Friday, April 19, 2013

ब्लॉकबस्टर राइटर्स - साजिद-फरहाद

एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर फिल्में लिख रही सगे भाइयों साजिद-फरहाद की जोड़ी से रघुवेन्द्र सिंह ने की विशेेष भेंट

हिंदी सिनेमा में लंबे समय के बाद लेखक की किसी जोड़ी ने तहलका मचाया है. उनकी लिखित फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ बिजनेस न करें, ऐसा असंभव है. गोलमाल रिटन्र्स, ऑल द बेस्ट, गोलमाल 3, रेडी, सिंघम, बोल बच्चन की कामयाबी की दास्तान बच्चा-बच्चा जानता है. जनाब! अब आलम यह है कि साजिद-फरहाद की जोड़ी को ब्लॉकबस्टर जोड़ी कहकर संबोधित किया जा रहा है. मगर इस मुकाम तक पहुंचने का सफर गैर फिल्मी पृष्ठभूमि के साजिद-फरहाद के लिए बिल्कुल आसान नहीं रहा है.  
साजिद-फरहाद की पैदाइश बांद्रा (मुंबई) में एक आगा खानी मुस्लिम परिवार में हुई. फरहाद से साजिद सात साल बड़े हैं. दोनों का फिल्म जगत से खून का कोई रिश्ता नहीं था. मगर हां, फिल्मों से एक गहरा रिश्ता बचपन में ही जरुर कायम हो गया था. पैसे इकट्ठा करके दोनों भाई बांद्रा के गेटी-गैलेक्सी थिएटर में अमिताभ बच्चन की फिल्में देखने जाया करते थे. लेकिन अचानक डैड की तबियत नासाज हुई और डॉक्टर की सलाह पर डैड की सेहत की बेहतरी के लिए उनका परिवार बैंगलोर शिफ्ट हो गया. बचपन में फरहाद का दिल गीत लेखन में लग चुका था और साजिद ने बैंगलोर में अपना रेस्टोरेंट खोल लिया. बकौल फरहाद, ''घर में किसी का जन्मदिन होता, तो मैं कुछ लिखकर सुना देता था. लोगों को मेरी लिखी चीजें पसंद आती थीं और सब मेरी हौसलाअफजाई करते थे.ÓÓ मुंबई से एमए की पढ़ाई करके बैंगलोर पहुंचे साजिद ने चुटकीले अंदाज में बताया, ''मेरा वजन 110 किग्रा ऐसे ही नहीं है. मैं लोगों को टेस्ट कर-करके खाने परोसता था (हा-हा-हा). सीरियसली कहूं तो आगा खानी मुसलमान एक बिजनेस कम्यूनिटी है. डैड ने बोला कि बिजनेस में लग जाओ, तो मैं लग गया.ÓÓ
1989 से 1999 तक साजिद-फरहाद बैंगलोर में रहे. दोनों भाइयों के पास छह सौ गीतों का बैंक तैयार था. उन्होंने मुंबई आकर फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया. रेस्टोरेंट की जिम्मेदारी उन्होंने अपने मैनेजर को सौंप दी. मगर जब उन्होंने फैमिली के बीच यह बात रखी, तो पूरा परिवार सूटकेस पैक करके मुंबई आने के लिए तैयार हो गया. ''फैमिली हमेशा हमारे साथ रही है.ÓÓ फरहाद ने अपनी किस्मत को शुक्रिया अदा करते हुए कहा. दोनों भाई सपरिवार बांद्रा के लकी होटल में आकर ठहरे. फिल्म इंडिया डायरेक्टरी खरीदी और निर्माता-निर्देशकों को फोन लगाना शुरु किया. उस समय उन्हें अहसास हुआ कि बहुत कठिन है डगर पनघट की. ''मगर परिवार की वजह से हमारा स्ट्रगल मजेदार रहा, हिम्मत मिलती रही. जब हम रिजेक्ट होने के बाद घर आते थे, तो परिवार के लोग बैठाकर बिरयानी और मटन खिलाते थे कि अगले दिन के लिए के तैयार हो जाओ.ÓÓ साजिद ने बताया.
दोनों भाई बेहद खुशकिस्मत थे, तभी तो इनकी मुलाकात सलमान खान से हो गई. फरहाद ने जीवन परिवर्तित करने वाले उस पल के बारे में बताया, ''ठोकर खाते-खाते एक दिन हम लोग कमालिस्तान स्टूडियो पहुंचे. हमने सलमान खान के ड्राइवर को पटाया और उनके पास पहुंच गए. उन्होंने देखते ही पूछा कि तुम दोनों भाई हो? साजिद ने कहा, 'हम भाई हैं और हमने अलग-अलग अपने मां-बाप से कंफर्म भी किया है.Ó यह सुनकर सलमान हंस पड़े.ÓÓ बात को साजिद ने आगे बढ़ाया, ''उन्होंने बोला कि पांच मिनट में फटाफट तीन-चार नगमे सुना दो. अगर मैं उठकर चला गया, तो समझ लेना कि मुझे पसंद नहीं आया. अपमानित महसूस मत करना.ÓÓ हर दिल जो प्यार करेगा फिल्म के सेट पर साजिद-फरहाद ने ड्रम बजाकर गीत सुनाना शुरु किया, तो मजलिस लग गई. दोनों डेढ़ घंटे तक लगातार गाते-बजाते रहे. उन्होंने 18 गाने सलमान को सुनाए. ''उन्होंने चार गाने ले लिए. मुन्ना मोबाइल... टपोरी गाना उन्होंने हम किसी से कम नहीं फिल्म में डलवाया, जिसे संजय दत्त और ऐश्वर्या राय पर फिल्माया गया.ÓÓ फरहाद ने बताया. 


