जयपुर के चौबीस वर्षीय तोषी साबरी फिल्म इंडस्ट्री में सिर्फ गायक बनने आए थे, लेकिन महेश भट्ट ने उन्हें संगीतकार भी बना दिया। राज-द मिस्ट्री कंटीन्यूज फिल्म के गीत माही.. की लोकप्रियता के बाद भट्ट ने तोषी को जश्न फिल्म के संगीत की जिम्मेदारी सौंपी। हालिया रिलीज फिल्म थ्री में भी उनका संगीत था। गौरतलब है कि स्टार प्लस के रिअॅलिटी शो वॉयस ऑफ इंडिया से वे लाइम लाइट में आए। आजकल वे अपने छोटे भाई शाबिर के साथ मिलकर मधुर भंडारकर की जेल और विक्रम भट्ट के होम प्रोडक्शन की फिल्में रुतबा और भाग जॉनी का संगीत भी तैयार कर रहे हैं। प्रस्तुत है तोषी से बातचीत के अंश..
आपने संगीत का प्रशिक्षण किससे लिया? क्या आपका लक्ष्य गायक बनना ही था?
मैं म्यूजिकल फैमिली से हूं। मेरे वालिद उस्ताद अकरम अली साहब क्लासिकल सिंगर हैं। मैंने और मेरे छोटे भाई शाबिर ने उनसे ही क्लासिकल संगीत सीखा है। मैं सात साल की उम्र से संगीत की दुनिया में हूं। मैंने ग्यारह साल की उम्र में स्टेज पर परफॉर्म करना शुरू कर दिया था। बचपन से सिंगर बनना चाहता था, लेकिन भट्ट साहब ने मुझे सिंगर के साथ-साथ संगीतकार भी बना दिया।
फिल्ममेकर महेश भट्ट से आपकी मुलाकात कैसे हुई?
वे वॉयस ऑफ इंडिया में स्पेशल जज बनकर आए थे। वहां उनसे मेरी पहली बार मुलाकात हुई। उन्होंने मुझसे संपर्क में रहने के लिए कहा। उस शो के समाप्त होने के बाद एक दिन मैं भट्ट साहब के पास काम मांगने के गया। मैंने उनको माही.. गाना सुनाया। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या आप म्यूजिक कंपोज भी करते हैं? मैं जयपुर में राजस्थानी फिल्मों में संगीत देता था। मैंने उनसे हां कह दिया। इस तरह मेरे सुखद सफर की शुरुआत हुई। महेश भट्ट और मुकेश भट्ट मेरे गॉडफादर हैं। मैं आज जो कुछ हूं, उन्हीं की देन है। मैं उनका अहसान कभी नहीं भूलूंगा।
आप मुंबई कब आए? वॉयस ऑफ इंडिया को आपकी जिंदगी का टर्निग प्वॉइंट कहा जा सकता है?
मैं सत्रह साल की उम्र में मुंबई आया था। तब मेरा यहां कोई नहीं था। न तो मेरे सोने का ठिकाना था और न ही खाने का। मैंने कई रातें भूखे पेट प्लेटफार्म पर गुजारी हैं। उस वक्त मैं संगीतकारों के दफ्तर जाता था, तो कोई मुझसे मिलता नहीं था। कई बार मेरा धैर्य टूटा, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। मैं कम उम्र में संगीत की दुनिया में अपनी पहचान बनाने का फैसला करके आया था। रिअॅलिटी शो वॉयस ऑफ इंडिया मेरी जिंदगी का टर्निग प्वॉइंट साबित हुआ। उस शो में लोगों ने मेरी प्रतिभा देखी और वहीं भट्ट साहब से मेरी मुलाकात हुई।
छोटे भाई शाबिर के साथ आप फिल्मों का संगीत कंपोज कर रहे हैं?
जी हां। तोषी-शाबिर हमारी जोड़ी का नाम है। शाबिर अभी इक्कीस साल का है। हमारी जोड़ी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे कम उम्र की संगीतकार जोड़ी है। शाबिर भी बचपन से संगीत से जुड़े हैं। पहले हम दोनों के बीच सिर्फ भाई और दोस्त का रिश्ता था, लेकिन अब हम प्रोफेशनल पार्टनर भी बन गए हैं। इस वर्ष हमारी कई फिल्में प्रदर्शित होंगी।
आप किन गायकों के प्रशंसक हैं?
मैं नुसरत फतेह अली खान से प्रेरित होता हूं। मैं उन्हें बहुत सुनता हूं। सोनू निगम भी मेरे फेवरेट हैं। मैं अपने सीनियर कलाकारों की इज्जत करता हूं।
क्या आप आज भी संगीतकारों के पास काम मांगने जाते हैं?
हां, मैं विशाल-शेखर, सलीम-सुलेमान, आदेश श्रीवास्तव से जब भी मिलता हूं, तो कहता हूं कि सर, मुझे गाने के लिए बुलाइए। यदि कोरस के लिए बुलाएंगे, तो भी मुझे खुशी होगी। मैं इंडस्ट्री में अभी बच्चा हूं। मुझे काम मांगने में शर्म नहीं आती। मेरे गाए गीत वादा रहा और किसान में थे। वीर में भी गीत हैं। मैंने इल्या राजा के निर्देशन में तेलुगू फिल्म के लिए भी गाया है।
आपका लक्ष्य और आपकी भावी योजनाएं क्या हैं?
