Tuesday, August 20, 2013

मैं स्टार नहीं बनना चाहता: सुशांत सिंह राजपूत

सुशांत सिंह राजपूत ने पहली फिल्म काय पो चे से साबित कर दिया कि वह स्टारडम की ऊंचाई पर पहुंचने का माद्दा रखते हैं. इस सहज, सरल, सुलझे और होनहार अभिनेता से रघुवेन्द्र सिंह ने की विशेष बातचीत
सुशांत सिंह राजपूत अपने दिल की बात सुनते हैं और अपने दिल की बात बिना लाग-लपेट के सरल शब्दों में कह जाते हैं. उनमें बनावटीपन नहीं है और न ही स्टारडम का अहम. सफलता हमेशा उनके सामने नतमस्तक होकर खड़ी रही है. उन्होंने पवित्र रिश्ता शो में मानव का किरदार किया, तो टीवी के सबसे चहेते स्टार बन गए. जब पिछले साल उन्होंने फिल्मों में कदम रखा, तो पहली फिल्म काय पो चे की रिलीज से पहले ही राजकुमार हिरानी जैसे प्रतिष्ठित फिल्मकार ने उन्हें अपनी अगली फिल्म पीके का हिस्सा बना लिया. तुरंत बाद यशराज फिल्म्स में उन्हें मनीष शर्मा की फिल्म बतौर सोलो हीरो मिल गई. अब अभिषेक कपूर ने काय पो चे के बाद अपनी अगली फिल्म में उन्हें सोलो हीरो के रूप में साइन कर लिया है. उनकी किस्मत से कई लोग रस्क खा सकते हैं, लेकिन अगर आपमें लगन, मेहनत, काबिलियत और सही चुनाव करने का हुनर है, तो कामयाबी आपके कदमों में भी बैठ सकती है. जानिए, स्टारडम की सीढिय़ां चढ़ रहे सुशांत सिंह राजपूत को करीब से...

पटना से मुंबई तक की अपनी जर्नी के बारे में बताएं?
मैंने उतार तो नहीं देखे. चढ़ाव ही देखे हैं. जो चीजें मैं करना चाहता था, वो सारी चीजें मैं कर रहा हूं. जब पटना में स्कूल (सेंट करेन्स हाई स्कूल) में था, तो ये सोचते थे कि दिल्ली में पढ़ाई करें. मेरी चार बहनें (नीतू, मीतू, प्रिंयका, श्वेता) हैं. सभी बहुत पढ़ी-लिखी हैं. कोई डॉक्टर है, कोई क्रिकेटर है, कोई सुप्रीम कोर्ट में वकील है. तो मुझे भी ऐसा कुछ करना था. तो मैंने इंजीनियरिंग का एक्जाम दिया. मैंने इंजीनियरिंग के जितने भी एक्जाम दिए, सब क्लीयर किए. उसके बाद मैंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया.

उसके बाद...
उसके बाद जब शौकिया तौर पर मैंने श्यामक डावर के ग्रुप में डांस करना शुरू किया, श्यामक ने बोला कि मैं एक्टिंग भी कर सकता हूं. तो मैंने बैरी जॉन का थिएटर जॉइन किया. मेरे फादर ने भी सपोर्ट किया. ऑल इंडिया एक्जाम क्लीयर करने के बाद इंजीनियर बनने में चार साल लगते हैं. तो मुझे लगा कि ऑडिशन देते हैं, लेकिन उससे पहले थिएटर में काम करके खुद को मजबूत बना लेते हैं. मुंबई आने के बाद मैं नादिरा बब्बर जी के थिएटर ग्रुप एकजुट में काम करने लगा. वहां मुझे एक टीवी शो का ऑफर मिला. मुझे कुछ नया सीखने का मौका मिल रहा था, क्योंकि मैंने कैमरे के सामने कभी एक्टिंग नहीं की थी. तो मैंने टीवी किया. पवित्र रिश्ता को लोगों ने बहुत पसंद किया. लेकिन एक समय के बाद मुझे मजा नहीं आ रहा था. सीखने के लिए कुछ बचा नहीं था. एक ही स्टोरी, एक ही डायरेक्टर, तो मैंने शो छोड़ दिया. उसी दौरान मैंने झलक दिखला जा भी किया. मुझे लगा कि फिल्ममेकिंग का कोर्स कर लेते हैं. वो मैं करने जा ही रहा था कि तभी काय पो चे के ऑडिशन के लिए मुझे बुलाया गया. उनको ऑडिशन पसंद आया और स्क्रिप्ट मुझे पसंद आई.

