हरियाणा के जींद जिले से निर्देशक बनने की चाहत लिए 1996 में रमेश खट्कर मुंबई आए। इसी वर्ष उन्होंने जी टीवी के लिए एनकाउंटर सीरियल का निर्देशन किया। सीरियल रामगोपाल वर्मा को इतना पसंद आया कि उन्होंने रमेश को एक रोमांटिक फिल्म लिखने को दे दी। फिल्म मस्त रमेश ने ही लिखी थी। जंगल और कंपनी फिल्मों में रामू के मुख्य सहायक रहे रमेश अपनी पहली फिल्म टॉस लेकर आ रहे हैं। बातचीत रमेश से..
निर्देशक बनने का निर्णय आपने कब लिया?
मैंने बचपन में तय कर लिया था कि फिल्म निर्देशक बनना है। मैं स्कूल जाते समय दीवारों पर लगे फिल्मों के पोस्टर ध्यान से पढ़ता था और क्लास में टीचर से फिल्म के लेखक और निर्देशक के बारे में पूछता था। टीचर कहती थीं कि लड़का बिगड़ रहा है। वे मेरी जमकर पिटाई करती थीं। मैं सिनेमा से बहुत प्रभावित था। सिनेमा का आकर्षण मुझे मुंबई खींचकर लाया।
आपने निर्देशन का प्रशिक्षण लिया था कि मुंबई आते ही निर्देशित करने का मौका मिल गया?
मैंने कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है। मैं मुंबई आकर किसी निर्देशक को असिस्ट करना चाहता था। मेरे एक मित्र जी टीवी में काम करते थे। उनके सहयोग से मुझे एनकाउंटर निर्देशित करने का मौका मिला। रामू ने वह सीरियल देखा और मुझे मिलने के लिए बुलाया। मैं जब उनसे मिला, तो उन्होंने कहा कि मेरे लिए एक फिल्म लिखो। मैं सोच रहा था कि वे थ्रिलर फिल्म लिखने के लिए कहेंगे, लेकिन उन्होंने रोमांटिक फिल्म लिखने को कहा। मैंने मस्त लिखी। जंगल और कंपनी फिल्मों में भी उनके साथ रहा। बाद में मैंने अपना अलग रास्ता चुन लिया।
रामू का साथ क्यों छोड़ दिया?
मैं अपनी तरह की फिल्म बनाना चाहता था। मैं अपनी सोच और सिद्धांत से समझौता करके काम नहीं कर सकता। हालांकि रामू का साथ छोड़ने के बाद मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा। मैंने तीन-चार फिल्में लिखीं और निर्माताओं से मिला, लेकिन बात नहीं बनी। उन फिल्मों को बनाने का खयाल मैंने छोड़ दिया। 2007 में टॉस फिल्म का आइडिया मेरे दिमाग में आया और संयोग से मुकेश रमानी से मेरी मुलाकात हो गई।
टॉस किस तरह की फिल्म है?
मैं इसे किसी जॉनर में नहीं रख सकता। कॉलेज के दिनों में दोस्तों से डिस्कशन के दौरान इस फिल्म की कहानी उपजी थी। वही कहानी है। मीडिया और दर्शक तय करेंगे कि यह किस तरह की फिल्म है। इसकी कहानी छह दोस्तों की है, जो बचपन से साथ हैं। मैंने फिल्म के माध्यम से बताने की कोशिश की है कि मौजूदा समय में रिश्ते का अस्तित्व नहीं है। पैसा सबसे बड़ा हो गया है। क्या यह सही है? यही सवाल मैंने टॉस में उठाया है।
फिल्म निर्देशन का अनुभव कैसा रहा?
अच्छा रहा। निर्माता मुकेश रमानी ने मेरा भरपूर सहयोग किया। फिल्म के कलाकारों प्रशांत राज, आरती छाबरिया, महेश मांजरेकर, सुशांत सिंह, राजपाल यादव सभी का सहयोग मिला। अश्मित पटेल मेरे मित्र हैं। उन्होंने मित्रता निभाई। वे सेट पर ब्वॉय का भी काम करने से नहीं हिचकते थे। मैं लकी हूं कि मुझे सहयोगी टीम मिली।
भावी योजनाएं क्या हैं?
