर वर्मा की निगेटिव भूमिका में चौंकाते हैं। डॉन कालीचरण बने रितेश देशमुख ने साधारण अभिनय किया है। अलग फेम अक्षय कपूर के पात्र को अधूरा छोड़ दिया गया है। एक दृश्य में दिखी जूही चावला याद रहती हैं। अनावश्यक गीतों की वजह से फिल्म लंबी बन गयी है। कल किसने देखा की सिनेमैटोग्राफी खूबसूरत है। निर्माता वाशु भगनानी ने बेटे की डेब्यू फिल्म में खूब पैसा खर्च किया है। यही वजह है कि फिल्म में दिखायी गयी मुंबई और महाराष्ट्र की मुंबई में कोई समानता नहीं दिखाई देती है।
रेटिंग- ढाई अंक
-रघुवेन्द्र सिंह

मानव जाति पर कटाक्ष-जोर लगा के हइया | फिल्म समीक्षा

मुख्य कलाकार : मिथुन चक्रवर्ती, महेश मांजरेकर, रिया सेन, गुलशन ग्रोवर, सीमा बिस्वास, मेघन जाधव, अश्विन चितले आदि।
निर्देशक : गिरीश गिरिजा जोशी
तकनीकी टीम : निर्माता-बसंत तलरेजा और कार्तिकेय तलरेजा, बैनर-जेमिनी मोशन पिक्चर्स, संगीत-बापी टुटुल, गीत-अमिताभ वर्मा और संदीप नाथ।
नए निर्देशक गिरीश गिरिजा जोशी ने फिल्म जोर लगा के हइया में वृक्ष दोहन की समस्या को एक भावनात्मक कहानी के माध्यम से पेश करने की कोशिश है। चूंकि इस वक्त पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिग और गहन पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है, ऐसे में निर्देशक का यह प्रयास सराहनीय कहा जा सकता है, लेकिन फिल्म की कहानी में कसाव एवं पात्रों को सही तरीके से विकसित किया गया होता तो फिल्म में जान आ सकती थी।
बारह वर्षीय करन (मेघन जाधव) मुंबई की हाई सोसायटी में रहता है। उसकी दुनिया उसके दोस्तों तक सीमित है। वे सभी सोसायटी के बाहर रह रहे एक भिखारी (मिथुन चक्रवर्ती) से बहुत डरते हैं। वे उसे रावण कहते हैं। उस पर नजर रखने के मकसद से वे नजदीक स्थित पेड़ पर घर यानी ट्री हाउस बनाते हैं। इसी दौरान उनकी दोस्ती तेरह वर्षीय राम से होती है, जो वहां कंस्ट्रक्शन साइट पर अपनी मां (सीमा बिस्वास) के साथ काम करता है। अचानक बिल्डर बख्शी (गुलशन ग्रोवर) की नजर उस पेड़ पर पड़ती है। वह अपने मैनेजर गुप्ता (महेश मांजरेकर) को उस पेड़ को काटने की हिदायत देता है। वह बिल्डिंग का प्रवेश द्वार वहां बनाना चाहता है। करन और उसके दोस्त एवं रावण मिलकर उस पेड़ को बचाने की कोशिश करते हैं। करन अपने शिक्षित माता-पिता से मदद मांगता है, लेकिन कोई तैयार नहीं होता। अंत में निर्देशक भगवान गणेश का सहारा लेता है।
लेखक-निर्देशक गिरीश गिरिजा जोशी ने भगवान की सहारा लेकर मानव जाति पर कटाक्ष किया है। मिथुन चक्रवर्ती ने भिखारी की भूमिका अच्छी तरह निभायी है। बाल कलाकारों में मेघन जाधव और अश्विन चितले उभरकर सामने आते हैं। रिया सेन का इस्तेमाल फिल्म में ग्लैमर लाने के लिए अनावश्यक रूप से किया गया है। बापी टुटुल का संगीत प्रभावित नहीं करता।
रेटिंग- डेढ़ अंक
-रघुवेन्द्र सिंह