आपने पवित्र रिश्ता सीरियल छोड़ा, तो एकता कपूर नाराज नहीं हुईं?
नहीं, क्योंकि मैंने उनको बताया कि मैं क्यों छोडऩा चाहता हूं. वो काफी सपोर्टिव थीं. उन्होंने कहा कि तुम जो करना चाहते हो, वो करो.

वो पल या घटना कौन-सी थी, जब आपको लगा कि एक्टिंग को प्रोफेशन बनाना चाहिए?
जब आपके मेंटर बोलें कि आप अच्छे एक्टर हो, तब आपको लगता है कि हां, मैं अच्छा काम कर सकता हूं. एक बार जब बैरी जॉन ने कहा कि यू आर ए गुड एक्टर, तो मुझे लगा कि मैं जो अपने बारे में जो सोच रहा हूं, वह गलत नहीं सोच रहा हूं.

आपके घर में सिनेमा को लेकर कैसा माहौल था? फिल्में देखने की छूट होती थी या चोरी-चुपके देखने जाते थे?
बहुत ज्यादा फिल्में नहीं देखते थे. सुनाई देता था कि कोई पिक्चर अच्छी है, तो सब जाकर उसे देख आते थे. मेरी बहनों को ऋतिक रोशन बहुत पसंद है और शाहरुख खान खास तौर से. जब मैं पार्टीज में डांस किया करता था, तो मेरी बहनें बोलती थीं कि तुम ऋतिक की तरह डांस करते हो (मुस्कुराते हैं).

आपकी पहली फिल्म काय पो चे की रिलीज से पहले ही आपको राजकुमार हिरानी की पीके और यशराज फिल्म्स की एक फिल्म मिल गई. आप खुश हैं कि इंडस्ट्री ने दोनों बाहें खोलकर आपको गले लगाया है?
हां, खुश तो होते हैं कि आप सही फिल्ममेकर्स के साथ काम कर रहे हैं, जिनके साथ आप काम करना चाहते थे. ये ऐसे लोग हैं, जो इंडस्ट्री के सबसे अच्छे एक्टर्स के साथ काम कर चुके हैं और फिर वो ऑडिशन देखकर आपको अपनी फिल्म में लेते हैं. इससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है कि आप जो कर रहे थे, वह सही कर रहे थे. साथ ही, आप जिम्मेदारी भी महसूस करते हैं, क्योंकि इन्होंने आप पर भरोसा किया है, तो आप अपनी मेहनत और प्रोफेशनलिज्म से इन्हें निराश न करे.

फिल्मों में आने के बाद आपके दोस्तों का सर्कल बदल गया होगा. फिल्म इंडस्ट्री में किसे अपना दोस्त बनाया है आपने?
ऐसा नहीं है कि मैंने जान-बूझकर अपना फ्रेंड सर्कल चेंज किया है. मेरी फ्रेंड हैं माही, कुछ दिन पहले उनका बर्थडे था, तो मैं वहां गया था. किसी की फिल्म का प्रीमियर होता है या पार्टी होती है, जिन्हें मैंने अभी जाना है, तो मैं वहां भी जाता हूं. लेकिन मेरे बहुत कम फ्रेंड हैं, जो इस इंडस्ट्री के नहीं हैं. वो मेरे दोस्त हैं और हमेशा रहेंगे.

