कई लोकप्रिय और सफल फिल्में बना चुके निर्देशक प्रियदर्शन अपने करियर की रजत जयंती मना रहे हैं। यह वर्ष उनके लिए इसलिए भी खास है, क्योंकि भारत सरकार ने उनकी तमिल फिल्म कांचीवरम् को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह उनके करियर का पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार है। प्रियदर्शन से बातचीत के खास अंश पेश हैं।
आपके लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार क्या महत्व रखता है?
-मैं पिछले पच्चीस सालों से अनवरत फिल्में बना रहा हूं, दर्शकों को मेरी फिल्में पसंद भी आईं मगर मुझे पुरस्कार नहीं मिला। पच्चीस वर्ष के करियर में पहली बार मेरी फिल्म कांचीवरम् को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है। हमारे यहां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का स्थान हर पुरस्कार से ऊपर है। मैं बहुत खुश हूं। अब तक मैंने जो भी फिल्में बनाईं हैं, उनमें से किसी पर भी मुझे गर्व नहीं हुआ, लेकिन कांचीवरम् से मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।
कांचीवरम् जैसी फिल्म बनाकर आप साबित करना चाहते थे कि आप गंभीर और अर्थपूर्ण फिल्में भी बना सकते हैं?
-जी हां। मेरी पहचान कॉमेडी फिल्म मेकर की है। समीक्षक मेरी फिल्मों को कभी एक तो कभी डेढ़ स्टार देते थे। यह बात मुझे अच्छी नहींलगती थी। कांचीवरम् में मैंने साबित कर दिया कि मैं गंभीर और अर्थपूर्ण फिल्में भी बनाना जानता हूं। मुझे ऑफबीट फिल्मों की समझ है। मैं खुश हूं कि मैं खुद को साबित करने में सफल हुआ।
पिछली फिल्मों की तुलना में कांचीवरम् को कॉमर्शियल सफलता नहीं मिली। इस बात से खुश हैं?
-मुझे अफसोस है कि कांचीवरम् को दर्शक नहीं मिले। हमारे देश में फिल्मकार इसीलिए अर्थपूर्ण फिल्में बनाने से हिचकते हैं, क्योंकि ऐसी फिल्मों को दर्शन नहींमिलते। मुझे इस बात का अहसास पहले से था। मैंने निर्माता शैलेंद्र सिंह से कहा भी था कि कांचीवरम् से आपको पैसा नहीं मिलेगा, मगर मैं जानता था, कि यह फिल्म हमें सम्मान जरूर दिलाएगी
अपने पच्चीस वर्ष के सफर पर क्या कहेंगे?
-मैं खुश हूं। जिस चीज की कमी थी, वह कांचीवरम् से पूरी हो गई। मैंने पच्चीस वर्षों में अलग-अलग भाषाओं में 78 फिल्में बनाईं हैं। उनमें से अधिकांश फिल्में सफल रहीं। मेरी ख्वाहिश है कि मैं ताउम्र फिल्में बनाता रहूं।
निकट भविष्य में आपकी कौन सी फिल्में प्रदर्शित होंगी?
-मेरी फिल्म दे दना दन बनकर तैयार है। यह फुल एंटरटेनिंग कॉमर्शियल फिल्म है। इसमें अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, परेश रावल, कैटरीना कैफ, नेहा धूपिया और समीरा रेड्डी हैं।
क्या आप कांचीवरम् को हिंदी में बनाएंगे?
-नहीं। सभी मुझसे यही सवाल पूछ रहे हैं। कांचीवरम् की कहानी, किरदार, लोकेशन सब दक्षिण भारतीय हैं। इस फिल्म का हिंदी रीमेक नहीं बन सकता। अलबत्ता इसी माह 30 अक्टूबर को यह फिल्म हिंदी सबटाइटल के साथ पूरे देश में प्रदर्शित होगी।
आपके लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार क्या महत्व रखता है?
-मैं पिछले पच्चीस सालों से अनवरत फिल्में बना रहा हूं, दर्शकों को मेरी फिल्में पसंद भी आईं मगर मुझे पुरस्कार नहीं मिला। पच्चीस वर्ष के करियर में पहली बार मेरी फिल्म कांचीवरम् को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है। हमारे यहां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का स्थान हर पुरस्कार से ऊपर है। मैं बहुत खुश हूं। अब तक मैंने जो भी फिल्में बनाईं हैं, उनमें से किसी पर भी मुझे गर्व नहीं हुआ, लेकिन कांचीवरम् से मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।
कांचीवरम् जैसी फिल्म बनाकर आप साबित करना चाहते थे कि आप गंभीर और अर्थपूर्ण फिल्में भी बना सकते हैं?
-जी हां। मेरी पहचान कॉमेडी फिल्म मेकर की है। समीक्षक मेरी फिल्मों को कभी एक तो कभी डेढ़ स्टार देते थे। यह बात मुझे अच्छी नहींलगती थी। कांचीवरम् में मैंने साबित कर दिया कि मैं गंभीर और अर्थपूर्ण फिल्में भी बनाना जानता हूं। मुझे ऑफबीट फिल्मों की समझ है। मैं खुश हूं कि मैं खुद को साबित करने में सफल हुआ।
पिछली फिल्मों की तुलना में कांचीवरम् को कॉमर्शियल सफलता नहीं मिली। इस बात से खुश हैं?
-मुझे अफसोस है कि कांचीवरम् को दर्शक नहीं मिले। हमारे देश में फिल्मकार इसीलिए अर्थपूर्ण फिल्में बनाने से हिचकते हैं, क्योंकि ऐसी फिल्मों को दर्शन नहींमिलते। मुझे इस बात का अहसास पहले से था। मैंने निर्माता शैलेंद्र सिंह से कहा भी था कि कांचीवरम् से आपको पैसा नहीं मिलेगा, मगर मैं जानता था, कि यह फिल्म हमें सम्मान जरूर दिलाएगी
अपने पच्चीस वर्ष के सफर पर क्या कहेंगे?
-मैं खुश हूं। जिस चीज की कमी थी, वह कांचीवरम् से पूरी हो गई। मैंने पच्चीस वर्षों में अलग-अलग भाषाओं में 78 फिल्में बनाईं हैं। उनमें से अधिकांश फिल्में सफल रहीं। मेरी ख्वाहिश है कि मैं ताउम्र फिल्में बनाता रहूं।
निकट भविष्य में आपकी कौन सी फिल्में प्रदर्शित होंगी?
-मेरी फिल्म दे दना दन बनकर तैयार है। यह फुल एंटरटेनिंग कॉमर्शियल फिल्म है। इसमें अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, परेश रावल, कैटरीना कैफ, नेहा धूपिया और समीरा रेड्डी हैं।
क्या आप कांचीवरम् को हिंदी में बनाएंगे?
-नहीं। सभी मुझसे यही सवाल पूछ रहे हैं। कांचीवरम् की कहानी, किरदार, लोकेशन सब दक्षिण भारतीय हैं। इस फिल्म का हिंदी रीमेक नहीं बन सकता। अलबत्ता इसी माह 30 अक्टूबर को यह फिल्म हिंदी सबटाइटल के साथ पूरे देश में प्रदर्शित होगी।
-raghuvendra singh
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