अपने समय की लोकप्रिय व खूबसूरत अभिनेत्री जयाप्रदा सांसद बनने के बाद हिंदी फिल्मों से दूर हो गई थीं और वे आखिरी बार 2006 में आई थीं फिल्म तथास्तु में, लेकिन अब फिर से वे हिंदी फिल्मों में दिखेंगी। प्रस्तुत हैं जयाप्रदा से हुई बातचीत के प्रमुख अंश..।
आपने कुछ समय पहले फिल्मों से दूरी क्यों बना ली थी?
मैंने सोच-समझकर ऐसा नहीं किया था। दरअसल, राजनैतिक जिम्मेदारी उन दिनों इतनी अधिक बढ़ गई थी कि फिल्मों के लिए ज्यादा समय देना मेरे लिए संभव ही नहीं था। हालांकि बीच में दक्षिण की फिल्मों में अच्छी भूमिकाएं निभाने के मौके मिले, तो मैंने काम भी किया। अब हिंदी फिल्मों के निर्माता मुझे चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं दे रहे हैं। जल्द ही मेरी फिल्म दशावतार रिलीज होगी। इसके अलावा, मैं भारत चीन के सहयोग से बन रही एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म द डिजायर और बुद्धदेव दासगुप्ता की एक हिंदी फिल्म कर रही हूं।
यानी राजनीति ने आपको फिल्मों से दूर कर दिया था?
हां, कुछ समय के लिए तो दूर कर ही दिया था। सच कहूं, तो मुझे स्थायित्व चाहिए था। फिल्मों से मुझे पहचान जरूर मिली, लेकिन स्थायित्व नहीं। फिर कुछ लोगों का मानना है कि ऐक्टर राजनीति में सफल नहीं होते। सच तो यह है कि मैं लोगों का वह भ्रम भी तोड़ना चाहती थी। अब लोग चाहते हैं कि मैं फिल्मों में वापस आऊं। सच कहूं, तो मेरा दिल ऐक्टिंग से भरा नहीं है। मैं और अच्छी फिल्में करना चाहती हूं।
क्या राजनीति में खुश हैं?
मैंने राज्यसभा में छह साल और लोकसभा में पांच साल बिताए हैं, यानी मुझे लोगों का पूरा प्यार और समर्थन मिला है। मैं खुश हूं। दरअसल, राजनीति में आने के बाद जीवन के प्रति मेरी सोच और नजरिए में सकारात्मक बदलाव आया है, बल्कि राजनीति में आने के बाद मुझे लोगों के दर्द से जुड़ने का मौका मिला।
आप लगभग ढाई सौ फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। क्या आपके लिए कुछ नया बचा है करने के लिए?
मैंने भूमिकाओं के मामले में कभी समझौता नहीं किया। यही वजह है कि मेरी इमेज परफॉर्मर की बन गई। मैं खुश इसलिए हूं, क्योंकि परफॉर्मर की उम्र लंबी होती है। मैं टिपिकल रोल बिल्कुल नहीं करूंगी। मैं इंडस्ट्री में न केवल बनी रहना चाहती हूं, बल्कि परफॉर्मेस ओरिएंटेड फिल्में भी करना चाहती हूं। मुझे लगता है कि द डिजायर की भूमिका इस काम में मेरी मदद करेगी।
द डिजायर में आपकी क्या भूमिका है?
यह डांस बेस्ड फिल्म है। मैं इसमें शिल्पा शेट्टी की मां और गुरु की भूमिका निभा रही हूं। ओडिसी डांसर बनी हूं। चूंकि मैंने भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी सीखी है, ओडिसी नहीं सीखी, यही वजह है कि मुझे इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। फिल्म की दिलचस्प बात यह है कि इसमें मैं और शिल्पा मंच पर ओडिसी डांस करती दिखूंगी। वह दृश्य देखकर लोगों को मेरा और श्रीदेवी का समय याद आ जाएगा। खास बात यह है कि द डिजायर हिंदी और चाइनीज में रिलीज होगी। इसमें चीन के सुपरस्टार शिया यू भी अहम भूमिका में हैं।
शिल्पा शेट्टी के साथ काम करते हुए कभी चुनौती मिली?
मेरी समझ से शिल्पा नई हैं, लेकिन हमारे पास भी अनुभव है, इसलिए हम नई पीढ़ी से टक्कर लेने में समर्थ हैं। फिल्म में लोगों को मेरे और शिल्पा के बीच अच्छा कॉम्पिटिशन देखने को मिलेगा। वैसे भी मुझे चुनौती स्वीकारना अच्छा लगता है।
अब तक के सफर पर क्या कहेंगी?
मैंने राजनीति और फिल्मों में अच्छी भूमिकाएं निभाई हैं। देश की लगभग हर भाषा की फिल्में कर चुकी हूं। खुश हूं, लेकिन संतुष्ट नहीं हूं। मेरे करियर में कॉमा लगते रहे हैं और लगेंगे, लेकिन फुलस्टॉप जल्दी नहीं लगेगा। मैं ऐक्टिंग को समंदर मानती हूं। मैंने इसमें उतरना तो सीखा है, लेकिन बाहर निकलना नहीं सीखा। मैं अंतिम सांस तक ऐक्टिंग करती रहूंगी।
-रघुवेंद्र सिंह
आपने कुछ समय पहले फिल्मों से दूरी क्यों बना ली थी?