मेरा लक्ष्य दूसरों से हटकर काम करना है। मैं अपनी पहचान बनाना चाहता हूं। ईद के बाद मैं मलाड में अपना रिकार्डिग स्टूडियो बनाने जा रहा हूं। मैं राजस्थानी फिल्मों के लिए कुछ करना चाहता हूं।
आपने संगीत का प्रशिक्षण किससे लिया? क्या आपका लक्ष्य गायक बनना ही था?
मैं म्यूजिकल फैमिली से हूं। मेरे वालिद उस्ताद अकरम अली साहब क्लासिकल सिंगर हैं। मैंने और मेरे छोटे भाई शाबिर ने उनसे ही क्लासिकल संगीत सीखा है। मैं सात साल की उम्र से संगीत की दुनिया में हूं। मैंने ग्यारह साल की उम्र में स्टेज पर परफॉर्म करना शुरू कर दिया था। बचपन से सिंगर बनना चाहता था, लेकिन भट्ट साहब ने मुझे सिंगर के साथ-साथ संगीतकार भी बना दिया।
फिल्ममेकर महेश भट्ट से आपकी मुलाकात कैसे हुई?
वे वॉयस ऑफ इंडिया में स्पेशल जज बनकर आए थे। वहां उनसे मेरी पहली बार मुलाकात हुई। उन्होंने मुझसे संपर्क में रहने के लिए कहा। उस शो के समाप्त होने के बाद एक दिन मैं भट्ट साहब के पास काम मांगने के गया। मैंने उनको माही.. गाना सुनाया। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या आप म्यूजिक कंपोज भी करते हैं? मैं जयपुर में राजस्थानी फिल्मों में संगीत देता था। मैंने उनसे हां कह दिया। इस तरह मेरे सुखद सफर की शुरुआत हुई। महेश भट्ट और मुकेश भट्ट मेरे गॉडफादर हैं। मैं आज जो कुछ हूं, उन्हीं की देन है। मैं उनका अहसान कभी नहीं भूलूंगा।
आप मुंबई कब आए? वॉयस ऑफ इंडिया को आपकी जिंदगी का टर्निग प्वॉइंट कहा जा सकता है?
मैं सत्रह साल की उम्र में मुंबई आया था। तब मेरा यहां कोई नहीं था। न तो मेरे सोने का ठिकाना था और न ही खाने का। मैंने कई रातें भूखे पेट प्लेटफार्म पर गुजारी हैं। उस वक्त मैं संगीतकारों के दफ्तर जाता था, तो कोई मुझसे मिलता नहीं था। कई बार मेरा धैर्य टूटा, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। मैं कम उम्र में संगीत की दुनिया में अपनी पहचान बनाने का फैसला करके आया था। रिअॅलिटी शो वॉयस ऑफ इंडिया मेरी जिंदगी का टर्निग प्वॉइंट साबित हुआ। उस शो में लोगों ने मेरी प्रतिभा देखी और वहीं भट्ट साहब से मेरी मुलाकात हुई।
छोटे भाई शाबिर के साथ आप फिल्मों का संगीत कंपोज कर रहे हैं?
जी हां। तोषी-शाबिर हमारी जोड़ी का नाम है। शाबिर अभी इक्कीस साल का है। हमारी जोड़ी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे कम उम्र की संगीतकार जोड़ी है। शाबिर भी बचपन से संगीत से जुड़े हैं। पहले हम दोनों के बीच सिर्फ भाई और दोस्त का रिश्ता था, लेकिन अब हम प्रोफेशनल पार्टनर भी बन गए हैं। इस वर्ष हमारी कई फिल्में प्रदर्शित होंगी।
आप किन गायकों के प्रशंसक हैं?
मैं नुसरत फतेह अली खान से प्रेरित होता हूं। मैं उन्हें बहुत सुनता हूं। सोनू निगम भी मेरे फेवरेट हैं। मैं अपने सीनियर कलाकारों की इज्जत करता हूं।
क्या आप आज भी संगीतकारों के पास काम मांगने जाते हैं?
हां, मैं विशाल-शेखर, सलीम-सुलेमान, आदेश श्रीवास्तव से जब भी मिलता हूं, तो कहता हूं कि सर, मुझे गाने के लिए बुलाइए। यदि कोरस के लिए बुलाएंगे, तो भी मुझे खुशी होगी। मैं इंडस्ट्री में अभी बच्चा हूं। मुझे काम मांगने में शर्म नहीं आती। मेरे गाए गीत वादा रहा और किसान में थे। वीर में भी गीत हैं। मैंने इल्या राजा के निर्देशन में तेलुगू फिल्म के लिए भी गाया है।
आपका लक्ष्य और आपकी भावी योजनाएं क्या हैं?
मेरा लक्ष्य दूसरों से हटकर काम करना है। मैं अपनी पहचान बनाना चाहता हूं। ईद के बाद मैं मलाड में अपना रिकार्डिग स्टूडियो बनाने जा रहा हूं। मैं राजस्थानी फिल्मों के लिए कुछ करना चाहता हूं।
-raghuvendra singh
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