Saturday, April 2, 2011

शबाना आजमी ने किया मुझे ट्रेंड-सारा जेन डायस

ग्लैमर का आकर्षण बचपन से था
चार साल की उम्र से ही मैं ग्लैमर व‌र्ल्ड की ओर आकर्षित हो गई थी। मम्मी के साथ मैं टीवी पर मिस व‌र्ल्ड और मिस इंडिया काटेस्ट का प्रसारण देखती थी। तब मैंने सोचा कि बड़ी होकर मिस इंडिया बनूंगी। स्कूल जाना शुरू किया, तो सास्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने लगी। कॉलेज में भी स्टेज पर सक्रिय थी। मुझे परफॉर्मर बनना था। पापा काम के सिलसिले में मस्कट गए और बाद में उन्होंने मम्मी, बहन और मुझे भी मुंबई से मस्कट बुला लिया। पद्रह साल मैं मस्कट में रही। मॉडलिग करना मैंने वहीं शुरू कर दिया था। यद्यपि मैंने मस्कट में वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक सीखा है, पर एक्टिंग और डास की प्रोफेशनल ट्रेनिग नहीं ली है।
सघर्ष के दौरान तैयारी करती रही
मेरा सघर्ष लबा रहा। मस्कट से मुंबई आई, तो अंजान शहर लगा। फिल्म इंडस्ट्री में मेरा कोई परिचित नहीं था। मैं लगभग रोज ऑडिशन देती थी। उस सघर्ष ने मुझे पहली फिल्म के लिए तैयार किया। मैं लकी थी कि मुझे सही समय पर सही लोग मिलते रहे। मेरी एक दोस्त हैं नदिनी, जोकि कास्टिंग एजेंट हैं। उन्होंने मुझे 'गेम' फिल्म के बारे में बताया और कहा अगर तुम इंट्रेस्टेड हो तो आकर ऑडिशन दे दो। मैंने ऑडिशन दिया। अभिनय देव को मेरा ऑडिशन अच्छा लगा। मैं बहुत खुश हूं कि 'गेम' जैसी बड़े बैनर की फिल्म मुझे मिली। 'गेम' से पहले मैंने एक तमिल फिल्म की थी।
लकी हूं
माइंड गेम है यह फिल्म। अभिनय देव ने जब मुझे माया के किरदार के बारे में बताया, तो मैं उससे कनेक्ट नहीं कर पाई। माया अपने हालात से भागना चाहती है। माया और मुझमें दिन-रात का फर्क है। फिर एक्सेल एंटरटेनमेंट ने शबाना आजमी से सपर्क किया। उन्हें बताया गया कि सारा को आपकी मदद की जरूरत है। मैं लकी हूं कि शबाना जी और अभिनय ने मुझे ट्रेनिग दी। शबाना जी ने मुझे अपनी फिल्म 'मडी' देखने के लिए कहा। उनकी और अभिनय की मदद से मैं माया के किरदार को निभाने में कामयाब हो पाई।
हार्ड वर्क में है यकीन
छह महीने पहले किसी ने मुझसे कहा कि तुम हिंदी अच्छी नहीं बोल पाती हो। मैंने इसे चुनौती माना और मेहनत की। कुछ लोग मेरा नाम सुनकर सोचते हैं कि मुझे हिंदी बोलनी नहीं आती होगी, पर मुझसे बात करने के बाद उनकी सोच बदल जाती है। मैंने एक्टिंग करना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी लक्ष्य के बारे में नहीं सोचा। अभी मैं खुद को ढूंढ रही हूं। इतना जानती हूं कि मुझे अच्छे किरदार करने हैं।
-रघुवेन्द्र सिह

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