अब साजिद-फरहाद इंडस्ट्री का हिस्सा थे. डेविड धवन ने इनसे चोर मचाए शोर में कुछ गाने लिखवाए. मगर जिस गाने से इन्हें पहचान मिली, वह मुन्नाभाई एमबीबीएस फिल्म का टाइटल सॉन्ग एम बोले तो मुन्नाभाई... था. फरहाद ने बताया, ''2005 तक हमारा स्ट्रगल चलता रहा. अनु मलिक, जिनके साथ चोर मचाए शोर में हम काम कर चुके थे, ने एम बोले तो... का सिचुएशन दिया.ÓÓ यह गाना सुनने के बाद रामगोपाल वर्मा ने इन्हें बुलावा भेजा. दोनों भाई उनसे मिलने पहुंचे, तो वहां से इनकी एक अलग यात्रा शुरु हो गई. साजिद बताते हैं, ''उन्होंने कहा कि यार, तुम लोगों ने एक गाने में फिल्म की पूरी कहानी लिख दी. तुम लोग कहानी लिख सकते हो. कहानी और स्क्रीनप्ले पर फोकस करो. उन्होंने अपनी फिल्म शिवा का स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखने के लिए दे दिया.ÓÓ अब साजिद-फरहाद ने गीतों की बजाय फिल्म लेखन में आगे बढऩे का निर्णय किया. 
रोहित शेट्टी की फिल्म गोलमाल आ चुकी थी. दोनों भाइयों ने गोलमाल 2 का कॉन्सेप्ट लिखा और अष्टविनायक को सुनाने पहुंच गए. रोहित शेट्टी ने उन्हें गौर से सुना. उन्हें उनका वह कॉन्सेप्ट जमा नहीं, मगर शायद उन्होंने उनकी प्रतिभा पहचान ली थी. संडे फिल्म में रोहित और साजिद-फरहाद पहली बार एकजुट हुए. वह फिल्म नहीं चली, लेकिन उसके बाद आई इस टीम की फिल्मों गोलमाल रिटन्र्स, ऑल द बेस्ट, गोलमाल 3, सिंघम और बोल बच्चन ने बॉक्स-ऑफिस पर हंगामा मचा दिया.  ''अब रोहित हमारे इंजन हैं और हम उनकी बोगियां.ÓÓ रोहित शेट्टी की अगली फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस लिख रही इस जोड़ी ने ठहाका लगाते हुए कहा.
साजिद-फरहाद की सफलता का अनुपात काबिले-तारीफ है. शिवा और संडे को छोड़ दिया जाए, तो डबल धमाल सहित इनकी सभी फिल्मों ने निर्माताओं की झोली पैसों से भरी हैं. यह जोड़ी सक्सेजफुल फैमिली एंटरटेनर लिखने के लिए जानी जाती है. इसका राज साजिद बताते हैं, ''आप इतिहास देख लो, ब्लॉकबस्टर फिल्में हमेशा फैमिली एंटरटेनर रही हैं. हम फिल्म एक फैमिली के लिहाज से लिखते हैं. इमोशन तो यूनिवर्सल होते हैं. अगर हमें थोड़ा भी वल्गर कुछ दिखता है, तो हम उसे हटा देते हैं. वल्गर जोक से हंसाना बहुत आसान है, लेकिन उसकी लाइफ नहीं होती है.ÓÓ साजिद-फरहाद के किरदारों की एक खास लिंगो होती है. फरहाद जानकारी देते हैं, ''संवाद लेखन में कैरेक्टराइजेशन सबसे महत्वपूर्ण होता है. जैसे गोलमाल 3 में तय हुआ था कि श्रेयस हकलाते हैं, तुषार गूंगे हैं, करीना गालियां देंगी, अजय उंगली तोड़ेंगे. कैरेक्टराइजेशन तय होने के बाद डायलॉग लिखना आसान हो जाता है.ÓÓ
मनमोहन देसाई की फिल्मों को साजिद-फरहाद अपनी पाठशाला मानते हैं. अपने लेखन में वे उनका प्रभाव स्वीकार करते हैं. फरहाद के मुताबिक, ''मनमोहन देसाई एंटरटेनमेंट के बाप थे. हम उनसे इन्फ्लूएंस हैं. अपनी फिल्म में वे हिंदू-मुस्लिम का एंगल रखते थे, जो हिट था. हाउसफुल 2 और बोल बच्चन लिखते समय हमने इस बात का ध्यान रखा. वह चीज वर्क भी हुई. कृष्णा फिल्म में बहुत कैजुअली बोलता है कि रमजान में राम है और दीवाली में अली है.ÓÓ छोटे भाई की बात में साजिद जोड़ते हैं, ''अमर अकबर एंथोनी में एक सीन है, जिसमें एक ही बोतल से तीनों नायकों को खून दिया जाता है. आजकल के इंटेलेक्चुअल लोग बोलते हैं न कि वह गलत है. हां, टेक्नीकली वह गलत है, लेकिन उस सीन पर थिएटर में तालियां बजी थीं. राउड़ी राठौड़ कुछ समय बाद आपको याद न रहे, लेकिन उसने 135 करोड़ रुपए का बिजनेस किया है, आपको उसे सलाम करना पड़ेगा. अमर अकबर एंथोनी क्लासिक है, आप उसे स्वीकार करो. आपको यह समझना होगा कि हम डॉक्यूमेंट्री फिल्में नहीं बना रहे हैं. हमारी फिल्में काल्पनिक होती हैं और हम एंटरटेनमेंट के लिए फिल्म देखने जाते हैं.

