Monday, January 4, 2010

महबूब स्टूडियो- यहीं परवान चढ़ा दिलीप-मधुबाला का प्यार

सलमान खान ने इंटरव्यू के लिए एक बार फिर महबूब स्टूडियो को चुना। मुंबई में बांद्रा (वेस्ट) के हिल रोड पर स्थित महबूब स्टूडियो उनके घर से कुछ कदम की दूरी पर है। वे अपनी वैनिटी वैन के बगल में कुर्सी पर आराम से बैठे वीर फिल्म की टीम से गुफ्तगू कर रहे हैं। सलमान खान की वैनिटी वैन के ठीक सामने ऐश्वर्या राय बच्चन और रितिक रोशन की वैनिटी वैन खड़ी है। वे सामने के स्टेज तीन में गुजारिश फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं। शाम के टी-ब्रेक की घोषणा होती है और स्टेज तीन के सामने के एरिया में हलचल मच जाती है। छोटा सा प्रांगण टेक्नीशियनों एवं जूनियर आर्टिस्ट से भर जाता है।
महबूब स्टूडियो में यह रोज का नजारा है। निर्माण के 55 साल बाद भी इस स्टूडियो की लोकप्रियता और डिमांड फिल्मकारों के बीच किसी नए स्टूडियो के समान बनी हुई है। वैसे, महबूब स्टूडियो की इमारतें अब पुरानी दिखने लगी हैं। दीवारों के रंग धूमिल हो चुके हैं। सिर्फ महबूब स्टूडियो के ऑफिस के बगल वाली बिल्डिंग थोड़ी चमकती है। इसी बिल्डिंग में महबूब खान के स्वर्गीय बड़े बेटे अयूब खान की फैमिली एवं मंझले बेटे इकबाल खान रहते हैं। प्रांगण के मध्य में स्थित ऑफिस की भीतरी दीवारों पर महबूब खान की मदर इंडिया, आन, अंदाज, अमर आदि फिल्मों की टंगी तस्वीरें महबूब स्टूडियो के शानदार इतिहास को बयां करती हैं।
ऑफिस की दोमंजिला इमारत में प्रॉपर्टी रूम, मेकअप रूम, कारपेंटर रूम हैं। जानकार बताते हैं कि इसी इमारत के मेकअप रूम में दिलीप कुमार और मधुबाला का प्रेम परवान चढ़ा था। महबूब खान की उन दोनों पर कड़ी नजर रहती थी इसलिए वे मुश्किल से यहां छुपकर बैठ पाते थे। इसी इमारत के दूसरे तल पर एसी लगे एक कमरे में महबूब खान की फिल्मों के निगेटिव, रील, पोस्टर आदि सुरक्षित रखे हैं।
ऑफिस के ठीक पीछे स्टेज नंबर एक है। यह बेहद विशाल है। बायीं ओर स्टेज नंबर तीन है। स्टेज तीन के पीछे स्टेज चार है। स्टूडियो के इस सबसे छोटे स्टेज में ज्यादातर एड फिल्मों की शूटिंग होती है। उसके सामने स्टेज नंबर पांच एवं छह है तथा बगल में स्टेज नंबर दो है। दो नंबर स्टेज से सटी बिल्डिंग के दूसरे फ्लोर पर महबूब रिकॉर्डिग स्टूडियो है। एक विशाल कक्ष एवं आमने-सामने छोटे-छोटे दो कमरे हैं। पुराने जमाने में विशाल कक्ष में लाइव ऑर्केस्ट्रा बजता था और एक छोटे कमरे में साउंड रिकॉर्डिग तथा दूसरे में सिंगर गाते थे। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल अपनी हर फिल्म का गाना यहीं रिकॉर्ड करते थे।
भारतीय सिनेमा के इतिहास को अपने आगोश में समेटे हुए महबूब स्टूडियो की ओल्ड चार्म के कारण लोकप्रियता आज भी बरकरार है। महबूब स्टूडियो के प्रांगण में छोटा सा हरा-भरा गार्डन है। गार्डन के दूसरी तरफ कैंटीन है। महबूब खान ने कैंटीन इसलिए बनवायी थी ताकि जूनियर कलाकारों और उनके वर्कर को चाय नाश्ते के लिए स्टूडियो से बाहर न जाना पड़े। कैंटीन के भीतर दीवार पर महबूब खान की बड़ी तस्वीर टंगी है। हंट्टे-कंट्टे चौड़ी छाती वाले महबूब खान लगता है कि अपनी विरासत पर गौरवान्वित हो रहे हैं!
[क्यों है लोकप्रिय]
1. स्टूडियो बांद्रा के हिल रोड पर है। बांद्रा एवं अंधेरी में अधिकतर फिल्म स्टार रहते हैं। उन्हें स्टूडियो पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगता।
2. स्टूडियो के बाहर बड़ी मार्केट है। शूटिंग के दौरान यदि प्रोडक्शन से जुड़ी किसी चीज की जरूरत पड़ती है तो कहीं दूर नहीं जाना पड़ता।
3. स्टूडियो में फिल्म स्टार, निर्माता, निर्देशक एवं यूनिट के लोगों की गाड़ी खड़ी होने की क्षमता वाला बड़ा पार्किग स्पेस है।
4. स्टूडियो में शूटिंग के सभी उपकरण उपलब्ध हैं। अन्य स्टूडियो की तुलना में महबूब स्टूडियो में शूटिंग वाजिब दाम पर होती है।
[महबूब स्टूडियो का इतिहास]
1. महबूब खान ने 1942 में चार एकड़ जमीन खरीदी। 1950 में स्टूडियो का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 1954 में स्टूडियो बनकर तैयार हुआ। स्टूडियो की जमीन एवं निर्माण की लागत बीस लाख रूपए से अधिक आयी थी।
2. स्टूडियो में पहले छह स्टेज थे। तीन विशाल एवं तीन छोटे, लेकिन 1992 में महबूब रिकॉर्डिग स्टूडियो को स्टेज में तब्दील करने के बाद कुल सात स्टेज हो गए।
3. महबूब खान ने स्टूडियो का निर्माण होम प्रोडक्शन की फिल्मों की शूटिंग के लिए किया था, लेकिन बाद में गुरूदत्त, चेतन आनंद आदि की मांग पर वे इसे किराए पर देने लगे।
4. 1964 में महबूब खान के इंतकाल के बाद उनके बेटे अयूब खान, इकबाल खान एवं शौकत खान स्टूडियो को संभाल रहे हैं।
5. महबूब स्टूडियो में अब तक साढ़े तीन सौ से अधिक देसी-विदेशी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।
-रघुवेन्द्र सिंह

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