फिल्म इंडस्ट्री कैसी लग रही है? टीवी इंडस्ट्री से यहां का माहौल अलग है.
मैं यह नहीं कहूंगा कि यहां लोग अलग हैं, लेकिन क्योंकि यहां एक प्रोजेक्ट पर ज्यादा पैसे दांव पर लगे होते हैं और टाइम कम होता है, तो लोग फोकस्ड होते हैं. यहां लोग प्लानिंग अच्छे से करते हैं. एक एक्टर के तौर पर मैं नुक्कड़ नाटक में वही काम करता था, थिएटर और टीवी में भी वही किया और अब फिल्म में भी वही काम कर रहा हूं.

काय पो चे की रिलीज के बाद आपको इंडस्ट्री का अगला बड़ा सितारा माना जा रहा है. यह सोच विकसित करने में आपको लगता है कि आपकी पीआर मशीनरी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है?
जब मैं पहली पिक्चर काय पो चे की शूटिंग कर रहा था, तो मैं दूसरी पिक्चर के ऑडिशन पर गया था और पीके साइन हो गई थी. जिसे राजकुमार हिरानी डायरेक्ट कर रहे थे. पहली पिक्चर रिलीज होने से पहले ही यशराज में मुझे मनीष शर्मा की फिल्म मिल गई. वो भी ऑडिशन से हुआ. तो एक ऐसा लडक़ा, जो टीवी से निकला और उसकी पहली फिल्म आने से पहले हिरानी और यशराज उसे अपनी फिल्म में काम देते हैं, और यशराज की फिल्म में वह सोलो हीरो प्ले कर ता है, जिसका बड़ा हौव्वा है यहां पर. तो मुझे लगता है कि ऐसा बहुत कम होता है. और टीवी को लेकर तो एक अलग ही प्रीजुडीयस है कि अच्छा, ये टीवी एक्टर है. यहां पर कभी लोग ऐसा नहीं देखते कि वो एक्टर है, उसने टीवी में काम किया है. हमेशा टीवी एक्टर की तरह स्लॉट करते हैं. तो उसकी वजह से मुझे लगता है कि एक बड़ा हाइप क्रिएट हो गया था. उसके बाद पिक्चर में क्रिटिकल अक्लेम मिला और मेरा काम भी लोगों को अच्छा लगा, तो लोगों को लगा कि लडक़ा काबिल है. हम उसके बारे में सही सोच रहे थे. उसके बाद पेप्सी आपको अपना फेस बना लेता है, तो फिर लगता है कि यार या तो यह बहुत लकी है या फिर पता नहीं क्या है (हंसते हैं).

अनुराग कश्यप ने आपके बारे में कहा था कि अगर इस लडक़े ने अपने आपको संभाल लिया तो यह अगला शाहरुख खान है. इस स्टेटमेंट पर आपकी क्या राय है?
अनुराग कश्यप एक ऐसे डायरेक्टर हैं, जिनके साथ कोई भी एक्टर, कैसे भी रोल में काम करना चाहेगा. ऐसा डायेरक्टर अगर आपके बारे में यह बोलता है तो आपके दो रिएक्शन ही हो सकते हैं- एक, अगर आप भी अपने बारे में वैसा सोचते हैं, तो आपको लगता है कि आप सही सोचते हैं और फिर ज्यादा कॉन्फिडेंस के साथ आप काम करते हैं. दूसरा, अगर आप अपने बारे में ऐसा नहीं सोचते हैं, तो आप खुद को दो थप्पड़ मारेंगे कि मैं क्यों अपने बारे में ऐसा नहीं सोचता और अब मैं ऐसा सोचूंगा.

आप अपने बारे में क्या सोचते हैं?
मैंने एक इंटरव्यू में इरफान खान, जिनका मैं बहुत बड़ा प्रशंसक हूं, ने कहा था कि ये चार्म और टैलेंट का असामान्य मिक्स है. मैं इतना दूर तक नहीं सोचता और कभी-कभी मैं इतना ही मॉडेस्ट होकर सोच पाता हूं कि मैं बहुत मेहनत से काम करूंगा, ताकि मुझे अच्छी-अच्छी फिल्में मिलें. कभी नहीं सोचता कि एक दिन मैं एसआरके बनूंगा. 