कादर खान की लेखनी को साजिद-फरहाद बहुत पसंद करते हैं. साजिद बेझिझक बताते हैं कि वे उन्हीं का अनुसरण करते हैं. ''कादर खान कमर्शियल राइटिंग करते थे. वो मास्टर थे. वो बड़ी-बड़ी बात भी दो लाइन में समझा देते थे. मुकद्दर का सिकंदर में वो बोलते हैं कि मौत से किसकी रिश्तेदारी, आज मेरी तो कल तेरी बारी. हम लोगों ने उन्हीं से प्रेरित होकर बोल बच्चन में अभिषेक बच्चन के किरदार को जस्टिफाय किया कि वह झूठ क्यों बोलता है. असरानी को हमने एक लाइन दी कि दुनिया में मीडिल क्लास आदमी का सबसे भारी बोझ उसकी खाली जेब है. इसी लाइन के ऊपर सारी पिक्चर है.ÓÓ साजिद की बात पर रजामंदी जाहिर करते हुए फरहाद कादर खान को सलाम करते हैं.
साजिद-फरहाद आजकल हिम्मतवाला फिल्म का रिमेक लिख रहे हैं, जिसके संवाद उनके गुरु कादर खान ने लिखे थे. साजिद खान निर्देशित इस फिल्म में अजय देवगन हीरो होंगे. गौरतलब है कि इसके पहले यह जोड़ी बोल बच्चन, सिंघम और रेडी जैसी ब्लॉकबस्टर रिमेक फिल्में लिख चुकी है. हिम्मतवाला के अतिरिक्त साजिद-फरहाद आजकल अक्षय कुमार के बैनर के लिए एक मलयालम फिल्म का रिमेक, जिसका निर्देशन एंथोनी डिसूजा तथा संजय दत्त के लिए एक रिमेक फिल्म सामी लिख रहे हैं, जिसका निर्देशन साउथ के स्थापित निर्देशक के एस रविकुमार कर रहे हैं. इस सिलसिले में साजिद का कहना है कि रिमेक फिल्में ही आजकल 100 करोड़ का बिजनेस कर रही हैं. मगर इस तरह की फिल्म लिखना चुनौती होती है. ''लोग कहते हैं कि रिमेक है, कुछ भी लिख दो, लेकिन रिमेक किसी हिट फिल्म की ही बनती है और आपके सामने उससे आगे निकलने की चुनौती रहती है. रिमेक लिखना टफ है.ÓÓ फरहाद ने बताया कि वे ओरिजिनल फिल्मों से महत्वपूर्ण सीन लेते हैं और फिर उसे हिंदी फिल्मों के दर्शकों के हिसाब से तैयार कथा-पटकथा में पिरोकर एक नई फिल्म लिख डालते हैं.
साजिद-फरहाद एक से भले दो वाली बात में यकीन करते हैं. वे स्वयं को एक-दूसरे का सच्चा आलोचक मानते हैं. ''अगर फरहाद कोई चीज लिखता है, तो मैं उसे ईमानदारी से बता देता हूं कि वह वर्क कर रही है या नहीं और मैं कोई चीज लिखता हूं, तो वह ईमानदारी से मुझे बता देता है.ÓÓ साजिद ने बताया. अगर आप दोनों भाइयों से मिलें, तो फरहाद बेहद धीर-गंभीर और साजिद मजाकिया स्वभाव के हैं. ऐसे में अनुमान लगाना आसान है कि हंसाने वाले संवाद कौन लिखता है. मगर हमारे अनुमान को साजिद गलत साबित कर देते हैं, ''मैं ज्यादा जोवियल हूं, लेकिन फरहाद जब लिखता और नैरेशन देता है, तो उसका ह्यूमर कमाल का होता है.ÓÓ लेखकों की स्थिति हमेशा से इंडस्ट्री में बेचारी मानी जाती है. इस बाबत फरहाद कहते हैं, ''हमारा वक्त अच्छा चल रहा है इसलिए हमें पैसा, क्रेडिट और सम्मान मिल रहा है. आज हमें शिकायत नहीं है, लेकिन पांच साल पहले तक हमें शिकायत थी. आम तौर पर लेखकों को उनका हक नहीं दिया जाता है.ÓÓ