Wednesday, June 10, 2009

खुश हूं, संतुष्ट नहीं: आशीष चौधरी

अभिनेता आशीष चौधरी की दो फिल्में पेइंग गेस्ट और बंदा ये बिंदास है प्रदर्शन के लिए तैयार हैं। इनमें मुक्ता आ‌र्ट्स की पेइंग गेस्ट को लेकर वे अधिक उत्साहित हैं। उसकी वजह वे बताते हैं, इस फिल्म में मैं लंबी और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हूं, जबकि बंदा ये बिंदास है गोविंदा की फिल्म है। उसमें गोविंदा और लारा दत्ता मुख्य भूमिका में हैं। मैंने इस फिल्म में छोटी भूमिका निभाई है।
पेइंग गेस्ट मल्टीस्टारर फिल्म है। इसमें आशीष के साथ श्रेयस तलपड़े, जावेद जाफरी, वत्सल सेठ, सेलिना जेटली, रिया सेन, नेहा धूपिया और सयाली भगत अहम भूमिका में हैं। फिल्म के बारे में आशीष विस्तार से बताते हैं, यह मजेदार कॉमेडी फिल्म है। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई हीरो-हीरोइन नहीं है। सभी कलाकारों की भूमिकाएं महत्वपूर्ण हैं। पेइंग गेस्ट चार दोस्तों की कहानी है, जो अपने रहने के लिए घर की तलाश कर रहे हैं। मैं परीक्षित की भूमिका निभा रहा हूं। इसमें मेरे अपोजिट नेहा धूपिया और श्रेयस हैं। श्रेयस फिल्म में मेरी गर्लफ्रेंड की भूमिका में हैं। उन्हें देखकर कोई नहीं कहेगा कि वे लड़की बने हैं। वे सचमुच लड़की लगते हैं। उनके अलावा, जावेद जाफरी भी इसमें लड़की के गेटअप में दिखेंगे। फिल्म देखते समय दर्शक खूब हंसेंगे। फिल्म पूरी तरह मनोरंजक है। पेइंग गेस्ट निर्देशक परितोष पेंटर की पहली फिल्म है। उनके निर्देशन में काम करने का अनुभव आशीष बताते हैं, परितोष के साथ काम करके मजा आया। वे मेरी फिल्म धमाल के लेखक थे। उसी वक्त मैंने उनसे कहा था कि आपको निर्देशन में आना चाहिए। उन्होंने बहुत बढि़या फिल्म बनाई है। आशीष अपनी बात जारी रखते हैं, परितोष की वजह से मुझे सुभाष घई के बैनर मुक्ता आ‌र्ट्स की फिल्म में काम करने का अवसर मिला। अब मुझे लग रहा है कि एक्टिंग में मेरा आना सफल हो गया। घई की फिल्म में काम करना मेरे लिए उपलब्धि है।
इस फिल्म के बाद आशीष की बंदा ये बिंदास है और इंद्र कुमार की डैडी कूल प्रदर्शित होंगी। दोनों कॉमेडी फिल्में हैं। कॉमेडी फिल्मों को प्राथमिकता देने के संदर्भ में आशीष कहते हैं, मुझे कॉमेडी फिल्में करने में मजा आता है। ऐसा तो नहीं है कि मैं एक ही प्रकार की कॉमेडी कर रहा हूं। मैं अपनी हर फिल्म में नए अंदाज से लोगों को हंसाने आता हूं। धमाल के बाद मैं पेइंग गेस्ट और डैडी कूल में नए अंदाज में दिखाई दूंगा। मैं उन कलाकारों जैसा नहीं हूं, जो एक या दो कॉमेडी फिल्में करने के बाद ऊब जाते हैं। वैसे, मैं विक्रम भट्ट की थ्रिलर फिल्म फिर में भी काम कर रहा हूं।
गैर फिल्मी पृष्ठभूमि से आए आशीष कहते हैं, मैं अपने करियर की गति से खुश तो हूं, लेकिन संतुष्ट नहीं। वे आगे कहते हैं, इसलिए खुश हूं, क्योंकि मैंने बिना किसी की मदद के फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाई है। आज सुभाष घई, रवि चोपड़ा, इंद्र कुमार और विक्रम भट्ट जैसे फिल्मकार मुझे लेकर फिल्में बना रहे हैं। मेरी अब तक की ग्रोथ सही है। इतनी जल्दी मैं यह अपेक्षा नहीं कर सकता कि यश चोपड़ा, करण जौहर और संजय लीला भंसाली मुझे लेकर फिल्म बनाएं! मुझे संतुष्टि उस दिन होगी, जब लोग मेरे नाम पर फिल्म देखने आएंगे।
-रघुवेंद्र सिंह

