Tuesday, August 20, 2013

मैं रिस्क लेने से नहीं डरती: सोनाक्षी सिन्हा

कामयाबी को बरकरार रखने के लिए सुरक्षित रास्ते पर चलने वालों में से नहीं हैं सोनाक्षी सिन्हा. शॉटगन जूनियर से इस भेंट में यह जाना रघुवेन्द्र सिंह ने
आप उन पर एकरूप होने का ठप्पा लगा सकते हैं, लेकिन उनसे उनकी शानदार सफलता को अलग नहीं कर सकते. तीन साल के भीतर उनकी चार फिल्मों (दबंग, राउड़ी राठौड़, सन ऑफ सरदार और दबंग 2) ने बॉक्स-ऑफिस पर सौ करोड़ रुपए के आंकड़े को पार किया है. आलोचनाओं की वह खिल्ली उड़ाती हैं और फिर बेपरवाह अंदाज में अपनी कामयाबी का सफर तय करने में जुट जाती हैं. सोनाक्षी सिन्हा कमाल की लडक़ी हैं. वह हर पल खुश रहती हैं. शायद यह कारण है कि सफलता को उनके पीछे-पीछे चलने में मजा आता है. उनकी प्रतिस्पर्धा किसी अभिनेत्री से नहीं है. उन्हें खुद को ललकारना पसंद है. विक्रमादित्य मोटवाने (उड़ान फेम) की पीरियड लव स्टोरी लूटेरा में उन्होंने एक नई चुनौती को गले लगाया है. कारण वह बताती हैं, ''ताकि मुझे एक ज्यादा सीरियस एक्टर के तौर पर लोग पहचानें.
फिल्मफेयर हिंदी अपनी इस पहली कवर गर्ल (मई 2010) के स्टारडम के हर कदम का साक्षी रहा है. यह मैगजीन और वो परस्पर सफलता के मार्ग पर चलते रहे हैं. शायद यह कारण है कि सोनाक्षी हमेशा हमसे आत्मीयता से मिलती हैं और निसंकोच अपने जीवन के बारे में बातें करती हैं. विक्रमादित्य की लूटेरा, मिलन लुथरिया की वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा, तिगमांशु धूलिया की बुलेट राजा, प्रभुदेवा की रैंबो राजकुमार और आर मुर्गदोस की थुपक्की की रिमेक के साथ सोनाक्षी इस साल भी बॉक्स-ऑफिस पर भूकंप लाने के लिए तैयार हैं. जानें, इस खूबसूरत अभिनेत्री की बेशुमार शोहरत और कामयाबी का राज...


लूटेरा साइन करने के पीछे कहीं यह साबित करने की मंशा थी कि मैं रियलिस्टिक फिल्म भी कर सकती हूं?
नहीं, अगर मैं यह सोचकर कोई काम करूं कि मुझे किसी दूसरे को साबित करना है, तो मैं ऐसी जिंदगी नहीं जी सकती. आज मैं जो काम कर रही हूं, वह मुझे पसंद है और अच्छा काम कर रही हूं, इसलिए खुश हूं. ये मेरे लिए काफी है. मैंने खुद के लिए साबित कर लिया है. मुझे किसी दूसरे को साबित करने की जरूरत नहीं है. लेकिन जब विक्रम ने लुटेरा का नैरेशन दिया था, तो मुझे स्क्रिप्ट बहुत अच्छी लगी थी. नैरेशन के दौरान मुझे रोना आ गया था, हंसी आ गई थी, रोमांस का सेंस आ गया था, तो मैंने सोचा कि स्क्रीन पर क्या होगा. ये मुझे देखना था. अमूमन कोई फिल्म आती है, तो मैं सोचती हूं कि इस रोल को ये एक्ट्रेस कर सकती है या वो कर सकती है, लेिकन जब लूटेरा आई तो मुझे लगा कि यह रोल सिर्फ मैं ही कर सकती हूं.

