पिछले दस वर्षो से निर्देशन में सक्रिय राजन शाही अब निर्माता बन चुके हैं। उनके प्रोडक्शन हाउस डायरेक्टर्स कट के दो सीरियल सपना बाबुल का बिदाई और ये रिश्ता क्या कहलाता है काफी लोकप्रिय हुआ है। हाल में उनके नए धारावाहिक मात-पिता के चरणों में स्वर्ग का प्रसारण कलर्स चैनल पर शुरू हुआ है। राजन बीच-बीच में अपने प्रोडक्शन हाउस के सीरियलों के एपीसोड का निर्देशन करते रहते हैं। पहले उन्होंने जस्सी जैसी कोई नहीं, सात फेरे, मायका, विरासत, मिली और करीना-करीना सीरियलों का निर्देशन किया है। प्रस्तुत है राजन शाही से बातचीत।
आपके धारावाहिकों की लोकप्रियता का राज क्या है?
मुझे मानवीय रिश्ते के आदर्श पक्ष और संस्कार के अलावा कोई और कहानी आती ही नहीं। मैंने अपने माता-पिता से वही बातें सीखी हैं, जो धारावाहिकों में दिखा रहा हूं। आज की पीढ़ी मॉडर्न बनने के चक्कर में अपने संस्कार भूल गई है। मॉडर्न बच्चों को चार लोगों के सामने अपने माता-पिता और अपने बड़ों का पैर छूने में शर्म आती है। मैं अपने धारावाहिकों के जरिए युवाओं को उनकी पहचान को याद कराना चाहता हूं। शायद यही बात दर्शकों को अच्छी लगती है। मैं बेटी से कहता हूं कि मेरे धारावाहिकों को देखो और उनसे सीखो। मैं उसे कोई बात अलग से नहीं सिखाता।
अपने दस वर्ष के अनुभव को कुछ शब्दों में कैसे बयां करेंगे?
जितनी ख्वाहिश थी, उससे कई गुना अधिक ईश्वर ने मुझे दिया है। मैं दिल्ली से दस वर्ष पहले मुंबई आया था और रवि राय के साथ करियर की शुरुआत की। मेरे निर्देशन में बने कई धारावाहिक यादगार हो चुके हैं। मैं बहुत खुश हूं। होम प्रोडक्शन के पहले धारावाहिक बिदाई के निर्देशन की जिम्मेदारी शुरू में मैंने खुद संभाली थी, लेकिन बाद में अन्य कार्यो में व्यस्तता बढ़ गई। आज भी मैं बिदाई और ये रिश्ता.. के एपीसोड निर्देशित करता हूं। स्वर्ग का मैं क्रिएटिव डायरेक्टर हूं। मैं अपने शो के निर्माण के हर क्षेत्र में हस्तक्षेप रखता हूं। मेरी जर्नी सुखदाई है।
फिल्ममेकिंग में आने की बात है?
मैं 2010 के शुरू में होम-प्रोडक्शन की पहली हिंदी फिल्म की घोषणा करूंगा। आजकल स्क्रिप्ट पर काम कर रहा हूं। खुद स्क्रिप्ट लिख रहा हूं और उसका निर्देशन भी करूंगा। धारावाहिकों की तरह मेरी फिल्में भी पारिवारिक होंगी। अभी तक मैंने कलाकारों के चयन के बारे में कुछ नहीं सोचा है। मैं अच्छे कलाकारों के साथ काम करना चाहता हूं। सिनेमा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय काम करना चाहता हूं।
आपके धारावाहिकों की लोकप्रियता का राज क्या है?
मुझे मानवीय रिश्ते के आदर्श पक्ष और संस्कार के अलावा कोई और कहानी आती ही नहीं। मैंने अपने माता-पिता से वही बातें सीखी हैं, जो धारावाहिकों में दिखा रहा हूं। आज की पीढ़ी मॉडर्न बनने के चक्कर में अपने संस्कार भूल गई है। मॉडर्न बच्चों को चार लोगों के सामने अपने माता-पिता और अपने बड़ों का पैर छूने में शर्म आती है। मैं अपने धारावाहिकों के जरिए युवाओं को उनकी पहचान को याद कराना चाहता हूं। शायद यही बात दर्शकों को अच्छी लगती है। मैं बेटी से कहता हूं कि मेरे धारावाहिकों को देखो और उनसे सीखो। मैं उसे कोई बात अलग से नहीं सिखाता।
अपने दस वर्ष के अनुभव को कुछ शब्दों में कैसे बयां करेंगे?
जितनी ख्वाहिश थी, उससे कई गुना अधिक ईश्वर ने मुझे दिया है। मैं दिल्ली से दस वर्ष पहले मुंबई आया था और रवि राय के साथ करियर की शुरुआत की। मेरे निर्देशन में बने कई धारावाहिक यादगार हो चुके हैं। मैं बहुत खुश हूं। होम प्रोडक्शन के पहले धारावाहिक बिदाई के निर्देशन की जिम्मेदारी शुरू में मैंने खुद संभाली थी, लेकिन बाद में अन्य कार्यो में व्यस्तता बढ़ गई। आज भी मैं बिदाई और ये रिश्ता.. के एपीसोड निर्देशित करता हूं। स्वर्ग का मैं क्रिएटिव डायरेक्टर हूं। मैं अपने शो के निर्माण के हर क्षेत्र में हस्तक्षेप रखता हूं। मेरी जर्नी सुखदाई है।
फिल्ममेकिंग में आने की बात है?
मैं 2010 के शुरू में होम-प्रोडक्शन की पहली हिंदी फिल्म की घोषणा करूंगा। आजकल स्क्रिप्ट पर काम कर रहा हूं। खुद स्क्रिप्ट लिख रहा हूं और उसका निर्देशन भी करूंगा। धारावाहिकों की तरह मेरी फिल्में भी पारिवारिक होंगी। अभी तक मैंने कलाकारों के चयन के बारे में कुछ नहीं सोचा है। मैं अच्छे कलाकारों के साथ काम करना चाहता हूं। सिनेमा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय काम करना चाहता हूं।
-raghuvendra singh
No comments:
Post a Comment