क्या वरुण धवन या सिद्धार्थ मल्होत्रा को आप अपना प्रतिद्ंद्दी मानते हैं?
जब आप स्टार बनना चाहते हैं, तब आप किसी दूसरे से कॉम्पिट कर सकते हैं. आप कैसी पिक्चरें कर रहे हो, किस प्रोडक्शन हाउस के साथ काम कर रहे हो, क्या इंडोर्समेंट कर रहे हो, एक पिक्चर के लिए आपको कितने पैसे मिल रहे हैं या अखबार और मैगजीन के फ्रंट पेज पर आप कितनी बार आते हैं, ये चीजें आपके लिए तब मायने रखती हैं, जब आप सुपरस्टार बनने का सपना देखते हैं. लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि मुझे बहुत अच्छा एक्टर बनना है. मैं जितने भी अलग-अलग किरदार करूं, वो कंविंसिंग लगने चाहिए. तो दो कलाकारों की कभी आप तुलना नहीं कर सकते. मैं किसी को कॉम्पिटिशन के तौर पर देख ही नहीं रहा हूं. मेरे अंदर एक एक्टर के तौर पर इतनी खामियां हैं कि मुझे उन्हें दूर करना है. मुझे बहुत कुछ सीखना है. स्टार बनना चाहते हैं, तो आप जरूर तुलना कर सकते हैं. मैं नहीं बनना चाहता हूं स्टार.

क्यों? लोग तो स्टार बनने ही यहां आते हैं?
बिल्कुल लोग स्टार बनने के लिए आते हैं, इसीलिए बहुत से लोगों के लिए यह बहुत फुलफीलिंग करियर नहीं होता है. क्योंकि बहुत कम जगह है सुपरस्टार बनने के लिए, बहुत जगह है स्टार बनने के लिए और बहुत ज्यादा जगह है एक नॉन स्टार बनने के लिए. ये बनने के लिए सिर्फ आपकी काबिलियत नहीं देखी जाती. बहुत से ऐसे पैरामीटर हैं, जो आपके हाथ में नहीं होते. वो किसी और के हाथ में होते हैं और तुक्के से लग जाते हैं. और आप अचानक कुछ बन जाते हैं. फिर आपको समझ में नहीं आता कि आप बने क्यों? आप यही ढूंढते रहते हैं कि ऐसा मैंने क्या किया कि मैं स्टार बन गया. मुझे ऐसी चीज करनी ही नहीं या ड्रीम ही नहीं करनी, जो मेरे हाथ में न हो. एक चीज मेरे हाथ में है कि मुझे पता है मैं किस तरह के किरदार अच्छी तरह से कर सकता हूं. मुझे अपनी समस्याएं पता हैं. मैं उन पर काम कर सकता हूं.

क्या बाजार आप पर एक साल में तीन पिक्चरें करने का दबाव बना रहा है?
मैं इस प्रेशर में बिल्कुल नहीं हूं कि मुझे तीन पिक्चरें करनी हैं या चार पिक्चरें करनी हैं. मुझे अच्छी फिल्में ऑफर हो रही हैं. शायद कोई पिक्चर न चले, तो बिल्कुल न ऑफर हों. मैं कोशिश कर रहा हूं कि मैं सही स्क्रिप्ट चुनूं. मेरी एक पिक्चर बनकर तैयार है. एक की मैं शूटिंग कर रहा हूं और दो की घोषणा हो चुकी है. अगले साल शायद मुझे एक भी पिक्चर ऑफर न हो. तो संभव है कि मैं अपनी शॉर्ट फिल्म बना रहा होऊं या यूसीएलए में मैं फिल्ममेकिंग का कोर्स कर रहा होऊं. ऐसा भी हो सकता हूं. मैं इतना ही खुश और पैशीनेट तब भी रहूंगा.