लोगों की बातें आपके फैसलों को प्रभावित नहीं कर पातीं?
बिल्कुल नहीं. मेरी एक फैमिली है, जिसकी मैं सलाह लेती हूं. उसके बाद कोई और है ही नहीं, जिसकी मुझे परवाह करनी चाहिए. वही आपके शुभचिंतक हैं और आलोचक भी. जो अच्छा या बुरा है, वो साफ-साफ बोल देंगे. बाकी के लोग आपको बहलाने के लिए बातें करेंगे. कुछ लोग जेनुइन होते हैं, लेकिन उनको परखना पड़ता है.

आप फिल्म आलोचकों की भी परवाह नहीं करतीं?
मैंने आज तक अपनी किसी फिल्म का रिव्यू नहीं पढ़ा. मेरी फिल्म के बॉक्स-ऑफिस फीगर्स मुझे बहुत खुश कर देते हैं. लेकिन मैं मानती हूं कि हर किसी का अपना ओपिनियन होता है. मगर मैं उनकी सुनती हूं, जो मेरे लिए महत्वपूर्ण होते हैं.

लूटेरा ओ हेनरी की लघु कथा द लास्ट लीफ पर आधारित फिल्म थी. क्या आपने वह कहानी पढ़ी है?
स्कूल में पढ़ी थी द लास्ट लीफ. मुझे अच्छी लगी थी. वो चार पेज वाली स्टोरीज आती थीं न, ये वैसी वाली कहानी थी. लुटेरा दो घंटे की फीचर फिल्म है. इसका मूल भाव वही है, लेकिन विक्रम (विक्रमादित्य मोटवाने, निर्देशक) ने अपने हिसाब से बहुत-सी चीजें जोडक़र फिल्म बनाई है.

यह आपके करियर का पहला सीरियस रोल था?
मेरा हर रोल सीरियस होता है, क्योंकि काम को सीरियसली लेना अच्छा होता है. मुझे स्क्रिप्ट अच्छी लगती है, फिल्म का माहौल अच्छा लगता है, इसलिए मैं फिल्में करती हूं. अपने किसी भी रोल को नॉन-सीरियस कहना गलत होगा, पर हां लूटेरा में मुझे बहुत कुछ अलग करने को मिला है. इसमें एक्टर के तौर पर मुझे अपनी क्षमताओं और एक अलग पहलू को दिखाने का मौका मिला है. इस हिसाब से पाखी का रोल मेरे लिए बहुत बड़ा है. इसमें बहुत इमोशंस हैं. यह मेरे लिए डिफिकल्ट और चैलेंजिंग रोल रहा.

किस प्रकार की मुश्किलों और चैलेंज की आप बात कर रही हैं? 
लुक के मामले में, क्योंकि यह पीरियड फिल्म है. 1950 का इसमें परिवेश है, पूरा लुक उस दौर का है. हमने इसमें बहुत कम मेकअप यूज किया है. पाखी का कैरेक्टर बहुत डिफिकल्ट था, क्योंकि मुझे पता नहीं था कि उस जमाने में लड़कियां कैसी होती थीं. यह मॉडर्न लडक़ी तो है नहीं. बहुत सहमी-सहमी और इमोशनल है. एक रिश्ता उसका अपने पिता के साथ और दूसरा अपने प्यार के साथ है. दो अलग तरीके के रिश्ते दिखाए गए हैं इसमें. लोकेशन काफी मुश्किल थे. हमने कोलकाता में शूट किया, लेकिन लोकेशन शहर से दो-तीन घंटे दूर होती थी. फिर हम पुरौलिया गए थे, जो कोलकाता से आठ घंटे दूर है. कठिन जगहों पर हमने शूट किया है. डलहौजी में एक बार सेट गिर गया था, रणवीर की पीठ में कुछ प्रॉब्लम आ गई थी. लेकिन उन मुश्किलों से हम एक खूबसूरत फिल्म लेकर उभरे हैं.