आम तौर पर रोमांटिक कॉमेडी या एक्शन फिल्में लिखने वाले साजिद-फरहाद गंभीर फिल्मों के पक्ष में नहीं हैं. फरहाद कहते हैं, ''हमारे खून में नहीं है कि हम गैंगस ऑफ वासेपुर जैसी फिल्म लिखें. हमको वैसा सिनेमा समझ में नहीं आता. गोविंदा की हमने एक भी फिल्म मिस नहीं की है.ÓÓ हामी भरते हुए साजिद कहते हैं, ''किसी को रुलाना आसान है, मगर हंसाना बहुत मुश्किल है.ÓÓ लक्ष्य के बारे में पूछने पर इस जोड़ी ने एक सुर में कहा, ''हाउसफुल 2 में हमने मिथुन चक्रवर्ती को एक डायलॉग दिया था कि इतना आगे बढ़ो कि पैर जमीन पर रहे, लेकिन छूने का आसमान है. वही हमारी फिलॉसफी है.ÓÓ साजिद-फरहाद अपने गीतों की पोटली लेकर लगभग बारह साल पहले मुंबई लौटे थे. लगे रहो मुन्नाभाई का हो ही गया... और हाल में बोल बच्चन फिल्म का टाइटल सॉन्ग भी इन्होंने लिखा, जो बेहद पसंद किया गया, मगर उनकी उस पोटली का अब क्या होगा? जवाब में साजिद ने अपने चुटकीले अंदाज में कहा, ''वह हमारा पहला प्यार था और ये एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है. फिलहाल हम इसे एंजॉय कर रहे हैं.

                                                                     चेन्नई एक्सप्रेस
चेन्नई एक्सप्रेस रोहित शेट्टी की बेस्ट फिल्म होगी. यह हमारी सबसे बड़ी फिल्म है. इसकी स्क्रिप्ट पर काम करने के लिए हमने साउथ से कई जानकारों को बुलाया है. इसमें शाहरुख खान साउथ की सात-आठ जगहों पर ट्रैवल करेंगे और कई भाषाएं बोलेंगे. यह हमारी फेवरेट फिल्म है. इसकी कहानी ओरिजिनल है. इसकी शूटिंग सितंबर के अंत में शुरू होगी. 

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