-रघुवेंद्र सिंह
अब तक के अपने चार साल के ऐक्टिंग करियर में मैंने हिंदी-तमिल की कुल सत्रह फिल्मों में काम किया है। इन में से अपनी पसंदीदा फिल्म चुनना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल काम है, क्योंकि मैं किसी फिल्म के लिए हां तभी कहती हूं, जब मुझे कहानी और किरदार पसंद आता है। फिर भी मैं नि:संकोच कहूंगी कि नागेश कुक्नूर निर्देशित फिल्म डोर मेरी पसंदीदा फिल्म है। इसकी वजह यह नहीं कि वे मेरे राखी भाई हैं, बल्कि वाकई डोर एक बेहतरीन फिल्म है।
डोर हमेशा मेरे दिल के करीब इसलिए भी रहेगी, क्योंकि वह फिल्म मेरे करियर का टर्निग प्वॉइंट है। उसकी रिलीज के पहले मैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेत्रियों की भीड़ का एक हिस्सा भर थी, लेकिन उस फिल्म की रिलीज के बाद अचानक मेरे प्रति लोगों का नजरिया बदल गया। दरअसल, मेरी ग्लैमर डॉल की इमेज इस फिल्म की रिलीज के बाद बदल गई और एक अभिनेत्री के रूप में मुझे पहचान भी मिली। उस फिल्म में काम करने के बाद मुझे अपने ऐक्टर होने पर गर्व हुआ था। दरअसल, डोर की कहानी और मेरा मीरा का किरदार दोनों समाज की एक कड़वी सच्चाई बयां करते हैं। फिल्म में मीरा के किरदार के माध्यम से यह दिखाया गया है कि आज भी हमारे समाज में परंपराओं के नाम पर स्त्रियों का शोषण हो रहा है।
मेरे लिए मीरा का किरदार निभाना चुनौती थी और मैंने उस चुनौती को स्वीकार भी किया। शुरू में मुझे उस किरदार को निभाने में दिक्कत जरूर हुई, लेकिन धीरे-धीरे मैं उस किरदार में ढल गई। इस मामले में नागेश ने मेरी बहुत मदद की थी। मुझे इस बात की जानकारी बाद में मिली कि नागेश मीरा के किरदार के लिए मुझे साइन करने से पहले डरे हुए थे। उन्हें इस बात का डर था कि मैं मीरा के किरदार के साथ न्याय कर पाऊंगी या नहीं, लेकिन बाद में सब लोगों ने मेरे काम की सराहना की। मुझे उस फिल्म में गुल पनाग, श्रेयस तलपड़े और गिरीश कर्नाड जैसे बेहतरीन कलाकारों के साथ काम करने का अवसर मिला। वैसे, यह भी एक सच है कि मैंने भी उस फिल्म से बहुत कुछ सीखा।
आज मैं जिस मुकाम पर हूं, उसमें डोर का बहुत बड़ा योगदान है। उस फिल्म में मेरा काम देखने के बाद ही आज फिल्मकार मुझे वॉन्टेड और तस्वीर जैसी फिल्मों के लिए साइन कर रहे हैं। उस तरह का किरदार करने का अवसर बहुत कम अभिनेत्रियों को मिलता है। मैं इसलिए खुश हूं कि चार साल के अपने छोटे से करियर में ऐसा किरदार निभाने का मौका मिला। वैसे, इसका श्रेय निर्देशक नागेश कुक्नूर को ही जाता है।
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