अगर हम गलत नहीं हैं, तो यह पहला किरदार है, जिसके लिए आपको रिहर्सल करना पड़ा?
मैं ऐसी एक्टर नहीं हूं कि रिहर्सल या तैयारी करूं. जब तक कैमरा ऑन नहीं होता, आप चाहे जो कर लो मेरे साथ, मैं एक्टिंग नहीं करुंगी (हंसती हैं). हां, मैं अपने डायरेक्टर से खूब बातें करती हूं. उनसे समझती हूं कि मेरे किरदार को लेकर उनके मन में क्या चल रहा है. विक्रम ने इसे लिखा भी है, तो वह पाखी को बेहतर जानते हैं.

लेकिन कुछ लोग अपने किरदार के लिए क्या-क्या तैयारी नहीं करते. आपको वह जरूरी नहीं लगता?
सबका अपना-अपना तरीका होता है. जिसको जो क्लिक करे, वह करता है. मैं तो नहीं कर सकती बाबा. जिसको तैयारी करनी है, वह करे. 

आपने इतने सारे निर्देशकों के साथ काम किया है. विक्रमादित्य मोटवाने उनसे किस प्रकार अलग हैं?
विक्रम के साथ काम करके ऐसा लगा कि हम वापस स्कूल चले गए. इतना अनुशासित सेट मैंने आज तक नहीं देखा था. सिंक साउंड था, तो बातचीत बिल्कुल नहीं होती थी. लंच ब्रेक एक बजे होगा, तो बस होगा. नाश्ता के लिए ब्रेक छह बजे तय है, तो छह बजे ही होता था. अगर उन्होंने बीस मिनट बोला, तो बीस मिनट में रेडी होना चाहिए. मुझे बहुत अच्छा लगा ऐसे सेट पर काम करके. मैं तो कहूंगी कि हर सेट ऐसा ही होना चाहिए. मुझे अनुशासन बहुत पसंद है.

लेकिन रणवीर सिंह को अनुशासन में रखना मुश्किल हुआ होगा?
जब हम फिल्म शूट कर रहे थे, तो रणवीर ने कॉफी पीनी छोड़ दी थी, तो वो थोड़े कम हाइपर हो गए थे (हंसती हैं). अगर पूरा माहौल ही अनुशासित हो जाए, तो आपके पास कोई विकल्प नहीं बचता.

रणवीर बहुत एनर्जेटिक हैं. कभी आपको उनकी इस बात से प्रॉब्लम हुई?
जितने हाइपर और एक्साइटमेंट से भरे रणवीर हैं, उनके जस्ट अपोजिट मैं हूं. यह देखने वाली चीज थी कि हम सेट पर कैसे रहते थे. लेकिन जो स्क्रीन पर उभरकर आया है, वह कमाल की चीज है. ऑफ स्क्रीन आप कैसे भी हों, फर्क नहीं पड़ता, लेकिन ऑन स्क्रीन रिजल्ट अच्छा आए, तो बस और कुछ नहीं चाहिए. लुटेरा की पूरी यूनिट यंग थी. मुझे नहीं लगता कि 35 वर्ष से ऊपर की उम्र का कोई सेट पर था. हम सबने बहुत मस्ती की. दीपा मोटवाने, विक्रम की मां, जो हमारी फिल्म की ईपी (एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर) थीं, वो सेट पर एक मदर फीगर थीं और देखती रहती थीं कि सब बच्चे पागलों की तरह इधर-उधर भाग रहे थे.

अब आप रणवीर सिंह, शाहिद कपूर, इमरान खान के साथ काम कर रही हैं, जो हम उम्र हैं. तो यह कांशियस मूव है?
बिल्कुल नहीं. मेरे पास जो फिल्में आईं और उनमें से मुझे जो पसंद आईं, मैंने उन्हें साइन किया, ना कि ये देखकर कि को-स्टार कौन है. जब मेरा डेब्यू सलमान खान के साथ हुआ था, तो उसके बाद एक फिल्म अक्षय कुमार के साथ मिली, तो एक अजय देवगन के साथ. कोई भी न्यूकमर उस ऑफर को झटक लेगा ना! उसके बाद मेरे पास शाहिद, इमरान और रणवीर के साथ फिल्में आईं और मैंने उन्हें किया, क्योंकि स्टोरी बहुत अच्छी थीं.