मैंने एक फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी है। टॉस की रिलीज के बाद उसके लिए कलाकारों का चयन करूंगा। टॉस मेरी पहली फिल्म है। मैं चाहूंगा कि दर्शक इसे देखें। मुझे उम्मीद है कि फिल्म देखने में उन्हें मजा आएगा।
निर्देशक बनने का निर्णय आपने कब लिया?
मैंने बचपन में तय कर लिया था कि फिल्म निर्देशक बनना है। मैं स्कूल जाते समय दीवारों पर लगे फिल्मों के पोस्टर ध्यान से पढ़ता था और क्लास में टीचर से फिल्म के लेखक और निर्देशक के बारे में पूछता था। टीचर कहती थीं कि लड़का बिगड़ रहा है। वे मेरी जमकर पिटाई करती थीं। मैं सिनेमा से बहुत प्रभावित था। सिनेमा का आकर्षण मुझे मुंबई खींचकर लाया।
आपने निर्देशन का प्रशिक्षण लिया था कि मुंबई आते ही निर्देशित करने का मौका मिल गया?
मैंने कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है। मैं मुंबई आकर किसी निर्देशक को असिस्ट करना चाहता था। मेरे एक मित्र जी टीवी में काम करते थे। उनके सहयोग से मुझे एनकाउंटर निर्देशित करने का मौका मिला। रामू ने वह सीरियल देखा और मुझे मिलने के लिए बुलाया। मैं जब उनसे मिला, तो उन्होंने कहा कि मेरे लिए एक फिल्म लिखो। मैं सोच रहा था कि वे थ्रिलर फिल्म लिखने के लिए कहेंगे, लेकिन उन्होंने रोमांटिक फिल्म लिखने को कहा। मैंने मस्त लिखी। जंगल और कंपनी फिल्मों में भी उनके साथ रहा। बाद में मैंने अपना अलग रास्ता चुन लिया।
रामू का साथ क्यों छोड़ दिया?
मैं अपनी तरह की फिल्म बनाना चाहता था। मैं अपनी सोच और सिद्धांत से समझौता करके काम नहीं कर सकता। हालांकि रामू का साथ छोड़ने के बाद मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा। मैंने तीन-चार फिल्में लिखीं और निर्माताओं से मिला, लेकिन बात नहीं बनी। उन फिल्मों को बनाने का खयाल मैंने छोड़ दिया। 2007 में टॉस फिल्म का आइडिया मेरे दिमाग में आया और संयोग से मुकेश रमानी से मेरी मुलाकात हो गई।
टॉस किस तरह की फिल्म है?
मैं इसे किसी जॉनर में नहीं रख सकता। कॉलेज के दिनों में दोस्तों से डिस्कशन के दौरान इस फिल्म की कहानी उपजी थी। वही कहानी है। मीडिया और दर्शक तय करेंगे कि यह किस तरह की फिल्म है। इसकी कहानी छह दोस्तों की है, जो बचपन से साथ हैं। मैंने फिल्म के माध्यम से बताने की कोशिश की है कि मौजूदा समय में रिश्ते का अस्तित्व नहीं है। पैसा सबसे बड़ा हो गया है। क्या यह सही है? यही सवाल मैंने टॉस में उठाया है।
फिल्म निर्देशन का अनुभव कैसा रहा?
अच्छा रहा। निर्माता मुकेश रमानी ने मेरा भरपूर सहयोग किया। फिल्म के कलाकारों प्रशांत राज, आरती छाबरिया, महेश मांजरेकर, सुशांत सिंह, राजपाल यादव सभी का सहयोग मिला। अश्मित पटेल मेरे मित्र हैं। उन्होंने मित्रता निभाई। वे सेट पर ब्वॉय का भी काम करने से नहीं हिचकते थे। मैं लकी हूं कि मुझे सहयोगी टीम मिली।
भावी योजनाएं क्या हैं?
मैंने एक फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी है। टॉस की रिलीज के बाद उसके लिए कलाकारों का चयन करूंगा। टॉस मेरी पहली फिल्म है। मैं चाहूंगा कि दर्शक इसे देखें। मुझे उम्मीद है कि फिल्म देखने में उन्हें मजा आएगा।
-रघुवेन्द्र सिंह
1 comment:
टीचर पीटती थीं
तो इस शिक्षक दिवस पर
एक एफ आई आर लिखवा दो।
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