ईशा कोप्पिकर एक वर्ष के अंतराल के बाद अतुल अग्निहोत्री की फिल्म हैलो से सिल्वर स्क्रीन पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने जा रही हैं। यह फिल्म चेतन भगत के चर्चित अंग्रेजी उपन्यास वन नाइट एट दि कॉल सेंटर पर बनी है। ईशा फिल्म में एक ग्लैमरस मॉडल की भूमिका में नजर आएंगी। प्रस्तुत है ईशा से बातचीत-
आप इधर बड़े पर्दे के साथ ही मीडिया की नजरों से भी गायब थीं?
मैं अपनी फिल्म एक विवाह ऐसा भी और राइट या रांग की शूटिंग में व्यस्त थी। वैसे भी अब मुझे बिना वजह मीडिया के बीच रहना नहीं भाता है।
अब आपको खल्लास गर्ल की इमेज से निजात मिल गई है?
हां, जो मेरे लिए बड़ी खुशी की बात है। पहले मैं देखती थी कि मेरे हर इंटरव्यू की शुरुआत लोग खल्लास गर्ल शब्द से ही करते थे, लेकिन आजकल ऐसा नहीं होता है। हमारी इंडस्ट्री का चलन है कि आप जो काम करते हैं, उसके अनुसार आपकी छवि बनती जाती है। उसके बाद अन्य लोग सोचते हैं कि वह कलाकार सिर्फ उसी तरह का काम कर सकता है, जो गलत सोच है। मैं खुश हूं कि मेरे बारे में कुछ फिल्मकारों ने अलग सोचा और उन्होंने मुझे मेरी छवि के विपरीत भूमिकाएं दीं।
क्या हैलो में मॉडल का किरदार आपकी छवि के विपरीत है?
मैं फिल्म में ईशा नाम की लड़की का किरदार निभा रही हूं। वह कॉल सेंटर में काम करती है। उसका लक्ष्य मॉडलिंग इंडस्ट्री में कदम जमाना है। ईशा का किरदार ग्लैमरस जरूर है, लेकिन दर्शकों ने मुझे अब तक ऐसी भूमिका में नहीं देखा है। मैंने इस किरदार को पूरी तरह एंज्वॉय किया, क्योंकि मैं स्वयं मॉडल रह चुकी हूं। मेरी बदलती छवि के बीच की यह कड़ी है।
फिल्म की कहानी क्या है? क्या यह फिल्म दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल होगी?
फिल्म एक कॉल सेंटर में घटी एक रात की कहानी है। इसके केंद्र में मैं, श्याम, प्रियंका, वरूण, राधिका और स्वामी हैं। सबकी अपनी समस्याएं हैं और सभी अपनी उन समस्याओं से छुटकारा पाने के प्रयास में जुटे हैं। एक रात अचानक उन्हें एक कॉल आता है और फिर उसके बाद क्या होता है? यह देखना रोचक होगा। यह फिल्म प्यार, परिवार, महत्वाकांक्षा और कॉल सेंटर में काम करने के वातावरण पर प्रकाश डालती है। मैंने चेतन भगत का उपन्यास पढ़ा है। उसकी कहानी मुझे बहुत अच्छी लगी। कहानी बिल्कुल नयी है और उसे कहने का अंदाज जुदा है। उम्मीद है, यह फिल्म दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल होगी।
अतुल अग्निहोत्री के निर्देशन में काम करने के अनुभव के बारे में बताएं?
अतुल बहुत शांत स्वभाव के शख्स हैं। वे हमेशा अपने काम के प्रति समर्पित रहते हैं। किसी काम को लेकर हल्ला नहीं मचाते। यदि एक्टर रीटेक लेता है तो वे गुस्सा नहीं होते, बल्कि उससे उसकी दिक्कतों को पूछकर उसका निवारण करने का प्रयास करते हैं। उनके साथ काम करने का अनुभव बहुत अच्छा रहा।
फिल्मों का चयन करते वक्त किन बातों पर अधिक ध्यान देती हैं?
मेरे लिए स्क्रिप्ट सबसे महत्वपूर्ण है। यदि स्क्रिप्ट दमदार हो और निर्देशक नए हों तो मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं वह फिल्म कर लूंगी। मैं यह नहीं देखती कि मेरे साथ एक्टर कौन है? मुझे अपने रोल से मतलब होता है। मैं यहां तक किसी एक्टर का हाथ थाम कर नहीं आयी हूं। अपने दम पर आयी हूं। आगे का सफर भी अपने दम पर तय करूंगी।
हैलो के बाद आप किन फिल्मों में नजर आएंगी?
इसके बाद मेरी मनोज तिवारी के निर्देशन में बनी फिल्म हैलो डार्लिग, जानू बरूआ की हर पल, ललित मराठे निर्देशित शबरी, राजश्री की एक विवाह ऐसा भी एवं नीरज पाठक की राइट या रांग प्रदर्शित होगी। इन सभी फिल्मों में मेरी अलग-अलग भूमिकाएं हैं। हैलो डार्लिग में मैं जहां एक हरियाणवी लड़की बनी हूं, वहीं शबरी में झोपड़पंट्टी में रहने वाली काली-कलूटी लड़की का किरदार में हूं।
इनमें से किस फिल्म के प्रदर्शन का आपको इंतजार है?
मेरे लिए राजश्री की फिल्म एक विवाह ऐसा भी बहुत खास है। उस फिल्म में मेरे ऊपर बहुत मेहनत की गई है। मैं उसमें चांदनी की केंद्रीय भूमिका में हूं। उस फिल्म की रिलीज के बाद दर्शकों के बीच मेरी एक अलग छवि बनेगी। मैं हर घर की बेटी बन जाऊंगी।
Sunday, October 5, 2008
किसी एक्टर का हाथ थाम कर नहीं आयी हूं: ईशा कोप्पिकर
[रघुवेंद्र सिंह]
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