आप फिल्ममेकिंग की पढ़ाई करने जाएंगे ?
पढ़ाई तो कभी भी किसी भी इंस्टीट्यूट से की जा सकती है. अभी भी मैं किताबें पढ़ता हूं. मैं पिक्चरें देखता हूं, तो सोचता हूं कि यह सीन या शॉट डायरेक्टर ने क्या सोचकर बनाया होगा. मैं शूट कर रहा होता हूं, तो अपने डायरेक्टर से सिर्फ अपने काम के बारे में नहीं, बल्कि यह भी पूछता हूं कि उन्होंने यह सीन क्यों रखा? मैं बहुत लकी हूं कि मैं अभिषेक कपूर या मनीष शर्मा से पूछ सकता हूं. मैं परसों राजकुमार हिरानी के साथ बैठा था. मैंने उनसे पूछा कि आप स्क्रिप्ट लिखते समय क्या नजरिया रखते हैं, एक सीन को या स्क्रिप्ट को बनाने के लिए आप क्या फंडामेंटल चीजें रखते हैं. मैंने दो-तीन किताबें पढ़ी हैं, लेकिन मुझे ज्यादा कुछ समझ में नहीं आया. तो उन्होंने मुझे एक मेल भेजा और उसमें उन्होंने लिखा है कि वो क्या सोचते हैं या जब वो एफटीआईआई से एडिटिंग की पढ़ाई करके निकले थे, तो उन्होंने अपना एक नोट बनाया था कि स्क्रिप्ट में क्या फंडामेंटल चीजें होनी चाहिए. ये चीजें आप कितने भी पैसे से खरीद नहीं सकते. आपमें भूख होगी, तभी मिलेंगी.

राजकुमार हिरानी को आपकी जिज्ञासा अच्छी लगी, लेकिन किसी निर्देशक को आपका यह एट्टिट्यूड बुरा भी लग सकता है.
ऐसा तब होता है, जब आप अपना काम ढंग से नहीं कर रहे हो. जब आप अपना काम ढंग से कर रहे हो और आप ये नहीं बता रहे हो कि आपको क्या पता है. आप ये पूछ रहे होते हैं कि आप इस काम को बेहतर कैसे कर सकते हैं, तो मुझे नहीं लगता कि कोई भी इंसान होगा जो अपना नॉलेज शेयर नहीं करना चाहेगा.

आपने पीके में अनुष्का शर्मा के रोल को छोटा कह दिया था, जिससे काफी हंगामा मच गया था.
मैंने अनुष्का के बारे में नहीं बोला था. मैंने वह स्टेटमेंट एक्टर्स के बारे में बोला था. जब हम एक्टिंग का कोर्स स्टार्ट करते हैं तो हमें एनसीआरटी की किताब दी जाती है. उसमें एक फंडामेंटल बात लिखी हुई है कि एक्टर को हमेशा याद रखना चाहिए और जिसे मैं हमेशा याद रखता हूं, वो ये है कि कोई भी एक्टर छोटा नहीं होता, कभी कोई रोल छोटा नहीं होता, एक्टर छोटा हो जाता है, अगर वह ऐसा सोचता है. आप देख लो, दुनिया में जितने भी ग्रेट एक्टर्स हैं, उन्होंने एक मिनट का रोल किया है. अमिताभ बच्चन ने ग्रेट गैट्सबाय में एक मिनट का काम किया है. उन्हें कुछ प्रूव नहीं करना है और न ही उन्हें पैसे की जरूरत है. उनका वह पैशन है, नए अनुभव को पाने का. मुझे राजकुमार हिरानी के साथ काम करने का अनुभव चाहिए. वह बता रहे थे कि कितना महत्वपूर्ण रोल है मेरा. मैंने बोला कि अच्छी बात है, लेकिन मैं आपको एक चीज बताना चाहता हूं कि सेट पर आपके साथ एक्सपिरिएंस लेने के लिए मैं आपके क्राउड में खड़ा हो जाऊंगा. अगर उस चीज से फ्रेम ज्यादा अच्छा बनता है तो. मुझे लोगों ने बोला कि मत करो उनकी पिक्चर में काम. तुम्हें सोलो हीरो फिल्में नहीं मिलेंगी. मैंने कहा कि मैं तो करूंगा और मुझे सोलो हीरो की फिल्म भी मिली. तो लोगों की यहां सोच है. टीवी एक्टर की सोच, बड़े हीरो की सोच, दो घंटे में एक घंटा पचास मिनट स्क्रीन पर रहें, वो सोच, कितने पैसे मिले, कितने इंडोर्समेंट मिले, वो सोच, ये सारी सोचें हैं.
अंकिता लोखंडे से आप पहली बार कब मिले?
मैं उनसे पवित्र रिश्ता के ऑडिशन पर मिला था. मैंने उनसे ज्यादा बात नहीं की थी. सिर्फ हाय बोला था. मैं काफी टाइम लगाता हूं ओपन अप होने के लिए. जब हम पवित्र रिश्ता शूट कर रहे थे, तब मैंने देखा कि वो कैमरे के सामने काफी सहज थीं. मुझे लगा कि यार मैं तो काफी दिनों से एक्टिंग कर रहा हूं, थिएटर कर रहा हूं, पर ये काफी नहीं है. शूटिंग के दौरान हम काफी समय साथ बिताते थे. तब हमने एक दूसरे को अच्छे से समझा. हमें साथ रहना अच्छा लगता था. उन चार सालों में हमने एक-दूसरे को अच्छे से जाना.