Tuesday, June 9, 2009

बिपाशा बसु: सच कहने से क्या डरना!

बड़े पर्दे पर बोल्ड किरदार निभाने वाली अभिनेत्री बिपाशा बसु आजकल निजी जीवन में भी काफी बोल्ड हो गई हैं। वे पुरुष प्रधान हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों के साथ होने वाली ज्यादतियों के विरोध में खुलकर आवाज उठा रही हैं। उन्हें इस बात की लेश मात्र भी चिंता नहीं है कि इस मुहिम में अन्य अभिनेत्रियां उनका साथ देंगी या नहीं! बिपाशा अपनी बात कहती हैं, मैं सच कहने से डरती या हिचकिचाती नहीं हूं। फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा से पुरुष कलाकारों का दबदबा रहा है। यदि अभिनेता अपने से कम उम्र की अभिनेत्री के साथ काम करते हैं, तो किसी की भौंहें नहीं तनतीं, लेकिन यदि अभिनेत्री किसी कम उम्र अभिनेता के साथ काम करती है, तो उससे सौ सवाल किए जाते हैं। हाल की ही बात है। निर्देशक अब्बास-मस्तान की सफल फिल्म रेस का सिक्वल बनने की तैयारी चल रही है। मैं उनकी फिल्म रेस का हिस्सा थी, लेकिन मुझे उसके सिक्वल से बाहर रखा गया है। यह सभी जानते हैं कि किसी भी फिल्म की सफलता में उससे जुड़े हर कलाकार का बराबर योगदान होता है। फिर मुझे रेस के सिक्वल में क्यों नहीं लिया गया?
अब्बास-मस्तान निर्देशित रेस पिछले वर्ष की सफल और लोकप्रिय फिल्म है। हाल में फिल्म केनिर्माताओं ने उसके सिक्वल के निर्माण की बात कही और उस काम शुरू किया। रेस के सिक्वल में सैफ अली खान के साथ अब करीना कपूर को साइन किया गया है, जबकि ओरिजिनल फिल्म का हिस्सा रहीं बिपाशा और कैटरीना कैफको फिल्म से बाहर कर दिया गया है। कैटरीना इस मामले में चुप्पी साधे बैठी हैं, लेकिन बिपाशा खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रही हैं। उनकेनाराज होने की एक खास वजह और भी है। वे करीना को अपना प्रतिद्वंद्वी मानती हैं। पहली फिल्म अजनबी के निर्माण के समय से ही उनके और करीना के बीच संबंध मधुर नहीं हैं। बिपाशा प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं, अब्बास-मस्तान मेरे पहले निर्देशक हैं। मैं उनसे जरा भी नाराज नहीं हूं। मुझे इस बात का भी दुख नहीं है कि मुझे रेस के सिक्वल में नहीं लिया गया। यदि उन्होंने करीना को इसके लिए साइन किया है, तो मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं। मैं इस बात से बेहद खुश हूं, लेकिन मेरे मन में यह बात बार-बार उठ रही है कि निर्माता क्यों फिल्म के सिक्वल से अभिनेत्रियों को दूर कर देते हैं?
