रांची में पली-बढ़ी सुप्रिया कुमारी नन्हीं उम्र से अपनी बड़ी-बड़ी आंखों में मॉडल बनने का सपना संजोये थीं, लेकिन बड़े होने पर छोटे कद की वजह से उन्हें उस सपने को अलविदा कहना पड़ा। सुप्रिया कुमारी को आजकल एकता कपूर निर्मित कलर्स पर प्रसारित सीरियल बैरी पिया में अमोली की केंद्रीय भूमिका निभा रही हैं। इसके पहले सुप्रिया अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो सीरियल में शनीचरी की भूमिका में दिखी थीं।
ज्यादातर माता-पिता बेटियों को अभिनय में कॅरियर बनाने की सलाह नहीं देते। आप अभिनय में कैसे आईं?
यह सच है। हमारे यहां फिल्म इंडस्ट्री में आने की बात पर लोगों की सोच का दायरा सिमट जाता है, लेकिन जो माता-पिता अपने बच्चों को स्क्रीन पर देखना चाहते हैं, वे अपने बच्चों को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। मैं भाग्यशाली हूं। मैं अपने घर में सबसे छोटी हूं, इसीलिए सबकी लाडली भी हूं। मेरे मम्मी-पापा, भैया और दीदी ने मुझे अभिनय में आने के लिए हमेशा प्रेरित किया। यही वजह है कि आज मैं मुंबई में हूं।
आप मुंबई कब आईं? क्या अभिनय का प्रशिक्षण लिया है?
मैं ग्यारह महीने पहले मुंबई आई। मेरी किस्मत बहुत अच्छी है। मुझे आते ही अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो सीरियल में काम करने का मौका मिल गया। उस सीरियल में मेरा काम खत्म ही हुआ था कि बालाजी का सीरियल बैरी पिया मुझे मिल गया। मैंने इस सीरियल के लिए ऑडिशन दिया था। मुझे ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा। मैंने अभिनय नहीं सीखा है। निर्देशक इतने अच्छे मिले हैं कि मुझे किरदार को निभाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। मैं इस मामले में भी भाग्यशाली हूं।
बैरी पिया की अमोली से आप कितना सरोकार रखती हैं?
मुझे ग्रामीण परिवेश का अनुभव नहीं है। मैं रांची में रही हूं, लेकिन बैरी पिया की कहानी और अमोली जैसी कई लड़कियों के बारे में मैंने सुना है। अमोली और मुझमें कोई समानता नहीं है। मैं खुश हूं कि बैरी पिया में मुझे एक नया जीवन जीने को मिल रहा है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि मैं बैरी पिया जैसा अर्थपूर्ण और आम लोगों की समस्याओं से जुड़े सीरियल का हिस्सा हूं। उम्मीद है कि यह सीरियल मेरे कॅरियर को नई ऊंचाई देगा।
संयोग है कि आपके दोनों सीरियल ग्रामीण परिवेश पर आधारित हैं या आप ऐसे सीरियल का हिस्सा बनना चाहती हैं?
इसे संयोग कह सकते हैं। मैं कोई रणनीति बनाकर नहीं आई हूं। ऐसे सीरियल के निर्माताओं को शायद मेरा लुक फिट लगता है।
बैरी पिया की कहानी में लड़कियों की जो दशा दिखाई जा रही है,उससे कितना सहमत है?
आज कल इस तरह की घटनाएं नहीं होती है। पहले गांवों में जमींदार अपने शौक के लिये कुछ भी कर लेते थे। ग्रामीण क्षेत्रों की इसी बुराई को एक लड़की द्वारा अपने हौसले से जिस तरह खत्म किया जाएगा, उसी को दर्शाया गया है।
अब तक का अनुभव कैसा रहा? परिजनों की क्या प्रतिक्रिया है?
मुझे मजा आ रहा है। मेरे मम्मी-पापा, दोस्त और रिश्तेदार सभी बेहद खुश हैं। रांची में बालाजी प्रोडक्शन का बहुत नाम है। मेरे जानने वाले इस बात से खुश हैं कि मैं बालाजी के सीरियल में काम कर रही हूं। वे मुझ पर गर्व करते हैं।
आपका लक्ष्य क्या है? भविष्य में किस तरह का काम करेंगी?