आपको लगता है कि लूटेरा के बाद बतौर एक्टर आपको एक नई पहचान मिलेगी?
इस फिल्म में मैंने बहुत मेहनत की है. होप कि लोग इसे देखें और पसंद करें और मुझे एक ज्यादा सीरियस एक्टर के तौर पर रिक्गनाइज करें.
कमर्शियल सफलता के बावजूद क्या एक एक्टर की चाह होती है कि लोग उसे एक सीरियस एक्टर के तौर पर अंडरलाइन करें?
होती होगी, लेकिन मैं अपने मौजूदा दौर को एंजॉय कर रही हूं. मेरे पास वो सब है, जिसकी किसी को भी चाह हो सकती है. मैं खुश हूं.

लेकिन कंप्लीट एक्टर तो तभी माना जाता है न, जब एक एक्टर का इस तरह का प्रोफाइल होता है?
वो बॉडी ऑफ वर्क होता है, लेकिन मैं वैसी फिल्में कर रही हूं, जो मुझे देखना पसंद है. अच्छी फिल्में, बड़ी फिल्में. एक इंसान जो एक्टर बनना ही नहीं चाहता था, वो एक्टर बना और उसने इतने कम समय में इतना कुछ हासिल कर लिया, उससे मैं खुश हूं. मैं और क्या चाहूंगी? मुझे वह ठप्पा नहीं चाहिए. मुझे उसकी जरूरत नहीं है.

आपकी सभी फिल्में बॉक्स-ऑफिस के लिहाज से सेफ मानी गईं. क्या आप मानती हैं कि आपने सुरक्षित रास्ता अख्तियार किया?
अगर मुझे ऑफर मिल रहा है सलमान, अक्षय, अजय जैसे सुपरस्टार के साथ काम करने का, तो मैं क्यों नहीं लूंगी? कोई भी समझदार इंसान वही करेगा, जो मैंने किया. मगर अभी मुझे बहुत सारी चीजें करनी हैं. एक्सपेरिमेंट तो नहीं कहूंगी, लेकिन काफी अलग-अलग टाइप के रोल करने हैं.

आपने जीवन में अब तक कोई रिस्क नहीं लिया है?
मैं रिस्क लेने से डरती नहीं हूं. मैं फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई करके एक्टर बन गई, इससे बड़ा रिस्क मैं और क्या लूं? मुझे एक्ट्रेस बनना ही नहीं था. मैंने कॉलेज में तीन साल पढ़ाई की और टॉप करती थी. मैं स्टूडेंट ऑफ द ईयर बन चुकी थी. उसके बाद सब छोडक़र मैं एक्टर बन गई. पता नहीं था कि आगे क्या होगा. क्या फिल्म क्लिक करेगी या क्या मैं क्लिक करूंगी, कुछ पता नहीं था.

क्या आप आमिर खान और शाहरुख खान के साथ काम करने की इच्छुक हैं? चर्चा थी कि आप हैप्पी न्यू ईयर में शाहरुख के साथ काम करने जा रही हैं.
अगर किसी अच्छी फिल्म का ऑफर आया, तो मैं जरूर उनके साथ काम करूंगी. यह सवाल आपको उनसे भी पूछना चाहिए ना! चर्चा होती रहती है, अफवाह उड़ती रहती है. अब कोई हर फिल्म में मेरा नाम डाल दे, तो मेरी गलती तो है नहीं. हो सकता है कि फिल्म गरम करने के लिए लोग ऐसा करते हैं. लेकिन जब तक मैं फिल्म साइन नहीं कर लेती हूं, तब तक उसके बारे में बात नहीं करती हूं.

