Sunday, March 29, 2009

हिट-फ्लॉप मायने नहीं रखता: दीपल शॉ

हिट-फ्लॉप मायने नहीं रखता: दीपल शॉ दिपल शॉ धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं। भट्ट कैंप की फिल्म कलयुग के बाद पिछले साल वे चर्चित फिल्म ए वेडनेसडे में भी दिखी थीं। पत्रकार नैना राय की भूमिका में उनकी सराहना भी हुई। अब उनकी चर्चा अंतरराष्ट्रीय फिल्म कर्मा.., जो पिछले दिनों रिलीज हुई है, में उनकी भूमिका को लेकर हो रही है। मनीष गुप्ता निर्देशित इस फिल्म में वे लोकप्रिय अभिनेत्री सुष्मिता सेन, रणदीप हुडा और रति अग्निहोत्री के साथ दिखीं। प्रस्तुत हैं, दीपल शॉ से हुई बातचीत के प्रमुख अंश..
आपका कर्मा.. से कैसे जुड़ना हुआ?
मैं सारेगामा एचएमवी की आर्टिस्ट हूं और यह उन्हीं की फिल्म है। उन्होंने जब फिल्म की कहानी सुनाई, तो मुझे तभी ऐसा लगा कि मैं ऐसी ही फिल्म की तलाश कर रही थी। दरअसल, मैं अलग-अलग किस्म की भूमिकाओं में खुद को पेश करना चाहती हूं। मन-मुताबिक बातें देख मैंने इस फिल्म के लिए अपनी रजामंदी दे दी।
कर्मा शीर्षक को कैसे परिभाषित करेंगी?
होली देश का एक पवित्र पर्व है। इस दिन लोग दुखों को भूलकर प्यार के रंग में रंग जाते हैं। दरअसल, कर्म से ही इनसान का भविष्य निर्धारित होता है और हमारे शास्त्रों में इसके कई मायने भी बताए गए हैं। लोगों ने देखा होगा कि फिल्म की कहानी विभिन्न धर्म के लोगों की है। सब लोग अपनी समस्याओं में इस कदर उलझे हुए हैं कि उन्हें आगे का रास्ता ही नजर नहीं आता! इसमें होली के दिन सबकी समस्याओं का हल होता है।
फिल्म में आप जिस अंदाज में दिखी हैं, क्या रिअॅल में वैसी ही हैं?
इसमें मेरी प्रीति की भूमिका है, जो एक आधुनिक और चुलबुली लड़की है। वही सबकी समस्याओं के समाधान का जरिया भी बनती है। मैं जैसी फिल्म में हूं, रिअॅल में भी वैसी ही हूं।
फिल्म में सुष्मिता सेन की उपस्थिति में आपको जो फुटेज मिले हैं, वे ज्यादा हैं?
सुष्मिता सेन आज जिस मुकाम पर हैं, वह उनकी मेहनत का फल है। अगर उन्हें ज्यादा मिले हैं, तो सच यही है कि वे उसकी हकदार हैं। मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि फिल्म में कितना लंबा रोल मिला है। मैं तो बस फिल्म का हिस्सा बनकर ही खुश थी। मैंने काम ईमानदारी से किया है। लोग मेरे काम को नोटिस कर रहे हैं, यही बड़ी बात है।
आप बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं?
मैं एक-एक पायदान मजबूती के साथ चढ़ने में यकीन इसलिए करती हूं। मुझे सीधे हेलीकॉप्टर से एन्ट्री करना पसंद नहीं है। अगर मैं पहले से ही टॉप पायदान पर रहूंगी, तो अगले कदम में निश्चित रूप से नीचे गिरूंगी। मेरा विकास रुक हो जाएगा। मुझे इंडस्ट्री में आए अभी चार साल हुए हैं। देखें, तो सही में मेरा करियर शुरू भी नहीं हुआ है। फिर कला किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। मुझे पता है कि कहां जाना है, इसलिए मैं धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रही हूं।
आज भी टैलेंटेड लोग अच्छे फिल्मकारों के साथ काम करने के लिए वर्षो संघर्ष करते हैं, लेकिन वहीं स्टार किड्स आते ही बड़े फिल्मकारों के साथ काम करने लगते हैं। कैसा लगता है?
देखिए, किसी भी अवसर को प्राप्त करना बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात यह है कि आप अपने सफर को कितना लंबा खींच सकते हैं। मुझे कोई शिकायत नहीं है। मैं अपनी प्रगति से खुश हूं। मैं संकुचित सोच नहीं रखती। सवाल यह है कि क्या दस साल बाद भी वे स्टार किड्स उसी मुकाम पर होंगे? मुझे पता है, मैं वहां जरूर होऊंगी।
कर्मा.. को लोगों ने उतना पसंद नहीं किया, जितनी उम्मीदें थीं?
मैंने अपना काम ईमानदारी से किया था, लोग क्या कहते हैं, मुझे पता नहीं। मुझे फिल्म की हिट-फ्लॉप से कोई फर्क नहीं पड़ता। अब मैंने सोचना छोड़ दिया है। यहां कुछ भी रिजल्ट आ सकता है। यहां कभी-कभी बुरी फिल्में चल जाती हैं और अच्छी फिल्में पिट जाती हैं।
अपनी आने वाली फि ल्मों के बारे में बताएंगी?
अब फिल्म राइट या रॉन्ग आएगी। नीरज पाठक निर्देशित इस फिल्म में सनी देओल, इरफान खान, ईशा कोप्पिकर और कोंकणा सेन शर्मा भी हैं। मैंने एक फिल्म विकल्प भी की है। उसमें मैं छोटे शहर की लड़की की भूमिका में हूं, जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। इस फिल्म की जिम्मेदारी पूरी तरह से मेरे कंधों पर ही है। उम्मीद है कि लोगों को मेरा काम इन फिल्मों में पसंद आएगा।

-रघुवेंद्र सिंह

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