Friday, October 16, 2009

कैसे ज्योतिर्मय हो जग? सितारों की राय

प्रकाश पर्व दीपावली की रात दीप प्रज्जवलित कर सांकेतिक रूप से दुनिया को रोशन करने की कामना की जाती है। इस प्रथा में सुनहरे भविष्य की आहट छुपी है। दीपावली की रोशनी ऐसे नए युग की ओर संकेत करती है, जहां नई उम्मीद और सकारात्मक ऊर्जा होती है। अंधकार पर प्रकाश की विजय के इस प्रतीकात्मक पर्व पर हम ने रुपहले पर्दे के सितारों से पूछा कि ऐसा क्या करें, जिससे हमारा समाज भी जगमग हो जाए?
रितेश देशमुख-प्यार बांटें..
दीपावली के दिन मैं चाहूंगा हम सब मिलकर प्यार बांटे। बड़ी से बड़ी समस्या का हल प्यार से निकल सकता है। इस तरह से दुश्मन को भी दोस्त बनाया जा सकता है। हम सभी को प्यार बांटना चाहिए और खुशी का माहौल बनाना चाहिए। खुद की खुशी के लिए पटाखे नहीं जलाने चाहिए। पटाखों में फिजूलखर्ची होती है साथ ही वातावरण भी प्रदूषित होता है। जोखिम तो रहता ही है। दीपावली के दिन दीये जलाएं, पटाखे नहीं। प्यार से लोगों से मिलें। आपका यह छोटा सा योगदान समाज के लिए काफी होगा।
हरमन बावेजा- शिक्षा का प्रकाश फैलाएं..
हमें अपने करीब काम करने वालों जैसे ड्राइवर, वॉचमैन, सब्जी वाले, स्पॉट ब्वॉयज् आदि को शिक्षा का महत्व बताना चाहिए। उन्हें प्रेरित करना चाहिए कि वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दें। दीपावली के दिन हमें शिक्षा का प्रकाश फैलाना चाहिए। यदि समाज में सभी शिक्षित होंगे, तो अनेक समस्याएं खुद ब खुद दूर हो जाएंगी। हमें यहां शिक्षितों का प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए दीपावली से बेहतर कोई और दिन नहीं हो सकता।
मिनीषा लांबा- भेदभाव खत्म करें..
समाज से भेदभाव की भावना खत्म करने की जरूरत है। ईश्वर ने हम सभी को इंसान बनाया है। फिर हम जाति-धर्म, अमीरी-गरीबी के आधार पर इंसान को क्यों बांटा है? इस बंटवारे से हमारा खुद का कहीं न कहीं नुकसान होता है। हमें प्यार बांटना होगा। हर इंसान में मुहब्बत की भावना जगानी होगी। आज हमारे समाज के लिए यह जरूरी है। दीपावली के दिन दीये जरूर जलाएं, लेकिन किसी से भेदभाव न करें। सबसे प्यार से मिलें।

दीयों से रोशन है संसार

इस साल कुछ अलग किया जाए-प्राची देसाई

मैंने चार साल पहले अपने करीबी सहेलियों व दोस्तों के साथ पंचगनी में दीपावली मनायी थी। वह मेरे जीवन की यादगार दीपावली है। तब मैं 11वीं कक्षा में पढ़ती थी। प्रत्येक साल मैं यह त्योहार परिवार के साथ पुणे में मनाती थी। मैंने सोचा कि इस साल कुछ अलग किया जाए। मैंने अपनी सहेलियों प्रियंका, एकता, मंपी और नेहा के साथ मिलकर पंचगनी जाने की योजना बनायी। पंचगनी में भी मेरा एक घर है। हमने बाजार से मोमबत्तिायां खरीदीं। शाम ढलते ही हमने घर की सीढि़यों, खिड़कियों और छत पर लाइन से मोमबत्तिायों को सजा दिया। जब तक वे मोमबत्तिायां बुझ नहीं गयीं, हम बैठकर उन्हें निहारते रहे। हमने कुछ नहीं किया, सिर्फ चुपचाप बैठे रहे। जब मोमबत्तिायां बुझ गयीं, तो हम सब टहलने निकल गए। पंचगनी बहुत खूबसूरत जगह है। दीपावली की रात तो वहां की सुंदरता देखते ही बन रही थी। वैसी दीपावली मैं दोबारा कभी नहीं मना सकी।
नहीं भूलता 2003 का पर्व-सोनिका कालीरमण
मेरे जीवन की सबसे यादगार दीपावली 2003 की है। उस वर्ष दीपावली के दिन भारत सरकार की तरफ से मुझे और मेरे बड़े भाई जगदीश कालीरमण को 'भारत केसरी सम्मान' से सम्मानित किया गया था। भारत के इतिहास में पहली बार यह सम्मान एक साथ भाई-बहन को मिला था। वह दिन मैं जीवन में कभी नहीं भूल सकूंगी। हरियाणा स्थित गृहनगर में लोगों ने मेरा और बड़े भाई साहब का शानदार तरीके से स्वागत किया। उस दीपावली की खुशी का अहसास अलग था। इस साल ससुराल में मैं पहली दीपावली मनाऊंगी। मैं बहुत उत्साहित हूं और उम्मीद कर रही हूं कि यह दीपावली भी यादगार होगी।
-रघुवेन्द्र सिंह

2 comments:

Udan Tashtari said...

अच्छी लगी सितारों की राय जानना!!

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल ’समीर’

संगीता पुरी said...

सितारो के विचार सितारों जैसे ही झिलमिला रहे हैं !!
पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!