बिपाशा के लिए पिछला वर्ष बेहद सुखद रहा। उनकी फिल्में रेस और बचना ऐ हसीनों बॉक्स ऑफिस पर अच्छा बिजनेस करने में सफल हुई। इस वर्ष उनकी पहली फिल्म आ देखें जरा प्रदर्शित हुई, जो ठीक-ठाक गई। हाल में बिपाशा ने राहुल ढोलकिया की फिल्म लमहा की शूटिंग पूरी की है। फिलहाल, उनकी निगाहें अपनी नई फिल्म पंख पर टिकी हैं। इस फिल्म में वे एक बार फिर अपने से कम उम्र के अभिनेता मैराडेना रिबेलो के साथ रोमांस करती दिखेंगी। फिल्म के बारे में बात करने की बजाए बिपाशा अपनी निर्माणाधीन फिल्म ऑल द बेस्ट की चर्चा उत्साहित होकर करती हैं। वे कहती हैं, पिछले दिनों मैं गोवा में संजय दत्त, अजय देवगन और फरदीन खान के साथ इस फिल्म की शूटिंग कर रही थी। रोहित शेट्टी इसके निर्देशक हैं। यह कॉमेडी फिल्म है। मैं फिल्म की कहानी के बारे में ज्यादा नहीं बता सकती। मुझे फिल्म की शूटिंग में मजा आया। संजय, अजय, फरदीन, रोहित और मैं गोवा के बीच पर शूटिंग तो करते ही थे, साथ ही मस्ती भी करते थे।
ग्लैमरस बिपाशा की मांग आज भी मॉडलिंग व‌र्ल्ड में बरकरार है। कह सकते हैं कि हाल के दिनों में उनकी मांग और बढ़ गई है। शाहरुख खान पहले अभिनेता हैं, जिन्होंने महिलाओं के प्रोडक्ट को इंडोर्स किया है और अब बिपाशा पहली अभिनेत्री बन गई हैं, जो पुरुषों के प्रोडक्ट की ब्रांड अंबेसडर बनी हैं। उन्हें हाल में पुरुष डियोड्रेंट का ब्रांड अंबेसडर बनाया गया है। अपनी इस उपलब्धि से बिपाशा काफी खुश हैं। यह सवाल सबके जेहन में उठता है कि अभिनेता और अभिनेत्री जिन प्रोडक्ट्स को इंडोर्स करते हैं, उनका इस्तेमाल क्या वे स्वयं करते हैं? जवाब में बिपाशा कहती हैं, मैं बस अपने बारे में बता सकती हूं। मैं उन्हीं प्रोडक्ट का प्रचार करती हूं, जिनकी गुणवत्ता पर मुझे भरोसा होता है। जिन्हें मैं खुद इस्तेमाल करना पसंद करती हूं। मैं प्रोडक्ट के बारे में जांच-पड़ताल करने के बाद ही उसके साथ जुड़ती हूं। मैं अपने प्रशंसकों को गुमराह नहीं कर सकती।
-रघुवेन्द्र सिंह