क्या आप मानती हैं कि इंडियन लुक होने की वजह से आप एक दायरे में सिमट कर रह गई हैं?
दायरे में सिमटना तब बुरा होता है, जब अवसर मिलने कम हो जाते हैं. कौन-सी दूसरी एक्ट्रेस की चार फिल्में एक साल में रिलीज होती हैं? लॉजिक वाली बात है ना! मेरी एक फिल्म खत्म नहीं होती कि मैं दूसरी साइन कर लेती हूं.

दीपिका पदुकोण, अनुष्का शर्मा, परिनीती चोपड़ा एक तरफ हैं और आप एक ओर. आप लोगों में कोई कॉम्पिटिशन ही नहीं है.
मैं कॉम्पिटिशन के तौर पर देखती ही नहीं हूं. मैं अपने काम में इतनी गुम हूं कि मुझे आजू-बाजू का कुछ दिखाई नहीं देता. मैं मानती हूं कि चुपचाप अपना काम करो, अच्छा काम करो और आगे बढ़ो. अगल-बगल का मत देखो.

रणवीर सिंह के साथ आपके अफेयर की बात उठी थी, लेकिन आप दोनों ने खंडन कर दिया. क्या रणवीर बॉयफ्रेंड मैटेरियल नहीं हैं?
मैं तो रणवीर के मुंह पर कहती हूं कि तुम बॉयफ्रेंड मैटेरियल हो ही नहीं (हंसती हैं). हम दोनों जस्ट अपोजिट हैं. वो जितना हाइपर है और मैं उतनी ही शांत मिजाज हूं. मतलब इट वोंट वर्क ओनली (हंसती हैं). मुझे तो वो बॉयफ्रेंड मैटेरियल नहीं लगते. आप किसी के साथ क्लिक करते हैं और कुछ लोगों के साथ क्लिक नहीं करते. हां, वो को-स्टार बहुत अच्छे हैं. काम के लिए उनका उत्साह बहुत अच्छा है. लेकिन उसके आगे, अगर आप किसी के साथ रोमांटिकली क्लिक नहीं करते, तो बस नहीं करते.

किस तरह के लडक़े आपको आकर्षित करते हैं?
शांत, इंटेलीजेंट, हार्डवर्किंग और मेरे से लंबे (हंसती हैं).

कैसे लडक़ों से आप दूर भागती हैं?
जो दिखावा बहुत करते हैं. मुझे ऐसे लडक़े बिल्कुल नहीं पसंद हैं. ऐसे लडक़े मुझसे टकराते हैं, तो मैं उन्हें भाव नहीं देती. फिर वो आगे बढ़ जाते हैं (हंसती हैं).

जोकर को छोडक़र आपकी सभी फिल्में चली हैं. क्या आप उस फिल्म से जुडऩा एक गलत फैसला मानती हैं?
बिल्कुल नहीं. वह मेरा सबसे अच्छा फैसला था, क्योंकि सलमान खान के बाद दूसरी फिल्म मुझे यह मिली थी और यह अक्षय के साथ थी. यह अपने आप में बड़ी बात थी. उसकी शूटिंग के दौरान मुझे राउड़ी राठौड़ और सन ऑफ सरदार ऑफर की गईं, जो आगे चलकर बड़ी हिट साबित हुर्इं. जोकर मुझे बहुत कुछ देकर गई. मुझे उससे बहुत कुछ सीखने को मिला.

जब एक फिल्म नहीं चलती है, तो क्या उससे निर्देशक, निर्माता और स्टार्स के रिश्ते में खटास आ जाती है?
मेरे रिश्ते में तो खटास नहीं आई है. मेरे दिल में उनके लिए सम्मान है. फिल्म चलने या न चलने से रिश्ते पर असर नहीं पड़ता, क्योंकि फिल्म का चलना या न चलना, आपके हाथ में नहीं है. वह तो दर्शक तय करते हैं.

