Tuesday, March 3, 2009

हिन्दी फिल्में हमेशा प्रिय रही है-आर माधवन

आर माधवन का बालीवुड प्रेम किसी न किसी बहाने उन्हे मुंबई ले ही आता है। इन दिनों अपनी तीन फिल्मों को लेकर व्यस्त है। हिंदी फिल्मों में उनकी व्यस्तता, फिल्म 13 बी एवं भावी योजनाओं के संदर्भ में बातचीत-
हिंदी फिल्मों में अपनी दिलचस्पी पर क्या कहते है?
मेरे लिए हिंदी फिल्में हमेशा प्रिय रही हैं। चूंकि दक्षिण की फिल्मों में मेरी रोजी-रोटी अच्छी चल रही है इसलिए मैं वहां काम कर रहा हूं। इधर अमिताभ बच्चन के साथ तीन पत्ती, आमिर खान के साथ थ्री इडियट्स, 13 बी और सिकंदर जैसी बढि़या फिल्में मिल गयीं, सो मैंने हां कह दिया। सच कहूं तो मैं मुंबई में स्ट्रगल नहीं करना चाहता था। अब हिंदी फिल्मों के निर्माता मुझ पर पैसा लगा रहे हैं। मेरे नाम पर फिल्में बनाने के लिए तैयार हैं, तो मैंने सोचा भाव नहीं खाना चाहिए।
13 बी किस तरह की फिल्म है? इससे जुड़ना कैसे हुआ?
फिल्म के निर्देशक विक्रम आठ वर्ष पहले मुझसे चेन्नई में मिले थे। उन्होंने कहा कि वे मेरे साथ फिल्म बनाना चाहते हैं। विक्रम मुझे अलग किस्म के इंसान लगे। मैंने हां कह दिया। कई कहानियों के बाद हमने 13 बी में साथ काम करने का निर्णय लिया। यह सुपरनैचुरल थ्रिलर है। विक्रम ने बताया कि इसके राइट एक तेलेगू निर्देशक के पास हैं। मैंने उस निर्देशक से राइट खरीद लिए। मैं गुरू के म्यूजिक रिलीज के दौरान मुंबई आया था। वहां मनमोहन शेंट्टी मिले। उन्होंने कहा कि मुंबई आ जाओ, यहां आपके योग्य काफी काम है। मैंने कहा कि मेरे पास एक कहानी है आप सुनेंगे तो मैं आ सकता हूं। मैंने विक्रम को उन्हें कहानी सुनाने के लिए भेजा। कहानी सुनने के तुरंत बाद मनमोहन शेंट्टी ने फोन करके मुझे मुंबई बुलाया। उन्होंने कहा कि वे उसे हिंदी और तमिल में बनाएंगे। शंकर एहसान लॉय ने म्यूजिक दिया।
फिल्म की कहानी एवं अपनी भूमिका के बारे में बताएं?
13 बी की कहानी आज के आम आदमी की है, जो दिन भर काम करके रात नौ बजे घर पहुंचता है। घर पर उसके बीवी-बच्चे अकेले रहते हैं। आज लोग अपने अकेलेपन एवं तनाव को दूर करने के लिए टीवी का सहारा लेते हैं। दिलचस्प बात यह है कि आप टीवी के रिमोट के जरिए घर के मालिक को जान सकते हैं क्योंकि रिमोट उसी के हाथ में होता है। यानी टीवी तय करता है कि कौन घर का बॉस है। अब मान लीजिए टीवी को इस शक्ति का एहसास हो जाए और वह आपके खानदान के साथ खेलने लग जाए तो क्या होगा? मेरा दावा है कि फिल्म देखने के बाद लोग टीवी ऑन करने से पहले दस बार सोचेंगे। इसमें कोई भूत-प्रेत नहीं है, फिर भी फिल्म देखते समय लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे। मैं इसमें मनोहर की भूमिका निभा रहा हूं।
विक्रम के साथ शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?
विक्रम मेरे दोस्त हैं और दोस्त निर्देशक बन जाए तो समस्या होती है। दोस्त और निर्देशक के बीच का फर्क रखना मुश्किल हो जाता है, लेकिन मैं विक्रम को सेट पर निर्देशक की नजर से देखता था। सेट पर वे मेरे बॉस होते थे। मैं उनकी हर बात चुपचाप सुनता था। मुझे उनके निर्देशन में काम करने में कोई समस्या नहीं आयी।
डील या नो डील शो के बाद आप टीवी पर नहीं दिखे। क्या आगे टीवी के लिए काम करेंगे?
अब मैं टीवी नहीं कर पाऊंगा। फिल्मों में व्यस्तता बढ़ गयी है। यदि आप शाहरुख खान या अक्षय कुमार जैसे सुपरस्टार हो तब टीवी करें तो अच्छा होगा। आपको अच्छे पैसे और अच्छी पब्लिसिटी मिलेगी। लोग आपका शो भी देखेंगे।
एक्टर के तौर पर खुद को कितना परिपक्व मानते हैं?
मैं अभी सीख रहा हूं। अमिताभ बच्चन और आमिर खान के साथ काम करके पता चलता है कि हम कितने पानी में हैं। ईमानदारी से कहूं तो अभी मैं फिफ्टी परसेंट ही अभिनय सीख पाया हूं।
जमशेदपुर जाना होता है ?
अब नहीं जाना होता। कोई पुरस्कार समारोह होता है और बुलावा आता है तो जाता हूं। मैंने 1989 में जमशेदपुर छोड़ा था। दरअसल, अब वहां मेरा कोई संगी-संबंधी नहीं है। सब लोग मद्रास में हैं। मैं जमशेदपुर को मिस करता हूं। वहां का रहन-सहन का तरीका, दोस्तों के साथ बवाल करना और वहां की सुरक्षा मिस करता हूं। काश, मेरा बेटा भी उन चीजों का अनुभव ले पाता।
आगामी फिल्मों के बारे में बताएं?
जल्द ही सिकंदर आएगी। रंग दे बसंती के बाद उसमें मैं फिर आर्मी ऑफिसर की भूमिका में दिखाई दूंगा। साल के अंत में थ्री इडियट्स प्रदर्शित होगी। मैंने टी-सीरीज, सहारा और शेमारू के साथ एक-एक फिल्में साइन की हैं। उनकी शूटिंग जल्द ही आरंभ होगी।
-रघुवेंद्र सिंह

1 comment:

संगीता पुरी said...

आर माधवन के साथ आपकी बातचीत अच्‍छी लगी।