Monday, June 8, 2009

मेरे किरदार की कोई सीमा नहीं है-अमृता राव

शार्टकट को अमृता राव अपने करियर की अत्यंत खास फिल्म मानती हैं। इसमें उन्होंने अपने लुक एवं ड्रेस पर जमकर प्रयोग किए हैं। अमृता उत्साह से कहती हैं, अब तक मैंने जो किरदार निभाए हैं, चाहे वह विवाह की पूनम हो या वेलकम टू सज्जनपुर की कमला, उनकी अपनी सीमाएं थीं। उन किरदारों का खास पहनावा और शारीरिक हावभाव था, लेकिन शार्टकट में मेरे किरदार की कोई सीमा नहीं है। इस फिल्म में मैंने ग्लैमर व‌र्ल्ड की लड़की मानसी का किरदार निभाया है। वह आधुनिक है। वह हर तरीके के कपड़े पहनती है और बंधनमुक्त जीवन जीती है। अनिल कपूर ने जब मुझे फिल्म के बारे में बताया तो मैं खुशी से उछल पड़ी। इस किरदार के साथ मैंने खूब प्रयोग किए हैं। मैं फिल्म के हर दूसरे दृश्य एवं गीत में नए अंदाज में नजर आऊंगी। मैं शार्टकट में पहली बार बेहद ग्लैमरस अंदाज में दिखाई दूंगी। इसमें मेरे परिधान मनीष मलहोत्रा ने तैयार किए हैं, पर फिल्म में मैंने एक भी आपत्तिजनक परिधान नहीं पहने हैं। मेरी दादी हमेशा कहती हैं कि कभी ऐसा कपड़ा मत पहनना, जिससे शर्म महसूस हो।
लंबे समय के बाद शार्टकट में अमृता अक्षय खन्ना के साथ स्क्रीन पर नजर आएंगी। उनके साथ अरशद वारसी भी प्रमुख किरदार में हैं। फिल्म का निर्देशन नीरज वोरा ने किया है। शार्टकट की कहानी एवं सह-कलाकारों के साथ अनुभव के बारे में अमृता कहती हैं, इसकी कहानी मजेदार और प्रेरणादायक है। कुछ लोग जीवन में शार्टकट अपनाकर आगे बढ़ते हैं और कुछ लोग कड़ी मेहनत, ईमानदारी और धैर्य के साथ सफलता पाने की कोशिश करते हैं। अक्षय इसमें ऐसे शख्स का किरदार निभा रहे हैं, जो कभी शार्टकट नहीं लेता और अरशद वारसी का किरदार शार्टकट की बदौलत ही आगे बढ़ते हैं। मुझे दोनों के साथ काम करने में मजा आया। अक्षय के साथ मैंने काफी समय पहले दीवार फिल्म में काम किया था। वे सेंसिबल एवं प्रोफेशनल एक्टर हैं।
अमृता की आने वाली फिल्मों में शार्टकट के अतिरिक्त डॉ चन्द्र प्रकाश द्विवेद्वी की लीजेंड आफ कुणाल और टिप्स की केन घोष निर्देशित एक फिल्म है। वे मिलाप झावेरी की जाने कहां से आयी है में एलियन के छोटे से किरदार में दिखाई देंगी। अमृता कहती हैं, मेरी अब तक जो फिल्में प्रदर्शित हो चुकी हैं और जो प्रदर्शन के लिए तैयार हैं, उनमें मैंने सराहनीय काम किया है, लेकिन अभी मेरा बेस्ट काम आना बाकी है। मैं हालीवुड की फिल्मों में वहां के कलाकारों को परफार्म करते देखती हूं, तो सोचती हूं कि वैसा मौका हमें कब मिलेगा? मैं ऐसा किरदार करना चाहती हूं जो टाइमलेस हो।
-रघुवेन्द्र सिंह