आपने अभी तक मल्टीस्टारर फिल्म नहीं की है. क्या आपने ऐसी फिल्मों को हां नहीं कहा या ऐसी फिल्मों के ऑफर आपके पास आते ही नहीं हैं?
जब तक मुझे सोलो लीड हीरोइन का ऑफर मिल रहा है, तब तक मैं मल्टीस्टारर फिल्म क्यों करूं? अभी मुझे मल्टीस्टारर फिल्म करने की जरूरत नहीं है. हां, अगर मल्टीस्टारर फिल्म का सेटअप बहुत अच्छा है, तो मैं कर सकती हूं.

आपके घर में सब लोग एक साथ रहते हैं. कभी लगता है कि आपको अपना स्पेस नहीं मिल रहा है?
मुझे बिल्कुल नहीं लगता कि स्पेस नहीं मिल रहा है. मेरा एक कमरा है, मुझे स्पेस चाहिए होता है, तो अपने कमरे में चली जाती हूं. मेरी पूरी फैमिली एक फ्लोर पर रहती है और मुझे यह माहौल पसंद है.

जब आप घर में होती हैं, तो क्या किचन में जाती हैं?
नहीं, मुझे कुकिंग का शौक नहीं है. हमारे घर में खाना कुक बनाता है. मम्मी जब कभी कुक करती हैं, तो खा लेते हैं, लेकिन आम तौर पर कुक ही खाना बनाता है.

कौन-सी लव स्टोरी आपकी फेवरेट है हिंदी सिनेमा की?
हम दिल दे चुके सनम, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, कुछ कुछ होता है.

रीयल लाइफ में आपने ऐसी कोई लव स्टोरी सुनी है, जो आपको बहुत पसंद आई?
हां, अपने मां-बाप की. दोनों ट्रेन में मिले थे. दोनों पटना जा रहे थे, किसी की शादी में. ट्रेन में मेरी मम्मी की मम्मी उन्हें डांट रही थीं और वो रो रही थीं. मेरे पापा ने देख लिया. जब वो ट्रेन से उतर गए, तो खिडक़ी से जाकर मम्मी से बोला कि आप मत रोइए, आप रोते हुए अच्छी नहीं लगतीं.

वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा भी पीरियड फिल्म थी. ऐसी फिल्मों की क्या बात आपको अच्छी लगती है?
यही कि एक चैलेंज-सा हो जाता है. जिस एरा के बारे में कुछ नहीं जानते आप, उसे जीना एक चैलेंज होता है. आपको एक अलग दुनिया में जाने का मौका मिलता है. मजा आता है. वंस अपॉन... में लव ट्रैंगल है. यास्मीन के लिए चैलेंज था कि वह जो रिलेशनशिप अक्षय के किरदार के साथ शेयर करती है और इमरान के साथ जो रिलेशनशिप शेयर करती है, काफी टाइम तक पता नहीं चलता कि वह किसकी ओर झुक रही है. मेरे लिए दो तरह की केमिस्ट्री को मेंटेन करना चुनौती थी.

अपने अपने अतीत के किन दिनों को याद करना पसंद करती हैं?
अपने स्कूल के दिनों को. मैं बहुत स्पोर्ट्स खेलती थी- वालीबॉल, फुटबॉल, बास्केटबॉल, टेनिस, स्विमिंग.

आप अभी भी सिंगल हैं या कोई मिला?
मैं सिंगल ही हूं. चॉइस नहीं है. मैं काम बहुत ज्यादा कर रही हूं. फ्रेंड्स और फैमिली के साथ शेष समय बिताती हूं. मैं बारह घंटे शूट करती हूं और उसके बाद के टाइम में से किसी और को निकाल कर दे दूंगी, तो फिर मेरे लिए टाइम बचेगा ही नहीं. हर चीज का टाइम होता है. जब प्यार होना होगा, तो हो जाएगा. ऐसा नहीं है कि मैं प्यार को ढूंढ रही हूं या उसके पीछे भाग रही हूं.

साभार: फिल्मफेयर 


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