मैंने सोच-समझकर ऐसा नहीं किया था। दरअसल, राजनैतिक जिम्मेदारी उन दिनों इतनी अधिक बढ़ गई थी कि फिल्मों के लिए ज्यादा समय देना मेरे लिए संभव ही नहीं था। हालांकि बीच में दक्षिण की फिल्मों में अच्छी भूमिकाएं निभाने के मौके मिले, तो मैंने काम भी किया। अब हिंदी फिल्मों के निर्माता मुझे चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं दे रहे हैं। जल्द ही मेरी फिल्म दशावतार रिलीज होगी। इसके अलावा, मैं भारत चीन के सहयोग से बन रही एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म द डिजायर और बुद्धदेव दासगुप्ता की एक हिंदी फिल्म कर रही हूं।
यानी राजनीति ने आपको फिल्मों से दूर कर दिया था?
हां, कुछ समय के लिए तो दूर कर ही दिया था। सच कहूं, तो मुझे स्थायित्व चाहिए था। फिल्मों से मुझे पहचान जरूर मिली, लेकिन स्थायित्व नहीं। फिर कुछ लोगों का मानना है कि ऐक्टर राजनीति में सफल नहीं होते। सच तो यह है कि मैं लोगों का वह भ्रम भी तोड़ना चाहती थी। अब लोग चाहते हैं कि मैं फिल्मों में वापस आऊं। सच कहूं, तो मेरा दिल ऐक्टिंग से भरा नहीं है। मैं और अच्छी फिल्में करना चाहती हूं।
क्या राजनीति में खुश हैं?
मैंने राज्यसभा में छह साल और लोकसभा में पांच साल बिताए हैं, यानी मुझे लोगों का पूरा प्यार और समर्थन मिला है। मैं खुश हूं। दरअसल, राजनीति में आने के बाद जीवन के प्रति मेरी सोच और नजरिए में सकारात्मक बदलाव आया है, बल्कि राजनीति में आने के बाद मुझे लोगों के दर्द से जुड़ने का मौका मिला।
आप लगभग ढाई सौ फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। क्या आपके लिए कुछ नया बचा है करने के लिए?
मैंने भूमिकाओं के मामले में कभी समझौता नहीं किया। यही वजह है कि मेरी इमेज परफॉर्मर की बन गई। मैं खुश इसलिए हूं, क्योंकि परफॉर्मर की उम्र लंबी होती है। मैं टिपिकल रोल बिल्कुल नहीं करूंगी। मैं इंडस्ट्री में न केवल बनी रहना चाहती हूं, बल्कि परफॉर्मेस ओरिएंटेड फिल्में भी करना चाहती हूं। मुझे लगता है कि द डिजायर की भूमिका इस काम में मेरी मदद करेगी।
द डिजायर में आपकी क्या भूमिका है?
यह डांस बेस्ड फिल्म है। मैं इसमें शिल्पा शेट्टी की मां और गुरु की भूमिका निभा रही हूं। ओडिसी डांसर बनी हूं। चूंकि मैंने भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी सीखी है, ओडिसी नहीं सीखी, यही वजह है कि मुझे इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी। फिल्म की दिलचस्प बात यह है कि इसमें मैं और शिल्पा मंच पर ओडिसी डांस करती दिखूंगी। वह दृश्य देखकर लोगों को मेरा और श्रीदेवी का समय याद आ जाएगा। खास बात यह है कि द डिजायर हिंदी और चाइनीज में रिलीज होगी। इसमें चीन के सुपरस्टार शिया यू भी अहम भूमिका में हैं।
शिल्पा शेट्टी के साथ काम करते हुए कभी चुनौती मिली?
मेरी समझ से शिल्पा नई हैं, लेकिन हमारे पास भी अनुभव है, इसलिए हम नई पीढ़ी से टक्कर लेने में समर्थ हैं। फिल्म में लोगों को मेरे और शिल्पा के बीच अच्छा कॉम्पिटिशन देखने को मिलेगा। वैसे भी मुझे चुनौती स्वीकारना अच्छा लगता है।
अब तक के सफर पर क्या कहेंगी?
मैंने राजनीति और फिल्मों में अच्छी भूमिकाएं निभाई हैं। देश की लगभग हर भाषा की फिल्में कर चुकी हूं। खुश हूं, लेकिन संतुष्ट नहीं हूं। मेरे करियर में कॉमा लगते रहे हैं और लगेंगे, लेकिन फुलस्टॉप जल्दी नहीं लगेगा। मैं ऐक्टिंग को समंदर मानती हूं। मैंने इसमें उतरना तो सीखा है, लेकिन बाहर निकलना नहीं सीखा। मैं अंतिम सांस तक ऐक्टिंग करती रहूंगी।
-रघुवेंद्र सिंह
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