निष्पक्ष फैसला सुनाती हूं-सोनाली

इंडियन आइडल के बाद अब सोनाली कलर्स के नए रिएलिटी शो 'इंडियाज गॉट टैलेंट' में जज की भूमिका में दिखाई दे रही है। प्रस्तुत हैं सोनाली से बातचीत के प्रमुख अंश:
इंडियाज गॉट टैलेंट किस तरह का रिएलिटी शो है?
यह टैलेंट हंट शो है। इसमें हर उम्र के लोग हिस्सा ले सकते हैं और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकते हैं। इसमें उम्र की सीमा नहीं है और न ही कोई कैटेगरी है। अभिनय, डांस, मिमिक्री, लोकगीत, लोकनृत्य जैसी किसी भी प्रतिभा का प्रदर्शन इसमें किया जा सकता है। इससे पहले यूएस, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और आस्ट्रेलिया में गॉट टैलेंट शो अत्यंत लोकप्रिय हुआ है। सर्वविदित है कि भारत में अन्य देशों की तुलना में अधिक प्रतिभा संपन्न लोग हैं। ऐसे में इस शो की महत्ता बढ़ जाती है। मैं शो को लेकर उत्साहित हूं।
किस आधार पर शो के विजेता का चुनाव किया जाएगा?
यह मुश्किल प्रश्न है। सिंगिंग और डांस रिएलिटी शो में विजेता चुनना आसान होता है, क्योंकि उनमें बेस्ट सिंगर और बेस्ट डांसर चुनना होता है, लेकिन इसमें मुश्किल होगी। यही वजह है कि मैं पहली बार किसी शो में जज बनने के बाद डरी हुई हूं। आपको जानकर हैरानी होगी कि मुझे शो के लिए तैयारी करनी पड़ रही है। बहरहाल, हमने तय किया है कि जो प्रतियोगी सबसे अधिक मनोरंजन करेगा, उसे ही हम विजेता चुनेंगे।
इसमें आप प्रतियोगियों के किस पक्ष पर नजर रखेंगी?
मैंने जीवन में सिर्फ एक्टिंग की है। मेरे पास एक्टिंग का अनुभव है। मैं प्रतियोगियों के रचनात्मक पक्ष पर नजर रखूंगी। इस तरह का शो मैं पहली बार कर रही हूं। मैं नर्वस महसूस कर रही हूं। खास बात यह है कि इस शो से जुड़ने के बाद मुझे कई बातें सीखने को मिल रही हैं। मेरा साढ़े तीन साल का बेटा है। उम्मीद है कि वह भी शो से कुछ सीखेगा।
जज की जिम्मेदारी निभाना आसान लगता है या मुश्किल?
मेरे लिए यह मुश्किल काम है। जब प्रतियोगी जी-जान से मंच पर परफार्म करता है तो उसकी आंखों में कई सपने होते हैं। हमारा फैसला उनके सपनों को तोड़ने और उनके जीवन का रूख बदलने की क्षमता रखता है, लेकिन क्या करें? हकीकत बताना हमारा काम है। अपने बारे में कड़वी बातें सुनना किसी को अच्छा नहीं लगता, पर सपनों में जीना भी तो अच्छी बात नहीं है। मैं फैसला सुनाने से पहले सौ बार सोचती हूं।
आप स्वयं को बतौर जज कैसा मानती हैं?
मैं निष्पक्ष फैसले सुनाती हूं। प्रतियोगियों को प्यार से उनकी अच्छाई और बुराई बताती हूं। मुझे कड़वी बातें कहना अच्छा नहीं लगता। वह मेरे स्वभाव में नहीं है। मुझे लगता है कि मैं अपना काम अच्छी तरह करती हूं। बाकी, दर्शक बता सकते हैं कि मैं कैसी जज हूं?
क्या अब सिर्फ टीवी कार्यक्रमों में ही काम करेंगी?
फिल्मों की शूटिंग के लिए बहुत वक्त देना पड़ता है और अब मेरे लिए उतना समय निकाल पाना मुमकिन नहीं है। मुझे परिवार और अपने बेटे रनबीर की देखभाल करनी पड़ती है। टीवी कार्यक्रमों की शूटिंग में सप्ताह में एक या दिन लगते हैं। यहां मैं आराम से काम कर रही हूं।
टीवी कितना देखती हैं? आपका पसंदीदा कार्यक्रम कौन-सा है?
मैं बहुत कम टीवी देखती हूं। अपने पति गोल्डी बहल के साथ बैठकर कभी-कभार न्यूज चैनल देखती हूं या फिर जिन कार्यक्रमों में मैं जज होती हूं, उन्हें देख लेती हूं। मैं सीरियल नहीं देखती हूं।
-रघुवेन्द्र सिंह

Wednesday, June 3, 2009

सिनेमा से मेरा परिचय...

