निर्देशक : रॉबी ग्रेवाल
तकनीकी टीम : निर्माता-अनुज सक्सेना एवं गैरी एस,संगीत-आरडीबी, विपिन मिश्रा, महफूज मारूफ, गीत-आरडीबी, विपिन मिश्रा, सईद गुलरेज, लेखक-दिव्यनिधि शर्मा
रेटिंग : *1/2
आलू-चाट का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है, लेकिन राबी ग्रेवाल की फिल्म आलू चाट में ऐसी कोई बात नहीं है। उनकी आलू चाट में विभिन्न तरह के चटपटे तत्व मौजूद अवश्य हैं, लेकिन उनका मिश्रण एकदम बेस्वाद है। फिल्म आलू-चाट अमेरिका से लौटे पंजाबी युवक निखिल से आरंभ होती है। उसका परिवार दिल्ली के लाजपत नगर इलाके में रहता है। निखिल के घर लौटते ही उसका परिवार उसकी शादी कराने की ठान लेता है। लेकिन निखिल का दिल अमेरिका में रह रही शुद्ध भारतीय संस्कारों वाली मुस्लिम लड़की आमना के लिए धड़कता है। जबकि निखिल के पिता जात-पात जैसी बातों के पक्षधर हैं। आमना को घर में प्रवेश दिलाने के मकसद से निखिल अपने चाचा के साथ मिलकर योजना बनाता है। वह एक विदेशी लड़की को गर्लफ्रेंड बनाकर घर में लाता है। साथ ही अपनी गर्लफ्रेंड आमना को उसकी दोस्त बताकर घर में एंट्री कराता है। उसके बाद निखिल अपनी गर्लफ्रेंड आमना के साथ मिलकर परिवार वालों का नजरिया बदलने में जुट जाता है। आलू-चाट रोमांटिक कामेडी फिल्म है, जबकि इसमें आफताब शिवदासानी और आमना शरीफ के बीच कहीं भी रोमांस का पता नहीं चलता। आफताब पूरी फिल्म में सिर्फ मुस्कुराते ही नजर आते हैं। आमना शरीफ सीधी-सादी लड़की की भूमिका में आकर्षित करती हैं। अभिनेता संजय मिश्रा की उपस्थिति फिल्म में कामेडी का एहसास कराती है। फिल्म के संगीत में दम नहीं है। राबी ग्रेवाल पूर्व में समय और एमपी3 फिल्में बना चुके हैं। उनकी तीसरी फिल्म पिछली फिल्मों की तुलना में कमजोर है।
-रघुवेंद्र सिंह
1 comment:
चलो आपकी समीक्षा ने पैसे बचा दिए
Post a Comment