पिछले दिनों एक इवेंट में मेरी मुलाक़ात वरिष्ठ पत्रकार से हुई। मैंने उनसे यूँ ही पूछ दिया की नई पीढी के फ़िल्म पत्रकारों के बारे उनकी क्या राय हैं? उन्होंने दो टूक जवाब दिया-आज के फ़िल्म पत्रकारों को सिनेमा के इतिहास और भूगोल के बारे में कोई जानकारी नही है। इवेंट्स में वे इतने बचकाना सवाल पूछते हैं की शर्म आ जाती है। दुःख की बात तो यह है की आज लड़के-लड़कियाँ फ़िल्म पत्रकारिता में किसी और मकसद से आते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य फ़िल्म इंडस्ट्री में प्रवेश करना होता है। फ़िल्म पत्रकारिता को वे जरिया बनाते हैं। फ़िल्म पत्रकारिता में एक या दो साल रहने के बाद nirmata -nirdeshakon से उनके अच्छे सम्बन्ध बन जाते हैं, फिर वे स्क्रिप्ट लेखन या एक्टिंग में चले जाते हैं। उनका लक्ष्य फ़िल्म पत्रकारिता में नाम कमाना नही होता। यह कारण है की बीते वर्षों में कोई नया नाम फ़िल्म पत्रकारिता में उभरकर सामने नही आया है। आप गौर करके देख लें।
वरिष्ठ पत्रकार की बात मुझे सच लगी। एक वाकया मुझे याद आ रहा है। kuch महीने पहले मैं फिल्मसिटी में एक स्क्रिप्ट लेखन सेमिनार में हिस्सा लेने गया था। वहां कई नामी डायरेक्टर आए थे। मेरे साथ एक न्यूज़ ऐजेंसी के patrakaar मित्र थे। मैं विपुल शाह से सवाल कर रहा था की वे बीच में टपक पड़े । उन्होंने अपना परिचय दिया और सवाल पूछने की बजाये कहने लगे की सर मैंने एक स्क्रिप्ट लिखी है। खास आपके लिए। आप टाइम बताएं मैं कब सुना सकता हूँ? विपुल शाह हतप्रभ रह गए। मैं ख़ुद चौक गया। मैंने तुंरत वहां से किनारा कर लिया। sach kahun to मुझे शर्म aa गई। मैंने अपने उस मित्र से बाद में पुछा की तुम पत्रकार हो? उसने कहा की गुस्सा होने की ज़रूरत नही है। मेरा लक्ष्य फ़िल्म लेखन है। पता नही कल नौकरी हो न हो। सो आज उसका फायदा उठा लेते हैं।
युवा फ़िल्म mekar vivek शर्मा ने अपने ब्लॉग में इस बात को uthayi है। वे likhte हैं- आज के नए bachche jinhe बोलना तक नही आता वे lekh लिख रहे हैं। मैं link प्रेषित कर रहा हूँ, आप पढ़ सकते हैं.http://viveksharma.bigadda.com/?p=386
vakayi नई पीढी के पत्रकारों को sochane और samjhne की ज़रूरत है। वरना हम अपनी आने vali पीढी को सिनेमा के बारे में क्या jankaari देंगे। hamein apani नींव majbut banani होगी। यदि आप फ़िल्म पत्रकारिता में आने की सोच रहे हैं तो इतनी taiyari के साथ ayiye की फ़िल्म industry और आम लोग आपको सुने और पढ़ें।
-raghuvendra singh
2 comments:
पत्रकारिता को मात्र एक नौकरी समझने वाले उसके कर्तव्य भूल चुके हैं। सटीक चिंतन।
paryavikshan aur aatmavlokan donon zaroori hai.waise pichhli peedhi ne yah kaam jyda kiya hai.varisth patrakar kahin asafal lekhak na hon..
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