मैं आर्ट फिल्में करना चाहती हूं। मैं स्मिता पाटिल की तरह आर्ट फिल्मों में सम्मानित स्थान बनाना चाहती हूं। इस जीवन में यह मौका मिले तो बहुत खुशी होगी। दरअसल, मैं निजी जीवन में बहुत गंभीर हूं और गहराई से सोचती हूं। मैं हल्का-फुल्का काम कभी नहीं करूंगी।
-रघुवेन्द्र सिंह
ज्यादातर माता-पिता बेटियों को अभिनय में कॅरियर बनाने की सलाह नहीं देते। आप अभिनय में कैसे आईं?
यह सच है। हमारे यहां फिल्म इंडस्ट्री में आने की बात पर लोगों की सोच का दायरा सिमट जाता है, लेकिन जो माता-पिता अपने बच्चों को स्क्रीन पर देखना चाहते हैं, वे अपने बच्चों को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। मैं भाग्यशाली हूं। मैं अपने घर में सबसे छोटी हूं, इसीलिए सबकी लाडली भी हूं। मेरे मम्मी-पापा, भैया और दीदी ने मुझे अभिनय में आने के लिए हमेशा प्रेरित किया। यही वजह है कि आज मैं मुंबई में हूं।
आप मुंबई कब आईं? क्या अभिनय का प्रशिक्षण लिया है?
मैं ग्यारह महीने पहले मुंबई आई। मेरी किस्मत बहुत अच्छी है। मुझे आते ही अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो सीरियल में काम करने का मौका मिल गया। उस सीरियल में मेरा काम खत्म ही हुआ था कि बालाजी का सीरियल बैरी पिया मुझे मिल गया। मैंने इस सीरियल के लिए ऑडिशन दिया था। मुझे ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा। मैंने अभिनय नहीं सीखा है। निर्देशक इतने अच्छे मिले हैं कि मुझे किरदार को निभाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। मैं इस मामले में भी भाग्यशाली हूं।
बैरी पिया की अमोली से आप कितना सरोकार रखती हैं?
मुझे ग्रामीण परिवेश का अनुभव नहीं है। मैं रांची में रही हूं, लेकिन बैरी पिया की कहानी और अमोली जैसी कई लड़कियों के बारे में मैंने सुना है। अमोली और मुझमें कोई समानता नहीं है। मैं खुश हूं कि बैरी पिया में मुझे एक नया जीवन जीने को मिल रहा है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि मैं बैरी पिया जैसा अर्थपूर्ण और आम लोगों की समस्याओं से जुड़े सीरियल का हिस्सा हूं। उम्मीद है कि यह सीरियल मेरे कॅरियर को नई ऊंचाई देगा।
संयोग है कि आपके दोनों सीरियल ग्रामीण परिवेश पर आधारित हैं या आप ऐसे सीरियल का हिस्सा बनना चाहती हैं?
इसे संयोग कह सकते हैं। मैं कोई रणनीति बनाकर नहीं आई हूं। ऐसे सीरियल के निर्माताओं को शायद मेरा लुक फिट लगता है।
बैरी पिया की कहानी में लड़कियों की जो दशा दिखाई जा रही है,उससे कितना सहमत है?
आज कल इस तरह की घटनाएं नहीं होती है। पहले गांवों में जमींदार अपने शौक के लिये कुछ भी कर लेते थे। ग्रामीण क्षेत्रों की इसी बुराई को एक लड़की द्वारा अपने हौसले से जिस तरह खत्म किया जाएगा, उसी को दर्शाया गया है।
अब तक का अनुभव कैसा रहा? परिजनों की क्या प्रतिक्रिया है?
मुझे मजा आ रहा है। मेरे मम्मी-पापा, दोस्त और रिश्तेदार सभी बेहद खुश हैं। रांची में बालाजी प्रोडक्शन का बहुत नाम है। मेरे जानने वाले इस बात से खुश हैं कि मैं बालाजी के सीरियल में काम कर रही हूं। वे मुझ पर गर्व करते हैं।
आपका लक्ष्य क्या है? भविष्य में किस तरह का काम करेंगी?
मैं आर्ट फिल्में करना चाहती हूं। मैं स्मिता पाटिल की तरह आर्ट फिल्मों में सम्मानित स्थान बनाना चाहती हूं। इस जीवन में यह मौका मिले तो बहुत खुशी होगी। दरअसल, मैं निजी जीवन में बहुत गंभीर हूं और गहराई से सोचती हूं। मैं हल्का-फुल्का काम कभी नहीं करूंगी।
-रघुवेन्द्र सिंह
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