मुख्य कलाकार : डिनो मोरिया, मिलिंद सोमन, शीतल मेनन, सिमोन सिंह
निर्देशक : पवन कौल
तकनीकी टीम : बैनर- मैग्ना फिल्म्स, निर्माता- नारी हीरा, संगीतकार- प्रीतम, सिद्धार्थ- सुहास
पवन कौल ने इस बार भ्रम के जरिए रोमांटिक थ्रिलर में हाथ आजमाया है। कहानी में नयापन है। कहने के अंदाज में नयापन है, लेकिन मनोरंजन के हिसाब से फिल्म उतनी दमदार नहीं है कि दर्शकों को अंत तक बांधकर रख सके।
भ्रम की कहानी के केंद्र में सुपरमॉडल अंतरा त्यागी और शांतनु रावल हैं। अंतरा माडलिंग के क्षेत्र में शीर्ष स्थान रखती है। अंतरा के चमकते चेहरे के पीछे कोई ऐसा सच छुपा है, जो उसे हमेशा परेशान करता है। मर्दो से उसे घृणा है। उन्हें वह अपने करीब फटकने नहीं देती।
शांतनु बिजनेस टायकून देव का छोटा भाई है। उस पर लड़कियां जान छिड़कती हैं। एक दोस्त के जरिए शांतनु की मुलाकात अंतरा से होती है। एक-दो ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं, जो इन्हें करीब ला देती हैं। दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठते हैं। शांतनु अंतरा को अपने भैया-भाभी से मिलवाने ले जाता है। अंतरा जब शांतनु के भाई देव से मिलती है, तो उसे उसका अतीत याद आ जाता है। वह देव को इन्दर कहकर संबोधित करती है और उस पर पर अपनी बड़ी बहन की हत्या का आरोप लगाती है। यहीं से शांतनु के परिवार में बिखराव आ जाता है। अंतत: शांतनु हकीकत का पता लगाता है। फिल्म का अंत बेहद नाटकीय ढंग से होता है। मॉडल की भूमिका में शीतल मेनन उम्मीद जगाती हैं। मिलिंद सोमण का अभिनय ठीक है। काफी समय बाद सिमोन सिंह अच्छी भूमिका में दिखी हैं। उन्होंने अपने दृश्यों के साथ पूरी तरह न्याय किया है। प्रीतम का संगीत निराश करता है। चूंकि फिल्म की लेखक महिला हैं, इसलिए अभिनेत्रियों के हिस्से कुछ यादगार संवाद आए हैं।
-रघुवेंद्र सिंह
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