चुलबुली और शरारती मुस्कान वाली हंसिका मोटवानी वर्ष 2004 तक दर्शकों के बीच बाल कलाकार के तौर पर लोकप्रिय थीं। बीते वर्ष वे अचानक 'आपका सुरूर' में हिमेश रेशमिया के अपोजिट लीडिंग एक्ट्रेस के रूप में दिखीं और बाद में उन्होंने गोविंदा के साथ फिल्म 'मनी है तो हनी है' द्वारा बड़े पर्दे पर हलचल मचायी। सप्तरंग के पाठकों को अपने बचपन से जुड़ी बातें बता रही हैं हंसिका मोटवानी-
[मम्मी को किया बहुत तंग]
मैं बचपन में बहुत शरारती थी, लेकिन मैं बाहर के लोगों को कम अपनी मम्मी को अधिक तंग करती थी। मैं बाहरी लोगों से बहुत कम बात करती थी। मेरी शरारतों के लिए मम्मी मुझे बहुत डांटती थीं। कभी कभी तो वे मेरी जमकर पिटाई भी कर देती थीं। एक सच यह भी है कि मैं अपनी मम्मी के बिना एक पल नहीं रह सकती हूं। मैं आज भी उन्हें हमेशा अपने साथ सेट पर लेकर जाती हूं।
[पढ़ाई को लेकर गंभीर हूं]
मैं बचपन से ही पढ़ने में अच्छी रही हूं। सब लोग जानते हैं कि दस साल की छोटी उम्र से एक्टिंग में सक्रिय हूं। मैं तभी से अपनी किताबें लेकर सेट पर जाती हूं। मुझे जैसे ही शॉट से फुरसत मिलती है, तुरंत पढ़ने बैठ जाती हूं। इस साल मैंने ग्यारहवीं की परीक्षा दी है। आजकल तो इंटरनेट की सुविधा है। अब लैपटॉप ही मेरी पुस्तक बन गई है। मैं जब सेट पर होती हूं तो नेट के जरिए पढ़ाई कर लेती हूं।
[बचपन से रहा ऊँचा सपना]
मैंने बचपन से सिर्फ एक ही सपना देखा है और वह है एक्टिंग फील्ड में ऊँचा मुकाम हासिल करना। यही वजह है कि मैं अपना ज्यादातर समय एक्टिंग में लगाती हूं। मैंने आजतक एक्टिंग के अलावा किसी अन्य प्रोफेशन के बारे में सोचा ही नहीं है। मैं मरते दम तक एक्टिंग करती रहूंगी। इस क्षेत्र में मैं ऐसा मुकाम बनना चाहती हूं कि आने वाली पीढि़यां मेरे जैसा बनने का लक्ष्य बनाएं।
[आज भी बच्ची हूं]
लोग कहते हैं कि मैं बड़ी हो गई हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं मानती। मेरी उम्र अभी मात्र सत्रह साल है। मैं आज भी बच्ची हूं। मेरी मम्मी आज भी मुझे बहुत डांटती हैं। वे आज भी मुझे नैतिक शिक्षा देती हैं, जिसका मैं अनुसरण करती हूं। बस, अब मैं पहले की तुलना में शरारतें कम करती हूं!
Sunday, October 19, 2008
अब भी डांटती है मम्मी: हंसिका
[रघुवेंद्र सिंह]
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