रघुवेंद्र के दोनों हाथ जेब में रहते हैं और आँखें बात करते समय चमकती रहती हैं.उनके व्यक्तित्व की कोमलता आकर्षित करती है.वे फिल्मों को अपनी प्रेयसी मानते हैं और उसकी मोहब्बत में मुंबई आ चुके हैं.वे पत्रकारिता से जुड़े हैं और फ़िल्म इंडस्ट्री की मेल-मुलाकातों में उनका मन खूब रमता है.अपने बारे में वे लिखते हैं...राहुल सांकृत्यायन एवं कैफी आजमी जैसी महान साहित्यिक हस्तियों की जन्मभूमि आजमगढ़ में पैदाइश। आधुनिक शिक्षा के लिए अम्मा-पापा ने इलाहाबाद भेजा और हम वहां सिनेमा से प्रेम कर बैठे। वे चाहते थे कि हम आईएएस अधिकारी बनें, लेकिन अपनी प्रेयसी से मिलने की जुगत में हम फिल्म पत्रकारिता में आ गए। आजकल हम बहुत खुश हैं। अपनी प्रेयसी के करीब रहकर भला कौन खुश नहीं होगा?
http://chavannichap.blogspot.com/2009/06/blog-post.html
मेरी सिनेमाई यात्रा कृपया ज़रूर पढें और अपना विचार दें. धन्यवाद

अपनी इमेज बदलना चाहती है मिंक

डांसिंग क्वीन के बाद अब हॉट गर्ल मिंक रियल चैनल के रियलिटी शो सरकार की दुनिया में कदम रख चुकी है। उन्होंने शो में वाइल्ड कार्ड के जरिए इन्ट्री की हैं। मिंक कहती हैं, अब तक लोगों ने मुझे स्क्रीन पर हॉट एवं सेक्सी एक्टिंग करते देखा है। सबके दिमाग में मेरी हॉट गर्ल की इमेज बन गई है, जबकि मैं ऐसी नहीं हूं। परिवार के लोग शो में जाने के मेरे फैसले से नाराज हैं। मैं पहली बार परिवार के खिलाफ जाकर कोई काम करने जा रही हूं। आज तक मैं सुख-सुविधाओं के बीच रही हूं। मेरे परिजन सोचकर परेशान हो रहे हैं कि मैं सरकार की दुनिया में कैसे रहूंगी? कारण, वहां हर काम खुद करना पड़ता है।
मिंक ने शो में जाने से पहले बताया कि मैं शो के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार कर चुकी हूं। हालांकि चूल्हे पर खाना बनाने और भैंसों को चारा-पानी देने के लिए अभी खुद को तैयार कर रही हूं। एक हॉट गर्ल को ये सब काम करते हुए देखकर निश्चित ही दर्शकों को मजा आएगा। मेरे लिए शो का अनुभव नया और रोचक होगा। मैं पहली बार भारत के रियल लोगों से मिलने जा रही हूं। मैं विदेश से आयी और मुंबई की होकर रह गयी। कभी देश के किसी हिस्से में जाने का मौका नहीं मिला। मैं शो को लेकर काफी उत्साहित हूं।
मिंक के मन में सरकार की भूमिका निभा रहे आशुतोष राणा की हिंदी का डर बैठा है। वह कहती हैं, एक फिल्म की शूटिंग के दौरान आशुतोष राणा से मेरी छोटी सी मुलाकात हुई थी। हालांकि उस समय उनसे मेरी ज्यादा बातचीत नहीं हुई थी। मैंने शो के कुछ एपीसोड देखे हैं। आशुतोष काफी कठिन हिंदी बोलते हैं, जबकि मेरी हिंदी कमजोर है। पता नहीं मैं उनकी बातों को कैसे समझूंगी?
सरकार की दुनिया से बाहर आने के बाद मिंक फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त हो जाएंगी। वह कहती हैं, मैंने दो हिंदी फिल्में साइन की हैं। इसके अलावा मेरे होम प्रोडक्शन की दो फिल्में फ्लोर पर जाने वाली हैं। मैं होम प्रोडक्शन की एक फिल्म में काम कर रही हूं। फिलहाल मैं सरकार की दुनिया में लंबे समय तक रहने की उम्मीद कर रही हूं। डांसिंग क्वीन का खिताब मेरे हाथ से निकल गया था, कोशिश करूंगी सरकार की दुनिया से खाली हाथ न लौटूं।
-रघुवेन्द्र सिंह