उनकी किन खूबियों ने आपको आकर्षित किया?
वो हिपोक्रेट नहीं हैं. वो साफ दिल और ट्रांसपैरेंट हैं. वो काफी टैलेंटेड हैं, काफी खूबसूरत भी हैं. वो डिप्लोमैटिक नहीं हैं. वो बातें बनाती नहीं हैं. वो अनकंडिशनली मेरा खयाल रखती हैं. मैं बहुत लकी हूं कि वो मेरी लाइफ में हैं.

आपको नहीं लगता कि अंकिता की तारीफ करके आप खामख्वाह उन्हें दूसरी लड़कियों का दुश्मन बना रहे हैं?
(हंसते हैं) मुझको नहीं लगता, क्योंकि आपकी एक निजी लाइफ होती है. एक दौर था, जब लोग ऐसा सोचते थे. हीरो की बॉडी अच्छी दिखती है, वह विलेन को बहुत मारता है, वह घोड़ा भी दौड़ाता है, तो वैसा लडक़ा सबको अपनी जिंदगी में चाहिए था. तब लोग बोलते थे कि यार, मैं सिंगल हूं. लेकिन आज आप निजी जिंदगी में शादीशुदा हैं या सिंगल है, कोई फर्क नहीं पड़ता. आप रिलेशनशिप में रहें या ना रहें, आपमें इतना आत्मविश्वास होना चाहिए कि आप उसके बारे में लोगों को बता सकें. अगर कोई रिलेशनशिप के बारे में पूछे और आप छुपाते हैं, तो उससे अच्छा है कि आप रिलेशनशिप बनाइए ही मत. 

अंकिता भी फिल्मों में आना चाहती हैं?
फिलहाल नहीं. शायद आ भी जाएं, लेकिन अभी वो लाइफ में बहुत खुश हैं. बहुत दिनों के बाद उन्होंने काम से ब्रेक लिया है. वो लाइफ को एंजॉय कर रही हैं. जब उन्हें लगेगा कि कुछ नया करना है, तो वो इतनी काबिल और सक्षम हैं कि उन्हें कहीं भी काम मिल जाएगा.

आपकी सफलता पर उनका क्या कहना है?
वो ज्यादा समय से मेरे साथ हैं. वो देखती हैं कि मैं कैसे सोचता हूं, किस तरीके से मैनेज करता हूं. वो कभी इनसिक्योर नहीं थीं. उन्हें लगता था कि ये इतनी मेहनत कर रहा है, तो इसको अच्छा काम जरूर मिलेगा. इसे जल्दबाजी नहीं है. वो बहुत खुश हैं, मुझे जो सफलता मिली है.

आप दोनों शादी कब कर रहे हैं?
जैसे ही मुझे एक महीने का अच्छा गैप मिलेगा, मैं शादी कर लूंगा. मिया-बीवी राजी हैं, तो फिर कौन रोक सकता है. अगले साल शादी होने का चांस ज्यादा है.

साभार: फिल्मफेयर 




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